शिक्षाविद राम दुलार यादव द्वारा बहुजन नायक, मान्यवर काशीराम के जन्म दिन 15 मार्च 2022 पर विशेष लेख



समीक्षा न्यूज

सन्त कबीर, सन्त शिरोमणि रविदास, महात्मा ज्योतिराव फूले, डा0 भीमराव अम्बेदकर, बाबा गाडगे महराज के बाद यदि बहुजन समाज को समता, सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित करने में जिसने पूरा जीवन समर्पित कर दिया, वह नाम मान्यवर काशीराम है, उनका संघर्ष उन लोगों के विरुद्ध था जो देश के 80 प्रतिशत संसाधनों पर कब्ज़ा जमाये बैठा सदियों से शोषण कर मौज, मस्ती का जीवन जी रहा है, 80 प्रतिशत लोग अभाव, अशिक्षा, भूख और पीड़ा झेल रहे है, यही लोग मेहनत कर अन्न उपजाते है, गगनचुंबी इमारतें बनाते है, मिलों, फैक्टरियों में हड्डियाँ जलाते है, उन्हें न भरपेट भोजन मिलता है, न समाज में सम्मान, काशीराम ने मेहनतकश, कमेरावर्ग की बेबसी को बहुत नजदीक से अनुभव किया था, तथा उनका संकल्प और सपना था कि मै उपेक्षित और आर्थिक दृष्टि से कमजोर समाज को संगठित कर एक बड़ी ताकत के रूप में देश में खड़ा करूँगा, जिससे वह सम्मानजनक, गरिमापूर्ण जीवन जी सके, रात-दिन मेहनत कर संसाधनों के अभाव में भी नेपोलियन वोनापर्ट के कथन को अमलीजामा पहनाया कि “असंभव शब्द हमारे शब्दकोष में नहीं है” उत्तर प्रदेश में राजनीति की दिशा अपनी प्रतिभा और कौशल से बदल दिया, तथा बहुजन समाज को सरकार में हिस्सेदारी दिलवा राजनैतिक ताकत प्रदान किया| 



      मान्यवर काशीराम का कथन था कि “राजनीति मास्टर चाभी है, जिससे सारे बन्द दरवाजे खुलते है” उन्होंने मनुवादी वादी व्यवस्था का विरोध किया, उनका मानना था कि यह व्यवस्था सिर के बल खड़ी है, इसे बदलना है, तथा समानांतर व्यवस्था का निर्माण करना है, जिससे शिक्षा सर्व समाज को देकर समान अवसर के सिद्धान्त को मजबूत किया जाय| जब वह बहुजन समाज को संगठित कर रहे थे प्रभु जातियों के पत्रकार, व्यापारी, अधिकारी, समाजसेवी, यहाँ तक कि उच्च जाति के बाबा जो दूसरों के अन्न और वस्त्र पर जीवन निर्वहन करते है जिन्हें समाज में जातिवाद, धार्मिक पाखंड और विषमता दूर करने का उपदेश देना चाहिए, वह मान्यवर काशीराम से द्वेश रखते थे, पत्रकार बन्धु तो उनकी बात को तोड़-मरोड़ कर जनता के सामने पेश करते थे, सदियों से यह समाज, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिवर्तन में रोड़ा रहा, तथा जिन्होंने समाज को मुख्य धारा में लाने उनके अधिकारों से उन्हें अवगत कराने का कार्य किया, 15% लोगों को सांप सूंघने लगता है, वह तरह-तरह के षड्यंत्र कर अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए, जिससे उनकी पोल-पट्टी न खुल जाय,फूट डालो राज्य करो की नीति पर चलकर प्रगतिशील विचारों को दफ़न करने का कार्य करते है, काशीराम जी ने उन्हें चुनौती दी, तथा कहा कि “जितनी, जिसकी संख्या भारी, उतनी, उसकी हिस्सेदारी” समान अवसर दिया, काशीराम जी बेजुबान, घोर उपेक्षित समाज को शिक्षित और स्वस्थ्य समाज में बदलना चाहते थे, काशीराम के विचार और उद्देश्य भारतीय समाज में बुनियादी और संगठनात्मक बदलाव लाना है, जाति प्रथा का उन्मूलन करना जो बीमारी से ग्रस्त है| उनका मानना था हम सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे है, जब तक सामाजिक लोकतंत्र कमजोर होगा, राजनैतिक लोकतंत्र अधूरा है, उनका कथन था कि मै ऐसे नेता का नेतृत्व चाहता हूँ जो दलाली और नफरत से दूर रहे, वह महात्मा ज्योतिराव फूले, छत्रपति साहूजी महराज, ए0वी0आर0 रामा स्वामी, नारायण गुरु और डा0 भीमराव अम्बेदकर के विचारों को स्वयं में विकसित करें|

   आज मान्यवर काशीराम जी के जन्म दिन पर उन्हें स्मरण कर गर्व, गौरव का अनुभव हो रहा है, जिन्होंने दलित, पिछड़े, आर्थिक रूप से कमजोर, अशिक्षित समाज को राजनीति में पहचान दिला, नई क्रान्ति को सबल किया| हम आभारी है, नमन करते है, अभिनन्दन, वन्दन करते है|

                                                                                                                                             भवदीय 

                                                                                                                                राम दुलार यादव (शिक्षाविद)      

                                                                                                                                      संस्थापक/अध्यक्ष 

                                                                                                                               लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट                              


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