समीक्षा न्यूज संवाददता
गाजियाबाद। सेमीफाइनल में भारत की शर्मनाक हार हुई, इंग्लैंड के हाथों क्रिकेट में हार-जीत खेल का हिस्सा होती है, परंतु लड़कर हारना अलग बात होती है, जिस प्रकार इंग्लैंड ने भारत को 10 विकेट से 4 और पहले हराया, वो टीम के कलाई खोलने वाला रहा, पूरे मैच में टीम इंडिया का प्रदर्शन स्तरहीन रहा, कप्तान रोहित शर्मा का ये कहना कि टीम दबाव में नहीं खेल पाए हास्यास्पद है, आखिर आईपीएल खेलने का क्या फायदा जब आप के खिलाड़ी प्रेशर नहीं झेल सकते, कल के प्रदर्शन को देखा जाए तो भारतीय गेंदबाजी आक्रमण स्तरहीन दिखा, भुवनेश्वर कुमार अपने ओवर की दूसरी गेंद पर विकेटकीपर को ऊपर बुला लेते हैं इससे सवाल उठता है कि वो तेज गेंदबाज हैं या स्पिनर, आपके पास तेज गेंदबाज आवेश खान, सिराज व पटेल हैं जो कि 145 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकते हैं पर समझ से परे है कि ऑस्ट्रेलिया की तेज विकटों पर उनका चयन क्यों नहीं हुआ, स्पिन गेंदबाजी की बात करें तो जहां हर एक टीम अपने कलाई के स्पिनरों को खिला रही है वही आप अश्विन व अक्षर को ही लगातार खिला रहे हैं, जबकि आपके पास चहल जैसा गेंदबाज बेंच पर बैठा है, कप्तान, कोच व सिलक्टरों को ये बताना चाहिए कि जिस विकेट पर आदिल, रशीद चार-चार ओवर में 20 रन देकर दो विकेट ले रहा है वहां पर चहल को क्यों नहीं खिलाया गया जबकि सेमीफाइनल की सारी टीमों ने कलाई के स्पिनरों को खिलाया, हमारे सिलेक्टरों ने एशिया कप से कुछ नहीं सीखा वहां पर भुवनेश्वर कुमार की जबरदस्त पिटाई हुई पर फिर भी हमने उसका विकल्प नहीं खोजा जबकि ऑस्ट्रेलिया में आपको 140 किमी0 से ज्यादा की गति वाला गेंदबाज चाहिए, टीम की गेंदबाजी का सारा दवाब अर्शदीप पर आ गया जिसने बेहतरीन प्रदर्शन किया, परंतु हमारे पास कई बेहतर विकल्प मौजूद थे बैटिंग की बात करें तो पूरी बैटिंग विराट कोहली और सूर्य कुमार यादव के इर्द-गिर्द घूमती रही, ओपनरों ने पावरप्ले में कोई बड़ी भागीदारी नहीं की, ऐसा लगता है कि खिलाड़ी अपनी सारी ऊर्जा आईपीएल में ही खर्च कर देते हैं, भारतीय क्रिकेट बोर्ड को सोचना पड़ेगा कि आईपीएल जरूरी है या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सबसे अमीर बोर्ड होने के बावजूद हम 11 खिलाड़ी नहीं निकाल पा रहे जो आपको कप जिता सके, इस हार की जिम्मेदारी सिलेक्टर से लेकर कोच, कप्तान सभी की है.
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