तुमसे हुई मोहब्बत का दाम बता दो न
हम गरीबो को भी तुम नाम बता दो न
तेरे शहर में हम अजनबी से ठहरे कुछ
हमारे नाम की अपनी शाम बता दो न
आ जाएंगे हम चाँद बनकर के ईद को
कहाँ मिलोगे रात को ,बाम बता दो न
तेरी तलाश में एक उम्र कटी है अपनी
जहाँ मिल जाओगे ,मुकाम बता दो न
सुनो कल सपनों को सजा आना तुम
पियेंगे हम आँखों से ,जाम बता दो न
हमें नसीब हो तेरे यह दिल की दौलत
बन कर मालिक,हमें गुलाम बता दो न
बनकर मालिक हमें
अशोक सपड़ा हमदर्द
प्रस्तुति समीक्षा न्यूज
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