कोरोना के उपचार में योग व घरेलू नुस्खे कारगर- डॉ रामावतार(एसोसिएट प्रोफेसर, IGTMS, यूनिवर्सिटी)
राष्ट्रीयता,वैचारिक क्रांति व सांस्कृतिक चेतना के आधार थे 'दिनकर'-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाज़ियाबाद। बुधवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में कोरोना निदान में योग का महत्व व राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के 112वीं जयंती पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर आयोजित किया गया।कोरोना काल में परिषद का यह 93वां वेबिनार था।
योगगुरू डॉ रामावतार (एसोसिएट प्रोफेसर,IGTMS, यूनिवर्सिटी) ने कहा कि योग मनुष्य को पवित्र,निर्मल व स्वस्थ बनाता है,साथ ही कोरोना संक्रमण के समय में योग रामबाण औषधि की तरह है।वेदों में की गयी पवित्रता- निर्मलता की यह कामना हर योगी के लिए काम्य है कि ‘‘मुझे पवित्र करें,मन में सुसंगत बुद्धि मुझे पवित्र करे, विश्व के सभी प्राणी मुझे पवित्र करें,अग्नि मुझे पवित्र करें।’’ योग के पथ पर अविराम गति से वही साधक आगे बढ़ सकता है,जो चित्त की पवित्रता एवं निर्मलता के प्रति पूर्ण जागरूक हो।निर्मल चित्त वाला व्यक्ति ही योग की गहराई तक पहुंच सकता है।योग के अन्दर अनेकों रोगों से लड़ने व जीवन जीने के सही तरीकों का वर्णन है।योग को जीवन का अंग बनाने से ही विकट परिस्थितियों में भी सहज रहा जा सकता है, साथ ही रसोई के छोटे छोटे नुस्खे भी कोरोना को हराने में सहायक हो सकते हैं।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयन्ती है।उन्होंने कहा की ओजस्विता, राष्ट्रीयता,वैचारिक प्रखरता और सांस्कृतिक चेतना के आधार स्तम्भ थे रामधारी सिंह दिनकर।वीर रस व राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत अपनी कविताओं से ‘दिनकर’ जी ने राष्ट्रीयता की भावना जन सामान्य तक पहुंचाने का कार्य किया था।उन्होंने आर्य समाज के लिए कहा था कि आर्य समाज ने आर्यावर्त के साधारण से भी साधारण जनमानस को भी अपनी ओर आकर्षित किया है।उनकी कालजयी कविताएं साहित्य प्रेमियों को ही नही बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी।आज की कविता श्रंगार रस व चापलूसी की कविता बनती जा रही हैं,उनके लिये दिनकर जी प्रेरणा का स्रोत्र हो सकते है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एकल विद्यालय फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज रायजादा ने कहा कि आज सारा विश्व कोरोना महासंकट से पीड़ित है।विश्व में योग वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता है,रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का यह सशक्त माध्यम है।लोगों का जीवन योगमय हो,इसी से आज की विषम परिस्थितियों को बदला जा सकता है और कोरोना संकट से मुक्ति पायी जा सकती है।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने अपनी ओजस्वी रचनाओं से राष्ट्रीय चेतना का सृजन किया।उनकी 112वीं जयंती पर सभी ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके द्वारा रचित कविताओं व उनके कार्यों को याद किया।
योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि यदि लोगों ने अपने जीवन का, जीवन में योग का महत्व समझ लिया तो जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण में विस्तार लाने,व्यापकता लाने में ही मानव-जाति की सभी समस्याओं का समाधान है।
गायिका वीना वोहरा,उर्मिला आर्या,डॉ रचना चावला,ईश्वर आर्या,देवेन्द्र गुप्ता,सुषमा बुद्धिराजा,सुलोचना देवी,सुषमा मदान आदि ने गीत सुनाये।
आचार्य महेन्द्र भाई,देवेन्द्र भगत, डॉ सुषमा आर्या,अनुपम आर्य, राजश्री यादव,यशोवीर आर्य, सुरेन्द्र शास्त्री,कृष्ण लाल राणा, नरेश प्रसाद आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य,
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