धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। आज समाज में मीडिया की छवि कुछ खास नहीं रह गयी। जो इज्जत कर रहा है वो कर रहा है और नहीं कर रहा वो नहीं कर रहा है। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने के बावजूद भी अपने लिए कुछ खास पहचान नहीं बना पा रहा है। आए दिन मीडिया कर्मियों के साथ अभद्रता, गाली गलौच, मारपीट, धमकी मिलना साथ ही मीडिया कर्मी का मर्डर होना भी आम सी बात हो गयी है। इसके साथ मीडियां कर्मियों पर झूठे मुकदमें होना, हनी ट्रैपिंग का आरोप लगाना सहित ब्लैक मेलिंग जैसे मामलों में फसाना भी आम बात हो गयी। ऐसे में मीडिया कर्मी करें तो क्या करें? जनता कहती है कि मीडिया कुछ नहीं करती।
सोशल मीडिया पर लोगों मीडिया की धज्जियां उडाते नज़र आ रहे है। यह सब होने के बाद भी लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ मीडिया शांत है। कुछ भले मानसों की गलत नीतियों के कारण पहले मीडिया को 3 भागों में बांटा गया जिसमें देखने वाली मीडिया इलैक्ट्रोनिक, सुनने वाली मीडिया रेडिया और पढ़ने वाली मीडिया प्रिंट में। इतने पर भी भले मानसों के मन को शांति नहीं मिली तो प्रिंट मीडिया को भी तीन भागों में बांट दिया बड़े समाचार पत्र, मध्यम समाचार पत्र और लघु समाचार पत्र। और कहते हैं न कि छोटे बड़े से ही सीखते है तो भले मानसों की सिखलाई सीख ने ऐसी रंग दिखाई कि लघु समाचार पत्र ने भी अपने आप में तीन वर्ग कर डाले जिसमें पहला वर्ग लघु रंग पेपर, दूसरा वर्ग लघु श्वेत पेपर और तीसरा वर्ग में साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक सहित अन्य वर्गों को डाल दिया।
कुछ समाचार पत्रों के सम्पादकों से इस विषय पर चर्चा हुई जिसमें प्रिंट मीडिया से जुड़े तीन सवाल किये गये कि उनके नजरियों में मीडिया की जिम्मेदारी, परेशानी एवं उनके सुझाव मांगे जिनका विवरण नीचे है:—
जिम्मेदारी: हम लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि समाज में जो भी गलत कार्य हो रहे हैं उसको अपने स्तर पर उजागर करना, लोगों को जागरूक करना साथ ही सच्चाई और निर्भिकता के साथ अपनी बात रखना।
समस्या: आज मीडिया के सामने बहुत बड़ी समस्या यह है कि लोगों की नज़र में मीडिया का जो प्रभाव है वह धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। उसके लिए कहीं न कहीं पत्रकार, सामाजिक परिस्थितियों और प्रशासन द्वारा समुचित सहयोग न मिलना बहुत बड़ा कारण बन गया है। आम आदमी के अन्दर और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों के राजनीतिक परिदृश्य कहें या आर्थिक वर्चस्व दोनों कारणों से मीडिया का स्तर गिरता जा रहा है।
सुझाव: इसके लिए पेशागत और निर्भीक पत्रकारों को एक बार भी संकल्पित होकर कार्य करना होगा ताकि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया की गरिमा को वापिस लाया सके।
—संजय त्रिपाठी, सम्पादक सर्वोदय शांतिदूत
जिम्मेदारी: समाज में स्वच्छ छवि से कार्य करते हुए पूर्ण ईमानदारी एवं निष्ठा भाव से उसे प्रकाशित करें।
समस्या: पत्रकारों के लिए यह बड़ा संकट का दौर है, जिसमें लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों का सरकार शोषण कर रही है जबकि लघु एवं मध्यम समाचार पत्र अपनी भूमिका को बड़ी ही जिम्मेदारी से निभा रही है।
सुझाव: सरकार को चाहिए कि सभी समाचार पत्रों एवं पत्रकारों को एक समान दृष्टि से देखना चाहिए।
—अशोक कौशिक, सम्पादक—हिन्द आत्मा
जिम्मेदारी: समाज में फैली कुरीतियों एवं समाज में हो रहे कार्यक्रमों सहित प्रेरणा स्रोतों को समाचार पत्र के माध्यम से जनता के समक्ष रखते हैं ताकि समाज में फैली कुरीतियों
दूर हो सके, आयोजकों का हौसला अफजाई हो, प्रेरणा स्रोतों से अन्य लोग प्रेरणा ले सकें.,
समस्या: समाचार पत्र को चलाने में आर्थिक तंगी साथ ही कई जगह पर सम्मान ना मिलना, पत्रकारों में एकता ना हो ना औरपत्रकारों में एकता ना हो ना और शासन प्रशासन द्वारा पूरा सहयोग न मिलना
सुझाव: मीडिया कर्मियों की समस्या के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और सभी पत्रकारों को मिलकर रहना चाहिए
-प्रेम श्रीवास्तव, संपादक-आज का मतदाता
जिम्मेदारी: सामाजिक घटित घटनाओें एवं उतार चढ़ाव सत्यता के साथ समाज के जिम्मेदार नागरिकों एवं उससे सम्बंधित शासनिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाना। ताकि सम्बंधित समस्या का निवारण हो सके।
समस्या: पत्रकारों पर सम्बंधित घटनाओं को प्रकाशित करने या ना करने को लेकर दवाब बनाया जाता है। कहीं कहीं पर अपशब्दों के साथ दुव्यर्वहार भी किया जाता है।
सुझाव: पत्रकार एक सुत्रधार है जो जनता और जनता जर्नादन को जोड़ता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वे पत्रकारों के सुरक्षा एवं सम्मान के लिए कार्य करें। साथ ही उनके साथ समन्वय बिठायें। ताकि पत्रकार समाज को सही दिशा दे सके।
—मीनाक्षी शर्मा, सम्पादक—दीपक बंधु
जिम्मेदारी: पत्रकारों पर जो लोगों का विश्वास है उसे हमें बनाये रखना है इसके लिए निश्पक्ष पत्रकारिता करना हमारा दायित्व है।
समस्या: शासन व प्रशासन के द्वारा लघु समाचार पत्रों की उपेक्षा की जाती है जबकि सभी समाचार पत्रों को सरकार ही पंजीकृत करती है।
सुझाव: पत्रकारों को एकता के साथ कार्य करना चाहिए तथा शासन प्रशासन को सभी पत्रकारों व समाचार पत्रों को सहयोग करना चाहिए।
विमल कुमार, सम्पादक— आनन्द धारा
जिम्मेदारी: मीडिया समाज का आईना है, जो दबे, कुचले, वंचित लोगों की समस्याओं को उजागर करता है तथा समाज में फैली कुरितियों को दूर करने में मीडिया की अहम भूमिका है। अगर मीडिया ना होती तो भ्रष्टाचार की भेट चढ़ जाता देश।
समस्या: शासन प्रशासन द्वारा मीडिया का पूर्ण सहयोग नहीं किया जाता है। निश्पक्ष पत्रकारिता करने वाले कई मीडिया कर्मियों की हत्या कराई गयी है। और अनेक पत्रकारों को धमकियां मिलती रहती है।
सुझाव: सरकार को चाहिए कि मीडिया का सहयोग करे और शासन प्रशासन को आदेशित किया जाये कि मीडिया कर्मियों की बातों एवं उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से निस्तारण किया जाये।
— प्रमोद मिश्रा, सम्पादक—लोनी उदय
जिम्मेदारी: समाज में फैली कुरूतियों को अपने स्तर पर उजागर करते हुए शासन प्रशासन तक पहुंचाना। पीड़ितों का आवाज को सरकार तक पहुंचाना।
समस्या: अनेको बार पीड़ित द्वारा बताई गयी समस्या से पीछे हटना, साथ ही शासन प्रशासन का सहयोग ना मिलना। अनेक जगहों पर पत्रकारों के साथ अभ्रदता होना। समस्या उजागर होने पर पत्रकारों पर झूटे मुकदमें होना।
सुझाव: शासन प्रशासन को सही गलत देखते हुए पत्रकारों का सहयोग करना चाहिए। साथ ही किसी भी पत्रकार के साथ बदशलूकी ना हो इसका ध्यान रखना चाहिए।
अमित तंवर— सम्पादक—तंवर न्यूज
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