नई दिल्ली। सीबीडीटी ने स्पष्ट किया, घरेलू निवेशकों (एआईएफ श्रेणी III सहित) और एफपीआई के लिए अलग-अलग कराधान व्यवस्था आम बजट 2019 से पहले से ही लागू थी
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आज कहा कि मीडिया के एक वर्ग में इस आशय की गलत धारणा बनती जा रही है कि केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 23 अगस्त, 2019 को एक संवाददाता सम्मेलन में की गई विभिन्न घोषणाओं के फलस्वरूप ही एआईएफ श्रेणी III सहित घरेलू निवेशकों और एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) के लिए अलग-अलग कराधान व्यवस्था बन गई है। उल्लेखनीय है कि इस संवाददाता सम्मेलन में देश की अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करने के लिए अनेक उपयुक्त ढांचागत उपायों की घोषणा की गई थी।
सोशल मीडिया सहित मीडिया के एक वर्ग में बनती जा रही इस आशय की गलत धारणा को निराधार बताते हुए सीबीडीटी ने कहा कि घरेलू निवेशकों (एआईएफ श्रेणी III सहित) और एफपीआई के लिए अलग-अलग व्यवस्था आम बजट 2019 से पहले से ही लागू थी, अत: वित्त (संख्या 2) अधिनियम, 2019 अथवा वित्त मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त, 2019 को देश की अर्थव्यवस्था को नई गति देने के उद्देश्य से की गई विभिन्न घोषणाओं के कारण ऐसा नहीं हुआ।
सीबीडीटी ने इस संबंध में आगे यह बताया है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के मामले में आयकर अधिनियम, 1961 में डेरिवेटिव से होने वाली आय के कराधान के लिए विशेष प्रावधान [धारा 115एडी, जिसे धारा 2(14) के साथ पढ़ें] हैं। इस व्यवस्था के तहत एफपीआई को डेरिवेटिव से होने वाली आय को पूंजीगत लाभ माना जाता था और अधिनियम की धारा 115एडी के अनुसार उस पर टैक्स की विशेष दर देय थी। हालांकि, एआईएफ श्रेणी III सहित घरेलू निवेशकों के साथ-साथ विदेशी निवेशकों (जो एफपीआई नहीं हैं) को डेरिवेटिव से होने वाली आय को सदैव ही पूंजीगत लाभ के बजाय व्यावसायिक आमदनी या बिजनेस इनकम माना जाता रहा है और उस पर आयकर की सामान्य दर लागू होती रही है। अत: यह स्पष्ट है कि धारा 115एडी के जरिए एफपीआई के लिए अलग कराधान व्यवस्था पहले से ही लागू थी। ऐसे में यह कहना गलत है कि आम बजट 2019 अथवा वित्त मंत्री द्वारा 23 अगस्त, 2019 को की गई घोषणा के कारण ही एफपीआई और घरेलू निवेशकों के लिए अलग-अलग कराधान व्यवस्था बन गई है।
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