हरिशंकर यादव
समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा प्रखर समाजवादी चिन्तक, समाजवाद के ध्वज वाहक, विषमता के प्रबल विरोधी, डा0 राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि ज्ञानपीठ केन्द्र के प्रांगण 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद पर आयोजित की गयी, कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी पार्टी जिला अध्यक्ष महिला सभा कमलेश चौधरी ने किया, संचालन मुकेश शर्मा, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया| समाजवादी चिन्तक तथा संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव मुख्य वक्ता रहे| कार्यक्रम को जिला महासचिव गाजियाबाद वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, अंशु ठाकुर, डी0 पी0 मौर्य ने भी सम्बोधित किया| यह कार्यक्रम, “विषमता उन्मूलन दिवस” के रूप में मनाया गया|
महिला उत्थान समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दू राय ने गीत प्रस्तुत किया, कार्यक्रम में शामिल गणमान्य महिलाओं तथा समाजवादी साथियों ने डा0 लोहिया के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया तथा उनके द्वारा बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हुए देश में समता, सम्पन्नता के लिए संघर्ष तथा विषमता के समूल नाश का प्रण लिया|
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने कहा कि डा0 लोहिया संघर्ष और चिन्तन के प्रतीक पुरुष सफ़र मैना थे, जो पहाड़ तोड़कर खुद सड़क का निर्माण कर देते है, जो स्वयं सिद्धांतों का रास्ता बनता है| वे देश, समाज में समता के प्रबल पक्षधर थे, उनका लक्ष्य हर प्रकार की गैर बराबरी को जड़-मूल से नष्ट करना था| महात्मा बुद्ध, सन्त कबीर ने जाति आधारित असमानता को तोड़ने का प्रयास किया| स्वामी दयानंद ने तर्क द्वारा जन्मना, जाति को गुलामी बताया, महात्मा गाँधी ने करुणा द्वारा, डा0 अम्बेदकर ने क्रोध और आक्रोश द्वारा जाति तोड़ने और विषमता को दूर करने का प्रयास किया| डा0 लोहिया ने स्वामी दयानंद तर्क, महात्मा गाँधी से करुणा तथा डा0 अम्बेदकर से क्रोध तीनों हथियारों का प्रयोग किया, उन्होंने सप्तक्रांति का सिद्धान्त दिया, जिसमे सामाजिक, आर्थिक, जन्म, जाति, रंग, नर-नारी, राष्ट्रों, राष्ट्र के बीच गैरबराबरी पर करारी चोट की| देश में जाति की विषमता को ख़त्म करने के लिए लगातार कोशिश की|
वीरेन्द्र यादव एडवोकेट ने कहा कि डा0 राम मनोहर लोहिया ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध देश को आजाद कराने में पूरी ताकत लगा दी| वे महात्मा गाँधी से पूर्ण प्रभावित थे, वे सादगी, सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह के द्वारा शोषण और अन्याय का विरोध करने के लिए लोगों को तैयार किया, उन्होंने कहा कि “जाति तोड़ो, जमात जोड़ो” उनका मानना था कि स्वतंत्र भारत में अवसर की असमानता के कारण समता और सम्पन्नता नहीं आ रही है| उनका मानना था पहले लोगों को अवसर प्रदान करें उनमें काम करने की योग्यता अपने आप आ जायेगी| उनका मानना था कि हम सम्पूर्ण बराबरी तो नहीं दे सकते लेकिन सापेक्ष बराबरी तो मिलनी ही चाहिए| आज आर्थिक दृष्टि से भारत में अमीर-गरीब के बीच खांई बढ़ती जा रही है, 1 प्रतिशत भारतीयों के पास 73% पूँजी, 90 करोड़ पर पूरी दो जून की रोटी नहीं, इस व्यवस्था को जनता को ही बदलना होगा, जाति-धर्म की खांई को, विषमता का समूल नाश करना होगा तभी हम सद्भाव, भाईचारा, न्याय, प्रेम, सहयोग से मानव जाति का कल्याण कर सकते हैं।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राम दुलार यादव, मुकेश शर्मा, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, डी0 पी0 मौर्य, संजू शर्मा, बिन्दू राय, डा0 अशोक कुमार, कमलेश चौधरी, रेनूपुरी, इशरतजहाँ, शबाना, रहीमुद्दीन, मुशीर अहमद, मंगल सिंह चौहान,मेनपाल सिंह, सुरेन्द्र सिंह, स्वाति शर्मा, राम नारायण यादव, ज्ञान नाथ यादव, पूनम तिवारी, हरभान सिंह पटेल, सोनिया सिंह, बबिता चौधरी, शायदा बेगम, दयाल शर्मा, आर0 पी0 सिंह, पतिराम पंकज, फौजुद्दीन, हाजी मोहम्मद सलाम, प्रेमचन्द पटेल, केदार सिंह, राजीव गर्ग, अंकित राय, हरिशंकर यादव, सुरेश कुमार भारद्वाज, हरिकिसन, पप्पू आदि उपस्थित रहे।
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