आर्य समाज हापुड़ द्वारा स्वास्थ्य परिचर्चा विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी सम्पन्न




धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

हापुड़। आर्य समाज हापुड़ द्वारा स्वास्थ्य परिचर्चा विषय पर गोष्ठी परिषद के प्रदेश कोषाध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता की अध्यक्षता में सोल्लास संम्पन्न हुई।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने  ओ३म् की ध्वनि,गायत्री मंत्र से सत्र को प्रारम्भ किया। उन्होंने सुमधुर भजन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।उन्होंने बताया कि जिनका जीवन भगवान की भक्ति में बीतता है उन्हें कोई सांसारिक चिंता नहीं होती, परमेश्वर के गुण गाने से खुशियां प्राप्त होती हैं।

वैदिक विद्धवान ब्रह्मनिष्ठ आचार्य सत्यवीर जी ने अपने उद्बोधन में स्वास्थ्य परिचर्चा पर बोलते हुए कहा कि ऊर्जा के चार प्रमुख स्रोत हैं स्वांस, भोजन, नींद और हंसना।

स्वांस जीवन में ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्रोत है कोई भी प्राणी बिना स्वांस के जिंदा नहीं रह सकता शरीर के अंदर के वायु एवं अग्नि तत्व को तृप्त करने के लिए  स्वांस सबसे प्रमुख है, स्वांस के द्वारा वायु एवं सूर्य की प्रथम किरणों से जो ऊर्जा ग्रहण करते हैं उससे वायु और अग्नि तत्व की पूर्ति होती है जो कि जीवन के विकास में प्रमुख साधन है श्वांस प्रश्वांस जीने के लिए सबसे उपयोगी क्रिया है। स्वांस जो अन्दर भरते हैं, प्रश्वास जो बाहर छोड़ते हैं, इन दोनों की गति को नियमित संयमित व्यवस्थित व वश में करना ही प्राणायाम है। भोजन ऋतु के अनुकूल खाना चाहिए भूख से थोड़ा कम खाना चाहिए अपने शरीर के लिए जो हित कर हो ऐसा भोजन करना चाहिए। भोजन को अच्छी प्रकार चबाकर खाना चाहिए शरीर के लिए अन्न ही प्राण है, औषधि है, अन्न ही अमृत है, इसे इन पवित्र भावनाओं के साथ श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करना चाहिए।उन्होंने कहा भोजन सूर्योदय के बाद और सुर्यास्त से पहले करना चाहिए।नींद जीवन में ऊर्जा का तीसरा प्रमुख स्रोत है दिन भर की क्रिया कलापों से थका व्यक्ति जब रात को सोता है तब निद्रा रानी शरीर के शिथिल अंगों को ऊर्जावान बनाती है रात्री में नींद ठीक आ जाए तो प्रातः जब हम उठते हैं तो शरीर में नई चेतना नई उमंग नयाआत्म विश्वास और संपूर्ण उत्साह से जीवन परिपूर्ण हो जाता है। हंसना जीवन में ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्रोत है हंसने से संपूर्ण जीवन विकसित होता है।जीवन प्राणवान,ऊर्जावान और बलवान होता है समस्त रोग मिट जाते हैं रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है,जोकि कोरोना काल के लिए आवश्यक है।

परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष आनन्द प्रकाश आर्य ने आर्य नेता,यज्ञ निष्ट,वैदिक साधन आश्रम देहरादून व रोहतक के प्रधान दर्शन अग्निहोत्री जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इससे आर्य जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है, उन्होंने प्रभु से दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करने और शोक संतप्त परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की प्रार्थना की। मंत्री अनुपम आर्य ने आचार्य जी का परिचय करवाया व कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से नरेन्द्र आर्य, मंगल सेन गुप्ता, वीरेन्द्र आर्य, शशि अग्रवाल, पुष्पा आर्या, वीना आर्या, रेखा गोयल, सुशीला सेठी,शीला रानी,शशि सिंघल, निधि आर्या,पुष्पा आर्या, सरोज गुप्ता, एस सी पारुथी, नरेश खन्ना, माया आर्या, सतीश अग्रवाल, विजेन्द्र गर्ग, संजय शर्मा, प्रतिभा भूषण, अलका अग्रवाल, सुरेश सिंघल आदि उपस्थित रहे। विद्वान पुरोहित धर्मेन्द्र शास्त्री ने शांतिपाठ से गोष्ठी को संपन्न किया।


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