गीत गुलमोहर की

अनवार चौधरी—समीक्षा न्यूज—  
तेरी चाहते तेरी हसरतें, 
बहुत ही सताती है मुझे। 
क्या शिकवा करूं तुमसे
तुम और तुम्हारे इश्क 
दोनों ही एक जैसे हो 
कभी तन्हाई देते हो 
तो कभी इंतजार।
मगर जब भी मिलते हो तुम
मेरे हाथों को चूम कर 
लबों की मुस्कान देकर
दिल की सारी शिकवें
सभी शिकायतों
पल भर में दुर
कर देते हो।
मुस्कान और खुशियों की तो
बेशुमार बारिश हो जाती है
मैं बावरी से झूम उठती हूं 
तेरी बाहों के झूले में 
कितनी दुआएं करती हूं 
दुआओं में तुमको ही
रोज मांगा करती हूं 
डर जाया करती हूं अक्सर मैं की मेरे मित्र को
किसी की बुरी नजर ना लग जाए



लेखिका:— 
श्रीमती देवंती देवी 
धनबाद झारखंड


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