गुर्जर समाज सारे देश का गौरव





भारत के इतिहास में समय-समय पर वीर वैभवशाली राजा व सम्राट हुए, सम्राट अशोक से लेकर समुद्रगुप्त का साम्राज्य ईरान की सीमा तक छूता था, गुर्जर सम्राट मिहिर भोज भी उन्हीं गौरवशाली इतिहास का हिस्सा रहे, अब से पहले तक इस प्रकार का कोई भी विवाद नहीं रहा, बड़ी संख्या में गुर्जर समाज व अन्य छत्रिय सम्राट मिहिर भोज को सम्मान पूर्वक याद करते हैं, परंतु कुछ लोगों द्वारा गुर्जर प्रतिहार सम्राट को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं, जिसमें कुछ राजनैतिक लोग भी शामिल हैं, दादरी स्थित मिहिर भोज कॉलेज आज से करीब 78 वर्ष पूर्व निर्मित किया गया था, आज तक कभी किसी ने इस पर सवाल नहीं किया इतिहास में भी सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर समाज से बताया गया है, सवाल ये है कि ये कौन लोग हैं जो समाज को बांट कर विवाद फैलाना चाहते हैं, पहली बात तो ये है कि साधु, सती व सूरमा सभी के आदर्श होते हैं जिनका जीवन इतिहास इसलिए बनता है कि आने वाली पीढ़ी को उनसे प्रेरणा मिले, आज गुर्जर समाज के लोग शिक्षा की तरफ बढ़ रहे हैं जब कोई समाज विकास करता है तो अपने महापुरुषों से प्रेरणा पाने व उन्हें स्थापित करना चाहता है, आज देश की पिछड़ी व अति पिछड़ी जाति शिक्षा को आधार बनाकर हजारों साल की गुलामी को तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है और इस क्रम में वो सभी अपने-अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे चाहे वो सुहेलदेव हो, डोम राजा हो, ज्योतिबा फूले हो या फूलन देवी हर वो वंचित समाज जो भारत में दब कर रहा, धीरे-धीरे संविधान के कारण आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा, अन्य आदिवासी लोगों में भी यह भावना पैदा हो रही है,





उक्त विवाद में न पढ़ते हुए हम लोगों को गुर्जर सम्राट को उसी प्रकार पूरे भारत के गौरव के रूप में स्मरण करना चाहिए जैसे पृथ्वीराज चौहान से लेकर चंद्रगुप्त तक का सम्मान समस्त भारत करता है

लेखक : बसपा नेता, वरिष्ठ समाजसेवी

सिकंदर यादव 

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