आर्य समाज की संख्या बल से नहीं अपितु सिद्धान्तों की दृढ़ता से पहचान बनी -आचार्य विद्या प्रसाद मिश्र
आर्य समाज सार्वभौमिक संस्था है -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "आर्य समाज का काया कल्प कैसे हो?" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई।आर्य समाज का वर्तमान समय में योगदान पर चर्चा हुई। कोरोना काल में परिषद का यह 91वां वेबिनार था।
वैदिक विद्वान आचार्य विद्या प्रसाद मिश्र ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना ईश्वरीय ज्ञान वेदों के प्रचार प्रसार के लिए की थी।ज्ञान से बढ़कर संसार में दूसरा कोई धन या महत्वपूर्ण पदार्थ नहीं है। शरीर व आत्मा की उन्नति के लिए विद्या वा ज्ञान की आवश्यकता होती है।आज उन्हीं सिद्धान्तों पर चलने की आवश्यकता है।ऋषि के इन वचन को न भूलें ‘‘जो उन्नति चाहते हो,तो आर्यसमाज के साथ मिलकर कार्य करो,नहीं तो कुछ हाथ न लगेगा।उन्होंने कहा कि आर्यो को वैदिक सिद्धान्तों की जानकारी व जीवन में पालन करना आवश्यक है।भीड़ में अकेला व्यक्ति भी पहचाना जाता है और सम्मान पाता है यदि वह सिद्धान्तों पर अटल हो।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वैदिक संस्कृति इस देश का मूलाधार है और स्वयं वेद के सम्बन्ध में आर्यसमाज के अतिरिक्त और किसी का चिंतन ही नहीं है।आर्यसमाज अपनी शक्ति अनुसार इस बृहत् कार्य के लिए प्रतिबद्ध है,वेद सम्बन्धी अनुसन्धानात्मक पुस्तकें,वेदों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद, वेद-प्रचार आदि यह आर्यसमाज के माध्यम से हीं सम्भव हो पाया है।आर्य समाज के सिद्धांत सार्वकालिक व सार्वभौमिक हैं इससे आम जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय बौद्धिकाध्यक्ष आचार्य गवेन्द्र शास्त्री ने कहा कि आर्य संस्कृति को यदि बचाना है तो नवयुवकों को संस्कारित कर आर्य मान्यताओं का बोध करवाना होगा।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष आनन्द प्रकाश आर्य ने कहा कि हम आर्यसमाज के महत्व को समझें और अपने अहं की बलि देकर इसे सुदृढ़,सशक्त तथा संगठित बनाने के लिए कार्य करें।
आर्य नेता ठाकुर विक्रम सिंह जी (अध्यक्ष,राष्ट्र निर्माण पार्टी) के 78 वें जन्मदिन पर सभी ने स्वस्थ व दीर्घ आयु की कामना की।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आर्य समाज के नियम सर्वोत्तम है यदि केवल उन नियमों को ही आधार मान कर कार्य किया जाए तो आर्य समाज सदैव गतिशील रहेगा।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि आज युवाओं को शारीरिक क्रियाकलापों व सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से आर्य समाज से जोड़ा जा सकता है।
गायिका दीप्ति सपरा,वीना वोहरा,उर्मिला आर्या,संध्या पाण्डेय आदि ने गीत सुनाये ।
आचार्य महेन्द्र भाई,राजेश मेहंदीरत्ता,देवेन्द्र भगत,अनुपम आर्य,राजीव आर्य,यज्ञवीर चौहान, देवेन्द्र गुप्ता,राजश्री यादव, प्रकाशवीर शास्त्री,सुरेन्द्र शास्त्री, नरेश प्रसाद,नित्यानंद आर्य (असम) आदि उपस्थित थे।
भवदीय: प्रवीण आर्य, मीडिया प्रभारी
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