नरेन्द्र कश्यप, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग मोर्चा / राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने की प्रेसवार्ता



धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

कल सूरत की अदालत के न्यायिक निर्णय में श्री राहुल गाँधी को ओ०बी०सी० समाज के सरनेम पर अपमानजनक टिप्पणी करने पर अपशब्द कहने पर सजा दी गयी। यह पूरी कानूनी प्रक्रिया 04 साल तक चली। क्या कांग्रेस पार्टी का अंहकार और राहुल गाँधी का अहंकार देश के कानून से बड़ा है ?

क्या किसी समाज के सरनेम को जो सरनेम लगाकर के ओ०बी०सी० समाज अपने सामाजिक पहचान को रखते हों, उसको अपशब्द कहना, उसको अपमानित करना क्या यह किसी राष्ट्रीय नेता का कार्य हैं ? कोर्ट द्वारा भी उनको बार-बार समझाने और अपनी गलती की माफी मांगने का अवसर दिया गया, तो भी अपने अंहकार में उसको स्वीकार नहीं किया गया और राहुल गाँधी का यह लगातार अपशब्द कहना, झूठ कहना, असत्य कहना, यह उनकी आदत में शुमार है।

केवल किसी जाति या समाज को अपमानित करना ही नहीं, बल्कि उन्होंने लंदन में जाकर पूरे भारत, भारत के संविधान और भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी अपमानित करने का कार्य किया है। कोई भी देश का राष्ट्रीय नेता जाकर के भारत के लोकतंत्र के लिए विदेशी शक्ति का आह्वन करे यह देश का सबसे बड़ा अपमान है, और हमारे देश की जिस संसदीय परम्परा को, जिस संसदीय वाद विवाद को पूरी दुनिया में मान्यता दी जाती है, उस पर अनर्गल आरोप लगाना, उस पर झूठे आरोप लगाना - यह इस बात को सिद्ध करता है कि राहुल गाँधी देश को बदनाम करने का काम कर रहे हैं।

राहुल गाँधी न केवल लगातार इस तरह के अफेन्स करने के आदी रहे हैं, बल्कि उनकी मनोव्यक्ति में ही छोटे समाजों के प्रति, ओ०बी०सी० समाज के प्रति इस तरह के अपमान करने की भावना उनके शब्दों से प्रदर्शित होती है और इसलिए हमारा तो यह मानना है कि अगर आप एक समाज विशेष को पूरी तरीके से इस प्रकार से अपमानित करते हो, तो यह भारत जोड़ो नहीं, भारत तोड़ो है।

इनके एजेंडे में जो टुकड़े-टुकड़े भारत की कल्पना है, समाज को बॉटना, समाज को तोड़ना, उनको अपमानित करना, छोटे समाज को अपमानित करना, ओ०बी०सी० समाज को अपमानित करना, भारत के लोकतंत्र को अपमानित करना, भारत के लोकतंत्र पर प्रश्न चिन्ह उठाना, विदेश की धरती पर जाकर भारत के लोकतंत्र के बारे में मिथ्या और अनर्गल प्रचार करना, झूठ बोलना, असत्य बोलना और उसके बाद भी अंहकार में रहना राहुल गाँधी जी की फितरत है।

भारत जो एक मजबूत देश के रूप में प्रतिष्ठित है उसके उपर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा करना राहुल गाँधी की आदत बन चुकी है। इसलिए हमारा मानना है कि सूरत की अदालत का यह जो निर्णय आया है, यह कानूनी प्रक्रिया के तहत आया है। आश्चर्य होता है कि कांग्रेस न्यायिक निर्णय पर ही सवाल उठा रही है, प्रश्न चिन्ह उठा रही है।

चार साल तक यह मामला चला। वह लगातार एपियर हुए, उनके वकील, उनकी तरफ से आमेंट हुए। इसके बाद कल पूरी तरह से न्यायिक निर्णय दिया गया है। हमारा मानना है कि कांग्रेस पाटी और राहुल गाँधी ने पूरे देश के ओ०बी०सी० समाज का सरनेम लेकर जो अपशब्द कहा है, वह निन्दनीय है, भर्तसनीय है, और वह दोषी हैं। राहुल गाँधी को व्यक्तिगत रूप से और सबको इस न्यायिक निर्णय का सम्मान करना चाहिए।

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