धनसिंह—समीक्षा न्यूज
परोपकार व पुण्य कार्यो से प्रकाश का दीप जलाये -विमलेश बंसल दर्शनाचार्य
व्यक्ति के जीवन से दीप जलना चाहिए-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "दीप से दीप जले" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल में 307 वां वेबिनार था ।
वैदिक विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने पँच दिवसीय प्रकाश पर्व "दीपावली" पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी ईश्वर प्रदत्त मनुष्य रूप में माटी के दीप है जिसमें आत्मा रूपी ज्योति जल रही है किन्तु उस ज्योति का जलना तभी तक है जब तक दीया मजबूत और सुरक्षित है अर्थात् तन स्वस्थ हैं किन्तु स्वस्थ शरीर को प्राप्त करके भी यदि मन को शिवमय विचारों से और आत्मा को ध्यान उपासना से बलिष्ठ नहीं किया तब तक ज्योति जलती हुई भी धुआंदार है अर्थात् अप्रकाशित है।अतः आत्मा को विवेक के घृत से प्रज्वलित रख वैराग्य के अभ्यास से पुष्ट कर योगी बन अनेक अविद्या में रत, अभाव में रत,अन्याय से पीड़ित, शोषित,मनुष्य रूपी दीपों को प्रखर जलाने अर्थात् प्रकाशित करने ही आया है यह दीपावली का पर्व।महर्षि दयानन्द की जलाई मशाल को अर्थात् परोपकार के कार्यों को हाथ में लेकर पुण्य कार्यों को तब तक लेकर आगे बढ़ना होगा,जब तक हम सभी दीप प्रदीप्त न हो जाएँ, चारों ओर प्रकाश न फैल जाए। हमारी भूमि हमारे मन्दिर, हमारा स्वास्थ्य, हमारी सम्पदा, हमारी संस्कृति हमारी गौ माता, इत्यादि सब ही तो हमारे धन हैं इन सभी धनों से हम सभी सुख- सौभाग्य, समृद्धि,शांति आनन्द को प्राप्त करें,सभी को भौतिक और आध्यात्मिक ऐश्वर्य प्राप्त हो, कहीं भी अन्न, रूप, ज्ञान, बल आनन्द रूपी धन की कोई कमी न हो यही शुभकामना बधाई व प्रेरणा देने आया है यह प्रकाश पर्व दीपावली।आओ दिया जलाएं- प्रेम का,करुणा का,मैत्री का,ज्ञान का।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मो से सुगंध आनी चाहिए।यदि आपकी उपस्थिति मात्र से किसी को प्रसन्नता मिले यही आदर्श जीवन है।जो आपके पास है उसे समाज के लिए समर्पित कर देना चाहिए।
मुख्य अतिथि आर्य नेत्री इंदुबाला सिंह ने कहा कि यदि महर्षि दयानंद न आते तो महिलाओं को सम्मान न मिलता। नारी शक्ति के उत्थान में उनका उल्लेखनीय योगदान रहाहै।
अध्यक्ष राजेश मेहंदीरत्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया ।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने महर्षि दयानंद जी के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया ।
गायिका दीप्ति सपरा, रजनी गर्ग,रजनी चुघ,प्रवीना ठक्कर, वीरेन्द्र आहूजा, मिथिलेश गौड़, ईश्वर देवी,जनक अरोड़ा,रामदेवी मदान आदि ने मधुर भजन सुनाये।
प्रमुख रूप से महेन्द्र भाई,ओम सपरा,प्रतिभा कटारिया,सुरेंद्र शास्त्री,आस्था आर्या,कमलेश चांदना,विमला आहूजा आदि उपस्थित थे ।
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