धनसिंह—समीक्षा न्यूज
यज्ञोपवीत आर्य संस्कृति का परिचायक है-आचार्या श्रुति सेतिया
नारी जाति को वेद-गायत्री मंत्र पढ़ने का अधिकार महर्षि दयानन्द ने दिया-अनिल आर्य
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "वीर हकीकत और यज्ञोपवीत" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 563 वां वेबिनार था।
वैदिक प्रवक्ता आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि वीर हकीकत धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हो गए पर हिन्दू धर्म नही बदला।वह अपने यज्ञोपवीत की रक्षा के लिए बलिदान हो गए ऐसे वीरों का जीवन आने वाली पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।उन्होने कहा कि वीर हकीकत राय ने धर्म विवाद की लड़ाई में अपना धर्म परिवर्तन के बजाय अपना सिर कटवा देना स्वीकार कर लिया। बसंत पंचमी के दिन 14 वर्ष के बालक हकीकत राय को मृत्यु दंड दे दिया गया।वीर हकीकत राय ने अपने धर्म को अपने जीवन से बड़ा माना और धर्म की रक्षा के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी और सदा सदा के लिए अमर हो गए।प्रत्येक जाति में शरीर,मन, बुद्धि और आत्मा की शुद्धि तथा विकास के लिए विभिन्न प्रकार के संस्कारों का विधान है।संसार की सर्व प्राचीन और सर्वाधिक सभ्य एवम् सुसंस्कृत आर्य जाति ने अपने प्रत्येक सदस्य के लिए जिन संस्कारों की व्यवस्था की है उनमें यज्ञोपवीत का विशेष महत्व है। संसार में जन्म लेते ही मनुष्य अनेक ऋण में बंध जाता है। उसका प्रथम ऋण तो उसके जन्मदाता माता पिता होते हैं। यज्ञोपवीत का प्रथम सूत्र इसे धारण करने वाले को पितृ ऋण का सदा स्मरण कराता है।दूसरा सूत्र आचार्य के ऋण से ऊऋण होने की सूचना देता है।तृतीय धागा उन पुरातन ऋषियों के ऋण से ऊऋण होने का संतेक देता है जिन्होंने वेद मंत्रों में विहित तत्वों का अपनी ऋतंभरा प्रज्ञा के द्वारा साक्षात्कार किया।मध्यकाल में यज्ञोपवीत का प्रचलन समाज के कुछ वर्गों तक ही सीमित रह गया था।अनेक जातियों में तो विवाह के एक दिन पूर्व ही यज्ञोपवीत का विधान किया जाने लगा है जबकि यज्ञोपवीत और वेदारम्भ दोनों संस्कार युगापत अर्थात एक के बाद एक होने चाहिएं।पुरातन इतिहास से प्रमाणित होता है की उस युग में नारियां भी व्रतबंध (यज्ञोपवीत) ग्रहण करती थीं। आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य की सर्वागीर्ण उन्नति के प्रतीक यज्ञोपवीत संस्कार का पुनः प्रचार हो ताकि हम अपनी सर्वाधिक उन्नति के प्रति सचेत होकर आर्योचित कर्तव्य कर्मों का पालन कर सकें।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि गायत्री मंत्र और वेद पढ़ने का अधिकार महर्षि दयानंद सरस्वती ने महिलाओ को प्रदान किया कुछ लोगो का ऐसा कहना कि महिलाओ को अधिकार नहीं है दुर्भाग्य पूर्ण है।आर्य समाज बिना किसी भेद भाव के सभी को गुरुकुलों में शिक्षा प्रदान करता है।
मुख्य अतिथि डॉ. रचना चावला व अध्यक्ष शारदा कत्याल ने वीर महापुरुषों की कहानियां अपनी संतानों को सुनाने का आह्वान किया।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि हम श्रावणी पर हजारों युवाओं को यज्ञोपवीत संस्कार करवायेंगे।
गायिका प्रवीणा ठक्कर, कमलेश चांदना, सरला बजाज, आदर्श सहगल, गीता शर्मा, ईश्वर देवी, कमला हंस आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किए।
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