कल किसने देखा....

 कल किसने देखा....


कल का दिन किसने देखा है,

आज अभी की बात करो।

ओछी सोचों को त्यागो मन से,

सत्य को आत्मसात करो।

 

जिन घड़ियों में हंस सकते हैं,

क्यों तड़पें संताप करें।

सुख-दु:ख तो है आना-जाना,

कष्टों में क्यों विलाप करें।

 

जीवन के दृष्टिकोणों को,

आज नया आयाम मिले।

सोच सकारात्मक हो तो,मन को पूर्ण विराम मिले

 

हिम्मत कभी न हारो मन की,

स्वयं पर अटूट विश्वास रखो।

मंजिल खुद पहुंचेगी तुम तक,

मन में सोच कुछ खास रखो।

 

सोच हमारी सही दिशा पर,

संकल्पों का संग रथ हो।

दृढ़ निश्चय कर लक्ष्य को भेदो,

चाहे कितना कठिन पथ हो।

 

जीवन में ऐसे उछलो कि,

आसमान को छेद सको।

मन की गहराई में डुबो तो,

अंतरतम को भेद सको।

 

इतना फैलो कायनात में,

जैसे सूरज की रोशनाई हो।

इतने मधुर बनो जीवन में,

हर दिल की शहनाई हो।

 

जैसी सोच रखोगे मन में,

वैसा ही वापस पाओगे।

पर उपकार को जीवन दोगे,

तुम ईश्वर बन जाओगे।

 

तुम ऊर्जा के शक्ति पुंज हो,

अपनी शक्ति को पहचानो।

सद्भावों को उत्सर्जित कर,

सबको तुम अपना मानो।





प्रेषक

राकेश सिंह चौहान

जिला सूचना अधिकारी

गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश

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