धनसिंह—समीक्षा न्यूज
नोएडा। नन्हें क़दम ऊँची उड़ान, साहित्यिक रचनात्मक संस्था द्वारा एक ऑनलाइन कवि गोष्ठी शिक्षकों की लेखनी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री सूर्य प्रकाश राय, जिला समन्वयक, गौतम बुद्ध नगर ने की तथा संयोजन संस्था की संस्थापिका अभिलाषा विनय व संचालन सुश्री ममता जयंत द्वारा किया गया।
आयोजन का आरम्भ, माँ शारदे की वंदना द्वारा, कवयित्री निर्मला त्यागी, क० वि० लड़पुरा ने किया। लता कनौजिया, उच्च प्राथमिक विद्यालय अच्छेजा बुजुर्ग, दनकौर द्वारा,
सूरज तू जादूगर है,
उग जाता है रोज सुबह तू
पूरब में।
बिखराता है सात रंग
सारे जग में। का मधुर काव्यपाठ किया।
इसके बाद, निर्मला त्यागी,स॰अ॰, उच्च प्राथमिक विद्यालय, लड़पुरा, दनकौर, गौतम बुद्ध नगर ने,
तुझको हर बार ही जगाया है,जाग जा और सदा सुन मेरी।
फांसले कुछ तो घटा ले आखिर, मैं घुट रहीं हू कैद में तेरी सुनाया।
कवयित्री डॉ सीमा श्रोत्रिय, जूनियर हाई स्कूल हरौला,बिसरख, गौतम बुद्ध नगर ने,
जो बीत गया सो बीत गया
जीवन मे एक सहारा था
माँ को बेहद वह प्यारा था
वह चला गया सो चला गया।
द्वारा मनमोह लिया।
तदनन्तर कंचन वर्मा, सहायक अध्यापिका, क० विद्यालय नयाबांस, सेक्टर 15 ने, परिवर्तन शीर्षक से,
ये दुनिया नहीं बदली ,यहां इंसान बदले हैं ,
ये जमी नहीं बदली, न आसमान बदले हैं ,
न हवाएं बदली, न फिजाएं बदली,
न गुल बदले ,न गुलिस्तान बदले हैं, द्वारा समा बाँध दिया। प्रिया भाटी
सहायक अध्यापिका, संविलियन विद्यालय लुहारली, दादरी, जिला- गौतम बुद्ध नगर ने,
सदियों से बोले साधु-संत,
तय है मनुजता का अंत,
पूजे जाएंगे दनुज,
अधर्म कोहराम मचाएगा।
अभी और कलियुग आएगा,
जी घोर कलियुग आएगा।।
द्वारा माहौल गुंजरित कर दिया। कवयित्री बिधु सिंह द्वारा, अभिमान न जीवन में आए, स्वाभिमान न तुम खोने देना,जीवन है जटिल संघर्ष भरा,मन को विचलित ना होने देना, का काव्यपाठ कर आशादीप जलाए।
कार्यक्रम में, कुसुम कौशिक द्वारा,क्या गाऊं, क्या मैं सुनाऊँ, आज नही कुछ तैयारी।
निस्तेज पड़ी हूँ अर्द्ध मुर्द सी, कोरोना से हारी,सुनाया। तत्पश्चात,
कभी खोने की चिंता है कभी पाने की आशा है,
कहीं है प्रेम निश्चल तो कहीं नफ़रत की भाषा है।
पुरुष से मेल प्रकृति का विकृति का रूप ले लेता
नटी से रुप नित धरती ये दुनिया अजब तमाशा है। द्वारा डॉ.ममता विमल अवस्थी, नोएडा, उत्तर प्रदेश, ने रंग जमा दिया। इसके पश्चात "विडम्बना" के मधुर पाठ,
यह विडंबना है या व्यथा मेरे जीवन की कई गुनाहों को जानकर किया है अक्सर खींची है उंगली उसकी छोटी हथेलियों से भरी आंखों का पानी पोंछा है अक्सर, द्वारा श्वेता कनौजिया
गौतमबुद्ध नगर ने सुन्दर काव्यपाठ किया।
फिर, हुआ नव जीवन का संचार आई बसंत बहार नैनो को चैन पड़ गया रहे इसकी छटा निहार।" की मधुर प्रस्तुति कंचन बाला द्वारा की गयी।
ऑनलाइन चल रही पढ़ाई है। ऑनलाइन चल रही पढ़ाई है,इधर टीचर करवा रहे पढ़ाई है , उधर बच्चों को आ रही रुलाई है, की सरस प्रस्तुति से सुमन यादव ने महफ़िल लूट ली। इनके बाद आयीं, इंदु गुर्जर
कंपोज़िट विद्यालय छजारसी
बिसरख, गौतमबुद्धनगर ने,
जब आप थे ना 'पापा'!
जब आप थे ना 'पापा', जाने कैसे सब संभाल लेते थे?
कोई 'मुश्किल', 'मुश्किल' नहीं लगती थी। सुनाकर सबको अभिभूत कर दिया। ममता भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत,
भरी उदासी में भी वो मुझे रोने नहीँ देता।
कोई है मेरे अन्दर जो खफा होने नहीं देता।।
से ख़ूब तालियाँ बटोरीं। संयोजिका व संस्थापिका अभिलाषा विनय द्वारा, सामयिक विषय पर,
सात रंगो के सपने बुनों आज तुम।
फिर से पौधों से धरती भरो आज तुम।
छा रही कालिमा पर कदम ना हटें।
इस कोरोना से मिलकर लड़ो आज तुम।
सुनाई प्रस्तुति से सब अभिभूत हो गए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सुनीता माहेश्वरी, नासिक ने कई कहमुकरियाँ, मात्रिक व वर्णिक छंद व गीत सुना कर सबको सम्मोहित कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश ने आए हुए सभी कवियों को आभार ज्ञापित किया।तत्पश्चात अगली सूचना तक यह गोष्ठी संपन्न घोषित की गई।।
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