आधार छन्द- विधाता(28 मात्रा, मापनीयुक्त मात्रिक)*
मापनी- लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा
मात्रा भार- 1222 1222 1222 1222
समान्त- अना, पदान्त- है।
सनातन धर्म का आधार प्रकृति के साथ जुड़ना है।
हमारे धर्म की बातें प्रचारित आज करना है।1
भरी समृद्धि थी अनुपम कभी प्राचीन भारत में,
उसी संपत्ति से प्रेरित नई अब नींव भरना है।2
करें पालन नियम संयम सरल जीवन सभी का था,
उसी के तत्व लेकर अब नवल इतिहास रचना है।3
निरोगी तन, निरोगी मन मिलेगा योग करने से।,
विवेकानंद के समतुल्य योगी बन निखरना है।4
भरी है सूर्य पूजन में अतुल ऊर्जा हमेशा से,
नमन कर के दिवाकर को पुनः जीवन बदलना है।5
बड़ा दायित्व युवजन पर सँवारें भाग्य भारत का,
हमें मिल मातृ भूमि सदा जगत के शीर्ष रखना है।6
विवेकानंद ने जो ज्ञान बाँटा विश्व भर के हित,
युवाओं जाग जाओ अब प्रगति पथ पैर धरना है।।7
कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, 12 अगस्त 2021, @tripathi_ps
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