Saturday 3 October 2020

हाथरस काण्ड: आर्य समाज ने किया विरोध प्रदर्शन


धनसिंह समीक्षा न्यूज
हाथरस की बेटी को न्याय दे सरकार - डॉ आर के आर्य
असभ्य अपराध क्रूरता की हद पार कर गया -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाज़ियाबाद। शनिवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "महिला उत्पीड़न" के विरोध में नेहरू नगर के जानकी पार्क में परिषद के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य के नेतृत्व में आर्य समाज के कार्यकर्ताओं  ने हाथरस की बेटी के साथ हुए दुष्कर्म के विरोध में आक्रोश प्रदर्शन किया व अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देने की मांग की गई,उन्होंने कहा कि आज बेटियों का घर से बाहर निकलना असुरक्षित हो गया है जो सभ्य समाज पर कलंक है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने ऑनलाइन कहा कि हाथरस की बेटी के साथ हुए अमानवीय, क्रूरता पूर्ण व्यवहार की आर्य समाज ने कड़ी भत्सर्ना करता है, उसके साथ ही पुलिस का व्यवहार भी अमानवीय रहा है जो अंग्रेजी हकूमत की याद ताजा कर रहा है,बिना परिवार की जानकारी के अन्त्येष्टि कर देना अत्यंत निन्दनीय,अमानवीय घटना है।दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए अन्यथा आम जनता का प्रशासन से विश्वास उठ जायेगा।
आर्य नेता व समाजसेवी डॉ आर के आर्य निदेशक (स्वदेशी आयुर्वेद,हरिद्वार) ने कहा कि आज बेटियों के प्रति गन्दी मानसिकता को साफ करने की आवश्यकता है।साथ ही उन्होंने लोगों से इस विषय पर राजनीति न करने की अपील की।उन्होंने हाथरस की बेटी को न्याय देने व बलात्कारियों को फांसी देने की मांग की।
आर्य समाज भूड भारत नगर के कोषाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार चौहान ने कहा कि आज आवश्यकता है परिवार में हो रहे लड़के और लड़कियों में भेद भाव को समाप्त करने की क्योंकि इस प्रकार की घटनाओं का बीजारोपण बचपन में ही होने लगता है लड़कों को बचपन से ही नारी सम्मान की शिक्षा देनी चाहिए।
परिषद के प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि भारत देश मे नारी को देवी माना जाता है।इस प्रकार के घिनौने अपराध दूषित मानसिकता को दर्शाते है।बहन बेटियों को आत्मरक्षा के गुण सिखाना बहुत आवश्यक हो गया है।
वरिष्ठ योग शिक्षिका वीना वोहरा,उर्मिला गोयल,विनीता चौधरी,अनुराधा भटनागर,विनय गोयल,विशाल शर्मा,सुधीर कंसल,जुगल किशोर गोयल,सुरेश प्रसाद गुप्ता,विकास,गौरव गुप्ता, सत्यम दुबे,यश गोयल ने घटना की निंदा व अमानवीय व्यवहार कहा तथा ऐसी सजा देने की मांग की जिससे भविष्य में कोई साहस न कर सके।
भवदीय,
प्रवीण आर्य


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