योगीराज श्रीकृष्ण के योग को जीवन मे उतारने का कराया संकल्प: वीना वोहरा
गाजियाबाद। अखिल भारतीय योग संस्थान नेहरूनगर स्थित जानकी वाटिका कक्षा ने प्रातः श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को मुख्य शिक्षिका श्रीमती वीना वोहरा ने दीप प्रज्वलित कर प्रारम्भ किया।उन्होंने योग साधको को इस पावन पर्व की बधाई दी और योगीराज श्रीकृष्ण के योग को जीवन मे उतारने का संकल्प कराया और कहा इससे आप स्वस्थ्य रहेंगे।
इस अवसर केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रान्तीय मंत्री श्री प्रवीण आर्य,श्रीमती दीपा गर्ग,ऋतु सिंघल,तारा देवी,गीता गर्ग आदि ने ईश्वर भक्ति के गीतों से समा बांध दिया।
योग शिक्षक श्री मदन किशोर गोयल जी ने उनके समकालीन महाभारत के मुख्य पात्रों का हवाला देते हुए बताया कि श्रीकृष्ण गुणों के धनी थे।
दुर्योधन―यह मैं अच्छी प्रकार जानता हूं कि तीनों लोकों में इस समय यदि कोई सर्वाधिक पूज्य व्यक्ति है तो वह विशाल-लोचन श्रीकृष्ण हैं।-(महाभारत उद्योगपर्व ८८/५)
धृतराष्ट्र―श्रीकृष्ण अपने यौवन में कभी पराजित नहीं हुए।उनमें इतने विशिष्ट गुण हैं कि उनकी परिगणना करना सम्भव नहीं है।-(महा० द्रोणपर्व १८)
भीष्म पितामह―श्रीकृष्ण द्विजातीयों में ज्ञानवृद्ध तथा क्षत्रियों में सर्वाधिक बलशाली हैं।पूजा के ये दो ही मुख्य कारण होते हैं जो दोनों श्रीकृष्ण में विद्यमान हैं। वे वेद-वेदांग के अद्वितीय पण्डित तथा बल में सबसे अधिक हैं।दान, दया, बुद्धि, शूरता, शालीनता, चतुराई, नम्रता, तेजस्विता, धैर्य, सन्तोष-इन गुणों में केशव से अधिक और कौन है ?-(महा० सभा० ३८/१८-२०)
वेदव्यास―श्रीकृष्ण इस समय मनुष्यों में सबसे बड़े धर्मात्मा,धैर्यवान् तथा विद्वान् हैं।-(महा० उद्योग० अध्याय ८३)
युधिष्ठिर―हे यदुवंशियों में सिंहतुल्य पराक्रमी श्रीकृष्ण ! हमें जो यह पैतृक राज्य फिर प्राप्त हो गया है यह सब आपकी कृपा, अद्भुत राजनीति, अतुलनीय बल, लोकोत्तर बुद्धि-कौशल तथा पराक्रम का फल है। इसलिए हे शत्रुओं का दमन करने वाले कमलनेत्र श्रीकृष्ण ! आपको हम बार-बार नमस्कार करते हैं।-(महा० शान्तिपर्व ४३)
आधुनिक विद्वानों व ऋषियों की नजर में बंकिमचन्द्र―उनके (श्रीकृष्ण)-जैसा सर्वगुणान्वित और सर्वपापरहित आदर्श चरित्र और कहीं नहीं है,न किसी देश के इतिहास में और न किसी काल में।-(कृष्णचरित्र)
पंडित चमूपति―हमारा अर्घ्य उस श्रीकृष्ण को है,जिसने युधिष्ठिर के अश्वमेध में अर्घ्य स्वीकार नहीं किया।साम्राज्य की स्थापना फिर से कर दी,परन्तु उससे निर्लेप,निस्संग रहा है। यही वस्तुतः योगेश्वर श्रीकृष्ण का योग है।-(योगेश्वर कृष्ण,पृष्ठ ३५२)
स्वामी दयानन्द―
देखो ! श्रीकृष्णजी का इतिहास महाभारत में अत्युत्तम है।उनका गुण-कर्म-स्वभाव और चरित्र आप्त पुरुषों के सदृश है,जिसमें कोई अधर्म का आचरण श्रीकृष्ण जी ने जन्म से लेकर मरण-पर्यन्त बुरा काम कुछ भी किया हो,ऐसा नहीं लिखा।अतः हमें उपरोक्त आदर्श जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिये।
इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती पूजा निश्चल,वीना निश्चल,अलका बंसल,अलका गर्ग,अनिता गोयल,कुमकुम गोयल,विनीता चौधरी,शिवानी अग्रवाल,दर्शना मेहता,सुमन बंसल व नेहा गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
योग शिक्षिका श्रीमती मीनू गोयल ने सभी का आभार व्यक्त किया।
शांतिपाठ व प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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