समीक्षा न्यूज नेटवर्क
परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये इस सृष्टि को उत्पन्न कर धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये कभी आपस में टकराते नहीं जबकि मनुष्यों द्वारा निर्मित व संचालित सीमित संख्या के वाहन प्रतिदिन परस्पर टकरा जाते हैं जिससे बड़ी संख्या में जान व माल की हानि होती है। इसी कारण से कहा जाता है कि परमात्मा की सभी व्यवस्थायें आदर्श हैं जिसकी प्रेरणा लेकर हमें भी अपनी सभी व्यवस्थाओं को चुस्त व दुरुस्त करना चाहिये। परमात्मा ने मनुष्य व इतर सभी प्राणियों की आवश्यकता के सभी पदार्थ बनाये हैं। मनुष्य के लिए माता-पिता, समाज, आचार्य आदि की आवश्यकता होती है जिनकी पूर्ति भी परमात्मा द्वारा ही की जाती है। शैशवास्था मं मनुष्यों को माता का दूध चाहिये जिसकी प्राप्ति भी परमात्मा ने ही उत्तम रीति से की हुई है। शैशवास्था के बाद की मनुष्यों की आवश्यकता की सभी वस्तुयें वा पदार्थ भी परमात्मा ने सृष्टि में रचकर प्रदान कर रखें हैं।
मनुष्य को जीने के लिए प्राण-वायु, जल, अग्नि, अन्न, फल, ओषधियां तथा दुग्ध आदि पदार्थों की आवश्यकता होती है। यह सब पदार्थ भी मनुष्य को सृष्टि में ही प्राप्त होते हैं। मनुष्य के जीवन में दुग्ध का अत्यन्त महत्व है। इसकी पूर्ति गो आदि पशुओं से होती है। देशी गाय का दुध श्रेष्ठ व उत्तम होता है। गाय के दुग्ध में बुद्धि को तीव्र करने सहित शरीर के आरोग्य व बल प्रदान करने तथा शारीरिक वृद्धि में गोदुग्ध की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि किसी बच्चे को माता का दूध सुलभ न हो तो गो माता के दूध से वह पल जाता है। छोटे शिशु का माता के दुग्ध के स्थान पर अन्य विकल्प गोदुग्ध ही होता है। शैशवास्था के बाद भी मनुष्य की पूरी आयु में दुग्ध व दुग्ध निर्मित दही, छाछ, मक्खन, घृत, पनीर आदि के द्वारा उसके शरीर का पोषण होता है। गो दुग्ध अन्न व फलों का भी विकल्प होता है। यदि अन्न व फल आदि सुलभ न हों तो गोदुग्ध से इनकी भी पूर्ति होती है। इसी कारण गोदुग्ध को पूर्ण आहार माना जाता है। हमने उदर के रोगियों के बारे में पढ़ा है जिन्होंने अपना पूरा जीवन गोदुग्ध के सहारे ही यशस्वी रूप में व्यतीत किया। देशी गाय का दुग्ध सभी साध्य व असाध्य रोगियों के लिए क्षुधा निवृति, पोषण एवं रोग निवृत्ति का कार्य करता है। गोदुग्ध बल व आयुवर्धक होता है। इसे अमृत की संज्ञा भी दी जाती है। अतः किसी भी शिक्षित व बुद्धिमान मनुष्यों के देश में देशी गाय का बड़े पैमाने पर पोषण होना चाहिये और गाय की माता के समान श्रद्धापूर्वक सेवा की जानी चाहिये। ऐसा होने पर राष्ट्र सभी प्रकार की उन्नति कर अपने सभी लक्ष्यों, जनता की सुख व शान्ति, अजेयता, ज्ञान विज्ञान की उन्नति, विकास, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को प्राप्त हो सकता है। यदि किसी देश में गोपालन व गोसंरक्षण नहीं होता तो उस राष्ट्र को शिक्षित व संस्कारित मनुष्यों का राष्ट्र नहीं कहा जा सकता। ऐसे राष्ट्र में पूर्ण सुख व शान्ति स्वप्नवत् होती है जो कभी पूरी नहीं हो सकती। इस प्रकरण में वेदों व आर्यसमाज के विद्वान पूर्व सांसद पं. प्रकाशवीर शास्त्री की पुस्तक गोरक्षा राष्ट्ररक्षा की स्मृति भी उठती है जिसमें गोरक्षा को राष्ट्ररक्षा का पर्याय माना गया है और इसके पक्ष में पुस्तक में अनेक प्रमाण व तथ्यों को प्रस्तुत किया गया है।
महर्षि दयानन्द ने गोरक्षा व इसके संवर्धन सहित गोहत्या रोकने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण लघु पुस्तक ‘गोकरुणानिधि’ की रचना की थी। अपने विषय की यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पुस्तक है। इस पुस्तक में विषय को अपने युक्तियों व तर्कों से प्रस्तुत किया गया है और तत्कालीन अंग्रेज सरकार की प्रमुख महारानी विक्टोरिया से भारत में गोरक्षा सहित गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध की मांग की जा रही थी। महर्षि दयानन्द ने देश में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिये आन्दोलन किया था। उन्होंने इसके लिये एक विस्तृत ज्ञापन तैयार किया था जिस पर लाखों लोगों के हस्ताक्षर कराये गये थे। यह अभियान चल ही रहा था कि मध्य में उनकी विष दिये जाने से मृत्यु हो गयी जिससे वह कार्य अधूरा रह गया। ऋषि दयानन्द अपने समय में गोरक्षा, गोपालन तथा गोहत्या पर प्रतिबन्ध की चर्चा किया करते थे। वह अनेक बड़े अंग्रेज राज्याधिकारियों से भी गोरक्षा के विषय में मिले थे और उनको गोहत्या पर प्रतिबन्ध के अपने विचारों को तर्कों व युक्तियों से सहमत किया था। यदि उनकी अचानक मृत्यु न हुई होती तो वह गोरक्षा आन्दोलन को उसके उचित समाधान तक पहुंचा कर अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करते। ऋषि दयानन्द कृत गोकरुणानिधि लघु पुस्तक को प्रत्येक देशवासी को अवश्य पढ़ना चाहिये। इस पुस्तक की भूमिका में ऋषि दयानन्द ने गोरक्षा के विषय में महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये हैं। हम उनके विचारों को यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि वे धर्मात्मा विद्वान् लोग धन्य हैं, जो ईश्वर के गुण, कम्र्म, स्वभाव, अभिप्राय, सृष्टि-क्रम, प्रत्यक्षादि प्रमाण और आप्तों के आचार से अविरुद्ध चलके सब संसार को सुख पहुंचाते हैं। और शोक है उन पर जो कि इनसे विरुद्ध स्वार्थी दयाहीन होकर जगत् में हानि करने के लिये वर्तमान हैं। पूजनीय जन वे हैं कि जो अपनी हानि होती हो तो भी सब के हित के करने में अपना तन, मन, धन लगाते हैं। और तिरस्करणीय वे हैं जो अपने ही लाभ में सन्तुष्ट रहकर सबके सुखों का नाश करते हैं।
ऋषि दयानन्द पुस्तक की भूमिका में आगे लिखते हैं ऐसा सृष्टि मे कौन मनुष्य होगा जो सुख और दुःख को स्वयं न मानता हो? क्या ऐसा कोई भी मनुष्य है कि जिसके गले को काटे वा रक्षा करे, वह दुःख और सुख का अनुभव न करे? जब सब को लाभ और सुख ही में प्रसन्नता है, तो विना अपराध किसी प्राणी का प्राण वियोग करके अपना पोषण करना यह सत्पुरुषों के सामने निन्दित कर्म क्यों न होवे? सर्वशक्तिमान जगदीश्वर इस सृष्टि में मनुष्यों के आत्माओं में अपनी दया और न्याय को प्रकाशित करे कि जिससे ये सब दया और न्याययुक्त होकर सर्वदा सर्वोपकारक काम करें और स्वार्थपन से पक्षपातयुक्त होकर कृपापात्र गाय आदि पशुओं का विनाश न करें कि जिससे दुग्ध आदि पदार्थों और खेती आदि क्रियाओं की सिद्धि से युक्त होकर सब मनुष्य आनन्द में रहें। ऋषि दयानन्द ने भूमिका में यह भी कहा है कि यह ग्रन्थ इस अभिप्राय से रचा गया है जिससे गो आदि पशु जहां तक सामथ्र्य हो बचाये जावें और उनके बचाने से दूध घी और खेती के बढ़ने से सब को सुख बढ़ता रहे। परमात्मा कृपा करें कि यह अभीष्ट शीघ्र सिद्ध हो। अपने ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द ने गोरक्षा वा गोहत्या निषेध के महत्व को बहुत ही प्रभावशाली शब्दों में प्रस्तुत किया है।
गोकरुणानिधि पुस्तक में ऋषि दयानन्द ने कहा है कि सर्वशक्तिमान् जगदीश्वर ने इस सृष्टि में जो-जो (गो आदि पशु) पदार्थ बनाये हैं, वे निष्प्रयोजन नहीं हैं, किन्तु एक-एक वस्तु अनेक-अनेक प्रयोजन के लिये रची है। इसलिये उन से वे ही कार्य लेना सब को उचित होता है, न कि उससे पूर्ण प्रयोजन न लेकर बीच ही में वह नष्ट कर दिया जावे। क्या जिन-जिन प्रयोजनों के लिये परमात्मा ने जो-जो पदार्थ बनाये हैं, उन-उन से वे-वे प्रयोजन न लेकर उनको प्रथम ही विनष्ट कर देना सत्पुरुषों के विचार में बुरा कर्म नहीं है? पक्षपात छोड़ कर देखिये, गाय आदि पशु और कृषि आदि कर्मों से सब संसार को असंख्य सुख होते हैं वा नहीं? जैसे दो और दो चार होते हैं, वैसे ही सत्यविद्या से जो-जो विषय जाने जाते वे अन्यथा कभी नहीं हो सकते। इस पुस्तक में ऋषि दयानन्द ने एक गाय की एक पीढ़ी से होने वाली गायों से दुग्ध तथा बैलों से कृषि होकर उत्पन्न अन्न आदि पदार्थों का गणित की विधि से हिसाब लगाकर बताया है कि एक गाय की एक पीढ़ी से यदि 6 गाय और 6 बैल मान लिये जायें तो 7 गायों से 1,54,440 एक लाख चौवन हजार चार सौ चालीस मनुष्यों का पालन एक बार में हो सकता है। इसी प्रकार एक गाय की एक पीढी में जीवित 6 बैलों से जीवन भर उत्पन्न अन्न आदि पदार्थों से 2,56,000 मनुष्यों का पालन एक बार में हो सकता है। दूध व अन्न को मिलाकर देखने से विदित होता है कि एक गाय की एक पीढी से 4,10,440 चार लाख दस हजार चार सौ चालीस मनुष्यों का एक बार के भोजन के रूप में पालन होता है। वह यह भी बतातें है कि अधिक गोदुग्ध होने व उसका सेवन करने से मनुष्य का मल कम मात्रा में होता है। इससे वायु कम दुर्गन्धयुक्त होता है। इससे वायु प्रदुषण व विकार कम होने से रोग भी कम होते हैं। मनुष्य स्वस्थ रहते हैं तो उनके शरीर में अधिक बल होने व लम्बी आयु होने से वह अधिक कार्य करते हैं जिससे देश में अधिक सुख व समृद्धि होती है। ऐसे अनेक पक्षों पर ऋषि दयानन्द जी ने अपनी पुस्तक गोकरुणानिधि में प्रकाश डाला है।
यजुर्वेद में गाय को अघ्न्या कहा गया है। इसका अर्थ होता है न मारने योग्य। मन्त्र में शब्द आये हैं ‘अघ्न्या यजमानस्य पशून् पाहि।’ इन वेद के शब्दों में परमात्मा मनुष्यों को कहते हैं कि हे मनुष्य! तू इन पशुओं को कभी मत मार, और यजमान अर्थात् सब को सुख देनेवाले मनुष्यों से सम्बन्धित पालतू पशुओं की रक्षा कर जिनसे तेरी भी पूरी रक्षा होवे। ईश्वर की आज्ञा को मानना सब मनुष्यों का कर्तव्य है। अतः किसी मनुष्य को किसी भी पशु की आहार व भोजन के लिये हत्या कदापि नहीं करनी चाहिये। यह पाप एवं ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन होता है। अपनी पुस्तक में महर्षि दयानन्द ने एक स्थान पर पूर्वपक्ष के रूप में एक प्रश्न प्रस्तुत किया है। वह लिखते हैं कि जिस देश में सिवाय मांस के अन्य कछ नहीं मिलता वहां वा आपत्काल में अथवा रोगनिवृत्ति के लिए मांस खाने में दोष नहीं होता। इसका समाधान व उत्तर देते हुए वह कहते हैं कि यह आपका कहना व्यर्थ है। क्योंकि जहां मनुष्य रहते हैं वहां पृथिवी अवश्य होती है। जहां पृथिवी है वहां खेती वा फल फूल आदि होते हैं। और जहां कुछ भी नहीं होता, वहां मनुष्य भी नहीं रह सकते। और जहां ऊसर भूमि है, मिष्ट जल और फलाहार आदि के न होने से मनुष्यों का रहना भी दुर्घट है। और आपत्काल में भी मनुष्य अन्य उपायों से निर्वाह कर सकते हैं, जैसे मांस के न खाने वाले करते हैं। और विना मांस के रोगों का निवारण भी ओषधियों से यथावत् होता है। इसलिए मांस खाना अच्छा नहीं है। मांसाहार के प्रकरण में मनुस्मृति का 5/51 श्लोक ‘अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी। संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः।।’ भी महत्वपूर्ण है जिसमें कहा गया है कि (गो आदि किसी पशु की हत्या की) अनुमति देने वाले, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिये और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले यह 8 मनुष्य घातक हिंसक अर्थात् यह सब पाप करने वाले हैं। अतः मांस खाने सहित इसमें किसी भी रूप में मांसाहार में सहयोग करने से पाप होता है। इस कारण किसी भी बुद्धिमान मनुष्य को मांसाहार का पाप कदापि नहीं करना चाहिये।
पुस्तक के अन्त में ऋषि दयानन्द ने गोरक्षा की मार्मिक अपील की है। वह कहते हैं कि ध्यान देकर सुनिये कि जैसा दुःख सुख अपने को होता है, वैसा ही औरों को भी समझा कीजिये। यह भी ध्यान में रखिये कि वे पशु आदि अर्थात् खेती आदि कर्म करने वाले प्रजा के पशु आदि और मनुष्यों के अधिक पुरुषार्थ ही से राजा का ऐश्वर्य अधिक बढ़ता और न्यून होने से नष्ट हो जाता है। इसीलिये राजा प्रजा से कर लेता है कि उनकी रक्षा यथावत् करे, न कि राजा और प्रजा के जो सुख के कारण गाय आदि पशु हैं उनका नाश किया जावे। इसलिये आज तक जो हुआ सो हुआ, आंखें खोल कर सबके हानिकारक कर्मों को न कीजिये और न करने दीजिये। हां, हम लोगों का यही काम है कि आप लोगों की भलाई और बुराई के कामों को जता देवें, और आप लोगों का यही काम है कि पक्षपात छोड़ सब गो आदि लाभकारी पशुओं की रक्षा और बढ़ती करने में तत्पर रहें। सर्वशक्मिान् जगदीश्वर हम और आप पर पूर्ण कृपा करें कि जिससे हम और आप लोग विश्व के हानिकारक कर्मों को छोड़ सर्वोपकारक कर्मों को करके सब लोग आनन्द में रहें। इन सब बातों को सुन मत डालना किन्तु सुन रखना, इन अनाथ पशुओं के प्राणों को शीघ्र बचाना। अन्त में वह कहते हैं ‘हे महाराजधिराज जगदीश्वर! जो इन (गाय आदि पशुओं) को कोई न बचावे तो आप इनकी रक्षा करने और हम से कराने में शीघ्र उद्यत हुजिये।।’
हमने लेख में गोरक्षा व गो संवर्धन के पक्ष तथा गोहत्या के विरोध में वेद तथा ऋषि दयानन्द के विचार प्रस्तुत किये हैं। गोहत्या, गोमांसाहार सहित अन्य पशुओं की हत्या व उनके मांस का सेवन अमानवीय एवं निन्दित कर्म है। यह अधर्म व पापकर्म है। मनुष्य को इसे तत्काल छोड़ देना चाहिये। इससे संसार में सुखों की वृद्धि होगी। कल व भविष्य में मरने पर यदि हम भी पशु बने तो हम स्वयं की पशु हत्या के दुःख से बच सकेंगे। आज हम जो दूसरों के साथ करते हैं, परमात्मा की व्यवस्था में वह भविष्य व परजन्म में हमारे साथ भी हो सकता व होता है।
-मनमोहन कुमार आर्य
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Monday 7 September 2020
“देश एवं मानव निर्माण में गोरक्षा एवं गोसंवर्धन का महत्वपूर्ण स्थान”
देश के विकास में युवाओ की भागीदारी अति आवश्यक है: सरदार सिंह भाटी
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
साहिबाबाद। पार्षद सरदार सिंह भाटी जी एवं श्री रवि भाटी (टीएसी सदस्य, दूरसंचार विभाग, भारत सरकार) के नेतृत्व मे आज साहिबाबाद गाजियाबाद क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं ने नवनियुक्त पश्चिम उत्तर प्रदेश के युवा, उदीमान अध्यक्ष मोहित बेनीवाल को पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मेरठ कार्यालय मे पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
साथ मे क्षेत्रीय मंत्री अजय शर्मा, क्षेत्रीय मंत्री हरीश सिंह, क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी योगेश त्रिपाठी का मार्गदशन प्राप्त हुआ l
पार्षद सरदार सिंह भाटी ने बताया अब देश मे युवाओ की भागीदारी अति आवश्यक है और हम सब भाजपा कार्यकर्ताओ के लिए बड़ा हर्ष का विषय है की हमारे पश्चिम उत्तर प्रदेश की कमान एक युवा कार्यकर्त्ता को दी है। रवि भाटी ने बताया क्षेत्रीय अध्यक्ष आदरणीय मोहित बेनीवाल जी के साथ खेलो भारत अभियान मे क्षेत्र मे कार्य की यादें अभी तक ताज़ा हैं, उनके नेतृत्व मे हम कार्यकर्ताओ को भाजपा मे कार्य करने का मौका मिला और उनकी कार्यशैली से बहुत कुछ सिखने को मिला। आज राष्ट्र के लिए युवा शक्ति हैं, संसाधन हैं और वरदान हैं और भाजपा में युवाओं की अनंत, अभिन्न क्षमताओं का राष्ट्र निर्माण मे पूरा सम्मान है। इस मोके पर पार्षद सरदार सिंह भाटी, कालीचरण पहलवान, रवि भाटी, सुदीप शर्मा, कैलाश यादव, मुन्ना सिंह, शिवम् चौधरी, सोमनाथ चौहान, दीपक, धान सिंह, साहिल ठाकुर आदि कार्यकर्ताओ ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
“वेदों के आचरण से ही मनुष्य को अभ्युदय एवं निःश्रेयस प्राप्त होते हैं”
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
हमें मनुष्य जीवन जन्म-जन्मान्तरों में दुःखों से सर्वथा निवृत्त होने के लिए एक अनुपम साधन मिला है। यह हमें परमात्मा द्वारा प्रदान किया गया है। माता-पिता, सृष्टि तथा समाज हमारे जन्म, इसके पालन व उन्नति में सहायक बनते हैं। हमें अपने जीवन के कारण व उद्देश्यों पर विचार करना चाहिये। इस कार्य में वेद व वैदिक साहित्य हमारे सहायक होते हैं। बिना वेद व वैदिक साहित्य के हम मनुष्य जीवन के सभी रहस्यों को भली प्रकार से नहीं जान सकते। वेद व वेदानुकूल ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन कर हमारे जीवन की गुत्थी सुलभ जाती है। वेदाध्ययन से ही ज्ञात होता है हमारा यह संसार तीन अनादि व नित्य पदार्थों ईश्वर, जीव तथा प्रकृति से मिलकर बना व संचालित हो रहा है। हम जीव कहलाते हैं जो अनादि व नित्य सत्ता हैं। हमारी आत्मा की कभी उत्पत्ति नहीं हुई है और न कभी इसका नाश वा अभाव ही होता है। यह संसार में सदा से है और सदा रहेगा। हमारा जीवात्मा सूक्ष्म एवं अल्प परिमाण वाला है। मनुस्मृति में इसका परिणाम बताते हुए कहा गया है कि सिर के बाल के अग्र भाग के यदि 100 टुकड़े किये जायें तथा उस एक सौवें टुकड़े के भी सौ भाग किये जायें तो जो बाल के अग्रभाग का जो दस हजारवां भाग है, उसके बराबर व उससे भी सूक्ष्म हमारा जीवात्मा है।
हमारा यह आत्मा चेतन सत्ता है। चेतन सत्ता (ईश्वर व जीव) ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त होते हैं। इसके लिये जीवात्मा को मनुष्य या अन्य प्राणी योनियों में से किसी एक योनि में जन्म मिलना आवश्यक होता है। मनुष्य योनि सभी प्राणी योनियों में सबसे श्रेष्ठ है। मनुष्य योनि में ही यह सम्भव है कि हम ईश्वर व प्रकृति का ज्ञान प्राप्त कर सकें। यह ज्ञान वेदों के द्वारा उपलब्ध होता है। ज्ञान का मूल ईश्वर व उसका ज्ञान वेद ही है। यदि ईश्वर न होता तो न तो वेद होते और न ही यह ईश्वर रचित व संचालित संसार ही होता। प्रश्न होता है कि क्या ईश्वर ने यह संसार अपने किसी सुख के लिए बनाया? इसका उत्तर मिलता है कि ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप है। वह हर काल में आनन्द से युक्त है। वह अपने लिये संसार नहीं बनाता। उसका स्वभाव धार्मिक, दयालु, न्यायकारी व करूणा से युक्त है। जीव असहाय व अल्प शक्ति से युक्त सत्ता हैं। इनको सुख देने व मोक्ष आदि का अमृतपान कराने के लिये ही परमात्मा ने इस संसार को रचा है व इसे चला रहा है। ईश्वर के गुणों व कर्तव्यों को जानकर हमें भी उसके अनुसार ही आचरण व व्यवहार बनाना व करना है। इसी में मनुष्य जीवन व आत्मा की सार्थकता व सफलता होती है। ईश्वर को यथार्थरूप में जान लेने तथा वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लेने पर मनुष्य का जीवन व कर्तव्य पथ प्रशस्त हो जाता है। वेदों के अधिकांश रहस्यों को ऋषि दयानन्द जी ने सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में प्रस्तुत किया है। मानव जीवन को इसके उद्देश्यानुसार चलाने व जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त कराने में सत्यार्थप्रकाश की महती भूमिका है। जो बन्धु वेद और सत्यार्थप्रकाश आदि वैदिक साहित्य की उपेक्षा करते हैं, वह सत्य ज्ञान को प्राप्त न होने से अपने जीवन को उसके उद्देश्य व लक्ष्य की ओर न चलाकर उससे प्राप्त होने वाले लाभों से संचित रह जाते हैं। अतः सबको वेद ज्ञान की प्राप्ति के लिये ऋषि दयानन्द के ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश, उपनिषदों, दर्शनों, मनुस्मृति सहित वेदों का अध्ययन करना चाहिये। इससे मनुष्य को ईश्वर, जीवात्मा व सृष्टि विषयक आवश्यक ज्ञान प्राप्त हो जाता है और कर्तव्य व सत्य आचरणों के द्वारा वह जीवन के चार पुरुषार्थों को प्राप्त होकर अपने मनुष्य जीवन को सफल करता है।
वेदों से ही हमें ईश्वर व जीवात्मा के सत्यस्वरूप सहित भौतिक जगत के उपादान कारण प्रकृति विषयक यथार्थ ज्ञान भी प्राप्त होता है। वेदाध्ययन से हमें विदित होता है कि ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। ईश्वर सर्वज्ञ है। वह जीवों को उनके कर्मानुसार जन्म व मरण की व्यवस्था सहित उन्हें सुख व दुःख प्राप्त कराता है। ईश्वर ने अपना व संसार का परिचय देने के लिए ही सृष्टि की आदि में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न ऋषियों व मनुष्यों को वेदज्ञान दिया था। वेद न होते तो हमें ईश्वर, आत्मा व सृष्टि का परिचय कदापि प्राप्त न होता। हमें संसार की आदि भाषा, जो सभी भाषाओं की जननी है, वह भी परमात्मा से वेदों के द्वारा ही मिली है। वेदों की भाषा संस्कृत संसार की समस्त भाषाओं से उत्कृष्ट भाषा है। इसका ज्ञान इसका अध्ययन कर ही प्राप्त किया जा सकता है। हमारे समस्त ऋषि व विद्वान इस वेद भाषा व वेदज्ञान को सर्वोत्तम व आनन्ददायक जान व अनुभव कर अपना समस्त जीवन वेदाध्ययन एवं वेदाचरण में ही व्यतीत किया करते थे। ऋषि दयानन्द ने हमें वेदों के प्रायः सभी रहस्यों से अपने वेद प्रचार, उपदेशों, जीवन चरित तथा अपने ग्रन्थों सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, आर्याभिविनय तथा वेदभाष्य आदि के माध्यम से परिचित व उपलब्ध कराया है। इस समस्त साहित्य का अध्ययन करने सहित उपनिषद, दर्शन, मनुस्मृति आदि प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन कर हम मानव जीवन को सुखी व उन्नत बना सकते हैं। ऐसा करते हुए हम आत्मा को ईश्वर की उपासना से प्राप्त होने वाले सुख व आनन्द का भी अनुभव कर सकते हैं। वेदाध्ययन व वेदों के अनुसार आचरण करने से मनुष्य की आत्मा की उन्नति होकर उसे इस जीवन में सुख तथा परजन्म में सुखद परिस्थितियां व उत्तम परिवेश प्राप्त होता है जो उसे अमृत व मोक्ष की ओर ले जाता है। अतः मनुष्य को वेदाध्ययन अवश्य ही करना चाहिये और ऐसा करते हुए वेदानुसार जीवन व्यतीत करते हुए उसे अपने देश, समाज व परिवार के प्रति कर्तव्यों को पूरा करना चाहिये।
जो मनुष्य वेदों का अध्ययन व उसके अनुसार आचरण करते हैं वह आत्मा को क्लेशरहित उत्तम अवस्था प्रदान करते हंै। जो मनुष्य वेदों से दूर रहते, उनकी आलोचना करते अथवा मत-मतान्तरों की बातों में फंसे रहते हैं, उनकी आत्मा वेदज्ञानियों के समान उन्नत नहीं होती। इस जन्म में तो वह पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार कुछ सुख भोग सकते हैं परन्तु उनका परजन्म अर्थात् मृत्यु के बाद का पुनर्जन्म श्रेष्ठ योनियों व उत्तम सुखों से युक्त नहीं होता। हमारा परजन्म उन्नत व सुखी तभी बनता है कि जब हम अपने वर्तमान जन्म में वेदानुकूल जीवन व्यतीत करते हुए शुभ, श्रेष्ठ व उत्तम कर्मों को करें। वेदानुकूल, शुभ व पुण्य कर्मों का फल ही जन्म-जन्मान्तरों में सुख व उन्नति हुआ करता है और वेदों की शिक्षाओं के विपरीत आचरण व व्यवहार करने का परिणाम वर्तमान जन्म व परजन्म में दुःख व पतन हुआ करता है। यह युक्ति एवं तर्क से सिद्ध सिद्धान्त है। सत्यार्थप्रकाश को पढ़कर इन बातों को जाना जाता है और अपना सुधार किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से ऋषि दयानन्द ने जी ने सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों को लिखा है। सत्यार्थप्रकाश मनुष्य को वेद, परमात्मा तथा मोक्ष की प्राप्ति के साधनों से जोड़ता है व उन्हें प्राप्त कराने में सहायक होता है। अतः सबको सत्यार्थप्रकाश एवं वेदाध्ययन का लाभ उठाना चाहिये।
मनुष्य का आत्मा अनादि, अनुत्पन्न, सनातन, अविनाशी तथा अमर है। जन्म व मरण धर्मा होने से इसके जन्म व मृत्यु होते रहते हैं। जन्म व मृत्यु दोनों ही दुःख देने वाले होते हैं। जीवन में सुख भी मिलता है। संसार में सुख अधिक और दुःख कम हैं। यदि हम शुभ कर्मों का ही आश्रय लें तो हमारे जीवन में सुख अधिक होंगे तथा दुःख कम होंगे। दुःखों को पूरी तरह से दूर करने का एक ही उपाय हैं कि हम मोक्ष के साधनों को जानें और उनका आचरण करें। मोक्ष संबंधी शंकाओं को दूर करने के लिए ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश के नवम समुल्लास में विस्तार से विचार प्रस्तुत किये हैं और इसके समर्थन में प्राचीन वैदिक साहित्य से प्रमाण दिये हैं। सब मनुष्यों को इस अध्याय को अवश्य पढ़ना व समझना चाहिये। यदि हम मोक्ष के साधनों को अपनाते हैं तो इसे हम जीरो रिस्क वाला कह सकते हैं। इसकी प्राप्ति के लिये प्रयत्न करने से हमें हानि कुछ नहीं होती और लाभ बहुत बड़ा होता है। हमारे ऋषि मुनि बहुत विद्वान व ज्ञानवान होते थे। उन्होंने परीक्षा व विवेचना कर मोक्ष प्राप्ति को ही सर्वोत्तम सुख बताया है। इसी के लिये सब मनुष्यों को प्रयत्न करने चाहिये। मोक्ष की प्राप्ति होने पर हमें ईश्वर के सान्निध्य में उस जैसा परमानन्द प्राप्त होता है और हम मोक्षावधि 31 नील 10 खरब वर्ष से अधिक अवधि के लिये दुःखों से पूरी तरह से निवृत्त हो जाते हैं। अतः वेदों व सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों सहित समस्त वैदिक सत्साहित्य से हमें लाभ उठाना चाहिये। इसी से हमारा व समस्त मानव जाति का कल्याण होगा। मनुष्य जीवन के कल्याण का वेद मार्ग से उत्तम दूसरा कोई मार्ग नहीं है।
-मनमोहन कुमार आर्य
जिलाधिकारी ने मैट्रो रेल के अधिकारियों के साथ की बैठक
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। देश में अनलॉक होने के बाद 169 दिनों के बाद मेट्रो अब जनपद गाजियाबाद में पटरी पर दौड़ेगी। जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पाण्डेय की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद में लॉकडाउन के उपरान्त मेट्रो संचालन को लेकर अहम बैठक सम्पन्न हुई। भारत सरकार द्वारा इसी वर्ष 22 मार्च 2020 को कोरोना संक्रमण के चलते मेट्रो सेवाएं बन्द कर दी गई थी। गाजियाबाद में दो मेट्रो की लाइन है, जो ब्लू और रेड के नाम से जानी जाती है तथा पूरे जनपद में मैट्रो के 10 स्टेशन है, जो निम्नवत् है :• शहीद स्थल (नया बस अड्डा) • हिण्डन रिवर • अर्थला • मोहन नगर • श्याम पार्क • मेजर मोहित शर्मा राजेन्द्र नगर • राजबाग • शहीद नगर • वैशाली • कौशाम्बी लेकिन मेट्रो में सफर करने से पहले जनपदवासियों को डी0एम0आर0सी0 की गाइडलाइन का भी अनुपालन करना होगा। मेटो का संचालन कोरोना के चलते 22 मार्च को बंद कर दिया गया था। अब सरकार के निर्देशों के क्रम में 169 दिन के बाद दोबारा से अपनी जिम्मेदारी उठाने के लिए मेट्रो तैयार हैइस अवसर पर जिलाधिकारी ने बताया कि एक मेट्रो ब्लू लाइन है जो वैशाली को द्वारका से जोडती है वहीं दूसरी रेड लाइन है जो शहीद स्थल से रिठाला जाती है।
जिलाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि गाजियाबाद में मेटो का संचालन 10 सितंबर से शरू होगा। उन्होंने बताया कि शुरुआता दिनों (10 एवं 11 सितंबर) में मेट्रो प्रातः 6:00 बजे से 11:00 बजे तक एवं साय 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक चलेगी। यदि सब कुछ सही रहा तो दिनांक 12 सितंबर से मेट्रो का संचालन पूर्व की भांति प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक सुनिश्चित कराया जाएगा। यात्रा के दौरान सावधानियों का भी इस्तेमाल करना होगा एवं डीएमआरसी के द्वारा जारी की गई गाइडलाइनओं का भी अनुपालन करना होगा। इसके अलावा अगर अपने मास्क नहीं पहना है तो आपको सफर करने से रोक दिया जाएगामेट्रो स्टेशन पर पैसेंजर का तापमान लिया जाएगा और अगर तापमान अधिक हुआ आपको सफर से वंचित कर दिया जाएगा। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने बताया कि मेट्रो सफर में प्रत्येक मेट्रो कोच में 50 पैसेंजर को कोरोना का अनुपालन करते हुए ही सफर करने की इजाजत होगी।
बैठक में मेट्रो अधिकारी द्वारा मेट्रो संचालन में प्रशासन का सहयोग मांगा गया। उनके द्वारा मेट्रो संचालन के लिए सिविल डिफेंस के लोगों को लगाए जाने की मांग की गई, जिस पर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि 104 सिविल डिफेंस के कर्मचारी शुरुआती दौर में मेट्रो स्टेशनों पर पब्लिक की सहूलियत के लिए तैनात रहेंगे। शुरुआती दौर में मेट्रो संचालन में ट्रैफिक एवं पुलिस की व्यवस्था सुचारू रखने के लिए जिलाधिकारी ने पुलिस एवं ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि मेट्रो संचालन शुरू होते ही मेट्रो परिसर के आसपास अनावश्यक भीड़ एकत्रित न हो पाएउन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया कि इतने दिनों से बंद पड़े मेट्रो स्टेशनों के आसपास के परिसर की साफ-सफाई कराना सनिश्चित कराएं। इसके उपरांत जिलाधिकारी द्वारा न्यू बस अड्डा मेट्रो स्टेशन का स्थलीय निरीक्षण किया गया। जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी उनके साथ मौजूद रहे। निरीक्षण में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा कोविड-19 कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम संबंधी सभी पहलुओं पर मौके पर डीएमआरसी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश दिए गएनिरीक्षण में उन्होंने समस्त मेट्रो अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में मैट्रो की ओर से सर्वश्री ए०ए० अंसारी परि० प०/डी0एम0आर0सी0, महेश कुमार वरिष्ठ स्टेशन मैनेजर मैट्रो, अरविन्द कुमार वरिष्ठ स्टेशन मैनेजर अर्थला मैट्रो स्टेशन, पवन कुमार सिंह स्टेशन प्रबन्धक एवं मुख्य चिकित्साधिकारी गाजियाबाद उपस्थित रहें।
"पोषण अभियान के तहत जिलाधिकारी ने की प्रगति की समीक्षा"
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। सरकार द्वारा 01 सितम्बर, 2020 से 30 सितम्बर, 2020 तक कुपोषण के विरूद्ध अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का लक्ष्य कुपोषण के शिकार बच्चों को चिन्हाकित करके सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये पुष्टाहार के माध्यम से सुपोषित कैटेगिरी में लाये जाने है, जिसकी अभियान की तैयारी हेतु जिला प्रशासन अपनी कमर कस चुका है।
उक्त के क्रम में आज जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय द्वारा सितम्बर, 2020 को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने पोषण माह सितम्बर, 2020 का शुम्भारम्म करते हुए जिला पोषण समिति की बैठक आहूत की। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने पोषण माह के दौरान की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी देते हुए सम्बन्धित अधिकारियों को पोषण माह के कलैण्डर के अनुसार कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों की पहचान कर उनकी स्वास्थ्य जाँच तथा प्रारम्भिक उपचार के साथ न्यूट्रीकिचन गार्डन हेतु आंगनबाडी केन्द्र, प्राथमिक विद्यालयों में पौधे लगाये जाने के निर्देश दिये गयेजिलाधिकारी की उपस्थिति में बच्चों का वजन तथा लम्बाई का माप लिया गया तथा चिन्हीकरण किया गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी द्वारा अभिभावकों को बच्चों को दिये जाने हेतु पोषण किट प्राप्त करायी गयी एवं लाभार्थी के घरों में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करते हुए सहजन का पौधे भेंट किया गया। जिलाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया है कि पोषण माह में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंगनबाडी कार्यकर्जी द्वारा संदर्भित अति कुपोषित सैम/मैम बच्चों की पहचान, स्वास्थ्य जॉच व आवश्यक उपचार के माध्यम से गम्भीर परिणामों से बचाव किया जा जायेगा। स्तनपान के साथ ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के लिए जनमानस में जागरूकता संदेश प्रसारित किया जायेगा। इस हेतु आंगनबाड़ी कार्यकर्ती एवं आशा के द्वारा निरन्तर गृह भ्रमण कर उक्त संदेशों को प्रसारित करेगीफल एवं सब्जियाँ सूक्ष्म पोषण तत्वों के महत्वपूर्ण तत्व है तथा पोषक तत्वों का नियमित आहार में सम्मिलित करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। अतः ऐसी स्थिति में वृक्षारोपण विशेषकर फलदार वृक्ष के रोपण हेतु विशेष अभियान चलाया जायेगा। ऊपरी आहार को बढ़ावा देने आदि विषयक विद्यालय एवं महाविद्यालय के छात्रों के मध्य ऑनलाइन प्रतियोगिता करायी जायेगी। प्रत्येक सप्ताह पोषण पंचायत को आयोजन किया जायेगा तथा ग्राम पंचायत के अन्तर्गत कुपोषण की स्थिति के अनुसार आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जायेगाआंगनबाड़ी कार्यकर्ती एवं आशा द्वारा गर्भवती महिलाओं, 0-2 वर्ष उम्र के बच्चे का निरन्तर गृह भ्रमण करते हुए स्तनपान, ऊपरी आहार, अनुपूरक पुष्टाहार, टीकाकरण आदि पर परामर्श प्रदान किया जायेगा। पोषण माह के दौरान संचालित समस्त गतिविधियों की रिर्पोटिंग समस्त सम्बन्धित विभागों द्वारा भारत सरकार के जनआन्दोलन डैशबोर्ड पर किये जाने हेतु निर्देश दिये गये। राष्ट्रीय पोषण माह सितम्बर, 2020 के शुम्भारम्भ में मुख्य विकास अधिकारी, परियोजना अधिकारी, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, जिला विकास अधिकारी, चिकित्साधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी के साथ-साथ पोषण अभियान के सहयोगी विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
Sunday 6 September 2020
शिक्षक दिवस पर आरडब्लूए संग प्रेम चन्द गुप्ता ने किया शिक्षकों को सम्मानित
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। शिक्षक दिवस के अवसर पर आर0डब्ल्यू0ए0 अशोक नगर - नेहरू नगर (रजि0) द्वारा वार्ड -96 के पांच वरिष्ठ शिक्षकों को सम्मानित किया गया । शिक्षक श्री चन्द्र भूषण जी, श्री हरिदत्त शर्मा जी, श्री दिनेश ढींगरा जी, श्रीमती कृष्णा ढींगरा जी व श्रीमती जगवती देवी गुप्ता जी सभी को आर0डब्ल्यू0ए0 द्वारा स्मृति-चिन्ह व शाॅल भेंट करके सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आर0डब्ल्यू0ए0 के संरक्षक प्रेम चन्द गुप्ता जी ने मार्गदर्शन व प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्था के ऐसे कार्य सराहनीय हैं तथा आर0डब्ल्यू0ए0 द्वारा ऐसे कार्यक्रम समाज में करते रहना चाहिए तथा उनका संस्था को हर प्रकार से सहयोग मिलता रहेगा । संरक्षक आर सी मांगलिक जी, अध्यक्ष अजीत निगम, उपाध्यक्ष आर पी जुनेजा, कोषाध्यक्ष संजीव पुरी , हरीश पारूथी, संजीव छाबड़ा, निधि निगम, चित्रा पारूथी, मनिका चोपड़ा, पृथपाल कौर व अन्य सम्मान कार्यकम में उपस्थित रहे।
पार्षद सरदार सिंह भाटी ने विधायक पंकज सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए करवाया हवन यज्ञ
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। साहिबाबाद गाजियाबाद क्षेत्र के वार्ड 37 शालीमार गार्डन मेन में पार्षद सरदार सिंह भाटी जी ने नॉएडा विधायक पंकज सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए हवन यज्ञ करवाया।
पार्षद के दिशानिर्देशन में कोरोना महामारी के बढ़ते हुए प्रकोप के निवारण के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्राचीन श्री राम मंदिर मे हवन पूजन कर प्रभु से जल्द से जल्द पुरे विश्व एवं मानवजाति को इस वैश्विक महामारी से मुक्त कर स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना की, पार्षद श्री सरदार सिंह भाटी ने बताया की अभी कुछ दिनों पहले श्री पंकज सिंह( नोएडा विधायक एवं भाजपा उपाध्यक्ष उत्तरप्रदेश) की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव पायी गयी, जिससे क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गयी, श्री पंकज सिंह जी ने लॉकडाउन के समय जिस सेवाभाव से समाजहित में अपना योगदान दिया वो सर्वव्यापी है, मैं आज के सम्पन हुए इस हवन पूजन से उत्पन्न पुण्यार्थ से सभी देवी देवताओं से विनती करता हूं की सभी स्वस्थ्य एवं कुशल मंगल रहें एवं हमारे प्रिय नोएडा विधायक श्री पंकज सिंह जी जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो एवं पुनः समाज के मध्य क्षेत्र के सर्वागिण विकास के लिए नेतृत्व करें। प. रामकिशोर शास्त्री जी ने विधिवत रीति रीवाज़ से हवन पूर्ण करवाया।
इस मोके पर रवि भाटी (टीएसी सदस्य गाजी.संचार मंत्रालय भारत सरकार), कालीचरण पहलवान, कैलाश यादव, सुदीप शर्मा,मुकेश यादव, दीपक ठाकुर, युवा प्रयास संघठन राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवम् चौधरी,सयोजक साहिल ठाकुर,मुन्ना सिंह सोमनाथ चौहान, नन्दलाल शर्मा, अवदेश शर्मा, राहुल शाह ,सतीश पाल ,शुभम् ,विक्की ,अमितदक्ष ,हिमांशु ,गोविंदा ,कृष्णा, ऋषिकेश सभी कार्यकर्ताओ ने यज्ञ मे आहुति दी यज्ञ विधिवत तरीके से पंडित राम किशोर शास्त्री व्यास जी महाराज ने सम्पन कराया।
कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) गाजियाबाद के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी)गाजियाबाद के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक झंडापुर कार्यालय पर हुई,बैठक में उपस्थित नेताओं ने विजयनगर क्षेत्र में भूड़ भारत नगर के रिहायशी इलाके में खोले गये शराब के ठेका को बंद कराए जाने की माँग को लेकर एक माह से धरने पर बैठी महिलाओं के साथ 5 सितम्बर 2020 को शराब माफिया व उसके गुर्गों द्वारा की गयी मारपीट व बदसलूकी की घोर निंदा की और शासन प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही किये जाने की माँग की,साथ ही महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन का समर्थन करने का फैसला लिया गया। बैठक में बी के एस चौहान,दिनेश मिश्रा,ईश्वर त्यागी,ब्रम्हजी त सिंह,जे पी शुक्ला,जी एस तिवारी,नीरू सेंगर,रुखसाना बेगम,हरी शंकर वर्मा,मंजूर अहमद,मुन्नीलाल,के पी यादव,अनिल राय,गीता,जी पी शुक्ला,नर्गिस बेगम,रंजीत सिंह,दीपक,श्रीकृष्ण सिंह,हीरालाल,सईद खां आदि ने भाग लिया।
सी.एस.एच.पी.पब्लिक स्कूल में धूमधाम से मनाया गया शिक्षक दिवस
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। शिक्षक सदैव वंदनीय रहे हैं जीवन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे सदैव सम्मानीय रहे हैं। उनके योगदान को सम्मान देने के लिए सी.एस.एच.पी. पब्लिक स्कूल में भी शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन से किया गया। मुख्य अतिथि विद्यालय निदेशिका श्रीमती सविता गुप्ता जी एवं विद्यालय प्रधानाचार्या सुश्री ममता शर्मा जी द्वारा मां सरस्वती का वंदन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुति द्वारा शिक्षकों ने अपने कौशल का प्रदर्शन किया। छात्र एवं शिक्षक के संबंध को दर्शाते हुए एक नाटिका का प्रदर्शन किया। शिक्षकों की सुंदर नृत्य प्रस्तुति ने अतिथियों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में विभिन्न सूक्ष्म खेलों का भी आयोजन किया गया। जिसमें टंग ट्विस्टर, फिल्म के डायलॉग द्वारा फिल्म की पहचान आदि शामिल थे। कार्यक्रम के अंत में निदेशक महोदया ने सभी शिक्षकों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया। विद्यालय प्रधानाचार्या जी ने भी सभी शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया और इस कठिन समय में उनकी ऑनलाइन शिक्षण के लिए हृदय से प्रशंसनीय शब्द कहे कि सभी शिक्षक अपने अथक प्रयासों से सभी छात्रों की पढ़ाई सुचारु रख रहे हैं।
मोहन नगर जोनल अधिकारी ने भरवाये आर्थिक सहायता लोन के फार्म
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
साहिबाबाद। गांव पसोंडा के मौसम विहार वार्ड नंबर 66 में शहरी पथ विक्रेताओं हेतु 10,000 आर्थिक सहायता लोन नगर निगम द्वारा फार्म भरवाए गए। जिसमें उपस्थित मोहन नगर जोनल अधिकारी श्री गौतम महानगर उपाध्यक्ष नादिर अली अल्पसंख्यक मोर्चा अनवार चौधरी भोपुरा मंडल संयोजक अल्पसंख्यक मोर्चा दीपक शर्मा हाशिम चौधरी सभी लोग मौजूद रहे और फार्म भरवाने में सहयोग किया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद का 43वां राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद का 43 वां राष्ट्रीय अधिवेशन ऑनलाइन गूगल मीट पर सोल्लास संम्पन्न हुआ।आगामी दो वर्ष के लिए अनिल आर्य को पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और उन्हें शेष कार्यकारिणी व अन्तरंग सभा का गठन करने का अधिकार दिया गया।उन्होंने महेन्द्र भाई को राष्ट्रीय महामंत्री व धर्मपाल आर्य को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मनोनीत किया।यह कोरोना काल मे परिषद का 85वां वेबिनार था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि देश मे एक वर्ग विशेष की बढ़ती जनसंख्या विस्फोटक होती जा रही है जिससे देश के संसाधनों व संप्रभुता पर खतरा बढ़ रहा है इसलिए समय की मांग है कि केंद्र सरकार अविलम्ब जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करे।उन्होंने कहा कि आज देश मे हिंदु समाज को संगठित होने की आवश्यकता है सभी हिन्दू जातिगत भेदभाव,ऊंच नीच को भुला कर सबको गले लगायें व भेदभाव समाप्त कर और एक साथ आकर हिन्दुत्व की रक्षा का संकल्प लें।साथ हीं उन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण पर भी हार्दिक बधाई दी।
राष्ट्रीय महामंत्री महेन्द्र भाई ने परिषद द्वारा वर्ष 2019-20 के मुख्य गतिविधियों जैसे- राष्ट्रीय अधिवेशन,सेवा शिविर,धरना प्रदर्शन,शोभायात्रा,आर्य महासम्मेलन,थाईलैंड यात्रा, टंकारा यात्रा,85 वेबिनार का विवरण,70 युवा संस्कार कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया।साथ ही उन्होंने परिषद के आगामी सत्र के लिए अनिल आर्य जी का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तुत किया।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने प्रस्ताव का अनुमोदन कर समर्थन किया व सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिये अनिल आर्य जी पुनः आगामी दो वर्षों के लिए निर्वाचित हुए।उन्होंने कहा कि केन्द्रीय आर्य युवक परिषद अनिल आर्य जी के नेतृत्व में इसी प्रकार निरन्तर आगे बढ़ती रहेगी।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए खेल प्रतियोगिताओं, युवा निर्माण शिविरों व युवा संस्कार अभियान आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर योगीराज ब्र. विश्वपाल जयंत(कोटद्वार, उत्तराखंड),सुभाष बब्बर (जम्मू कश्मीर),स्वतंत्र कुकरेजा (करनाल,हरियाणा),अजेय सहगल (डलहौजी, हिमाचल), आचार्य भानु प्रताप वेदालंकार (इंदौर,मध्यप्रदेश),रामकृष्ण शास्त्री (बहरोड, राजस्थान), रामकुमार सिंह(दिल्ली प्रदेश), यशोवीर आर्य (दिल्ली ),अरुण आर्य (दिल्ली प्रदेश),आनन्द प्रकाश आर्य (हापुड़,उत्तर प्रदेश), कर्नल अनिल आहूजा (लखनऊ), शंकरदेव आर्य (खंडवा, मध्यप्रदेश),रूपेंद्र आर्य(अलीगढ़), हरिचंद स्नेही(सोनीपत),वीरेन्द्र योगाचार्य(फरीदाबाद) आदि ने अपने विचार रखें।
मुख्य रूप से देवेन्द्र भगत (दिल्ली),दुर्गेश आर्य (दिल्ली), उर्मिला आर्य (गुरुग्राम),यज्ञवीर चौहान (गाज़ियाबाद)रमेश खजूरिया(जम्मू),ईश्वर आर्या (अलवर),मोहित आर्य (मथुरा), अशोक जागड़ (रोहतक),देवेन्द्र गुप्ता(इंद्रापुरम) आदि ने भी अपने विचार रखें।सभी ने युवा संस्कार कार्यक्रमों के माध्यम से युवा पीढ़ी को देशभक्त व संस्कार वान बनाने का संकल्प लिया।ओम सपरा ने कहा कि वैदिक साहित्य के प्रकाशन द्वारा नई पीढ़ी को महर्षि दयानन्द व वैदिक संस्कृति से जोड़ा जाएगा।
गौतस्करी को रोकने के लिये हापुड हाफ़िज़ पुर थाना में दिया ज्ञापन
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
हापुड। गौ रक्षा हिन्दू दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेद नागर व प्रदेश मन्त्री ब्रह्मगिरि जी महाराज ने थाना हाफ़िज़पुर हापुड पहुँचकर गौ तस्करों पर रासुका की माँग की। वेद नागर ने बताया दो दिन पहले सुचना मिली की बड़ोदा साहानी के जंगलों में गाय काटी गयी है जिसमें कसाईयो ने सुपनावत नगला के एक पूजनीय शांड को भी काट दिया जिससे समाज में बहूत रोष है आज गौ रक्षा हिन्दू दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेद नागर ने सपनावत नगला में इकट्ठे हूये लोगों को समझाया ओर थाना पहूचकर लिखित में थाना अध्यक्ष को ज्ञापन देकर बडोदा साहनी समेत सभी कसाईयो पर सरकार के आदेश अनुसार रासुका की कार्यवाही की माँग की गौ रक्षा हिन्दू दल के प्रदेश मन्त्री ब्रह्मगिरि महाराज के कहाँ किसी भी क़ीमत पर गौतसकरी बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
साथ ललित गूर्जर ईश्वर सिंह अजय ठाकुर रमेश सिंह मोनू गूर्जर प्रसाद आदि मौजूद रहे।
Saturday 5 September 2020
लोक “शिक्षण अभियान ट्रस्ट” द्वारा शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को किया सम्मानित
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
साहिबाबाद। लोक “शिक्षण अभियान ट्रस्ट” द्वारा ज्ञान पीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में “शिक्षक दिवस” के रूप में “ महान शिक्षाविद, प्रसिद्ध दार्शनिक, भारत रत्न, विज्ञानी विचारक, बेजोड़ वक्ता, भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन” के स्मृति में आयोजित किया गया, कार्यक्रम में 5 शिक्षकों को शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के अध्यक्ष/संस्थापक राम दुलार यादव को भी सम्मानित प्रसिद्ध समाज सेविका बिन्दू राय ने किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी महिला सभा उपाध्यक्ष जनपद गाजियाबाद संजू शर्मा ने, संचालन शिक्षाविद मुकेश शर्मा ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया। कार्यक्रम के अन्त में मिष्ठान वितरित किया गया। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में उपयोगी आयुष कवच भी वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए वितरित की गयी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक राम दुलार यादव ने कहा कि आज मै देश के सभी शिक्षकों को नमन करता हूँ कि जिन्होंने अपनी प्रतिभा की अमूल्य, अमिट छाप अपने छात्रों पर छोड़ी तथा उन्हें देश, समाज की सेवा के लिए तैयार किया। समाज में प्रेम, सहयोग, भाईचारे तथा सद्भाव के लिए प्रशिक्षित किया। डा0 राधाकृष्णन का शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान रहा है, आज हम उन्हें स्मरण कर गौरवान्वित हो रहे है। वे चहुँमुखी प्रतिभा के धनी विद्वान्, शिक्षक, प्रखर वक्ता, प्रशासक, राजनेता, देशभक्त तथा शिक्षा शास्त्री थे। उनका मानना था कि “यदि बच्चों को सही शिक्षा दी जाय तो समाज से नफ़रत, असहिष्णुता, हिंसा, पाखण्ड, असमानता सहित अनेकों बुराइयों को मिटाया जा सकता है” उनकी सबसे बड़ी विशेषता आम जन के लिए राष्ट्रपति भवन को दो दिन के लिए खोलना तथा बिना पहले आज्ञा लिए बेरोक-टोक मिलना रहा। उनका मानना था शिक्षक-छात्र में कोई संकोच नहीं होना चाहिए, डर का वातावरण नहीं होना चाहिए तभी अध्यापन कार्य श्रेष्ठता पूर्वक किया जा सकता है।
राम दुलार यादव ने कहा कि “आज शिक्षा का स्तर बहुत ही गर्हित अवस्था में चला गया है, मुझे तो लगता है कि षड्यंत्र के तहत शिक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है”, ग्रामीण क्षेत्रों में मिड डे मील में बच्चों को फंसा दिया गया है, शहर में अधिकतर अकुशल शिक्षक, बच्चों के भविष्य को पूर्ण सुरक्षित नहीं कर पा रहे है। सरकार को मै इस अवसर पर कहना चाहता हूँ कि यदि देश, समाज को मजबूत बनाना है तो शिक्षा पर ध्यान देने के साथ विद्यालयों का समय-समय पर निरिक्षण करना आवश्यक है नहीं तो जो जमात पैदा होगी उसे प्रमाण-पत्र तो मिल जायेगा लेकिन उसे ज्ञान प्राइमरी स्तर का भी न होगा। जिस देश की जनता अशिक्षित होगी, मानसिक स्वस्थ्य नहीं होगी, वह देश कभी उच्च श्रेणी में नहीं गिना जा सकता, इसलिए बहुत कुछ शिक्षा के क्षेत्र में करने की आवश्यकता है। तभी हम डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की सोच का भारत बनाने की ओर अग्रसर होंगे।
शिक्षाविद मुकेश शर्मा, डा0 सरोज यादव, मोहम्मद अली, राम प्यारे यादव, राजीव गर्ग को माल्यार्पण कर शाल भेंटकर इस अवसर पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सभी कार्यकर्ताओं ने डा0 राधाकृष्णन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए उनके द्वारा बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया मुख्य रूप से उपस्थित रहे राम दुलार यादव, मुकेश शर्मा, डा0 सरोज यादव, बिन्दू राय, संजू शर्मा, रेनू पुरी, मोहम्मद अली, राम प्यारे यादव, मीना ठाकुर, पूनम तिवारी, वीर सिंह सैन, कमला देवी, शहबाना, दयाल शर्मा, रहीमुद्दीन, राजीव गर्ग, सचिन त्यागी, विजय मिश्र, हरेन्द्र यादव, नीरज चौहान, प्रेम चन्द पटेल, केदार सिंह, अंकित राय. हरी कृष्ण, पप्पू, सुभाष यादव, मोहम्मद सलाम, हरिशंकर यादव, अमर बहादुर आदि।
“आर्यसमाज ईश्वरीय ज्ञान वेद का प्रचारक संसार का अनोखा संगठन है”
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
संसार में अनेक संगठन है जिनके अपने-अपने उद्देश्य व लक्ष्य हैं तथा जिसे पूरा करने के लिये वह कार्य व प्रचार करते हैं। सभी संगठन या तो धार्मिक होते हैं या सामाजिक। इनसे इतर भी अनेक विषयों को लेकर अनेक संगठन बनाये जाते हैं। देश की रक्षा करने के लिये भी सभी देशों की सरकारें अपने-अपने देशों में सेना बनाती व रखती हैं और उनका अपना एक प्रमुख उद्देश्य देश की अन्तः व बाह्य शत्रुओं से रक्षा करना होता है। प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता है कि उसे यह बताया जाये कि यह संसार कब व कैसे तथा किससे उत्पन्न हुआ? कौन इसे चला रहा है? कैसे व किससे इसकी प्रलय होती व पुनः यह क्यों व कैसे अस्तित्व में आता है? मनुष्य को अपने विषय में भी ज्ञान देना वाला कोई संगठन व संस्था होनी चाहिये जहां जाकर उसे अपने अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के विषय में ज्ञान कराया जाता हो और सुख व दुःख के कारण सहित दुःखों पर विजय प्राप्त करने के उपाय भी बताये जाते हों। मनुष्य अपनी शारीरिक, आत्मिक तथा सामाजिक उन्नति कैसे कर सकता है, इसका ज्ञान व प्रशिक्षण देने वाले संगठन व संस्थायें भी समाज में होने चाहियें। जब हम इन सभी प्रश्नों पर विचार करते हैं तो हमें संसार में ऐसा कोई संगठन दृष्टिगोचर नहीं होता जो इन सब अपेक्षाओं की पूर्ति करता हो। जितने भी धार्मिक व सामाजिक संगठन हैं, वह मनुष्यों को सब विषयों का ज्ञान देने में अपूर्ण व असमर्थ हैं। इसका कारण यह है कि वह वैदिक परम्पराओं से दूर हैं तथा उनमें से कुछ तो वैदिक सत्य ज्ञान के द्वेषी वा विरोधी भी हैं। वह सत्य ज्ञान वेद से लाभ उठाना ही नहीं चाहते और आज के आधुनिक युग में भी अपनी-अपनी मध्यकालीन अविद्या की बातों को ही स्वीकार करते हैं व अन्यों को भी अपने ही मत में येन केन प्रकारेण, अविद्या, छल, बल व लोभ आदि से प्रविष्ट व परिवर्तित करना चाहते हैं व कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें विश्व स्तर पर केवल और केवल आर्यसमाज ही ऐसा संगठन दृष्टिगोचर होता है जो मनुष्य जीवन विषयक आवश्यक ज्ञान से भलीभाति पूर्ण है और वह अपने स्थापना काल से सभी मनुष्यों की विद्या, सृष्टि के उपलब्ध इतिहास व संस्कृति सहित मनुष्यों जीवन की सभी शंकाओं का निवारण करने के साथ उनके लिये दुःखों को दूर करते हुए भविष्य में सुखदायी जीवन प्रदान करने की योजना प्रस्तुत करता तथा उसे क्रियात्मक रूप में करके भी दिखाता है।
मनुष्य के जीवन की स्वाभाविक जिज्ञासायें वा प्रश्न हैं कि वह कौन है? उसका स्वरूप कैसा है? वह इस संसार में कहां से आया है? उसका यहां आने का प्रयोजन क्या है और उस प्रयोजन की पूर्ति के साधन व उपाय क्या-क्या हैं? यह सृष्टि कब व किससे बनी? इस सृष्टि का निमित्त और उपादान कारण क्या हैं? उन कारणों को जानने के साधन क्या हैं और उन्हें जानकर मनुष्य को क्या लाभ होते हैं? यह भी प्रश्न होता है कि क्या हम अपने जीवन के सभी दुःखों से मुक्त हो सकते हैं और पूर्ण सुख व आनन्द की अवस्था को प्राप्त हो सकते हैं? इन सभी प्रश्नों सहित अनेकानेक आवश्यक प्रश्नों के उत्तर भी हमें वेद, वैदिक साहित्य तथा आर्यसमाज के विद्वानों व ऋषि दयानन्द रचित साहित्य सत्यार्थप्रकाश, ऋषि जीवन चरित्र, ऋषि व आर्य विद्वानों के वेदभाष्य आदि विस्तृत साहित्य का अध्ययन करने से मिल जाते हैं। इसी कारण से आर्यसमाज महाभारत के बाद का विश्व का एक अपूर्व एवं अद्वितीय संगठन है जिसकी आवश्यकता प्रत्येक मनुष्य को है। आर्यसमाज के पास उपलब्ध वेदों के ज्ञान को प्राप्त कर सब मनुष्य निभ्र्रान्त ज्ञान की अवस्था को प्राप्त होकर सबका लौकिक एवं पारलौकिक दृष्टि से कल्याण होता है। हम चाहते हैं कि इस लेख में ऐसे कुछ प्रमुख विषयों पर विचार करें।
आर्यसमाज की स्थापना असत्य को दूर करने तथा सत्य मान्यताओं के प्रचार के लिये ऋषि दयानन्द जी द्वारा मुम्बई में 10 अप्रैल, 1875 को थी। मनुष्य को सत्य ज्ञान आदि काल में परमात्मा से वेदों के माध्यम से प्राप्त हुआ था। वेद का अध्ययन करने पर इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि वेद की सभी मान्यतायें सृष्टि क्रम व ज्ञान विज्ञान के अनुकूल होने से सर्वथा सत्य है। सभी मनुष्यों व संसार को ईश्वर के अस्तित्व का बोध भी सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा प्रदत्त वेद ज्ञान से हुआ। वेदों में ईश्वर के सत्यस्वरूप पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। वेदज्ञान अपने आप में पूर्ण हैं। वेद ज्ञान को दूसरे मनुष्यों को समझाने के लिये ही ऋषियों ने वेद की व्याख्याओं के ग्रन्थ रचें हैं जो वैदिक साहित्य के नाम से जाने जाते हैं। सभी ग्रन्थ वेद के किसी विषय की व्याख्या कर उसे पाठक को समझाते व सन्तुष्ट करते हैं। उपनिषदों तथा दर्शनों का अध्ययन करने पर मनुष्य ईश्वर व सृष्टि विषयक ज्ञान को प्रायः कर ज्ञान की पूर्णता का अनुभव करता है। इन ग्रन्थों में अपने अपने विषय के मौलिक सिद्धान्तों की तर्कपूर्ण व्याख्यायें प्राप्त होती हैं। इस ज्ञान के आधार पर पाठक मनुष्य की बुद्धि शुद्ध हो जाती है और वह सभी विषयों पर चिन्तन व मनन कर उन्हें प्राप्त होता है। हमारे सभी ऋषि ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति विषयक ज्ञान से सम्पन्न थे। वह सभी निभ्र्रम थे। इसी लिये उन्हें आप्त पुरुष कहा जाता है। उन्होंने जो लिखा है, वह सब वेदानुकूल होने पर सत्य ही होता है। वेदों से ईश्वर, जीवात्मा तथा सृष्टि विषयक विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता है। वेदानुकूल योगदर्शन से मनुष्य योग के अभ्यास, ईश्वर के ध्यान व समाधि से सर्वव्यापक व सर्वान्तर्यामी परमात्मा का साक्षात्कार कर लेता है। ईश्वर के साक्षात्कार से व्यक्ति के समक्ष ज्ञान विषयक सभी ग्रन्थियां खुल जाती हैं। योगी का आत्मा पूर्ण शुद्ध होता है और वह संसार के कल्याण वा परोपकार में ही अपना जीवन अर्पित करता है। ऐसा ही जीवन ऋषि दयानन्द जी का था। उन्होंने विलुप्त वेद और वेदज्ञान को हमें प्रदान किया है। मनुष्य जीवन की सभी रहस्यों का अनावरण व शंकाओं का समाधान भी उन्होंने अपने मौखिक प्रवचनों सहित अपने सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, आर्याभिविनय, संस्कारविधि, ऋग्वेद-यजुर्वेद भाष्य आदि के द्वारा प्रदान किया है।
ऋषि दयानन्द प्रदत्त वैदिक साहित्य को पढ़कर ही मनुष्य की प्रायः सभी शंकाओं का निवारण हो जाता है। ऋषि दयानन्द के सभी ग्रन्थ साम्प्रदायिक ग्रन्थ न होकर शुद्ध सत्य ज्ञान पर आधारित ग्रन्थ हैं जिन्हें अपनाने से मनुष्य मात्र को लाभ व कल्याण प्राप्त होता है। यही कारण है कि वेद प्रचारक आर्यसमाज वेदों व ऋषि दयानन्द का प्रतिनिधि संगठन है जिसे राग-द्वेष से रहित उच्च कोटि के बुद्धिमान व मनीषियों द्वारा अपनाकर वेदों का आचरण व प्रचार प्रसार किया जाता है। वैदिक विचारधारा व सिद्धान्तों का अध्ययन करने पर वैदिक धर्म ही संसार के सभी मनुष्यों के लिए उत्तम सुखकारक एवं उन्नति प्रदान कराने वाला मत सिद्ध होता है। अतः सभी मनुष्यों को वेद एवं वैदिक साहित्य सहित ऋषि दयानन्द के सभी ग्रन्थों का विशेष रूप से अध्ययन करना चाहिये। ऐसा करके उनका वर्तमान जीवन व इहलोक तो सुधरेगा ही साथ ही परजन्म में भी उनकी उन्नति वा मोक्ष की प्राप्ति होगी। यही निष्कर्ष वेद व वैदिक साहित्य के सभी निष्पक्ष अध्येता व मनीषियों के हैं। इसी कारण से अतीत में सभी मतों व विचारधाराओं के विद्वान लोगों ने वैदिक मत को अपनाया है। सृष्टि के आरम्भ काल से महाभारत युद्ध के समय तक देश में वेद व ऋषि परम्परा के विद्यमान होने के कारण 1.96 अरब वर्षों तक संसार में अज्ञान व अविद्या से युक्त कोई मत अस्तित्व में नहीं आ सका। संसार के सभी लोग महाभारत के समय तक केवल वेद मत व धर्म को ही स्वीकार करते व पालन करते थे। मनुस्मृति के श्लोक ‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशाद् अग्रजन्मः। स्वं स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथिव्यां सर्व मानवाः’ (मनुस्मृति 2/20) से इसकी पुष्टि होती है जिसमें कहा गया है कि इस आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुए विद्वानों से भूगोल के सभी मनुष्य आदि अपने अपने योग्य विद्या और चरित्रों की शिक्षा ग्रहण करने सहित विद्याभ्यास करें। यह शब्द महाराज मनु ने तब लिखे थे जब वह पूरे देश के चक्रवर्ती राजा थे और ज्ञान व विद्या में भी उनके समान कोई नहीं था। वैदिक साहित्य के अध्ययन से विदित होता है कि संसार में वेदों से विद्या व प्रेरणा ग्रहण करने का क्रम सृष्टि की आदि से महाभारत काल तक चला है।
आर्यसमाज ने समस्त वैदिक ज्ञान-विज्ञान तथा परम्पराओं को अपने भीतर समेटा हुआ है। वह अपने किसी हानि लाभ के लिये नहीं अपितु विश्व के कल्याण के लिए सर्वश्रेष्ठ वैदिक विचारधारा व सिद्धान्तों का प्रचार करता है। वेदों की मान्यता है कि संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति तीन अनादि, नित्य व अविनाशी पदार्थ हैं। ईश्वर व जीव चेतन सत्तायें हैं। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक तथा सर्वान्तर्यामी सत्ता है। जीव अनेक व अगणित हैं तथा यह अल्प परिणाम, अल्पज्ञ, ससीम व जन्म-मरण धर्मा सत्ता है। प्रकृति जड़ है तथा तीन गुणों सत्व, रजः व तम गुणों वाली है। इस प्रकृति से ही प्रकृति के अणु-परमाणु व महतत्व, अहंकार, पांच तन्मात्रायें, दश इन्द्रियां, मन, बुद्धि आदि सहित पंच महाभूतों का निर्माण परमात्मा ने किया है और इन्हीं से यह समस्त दृश्यमान जगत वा ब्रह्माण्ड बना है। यह सृष्टि परमात्मा ने अपनी अनादि शाश्वत प्रजा जीवों के सुख के लिये बनाई है। ईश्वर अनादिकाल से जीवों के कर्मों के अनुसार सुख व दुःख देता आ रहा है। वेदज्ञान प्राप्त कर तथा वेदानुसार समस्त कर्मों को करने से मनुष्य की आत्मा की मुक्ति होती है जिसमें वह सभी दुःखों से मुक्त होकर ईश्वर में अमृत व असीम आनन्द से युक्त सुखों को प्राप्त करता है। जीवात्मा का उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त करना है। यह उसे ईश्वर को जानकर उसकी वैदिक विधि से उपासना, अग्निहोत्र देवयज्ञ आदि पंचमहायज्ञों सहित शुद्ध आचरण एवं परोपकारमय जीवन व्यतीत करने से प्राप्त होते हैं। वेदों से यह भी ज्ञान होता है कि इस सृष्टि का पालन करने वाली एक मात्र सत्ता केवल परमात्मा ही है। परमात्मा हमारे माता-पिता के समान हैं और वही जन्म जन्मान्तरों में हमारे मित्र व सखा रहे हैं व आगे भी रहेंगे। परमात्मा से हमारा साथ कभी नहीं छूटेगा। हमारे इस जन्म के सभी सम्बन्ध पूर्वजन्मों में नहीं थे और न आगे रहने वाले हैं। वह बदलते रहेंगे परन्तु ईश्वर से हमारा नित्य, व्याप्य-व्यापक, उपास्य-उपासक, स्वामी-सेवक, पिता-पुत्र, माता-पुत्र, आचार्य-शिष्य, राजा-प्रजा आदि का है। अतः हमें इस संबंध को अधिक गहन व निकट बनाने के लिये ईश्वर की नित्यप्रति स्तुति, प्रार्थना व उपासना सहित वेदविहित सभी शुभकर्मों को करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिये। आर्यसमाज में आकर व उसके साहित्य का अध्ययन कर मनुष्य सच्चा व श्रेष्ठ मानव बनता है। यही हमारे आकर्षण का कारण है। वेद की शिक्षाओं से हम इस जीवन में सुख पा रहे हैं और मृत्यु के बाद भी सभी वेदानुयायियों को सुख व उन्नति की प्राप्ति होगी। हम यह भी अनुभव करते हैं कि विश्व में पूर्ण सुख-शान्ति एवं कल्याण तभी उत्पन्न हो सकता है कि जब संसार के सभी मनुष्य ईश्वर प्रदत्त सत्य सिद्धान्तों के पोषक वेदों का धारण व पालन करें।
-मनमोहन कुमार आर्य
डॉ राधाकृष्णन की 132वीं जयंती पर शिक्षक दिवस सम्पन्न
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में शिक्षक दिवस व डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 132वीं जयंती पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल मे परिषद का 84वां वेबिनार था।
मुख्य अतिथि डॉ रमा शर्मा (प्रधानाचार्या, हंसराज कॉलेज, दिल्ली) ने कहा कि माता पिता गुरु हीं सच्चे पथप्रदर्शक हैं सचमुच यदि ये कहा जाए कि माता पिता ईश्वर के समतुल्य है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।माता पिता व गुरु ही जीवन जीने की कला का सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।गुरु ज्ञान के दीपक की बाती होता है जो खुद जलकर संसार को ज्ञान से आलोकित करता है।शिक्षक दिवस के अवसर पर हम सभी को संकल्प लेना होगा कि शिक्षकों को पूरा सम्मान प्रदान करे तभी शिक्षक दिवस मनाना सार्थक सिद्ध होगा।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि शिक्षक समाज की भावी संरचना की नींव रखते हैं।शिक्षक के माध्यम से ही शिक्षित व संस्कारी विद्यार्थी परिवार,समाज और देश के लिए कार्य करना सीखता है।आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती सच्चे शिक्षक व पथप्रदर्शक थे,उनके द्वारा प्रशस्त मार्ग से आज भी लोग पाखंड व अंधविश्वास से दूर रहते है और समाज की कुरीतियों से लोहा लेने का बल रखते हैं।आज भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की 132वीं जयंती है।उन्हे बचपन से ही किताबों से बहुत लगाव था।डॉ॰ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे।उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाज सेवी शिक्षाविद महेन्द्र मनचंदा ने सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि गुरु के बिना ज्ञान सम्भव नहीं इसलिए गुरुओं का सम्मान करने का संकल्प लें।
फरीदाबाद के न्यू जॉन. एफ. केनेडी स्कूल के निदेशक विद्या भूषण आर्य ने कहा कि शिक्षक समाज को एक नयी दिशा देता है।वह चाहे तो समाज में फैली कुरीतियों,बुराइयों को मिटा कर संस्कार वान पीढ़ी का निर्माण कर सकता है।
फरीदाबाद के ए.डी.सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य सुभाष श्योराण ने कहा कि शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है,लेकिन जीवन जीने का तरीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि शिक्षक केवल वही नहीं होता है जो हमे सिर्फ स्कूल,कॉलेजों में पढ़ाये,शिक्षक वो भी है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है।
गायिका विमला आहूजा,संगीता आर्या,चिंकी झा,दीप्ति सपरा, ईश्वर आर्या(अलवर),चंद्रकांता आर्या(बंगलोर),नरेश खन्ना, विचित्रा वीर,वीना वोहरा (गाजियाबाद),डॉ मधु खेड़ा,उषा मलिक,किरण सहगल,राजश्री यादव,पुष्पा चुघ आदि ने ओजस्वी गीतों से समा बांध दिया।
मुख्य रूप से यशोवीर आर्य, प्रमोद शास्त्री,अभिमन्यु चावला, के एल राणा,नरेश प्रसाद,यज्ञवीर चौहान,देवेन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र भगत, राजेश मेहंदीरत्ता,वीना निश्चल, गीता गर्ग,दर्शना मेहता आदि उपस्थित थे।
जन मानव उत्थान समित्ति के जोशी बने देवगढ़ तहसील अध्यक्ष और बर्मन जयपुर जिला महासचिव
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। जन मानव उत्थान समित्ति के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु वैष्णव ने राजस्थान में अपनी कार्यकारणी का गठन करते हुए राजसमन्द जिले के देवगढ़ तहसील पर विवेक कुमार जोशी को तहसील अध्यक्ष और जयपुर जिलामहासचिव पद पर रंजना बर्मन को नियुक्त किया ।
ये कदम काफी सोच विचार कर जन मानव उत्थान समित्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा द्वारा समाज सेवा में उल्लेखनीय कार्य को देखते हुए राजस्थान निवासी कर्मठ और ईमानदार एवम सामाजिक कार्य क्षेत्र में हमेशा अग्रणी रहने वाले विवेक कुमार जोशी और रंजना बर्मन को पद पर नियुक्त किया है ।
राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा ने आशा व्यक्त की पदाधिकारी संस्था के उद्देश्य एवम कार्य विश्व शांति व मानवता के हित के हर कार्य को सम्पूर्ण प्रदेश में जन जागरूकता अभियान चला कर जन जन तक पहुचाने का कार्य करेंगे एवम महिलाओं व बेटियों पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ अभियान चलाकर अपराधों पर रोक लगाने एवम इस और मजबूत कार्य करके संगठन के कार्य को जन जन तक पहुचाने का कार्य करेंगे ।
जोशी ने बताया कि वो देवगढ़ तहसील में जन मानव उत्थान समिति की कार्यकारणी गठित करके समाज में व्याप्त बुराइयों को उठाने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे ।
विश्व ब्राह्मण संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता बीके शर्मा हनुमान का किया सम्मान
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। शिक्षक दिवस को प्रेरणा दिवस के रुप में मनाया इस अवसर पर विश्व ब्राह्मण संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता बी के शर्मा हनुमान का उनके प्रति आस्था रखने वाले कुमार देवाशीष ओझा व संजय शुक्ला ने आर डी सी कार्यालय पर पहुंचकर बी के शर्मा हनुमान का पुष्प गुच्छ अंग वस्त्र मुकुट पहनाकर बी के शर्मा हनुमान का विधिवत सम्मान किया इस अवसर पर बी के शर्मा हनुमान ने कहा कि ! गुरू- शिष्य परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। इस परंपरा के अंतर्गत गुरु अपने शिष्य को शिक्षा प्रेरणा देता है। गु शब्द का अर्थ अंधकार (अज्ञान) होता है और रू शब्द का अर्थ प्रकाश (ज्ञान) होता है। इस प्रकार जो अज्ञान का अंधकार मिटा कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं वही गुरु कहलाते हैं। गुरु का हमारे जीवन में बहुत ही बड़ा महत्व है जो की सर्वविदित है।
शिक्षक ईश्वर का दिया हुआ वह उपहार है जो हमेशा बिना किसी स्वार्थ के भेदभाव रहित स्वभाव से बच्चों को अच्छे बुरे का ज्ञान कराता है। माता-पिता के बाद शिक्षक ही होता है जो बच्चों को एक सही रूप में ढ़ालने की नींव रखता है। शिक्षक दिवस देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर 5 सितंबर 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन सभी स्कूल और संस्थानों में बच्चे और युवा किसी उत्सव के रूप में शिक्षक दिवस मनाते हैं। सभी बच्चों के माता-पिता बच्चों की उनकी जरूरतों को पूरा करने में सहायता करते हैं लेकिन शिक्षक उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ाने में और उनका भविष्य निखारने में उनकी मदद करते हैं। बिना गुरू के ज्ञान नहीं होता यह एक कहावत ही नहीं सच्चाई है। इस अवसर पर कुमार देवासीएसओझा ने बताया कि बीके शर्मा हनुमान भी हमारे प्रेरणा रूपी शिक्षक स्वरूप हैं जिन्होंने हमें समाज में एकजुट करने का कार्य किया है और हमें हमेशा प्रेरणा दी है राष्ट्रवादी विचारधारा , सामाजिक कार्यों,व देशहित की और विशेषकर कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जागरूक किया है जो प्रेरणा दें और सही मार्ग पर चलने की शिक्षा दें तो सही मायने में वही गुरु है आज हम हनुमान जी का सम्मान करते हुए अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं
जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, उनके कुछ छात्र 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे, जिस पर उन्होंने कहा कि यदि इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह उनका सौभाग्य होगा। तब से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन शिक्षकों को प्यार, दुलार और प्रशंसा के रूप में उपहार देते हैं। इस अवसर पर पंडित देवेंद्र शर्मा ,कुमार देवासीश ओझा, संजय शुक्ला, रवि कुमार शर्मा, मनोज शर्मा, शिवकुमार शर्मा, श्यामलाल सरकार आदि मौजूद थे
Friday 4 September 2020
एनटीपीसी दादरी को सीआईआई का एनवायरनमेंटल बेस्ट प्रैक्टिसेज अवार्ड-2020 मिला
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
दादरी। एनटीपीसी दादरी को कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के एनवायरनमेंटल बेस्ट प्रेक्टिसेज अवार्ड-2020 से सम्मानित किया गया है।
यह पुरस्कार एनटीपीसी दादरी में उत्कृष्ट पर्यावरण प्रबंधन हेतु शुरु किये गये इनिशियेटिव/टॉपिक ‘‘एग्रो रेसिड्यू बायोमास पैलेट को -फायरिंग फॉर पावर जेनेरेशन’’ के लिये दिया गया है जिसमें एनटीपीसी दादरी को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। एनटीपीसी दादरी को ‘‘इन्नोवेटिव एनवायरनमैंटल प्रोजेक्ट श्रेणी’’ के अंतर्गत
‘मोस्ट यूज़फुल एनवायरनमैंटल प्रोजेक्ट’’ का पुरस्कार हाल ही में वर्चुअल प्लेटफार्म पर आयोजित नेशनल कम्पटीशन के दौरान दिया गया।
पुरस्कार की ट्राफी एवं प्रमाण पत्र अपर महाप्रबंधक (ईएमजी-केमिस्टी) डा राम प्रसाद दास द्वारा समूह महाप्रबंधक (दादरी) श्री सी शिवकुमार को सौंपे गये। इस अवसर पर एनवायरनमैंट मैनेजमैंट ग्रुप (ईएमजी) के उप महाप्रबंधक श्री पर्वत लाल, श्री बी एस मीना तथा वरिष्ठ प्रबंधक श्री संदीप जैन भी उपस्थित रहे।
“अग्निहोत्र करने से परिवार ज्ञानवान होकर निरोगी व उन्नत होता है”
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
वैदिक धर्म एवं संस्कृति की विशेषता है कि इसके सब सिद्धान्त एवं मान्यतायें ज्ञानयुक्त है तथा तर्क एवं युक्ति की कसौटी पर खरे हैं। वैदिक धर्म का पालन करते हुए सभी गृहस्थियों के लिए प्रतिदिन प्रातः एवं सायं अग्निहोत्र यज्ञ का विधान किया गया है। अग्निहोत्र का विधान प्रत्येक गृहस्थी मनुष्य का प्रमुख कर्तव्य होता है। इसका कारण यह है कि गृहस्थ के निमित्त से वायु व जल में जो विकार होता है, उसका सुधार करना होता है। हम जो श्वास छोड़ते हैं व मल-मूत्र आदि का विसर्जन करते हुए उससे वायु व जल विकृत होते हैं। गृहस्थजनों को अपने जीवन में शौच एवं रसोई आदि के व्यवहार करने होते हैं। इन कार्यों से भी जल एवं वायु की अशुद्धि होती है। शुद्ध एवं जल का उपलब्ध होना व उन्हीं का प्रयोग करना स्वस्थ जीवन के अत्यन्त आवश्यक है। अतः सभी गृहस्थियों द्वारा वायु एवं जल को शुद्ध रखने तथा अन्यों द्वारा अशुद्ध हुए वायु व जल को शुद्ध करना व रखना कर्तव्य निश्चित होता है। इसी कार्य को अग्निहोत्र यज्ञ करके सम्पन्न किया जाता है।
इस अग्निहोत्र यज्ञ को समझने के लिये हमें यह जानना होता है कि अग्नि इसमें डाले गये पदार्थों को जला कर सूक्ष्म कर देती हैं जो अत्यन्त हल्के होकर वायुमण्डल में फैल जाते हैं। अग्निहोत्र करते हुए हम अग्नि में शुद्ध गोघृत का मुख्य रूप से प्रयोग करते हैं। घृत का मुख्य गुण आरोग्य व बल प्रदान करना तथा दुर्गन्ध का नाश कर सुगन्ध का प्रसार करना होता है। अग्नि में घृत की आहुति देने से वायु में जो विकार, अशुद्धियां व दुर्गन्ध होता है, वह घृत के जलने से उसके सूक्ष्म कणों व परमाणुओं के द्वारा वायु मण्डल में फैल कर वायु की अशुद्धियों व दुर्गन्ध आदि विकारों को दूर करता है। इससे हमें शुद्ध प्राण वायु की प्राप्ति होती है। यह शुद्ध वायु हमारे स्वास्थ्य, आरोग्य, बल व आयु वृद्धि की दृष्टि से लाभकारी होती है। अतः यह निश्चित होता है कि अग्नि में घृत की आहुति देने से वायु के विकार, अशुद्धियां व दुर्गन्ध दूर होकर अशुद्ध वायु का सुधार, शुद्धि व उसकी गुणवत्ता में वृद्धि होती है। ऐसा ही अनुभव सभी यज्ञ करने वाले परिवारों का होता है। यज्ञ में हम केवल शुद्ध घृत का ही प्रयोग नहीं करते अपितु इसके साथ वनीय ओषधियों, बलवर्धक पदार्थों यथा नारीयल, बादाम, काजू आदि सूखे फल, ओषधियां, शक्कर, वनस्पतियों आदि का प्रयोग भी करते हैं। इन सबके जलने व सूक्ष्म होकर शरीर में प्रविष्घ्ट होने से भी मनुष्य को वायु व आकाशीय जल की शुद्धि सहित स्वावस्थ वा आरोग्यता आदि अनेक लाभ होते हैं।
अग्निहोत्र करने से एक लाभ यह भी होता है कि अग्निहोत्र करने से परोपकार होता है। हमारे द्वारा किया गया यज्ञ भारी मात्रा में वायु का सुधार व शुद्धि करता है जो पूरे वातावरण में फैल कर सर्वत्र दूषित वायु की अशुद्धियों व दुर्गन्ध का नाश करता है। इससे सैकड़ो व सहस्रों मनुष्यों सहित वायुस्थ प्राणियों को भी लाभ होता है। इस परोपकार का फल हमें ईश्वर से सुख व कल्याण के रूप में प्राप्त होता है। यज्ञ करने वालों को परमात्मा जीवन में सुख व शान्ति देता है और प्रतिदिन यज्ञ करने से यज्ञकर्ता के पुण्य कर्मों का जो संचय होता है उसके प्रभाव से उसे परजन्मों में भी सुख व आत्मा की उन्नति का लाभ होता है। इसके विपरीत जो मनुष्य अग्निहोत्र नहीं करते वह अपने श्वास, मलमूत्र तथा अन्य कार्यों से वायु, जल व वातावरण की अशुद्धि करने से उस मात्रा में पापों के भागी होते हैं जिसका परिणाम मनुष्य जन्म व परजन्मों में दुःख होता है। इसका तर्कसंगत कारण यह है कि हमारे निमित्त से जो अशुद्धि व वायु में दुर्गन्ध (श्वास-प्रश्वास व मल-मूत्र के विसर्जन द्वारा) होता है है उससे हमें व दूसरों को हानि होती है। इस कारण यह पाप कर्म कहा जाता है। अतः सभी दृष्टियों से यज्ञ करना पुण्य एवं शुभ कर्म सिद्ध होता है। इसी कारण सृष्टि के आदि काल से हमारे देश में यज्ञ होता आया है। हमारे सभी ऋषि मुनि योगी व विद्वान स्वयं यज्ञ करते थे और सभी गृहस्थियों को भी यज्ञ करने की प्रेरणा करते थे। इसका परिणाम यह होता था देश भर का वायु व जल शुद्ध रहते थे और रोग बहुत ही कम होते थे।
वर्तमान समय में गृहस्थियों की आधुनिक जीवन शैली के परिणामस्वरूप अधिक मात्रा में उत्पन्न विकृत वायु व जल समाज को हानि पहुंचाते हैं वहीं उद्योग, फैक्ट्रियों तथा वाहनों से भी बड़ी मात्रा में प्रदुषण होता है जिससे देश विदेश में सर्वत्र नाना प्रकार के साध्य व असाध्य रोग देखने को मिलते हैं। इससे मनुष्य का जीवन अशान्त व दुःखों से युक्त होकर अल्पायु को प्राप्त हो रहा है। यहां तक कहा जाता है कि मनुष्य शरीर रोगों का घर है। यह कथन उचित नहीं है। यदि देश के सभी गृहस्थी दैनिक अग्निहोत्र करें और स्वच्छता पर ध्यान दें तो वायु प्रदुषण से बचा जा सकता है और जितना वायु व जल विकार कम होंगे उतना ही रोग भी कम होंगे। हमें अपने भोजन पर भी ध्यान देना चाहिये। हमारा भोजन शुद्ध शाकाहारी व अल्प मात्रा में होना चाहिये। तले भुने पदार्थो का अति अल्प मात्रा में सेवन करना चाहिये। यहां प्रदुषण की बात चल रही है। यह आवश्यक व उचित है कि हमें कृषि में रासायनिक खाद वा उर्वरकों का प्रयोग बन्द व कम करके गोबर व देशी खाद को बढ़ावा देना होगा। जैविक खाद से खेती करके जो अन्न प्राप्त होता है उससे रोग नहीं होते व बहुत कम होते हैं। यदि हम जैविक खाद का प्रयोग कर ही अन्न उत्पन्न करें व उसी का सेवन करें तो इससे भी हमारा देश अनेक रोगों से बच सकता है।
हमें आयुर्वेद का प्रचार व प्रसार करना चाहिये व उसे अपनाना चाहिये। आज कल इस दिशा में प्रगति हो रही है। ऐसा देखा गया है कि आयुर्वेद के प्रचार व सेवन सहित योगासनों व प्राणायाम आदि से रोगों का निदान होता है जबकि एलोपैथी की दवाओं से रोग ठीक होने के स्थान पर दब जाते हैं और इन दवाओं से साइड अफेक्ट के दुष्परिणाम भी झेलने पड़ते हैं। अतः यज्ञीय जीवन सहित योग, योगासन, ध्यान, प्राणायाम तथा जैविक व देशी तरीकों से खेती करके प्रदुषण पर अंकुश लगा कर हम मनुष्य जीवन को रोगों व दुःखों से बचा कर उसे सुखी कर सकते हैं। यज्ञ की स्वास्थ्य एवं सुख वृद्धि के कार्यों में मुख्य भूमिका है। अतः सुखाभिलाषी सभी मनुष्यों को दैनिक यज्ञ का अनुष्ठान करना चाहिये जिससे हमारा जीवन व परजन्म सभी स्वस्थ एवं सुखी होंगे।
यज्ञ को परिभाषित करते हुए कहा जाता है कि यज्ञ देवपूजा, संगतिकरण व दान को कहते हैं। वस्तुतः यज्ञ ऐसा ही है। यज्ञों में स्तुति, प्रार्थना व उपासना के द्वारा ईश्वर की पूजा होती है। इससे ईश्वर से हमें प्रेरणाओं के रूप में ज्ञान एवं मार्गदर्शन प्राप्त होता है। हम अपने यज्ञों में विद्वानों को भी आमंत्रण देते हैं। वह समय समय पर आकर अपने ज्ञान व अनुभवों द्वारा हमारी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर हमारा मार्ग दर्शन करते हैं जिससे हमारी सभी समस्याओं का वैदिक ज्ञान की दृष्टि से समाधान हो जाता है। हम निकटवर्ती आश्रमों आदि स्थानों पर यज्ञों के बड़े बड़े आजोजनों में सम्मिलित होते रहते हैं। इन वृहद यज्ञों में बड़े बड़े वैदिक विद्वान व महात्मागण पधारते हैं। वह गृहस्थ की समस्याओं व दुःखों से परिचित रहते हैं। उनका समाधान भी उनके पास होता है। आयोजनों में उनके प्रवचन होते हैं। वहां गृहस्थी ही प्रायः सम्मिलित होते हैं। इन आयोजनों में विद्वानों के मुखारविन्द से उपदेश सुनकर व शंका समाधान कर मनुष्य अपनी सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं।
यज्ञ का दूसरा अर्थ संगतिकरण है। यज्ञ में हमें अन्य लोगों व विद्वानों के साथ बैठने का अवसर मिलता है। इससे परस्पर संवाद होने से हम एक दूसरे से बहुत कुछ उपयोगी बातों को ग्रहण करते हैं। संगति के बारे में प्रसिद्ध है अज्ञानी मनुष्य ज्ञानी लोगों की संगति में रहे तो वह ज्ञानी बन जाता है और यदि ज्ञानी मनुष्य अज्ञानी व कुसंस्कारी मनुष्यों के बीच रहे तो उसके संस्कार भी बदल जाते हैं। हमने आर्यसमाज के साहित्य में पढ़ा है कि एक बार एक आर्य विद्वान किसी स्थान पर गये तो वहां वह एक श्मशानकर्मी परिवार के बालक के सम्पर्क में आये। वह उसकी उन्नति का विचार कर उसे अपने साथ अपने गुरुकुल में ले आये। गुरुकुल में वह बालक पाचक का काम करने लगा। गुरुकुल की पाकशाला के आसपास ही बच्चे अध्यापकों से पढ़ते थे और यह बालक सुनता रहता था। एक बार ऐसा अवसर आया कि गुरुजी ने अपने शिष्यों से कुछ प्रश्न पूछे? कई प्रश्नों के उत्तर विद्यार्थी नहीं दे पाये परन्तु इस पाचक बालक ने गुरु जी से अनुमति लेकर दे दिये। कारण यह था कि इस बालक की पढ़ने में रुचि हो गई थी और यह अपना काम करते हुए गुरुजी की बातों को सुनता रहता था। विद्या के प्रति बालक के अनुराग को देखकर उसे भी विद्यार्थी बना दिया गया। अतिरिक्त समय में वह पाकशाला का काम भी करता रहा। विद्या पूरी करने के बाद यह बालक आर्यसमाज का एक अच्छा विद्वान व प्रचारक बना। ऐसा ही एक अन्य उदाहरण गांव में पशु चराने वाले बालक का भी मिलता है। उसे भी एक संन्यासी ने अपने गुरुकुल में भर्ती किया। वह वहां पढ़कर शास्त्री व आचार्य बन गये। बाद में उन्होंने सार्वदेशिक सभा के प्रधान के रूप में भी आर्यसमाज को नेतृत्व दिया। इनका नाम आचार्य धुरेन्द्र शास्त्री व स्वामी धु्रवानन्द था। इस प्रकार संगति एवं सत्संग से मनुष्य का जीवन उन्नत होता है। यज्ञ में भी अनेक विद्वानों व जिज्ञासुओं से संगति होने से मनुष्यों को लाभ होता है। हमने भी यह लाभ देहरादून के वैदिक साधन आश्रम तपोवन, गुरुकुल पौंधा सहित आर्यसमाज के अनेक सत्संगों व समारोहों में आयोजित वृहद यज्ञों एवं सत्संगों से प्राप्त किया है। यज्ञ करने के साथ यदि हम वैदिक ग्रन्थों का स्वाध्याय भी करते हैं तो इससे अधिक लाभ होता है तथा जीवन में सर्वांगीण उन्नति होना सम्भव होता है।
यज्ञ का तीसरा अर्थ दान करना होता है। हमें सुपात्रों को दान करना चाहिये। ब्रह्म अर्थात् ज्ञान का दान सबसे उत्तम दान माना गया है। हम वृहद यज्ञों के अवसर पर विद्वानों से जो प्रवचन व उपदेश सुनते हैं वह ज्ञान का दान कर रहे होते हैं और श्रद्धालु के रूप में हम उस ज्ञान को ग्रहण कर रहे होते हैं। इससे हमारी शारीरिक, आत्मिक तथा सामाजिक उन्नति होती है। हम सार्वजनिक संस्थाओं को अपनी सामथ्र्यानुसार जो दान देते हैं उस धन से वहां कर्मचारियों को वेतन मिलता है और संस्थाओं के अधिकारी उस धन से हमारी सभी प्रकार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर व्यवस्थायें करते हैं। इससे हम व हम जैसे अनेक लोग लाभान्वित होते रहते हैं। इस प्रसंग में हम यह उल्लेख करना भी चाहते हैं कि ऋषि दयानन्द जी के देहावसान के बाद आर्यसमाज के लोगों ने डीएवी स्कूल व कालेज सहित गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार व अनेक गुरुकुलों की स्थापनायें की। यह कार्य जनता से दान के रूप मे ंधन संग्रह कर सम्पन्न किया गया। विगत 100-125 वर्षों में इन संस्थाओं ने देश भर में करोड़ों लोगों को शिक्षित कर देश से अज्ञान दूर किया है। इस प्रकार हमारा छोटा सा दान भी अन्य लोगों के दान में एकत्रित होकर बहुत बड़े बड़े उद्देश्यों को सिद्ध कर सकता है। मनुष्य को यथासम्भव अग्निहोत्र करना चाहिये। हमने अनेक धनवान परिवारों को देखा है जो पहले निर्धन थे और वैदिक विद्वानों की प्रेरणाओं से उन्होंने यज्ञ करना आरम्भ किया था। बाद में यह परिवार धनवान बने। उन परिवारों में आज भी प्रतिदिन प्रातः सायं यज्ञ होता है। आर्यसमाज ने ही देश देशान्तर में यज्ञों का प्रचार प्रसार किया है। यदि यज्ञ से लाभ न होता तो कोई शिक्षित व विद्वान व्यक्ति यज्ञ कदापि नहीं करता। यज्ञ से सभी प्रकार के लाभ होते हैं, उसीलिये याज्ञिक लोग जीवन भर यज्ञ करते हैं और अन्तिम समय तक यज्ञ करते हुए अपने प्राणों को छोड़ते है। ऐसे अनेक लोगों का यश हम नित्य प्रति सुनते व बताते रहते हैं। इसी के साथ यज्ञ विषयक चर्चा को विराम देते हैं।
-मनमोहन कुमार आर्य
श्राद्ध व तर्पण पर आर्य चिंतन गोष्टी संम्पन्न
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद की ओर से श्राद्ध व तर्पण का सही स्वरूप पर आर्य चिंतन गोष्ठी का आयोजन किया गया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि जीवित माता पिता की सेवा ही सच्चा श्राद्ध है जीते जी तो पानी नहीं पूछा और सेवा नहीं कि मरने के बाद भोज कराना यह सब पाखण्ड है।किसी मृत व्यक्ति के पास तो एक सुई भी नहीं जा सकती।हमें अपने माता पिता और बुजुर्गों की सेवा करके जीवित व्यक्ति को ही तृप्त करना चाहिए।बढ़ते हुए वृद्ध आश्रम सभ्य समाज पर कलंक हैं कि जिन्होंने हमे पाला पोसा बड़ा किया हम उनकी सेवा भी नहीं कर सकते?यह भौतिक वाद की आंधी,संस्कारों की कमी,बदलते परिवेश के कारण हो रहा है।जब तक शिक्षा अर्थ पूर्ण व संस्कारवान नहीं होगी तब तक सारी उन्नति व तथाकथित प्रगति बेमानी है और अधूरी है।यह सब पारिवारिक संस्कार व शिक्षा की कमी के कारण हो रहा है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि सत्य को श्रत् कहते हैं,उस श्रत् को जिस क्रिया से ग्रहण किया जाता है उस सत्य क्रिया का नाम श्रद्धा है।इस श्रद्धा की भावना से जो कर्म किया जाता है उस पवित्र कर्म का नाम श्राद्ध है।पितर नाम मृतकों का नहीं होता अपितु जीवितों का है।जैसे प्रज्ज्वलित अग्नि में ही आहुति लगती है बुझने पर नहीं उसी प्रकार जीवितों को ही श्राद्ध तर्पण रूप हमारी सेवायें प्राप्त हो सकती हैं मृतकों को नहीं।अतः सत्य सनातन वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के लिये आर्ष ग्रंथों के माध्यम से अन्धविश्वासों से बचो और सत्य को धारण करो।
विशिष्ट अतिथि आचार्य महेन्द्र भाई ने कहा कि श्रद्धा के साथ जो कार्य किया जावे वह श्राद्ध कहलाता है और तृप्त करने का नाम तर्पण है जीवित पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना एक सतत क्रिया है।अतः हम प्रण करें कि हम अपने जीवित माता-पिता दादा-दादी नाना-नानी सच्चे धर्मात्मा परोपकारी विद्वानों का श्रद्धा पूर्वक सम्मान करते हुए भोजन वस्त्र आदि से तृप्त रखेंगे जिन्होंने जन्म देकर पालन, पोषण व शिक्षित किया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि पाखण्डों से बच कर प्रतिदिन जीवित पितरों की सेवा करते हुए ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट पितृयज्ञ करना चाहिये। यही वैदिक धर्म का वास्तविक श्राद्ध है।
गायिका संगीता आर्या,राजश्री यादव,दीप्ति सपरा,संध्या पांडेय, उषा मलिक,उर्मिला आर्या,बिन्दु मदान,प्रतिभा सपरा आदि ने ओजस्वी गीतों से समा बांध दिया।
मुख्य रूप से प्रसिद्ध समाज सेवी डॉ आर के आर्य, आनन्द प्रकाश आर्य(हापुड़),वीना वोहरा,देवेन्द्र भगत गीता गर्ग,के एल राणा,नरेश प्रसाद,यज्ञवीर चौहान,देवेन्द्र गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना ने किया ठा. पंकज सिंह को सम्मानित
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। कोरोना वायरस जैसी बड़ी आपदा के दौरान कई सामाजिक लोगों द्वारा लोगों की मदद बढ़-चढ़कर की गई ऐसे कोरोनावायरस सम्मान को लेकर राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना की टीम प्रयासरत है इसी कड़ी में राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चंदेल के नेतृत्व में जनसागर टुडे के प्रधान संपादक ठाकुर पंकज सिंह का सम्मान जन सागर टुडे के साहिबाबाद कार्यालय पर पहुंचकर राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना की टीम द्वारा प्रतीक चिन्ह देकर किया गया ! राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चंदेल ने कहा कि जिस तरह से मीडिया ने लॉकडाउन एवं कोरोनावायरस जैसी बड़ी आपदा के दौरान अपने जाम जोखिम में डालकर खबरें पहुंचाने का काम किया वह बहुत ही सराहनीय रहा ! कोरोना योद्धा के रूप में अपना पूरा योगदान देने वाले जनसागर टुडे के प्रधान संपादक ठाकुर पंकज सिंह एवं उनकी पूरी टीम सम्मान हमारे द्वारा किया जा रहा है !
इस मौके पर प्रधान संपादक ठाकुर पंकज सिंह ने राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना की टीम को जनसागर टुडे मासिक पत्रिका सप्रेम भेंट की ! इस मौके पर राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना के महामंत्री संजय चंदेल मुख्य सलाहकार सुरेंद्र कुमार सिंह एवं जिला कार्यकारिणी सदस्य मेनपाल के अलावा जनसागर टुडे की टीम के गौतम कुमार पिंटू दुबे पंकज राय एवं चंदन सिंह मौजूद रहे !
सांसद वी.के.सिंह व चैयरमैन श्रीमती रंजीता धामा ने किया दिल्ली लोनी सहारनपुर मार्ग का निरीक्षण
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
लोनी। भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री सांसद गाजियाबाद जनरल विजय कुमार सिंह ने लोनी क्षेत्र का दौरा किया तथा करोडों की लागत से बनने जा रहे दिल्ली लोनी सहारनपुर मार्ग का निरीक्षण किया ।
एवं जलभराव की जो समस्या लोनी मे बढ रही है उसके लिये शिव विहार मेट्रो स्टेशन के पास बनाये गये नाले की गंभीर समस्या को देखा तथा सभी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये ।
इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी की लोनी नगरपालिका अध्यक्ष रंजीता धामा जी भी उपस्थित रही ।
इस अवसर पर पूर्व निर्धारित दौरे के पूर्ण समय लोनी नगरपालिका अध्यक्ष साथ रही ।
आदरणीय सांसद महोदय ने जीडीए अधिकारियों, नगरपालिका अधिकारियों,एनएचएआई एवं मेट्रो परियोजना अधिकारियों के साथ सडक निर्माण का निरीक्षण किया ।
इस अवसर पर लोनी नगरपालिका अध्यक्ष रंजीता धामा ने लोनी नगरपालिका के दूारा बनाये जा रहे नालों को लेकर भी जानकारी ली तथा सडक का निर्माण कार्य तेज दिशा मे चले इसके लिये सभी अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश दिये तथा लोनी नगरपालिका की तरफ से हरसंभव सहायता सभी विभागों के अधिकारियों को देने के लिये आश्वस्त किया ।
रंजीता धामा ने जानकारी देते हुये कहा कि दिल्ली सहारनपुर मार्ग लोनी की लाइफ लाइन है जिससे कई लाख लोगों का आवागमन दिन प्रतिदिन होता है जिसके टूटने की स्थिति मे लाखों लोगों को होने वाली दिक्कत से हम सभी वाकिफ है इसको लेकर हमने कई बार केन्द्रीय सडक परिवहन मंत्री जी राजमार्ग राज्य मंत्री जी से कई बार निवेदन किया जिसके फलस्वरूप ये सुखद समय हम सभी के बीच है जल्द ही इस सडक का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है जोकि युद्ध स्तर पर चलेगा तथा जल्द से जल्द ये सड़क बनकर तैयार हो जायेगी ।
इस सडक के बनने मे आने वाली किसी भी परेशानी को लेकर हम सभी विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय बनायेंगे तथा लोनी नगरपालिका की तरफ से हरसंभव सहायता इसके निर्माण मे की जायेगी ।
इस अवसर पर उप जिलाधिकारी लोनी, क्षेत्राधिकारी लोनी, अधिशासी अधिकारी, अधिशासी अभियंता एवं तमाम प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे ।
तंबाकू उत्पादों के सेवन से कमजोर होती है प्रतिरक्षा प्रणाली: राहुल प्रधान
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। कोविड-19 के दौरान तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषजों का भी मानना है तंबाकू उत्पादों के सेवन से श्व़सन संबंधी संक्रमण बढ़ सकता है और ऐसे लोगों कोविड-19 की चपेट में आने के लिहाज से अधिक संवेदनशील है। इनके सेवन परिवार और समुदाय के लिए भी कोविड-19 का
जोखिम बढ़ा देता है। वरिष्ठ समाजसेवी एवं भाजपा(किसान मोर्चा) राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य: राहुल प्रधान का कहना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति के मुकाबले तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वाला व्यक्ति का प्रीतरक्षा तंत्र कमजोर होता है। इसलिए कोविड-19 महामारी के दौरान तंबाकू उत्पादों का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। श्री प्रधान ने बताया कि तमाकू खैनी का सेवन करने या धूम्रपान करने से फेफड़ों पर असर पड़ता है। कोविड-19 फेफड़ों पर हमला करता है, ऐसे में तमाकू उत्पादों का सेवन करने वालों में कोविड-19 के अधिक गंभीर लक्षण देखने की आशंका अधिक है।
धूम्रपान करने में ज्यादा खतरा
धूम्रपान करने वालों के कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा अधिक है, क्योंकि धूम्रपान करने से हाथ के जरिए मुंह तक विषाणु के जाने की आशंका अधिक रहती है।
परिवार और समुदाय के लिए भी है खतरा
श्री प्रधान ने बताया कि उंगलियों के होठो के संपर्क में आने के कारण धूम्रपान करने वालों को कोविड-19 की चपेट में आने का ज्यादा रिस्क रहता है। जो लोग पाइप या होगा जैसे धूम्रपान उत्पादकों का इस्तेमाल करते हैं, वह भी इसकी रिस्क जोन मैं सबसे ज्यादा है। उनके साथ आसपास रहने वाले लोगो तक भी धुआं पहुंचता है और वह वह भी रिक्स जोन में आ जाते हैं। श्री प्रधान बताया कि धूम्रपान, ई सिगरेट, बिना धुए वाला तमाकू , पान मसाला और ऐसे ही उत्पादों के इस्तेमाल से फेफड़े संबंधी समीकरण का खतरा और तीव्रता बढ़ सकता है।
Thursday 3 September 2020
राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा युद्ध स्तर पर की जा रही है कार्यवाही
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गौतमबुद्धनगर। भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने तथा उनकी आय को दोगुनी करने के उद्देश्य से अनेक योजनायें संचालित की जा रही है। इसी श्रृंखला में भारत सरकार के द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के दृष्टि से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का संचालन किया जा रहा है।
जिलाधिकारी सुहास एल0वाई0 के नेतृत्व में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष में 57772 किसानों को प्रथम किस्त के रूप में 2 हजार रूपये की धनराशि सीधे उनके खातों में भेंजे जाने के उद्देश्य से राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारीगण युद्ध स्तर पर कार्यवाही सुनिश्चित कर रहे है। उपनिदेशक कृषि गौतमबुद्धनगर मनवीर सिंह के द्वारा जानकारी देते हुये अवगत कराया गया है कि 57772 लक्षित किसानों के सापेक्ष 53956 किसानांे के खातों में प्रथम किस्त के रूप में 2 हजार रूपये की धनराशि भेंजी जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत 15439 किसान ऐसे पाये गये जिन कृषकों का नाम आधार के अनुसार मिसमैच पाया गया है, जिसमें से 14207 किसानों का नाम आधार के अनुरूप विभागीय अधिकारियों के द्वारा अभियान चलाकर सही कराया जा चुका है। शेष 1232 किसान ऐसे है, जिनका नाम आधार के अनुसार सही होना है।
उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा अभियान चलाकर इस कार्य को पूर्ण किया जा रहा हैै, ताकि शत्-प्रतिशत लक्षित किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत प्रथम किस्त की धनराशि 2 हजार रूपये उनके खाते में भेंजी जा सकें।
उन्होंने भारत सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना की पात्रता के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये अवगत कराया है कि अगर कोई खेती की जमीन का मालिक है, लेकिन वह सरकारी कर्मचारी है या रिटायर हो चुका हो, मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक, मंत्री हो, प्रोफेशनल रजिस्टर्ड डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, 10000 से अधिक पेंशन पाने वाले को या इनके परिवार के लोगों को इस योजना का फायदा नहीं मिलता है। इसके अलावा जो भी किसान है, सभी किसानों को भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ प्राप्त होता है।
उपनिदेशक कृषि ने बताया कि किसानों के हितार्थ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत पात्रता की श्रेणी में आ रहे सभी किसानों को प्रत्येक वर्ष 3 किस्तों में 2-2 हजार रूपये की धनराशि सीधे उनके खातों मंे पहुचती है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के कुशल नेतृत्व में जनपद के 57772 किसानों को इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है।
"कमर दर्द कारण व निवारण" पर आर्य गोष्ठी सम्पन्न
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद की ओर से "कमर दर्द कारण व निवारण" पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कॅरोना काल मे परिषद का 83वा वेबिनार था।
मुख्य वक्ता डॉ सुवर्चा आर्या(शरीर क्रिया विभाग,एम्स,नई दिल्ली) ने कहा कि एक समय था जब कमर दर्द की समस्या उम्र बढ़ने के साथ होती थी,लेकिन अब बदलते लाइफस्टाइल के साथ कमर दर्द की समस्या का किसी आयु से कोई सम्बंध नही रहा।कमर दर्द में सामान्य तौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है,एक खिंचाव या अकड़न महसूस होती है।यह दर्द आमतौर पर गंभीर नहीं होता और कुछ दिनों,हफ्तों या फिर महीनों में ठीक हो जाता है।प्रत्येक व्यक्ति को इससे बचने के लिए अपनी आदतों में बदलाव करने होंगे।ध्यान रखना होगा कि लंबे समय तक एक ही स्थिति में अधिक देर तक न बैठें।बहुत अधिक देर तक बैठना जरूरी हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में उठते रहें। झटके से न तो बैठें और न ही उठें।इस तरह से बैठे ताकि रीढ़ को सहारा मिले।प्रतिदिन एक घंटा व्यायाम जरूर करें।खाने में पौष्टिक आहार लें।हरी सब्जियां, फल,ड्राई फ्रूट,दूध व दही आदि सेवन करते रहें।योग भी दर्द निवारण में सहयोगी होता है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि कमर दर्द सिर्फ वृद्धावस्था का ही दर्द नहीं है बल्कि यह किसी भी आयु वर्ग में होने वाली दर्दनाक बीमारी है। आज की बदलती जीवन शैली के कारण कमर दर्द की समस्या आम बनती जा रही है।महिलाओं में मासिक एवं गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द की शिकायत अधिक देखी जाती है।कैल्शियम, विटामिन की कमी,मांसपेशियों एवं तन्तुओं में खिंचाव, गलत आसनों के प्रयोग आदि अनेक कारणों से कमर में दर्द हो जाता है।योग व सामान्य व्यायाम के माध्यम से कमर दर्द को ठीक किया जा सकता है। साथ हीं अपने बैठने, लेटने, सोने व चलने का तरीके को ठीक रख कर भी कमर दर्द में लाभ मिलता हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाज सेवी,शिक्षाविद नीता जेठी ने सभी का कार्यक्रम में सम्मिलित होने पर आभार व्यक्त किया साथ ही सभी को योग,व्यायाम,दिन चर्या में बदलाव व प्रसन्न रहने का सुझाव भी दिया।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि कमर दर्द से आराम दिलाने वाले योग और एक्सरसाइज जैसे सूर्य नमस्कार, सेतु बंध व मार्जरी आसन करें, लेकिन ध्यान रहे कि आप इन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद विशेषज्ञों की देखरेख में ही करें।अपनी रीढ़ की हड्डी को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखने के लिए खूब पानी पियें।प्रतिदिन आधा घंटा पैदल चलने से कमर दर्द से बच सकते हैं।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि क्रोनिक बैक पेन में फिजियोथेरेपी,एक्यूपंचर,लेजर थेरेपी आदि का इस्तेमाल किया जाता है।इससे दर्द और मांस पेशियों की जकड़न कम करने में सहायता मिलती है।इसके बाद विशेष प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।
गायिका संगीता आर्या,दीप्ति सपरा,ईश्वर आर्या(अलवर), चंद्रकांता आर्या(बैंगलौर),विजय हंस,उर्मिला आर्या,स्वेगा आर्या, बिन्दु मदान,प्रतिभा सपरा,सुषमा बुद्धिराजा आदि ने ओजस्वी गीतों से समा बांध दिया।
मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई,विकास भाटिया,आनन्द प्रकाश आर्य,डॉ सुषमा आर्या, विजयभूषण आर्य,वीना वोहरा, अभिमन्यु चावला,गीता गर्ग,वीना निशचल,अशोक बंसल ,राजश्री यादव,के एल राणा,नरेश प्रसाद, यज्ञवीर चौहान,देवेन्द्र गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
जन मानव उत्थान समित्ति के अमर सिंह बने जयपुर जिलाध्यक्ष
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। जन मानव उत्थान समित्ति के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु वैष्णव ने राजस्थान में अपनी कार्यकारणी का गठन करते हुए जयपुर जिलाध्यक्ष पद पर अमर सिंह चौहान को नियुक्त किया।
ये कदम काफी सोच विचार कर जन मानव उत्थान समित्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा द्वारा पत्रकारिता में उल्लेखनीय कार्य को देखते हुए राजस्थान निवासी कर्मठ और ईमानदार एवम सामाजिक कार्य क्षेत्र में हमेशा अग्रणी रहने वाले अमर सिंह को राजस्थान जयपुर जिला अध्यक्ष बनाया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा ने आशा व्यक्त की कि अमर सिंह संस्था के उद्देश्य एवम कार्य विश्व शांति व मानवता के हित के हर कार्य को सम्पूर्ण प्रदेश में जन जागरूकता अभियान चला कर जन जन तक पहुचाने का कार्य करेंगे एवम महिलाओं व बेटियों पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ अभियान चलाकर अपराधों पर रोक लगाने एवम इस और मजबूत कार्य करके संगठन के कार्य को जन जन तक पहुचाने का कार्य करेंगे ।
अमर सिंह ने बताया कि वो जयपुर जिले में जन मानव उत्थान समिति की कार्यकारणी गठित करके समाज में व्याप्त बुराइयों को उठाने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे ।
ब्राह्मण और संत एक दूसरे के पूरक, खिलाफ हो ही नहीं सकते- बीके शर्मा हनुमान
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता बीके शर्मा हनुमान का कहना है की भारतीय परंपरा में ब्राह्मण और संत एक दूसरे के पूरक हैं। ना ब्राह्मण संत के खिलाफ हो सकते हैं और ना संत ब्राह्मण के खिलाफ जा सकते हैं। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिससे ब्राह्मण समाज को बरगलाया जा सके।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संत हैं। जितना ब्राह्मण संतों का आदर करता है संत समाज भी ब्राह्मणों का उतना ही आदर सत्कार करते हैं। वोट की राजनीति के चक्कर में कुछ राजनीतिक दल ऐसा माहौल बना रहे हैं जिससे लगे कि ब्राह्मण समाज योगी आदित्यनाथ से नाराज है। लेकिन सच यही है कि ब्राह्मण समाज किसी साधु या संत से कभी नाराज हो ही नहीं सकता। उत्तर प्रदेश में कुछ घटनाएं जरूर हुई हैं जो चिंताजनक भी हैं और निंदा के योग्य भी। लेकिन उन घटनाओं का प्रस्तुतीकरण इस तरह किया जा रहा है कि जैसे उत्तर प्रदेश की सरकार जानबूझकर ब्राह्मणों के खिलाफ काम कर रही है। ब्राह्मण समाज ऐसे ही राजनीतिक षड्यंत्र को बहुत अच्छे से समझता है। बीके शर्मा हनुमान ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है की वोट की राजनीति में पड़कर समाज को बांटने का काम ना करें। सनातन धर्म मैं ब्राह्मण समाज का स्थान बहुत सम्मानीय और बहुत ऊंचा है। ब्राह्मण समाज अपना दायित्व अच्छे से समझता है। इसलिए कोई भी राजनीतिक दल या कोई भी नेता ब्राह्मण समाज को टारगेट करने का प्रयास ना करें।
Wednesday 2 September 2020
सहयोग फॉउंडेशन महिला मंच की प्रान्त संयोजक प्रदेश अध्यक्षो घोषणा
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
लोनी। सहयोग महिला मंच की राष्ट्रीय सरक्षक अनमोल चौहान ओर राष्ट्रीय संयोजक मीना चौहान ने की सहयोग महिला मंच की प्रान्त संयोजक प्रदेश अध्यक्षो घोषणा की। डॉ इन्द्रेश कुमार जी के संरक्षण में सहयोग फॉउंडेशन की सहयोग महिला मंच की राष्ट्रीय संरक्षक अनमोल चौहान और राष्ट्रीय संयोजक मीना चौहान की संस्तुति पर सहयोग फॉउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजेन्द्र त्यागी ने दिल्ली निवासी मणि बंसल को दिल्ली प्रान्त अध्यक्ष , रायगढ़ निवासी रूपा सिन्हा को प्रान्त संयोजक महाराष्ट्र प्रदेश ,सीमा सिंह सतना निवासी को प्रान्त संयोजक मध्यप्रदेश और भोपाल निवासी स्मृति यादव को प्रान्त अध्यक्ष मध्यप्रेदश ,संगीता सिंह निवासी पटना को प्रान्त संयोजक बिहार प्रदेश ,प्रधान रेणु त्यागी निवासी हरिद्वार को प्रान्त संयोजक उत्तराखण्ड प्रदेश ,एडवोकेट मुद्रा सिंह निवासी लखनऊ को प्रान्त संयोजक अवध प्रान्त ,रूपा वीर सिंह निवासी बिजनोर को मीडिया प्रभारी उत्तरप्रदेश की घोषणा की गई इस नियुक्ति पर उत्तर प्रदेश के प्रांत अध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह बैसला समेत सभी कार्यकारिणी ने नव नियुक्ति पर सभी को बधाई दी सभी से आगामी प्रान्तों में कमेटी घोषित करके आगामी कार्यो को गति प्रदान करके राष्टवादी विचारधारा को मजबूत करेगे
पार्षद शिवानी गौरव सोलंकी ने किया पीएनबी रोड़ के निमार्ण कार्य का शुभारम्भ
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। लगभग एक करोड़ दस लाख रूपए से पीएनबी रोड के निर्माण का शुभारंभ क्षेत्रीय पार्षद शिवानी गौरव सोलंकी जी ने गणमान्य निवासियों की मोजूदगी में नारियल तोड़कर किया।
पार्षद जी ने बताया कि हमने सेक्टर 2 व सेक्टर 3 के मध्य स्थित पीएनबी रोड़ के चौडीकरण, नवीनीकरण व सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव दिया था जो बड़ी बहन महापौर आशा शर्मा जी के विशेष आशीर्वाद से पास हुआ है। लगभग दो माह में यह कार्य पूर्ण हो जाएगा।
इस मौक़े पर पार्षद शिवानी सोलंकी जी के साथ बूथ अध्यक्ष राखी गर्ग, मानसी बिष्ट, मंजू यादव, वीणा शर्मा, पुष्पा बिष्ट, संगीता सिंह, जेई पूजा सिंह जी, बूथ अध्यक्ष सक्षम भदौरिया, मंडल उपाध्यक्ष हरिओम गुप्ता जी, बूथ अध्यक्ष अशोक तिवारी जी, बूथ अध्यक्ष जगदीश प्रसाद, बूथ अध्यक्ष रमेश रावत, शंभू सिंह राजावत जी, सुभाष शर्मा जी, योगेंद्र शर्मा जी, डॉक्टर ए के मिश्रा जी, जयंत घंडियाल जी,अश्वनी शर्मा जी, डॉ डीके गुप्ता जी, विनोद बिहारी सिंह, नमित वार्ष्णेय, संदीप सिंह, नवीन चौहान, आशीष पांडे, विनय कुमार सिंह, किशोर, गिरीश शर्मा, राकेश पाल, किशन वीर शर्मा, प्रमोद राय, आरसी यादव, विकास पीवाल, अमित श्रीवास्तव, मनीष नेगी, धर्म अस्वाल, गौरव सोलंकी आदि निवासीगण मौजूद रहे।
“मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आदर्श, प्रेरक एवं अनुकरणीय जीवन”
-मनमोहन कुमार आर्य
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
वैदिक धर्म एवं संस्कृति में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन आदर्श, अनुकरणीय एवं प्रेरक उदाहरणों से युक्त जीवन है। वह आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा, आदर्श शत्रु, आदर्श मित्र, ईश्वर, वेद एवं ऋषि परम्पराओं को समर्पित, उच्च आदर्शों एवं चरित्र से युक्त महापुरुष व महामानव थे। त्रेता युग में चैत्र मात्र के शुक्ल पक्ष की नवमी को उनका जन्म पिता दशरथ तथा माता कौशल्या जी के यहां कौशल देश की राजधानी अयोध्या में हुआ था। राजा दशरथ की तीन रानियां कौशल्या, कैकेयी तथा सुमित्रा थी। राम चार भाईयों में सबसे बड़े थे। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने वेदों के मर्म को जाना व समझा था तथा उसके अनुसार अपने जीवन को बनाया था। वह प्रजा वत्सल आदर्श राजा थे। उनमें न लोकैषणा थी और न ही वित्त व पुत्र एषणा। उन्होंने एक राजा होकर अपने जीवन में अपने पिता की आज्ञा का पालन का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत जिसकी उपमा विश्व के इतिहास में दूसरी नहीं मिलती। हम सब जानते हैं कि राजा दशरथ ने अपनी प्रिय रानी कैकेयी को युवावस्था में युद्ध में उनकी प्राणरक्षा करने के लिये दो वरदान दिये थे। राजा दशरथ ने जब वृद्धावस्था में प्रवेश करते हुए वानप्रस्थी होने का विचार किया था और मंत्री परिषद की सम्मति से राम को राजा घोषित किया तो कैकेयी ने इस निर्णय से खिन्न होकर अपने दो वरदान मांग लिये थे। इन वरदानों को मांगने की प्रेरणा उनकी एक प्रमुख दासी मन्थरा ने की थी। यह वरदान थे राम को चैदह वर्ष का वनवास और भरत को अयोध्या का राज्य का राजा बनाना।
महाराजा दशरथ के सम्मुख कैकेयी को वरदान रूप में दिये अपने वचनों को पूरा करने में धर्म संकट उत्पन्न हो गया था। कारण उनका राम के प्रति मोह होना था। दूसरा कारण यह भी था कि राम सर्वथा निर्दोष थे और कुल परम्परा व योग्यता की दृष्टि से अयोध्या के राजा बनने के योग्य थे। यह तो हो सकता था कि राम को राजा न बनाया जाये, उनके स्थान पर भरत अयोध्या के राजा बन जायें, परन्तु कैकेयी अपनी दोनों ही बातों को पूरा करने के लिये हठ कर रही थी। इस अभूतपूर्व पारिवारिक परिस्थिति का समाधान राम ने स्वयं को साधु वेश में 14 वर्ष के लिये उसी दिन वन जाने की घोषणा वा निर्णय कर दिया। एक राजा होकर व उसके वैध तरीके से अध्यक्ष व राजा बनाये जाने पर भी उन्होंने राज्य का ही त्याग नहीं किया अपितु अपनी पिता के वचनों को सत्य सिद्ध करने, माता कैकेयी की आकांक्षा पूरी करने और अपने छोटे भाई भरत को राजा बनाने के लिये इस अपूर्व त्याग का अद्वितीय आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया। ईश्वर की कृपा हुई कि बाद में ऋषि बाल्मीकि जी ने राम का जन्म से लेकर राज्याभिषेक तक का इतिहास लिखा जो बाल्मीकि रामायण के रूप में उपलब्ध होता है। इस इतिहास से राम चन्द्र जी के जीवन की प्रत्येक बात को यथार्थ में जानने में आज लगभग 10 लाख वर्षों बाद भी हम समर्थ व सफल हैं। पूरा विश्व वा मानव जाति राम चन्द्र जी के अयोध्या राजा के पद के त्याग करने सहित पिता की आज्ञा पालन करने के लिये वन जाने, वहां साधु वेश की मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करने, नगरों में न जाना, पिता दशरथ की मृत्यु के बाद माता कैकेयी व भाई भरत के शुद्ध हृदय से की गई विनती को भी स्वीकार न कर पिता के वचनों को सत्य सिद्ध करने के लिये अडिग रहने आदि उनके निर्णयों के निश्चय ही प्रशंसक हैं। कुछ अज्ञानी व विकृत मानसिकता के मनुष्य यदि राम के आदर्श चरित्र को स्वीकार न भी करें तो इससे राम के त्याग व आदर्श कम नहीं होते। अतः राम का आदर्श पूरी मानव जाती के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय है। उनका अनुकरण कर मनुष्य सच्चा ईश्वर भक्त, विद्वानों का भक्त व अनुचर, पितृभक्त, त्यागी, तपस्वी, देशभक्त, धर्म व संस्कृति का प्रेमी, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श राजा व आदर्श शत्रु के गुणों से युक्त हो सकता है। रामचन्द्र जी के बारे में यह कहावत सत्य चरितार्थ होती है कि जब तक संसार में सूर्य व चन्द्र आदि विद्यमान है, राम का यश व कीर्ति संसार में अक्षुण रहेगी।
रामचन्द्र जी के जीवन में अनेक विशेषतायें थी। उन्होंने अत्यन्त विपरीत परिस्थितियों में अपने पिता, अपनी तीनों माताओं तथा भाईयों का सम्मान प्राप्त किया। भरत ने तो उनको इतना सम्मान दिया कि राम की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने राम के समान त्याग का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए राजधानी अयोध्या से कुछ दूर ग्राम व वन के समान वातावरण में रहकर साधुओं का जीवन व्यतीत करते हुए अपने राज्य का संचालन किया। उनके शासन काल में भी अयोध्या में राम राज्य के समान प्रजा समस्त सुखों व सन्तोष से युक्त थी। राम के वनगमन पर वन में रहकर ईश्वर का ध्यान तथा देश व समाज की सुख व समृद्धि आदि के लिये किये जाने यज्ञों का करने वाले ऋषियों, मुनियों व साधुओं को राक्षसों द्वारा परेशान करने व उनकी हत्या आदि तक करने जैसी समस्यायें सामने आयीं। यहां भी उन्होंने वेदों से प्रेरणा लेकर सभी राक्षस शक्तियांे व समुदायों से अकेले व अपने भाई लक्ष्मण के साथ युद्ध किये व सभी शत्रुओं को परास्त ही नहीं किया अपितु सभी प्रमुख राक्षसों का वध कर वनों में ईश्वर की उपासना व भक्ति करने वाले ऋषियों व तपस्वियों को सुखी व निश्चिन्त किया। राम चन्द्र जी का यह कार्य हमारी वर्तमान सरकारों व देशवासियों के लिये प्रेरक है। हमें लगता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी यथासम्भव राम की नीतियों का पालन कर रहे हैं। 14 वर्षों तक वनों में विचरण करते हुए रामचन्द्र जी ने प्रायः सभी स्थानों को राक्षसों से विहीन कर दिया था।
वनों में भ्रमण करते हुए रामचन्द्र जी अनेक वृद्ध व सिद्ध योगियों सहित अनेक ऋषियों के सम्पर्क में आये थे। उन सबका सान्निध्य भी श्री राम, सीता जी व लक्ष्मण जी ने प्राप्त किया था तथा उनसे सदुपदेश प्राप्त किये थे। यह सदुपदेश वेदों की आज्ञाओं पर प्रकाश डालते थे और उनका मानना व पूरा करना ही रामचन्द्र जी ने एक क्षत्रिय राजा होने के कारण अपना धर्म व कर्तव्य निर्धारित किया था। ऋषियों का आशीर्वाद तथा उनके द्वारा युद्ध विषयक ज्ञान व अस्त्र शस्त्र प्रदान करने का परिणाम यह हुआ कि रामचन्द्र जी प्रत्येक युद्ध में अकेले ही विजय पाते रहे। उनके पास शारीरिक बल, वीरता, अपने कर्तव्यों का ज्ञान, उन्हें पूरा करने के प्रति निष्ठा तथा आवश्यक अस्त्र शस्त्र उपलब्ध थे। इसका परिणाम ही खर दूषण प्रतापी राक्षसों के वध, बाली वध, ताड़का वध, कुम्भकरण-मेघनाथ-रावण वध आदि के रूप में हम देखते हैं। रामचन्द्र जी को जिन छोटे राजाओं ने किंचित भी सहयोग दिया, उन्होंने उन्हें अपना मित्र बनाया व आजीवन मित्रता को आदर्श रूप में निभाया भी। उनके कुछ मित्र केवट, सुग्रीव, हनुमान, अंगद, विभीषण आदि के प्रति उनका व्यवहार आदर्श उपस्थित करता है। श्री राम के जीवन में हम उन्हें नारी जाति को सम्मान देते हुए भी देखते हैं। रामचन्द्र जी के युग में नारियों को वेदाध्ययन करने तथा स्वयंवर विवाह करने के अधिकार प्राप्त थे। कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा तथा सीता आदि ने वेदों का अध्ययन किया था। सीता जी को तो वैदेही की संज्ञा प्राप्त है। माना जाता है कि वह चारों वेदों की विदुषी थी। रामचन्द्र जी भी वेदों के विद्वान थे और यजुर्वेद में उनको विशेष प्रवीणता प्राप्त थी। राम चाहते तो उन दिनों सुग्रीव व रावण की लंका को अपने राज्य का अंग बना सकते थे परन्तु उन्होंने वेदों की शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर किसी राज्य की स्वतन्त्रता का हरण नहीं किया अपितु वहां धर्म पारायण राजाओं को स्थापित कर उनको स्वतन्त्र बनाये रखा और उनकी प्रजा को भी सुख व उन्नति के अवसर प्रदान किये।
रामचन्द्र जी को बाली, रावण व अनेक प्रतापी राक्षसों से इस कारण युद्ध करना पड़ा कि ये सब अधर्म का प्रतिनिधित्व करते थे। इन राजाओं में से किसी का चरित्र उज्जवल व वेदानुकूल नहीं था। उनके राज्य की जनता इनके कुशासन से त्रस्त थी। माता सीता का अपहरण होने पर भी राम ने महाबली राजा बाली से सन्धि नहीं की। ऐसा करके वह सरलता से माता सीता को रावण की कैद से छुड़ा सकते थे। उन्होंने धर्मपालक विस्थापित राजा सुग्रीव का साथ दिया और उसकी सहायता से रावण को अपनी भूल सुधार वा क्षमायाचना करने का अवसर भी दिया। रावण को अपनी शक्तियों का मिथ्या अभिमान था। वह अपने इस अभिमान, अधर्म व दुश्चरित्रता के कारण ही अपने समस्त बन्धुओं व पुत्रों सहित नाश को प्राप्त हुआ। रावण को पराजित कर राम ने उनके भाई विभीषण को जो धर्म तत्व को जानता व मानता था तथा रामचन्द्र जी का सहयोगी भी था, उसे लंकाधिपति बनाया और वनवास की अवधि पूरी होने पर अयोध्या लौट आये। अयोध्या लौटकर वह अपने भ्राता भरत व शत्रुघ्न तथा माताओं सहित प्रजाजनों व ऋषि मुनियों से मिले थे। सभी ने उनका सम्मान किया था। कुछ ही समय बाद उनका सर्वसम्मति, उत्साह व प्रसन्नता से राज्याभिषेक हुआ और उसके बाद वर्षों तक वह अयोध्या के आदर्श राजा बने रहे। उनका राज्य आदर्श वैदिक राज्य था। रामचन्द्र जी वेदों की सभी शिक्षाओं को मानने वाले विश्व के सबसे महान राजा व महापुरुष थे। उन्होंने अपने पूर्वजों की कीर्ति को बढ़ाया है।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन चरित्र सभी देशवासियों को पढ़ना चाहिये। स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती द्वारा सम्पादित प्रक्षेप रहित बाल्मीकि रामायण स्वाध्याय का उत्तम ग्रन्थ है। महाभारत युद्ध के बाद वेदाध्ययन में अवरोध होने के कारण अपने देश व समाज में अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न हुईं। मूर्तिपूजा, मृतक श्राद्ध व फलित ज्योतिष इसी मध्यकाल की देन हैं। इन अन्धविश्वासों व कुरीतियों के कारण ही देश छोटे छोटे राज्यों में विभक्त हुआ और ईसा की आठवीं शताब्दी में यवनों ने देश के कुछ भागों को गुलाम बनाया। बाबर आदि क्रूर राजाओं ने देश के कुछ भागों पर शासन किया। उसी के शासन में अयोध्या का राम मन्दिर तोड़ा गया था। देश की आजादी के बाद से राम जन्म भूमि मन्दिर की मुक्ति का मुकदमा चल रहा था। इस कानूनी लड़ाई में आर्य हिन्दुओं को अयोध्या में राम जन्म भूमि मन्दिर की विवादित भूमि मिली है। बाबर के समय से ही राम जन्म भूमि को विधर्मियों से मुक्त कराने के लिये लाखों आर्यों ने बलिदान दिये हैं। विधर्मियों को मजहब के नाम पर पाकिस्तान भी मिल गया और उन्होंने हमारे देश में आर्यों की मन्दिर आदि की सम्पत्तियों पर भी अवैध कब्जा किया हुआ है। मोदी जी के 6 वर्षों के शासन की अनेक उपलब्धियों में एक यह अयोध्या मन्दिर विवाद का शान्तिपूर्ण हल होना भी सम्मिलित है। राम जन्मभूमि मन्दिर के निमार्ण की प्रक्रिया आरम्भ हो गई है। मोदी जी और योगी जी के नेतृत्व में कार्य योजनाबद्धरूप से चल रहा है। आने वाले दो तीन वर्ष में अयोध्या में जन्मभूमि स्थान पर विश्व का एक भव्य एवं विशाल मन्दिर बनेगा। मन्दिर निर्माण के कार्य में उ.प्र. के मुख्य मंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी का भूमिका भी प्रशंसनीय है।
राम मन्दिर को महापुरुष भगवान रामचन्द्र जी की गरिमा के अनुरूप बनाना चाहिये। रामचन्द्र जी अविद्या, अन्धविश्वास तथा कुरीतियों से कोसों दूर थे। वह निष्ठावान वैदिक धर्मी व ऋषियों के अनुयायी थे। निमार्णाणीन मन्दिर में भी अन्धविश्वासरहित वेदों व वैदिक धर्म की ही प्रतिष्ठा होनी चाहिये। भविष्य में उसे विधर्मियों व आर्य हिन्दू संस्कृति विरोधी सेकुलरों से किसी प्रकार की क्षति न हो, इस पर समस्त आर्य हिन्दू जाति को ध्यान देना है और उसके उपाय करने चाहियें। ईश्वर करे कि इस देश का हर बच्चा राम के आदर्श को अपनाये और अपने जीवन को सफल करें।
होर्टीकल्चर फ्लोरीकल्चर सोसाइटी की पहली ई-स्मारिका का किया उद्घाटन
समीक्षा न्यूज नअैवर्क
गाजियाबाद। 133 बी मोडल टाउन ईस्ट , गाज़ियाबाद , मुख्यालय होर्टीकल्चर फ्लोरीकल्चर सोसाइटी – आज यहाँ एक वेबिनार में होर्टीकल्चर फ्लोरीकल्चर सोसाइटी की पहली स्मारिका का उद्घाटन राष्ट्रिय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने किया। ये सोसाइटी पिछले लम्बे समय से पर्यावरण , वनस्पति संरक्षण , वर्टीकल गार्डनिंग , टेरिस गार्डनिंग , बहुमंजली इमारते की बाल्कनिज में सब्जी का उगाना , बोनजाई , कम्पोस्टिंग एवं अनेको विषयों पर वेबिनार आयोजित कर रही है। प्रत्येक वेबिनार में किसी एक संबंधित विशेषज्ञ को बुलाया जाता है जो लोंगो की समस्याओं का समाधान करता है।
होर्टीकल्चर फ्लोरीकल्चर सोसाइटी की चेयरपरसन श्रीमती रमा त्यागी ने बताया की इस कार्यक्रम की लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी है की प्रत्येक वेबिनार में 500 से अधिक लोग जुड़ रहे हैं और थोड़ी अवधि में ही इस सोसाइटी ने अप्रत्याशित मुकाम हासिल किये है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और घरो से निकलने वाले कूड़े की कम्पोस्टिंग करने के लिए एक निरंतर अभियान चलाया जा रहा है। श्रीमती रश्मि अग्रवाल ने बताया की इसी सोसाइटी के सदस्य पिछले दस वर्षो से लगातार पुष्प प्रदर्शनी का भी आयोजन कर रहे है। आज पुष्प प्रदर्शनी गाज़ियाबाद की एक अत्यंत लोकप्रिय इवेंट बन चुकी है।
वेबिनार में भाग लेने वाली मुख्यत वंदना भटनागर , पी के मल्होत्रा , शेल्जा मिश्रा , सोनिया अग्रवाल , जय प्रकाश आदि ने अपने विचार रखे और बताया की होर्टीकल्चर फ्लोरीकल्चर सोसाइटी की ई - स्मारिका प्रतिमाह प्रकाशित की जायेगी जिसमे आम लोगो की समस्याए और उनके समाधान पर लेख प्रकाशित किये जायेंगे। इस स्मारिका के सम्पादक है ग्रुप कैप्टन सुशिल भाटिया। ई - स्मारिका का वर्तमान में सरकुलेशन करीब 80 हजार परिवारों तक पहुंचेगा। गाज़ियाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर अक्सर देश में सबसे अधिक रहा है इसलिए यहाँ इस तरह की सोसाइटी की एक चिल्लाती हुई आवश्यकता थी जो पर्यावरण बचाओ को समर्पित हो।
Tuesday 1 September 2020
पार्टी हाईकमान की गाइडलाइन: पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन करने के लिए लेनी होगी इजाजत: वीरेन्द्र यादव एडवोकेट
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को अब अनुशासन में रहकर कार्य करना होगा क्योंकि उनके लिए पार्टी हाईकमान ने एक नई गाइडलाइन जारी कर दी हैं। समाजवादी पार्टी ने संगठन में अनुशासन को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है इसके लिए कई शर्तें और पाबंदी लगाकर गाइडलाइन जारी करते हुए कार्यकर्ताओं की जवाबदेही तय की गई है जिससे उनके मनमानी पर रोक लग सके। इस गाइडलाइन का स्वागत करते हुए समाजवादी पार्टी के गाजियाबाद जिला महासचिव एडवोकेट वीरेन्द्र यादव ने कहा की पार्टी हाईकमान द्वारा लिया गया यह फैसला पार्टी में एकजुटता दिखाने और गुट बंदी को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाने का काम करेगा।
जिला महासचिव वीरेन्द्र यादव ने बताया कि हाईकमान के पास शिकायत पहुंच गई थी कि सरकार के खिलाफ पार्टी की तरफ से घोषित आंदोलन या स्थानीय मुद्दों को लेकर पार्टी नेता कुछ सपाइयों के साथ लाल टोपी लगाकर अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं इससे पार्टी में गुट बंदी होने और एकजुटता के अभाव का संदेश जाता है। लेकिन अब सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट और एकमत होकर चलना पड़ेगा। इस फैसले के बाद अब कोई भी कार्यकर्ता सिर्फ लाल टोपी लगाकर और खुद को सपाई बताकर अपनी मर्जी से कोई आंदोलन धरना प्रदर्शन नहीं कर पाएगा। वीरेन्द्र यादव ने बताया कि पार्टी की इस गाइडलाइन को तोड़ना अनुशासनहीनता माना जाएगा और इस लीक से हटकर चलने वालों पर पार्टी द्वारा कार्रवाई भी की जाएगी। पार्टी हाईकमान द्वारा लिए गए इस फैसले आगामी 2022 के चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कार्यकर्ताओं मे एकजुटता आएगी और मजबूती मिलेगी जिससे कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का परचम पूरी मजबूती के साथ लहराएगा। वीरेन्द्र यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को आपसी गुटबाजी को छोड़कर पार्टी आगामी चुनाव की तैयारियों में लग जाना चाहिए जिससे की पार्टी को मजबूती मिल सके। समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में किए गए विकास कार्य की जानकारी प्रत्येक कार्यकर्ता को पूरी मेहनत के साथ घर-घर तक जाकर पहुंचाने का काम करना होगा।
आरडब्लूए और फ्लेट ओनर फेडरेशन के पदाधिकारियों के साथ नगर आयुक्त ने की बैठक
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। सभागार , नगर निगम , गाज़ियाबाद में नगर आयुक्त श्री महेंद्र सिंह तंवर के साथ आरडब्लूए फेडरेशन गाज़ियाबाद और फ्लेट ओनर फेडरेशन गाज़ियाबाद के शीर्ष पदाधिकारियों की एक बैठक हुई।
दोनों फेडरेशन के अध्यक्ष कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने प्रशन किया की 42 वे फाइनेंस कमिशन ने देश की सभी नगर निगमों को ( Urban Local Bodies – ULB ) को 88 हजार करोड़ की धनराशी 2015 से 2020 तक के लिए उपलब्ध कराई थी। इस धनराशी में 80% Basic Componant और 20% Performance Grant थी। यह Performance Grant को क्लेम करने के लिए नगर निगम को Service Leval Banch Mark स्थापित करने थे और अखबारों में प्रकाशित कराने थे। कूड़ा निस्तारण इनका एक अनिवार्य हिस्सा था। नगर निगम ने ऐसा नही किया और 5 वर्षो की ग्रान्ट भी क्लेम कर ली गई। नगर आयुक्त ने सर्विस लेवल बेंच मार्क्स बताने का व्यादा किया।
नगर निगम की मुख्य जिम्मेदारी है कूड़े का निस्तारण। कूड़े को खुले में डालना आम आदमी के लिए अपराध है। यदि नगर निगम खुले में कूड़ा डाले तो बड़ा अपराध है और , यदि नगर निगम लगातार खुले में कूड़ा डालता रहे तो यह कट्टर अपराध माना जाना चाहिए। नगर निगम पिछले 10 वर्षो से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का भरोसा दिला रहा है। यदि यह लग भी गये और काम भी करने लगे तो भी ये और अधिक वायु प्रदूषण फैलाय्रेंगे क्योंकि बहुत अधिक तापक्रम पर कूड़ा जलने के बाद राख बन जायेंगी जो कूड़े से कही अधिक गति से हवा में फैलेगी।
वर्तमान में आवश्यकता है की डम्पिंग ग्राउंड की जगह सेनेट्री लेंड फिल्स बनवाई जाएँ । सेनेट्री लेंड फिल्स में कूड़े को प्रतिदिन गहरी ट्रेंच में डाला जाता है , फिर रोलर से दबाया जाता है और फिर ढका जता है। आवश्यकता है की लेंड फिल्स साइट पर एक छोटे रोलर की और चार प्रशिक्षित सफाई कर्मचारियों की , जो प्रतिदिन कूड़े को दबाने और ढकने का काम करें । नगर आयुक्त ने सम्पूर्ण सहमती जताई।
आज की बैठक में श्री आर के आर्या , आर के शर्मा , आर डी गोयल , एम एल वर्मा , जी एस सिधु , अतुल कुमार जैन , राज कुमार , पुनीत गुप्ता , अनुज त्यागी , श्रीमती सुनीता भाटिया , जय दीक्षित , सूचित त्यागी आदि उपस्थित थे जिन्होंने स्थानीय समस्याए उठाई।
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गाजियाबाद। महात्मा गांधी सभागार, कलैक्ट्रेट में जनपद स्तर पर प्राप्त जाति से सम्बन्धित शिकायतों के सत्यापन / सुनवाई हेतु जनपद स्तर पर गठित ज...
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समीक्षा न्यूज नेटवर्क गाजियाबाद। वरिष्ठ समाजसेवी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस सेवादल के प्रदेश कोषाध्यक्ष ऋषभ राणा ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी ...
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माननीय राज्यपाल महोदया श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा किया गया ग्राम मोरटी, ब्लॉक रजापुर, विधानसभा मुरादनगर, जनपद गाजियाबाद में देश की प्रथम ए...