"मन के सच्चे" (बाल कवि सम्मेलन)

धनसिंह—समीक्षा न्यूज—   
नोएडा।  


बाल दिवस के उपलक्ष्य में "परम्परा" संस्था, गुरुग्राम द्वारा एक अनूठे डिजिटल कवि सम्मेलन "मन के सच्चे" का आयोजन रविवार, दिनांक 15 नवम्बर को किया गया। इसमें अपने-अपने घरों से ही मोबाइल एवम कम्प्यूटर के माध्यम से कविताएं सुनाकर, सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया । इस कवि सम्मेलन की विशेषता ये रही कि इसमें अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तथा संचालन आदि का दायित्व भी बाल कवियों द्वारा ही निभाया गया।
बच्चों के काव्यपाठ पर अपनी विशेष टिप्पणी करने तथा उन्हें आशीर्वाद प्रदान करने हेतु दिल्ली से वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेई, दिल्ली से सुप्रसिद्ध शायरा सुश्री ममता किरण, मुम्बई से मशहूर शायर श्री सागर त्रिपाठी तथा अल्मोड़ा से बाल प्रहरी पत्रिका के सम्पादक श्री उदय किरौला विशेष रूप से उपस्थित रहे। अन्य साहित्यकारों में सुश्री नलिनी भार्गव, सुश्री शकुंतला मित्तल, सुश्री विनीता मेहता, सुश्री दीपशिखा श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे एवम बाल कवियों का उत्साहवर्द्धन किया।
परम्परा के संस्थापक राजेन्द्र निगम "राज" ने बताया कि इस सम्मेलन का शुभारंभ चार वर्षीय आशिरा द्वारा हनुमान चालीसा की कुछ चौपाइयों के गायन से हुआ। गोष्ठी में कोरोना वायरस से लड़ने हेतु जागरूकता फैलाने वाली रचनाओं के साथ ही अन्य विषयों पर भी रचनायें प्रस्तुत की गईं।
लगभग डेढ़ घंटे तक चली इस विशेष गोष्ठी में अध्यक्षता की गुरुग्राम से जुड़वा बहनों रिद्धि एवम सिद्धि मित्तल ने। मुख्य अतिथि का दायित्व दिल्ली से अनन्या दुबे ने तथा विशिष्ट अतिथि का दायित्व वुडिनविल (यू एस) से आशिरा ने निभाया।संचालन चार बच्चों द्वारा किया गया, गुरुग्राम से नीहारिका एवम शुभम चिकारा, फ़रीदाबाद से विहान मेहता तथा दिल्ली से अंश द्विवेदी। बाल कवियों द्वारा प्रस्तुत की गई कविताओं की एक बानगी इस प्रकार है-
रिद्धि मित्तल(10 वर्ष)-  【अध्यक्ष】 "मैं भारत की माटी हूँ बलिदानों की कहूँ कहानी । बापू ने सींचा है इसमें सत्य- अहिंसा का ही पानी ।"
सिद्धि मित्तल(10 वर्ष)- 【अध्यक्ष】"आज मुझे यह है बतलाना, दादी,दादू,मम्मी,पापा बुआ,रिद्धि,राघव से मिल बना मेरा परिवार सुहाना ।"
अनन्या दुबे(15 वर्ष)-【मुख्य अतिथि】"पर्यावरण सुधार पर देते भाषण आप भाषण से मिटता भला क्या धरती का ताप"
आशिरा(5 वर्ष)-【विशिष्ट अतिथि】 "जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीश तिहुँ लोक उजागर"
विहान मेहता(8 वर्ष)- 【संचालन】"आई दीवाली,आई दीवाली मेरे मन को,भायी दीवाली"
शुभम चिकारा(12 वर्ष)-【संचालन】"ना मैं डॉक्टर, ना मैं ओझा ना मैं वैध हकीम"
अंश द्विवेदी(11 वर्ष)- "मैं भी बोउँगा बंदूक"
राघव मित्तल(8 वर्ष)-"अगर करोना को है हराना तो हमें घर में है सिमट जाना। 
गले किसी से मिलना ना नमस्ते दूर से ही करना।"
विशेष चिकारा(10 वर्ष)-"मैं प्रकृति हूं करोना मुझसे खिलवाड़"
शुभम(15 वर्ष)- "क्या पता था एक दिन ऐसा भी आएगा पूरा विश्व खौफ में होगा,एक वायरस आतंक मचाएगा"
कपिल चतुर्वेदी(9 वर्ष)-  "हुआ सवेरा चिड़ियाँ बोलीं तब बच्चों ने आँखें खोलीं"
सजनी प्रामाणिक(15 वर्ष)- "माता पिता का साथ कभी न छोड़ना हृदय उनका भूलकर भी न तोड़ना"
अभय द्विवेदी(14 वर्ष)-"प्यार क्यों अन्धा होता है"
 द्विज श्रीवास्तव(10 वर्ष)- "पेड़ों ने पहने हैं नए पत्ते सूरज भी थोड़ा गरमाया है" स्वागतिका(15 वर्ष)- "दुनिया में देखो भरपूर खुशी है यहाँ कोई खुश है तो कोई दुखी है"
निहारिका(12 वर्ष)-【संचालन】  "विनती करते हैं भगवान हम बच्चे सब हैं अंजान"
बच्चों के काव्यपाठ पर चारों वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा उन्हें आशीर्वाद दिया गया तथा ये भी आश्वासन दिया गया कि जब कभी भी किसी बच्चे को कविता के विषय में कोई जानकारी चाहिए तो वह सम्पर्क कर सकता है। अन्त में परम्परा की संयोजिका श्रीमती इन्दु "राज" निगम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही बाल कवि सम्मेलन का समापन हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि  सभी बच्चों को परम्परा की ओर से प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाएंगे एवम भविष्य में चुने हुए बच्चों को मंच भी प्रदान किया जाएगा। ज्ञात हो कि डिजिटल गोष्ठी की परिकल्पना एवम तकनीकी सहायता आशीष, मुदिता, अनिमेष तथा प्रेरणा द्वारा प्रदान की गई।


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