धनसिंह—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में महान क्रान्तिकारी, राजनीतिक विचारक, सामाजिक क्रान्ति के प्रखर चिन्तक शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म-दिन “किसान, मजदूर सम्मान दिवस” के रूप में मनाया गया, कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव वीरेन्द्र यादव एडवोकेट और सभी गणमान्य, राजनैतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर इन्कलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद का नाश हो तथा मजदूर, किसान एकता जिंदाबाद के उद्घोष के साथ महान क्रान्तिकारी सरदार भगत सिंह का स्मरण किया, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव, संचालन अंशू ठाकुर ने किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षाविद, समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने कहा कि सरदार भगत सिंह के मन में अंग्रेजों द्वारा वीभत्स जलियांवाला बाग नर संहार ब्रिटिश सरकार के प्रति आक्रोश पैदा कर दिया, उसमे साइमन कमीशन द्वारा लाला लाजपतराय के ऊपर लाठियों से वर्षा तथा उनका शहीद होना भगत सिंह के मानस पर आग में घी का काम, अंग्रेजों से बदला लेने तथा पराधीन भारत को स्वतंत्र कराने का संकल्प पैदा कर गया। सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर बदला ले लिया, 1929 में दिल्ली में बम फेंक कर अंग्रेजों की नींद हराम कर दिया उन्होंने कहा कि हमें असेम्बली में किसी की जान नहीं लेना था बल्कि गूंगी, बहरी सरकार को यह एहसास कराना था कि भारत के नवजवान ब्रिटिश सरकार की चूलें हिलाने में सक्षम हैं।
23 मार्च 1931 को इन्होने फांसी के फन्दे को हँसते-हँसते चूम लिया, जिससे क्रांति की ज्वाला नवजवानों में प्रज्वलित रहे तथा देश की आजादी की गति मद्धिम न पड़ जाय, भगत सिंह क्रान्तिकारी ही नहीं, प्रखर समाजवादी चिन्तक थे, इतने कम उम्र में इन्होने देश और दुनिया के राजनैतिक, सामाजिक चिंतकों की सैकड़ो पुस्तकों का अध्ययन कर लिया था, वे लेलिन तथा डा0 भीमराव अम्बेदकर के चिंतन से प्रभावित थे, वे किसानों और कामगारों, समाज के वंचित वर्ग के लिए काम करना चाहते थे उनका मानना था कि जब भारत आजाद होगा तो हर भारतीय यह गर्व करेगा की यह मेरा देश है और यहाँ सम्मान पूर्वक जीने व जीविकोपार्जन का हमें अधिकार प्राप्त है लेकिन हम आज भी सरदार भगत सिंह के सपनों का भारत नहीं बना पाये सबसे अधिक आज किसान, मजदूर का शोषण हो रहा है, न किसान को उचित मूल्य मिल पा रहा है, न मजदूर को मजदूरी, स्वतंत्र भारत में किसानों, मजदूरों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है, तालाबंदी में ही हजारो मजदूर मारा गया, तथा किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा, हम शहीदे आजम भगत सिंह का नाम तो लेते है लेकिन उनके सपनों का भारत बनाने में निष्क्रिय हैं, उनका मानना था शोषण विहीन समाज, समतामूलक समाज से ही भारत में समता, समानता, न्याय, भाईचारा कायम होगा इसलिए उन्होंने कहा कि “शक्तिशाली साम्राज्य ध्वस्त हो जाते हैं लेकिन विचार कभी भी नष्ट नहीं होते”। कार्यक्रम में राम दुलार यादव, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, शिवानन्द चौबे, अंशू ठाकुर, नागेन्द्र मौर्य, अशोक शाह, सुरेन्दर यादव, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, सुभाष यादव, पप्पू, श्याम बीर, अखिलेश शुक्ला, मुकेश, विजय भारद्वाज, मो0 अशरफ, शौकत, फारुख, विनोद, प्रेम चन्द पटेल, स्वपन मजुमदार, राजीव गर्ग, सुरेश कुमार भारद्वाज, अंकित राय, केदार सिंह, हरिकिशन आदि उपस्थित रहे।
भवदीय
हरिशंकर यादव
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