स्रग्विणी (मापनी युक्त मात्रिक) छंद पर आधारित एक मुक्तकमाला
विधान :-
(२१२ २१२ २१२ २१२ )
शीर्षक: विदा 2020
वर्ष का अंत है साँस नव लीजिये।
हर बुरी याद को त्याग अब दीजिये।
तीन दिन बाद ही है नया साल अब।
आप स्वागत नये जोश से कीजिये।1
अंत अब तो विपद का निकट आ गया।
नव सबक देश को एक सिखला गया।
हार मानें नहीं जब चुनौती मिले।
फायदा धैर्य का वक्त बतला गया।2
भिन्न संकट रहे सामना कर लिया।
अवसरों में विपद को बदल भी दिया।
कीर्ति के नित्य प्रतिमान गढ़ते रहे।
एक नेतृत्व नूतन जगत को दिया।3
हम सबक लें चुनौती कहीं से मिले।
दूर कर दें सभी आज शिकवे-गिले।
खुशदिली से नया वर्ष स्वागत करें।
हम प्रगति के गढ़ें नित्य नव सिलसिले।4
कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 28 दिसंबर 2020
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