विश्व मानवतावादी दिवस पर आर्य गोष्ठी सम्पन्न


गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद की ओर से विश्व मानवतावादी दिवस पर ऑनलाइन आर्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल मे परिषद का 76वां वेबिनार था।
मुख्य अतिथि सी बी सुरतिया (पूर्व उपायुक्त,दिल्ली पुलिस) ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को विश्व मानवतावादी दिवस मनाया जाता है।यह दिन उन लोगों की स्मृति में मनाया जाता है जिन्होंने विश्व स्तर पर मानवतावादी संकट में अपनी जान गंवाई या मानवीय उद्देश्यों के कारण दूसरों की सहायता हेतु अपने प्राणों की बाजी लगा दी हो।उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम सभी को मानवीय संवेदनाओं का ध्यान रखते हुए अपने कर्मों को करना चाहिए।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज के समय मे विश्व भर में फैली अशांति और संघर्ष में लाखों लोग अपने देश से विस्थापित हुए हैं।ऐसे लोगों की संख्या साढ़े 6 करोड़ से अधिक है।बच्चों को सशस्त्र समूहों में भर्ती किया जाता है और उन्हें लड़ाइयों में झोंक दिया जाता है। महिलाओं का उत्पीड़न और अपमान किया जाता है।राहतकर्मी मदद करते हैं और चिकित्साकर्मी जरूरतमंदों को राहत पहुंचाते हैं,इसलिए अक्सर उन्हें भी निशाना बनाया जाता है और धमकियां दी जाती हैं।आर्य समाज का छठा नियम कहता है कि संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात शारीरिक,आत्मिक व सामाजिक उन्नति करना वेद की आज्ञा भी मानव कल्याण के लिए हीं है। विश्व के सभी देशों को कठोर कानून बना कर इस प्रकार के अपराधों पर रोक लगाने का संकल्प लेना चाहिए। 
अध्यक्षता करते हुए आर्य नेत्री विजयारानी शर्मा ने कहा कि आज के समय में मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन बना बैठा है आज वेद व महर्षि दयानन्द के उपदेशों को जीवन मे अपना कर मानवता को बचाया जा सकता है।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि कोरोना काल मे इस प्रकार के आयोजन ने सभी को मानसिक रूप से मजबूत बनाया है लोग तनाव व अवसाद से मुक्त हुए हैं।सर्वे भवन्तु सुखिनः का मंत्र भी मानवता का परिचायक है।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए कहा कि आज के दिन प्रत्येक मनुष्य को एक दूसरे की सहायता करने का संकल्प ले कर मानवता की रक्षा करनी चाहिए।
संगीतज्ञ संगीता आर्या 'गीत', देवेन्द्र गुप्ता, किरण सहगल,संध्या पाण्डेय,नरेश खन्ना,उषा मलिक, विचित्रा वीर,सुषमा वर्मा,नरेन्द्र आर्य 'सुमन',शकुन्तला वर्मा,नरेश चंद आर्य आदि ने ओजस्वी गीतों से समा बांध दिया।
आचार्य महेंद्र भाई,यशोवीर आर्य, प्रकाशवीर शास्त्री,पुष्पा शास्त्री, सुरेन्द्र शास्त्री,अमरनाथ बत्रा,डॉ रचना चावला,चंद्रप्रभा अरोड़ा, आशा कपूर आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य


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