परम्परागत औषधि प्रणालियों और होम्योपैथी के क्षेत्र में भारत और गिनी के बीच सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने परम्परागत औषधि प्रणालियों और होम्योपैथी के क्षेत्र में भारत और गिनी गणराज्य के बीच सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन को कार्योत्तर मंजूरी प्रदान की है। इस समझौता ज्ञापन पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की तीन दिन की गिनी यात्रा के दौरान 02 अगस्त, 2019 को हस्ताक्षर किए गए थे।
प्रमुख प्रभावः
इस समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच परम्परागत औषधि प्रणालियों के क्षेत्रों में आपसी सहयोग में वृद्धि होगी। दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए यह उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।
कार्यान्वयन संबंधी कार्यनीति एवं लक्ष्यः
 इस समझौता ज्ञापन की हस्ताक्षरित प्रति प्राप्त होने के बाद दोनों पक्षों के बीच कार्यकलाप आरम्भ हो जाएंगे। दोनों देशों की ओर से उठाए जाने वाले कदम समझौता ज्ञापन के कार्यक्षेत्र के अनुरूप होंगे और इस समझौता ज्ञापन के प्रचालन में रहने तक जारी रहेंगे।
संबंधित खर्चः
इस समझौते के किसी तरह के अतिरिक्त वित्तीय निहितार्थ नहीं होंगे। अनुसंधान, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों, सम्मेलनों/बैठकों का आयोजन करने तथा विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन आयुष मंत्रालय के लिए मौजूदा आवंटित बजट और मौजूदा आयोजना योजनाओं से प्राप्त किए जाएंगे।
पृष्ठभूमिः
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय, आयुष प्रणालियों (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी सहित) को दुनिया भर में संवर्धित और प्रचारित करने के लिए अधिदेशित है। औषधि की आयुष प्रणालियों को वैश्विक स्तर पर संवर्धित और प्रचारित करने के तहत आयुष मंत्रालय ने परम्परागत औषधि के क्षेत्र में सहयोग पर विभिन्न देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं तथा विभिन्न देशों में चिह्नित विश्वविद्यालयों में आयुष अकाद्मिक पीठों की स्थापना की है।
गिनी में औषधि की आयुष प्रणालियों को संवर्धित और प्रचारित करने की आवश्यकता के मद्देनजर परम्परागत औषधि एवं होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन का हमारा मानक प्रारूप गिनी के साथ मध्य एवं पश्चिम अफ्रीका प्रभाग, विदेश मंत्रालय के माध्यम से साझा किया गया।  


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