मेरी शादी का दहेज पार्ट

 

घरवालों का मूड कैसे बढ़ेगी हमारी आबादी

दंगल करलें अशोक बेटा करो तुम भी शादी

तुम कौन सा देश चलाओगे, बतला दो बेटा

लाल किले झंडा लहराने को काफी है मोदी

 

क्या रिटायर होकर आत्मकथा छपवाओग

क्या मोदी की तरह चाय बेचने अब जाओगे

गर एक चप्पल पड़ी मुंह तुम्हारे समझ लेना

लाल किला अपने पिछवाड़े बने हुए पाओगे

 

करलो शादी चपरासी से अफसर है करवाते

लालू जी गए जेल राबड़ी मुख्यमंत्री बनवाते

कोई पूछे आज मियाँ तुम्हारे घर पर ठहरे है

बीबीयों को देखो झूठ से अपने ही है टरकाते

 

सुनो तुम्हारे सी पी डब्लू वाले जीजा है आये

उड़ाते माल रिश्वत का डकारें उसे नहीं आये

लोकतंत्र की हद में रिश्ता सुंदर सा वह लाये

राजनीति नाम की बहू सुना माल बहुत लाये

 

सुन पिताजी की देषभक्ति से खूं खोल गया

हाँ करूँगा शादी राजनीति यही मैं बोल गया

ज्ञान विवेक रूप जाती रख जूते के नोक पर

आते धन रूपी लक्ष्मी नजरो से मैं तौल गया

 

पर कर डाला सनसनी का मैंने भी कारोबार

कोपभवन में जा बैठा, कर कर मैं बहिष्कार

जनजागरण से मुझे क्या ,जाऊं डिस्कोबार

ग्रहमंत्रालय के बदले में मुझे दोगे मोटरकार

 

नहीं करनी चाकरी मुझे नेचर का आवारा 

कालेज वाली फ्रीडम दो मैं सबका प्यारा

प्यार दिखा बीबीया करे अक्सर शिकार

आदेशो उपदेशो को नहीं सुनना है गंवारा

मुझे तो पसन्द डिस्को माल ओ बियरबार

 

अग्रीमेंट पर दिलवा दो पिताजी बीबी

जैसे इंटरनेट में मिले डेटा कुछ जीबी

नाना किस्म के धंधे खूब फुले शहर में

फ्रिज फर्नीचर किराये जैसे मिले टीवी

कोख जिस्म से वीर्ये तक सब बिकता है

मैं भी तो इन जैसा कोई इक ख़रीददार

 

बस एग्रीमेंट में दहेज मुझे ये दिलवाओ

अखण्ड भारत के सपने मेरे यूँ सजाओ

हिटलर जैसी सनक मेरी चन्दू सी मूंछ है

अशोक महान था भारत मे ये कहलाओ

मैं भी बेच लूंगा स्टेषन पर चाय मोदी जी

बस शर्त लाहौर में ये तिरंगा मेरा लहराओ

 

बोलो फ़ौज को रावलपिंडी भी अपना हो

गिरा दो जाकर के चीन की भी तुम दीवार

पड़ोसी से मिलना अब के गले ऐसे हमको

जैसे वीर शिवाजी मिले थे रखकर के कटार

मन की मधुर उर्मियाँ चूमे भारत मां के माथा

तिरंगे में लिपटा आऊँ बीबी देवे नजर उतार

 


अशोक सपड़ा हमदर्द

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