देश में यातायात सुरक्षा के लिए मोटर व्हीकल संशोधन एक्ट 2019 लागू कर दिया गया है। अब से मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम के 63 नए नियम लागू हो गए हैं. नए नियम में जुर्माने की रकम 10 गुना तक बढ़ाई गई है. इस बीच तीन राज्यो की सरकारो ने इसे लागू करने से खुले तौर पर मना कर दिया है तीनों राज्यों की सरकारों ने नए नियम में जुर्माने की रकम काफी ज्यादा होने की बात कहीे जिससे काफी हद तक मैं आकाश गुप्ता भी सहमत हू।
मेरा मानना है पहले जनता को जुर्माने की नहीं जागरूकता की जरूरत है जनजन तक पिछले बने नियमो को हम आज तक नही पहुंचा पाये और नये नियमो को और थोप देना कहां तक सही है इसका आकलन शायद किया गया हो।
पब्लिक को एक्टिव किया जाना जरूरी है कि वो अगर घर से निकलने पर अपनी बाईक की चाभी उठाते है तो साथ मे हेलमेट उठाना भी ना भूलें।
सोचनीय है कि एक सवारी ज्यादा बैठने पर 2000 का चालान करने वाली सरकार को यह भी देखना चाहिए की आखिर 80 लोगो की ट्रेन की बोगी में 200 लोगो का वेटिंग टिकिट काटने पर सरकार पर कितना जुर्माना होता है।
हमें काम के तरीके बदलने होंगे
सजा बढ़ाना कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता
स्कूली बच्चो का स्कूटी चलाने पर या स्कूल बाईक से आने पर स्कूल पर जुर्माना हो। जो उन्हे स्कूल सिखा सकता है वह पुलिस नही सिखा सकती।
हेलमेट ना होने पर पहले 200 का चालान भरना होता था अब 1000 भरना है क्या हम 200 का चालान भरने का डर दिखा पाये ? ऐसा लगता है कि एकमात्र जनता ही अपराधी है और गलती चाहे निगम की हो प्रशासन की हो या सरकार की जनता ही जुर्माने की अकेली उत्तरदायी है।
भले सडकों में गडढे हो भले खंबो पर लाईट ना हो भले सरकारी कर्मचारी नियमो का पालन करे ना करें वे किसी चूक के जिम्मेदार नहीं क्योकी आम नागरिक तो बनी ही जुर्माने भरने को है।
यह प्रावधान कितने सही है इस पर केन्द्र सरकार को एक बार पुनर्विचार करना चाहिए।
आकाश गुप्ता गाजियाबाद संयुक्त व्यापार मंडल (महामंत्री मेरठ मंडल) y45
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