Thursday 22 October 2020

उपनिषदों में मानव जीवन की दिव्यता-आचार्य चंद्रशेखर शर्मा(ग्वालियर)


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
देश की आज़ादी में आजाद हिंद फौज की महत्वपूर्ण भूमिका -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाजियाबाद। गुरुवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में कोरोना काल में 107 वां वेबिनार आयोजित किया गया।जिसमें उपनिषदों में मानव जीवन का महत्त्व ओर आजाद हिंद फौज की स्थापना दिवस पर चर्चा हुई एवम महर्षि दयानंद जी के सच्चे अनुगामी,सारी आयु उनका गुणगान करने वाले,हजारों लोगों के प्रेरणा स्रोत्र पं. सत्यपाल जी पथिक के निधन पर आर्य जगत की और से ऋषि के सेवक को भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
वैदिक विद्वान् एवं सुप्रसिद्ध प्रवक्ताआचार्य चंद्रशेखर शर्मा (ग्वालियर) ने कहा कि भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान परम्परा में उपनिषद् सर्वाधिक और सर्वप्रिय सर्वजनस्तुत्य महान साहित्य है।चारों वेदों के आध्यात्मिक ज्ञान का विस्तृत विवेचन उपनिषद् साहित्य में समुपलब्ध होता है।चारों वेदों के भिन्न-भिन्न उपनिषद् हैं।
आदि शंकराचार्य ने ग्यारह उपनिषदों पर अपना भाष्य किया।महर्षि दयानन्द सरस्वती ने ग्यारह उपनिषदों की प्रामाणिकता को स्वीकार किया है।भारतीय विद्वानों और विदेशी मनीषी चिन्तकों ने संस्कृत,हिंदी,भारतीय प्रांतीय भाषाओं,अंग्रेजी,फारसी और जर्मन आदि भाषाओं में व्यापक लेखन एवं शोधकार्य किया है।उपनिषद् का अर्थ है-जब जिज्ञासु साधक महान ब्रह्मनिष्ठ, ब्रह्मज्ञानी,सद् गुरु की शरण में बैठकर अपनी शंकाओं का समाधान और जिज्ञासा की निवृत्तिकर आत्मबोध के मार्ग पर निरंतर अग्रसर होता है।कठोपनिषद् उपनिषद्-प्रेमियों का कण्ठहार है।इस उपनिषद में नचिकेता और यम का संवाद हैं,जिसमें यम ने परमात्म-तत्त्व का रोचक एवं विशद वर्णन किया है।आचार्य यम ने "उत्तिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत" का उपदेश देते हुए कहा कि उठो,जागो और श्रेष्ठजनों की संगति से ज्ञान प्राप्त करो।आचार्य ने मानवजीवन की दिव्यता का वर्णन करते हुए कहा कि इस जीवन में ज्ञानात्मा, महानात्मा और शान्तात्मा बनो।अपने जीवन में हंस,वसु,होता और अतिथि बनो।आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा ने इन सभी शब्दों की मनोहारी व्याख्या सरल एवं सरस भावों के साथ प्रस्तुत की।अपने इसी मानवजीवन में अपनी पाँचों कर्मेन्द्रियों,पाँचों ज्ञानेन्द्रियों, मन,बुद्धि,चित्त,हृदय,प्राण और आत्मा की दिव्यता,शक्ति, सामर्थ्य,कार्य और तेज का चिंतन करते हुए आत्मोन्नति करनी चाहिए।आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि अपने गृह और शरीर में भी अतिथि भाव से निवास करो।यही आसक्ति से निरासक्ति,बंधन से मुक्ति दक्षिणायन से उत्तरायण, प्रेय से श्रेय,भोग से योग,पितृयान से देवयान की महान यात्रा है।आचार्य जी के प्रवचन को सुनकर समस्त श्रोतागण भाव-विभोर और मन्त्रमुग्ध हो रहे थे। 
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी।सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री,विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी थे।देश की आज़ादी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस का योगदान अविस्मरणीय रहा लेकिन इतिहास ने उनके साथ न्याय नहीं किया ये देश का दुर्भाग्य है।यदि अग्रेजो पर आज़ाद हिंद फौज का दबाव न होता तो अंग्रेज जाने वाले नहीं थे।उनका मानना था कि सशस्त्र संघर्ष द्वारा ही अंग्रेजों को भगाया जा सकता है।साथ ही क्रांतिकारी पं.राम प्रसाद बिस्मिल के साथी  अशफ़ाक़ उल्ला खां की 120 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।उन्हें स्मरण करते हुए कहा गया कि प.रामप्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला खां की मित्रता लोगों को प्रेरित करती है।उनके द्वारा किये गए बलिदान को देश सदैव याद रखेगा और प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि प.राम प्रसाद 'बिस्मिल' की तरह अशफ़ाक़ उल्ला खां भी बहुत अच्छे शायर थे।इन दोनों की शायरी की अगर तुलना की जाये तो रत्ती भर का भी फर्क नजर नहीं आता था।बिस्मिल भी अशफ़ाक़ की शायरी के दीवाने थे।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि क्रांतिकारियों का जीवन प्रेरणास्रोत है देश के युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
युवा गायिका दीप्ती सपरा,वीना वोहरा,नरेंद्र आर्य सुमन,कमलेश चांदना,पुष्पा शास्त्री,उर्मिला आर्या,इंद्रा वत्स,संतोष आर्या, प्रतिभा सपरा आदि ने मधुर गीत सुनाये। 
आचार्य अखिलेश्वर जी(आनन्द धाम,हरिद्वार) ने  कार्यक्रम की सफलता पर शुभकामनाएं दीं।
परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री महेंद्र भाई ने आभार व्यक्त किया।
प्रमुख रूप से आनन्द प्रकाश आर्य(हापुड़),देवेन्द्र गुप्ता (इंदिरापुरम),यजवीर चौहान, राजेश मेंहदीरत्ता,ओम सपरा, राजश्री यादव,डॉ रचना चावला, डॉ सुषमा आर्या,देवेन्द्र भगत आदि उपस्थित थे।


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