धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। सोच और व्यवहार में परिवर्तन करके न केवल व्यक्ति अपने भय को नियंत्रित कर सकता है बल्कि इस कोरोना महामारी में अपने शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है, इसके लिए नियमित दिनचर्या, सकारात्मक सोच, योग, प्राणायाम्, व्यायाम तथा आध्यात्मिक क्रियाकलापों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उक्त बातें पहल मनोचिकित्सा एवं परामर्श केंद्र, भट्टी, लोहता, वाराणसी द्वारा आयोजित एक दिवसीय निशुल्क राष्ट्रीय वेबीनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रो. जे एस त्रिपाठी, पूर्व विभागाध्यक्ष कायचिकित्सा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने कहा।
राष्ट्रीय वेबीनार को विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ कामिनी वर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी मनोविज्ञान विभाग, काशी नरेश स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भदोही ने कहा कि उचित खान पान व दिनचर्या को अपनाकर न केवल भय को नियंत्रित रखा जा सकता है बल्कि अपने व्यवहार को भी संयमित रखा जा सकता है। डॉ अजय तिवारी संस्थापक अध्यक्ष, नई सुबह, वाराणसी ने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों में भय का स्तर अलग-अलग है इसका कारण इन्हें प्राप्त होने वाली सूचनाओं में अंतर है। उचित एवं तार्किक सूचना प्रदान करके लोगों के भय को कम किया जा सकता है। आगरा के प्रसिद्ध नैदानिक मनोवैज्ञानिक सारंगधर ने बताया कि किस तरह से कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों को धनात्मक सूचना प्रदान करने से उनकी स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आता है।
वेबीनार के कन्वनेर वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ मनोज तिवारी ने कहा कि आज के परिवेश में भय के कारण व्यक्ति में न केवल अनेक प्रकार के मनोवैज्ञानिक समस्या आ रही हैं बल्कि इसका उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है इसको ध्यान में रखकर इस वेबीनार का आयोजन किया गया है। वेबीनार में विभिन्न प्रदेशों से परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता, समाजशास्त्री, शिक्षक एवं सामान्य जन जुड़े रहें। वेबीनार का संचालन वरिष्ठ समाज मनोवैज्ञानिक डॉ मुकेश कुमार श्रीवास्तव तथा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ मनीष मिश्रा ने किया।
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