Wednesday 23 September 2020

किसानों ने की मुआवजा की उचित मांग को लेकर प्रेस वार्ता


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। एक प्रेस वार्ता के दौरान किसानों ने कहा कि धौलाना क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट के लिए 7 गाँवो की (ग्राम सभा) की भूमि लगभग 2500 एकड़ अधिग्रहित की थी। किसानो को जिस दर पर भूमि का मुआवजा दिया गया था उससे किसान सहमत नही थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव धौलाना में एक चुनावी सभा में आये थे और उन्होने धोषणा की थी जिन किसानो की भूमि पावर प्रोजेक्ट के लिए ली गयी है उनको नोएडा की तर्ज पर उन्ही दरो पर मुआवजा दिया जायेगा, परन्तु उनकी घोषणा केवल चुनावी घोषणा बन कर रह गयी। किसान लगातार आन्दोलनरत थे, और सड़क की लड़ाई के साथ देश के सर्वोच्च न्यायालय तक मे किसानो ने लडाई लड़ी।
 रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट के मालिक अम्बानी बन्धुओ का पारिवारिक विवाद हो गया जिसके कारण रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट को गैस सप्लाई जिससे बिजली का उत्पादन होता वह एग्रीमेन्ट टूट गया और पूरा पावर प्रोजेक्ट अधर में चला गया। किसानो ने जो गुहार माननीय उच्चतम न्यायालय में लगायी थी उसमें माननीय न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण को निरस्त कर दिया और साथ ही यह भी आदेशित किया कि किसान जिनकी भूमि अधिग्रहित हुई है वह दो माह में सरकार के खाते में उठाया गया मुआवजा वापिस जमा करा दे और जो किसान पैसा वापिस जमा करा देगे उनको जमीन वापिस कर अभिलेखों में किसान का नाम दर्ज कर दिया जाये।
अधिग्रहित की गयी भूमि 1640 किसानो से ली गयी थी जिसमे 513 किसानो को मुआवजा नही मिला था उनके नाम जमीन स्वतः ही वापिस आ गयी और 147 किसानो ने तय समय सीमा में उठाया गया मुआवजा सरकार के खाते में वापिस कर दिया उनके नाम भी जमीन वापिस आ गयी और उनके नाम भी अभिलेखो में दर्जा कर दिये गये। शेष 980 किसानो के पास उठाया गया मुआवजा वापिस करने को पैसा नही था वो आज भी तब से संधर्षरत है। 
किसानो की जमीन अभिलेखो में उर्जा विभाग उत्तर प्रदेश के नाम दर्ज की हुई किसानो की महत्वपूर्ण समस्या और उनके द्वारा किये जा रहे संधर्ष के दृष्टिगत समाधान हेतु  डा0 रमेश चन्द तोमर (पूर्व सांसद) व सदस्य राष्ट्रीय कार्य समिति भाजपा श्री विजय मोहन मित्तल पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री मंगू सिंह राणा, महामन्त्री युधिष्ठिर सिंह, श्री चमन सिंह तोमर व अन्य किसानो के प्रतिनिधि मण्डल के साथ विगत दिनो प्रदेश के लोकप्रिय व यश्स्वी मुख्यमंत्री श्रधेय योगी आदित्यनाथ जी से लखनऊ मे मिले थे और किसानो की उक्त समस्या से अवगत करा कर रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गयी जमीन को किसानी को वापिस दिलाने की मांग की थी तथा साथ ही आन्दोलनरत रहे किसानों पर प्रशासन द्वारा दर्ज किये गये फर्जी मुकदमों को वापिस करने की मांग की थी। 
माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने गम्भीरता से किसानों के दुखडे को सुनकर आश्वासन दिया कि सरकारी धन जो किसानो ने लिया है वह तो वापिस करना होगा ही यदि किसान अधिग्रहित भूमि का लिया गया सरकारी धन वापिस करेंगे तो उनकी जमीन वापिस करने के सन्दर्भ में सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा। किसान संघर्ष समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया किसानो के पास पैसा है नही जो पैसा मिला वह खर्च हो चुका है। बिना पैसे के जमीन वापिस की जाये। जब क्षेत्र के भूमाफियाओ को मुख्यमंत्री जी से हुई वार्ता की जानकारी हुई कि सरकार उठाया गया मुआवजा राशि को वापिस जमा करने की तिथि को आगे बढ़ाकर अधिग्रहित जमीन किसान को वापिस कर सकती है तो उन्होने भोले भाले किसानों को बरगलाकर अभिलेखो में जमीन पर सरकार के उर्जा विभाग का नाम दर्ज होने के बावजूद तत्कालीन एस. डी.एम. व सब रजिस्ट्रार कार्यालय कि मिलीभगत से सरकारी भूमि के बैनामा एग्रीमेन्ट करने शूरू कर दिये। जिस भूमि का बाजारू मूल्य 50 लाख रू प्रति बिघा है उसे 5 से 10 लाख प्रति बिधा में एक लाख रू प्रति विधा एग्रीमेन्ट के समय पर देकर एग्रीमेन्ट किया जा रहा है। 
भूमाफिया किसान की मजबूरी का लाभा उठाकर भारी लाभ कमाना चाहते है वही किसानो को भी वर्तमान में सरकारी जमीन को बेचने का गुनहगार बना रहे है। और ये भूमाफिया सरकारी भूमि के साथ धोखधडी कर रहे है। मै सरकार से मांग करता हूँ ऐसे भूमाफिया व संलिप्त भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जो सरकारी भूमि को खुर्द बुर्द करने में लगे है उनके विरूद्व भूमाफिया अधिनियम व आई.पी.सी. की धोखाधडी की धाराओ के अन्तर्गत कार्यावाही की जाये और जेल भेजा जाये। किसानो से उठाया गया मुआवजा एक मुस्त वापिस न लेकर किस्तो में लेने की अनुमति के साथ अधिग्रहित जमीन को किसानो के नाम वापिस की जाये और किसानो के विरूद्ध दर्ज किये गये मुकदमे वापिस लिये जाये।
साभार—सौरभ जायसवाल


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