वेद प्रचार परिषद द्वारा बहुकुण्डीय यज्ञ सौल्लास सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

स्वामी दयानंद ने अज्ञान के खिलाफ युद्ध शुरू किया था जिसे आर्यों आज भी जारी रखना होगा-डा जयेन्द्र आचार्य

गाजियाबाद। वेद प्रचार परिषद के तत्वावधान में बहुकुण्डीय यज्ञ संकल्प वाटिका पार्क, सैक्टर-15 ,वसुन्धरा में मास्टर निरंजन कुमार की अध्यक्षता में  सौल्लास सम्पन्न हुआ।

आर्य जगत की सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका शकुन्तला आर्या एवं देश भूषण चावला ने भजनों द्वारा ऋषि महिमा एवं ईश भक्ति का गुणगान किया जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे।

महायज्ञ के ब्रह्मा एवं मुख्य वक्ता डा जयेन्द्र आचार्य (कुलपति आर्ष गुरुकुल नोएडा) ने बहुकुण्डीय यज्ञ सम्पन्न किया यज्ञ महिमा एवं वेद महिमा का गुणगान करते हुए उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हमने इतिहास में विभिन्न युद्ध पढ़े हैं लेकिन स्वामी दयानंद ने पहली बार अज्ञान के खिलाफ अंतहीन युद्ध शुरू किया था,उन्होंने कहा इंसान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान है, अविद्या है,इसलिए अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।स्वामी दयानंद चाहते थे दुनियां में वेद का पठन-पाठन हो, शास्त्र के बिना तर्क खोखला होता है,सत्य की कोई मेरिट नहीं होती इसलिए आपने सूर्य बनना है तभी अंधेरा मिटेगा।उस कुशल वैघ ने भारत की बीमारी को पहचाना और उसका इलाज किया शास्त्र, तर्क,विज्ञान और फिर सत्य को खोजा।महर्षि दयानंद इस धरती पर सत्य का प्रचार चाहते थे और इसके लिए उन्होंने गुरु मंत्र दिया है सत्य के ग्रहण और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।

केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय मंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद के जीवन पर चर्चा करना सामान्य कार्य नहीं है 22 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सच्चे शिव की तलाश में निकलकर मथुरा स्थित गुरु विरजानंद जी की कुटिया में पहुंचे,दरवाजा खटखटाया अंदर से आवाज आई कौन? दयानंद बोले यही जानने के लिए आया हूं?कि मैं कौन हूं? उस दिन गुरु विरजानंद की कुटिया का द्वार नहीं खुला था अपितु भारत की किस्मत का दरवाजा खुला था,उन्होंने गुरु जी से 3 वर्ष की अवधि में जो सत्य ज्ञान प्राप्त किया और 20 वर्ष तक सत्य का प्रचार करते हुए कहा कि शमा की भांति जल रहा हूं,बुझ तो जाऊंगा लेकिन रोशनी कर जाऊंगा।

मुख्य अतिथि वेद प्रकाश आर्य, प्रधान आर्य समाज वसुन्धरा ने कहा कि हमने जीवन में एक बात सीखी है जो अच्छी बात सुनते हैं उसे अपनाएं,करनी कथनी में अंतर ना रखें,परमात्मा में विश्वास रखें,महर्षि दयानंद के कार्यों को याद रखें,उस पर चलने का प्रयास करें।

समारोह के अध्यक्ष अध्यक्ष मास्टर निरंजन कुमार (आर्य समाज टीला) ने कहा कि ऋषि दयानन्द ने राष्ट्र एवं समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति प्रदान कर दी और उनके द्वारा लिखित ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश की प्रेरणा से कितने ही क्रांति कारियों ने राष्ट्र की आजादी प्राप्त करने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।

मंच का कुशल एवं सफल संचालन यशस्वी प्रधाना ममता चौहान ने किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती आशा चौहान,प्रवीन चौधरी,रश्मि चौहान,संतोष वैश्य, प्रीति चौहान,पूजा चावला,प्रज्ञा चौहान,संगीता आर्या,सुधा राणा एवं यज्ञवीर चौहान,त्रिलोक शास्त्री,देववृत्त चौहान आदि उपस्थित थे।


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