संस्कृत संस्थान द्वारा पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ




धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

पुरोहित भारतीय समाज और संस्कृति का पुरोधा रहा है- स्वामी सुर्यवेश

पुरोहित धर्म का ध्वजा वाहक होता है-डा राज कुमार

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित 2023-24 प्रथम सत्र पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ शम्भु दयाल दयानन्द वैदिक संयास आश्रम,दयानंद नगर में स्वामी सूर्यवेश जी के सानिध्य में आश्रम के ब्रह्मचारीयों आचार्य एवं प्रशिक्षणार्थियों,मुख्य अतिथि योगी प्रवीण आर्य,वशिष्ठ अतिथि डा प्रमोद सक्सेना के साथ डा राज कुमार आर्य की अध्यक्षता में गायत्री मंत्र द्वारा दीप प्रज्वलित कर प्रारंभ हुआ।

योगी प्रवीण आर्य ने भजनोपदेश के माध्यम से समा बांध दिया।

शुभारंभ के शुभ अवसर पर आश्रम के उपाध्यक्ष स्वामी सूर्यवेश ने कहा कि पुरोहित भारतीय समाज और संस्कृति का पुरोधा रहा है,वह केवल कर्मकांड का दिशानिर्देश या धार्मिक कार्यक्रम का संचालन ही नहीं बल्कि पूरे जीवन को दिशा देता रहा है।जन्म होने के पहले गर्भस्थ होने से लेकर मृत्यु के उपरांत जन्मांतर तक जीवन की हर सामूहिक एवं व्यक्तिक घटना में सत्य परामर्शदाता एवं पथ प्रदर्शक के रूप में पुरोहित व्यक्ति एवं परिवार से सर्वदा-सर्वदा जुड़ा रहता है।इस प्रकार पुरोहित भारतीय सामाजिक व्यवस्था का एक अभिन्न अंग है,भारतीय राजतंत्र में तो पुरोहित को सचिव,वैद्य,गुरु सब कुछ माना गया है राज्य में युद्ध,बीमारी, अकाल आदि किसी संकट में राजपुरोहित जन कल्याण के लिए परामर्श अथवा निर्देश देता रहा है।वही शांति की स्थिति में राज्य के विस्तार एवं समृद्धि के लिए भी उसकी सदा ही निर्णायक भूमिका रही है।

डा आरके आर्य (निदेशक स्वदेशी आयुर्वेद हरिद्वार) ने कहा कि भारतीय जीवन पद्धति में संस्कारों की अपनी अलग-अलग विशेषता है जीवन में इनकी पग-पग पर अनिवार्यता है, संस्कार से ही मानव जीवन मे सब गुणों का समावेश होता है।पुरोहित धर्म का ध्वजा वाहक होता है,पुरोहित घरों-घरों में जा जा कर मंत्रों के द्वारा घरों के वातावरण को शुद्ध-पवित्र करता है और व्यक्ति,परिवार,समाज व राष्ट्र की शुभकामनाएं करता है।

इस अवसर पर आश्रमाचार्य जितेन्द्र आचार्य,डा प्रमोद सक्सेना (प्रबंध निदेशक बीएलजे हाई स्कूल) श्रीमती अलका जैन

एवं संजीव कुमार आदि ने भी अपने सम्यक विचार रखे।

कार्यक्रम संचालन एवं पुरोहित प्रशिक्षक डॉ. अग्निदेव शास्त्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान अपने प्रशिक्षकों के द्वारा पुरोहित-कर्म प्रशिक्षण आदि क्रियाओं को अपने प्रशिक्षकों के द्वारा प्रदेश के अनेक जनपदों में निरंतर संचालित करता रहता है।जिससे समाज में हमारी प्राचीन धर्म-संस्कृति परंपराओं की रक्षा हो सकें।

शांतिपाठ भोजन प्रसाद के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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