श्राद्ध कर्म से तृप्त पितृ अपने वंशधर को सभी सुखों का देते हैं आशीर्वाद-रमेश



वाचस्पति रयाल—समीक्षा न्यूज  


सप्ताह तक चली श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, विशाल भंडारे के साथ हुआ समापन

नरेन्द्रनगर। पांडेय परिवार द्वारा साहब नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का विशाल भंडारे के साथ समापन हो गया।

   बताते चलें कि श्री भरत मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रहे स्व०डॉक्टर भास्कर भूषण पांडेय के वार्षिक एको दिष्ट श्राद्ध के अवसर पर  समस्त पितरों की विष्णु सायुज्य मुक्ति हेतु पांडे निवास में परिवार के आस्थावान श्रद्धालुओं श्रीमती निर्मला देवी पांडे धर्मपत्नी स्वर्गीय डॉक्टर भास्कर भूषण पांडे एवं मुख्य यजमान हेमंत भूषण पांडे परिवार के सौजन्य से श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया।



    व्यास गद्दी पर विराजमान मुख्य कथावाचक आचार्य रमेश उनियाल ने वार्षिक एकोदिष्ट कथा का सार समझाते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जहाँ मन का शुद्धीकरण होता है,वहीं संशय दूर होते हैं और शांति व मुक्ति का पथ प्रशस्त होता है। प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है।

  प्रवचन करते हुए ज्ञानी आचार्य रमेश उनियाल ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण ही ज्ञान,भक्ति व वैराग्य की अनुभूति का रसपान करा कर भवसागर तारण कराता है।

 कहा कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रीति-रिवाजों से कराए गए श्राद्ध कर्म से तृप्त होकर पितृ अपने वंशधर को सपरिवार सुख,समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं।

 पिता,दादा व परदादा पित्रों के तारण निमित्त कराए जाने वाले श्राद्ध कर्म में उच्चारित मंत्रों और आहुतियों को ये तीनों पितृ अन्य सभी पित्रों तक ले जाते हैं। देवताओं और पितरों के कर्म में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए।

  पितृ जिस योनि में होते हैं,श्राद्ध का अन्न उसी योनि के अनुसार भोजन बन कर उन्हें प्राप्त होता है।

   प्रत्येक मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण ( देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण) से मुक्ति व मोक्ष के उपाय प्रक्रिया भी उन्होंने बतायी।

  आचार्य ने श्राद्ध में काला तिल व कुशा का भी बड़ा महत्व समझाया।साथ ही श्राद्ध पक्ष में उन्होंने कौए को   पितरों का वाहक बताते हुए कहा कि इसीलिए श्राद्ध का अंश कौए के लिए निकाला जाता है।

  श्राद्ध पक्ष के समय हिंदू संस्कृति में अपने पूर्वजों एवं माता-पिता के स्मरण में असीम श्रद्धा के साथ तर्पण, पिंडदान,यज्ञ तथा ब्राह्मणों सहित उपस्थित श्रद्धालुओं को भोजन कराने का बड़ा महत्व माना गया है।

   श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आचार्य रमेश उनियाल ने गीता,सुख सागर व महाभारत जैसे ग्रंथों के सारगर्भित प्रसंग भी आस्थावान श्रद्धालुओं को समझाये।

  श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए आस्था वान श्रद्धालुओं की पांडे भवन  पाँडाल में भीड़ जुटी रही।

  बताते चलें कि स्वर्गीय डॉक्टर भास्कर भूषण पांडे, उत्तराखंड के जाने-माने ज्योतिषाचार्य डॉ ललिता प्रसाद पांडे के जेष्ठ पुत्र थे,जिनकी मौत पिछले वर्ष कोरोना से हुई, तब डॉक्टर भारत भूषण 47 वर्ष के थे,

  इस देव कार्य करने के लिए क्षेत्र के लोगों ने डॉक्टर भास्कर की पत्नी श्रीमती निर्मला पांडेय व हेमंत भूषण पांडेय सहित उमा पांडेय,प्रेम लाल पांडेय,शांति प्रसाद पांडेय,दिवाकर पांडेय,भुवनी पांडेय,मनोदरी पांडेय व अनीता पांडेय की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

  आचार्य मंडली में व्यास गद्दी पर विराजमान रमेश उनियाल के अलावा प्रमोद केमनी,रवि भूषण सेमवाल, प्रमोद कुलियाल,रघुवीर रयाल,सुनील गौड़़ व विकास मैठानी थे।

 विशाल भंडारे के साथ श्रद्धालुओं द्वारा प्रसाद ग्रहण कर भागवत कथा का समापन हो गया।

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