फिल्म इंडस्ट्री लगातार कर रही है सनातन धर्म, संस्कृति और महापुरूषों का गलत चित्रण: नंदकिशोर गुर्जर

लोनी। पानीपत में भरतपुर सियासत के महाराजा सूरजमल के चरित्र का गलत चित्रण किए जाने पर पूरे देश में विरोध हो रहा है। इसी क्रम में लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को पत्र लिखकर फिल्म पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है। साथ ही लिखा कि लगातार फिल्म इंडस्ट्री द्वारा विदेशों से मोटा फंड लेकर सनातन संस्कृति, मूल्य और उनसे जुड़े महापुरूषों का अपमान एक षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है। 

पानीपत फिल्म में महाराजा सूरजमल जी का गलत चित्रण है पीड़ादायक, षड्यंत्र के तहत हो रहा है भारतीय संस्कृति पर हमलाः

विधायक ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री द्वारा लगातार भारतीय मूल्य, परंपरा, संस्कृति और उसके महापुरूषों पर बनने वाली फिल्मों में मनगढ़ंत एवं तथ्यहीन तथ्यों के सहारे कुठाराघात किया जा रहा है जो सनातन धर्म एवं संस्कृति के लिए अत्यंत पीड़ादायक है। मान्यवर, हाल ही में भारतीय इतिहास को बदलने वाले एतिहासिक पानीपत के यु़द्ध पर आधारित 'पानीपत' फिल्म जोकि निर्देशक आशुतोष गोवरिकर द्वारा बनाया गया है, में भारतीय गौरवशाली इतिहास एवं वीरता के प्रतीक भरतपुर रियासत के ''महाराजा सूरजमल सिंह जी'' के चरित्र के चित्रण के दौरान मनगढ़ंत एवं असत्य तथ्य आधारित घटनाक्रमों को फिल्मा कर उन्हें अवसरवादी और लालची दर्शाया गया है जिससे जाट समाज एवं पूरे सनातन धर्म के लोगों में आक्रोश है क्योंकि महाराजा सूरजमल जी की छवि भारतीय इतिहास में वीरता का परिचायक, कभी न युद्ध हारने वाले महाराजा एवं भारतीय संस्कृति, धर्म, बहु-बेटियों के सम्मान के लिए मुगलों से लड़ाई लड़ने वाली रही है। 

महाराजा सूरजमल जी ने की मराठाओं की पूरी मदद, फिल्म पैदा कर रही है लोगों में भ्रमः

विधायक ने पत्र में लिखा कि फिल्म में महाराजा सूरजमल जी को मराठाओं द्वारा आगरा का किला नहीं देने के कारण युद्ध से अलग होना बताया गया है। इतिहास के अनुसार सच्चाई यह है कि महाराजा सूरजमल जी और उनके महामंत्री रूपराम गुर्जर ने सदाशिवराव भाऊ से युद्ध की तैयारियों के बीच, शिविर में भेंट के दौरान सुझाव दिया था कि वे मराठा सेना के साथ आई हजारों की संख्या में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थान, डीग और कुम्हेर के किले में रखने के अतिरिक्त कई सूझाव दिए थे। इस दौरान युद्ध की तैयारियों में भी उन्होंने मराठाओं की पूरी मदद की लेकिन युद्ध के दौरान विश्वासराव को गोली लगने के बाद सदाशिवराव भाऊ द्वारा हाथी से उतर जाने के कारण मराठाओं सैनिकों ने उन्हें हाथी पर न देखकर सैनिकों में मचे हड़कंप आदि के कारण हम पानीपत की जीती हुई लड़ाई हार गए जो भारत के इतिहास का काला दिन साबित हुआ जिसके बाद अब्दाली ने लाखों हिंदुओ का कत्लेआम किया। 

यह तथ्य सर्वविदित है कि जब पेशवा और मराठा पानीपत युद्ध में हार कर और घायल अवस्था एवं भूख से व्याकुल थे तब महाराजा सूरजमल और महारानी किशोरी जी ने 6 माह तक मराठाओं को आश्रय दिया जिसपर करीब उस समय में 40 लाख का खर्च आया था। सदाशिव राव भाऊ की पत्नी पार्वती बाई के ससम्मान पुणे वापसी सुनिश्चित करने के साथ-साथ रास्ते में खर्च के लिए एक लाख रूपए भी दिए यह जानते हुए भी कि इसके बाद अहमदशाह अब्दाली उनका दुश्मन हो जाएगा। वास्तविकता से उलट अपने जीवन में कभी कोई युद्ध नहीं हारने वाले महाराजा सूरजमल जी जिन्हें हिंदूस्तान का प्लेटो कहा गया उन्हें पानीपत के फिल्म में लालची और उनकी वीरता को समझौतावादी दिखाकर गलत चित्रण किया गया है। 

महाराजा सूरजमल सनातन धर्म और जातीय एकता के थे अनुपम उदाहरण, जातीय भेदभाव का बढ़ाने का प्रयास है फिल्मः

महाराजा सूरजमल जी ने सनातन धर्म की बेटियों की इज्जत के लिए भरतपुर से दिल्ली आकर मुगलों से युद्ध किया। एक ब्राहम्ण पुत्री पर नवाब नजीबउद्दोला की गंदी नजर पड़ी और उसे बंदी बनाकर प्रताड़ित किया जाने लगा तो ब्राहम्ण पुत्री के मां के अनुरोध पर उन्होंने अपने सेना के प्रमुख कमांडर वीरपाल गुर्जर को नवाब को ब्राहम्ण पुत्री को रिहा करने या दिल्ली खाली करने का आदेश सुनाने के लिए दिल्ली भेजा जब महाराजा सूरजमल जी की पत्नी के बारे में नवाब ने अपशब्द कहें तो उन्होंने भरे दरबार में नवाब पर आक्रमण कर दिया और शत्रुओं से घिर जाने के कारण वीरगति को प्राप्त हुए। यह समाचार सुनकर महाराजा सूरजमल जी ने अपने सेनापति व महामंत्री रूपराम गुर्जर एवं पूरी सेना के साथ नवाब को गुड़गांव के पास युद्ध में बुरी तरह पराजित किया और ब्राहम्ण पुत्री की अपने खर्च पर शादी की। इसके बाद मुगलों के अनुरोध पर वह आदर सत्कार के लिए दिल्ली रूक गए और अपनी सेना को भरतपुर भेज दिया इस दौरान छल से मुगलों ने उनकी हत्या कर दी। महाराजा के हत्या का बदला लेने के लिए जब उनके पुत्र जवाहर सिंह ने महामंत्री रूपराम गुर्जर के साथ नजीबद्दोला पर आक्रमण किया और चित्तोड़ के अपमान द्वार जो अष्टधातु से निर्मित थी, की जानकारी मिलने पर उसे दिल्ली के लालकिला से विजय स्व्रूप उखाड़कर भरतपुर रियासत ले आए। भारतीय सनातन धर्म और जातीय एकता का यह प्रसंग एक अनुपम उदाहरण है। ऐसे महाराजा के चरित्र का निंदनीय चित्रण किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इस फिल्म के माध्यम से समाज में जातीय विद्धेष की भावना पैदा की जा रही है।   

निर्देशक आशुतोष गोवरिकर पर मुकदमा दर्ज हो गिरफ्तारी

यह सब विदेशी ताकतों के इशारे पर मोटा फंड लेकर समय-समय पर भारतीय संस्कृति और इतिहास को षड्यंत्र के तहत समाप्त करने के लिए किया जा रहा है जो अक्षम्य अपराध है। इसलिए 'पानीपत' फिल्म पर तत्काल उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में प्रतिबंधित कर फिल्म के निर्देशक आशुतोष गोवरिकर पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाए जिससे भविष्य में कोई भी भारतीय मूल्य, परंपरा एवं भारतीय महापुरूषों के चरित्र का गलत चित्रण मनगढ़त तरीक से कर, अपमानित न कर सकें। 

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