धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। परमार्थ समिति के तत्वाधान में स्वयंभू शिव मंदिर कवि नगर में वर्षा कामना हेतु यज्ञ किया गया परमार्थ समिति के चेयरमैन वीके अग्रवाल ने बताया कि ‘अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः।’ में कहा गया है कि सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। इस श्लोक में यज्ञाöवति पर्जन्यो अर्थात् वृष्टि अर्थात् वर्षा वा बारिश यज्ञ से होती है, यह बात योगेश्वर श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताई है। इस पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि यदि हम यज्ञ करते हैं तो इसके प्रभाव से वर्षा हुआ करती है। दूसरा यह भी है कि यदि वर्षा न हो रही हो, तो उचित मात्रा वा परिमाण में यज्ञ करने से वर्षा कराई जा सकती है। विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता व परमार्थ समिति के उपाध्यक्ष बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि ईश्वरीय ज्ञान वेदों एवं परवर्ती वेदानुकूल साहित्य के अनुसार गृहस्थियों के लिए अग्निहोत्र वअग्नि-गोघृत-ओषधि-वनस्पति आदि पदार्थों से दैनिक यज्ञ करने का विधान है। आजकल देश के अनेक भाग सूखे की चपेट में हैं। यहां पीने व अन्य प्रयोग के लिए जल का सर्वथा अभाव हो गया है। अतः पीने व अन्य उपयोग के लिए यहां जल की अकूतधनसाध्य वैकल्पिक व्यवस्था तो की जा रही है वेद वृष्टि व यज्ञ पर अपनी क्या शिक्षा देते हैं निश्चित कामना होने पर बादल हमें प्राप्त सृष्टिगत पर्यावरण आदि सभी पदार्थों व वातवरण को सुरक्षित रखना है और वर्षा होने के बाद वर्षा चल को भी कुएं, तालाबों व जलाशयों आदि में सुरक्षित रखना है।हम ईश्वर से प्रार्थना करके, वर्षा आदि की इच्छा करके, यज्ञ करके, वर्षा में सहायक यज्ञ का वैज्ञानिक रीति से अनुसंधान करके निकामे निकामे अर्थात् जब जब जहां जहां चाहें वर्षा कराने में समर्थ हो सकते है वर्षा कामना यज्ञ में आचार्य पंडित सुरेंद्र तिवारी शास्त्री जी द्वारा यज्ञ को विधि विधान से पूर्ण कराया गया इस शुभ अवसर पर अपनी आहुति देते हुए का समाजसेवी ऑफिस चितकारा लोकेश सिंघल अमरपाल सिंह कालूराम जितेंद्र भटनागर आदि थे।
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