Monday 5 October 2020

रानी दुर्गावती व श्याम जी कृष्ण वर्मा की जयंती पर गोष्ठी सम्पन्न


समीक्षा न्यूज ध​नसिंह
रानी दुर्गावती का शौर्य महिलाओं के लिए आदर्श- राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
महर्षि दयानन्द के अनुगामी थे श्याम जी कृष्ण वर्मा-अजय सहगल(सीईओ,योल कैंट, धर्मशाला,हिमाचल प्रदेश)
गाज़ियाबाद। सोमवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "रानी दुर्गावती की 496वीं जयंती व श्याम जी कृष्ण वर्मा की 163वीं जयंती" पर ऑनलाईन गूगल मीट पर आर्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल परिषद का 99वां वेबिनार था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज रानी दुर्गावती की 496वीं जयंती है वे अपने नाम के अनुरूप तेज,साहस,शौर्य की गुणी थी।दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था।मुगल अकबर सेना को तीन बार युद्ध मे अकेले ही बहादुरी से रानी दुर्गावती ने रौंद डाला और विशाल सेना भाग खड़ी हुई थी।आज उनकी जयंती पर उनके व्यक्तित्व से महिलाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।
अजय सहगल (सीईओ,योल कैंट, धर्मशाला,हिमाचल प्रदेश) ने कहा कि भारत के वीर सपूत महान क्रांतिकारी श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा महर्षि दयानन्द के सानिध्य में रहकर संस्कृत व वेद शास्त्र का ज्ञान प्राप्त कर विद्वान के रूप में प्रख्यात हुए।इंग्लैण्ड में रहकर उन्होंने इंडिया हाउस की स्थापना की।भारत लौटने के बाद 1905 में उन्होंने क्रान्तिकारी छात्रों को लेकर इण्डियन होम रूल सोसायटी की स्थापना की।उस समय यह संस्था क्रान्तिकारी छात्रों के जमावड़े के लिये प्रेरणास्रोत सिद्ध हुई।क्रान्तिकारी शहीद मदनलाल ढींगरा उनके प्रिय शिष्यों में थे।उनके जयंती पर परिषद की ओर से शत शत नमन।
कार्यक्रम अध्यक्षा प्रोमिला गुप्ता ने सभी का कार्यक्रम में सम्मिलित होने पर आभार व्यक्त किया और साथ हीं इस प्रकार के आयोजन के लिए पूरी टीम की सराहना की।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की क्रांतिकारियों व वीरांगनाओं के जीवन परिचय से युवाओं में धर्म व राष्ट्र प्रेम की भावना का विकास होगा।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि विद्यालय व विश्व विद्यालयों के पाठ्यपुस्तकों में क्रांतिकारीओं व वीरांगनाओं की गौरव गाथा को अधिक से अधिक पढ़ाया जाना चाहिए।
नरेन्द्र आर्य 'सुमन',पुष्पा शास्त्री, पुष्पा चुघ,विमलेश बंसल,उर्मिला आर्या,संगीता आर्या,दीप्ति सपरा, मधु खेड़ा,हेमलता सिशोदिया, राजेश वधवा,वीना वोहरा,सुषमा बुद्धिराजा,प्रतिभा सपरा,विमला आहूजा,संध्या पांडेय,रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर आर्या,आदि ने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, आनंदप्रकाश आर्य,प्रकाशवीर शास्त्री,यज्ञ वीर चौहान,देवेन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र भगत,सुरेन्द्र शास्त्री, ओम सपरा,विचित्रा वीर आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य


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