25 दिसम्बर 2020 को महिला काव्य मंच (रजि.) हरियाणा राज्य इकाई का द्वितीय वार्षिक काव्य महोत्सव(डिजिटल) बड़े ही धूमधाम से फेसबुक पेज पर आयोजित किया गया।
महिलाकाव्य मंच के संस्थापक श्री नरेश नाज जी के सान्निध्य में इस महोत्सव का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व हरियाणा प्रभारी डॉ विनय गौड़ जी ने की।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि श्रीमती नीतू सिंह राय(राष्ट्रीय महासचिव) तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर सुश्री शालू गुप्ता(ट्रस्टी) और डॉ सुमन दहिया (अध्यक्ष,राजस्थान इकाई की) ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मकाम की हरियाणा राज्य की अध्यक्ष डॉ ज्योति राज जी द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण तथा मकाम के संस्थापक श्री नरेश नाज जी द्वारा माँ शारदे की आराधना-गीत के साथ किया गया|
कार्यक्रम का बेहतरीन संयोजन व संचालन हरियाणा राज्य इकाई की अध्यक्ष, राष्ट्रपति अवॉर्डी डॉ ज्योति राज जी द्वारा किया गया।
पूरे हरियाणा प्रदेश के सोलह जिला-पदाधिकारियों व राज्य-पदाधिकारियों द्वारा ख़ूबसूरत और लाजवाब प्रस्तुतियां दी गई।
कार्यक्रम में हरियाणा की वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्दु ‘राज’ निगम , उपाध्यक्ष बीना कौशिक , महासचिव वंदना ‘हिना’ मलिक , महासचिव अंजलि सिफ़र, सचिव ऋतु कौशिक व संचिता जी की विशेष उपस्थिति रही।
रोहतक को सर्वश्रेष्ठ इकाई व जींद की अध्यक्ष श्रीमती सरोज कौशिक व चरखी दादरी की पूनम जोशी को सर्वश्रेष्ठ कार्यकर्ता का पुरस्कार दिया गया।
कार्यक्रम का अंत हरियाणा राज्य इकाई की वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्दु"राज" निगम जी ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का हृदय से धन्यवाद देते हुए किया!
कविता की पंक्तियॉ कुछ इस प्रकार है-
मकाम के संस्थापक श्री नरेश नाज जी ने अपने गीत से समाँ बांध दिया—गीत के बोल कुछ इस प्रकार थे-
मैं तुम्हारी याद में,
कल रात भर रोता रहा।
सो गए सारे सितारे-
चांद भी सोता रहा।।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विनय गौड़ जी की पंक्तियाँ-
रात की सिहाई से क्यू हम डर जाते है
वक़्त कहाँ रुकता है सूरज के तीर चल जाते है
हाथों की लकीरें मिट जाती है हाथ ख़ाली रह जाते है
वक़्त कहा रुकता है फ़ैसले तक़दीर के बदल जाते है
राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती नीतू सिंह राय जी की पंक्तियाँ -
ऐसा पहली बार नहीं,
विचारों का समंदर है।
घूम रही है सारी धरती-
साथ में अंबर सारा है।।
मकाम की ट्रस्टी सुश्री शालू गुप्ता जी की पंक्तियॉ-
निकले हर इक शहर से,
हर इक गांव से-
महिलाओ की ये संस्था.. महिलाओ के लिए!!
अध्यक्ष, राजस्थान इकाई डॉ सुमन सखी दहिया जी की पंक्तियाँ-
आज पड़ी जो विपदा भारी!
समझ सके कि सिर्फ कोई नारी!!
हरियाणा मक़ाम की प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. ज्योति राज जी की पंक्तियाँ-
रे मनवा क्यूँ तू नैन भीगाए
रे मनवा क्यूँ अधिक नहीं मुसकाए
दुःख में तो तू आहें भरता
सुख में ना क्यूँ हर्षाए
हरियाणा राज्य की वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्दु”राज”निगम जी की पंक्तियाँ-
फूलों को मुसकाने दो कलियों को खिल जाने दो
इस बासंती मौसम को गीत ख़ुशी के गाने दो
हरियाणा राज्य की उपाध्यक्ष बीना कौशिक जी की पंक्तियाँ-
थोडी देर और ज़रा ठहर जाओ
कि नादान धड़कन बेकाबू हो चली हैं .....
हरियाणा राज्य की महासचिव वंदना ‘हिना’ मलिक जी की पंक्तियाँ-
सुनो पंछी,
वो जो देहरी पर बैठे राह तकते थक गई है
उसे कहना मुसाफ़िर कभी लौट कर वापिस नहीं आते...
हरियाणा राज्य की महासचिव अंजलि 'सिफ़र' जी की पंक्तियाँ
साँस यूँ भी लिया कीजिए
ख़ुद की ख़ातिर जिया कीजिए
हरियाणा राज्य की सचिव ऋतु कौशिक जी की पंक्तियाँ-
हर मंज़र अब दिखता है धुंधला मुझको
पांव ने यूं रास्ते में छोड़ा मुझको
हरियाणा राज्य की सचिव संचिता जी की पंक्तियाँ-
रो रो कर यहां रात में
एक आंचल मिटा डाला
क्या कसूर था उसका
जिसका तूने अस्तित्व मिटा डाला
गुरुग्राम की अध्यक्षा दीपशिखा श्रीवास्तव 'दीप' ने कुछ यूं कहा-
हजार ख्वाहिशें मारकर सांसे उधार पाता है।
जिंदगी की दौड़ में हर बार वो हार जाता है।।
गुरुग्राम की उपाध्यक्षा रश्मि चिकारा की पंक्तियॉ-
वो जलाकर बस्ती आशियाने की बात करते,
मिटाकर हाथों की लकीरें मुक्कद्दर की बात करते है।
गुरूग्राम की महासचिव अंजू सिंह कहती है-
आजकल हम में तुम में बात नहीं होती,
रोज मिलते तो हैं मगर मुलाकात नहीं होती।
गुरुग्राम से डॉ. सविता स्याल ने कुछ यूं सुनाया-
मैने जिंदगी से पूछा
सफर तुम्हारा इतना जटिल
और रहस्यमय आखिर क्यों है,
फूलों संग पिरो दिये इतने कांटे क्यों है।।
फरीदाबाद की अध्यक्ष डॉ वंदना शर्मा की पंक्तियॉ-
"जिंदगी बेवफा नहीं होती
मुझमे ग़र कुछ कमी नहीं होती,
बीज़ बोते दिलों में उलफत के
फसलें फ़िर प्यार की उगी होती।
फरीदाबाद की उपाध्यक्ष श्रीमती निर्मला शर्मा निर्मल की पंक्तियॉ-
ऐसा एक शत्रु पूरे विश्व में समाया देखो
ऑखो से ना दिखे पर वार एसा करता
एसी मुश्किल में भी सावधानी ना रखे तो
उसकी वो कीमत है जान देके भरता।
फरीदाबाद की महासचिव डॉ प्रतिभा चौहान की पंक्तियॉ-
मेँ लिखना चाहती हूँ
कोई कविता
कोई एक कविता
प्रेम कविता
फरीदाबाद की सचिव डॉ बबीता गर्ग की पंक्तियॉ-
बनूँ राधा तुम्हारी मैं , मेरे तुम श्याम हो जाओ
खिलाऊँ बेर मीठे मैं ,मेरे तुम राम हो जाओ
जरूरत अब नहीं मुझको रही है सम्पदा की भी
यही है प्रार्थना मेरी मेरे तुम धाम हो जाओ
जींद की अध्यक्ष श्रीमती सरोज कौशिक की पंक्तियॉ-
दादा परदादा की तिजोरी,
गाँव से लाया अपने संग।
दबी पड़ी थी मिट्टी में,
लग गया उस पर जंग।
जींद अनिता शर्मा की पंक्तियॉ-
छत पर सोए बरसो बीते,
तारों से मुलाकात किए।
चाँद से किए गुफ्तगू
और हवा से कोई बात किए।
जींद शालू गर्ग की पंक्तियॉ-
छोटे थे तो लड़ते थे,
माँ मेरी है,माँ मेरी है।
बड़े हो गए तो लड़ते है,
तेरी है जा तेरी है।
जींद रेखा की पंक्तियॉ-
मैं एक कागज का टुकड़ा हूँ,
कोरा हूँ तो तुच्छ हूँ।
गर कोरा नहीं,
तो बहुत कुछ हूँ।
रोहतक की अध्यक्ष सुश्री सोनिका पंवार की पंक्तियॉ-
मैंने अपने बिकते देखे हैं
सपने बिकते देखे हैं।
है हर चीज बिकाऊ यहां
मैंने खानदानी अमीर बिकते देखे हैं।।
रोहतक की निधि राठी की पंक्तियॉ-
बेखौफ नजरों से खुद में खुद को ढूंढती रहती हूं मैं।
कुछ कर गुजरने का रगों में जोश कितना है ये खुद से पूछती रहती हूं मैं।
रोहतक की 84 वर्षीया माँ कमला राठी जी की पंक्तियॉ-
मेरी ज़िंदगी मुझको बता
कैसे करूँ तेरा शुक्रिया
तूने मुझे दे दी जुबाँ
और साथ में जज़्बा दिया
रोहतक की बारह वर्षीय दिव्या गुप्ता की पंक्तियॉ-
जिनकी जबां पर हमेशा भारत का नाम होता है
भला इनसे महान कोई हो सकता है
रेवाडी़ की अध्यक्ष आशा रानी की पंक्तियॉ-
या तो आप हार जाते,
या हम हार जाते!
साथ मिलकर आपके,
जश्न जीत का मनाते!
रेवाडी़ की कल्याणी राजपूत की पंक्तियॉ-
दो-दो कुलो को रोशन करती है,
ये कोई और नहीं,सिर्फ़ एक नारी कर सकती है!
हिसार की अध्यक्ष रिम्पी लीखा की पंक्तियॉ-
शिकायत मत करो मुझसे, ज़रा विश्वास दिखलाओ
न जीना रब भरोसे तुम, रगों में खून दौड़ाओ
हिसार की डिम्पल सैनी की पंक्तियॉ-
जब कभी सूरज का घोड़ा हिनहिनाता है
प्यासे होंठो पर मृगतृष्णा की कहानियां तैरने लगती हैं,
कभी शब्दों से ही ईश्वर का श्रृंगार कर देती हैं....
हिसार की पूनम मनचन्दा की पंक्तियॉ-
बेरुखी से ना यूँ पेश आया करो
रूठ जाने पे हमको मनाया करो
हिसार की सीमा शर्मा की पंक्तियॉ-
हाल ए दिल कभी अपना भी तुम सुनाया करो,
ज़ख्म अपने दिल के भी कभी तुम दिखाया करो।
कुरुक्षेत्र की अध्यक्ष सुमन सांगवान की पंक्तियॉ-
कौन सच्चा, कौन झूठा समझ नही पा रहा हूँ,
चेहरे हैं कि मुखोटे समझ नहीं पा रहा हूँ।
मुझ जैसा भी कोई नहीं ओर तुझ जैसा भी कोई नहीं।
न तेरा कोई जवाब है,न मेरा कोई जवाब है।
कुरुक्षेत्र की डॉ ममता सूद की पंक्तियॉ-
आज के दौर का इन्सान,
देखो कैसा बन गया इन्सान
सब के पास शिकायतों का अम्बार है,
करता न कोई किसी से प्यार है।
झज्जर की महासचिव नविता की पंक्तियॉ-
मैन्न रोटी देखी , चांद देख्या
चांद देख्या रोटी देखी ।
फेर मैन्न मां कानै देख्या
अर पूछ ए लिया .....,
मां रोटी चांद बरगी सै या चांद रोटी बरगा है.....
झज्जर की जया सारसर की पंक्तियॉ-
कैसे बताऊं कितना सह रही हूं मैं
दरअसल कुछ महीनों से घर पर रह रही हूं मैं
मेरा पहनावा गांव में किसी को भाता नहीं है
इसलिए अंदर ही अंदर घुट रही हूं मैं
नारनौल की प्रेमलता यादव की पंक्तियॉ-
कब तलक कुर्बान होते रहोगे,
अभिमन्यु के जैसे रिश्तों के प्रांगण में।
जीवन में कुछ पल बिताना साथी,
रूह के पीपल तले और मन के आंगन में।
यमुनानगर की अध्यक्ष रितु की पंक्तियॉ-
जब जब सियासत दमन पर उतरती हैं
मानवता भाईचारा बनकर उतरती है।
यमुनानगर की प्रेरणा अरोड़ा की पंक्तियॉ-
कैसी यह नारी की शक्ति
जो कहती सशक्त हूं मै
फिर करती कैसी पति भक्ति है।
यमुनानगर की बलविंदर कौर की पंक्तियॉ-
माना बड़ी मसरूफ है ज़िंदगी,
पर बेशकीमती है एहसास तो कर
आहिस्ता आहिस्ता ही। सही
ज़िंदगी से। मुलाकात तो कर।
सोनीपत की अध्यक्ष डॉ अनीता फोर की पंक्तियॉ-
जब से मैंने एक endroid phone लिया है।
जीवन एकदम hightech हो गया है ।।
झांकने लगे हैं निजता में मेरी
यारों के भी यार ।
अंतरंगता बन गई है मुफ्त का चित्रहार ।।
सोनीपत की उपाध्यक्ष शीतल नवीन की पंक्तियॉ-
कुत्तों के भौंकने के बीच
नवजात का रुदन स्वर
कान तक आ ही पड़ा
जैसे ही उधर
दौड़ कर देखा ।
सोनीपत की महासचिव चंचल द्विवेदी की पंक्तियॉ-
जब तक जिए की चंचल
कविता लिखा करेगी
कविता नहीं मरेगी कविता अमर रहेगी ।
सोनीपत की सचिव तुलसी की पंक्तियॉ-
अलगाव मेरे मन का
" रहूंगी कब तक इन बंदिशों में मैं,
क्यों बेखौफ निडर और मन के
मुताबिक मैं जी नहीं सकती"|
पानीपत की अध्यक्ष डॉ. संतोष तृप्ता की पंक्तियॉ-
विश्वकर्मा नहीं थी,
फ़िर भी सब रच-गढ़ लेती थी वो लड़की
चित्रकार नहीं थी ,
पर उमंग की कूची से,
ज़िन्दगी रंग लेती थी वो लड़की।
पानीपत की रितु ढोंचक की पंक्तियॉ-
यह प्यार है कोई खेल नहीं
यह दिल किसी को भी मैं दे दूं
इतना किसी से मेल नहीं
यकीन ना किया कभी मेरा,
बस रोक मुझ पे वो लगाता था
इज्जत ना बख्शी कभी मुझे
पर हां वो तोहफे लाता था।
पानीपत की अनुभा गुप्ता की पंक्तियॉ-
जो जले पर नमक छिड़के ,
उसके पास फिर भावना कहां
जो जीवित को मुर्दा बना दे ,
उसके पास फिर इंसानियत कहां
पानीपत की उमा गर्ग की पंक्तियॉ-
अब तो तुमको आना होगा हे राम,
द्रौपदी को चीर हरण से बचाओ हे श्याम,
तेरी ही अब राह देंखे हे भगवान
आकर थामो इस मनुष्य की कमान
भिवानी की अध्यक्ष डॉ भामा अग्रवाल की पंक्तियॉ-
सुन्दर,सुघड़ ,सुवासित सपना,
जब आँखों मैं आ जाता है।
मधुर मिलन की आस जगा,
जग मनभावन हो जाता है।
भिवानी की कविता जी की पंक्तियॉ-
नन्हे नन्हे कोमल कोमल,
अधरो की मुस्कान भली ।
पतंग की डोर सा हिलोरे लेता ,
मन की ये अनजान गली ।
भिवानी की सुगम की पंक्तियॉ-
जान लो चींटी की ताकत को तुम,
वो हाथी से कम नहीं।
हार नहीं मानती वो कभी,
चाहे आ जाए उसके सामने इंसान कोई।
चरखी दादरी की सुश्री पूनम जोशी जी की पंक्तियॉ-
एम के एम का वार्षिकोत्सव मनायें,
शुभकामनाएँ शुभकामनाएँ।
चरखी दादरी की पुष्पलता आर्य की पंक्तियॉ-
बुजुर्गों से भला क्यों इस क़दर नफ़रत दिखाते हैं।
ग़ज़ब है इनके अहसानों की यूँ क़ीमत चुकाते हैं।।
करनाल की अध्यक्ष सुनीता शान्त की पंक्तियॉ-
जब से मास्क आया है ,
मैं तो खुद को नहीं सजाती हूँ
ना मेक अप करती हूँ
ना लिपस्टिक लगाती हूँ ।
अंबाला की उपाध्यक्ष दीया शर्मा की पंक्तियॉ-
बात कुछ ऐसी हो कि दिल तक पहुँचे
शख्सियत ऐसी हो कि महफ़िल तक पहुँचे....
अंबाला की मनीषा भसीन नारायण की पंक्तियॉ-
ज़िंदगी ज़िया करो
मत खफा रहा करो।
आँधियाँ बनो नहीं
बन हवा बहा करो।
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