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जब देश अंग्रजों के कब्जे में था तब स्वतंत्रता आन्दोलन के वरिष्ठ क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा बम बनाते हुए असमय ही शहीद हो गए थे ,उस समय उनकी पत्नी दुर्गा वती (जो इतिहास में दुर्गा भाभी के नाम से प्रसिद्ध हुई) ने गोद में छोटा बच्चा होते हुए अपने पति को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हौसला दिखाया और क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की हर मोर्चे पर मदद करती रही।वह निडर होकर अंग्रेजी सरकार की आंखों में धूल झोंकने के लिए क्रान्तिकारियों के साथ सफर करती थी तथा उन्हें हथियार पहुंचाने का काम भी वही करती थी। गाजियाबाद निवासियों को गर्व है कि ऐसी विरांगना दुर्गा भाभी 1935 में गाजियाबाद प्रवास के दौरान कन्या वैदिक इंटर कालेज में शिक्षिका भी रहीं। देश आजाद होने के बाद अपने अंतिम समय में 1983 से मृत्युपरंत 1999 तक अपने राजनगर सैक्टर- 2 स्थित आवास में रहीं। दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना उनके प्रति बहुत श्रद्धा रखते थे जब तक वह रहे उनको प्रति वर्ष एक लाख की राशि देने आते थे। गाजियाबाद के पत्रकारों की पुरातन संस्था "गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स क्लब" ने भी देश की आजादी में अतुलनीय योगदान के लिए उनके निवास पर जाकर उनका सम्मान किया था और उनके मुख से उनके संस्मरण भी सुने थे।उसी ऐतिहासिक क्षण के कुछ चित्र भी साझा कर रहा हूं। उल्लेखनीय है गाजियाबाद के पार्षद राजीव शर्मा उस समय दैनिक जागरण के पत्रकार थे।जब वह पत्रकारिता छोड़ राजनीतिक जीवन में उतरे तो सबसे पहले उन्होंने स्थानीय नवयुग मार्केट के पास सिहानी गेट चौराहे पर उनकी प्रतिमा स्थापित कराई तथा उस चौराहे का नाम "दुर्गा भाभी चौराहा" कराया। प्रति वर्ष वह वहां श्रद्धांजलि समारोह भी आयोजित करते हैं। ऐसी महान वीरांगना दुर्गा भाभी को नमन है।
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