धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। लोक शक्ति अभियान ट्रस्ट द्वारा बागू विजय नगर गाजियाबाद के तत्वाधान में पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिक्षाविद रामदुलार यादव रहे, मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश पुलिस में इंस्पेक्टर हरदयाल यादव रहे, कार्यक्रम में शामिल विद्वानों, गणमान्य नागरिकों, ने महा मना मदन मोहन मालवीय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया। तथा उनके बताए हुए सिद्धांतों पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में एक दर्जन विद्वानों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों, को साल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन और संचालन शिक्षाविद मुकेश शर्मा ने किया। पंडित सतीश दीक्षित ने कार्यक्रम में शामिल सभी भाइयों और बहनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रतीक यादव, अरविंद कौशिक, देवनारायण शर्मा, श्याम बाबू नेताजी, पंडित सुरेश शर्मा, नरेश शर्मा, कैलाश कौशिक, सुनील शर्मा, डॉ मधुलिका शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए और इस कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए मुकेश शर्मा को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन सादगी पूर्ण रहा, वह महान शिक्षक, बेजोड़ वक्ता, विलक्षण प्रतिभा के धनी वकील तथा स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में थे। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की जो एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है विश्व के छात्र और छात्राएं भी वहां अध्ययनरत है उनका मानना था कि पढ़ते समय दुनिया को भूल कर पुस्तकों में डूब जाओ यही तुम्हारी समाधी, उपासना, और पूजा है, वह विदेशी भाषा के विरोधी और देश की उन्नति का रास्ता स्वदेशी भाषा में ही देखते थे उनका कहना था कि जैसे बिजली कितना ही प्रकाश दे लेकिन सूर्य का स्थान नहीं ले सकती उसी तरह विदेशी भाषा से हम देश की जनता का सर्वांगीण विकास नहीं कर सकते वे सदाचार को ब्यक्ति का सबसे उत्तम आभूषण मानते थे, उनका मानना था कि व्यक्ति को न्याय स्वदेशी भाषा में मिले जिसे वह समझ सकता है, हिंदी भाषा की वकालत करते हुए उन्होंने कहा भारत के अधिकतर धर्मं स्थल में हिंदी को ही आमजन बोलते हैं और समझते हैं इसलिए हिंदी में ही राजकाज का काम होना चाहिए पंडित मदन मोहन मालवीय जी की सराहना करते हुए बाबू जगजीवन राम ने कहा कि मैं मालवीय जी के सानिध्य में रहकर विद्या अध्ययन किया उन्हीं के प्रभाव से मै समता, स्वतंत्रता, न्याय, बंधुत्व, समाज में कैसे हो सद्भाव भाईचारा प्रेम और सहयोग कैसे पैदा किया जाएगा उसके लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया तथा स्वतंत्रता आंदोलन में उन्हीं की प्रेरणा से कार्य किया यह अपने आप में यह सिद्ध करता है कि पंडित मदन मोहन मालवीय जी कितने महान थे उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था कि वह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और नैतिकता की प्रतिमूर्ति थे और हर क्षेत्र में चाहे वह पत्रकारिता हो, वकालत हो सामाजिक और शिक्षा का काम हो, चाहे देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने में अग्रगणी भूमिका निभाई पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद उनकी सराहना करते थे।
इस अवसर पर मैं इतना कहना चाहता हूं कि हमारे जैसे कार्यकर्ता और पूरा देश और समाज अगर उनके बताये रास्ते पर एक कदम चल सके तो वही उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी पुष्पांजलि होगी लेकिन आज सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों का अभाव हो गया है जो शिक्षित लोग हैं वही देश के संसाधनों को ठीक ढंग से व्यवस्था नहीं कर पा रहे है यहां वितरण व्यवस्था भी ठीक नहीं है इसी से 90 करोड़ लोगों को आज अभाव का जीवन जीना पड़ रहा है, हमारे देश में शिक्षा और स्वास्थ्य पर जैसे काम होना चाहिए वैसे नहीं हो पा रहा विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट में भी भारत का स्थान बहुत नीचे है, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान भी हम से ऊपर है इसलिए इस अवसर पर हमें सोचने की जरूरत है यदि हम अपने देश को समाज को सही रास्ते पर ले जाना चाहते हैं तो यहां सद्भाव, भाईचारा, प्रेम, न्याय, और बंधुत्व सहयोग, और प्रेम को बढ़ाते हुए हमें मालवीय जी के बताए हुए रास्ते पर चलकर देश को सुदृढ़ करना पड़ेगा समाज को सुदृढ़ करना पड़ेगा। चार दर्जन ज्यादा लोगो ने कार्यक्रम में भाग लिया।
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