धनसिंह
क्या मेरे उत्तराखण्डी भाई सिर्फ भैजी बोलने का ही काम करेंगे!
क्या भविष्य में भी देवभूमि उत्तराखण्ड से नाम से जाना जायेगा उत्तराखण्ड!
गाजियाबाद/टिहरी गढ़वाल।
देवी भूमि यानि उत्तराखण्ड।
देव भूमि यानि भारत।
देव भूमि यानि जम्मू द्वीप।
आज 21वीं सदी चल रही है हमने पुराने लोगों से कहानियों में सुना था कि पहले जम्मू द्वीप को देव भूमि कहा जाता था। धीरे-धीरे देव भूमि भारत कहा जाने लगा। लेकिन आज यदि आप पूरे विश्व में कहीं भी हो तो आप यदि देव भूमि को जाने की बात कहेंगे तो सामने वाला सिर्फ और सिर्फ एक ही राज्य का नाम लेगा और वह है उत्तराखण्ड़। ऐसा क्यों हुआ? आज देव भूमि जम्मू द्वीप नहीं कहते, देव भूमि भारत नहीं कहते सिर्फ देवभूमि उत्तराखण्ड ही रह गया है।
उत्तराखण्ड में 33 कोटि देवताओं की पूजा होती है। यहां तक की भूत, प्रेत, पिशाच आदि शैतानी शक्तियों जो किसी के परिवार का नुकसान करने आती है उनको भी पूज कर शांति से भेजा जाता है। उत्तराखण्ड के वो हर जिले जो आज भी पहाड़ी क्षेत्र कहलाये जाते हैं या गढ़वाली क्षेत्र हैं वहां हर घर परिवार, गांव का अपने देवता है जैसे पितृ देव, कुल देवता, ग्राम देवता, स्थान देवता, वास्तु देवता, ईष्ट देवता, पंच देवता सहित अन्य। हर परिवार अपने पितृ देवता को पूजता है, हर कुल अपने कुल देवता को पूजता है, हर ग्राम अपने ग्राम देवता, स्थान देवता, वास्तु देवता, ईष्ट देवता आदि को पूजता है। इसी प्रकार हर एक पहाड़ी अपने अपने देवताओं को पूजते हुए 33 कोटि देवी देवताओं का स्मरण करते हुए उन्हे अपने अन्दर समाहित करता है। जिसके चलते उत्तराखण्ड के लोग साल भर में अनेकों बार परिवार के साथ, कुल के साथ, ग्राम के साथ एवं ईष्ट देवता की पूजा के लिए अन्य कई ग्राम सभाओं के साथ पूजा करते हैं। जिससे पूजा के दौरान होने वाले हवन, ध्वनि, वातावरण, गंगाजल आदि से शुद्धि होती है और जहां शुद्धि होती है वहीं देवता वास करते हैं। हमारी नज़र में पहले यह पूरे जम्मूदीप में होता था। समय के साथ भारत में ही रह गया और आज यह उत्तराखण्ड में ही सीमटता जा रहा है।
वर्तमान समय में उत्तराखण्ड में प्रदेशी भूमाफियों ने जमीन की खरीद फरोख्त का तूफान सा ला दिया है और मेरे भोले उत्तराखण्डवासी ओने पौने दामों में देवता की इस भूमि को बेक रहे है। कुछ लोग विकास के नाम पर खरीद रहे है तो कुछ लालच दिखा कर। आज हमारे बुर्जग और युवा भाईयों को रूपयों की चकाचौंध नज़र आ रही है जिसने उनकी आंखों पर पर्दा डाल दिया है। जिससे वे अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उन लोगों के दिमाग में सिर्फ इतना है कि जो पैसे मिलेगे जिन्दगी मौज से कटेगी, कुछ जमीन समतल क्षेत्र में ले लेगे ताकि बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सके और बाकि तो गांव में रहने के लिए हमारे पास काफी जमीन है। मोदी सरकार राशन दे ही रही है जिससे खेती करने की जरूरत नहीं है। कुछ पैसे की जरूरत है तो वो भी मोदी सरकार पैंशन के रूप में महीने महीने खाते में डलवा रही है। और भी दिक्कत हो तो किसानों की खेती करने के नाम पर भी पैसे आ रहे है। कुल मिलाकर मोदी सरकार ने उनका खाने का, पीने का, दवा का सहित सभी चीजों का ठेका ले लिया है। तो जमीन की और भविष्य की किसे चिंता है। और अगर यह सरकार नहीं भी रहती है तो दूसरी सरकार भी देगी थोड़ा ज्यादा देगी या कम देगी पर देगी।
अब ऐसे में मुझे एक किस्सा जैसा याद है, बताते हुए मै अपनी बात आगे रखता हूं कि एक बार गुरू नानक देव अपने शिष्यो के साथ भ्रमण पर थे जिसके अन्तर्गत वे एक गांव में गये जहां उनका सत्कार तो दूर गांव वालों ने उन्हें गांव से निकाल दिया जिसके कारण वे गांव के बाहर ही एक जगह पर भूखे प्यासे रूके। तो गुरू नानक देव ने कहा कि हे प्रभू इस गांव के लोगों को सदा संगठित रखना। उसके बाद वे दूसरे गांव गये जहां उनका खूब आदर सत्कार हुआ। वहां गुरू नानक देव ने कहा कि हे प्रभू इन लोगों को चारों तरफ बेखर देना। इस पर उनके शिष्य ने कहा कि गुरू देव यह आपकी कैसे प्रार्थना है जो लोग बुरे हैं उन्हे संगठित रहने की प्रार्थना कर रहे है और जो अच्छे हैं उन्हे बिखरने की। तब गुरू नानक देव ने कहा कि यदि अच्छे लोग बिखरेंग तो अच्छाई फैलायेंगे और बुरे बिखरेंग तो बुराई। यह सुनकर उनका शिष्य संतुष्ट हो गया।
किन्तु देवभूमि का हाल उनकी दुआ से अलग ही हुआ जब जम्मूदीप देव भूमि था तो बुरी शक्तियों ने उसे देवभूमि नहीं रहने दिया, जब भारत देवभूमि था तब भी बुरी शक्तियों ने उसे देव भूमि नहीं रहने दिया। तब जो समस्या रही हो, वह होगी...। लेकिन आज जब देश प्रदेश में हिन्दुव कही जाने वाली भाजपा सरकार है तो ऐसा क्यों? सरकार की इस प्रकार की अनदेखी से और उत्तराखण्डवासियों के इस कच्चे लालच से देवभूमि कही जाने वाली उत्तराखण्ड भूमि क्या देवभूमि रह पायेगी। जहां मंदिरों में पूजा-पाठ, हवन, देव गीत, श्लोक, मंत्र आदि से देवताओं सहित हमें तन-मन की शांति मिलती थी क्या वो रहेगी। उत्तराखण्ड वासी जिन्हें जमीन बेच रहे है जब वहां बाहर से पिकनिक आदि की मौज मस्ती करने वाले चंचल युवा आदि आयेगे तो क्या वे अपनी बहु बेटियों की सुरक्षा कर पायेंगे? विकास के नाम पर पहाड़ी क्षेत्र में बनने वाले उद्योग और होटलों में स्थानीय लोगों को कैसा रोजगार मिलेगा। क्या मेरे उत्तराखण्डी भाई सिर्फ भैजी बोलने का ही काम करेंगे?
इस मामले को लेकर हमारी अखिल भारतीय पंचायत विकास संगठन उत्तराखण्ड के प्रदेश प्रवक्ता वाचस्पति रयाल से बातचीत हुई जिसमें उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड के अन्दर किसी भी प्रकार का कोई भी भू सशक्त कानून नहीं है। जिसकी जनता मांग कर रही है। सरकार को चाहिए कि हिमाचल प्रदेश वाला भूकानून उत्तराखण्ड में भी लागू किया जाये।
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