एकल उपयोग होने वाली प्लॉस्टिक के इस्तेमाल से नागरिक बचें : उप राष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू


नई दिल्ली। उप राष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने नागरिकों का आह्वान किया है कि वे फेंकने योग्‍य प्‍लास्टिक के इस्‍तेमाल से बचें और स्‍थानीय समुदाय कूड़े-करकट की तरह फैले प्‍लॉस्टिक की सफाई करें। 
चेन्‍नई में मद्रास विश्‍व विद्यालय के सेंटीनरी ऑडिटोरियम में श्री धर्ममूर्ति राव बहादुर कलवाला कुनन छेत्‍ती के 150वीं जयंती के कार्यक्रम में उपराष्‍ट्रपति ने प्रधानमन्‍त्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा फेंकने योग्‍य प्‍लॉस्टिक का इस्‍तेमाल खत्‍म करने का जिक्र किया और कहा, 'मैं समझता हूं, यह स्‍वागत योग्‍य अपील है'।
नागरिकों से इसका समर्थन करने का आग्रह करते हुए उन्‍होंने कहा, 'महात्‍मा गांधी को यह हमारी विनम्र श्रद्धांजलि होगी'। उन्‍होंने कहा कि यह श्री कलवाला कुनन छेत्‍ती गारू द्वारा अपनाए गए आदर्शों के अनुरूप होगा। स्‍वतंत्रता से पूर्व धर्ममूर्ति राव बहादुर कलवाला कुनन छेत्‍ती द्वारा किए गए लोक हितेषी कार्यों के लिए उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री नायडू ने न्‍यासियों द्वारा उनकी विरासत को आगे ले जाने और समाज के कल्‍याण के लिए कार्य करने के लिए उनकी सराहना की।   
उप राष्‍ट्रपति ने कहा कि श्री कलवाला कुनन छेत्‍ती ने अकेले समाज के सामाजिक उत्‍थान का मिशन उस समय हाथ में लिया जब देश उप निवेशी शासन के अधीन था और उस समय सरकार द्वारा शायद ही कोई सामाजिक योजनाएं चलाई जा रही थीं।
उन्‍होंने कहा कि छेत्‍ती की तरह धन-दौलत के सृजनकर्ताओं और उसके वितरणकर्ताओं  के योगदान को पहचानना जरूरी है जिन्‍होंने न केवल सरकार को राजस्‍व प्रदान किया और नौकरियां सृजित की बल्कि सामाजिक भलाई के लिए योगदान दिया।
उप राष्‍ट्रपति ने कहा कि सभी उद्यमों की सामाजिक परिस्थितियां हैं। उन्‍होंने बड़ी कंपनियों द्वारा सीएसआर कार्यों के लिए अपने लाभ का दो प्रतिशत निर्धारित करने का जिक्र किया।
स्‍वच्‍छ भारत मिशन और सामाजिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए कुछ कॉरपोरेट संगठनों के सहयोग की सराहना करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सीएसआर परियोजनाएं परिणाम उन्‍मुख और समुदाय के अनुकूल होनी चाहिए ताकि ये निरंतर चलें।
परोपकार, करुणा और संकल्‍प जैसे मूल्‍यों को छोटी उम्र से ही छात्रों के मन में बैठाने की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए उन्‍होंने कहा कि स्‍कूलों और शैक्षणिक सस्‍थानों को छात्रों को सशक्‍त बनाना चाहिए ताकि वे समाज के आदर्श नागरिक बन सकें जो बड़े समुदाय के लिए जिम्‍मेदार हों।
स्‍कूलों को स्‍थानीय समुदाय का स्रोत केन्‍द्र बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि उन्‍हें स्‍वेच्‍छा से सामुदायिक कार्य करना चाहिए और सामाजिक और लिंग संबंधी न्‍याय, परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍वच्‍छता, बालश्रम, पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा जैसे मुद्दों पर ध्‍यान देना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि भाषा हमारे विचारों और भावनाओं की अभिव्‍यक्ति है और प्रत्‍येक भाषा का साहित्‍य समृद्ध और विविध है। श्री नायडू का कहना था कि लोगों को अपनी मातृभाषा की अनदेखी किए बिना अधिक से अधिक भाषाओं को सीखना चाहिए।
उन्‍होंने कहा, 'हमारी भाषाएं हमारा मेल कर सकती हैं वे हमारे अपने ज्ञान को बढ़ाने और विविध विचारों के पूरी तरह से मूल्‍यांकन में मदद कर सकती हैं।
श्री नायडू ने कहा कि कम से कम पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई का माध्‍यम स्‍थानीय भाषा अथवा मातृभाषा में करना आवश्‍यक है ताकि शिक्षा को समग्र और सार्वभौमिक बनाया जा सके। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के कदम से युवा मस्तिष्‍क को किसी भी विषय को ग्रहण करने में मदद मिलेगी। 
उपराष्‍ट्रपति ने गुणवत्‍तापूर्ण पुस्‍तकें प्रदान करके और भारतीय भाषाओं के अध्‍यापकों की नियुक्ति करके शिक्षा में भारतीय भाषाओं के इस्‍तेमाल को प्रोत्‍साहित करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।
उन्‍होंने शताब्‍दी वर्ष के अवसर पर डाक टिकट भी जारी किया।
इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्‍यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित, तमिलनाडु के मत्‍स्‍य पालन और कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री जयकुमार, मुख्‍य पोस्‍टमास्‍टर जनरल श्री एम संपथ, धर्ममूर्ति राव बहादुर कलवाला कुनन छेत्‍ती न्‍यासियों के अध्‍यक्ष श्री एम वैंकटेश पेरूमल और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति मौजूद थे।   


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