योग एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से संपन्न




श्रीकृष्ण धर्म के पर्याय थे-प्रवीण आर्य

गीता ज्ञान को प्राप्तकर अर्जुन का मोह दूर हो गया था - वीना वोहरा

समस्या का समाधान गीता-डा प्रमोद सक्सेना

गाजियाबाद। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान जानकी वाटिका कक्षा द्वारा योग एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास से सन्त निवास,नेहरू नगर में एवं ऑनलाइन मनाया गया,जन्मोत्सव में भजन व प्रवचन के कार्यक्रम आयोजित किये गये।

योगी प्रवीण आर्य ने ओ३म् की ध्वनि व गायत्री मंत्र एवं दीप प्रज्वलित कर सत्र का शुभारंभ किया उन्होंने साधकों को ताड़ासन,विरेचन क्रिया,आर्ट ऑफ लिविंग भास्रिका का अभ्यास कराया,हाथों पैरों के सूक्ष्म व्यायाम कराए साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने,हार्ट को मजबूत करने के अभ्यास कराए और उनके लाभों की चर्चा की।उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि योगीराज श्रीकृष्ण ने नीति और अध्यात्म को एक सूत्र में गूँथ कर राजनीति,समाज नीति तथा दर्शन के क्षेत्र में उत्कृष्ट क्रान्ति का शंखनाद किया।महाभारत के प्रणेता योगीराज श्रीकृष्ण धर्म के पर्याय थे।लोक संग्रह से भारत को महान् भारत बनाने वाले कृष्ण जहाँ होते थे वहाँ धर्म होता था और जहाँ धर्म होता था अन्ततः वहाँ विजय होती थी।धर्म के कारण ही श्रीकृष्ण का जीवन आप्त महापुरुष के सदृश था,युद्ध क्षेत्र से लौटते हुए भी सन्ध्या काल हो जाने पर वे सन्ध्या व योगाभ्यास अवश्य किया करते थे।हमें उस आध्यात्मिक बहुगुण सम्पन्न महापुरुष के जीवन से अध्यात्म,राष्ट्र नीति व धर्माचरण की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिये।

गायिका सुमन बंसल,वीना गुप्ता, दर्शना मेहता,सीमा अग्रवाल,नूतन वार्ष्णेय,अनुराधा अरोड़ा,रीतू सिंघल एवं पूजा निश्चल आदि ने श्रीकृष्ण गौरव गाथा के गीतों से योगीराज के गुणों का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं का मार्ग दर्शन किया।

संस्थान की वरिष्ठ योग शिक्षिका एवं उत्सव की मुख्य संयोजिका वीना वोहरा ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की बधाई देते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि संसार मे धार्मिक ग्रन्थों में ‘‘श्रीमदभग वद- गीता” सबसे अधिक लोकप्रिय ग्रन्थों में से एक है। इस ग्रन्थ की एक विशेषता यह है कि इसे अन्य धर्मों के लोग भी जिज्ञासा,श्रद्धा एवं रूचि से पढ़ते हैं और इसे संसार में उपलब्ध धार्मिक साहित्य सर्वोत्तम मानते हैं। इसका कारण यह है कि इसमें आध्यात्मिक ज्ञान के वह सिद्धान्त,विचार व शिक्षाएं हैं,वह अन्य धर्मों से उत्कृष्ट व सबकी आत्माओं द्वारा सहज रूप से स्वीकार्य होते हैं।अन्य धर्म ग्रन्थों में गीता के समान ईश्वर, जीवात्मा, योग व कर्तव्य सम्बन्धी ज्ञान उपलब्ध नहीं होता।ज्ञातव्य है कि गीता में पद्य शैली में 700 श्लोक हैं।यह महाभारत का अंग है जिसे महर्षि वेदव्यास ने लिखा है।गीता का ऐतिहासिक कथानक महाभारत की युद्ध भूमि में योगेश्वर कृष्ण के मित्र,शिष्य व सखा धनुर्धारी अर्जुन को विषाद होने पर उन्हें दी र्गइं शिक्षायें व ज्ञान है।इस ज्ञान को प्राप्त कर अर्जुन का मोह व विषाद दूर हो गया था और पूरे आत्म विश्वास एवं दृढ़ संकल्प के साथ वह युद्ध करने के लिए समुद्यत हो गये थे। गीता में ईश्वर,जीवात्मा,धर्म,कर्म, यज्ञ,योग,पाप,पुण्य,क्षत्रिय का धर्म आदि नाना विषयों पर अनेक सारगर्भित बातें भी हैं।

डा प्रमोद सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता मानव मात्र के लिए समस्त समस्याओं का महासमाधान है।जीवन के सर्वांगीण स्वरूप का सुंदरतम चित्रण है।जिन भारतीय मनीषी चिंतकों ने इस पावन ज्ञान में अवगाहन किया है।उनका जीवन धन्य हो गया है।एकबार श्रद्धा से पूरी गीता पढ़ो।श्रीकृष्ण से अपार ज्ञानप्रेम हो जायेगा। इस उत्सव में माता यशोदा का रोल जॉली शर्मा ने,श्रीकृष्ण का रोल वीना वोहरा व राधा का रोल मीनाक्षी अग्रवाल ने करके डांडिया नृत्य किया जोकि आकर्षण का केन्द्र रहे। योगी राम प्रकाश गुप्ता ने सुन्दर आयोजन के लिए आयोजकों एवं श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं और बधाई व्यक्त की। इस अवसर पर सर्वश्री नेतराम,सरोज कुमारी आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे शांतिपाठ,आरती,प्रसाद वितरण के साथ उत्सव संपन्न हुआ।

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