सेना का कर्तव्य, शत्रु को धूल चटाना।
जीत बने मंतव्य, देश की शान बढ़ाना।।1
नव उपाय नित खोज, युद्ध हम ही जीतेंगे।
कर तैयारी रोज, चाहते शत्रु हराना।।2
सजग रहें दिन रात, पलक तक बिन झपकाये।
सैनिक की यह बात, समझता नहीं जमाना।।3
जब भी हो संग्राम, राष्ट्र पर आँच न आये।
बैरी का हर दाँव, हमेशा विफ़ल कराना।।4
फौजी का यह ध्येय, जीत का फहरे झंडा।
पूरा करने हेतु, शीश खुद का कटवाना।।5
सर्वोपरि है राष्ट्र, शपथ हर सैनिक लेता।
दे कर निज बलिदान, कसम पूरी कर जाना।6
गर्म सर्द हो रात, नहीं घबराते हैं वो।
बात गाँठ में बाँध, विपद सम्मुख डट जाना।7
आये कभी विपत्ति, बढ़ाते हरदम ढाढ़स।
बन फौलादी ढाल, मुसीबत से टकराना।।8
भले युद्ध या शांति, कदम से कदम मिलाते।
मानवता का साथ, हमेशा देते जाना।।9
झंडे का सम्मान, करें बन कर बलिदानी।
जनगण मन का गान, हृदय से मिलकर गाना।10
कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी, नोएडा
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