समीक्षा न्यूज नेटवर्क
बक्सर। पूरे बिहार में मतदाता को जागरूक करने के लिए चालान की रसीद दिखाने वाले को निशुल्क हेलमेट के साथ 5 लाख की दुर्घटना बीमा दे रहे हैं.कौन है हेलमेट मैन जो बिहार की सड़कों पर मुफ्त बांट रहा है हेलमेट.
दरअसल हेलमेट मैन का असली नाम राघवेंद्र कुमार है मूल रूप से बिहार कैमूर जिला के रहने वाले हैं जो पूरे भारत में जरूरतमंद लोगों को पुस्तक और हेलमेट बांटते रहते हैं. जो भारत को 100% साक्षर बनाने के साथ सड़क दुर्घटना मुक्त बनाना चाहते हैं इसलिए पिछले 6 साल से हेलमेट बांटने का कार्य कर रहे हैं.
सरकार या लोगों द्वारा मदद नहीं मिलने के कारण दिल्ली का अपना घर बेचकर कार्य के मिशन में लगा दिया लेकिन अपने जुनून के लिए हार नहीं माने. आज भी अपने कार्य को जोशीले वर्क में अंजाम देकर लोगों को जागरूक करते रहते हैं. दरअसल इनके दोस्त की मौत 2014 में हेलमेट नहीं लगाने की वजह से हो गई थी जो इनका दोस्त अपने मां-बाप का इकलौता चिराग था. तब से राघवेंद्र कुमार दूसरे घरों का चिराग बचाने के लिए सड़कों पर हेलमेट बांटते रहते हैं. हेलमेट बांटने की वजह से लोग इन्हें हेलमेट मैन कहने लगे. जो आज पूरा भारत इन्हें हेलमेट मैन के नाम से जानता है. अब तक 42000 हेलमेट बांटकर 6 लाख बच्चों तक निशुल्क पुस्तकें पहुंचा चुके हैं. इनके कार्य की सराहना भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कर चुके हैं.
इन दिनों बक्सर की सड़कों पर प्रतिदिन दूसरों को हेलमेट देते दिख जाते हैं यह सिर्फ उन्हें हेलमेट देते है जिनका चालान हुआ है और उन्होंने राजस्व में भुगतान कर दिया है. लोगों से भुगतान की रसीद मांगते हैं और बदले में हेलमेट देते हैं. और साथ में 5 लाख की दुर्घटना बीमा भी करके देते हैं जिनके पास आधार कार्ड होता है. बदले में कुछ नहीं लेते. कोई कुछ देना भी चाहता है तो उनसे पुरानी पुस्तक मांगते हैं जो जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क किताबे देते रहते हैं.
लोगों को बड़ा आश्चर्य होता है लोग पूछते हैं हमारे प्रीमियम और हेलमेट का पैसा कौन देता है, उन लोगों से हेलमेट मैन मुस्कुरा कर कहते हैं यह सारा खर्चा मैं खुद पे करता हूं. क्योंकि सड़क दुर्घटना में मैं अपना मित्र खोया हूं. जो आपको अपना मित्र समझकर हेलमेट के साथ बीमा दे रहा हूं भविष्य में दुर्घटना होने पर मित्र के नाते आपके माता पिता को आर्थिक सहायता दे सकूं ताकि उन्हें किसी प्रकार का कष्ट ना हो.
जो मेरे दोस्त के माता-पिता को आर्थिक कष्ट झेलनी पड़ी वह आपके माता-पिता के साथ ना हो.
क्योंकि भारत में करोड़ों माता पिता अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देने के चक्कर में एक हेलमेट नहीं दे पाते हैं क्योंकि सड़क दुर्घटना को गंभीरता से नहीं लेते हैं और इन चीजों से अनजान रहते हैं. इसी गलती के कारण भारत में प्रतिवर्ष 50 हजार माता पिता अपने घर का चिराग खो देते हैं छोटी सी गलतियों की वजह से. इसलिए अपने अभियान द्वारा भारत के सभी माता-पिता को संदेश देने के लिए सड़कों पर हेलमेट देता रहता हूं.
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Monday 5 October 2020
दुश्मनी नहीं दोस्ती चाहिए अच्छे राजनेता चुने बिहार को विकास चाहिए: हेलमेट मैन
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