Thursday 10 September 2020

नाबालिका के साथ दुष्कर्म, दोनो आरोपी फरार, मामला दर्ज


अतुल त्यागी
हापुड़। थाना प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सक्सेना ने बताया कि हापुड़ के एक गांव निवासी 12 वर्षीय बच्चीं को गांव के ही दो युवक गौरव व राजू ने बच्चीं को चीज दिलानें के बहानें अपने घर ले जाकर रेप किया और बच्चीं को रास्ते में छोड़ फरार हो गए। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरु कर दी हैं।


“जीवात्मा का जन्म-मरण उसके कर्मों व ईश्वर के अधीन है”


हम मनुष्य शरीरधारी होने के कारण मनुष्य कहलाते हैं। हमारे भीतर जो जीवात्मा है वह सब प्राणियों में एक समान है। प्राणियों में भेद जीवात्माओं के पूर्वजन्मों के कर्मों के भेद के कारण होता है। हमें जो जन्म मिलता है वह हमारे पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर परमात्मा से मिलता है। यदि हमने पूर्वजन्म में शुभ कर्म अधिक और अशुभ कर्म कम किये होते हैं तो उसी के अनुसार हमें सुख व दुःखों से युक्त मनुष्य जन्म मिलता है। पुण्य कर्म अधिक होने पर सुख भी उसी मात्रा में प्राप्त होते हैं और यदि पुण्य कर्म कम मात्रा में होते हैं तो सुख भी उसी अनुपात में कम हो जाते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमें हमने भविष्य के उत्तर काल तथा परजन्मों में दुःख न हों अथवा न्यून हों तो हमें अधर्म, पाप व अशुभ कर्मों का सेवन नहीं करना चाहिये। एक कहावत है कि ‘जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे।’ यह सिद्धान्त हमारे सुख व दुःख तथा जन्मों पर प्रभाव डालता है। कर्म फल सिद्धान्त पर आधारित एक प्रसिद्ध श्लोक के शब्द हैं ‘अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभं’। इसका अर्थ है कि मनुष्य को अपने किये हुए शुभ व अशुभ कर्मों के फल अवश्य ही भोगने पड़ते हैं। संसार में भी हम देखते हैं कि जो मनुष्य शुभ कर्म करते हैं उनका सम्मान होता व उन्हें यश मिलता है तथा निन्दित कर्म करने वालों को अपमान का दुःख झेलना पड़ता है और राजव्यवस्था से भी उन्हें दण्ड प्राप्त होता है। 
हमारा जन्म इस लिये हुआ है कि हम अपने पूर्वजन्मों के उन कर्मों का फल भोग सकें जिनका फल हम पूर्वजन्म व जन्मों में फल भोग से पूर्व मृत्यु के आ जाने से नहीं भोग सके थे। कर्मों व जन्म-मरण का क्रम अनादि काल से चला आ रहा है। ईश्वर, जीव व सृष्टि का कारण प्रकृति अनादि सत्तायें हैं। इस कारण अनादि काल से ही प्रकृति से सृष्टि की रचना, सृष्टि व प्राणियों का पालन परमात्मा करते आ रहे हैं। सृष्टि रचना व पालन का प्रयोजन जीवों के कर्म व उनके फलों की व्यवस्था करना होता है जो परमात्मा अनादि काल से अद्यावधि करता आ रहा है और भविष्य में अनन्त काल तक इसी प्रकार करता रहेगा। इस कर्म फल व्यवस्था सहित ईश्वर, जीव व प्रकृति विषयक सिद्धान्तों का ज्ञान ईश्वरीय ज्ञान वेद से होता है जो वह सृष्टि की आदि में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न आदि ऋषियों को प्रदान करता है। यह वेद ज्ञान ही मनुष्यों को सद्कर्मों में युक्त होने की प्रेरणा करता है और बताता है कि सद्कर्मों के सेवन से मनुष्य कल्याण को प्राप्त होता है। सद्ज्ञान व सद्कर्मों से ही मनुष्यों को जन्म व मरण से मुक्ति मिलती है। मुक्ति में मनुष्य ईश्वर के सान्निध्य में रहकर आनन्दस्वरूप परमात्मा के आनन्द को भोगता है। जीवात्मा मुक्ति में इस अखिल ब्रह्माण्ड का भ्रमण कर इसे देखता तथा अन्य मुक्त जीवों से मिलता व उनसे वार्तालाप करता है। मुक्त जीवात्मा को किंचित किसी प्रकार का दुःख नहीं होता। इसका कारण यह है कि मनुष्य को दुःख शरीर के आश्रय से मिलते हैं। मुक्त अवस्था में शरीर छूट जाने व जन्म व मरण के न होने से जीवात्मा को सुख व दुःख नहीं होता। वह ईश्वर के आनन्द को उसका सान्निध्य व संगति को प्राप्त कर भोगता है और परमात्मा मुक्त आत्माओं को सुखों की उत्तम अवस्था ‘आनन्द’ प्रदान करते हैं। 
सभी जीवों का लक्ष्य जन्म व मरण से छूटना व मुक्ति को प्राप्त होना होता है। सभी मनुष्यों को ज्ञान प्राप्ति के लिये वेदों का अध्ययन करना आवश्यक व अनिवार्य है। यदि मनुष्य वेदाध्ययन नहीं करेंगे तो वह सद्ज्ञान व सद्कर्मों को प्राप्त नहीं हो सकते और न ही अपने परजन्म को उन्नत करने सहित जीवनमुक्ति की अवस्था व मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। वेद एवं वैदिक साहित्य सत्य ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इनका अध्ययन करने से मनुष्य की आत्मा की अविद्या दूर हो जाती है और आत्मा में सद्ज्ञान वा विद्या का प्रकाश हो जाता है जिससे उसे कर्तव्य व अकर्तव्यों का बोध हो जाता है। वर्तमान समय में लोग वेदाध्ययन न कर अर्थ वा धन कमाने वाली विद्या को प्राप्त कर जीवन भर भौतिक सुखों में ही बिताने का प्रयत्न करते हैं। मत-मतान्तरों में योगाभ्यास, ध्यान व समाधि का ज्ञान न होने के कारण वह ईश्वरोपासना, यज्ञ-अग्निहोत्र, परमार्थ के कार्यों आदि से वंचित रह जाते हैं जिसका परिणाम उनके पाप-पुण्य कर्मों के अनुसार पुनर्जन्म का होना निश्चित होता है जो कि मनुष्य सहित पशु, पक्षियों व कीट व पतंग आदि सहस्रों प्राणियों में से किसी एक योनि में होना सम्भव होता है। जब तक मनुष्य अपने जन्म में पूर्व व बाद के किये अशुभ व अधर्म के कर्मों का भोग नहीं कर लेता तब तक वह मनुष्य सहित इतर निम्न प्राणी योनियों में भटकता हुआ दुःख पाता रहता है। कर्म का भोग कर लेने पर जब उसके पाप पुण्य समान व पुण्य अधिक बच जाते हैं तो जीवात्मा का पुनः मनुष्य योनि में जन्म होता है। मनुष्य योनि ही दुःख निवृत्ति वा मोक्ष का द्वार होता है। यदि मनुष्य वेदाध्ययन कर पुण्य कर्मों का संचय कर लेता है तो वह श्रेष्ठ व उत्तम कर्मों को करके भविष्य में भी मनुष्य जन्म का अधिकारी होता है। योगाभ्यास द्वारा ध्यान व समाधि का सेवन करने वाले उपासकों को ईश्वर का साक्षात्कार होने पर जीवन मुक्ति की अवस्था प्राप्त होती है। ईश्वर साक्षात्कार और जीवनमुक्ति एक ही जन्म में प्राप्त न होकर इसमें साधक के पुरुषार्थ के अनुसार समय लगता है। समाधि अवस्था मिलने पर ही ईश्वर का साक्षात्कार साधक जीवात्मा को होता है जिससे उसकी मुक्ति होने पर वह जन्म व मरण के बन्धनों से छूट कर ब्रह्म वा ब्रह्म लोक में निवास करता है। ब्रह्म वा ईश्वर सर्वव्यापक है अतः जीव भी सर्वव्यापक ब्रह्म में सर्वत्र विचरण करता है। यही जीवात्मा का परम पद होता है। इसकी प्राप्ति के लिये ही सब मनुष्यों को प्रयत्न करने चाहियें। इसी कारण से परमात्मा ने यह संसार रचा है और वह सब जीवों को समान रूप से उनकी कर्मों की अवस्था के अनुसार अवसर देता रहता है। 
पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद देश में वेद ज्ञान विलुप्त होता गया। वेद ज्ञान के विलुप्त होने पर संसार में अविद्या फैल गई जिससे उन्हें वेद के विधानों व कर्तव्यों का ठीक ठीक ज्ञान न रहा। अविद्या का निरन्तर विस्तार होता गया और ऋषि दयानन्द के जन्म के समय भी देश देशान्तर में अविद्या विद्यमान थी। ऋषि दयानन्द कुशाग्र बुद्धि लेकर उत्पन्न हुए थे। उन्होंने प्रचलित धार्मिक मान्यताओं की सत्यता की परीक्षा की थी। उनको बोध हुआ था कि मूर्तिपूजा ईश्वर के सत्यस्वरूप की यथार्थ व वेदविहित उपासना नहीं है। उनका समाधान न होने पर वह गृहत्याग कर देश के विभिन्न भागों में धर्मपालन में विरत विद्वानों व योगियों की शरण में गये थे और उनसे अपनी शंकाआंे का समाधान करने का निवेदन किया था। वह ईश्वर व संसार विषयक सत्य रहस्यों को जानने के अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रहे। इस प्रयत्न में वह सच्चे योगी बने और बाद में मथुरा में दण्डी स्वामी प्रज्ञाचक्षु गुरु विरजानन्द सरस्वती जी की तीन वर्ष की शिक्षा व अध्ययन से वह वेदांगों व वेदों के पण्डित बने। योग व वेद विद्या से वह ईश्वर व उसके सत्य ज्ञान वेदों को प्राप्त हुए थे। अपने गुरु की प्रेरणा से व अपनी विवेक शक्ति से उन्होंने अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि हेतु वेद प्रचार को अपने जीवन का मिशन बनाया था। इस मार्ग पर बढ़ते हुए उन्होंने ईश्वर व आत्मा के सत्यस्वरूप सहित वेदों के यथार्थस्वरूप व सत्य वेदार्थों का प्रचार किया। उन्होंने काशी के पण्डितों से 16 नवम्बर, सन् 1869 को शास्त्रार्थ कर मूर्तिपूजा को वेद विरुद्ध सिद्ध किया था जिसे करने से कोई पुण्य नहीं होता। मूर्तिपूजा को उन्होंने ईश्वर की प्राप्ति में साधक नहीं अपितु बाधक बताया। देश व समाज की भलाई के लिये उन्होंने वेदों का प्रचार किया, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, वेदभाष्य, आर्याभिविनय आदि ग्रन्थ लेखन व प्रचार के कार्य किये। विधर्मियों से शास्त्रार्थ किये। सभी मनुष्यों को मत-मतान्तरों की अविद्या से परिचित कराया और वेद में सब प्रकार का सत्य ज्ञान होने तथा मनुष्य की सभी शंकाओं का समाधान प्राप्त होने का भी प्रचार व प्रकाश किया। 
सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने मनुष्य के जन्म का कारण उसके पूर्वजन्मों के कर्मों को माना है व उसका प्रकाश किया है। यह सिद्धान्त वेदसम्मत होने सहित ऋषियों का सिद्धान्त है। विद्या को प्राप्त होकर व उसके अनुरूप सद्कर्मों को करके ही हम दुःखों व जन्म-मृत्यु के बन्धनों से मुक्त हो सकते हैं। मोक्ष प्राप्ति भी वेद विद्या व उसके आचरण से ही होती है। इन विषयों पर ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश के नवम समुल्लास में भी विस्तार से युक्तियुक्त प्रकाश डाला है। सभी मनुष्यों को मनुष्य जन्म की सफलता व जीवन के अनेक रहस्यों से परिचित होने के लिये वेदों की कुंजी रूप सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन अवश्य करना चाहिये। इसका अध्ययन कर वह अविद्या से मुक्त होकर वेद से जुड़ेंगे और सत्कर्मों व वेदाध्ययन को करते हुए अपने बन्धनों को दूर कर मुक्ति मार्ग के पथिक बनकर जन्म-जन्मान्तर में उसे प्राप्त कर जीवात्मा के वास्तविक धाम मोक्ष धाम को प्राप्त हो सकते हैं। हमें यह पता होना चाहिये कि हमारा जन्म व मरण ईश्वर के अधीन है जिसका आधार धर्म व अधर्म का सेवन व पाप-पुण्य कर्म होते हैं। इसी के आधार पर परमात्मा हमारा जन्म निश्चित कर उसे जन्म प्रदान करते हंै और पाप पुण्यों के आधार पर ही हमें जन्म जन्मान्तर में सुख व दुःख प्राप्त होते हैं। ईश्वर व वेद की शरण में जाकर ईश्वरोपासना व सद्कमों को करके ही हम मुक्ति को प्राप्त हो सकते हैं। ऐसा हमें वेदाध्ययन एवं वैदिक साहित्य का अध्ययन करने पर विदित होता है। जीवन को सत्य से परिचित कराने के लिये हम ऋषि दयानन्द रचित ‘‘सत्यार्थप्रकाश” का अध्ययन करने का निवेदन करते हैं। इससे जीवन में अनेकानेक लाभ होंगे। आप ईश्वर के सच्चे स्वरूप से भी आसानी से जुड़ जायेंगे। 



-मनमोहन कुमार आर्य


राज्यसभा सांसद विजय पाल तोमर को दी जन्मदिन की शुभकामनाऐं


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। जिला ग़ाज़ियाबाद के भाजपा के कार्यकर्ताओं ने राज्यसभा सांसद विजय पाल तोमर के जन्मदिन के अवसर पर उनके दिल्ली आवास पर पहुंचकर शुभकामनाओं स्वरुप पुष्पगुच्छ देकर जन्मदिन की बधाई दी। सभी कार्यकर्ताओं ने राज्यसभा सांसद विजय पाल तोमर जी को जन्मदिन की बधाई एवम शुभकामनायें दी। इस अवसर  पर पार्षद सरदार सिंह भाटी, रवि भाटी (टीएसी सदस्य गाज़ीo संचार मंत्रालय  भारत सरकार ), कालीचरण पहलवान, कैलाश यादव, शिवम् चौधरी, सोमनाथ चौहान, सुदीप शर्मा सेक्टर सयोजक,दीपक ठाकुर, साहिल ठाकुर, आदि सभी कार्यकर्त्ताओ ने से जन्मदिन पर मुलाक़ात कर शुभकामनायें बधाई देकर आशीर्वाद प्राप्त किया।



दुकानों को टारगेट कर चोरी करनें वालें गैंग के तीन सदस्य गिरफ्तार


अतुल त्यागी
हापुड़। दुकान व घरों को टारगेट बनाकर तालें तोड़कर चोरी करनें वालें गैंग के तीन सदस्यों को पुलि ने गिरफ्तार कर लिया, जबकि एक फरार हो गया। पुलिस ने बदमाशों से हथियार व उपकरण बरामद किए हैं।
शहर कोतवाल सुबोध सक्सेना ने बताया कि बीती रात्रि मोदीनगर रोड़ पर गश्त के दौरान पुलिस ने रेलवे के एक खंड़हर में चोरी की योजना बनाते तीन बदमाशों हिमांशु, हरि,नीतिन को गिरफ्तार कर तंमचें व उपकरण बरामद किए।
उन्होंने बताया कि आरोपी दुकानों, घरों व अन्य को टारगेट बनाकर ताले तोड़कर चोरी करते थे।


शिकायतों के निस्तारण में प्रदेश में हापुड़ एक बार फिर आया प्रथम 


अतुल त्यागी
हापुड़। जनपद हापुड़ को आइजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में प्रदेश में प्रथम स्थान मिला हैं। डीएम ने सभी अधिकारियों को दी बधाई, इसी कार्य कुशलता के साथ आगे भी कार्य करने के लिए निर्देशित किया।
आई जी आर एस में माह अगस्त 2020 में भी पूरे प्रदेश में समस्याओं के निस्तारण करने में शत-प्रतिशत अंक हासिल करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जिसके लिए जिलाधिकारी अदिति सिंह ने समस्त अधिकारी व कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा है कि यह सरकार का बहुत ही महत्वपूर्ण शिकायती पोर्टल हैं जिस पर प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण में गुणवत्ता परक कार्य करने हेतु समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित भी किया, ताकि सरकार के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हापुड़ की जनता को निरंतर रूप से समयबद्धता के साथ लाभ प्राप्त होता रहे।


31 कोरोना मरीज मिलने से मचा हड़कंप


अतुल त्यागी
हापुड़। जनपद में बृहस्पतिवार को 31 मरीज मिलनें से हड़कंप मच गया। सभी को आईसोलेट कर क्षेत्रों को सैनाटाइज किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बृहस्पतिवार को जनपद में शाम को रजनी विहार पिलखुवा 4, शफीक कालोनी हापुड़ 1, अम्बेडकर नगर हापुड़ 1, पुलिस लाईन हापुड़ 1, आजमपुर 1, मानक चैंक 1, गढ़ रिफ्यूजी कालोनी 1, जमालपुर सिम्भावली 1, आवास विकास कालोनी 1, चमरी 1, उबारपुर 5, बक्सर सिम्भावली 1, शिवपुरी 2, अल्का कालोनी 1, चण्डी मंदिर पिलखुवा 1, सिरोधन 1, दोपहर तक हापुड़ के रेलवे रोड़ पर एक,श्रीनगर में एक,अशोक कालोनी में दो,शिवपुरी में एक,गढ़ के अल्लाबख्शपुर में एक मरीज मिलें है। सभी को आईसोलेट कर क्षेत्रों को सैनाटाइज किया जा रहा हैं।


प्रधानमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना व डीजिटल बैंकिंग में धोखाधड़ी पर गोष्टी संम्पन्न

ग्राहक की सतर्कता से बैंक धोखाधड़ी से बचाव सम्भव-अनिता रेलन



समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाज़ियाबाद। गुरुवार को केंद्रीय आर्य युवक परिषद द्वारा 87वाँ सफल वेबीनार किया गया जिसका विषय था प्रधानमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजनाएं व डिजिटल बैंकिंग में धोखाधड़ी एवं बचाव।
फाइनेशियल लिटरेसी काउंसलर अनिता रेलन (केनरा बैंक जनपथ,नई दिल्ली) ने कई तकनीकी विषयों पर सरलतम जानकारी प्रदान की।उन्होंने प्रधानमंत्री जी की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर प्रकाश डाला जिनमें जीवन ज्योति बीमा योजना,सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना,श्रम योगी योजना इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री स्व निधी योजना जिसमें स्ट्रीट वेंडर्स को दी जाने वाली ऋण सुविधा के बारे में भी जागरूक किया।
कैनरा बैंक जनपथ के एल डी एम श्रीपुरारी जी ने डिजिटल बैंकिंग के बारे में जानकारी दी उसमें होने वाली धोखाधड़ी जो नित्य प्रति बढ़ती जा रही है उसको ध्यान में रखते हुए किस तरीक़े से हम सावधान रहें व बचाव करे इस पर जागरूक किया उन्होंने कहा कि यदि कोई आपके साथ दुर्घटना हो जाती है तो तुरन्त बैंक को सूचित करें।
ध्रुव बत्रा जो एक इंजीनियर हैं उन्होंने हमें जानकारी दी कैसे धोखा धड़ी करने वाले हमें लुभावने व आकर्षक SMS भेजकर फ्रॉड कराते हैं। हम और आप उनके झाँसे में शीघ्र आ जाते हैं ध्रुव बत्रा ने एप्लीकेशन का डेमो दिया जिसमें वह हम से जानकारी माँगते हैं कार्ड नंबर ड्यू डेट सीवी सी नंबर बस बहुत आपका बैंक खाता शून्य होने में साथ ही उन्होंने बताया wifi के कनेक्शन से कैसे पैसा निकल जाता है। बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां दी जिससे सब लाभान्वित हुए।
अध्यक्ष सी ए सुरेश गुप्ता ने कहा कि ऐसी उत्तम जानकारी सभी सामाजिक संस्थाओं को प्रचार प्रसार करनी चाहिए जिससे जीवन भर की कमाई कुछ सेकण्ड्स में लूट न जाये।
परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आम जनता को डिजिटल इंडिया के लिए जोड़ने के साथ जागरण करना भी आवश्यक है।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य, सांसद प्रतिनिधि देवेन्द्र हितकारी आदि ने कार्यक्रम की सराहना की और सौरभ गुप्ता ने संचालन किया।



आचार्य महेन्द्र भाई, देवेन्द्र भगत, डी सी पी महेश बत्रा,वीना वोहरा, संगीता आर्या,नरेश खन्ना,आनंद आर्य हापुड़,रवीन्द्र गुप्ता,सुमन बत्रा,गीता गर्ग,उर्मिला आर्य ने भी विचार रखे।


डोली शर्मा बनी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रेक्षण ट्रेनिंग कमेटी की सदस्य


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री राहुल गांधी जी राष्ट्रीय महासचिव उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी जी प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय कुमार जी के द्वारा गाजियाबाद  ब्राह्मण समाज की गौरव एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य गाजियाबाद से लोकसभा का सांसद पद से कांग्रेस प्रत्याशी रही श्रीमती डॉली शर्मा जी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी परीक्षण ट्रेनिंग कमेटी का सदस्य बनाए जाने पर गाजियाबाद के वरिष्ठ कांग्रेसी पदाधिकारी एवं कांग्रेस जनों ने उनके आवास पहलाद घड़ी साहिबाबाद गाजियाबाद में जाकर फूलों का गुलदस्ता एवं मिठाई खिलाकर दी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।



इस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने श्रीमती सोनिया गांधी जिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद राहुल गांधी जिंदाबाद जिंदाबाद जिंदाबाद प्रियंका गांधी जी जिंदाबाद जिंदाबाद डोली शर्मा जी जिंदाबाद जिंदाबाद अजय कुमार लल्लू जी जिंदाबाद नरेंद्र भारद्वाज जिंदाबाद जिंदाबाद के नारे लगाए श्रीमती डोली शर्मा जी की नियुक्ति की खबर सुनकर उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज एवं सर्व समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है श्रीमती डोली शर्मा को बधाई देने वालों में पीसीसी सदस्य जनाब अनीस अहमद खान वरिष्ठ कांग्रेस नेता सिराजुद्दीन सिराज संत गाडगे रजक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र गौड़ मुनींद्र बिल्ला डॉक्टर जफर आलम इमरान खान ममता त्यागी वासुदेव शर्मा कार्तिकेय कौशिक चौधरी शाहिद चौधरी शाहिद सहित जनपद गाजियाबाद के आसपास इलाकों के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी इस मौके पर श्रीमती डोली शर्मा ने बधाई देने वाले सभी कांग्रेस जनों पदाधिकारी कार्यकर्ताओं का किया।



संजय कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करने पहुंचे नरेंद्र भारद्वाज

समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। महानगर कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष श्री नरेंद्र भारद्वाज  के नेतृत्व में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की पूर्व वर्किंग कमेटी पूर्व सदस्य एवं पूर्व सांसद सत्या बहन जी के  ज्ञान खंड साहिबाबाद गाजियाबाद में 
आवास पर जाकर उनके पुत्र संजय कुमार के निधन पर गहरा दुख एवं शोक व्यक्त  किया।



संजय कुमार का निधन हृदय गति रुक जाने के कारण हो गया था दुखद समाचार की सूचना मिलते ही नरेंद्र भारद्वाज अपने साथियों के साथ सत्या बहन जी के आवास पर पहुंचे तथा मिलकर सत्य बहन जी के पुत्र के निधन पर दुख एवं शोक प्रकट किया तथा ईश्वर से प्रार्थना की  परिवार को दुख सहन करने की शक्ति  दे श्री नरेंद्र भारद्वाज जी के साथ पीसीसी सदस्य जनाब अनीश खान कांग्रेस के पूर्व महानगर उपाध्यक्ष सिराजुद्दीन सिराज डॉक्टर जफर आलम  कांग्रेस नेता जितेंद्र गौड़ ममता त्यागी वासुदेव शर्मा सहित अनेक लोग थे।


राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चंदेल का कार्यकर्ताओं ने किया फूल माला पहनाकर जोरदार स्वागत


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
दिल्ली। वार्ड नंबर—250 ई—42 न्यू सीलमपुर पूर्वी दिल्ली इलाके में राष्ट्रीय बाल्मीकि सेना द्वारा एक मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें कर्मचारियों के साथ हो रहे अत्याचार व शोषण के खिलाफ आवाज उठाई गई
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चंदेल वरिष्ठ समाजसेवी सलीम मलिक संयोजक मुस्लिम समाज रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनील कुमार,चंदेल प्रधान जी,ने,की कार्यक्रम का संचालक संजय चंदेल महामंत्री ने किया कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का फूल माला पहनाकर कोरोना योद्धा सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया श्री सुरेंद्र सिंह चंदेल अध्यक्ष जी ने बताया कि जो हमारे निगम कर्मी दिन रात अपने बाल बच्चों की चिंता ना करते हुए समस्त देशवासी दिल्ली की तमाम जनता की सेवा कर रहे हैं जिनमें कुछ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होकर वीरगति को प्राप्त हो गए उनको हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जो लोग कोरोनावायरस से जंग करके आज हमारे बीच में है उन सभी साथियों को भाई सुनील कुमार चंदेल भाई संजय लोहरा कृष्ण पाल गहलोत भाई वरिष्ठ समाजसेवी सलीम मलिक  नूर मोहम्मद जी,को कोरोना योद्धा सम्मान पत्र देकर सम्मानित करते हैं आप सभी लोगों ने लॉकडाउन के समय अपने क्षेत्र का गरीब बहनों भाइयों का ध्यान रखा निगम में भी दिन-रात आप सेवा देते रहे जनता को भी बीमारी से दूर रखने का काम किया आप लोग बधाई के पात्र हैं आप लोगों जितना सम्मान किया जाए उतना कम है भाई सलीम मलिक साहब ने कहा कि निगम द्वारा जो यह आए दिन निजी करण की योजना की जो घोषणा की जाती है और समस्त कर्मचारियों को समय पर उनका वेतन व अन्य लाभ भी नहीं मिलते यह निगम द्वारा कर्मचारियों का खुलेआम शोषण है हम ऐसी योजनाओं का  हम लोग विरोध करते हैं सरकार से निगम प्रशासन से मांग करते हैं की कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों पर ध्यान दिया जाए कच्चे कर्मचारियों को परमानेंट किया जाए जो लोग परमानेंट,हो गए हैं उनका बकाया भुगतान किया जाए कैशलेस कार्ड बनाकर दिया जाए साकी समस्त कर्मचारी कोरोनावायरस जैसी बीमारी से बच,सके अपना और अपने परिवार का समय पर इलाज करा सके अगर निगम में ठेकेदारी प्रथा लागू की गई तो कई हजार सफाई कामगार समाज के लोग बेरोजगार हो जाएंगे भूख मरी के कागार पर पहुंच जाएंगे क्योंकि अभी जो कुछ दिन पहले निगम महापौर द्वारा घोषणा की गई थी कि घर घर जाकर कूड़ा कलेक्शन योजना चलाई जाएगी इस योजना से जो हमारे भाई बहन निजी घरों से कूड़ा कलेक्शन करके अपना  और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं उनका रोजगार छिन जाएगा या तो सरकार निगम में उनको सरकारी नौकरी दें या फिर उचित मुआवजा लोन दे जिससे वो अपना कोई भी रोजगार कर सकें और अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकें इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी वह सेना कार्यकर्ता समाजसेवी मौजूद रहे सोशल सोशल डिस्टेंस का खास ध्यान रखा गया मौजूद रहे।



सुरेंद्र सिंह चंदेल अध्यक्ष, संजय चंदेल महामंत्री, सुनील चंदेल अध्यक्ष जहांगीरपुरी, संजय लोहरा अध्यक्ष बेटा हाजीपुर, कृष्ण पाल गहलोत, अध्यक्ष हर्ष विहार अरविंद जी उपाध्यक्ष पूर्वी दिल्ली सूरज छवि सचिव पूर्वी दिल्ली जितेंद्र महामंत्री विनोद वरिष्ठ समाजसेवी कल्लू पहलवान मजदूर नेता संतराम सदस्य कृष्णपाल टॉक सुरेंद्र कुमार सिंह मुख्य सलाहकार नूर मोहम्मद वरिष्ठ कार्यकर्ता मदन सेन  वरिष्ठ समाजसेवी सभी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह,चंदेल का फूल माला पहनाकर जोरदार स्वागत किया।


नेहरू युवा केन्द्र ग़ाज़ियाबाद द्वारा किया गया कोरोना योद्धाओं का सम्मान

महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान, मुरादनगर द्वारा किया गया कार्यक्रम का आयोजन



समीक्षा न्यूज नेटवर्क
मुरादनगर । नेहरू युवा केन्द्र, ग़ाज़ियाबाद (युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार) से सम्बंधित महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान द्वारा विकास खण्ड कार्यलय, मुरादनगर में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला युवा समन्वयक देवेन्द्र कुमार, विशिष्ट अतिथि समाजसेविका श्रीमति रीता प्रसाद, ए डी ओ योगेश वशिष्ट द्वारा सभी कोरोना योद्धाओं को मेडल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। विशिष्ट अतिथि देवेंद्र कुमार ने उपस्थित व्यक्तियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान और इससे जुड़े सभी स्वयंसेवको का कार्य सराहनीय है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है उन्होंने आह्वान करते हुए अन्य युवाओ को भी समाज सेवा के लिए प्रोत्साहित करने के आग्रह किया। विशिष्ट अतिथि श्रीमती रीता प्रसाद ने कोरोना काल के दौरान महिलाओ किये गए कार्यो को देखते हुए उनकी सराहना की और देश एवं समाज हित में महिलाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। ए डी ओ योगेश वशिष्ट ने भी सम्बोधित करते हुए सावधानियां बरतने की सलाह देते हुए अन्य लोगो को भी जागरूक करने को कहा।



कार्यक्रम के अंतर्गत कोरोना योद्धा उदयवीर यादव, मनमोहन सिंह, सोनू त्यागी, दिनेश जाटव, राधेश्याम त्यागी, गजेंद्र, आरती, विकास, सनोवर खान उर्फ सोनू, तालिब, नीतीश, लविश, योगिता, दया,  अजय, पवन, विनोद और दुर्गेश शर्मा जी को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का  संचालन नेहरू युवा केन्द्र के वरिष्ठ लेखाकर मुकन्द वल्लभ शर्मा द्वारा किया गया।


Wednesday 9 September 2020

महिलाओं का 10 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण का शुभारम्भ


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के तहत भारतीय बाल साक्षरता मिशन एवं एन0आर0एल0एम0 विभाग के सहयोग से भोजपुर ब्लॉक खण्ड के भोजपुर गॉव में स्थित पंचायत घर में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का 10 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया गया है। महिलाओं को इसमें कपड़ों की सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे प्रशिक्षित महिलाएं अपना स्वरोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकें। प्रशिक्षण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। प्रशिक्षण का शुभारम्भ भोजपुर ब्लॉक खण्ड से ए0डी0ओ0 श्री जे0एन0 रॉय एवं उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन, गाजियाबाद के एम0आई0एस0 प्रबंधक मौहम्मद दानिश ने किया। उन्होने प्रशिक्षण में मौजूद स्वयं सहायता समूहों को इस प्रशिक्षण के महत्व के बारे में समझाया, जिससे वह जल्द से जल्द सिलाई कार्य में निपुण होकर अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकें। ऐसे में प्रशिक्षणार्थियों को इसे पूरी गंभीरता से लेना होगा। प्रशिक्षण में कुल 41 महिलाएं शामिल रहीं। प्र्र्र्रशिक्षण में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बी0एल0ओ0 श्रीमति बबीता, ग्राम प्रधान शाहिद चौधरी, प्रशिक्षण प्रदाता श्री सारंग कुमार, श्री जितेन्द्र कुमार एवं गौरव कुमार उपस्थित रहे। 


ऑक्सीजन सिलेंडर तैयार करने के संबंध में जिलाधिकारी ने किया सम्बंधित स्थल का निरीक्षण


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। जनपद में तथा प्रदेश में प्रतिदिन 15000 अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति किए जाने के उद्देश्य से आज जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पाण्डेय द्वारा भोजपुर ब्लॉक में स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाई आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का स्थलीय निरीक्षण किया गया। आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड अमेरिका की कंपनी की 50ः सहभागिता के साथ जनपद में स्थापित की जा रही है, जो कि प्रतिदिन 15000 ऑक्सीजन सिलेंडर योग्य ऑक्सीजन का उत्पादन करेगी । यह प्रदेश की सबसे बड़ी ऑक्सीजन उत्पादक इकाई होगी। निरीक्षण के समय जिलाधिकारी द्वारा आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड तथा तकनीकी टीम लिंडे पी टी एल साथ बैठक भी की गई एवं स्थानीय समस्याओं का निराकरण कराया गया।  निरीक्षण के समय इकाई की तकनीकी टीम के साथ तहसीलदार मोदीनगर भी उपस्थित रहे। मौके पर जिलाधिकारी द्वारा तकनीकी टीम को यह निर्देश दिए गए कि कंपनी के प्रबंध निदेशक से उनकी वार्ता हो चुकी है , इसलिए कार्य में तेजी लाते हुए पूर्व निर्धारित तिथि के पहले ही 20 सितंबर 2020 तक इकाई में उत्पादन प्रारंभ करें। इकाई के संबंध में जानकारी प्राप्त करने पर तकनीकी टीम द्वारा अवगत कराया गया कि उक्त संयंत्र उच्च श्रेणी का संयंत्र है, जिसको चार अलग-अलग मोड में संचालित किया जा सकता है। डिजाइन कैपेसिटी मोड में संचालित करने पर जहां 149 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होगा, वहीं इकाई को ऑक्सीजन मोड में संचालित करने पर 170 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन का उत्पादन होगा। उल्लेखनीय है कि इकाई द्वारा प्रदेश सरकार के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया गया था एवं इकाई ने जनवरी 2019 से निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया था। इकाई में लगभग रुपए 110 करोड़ का पूंजी निवेश किया गया है जिसमें 60 से 70 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। निरीक्षण के समय साथ में उपस्थित उपायुक्त उद्योग को जिलाधिकारी द्वारा इकाई की तकनीकी टीम प्लांट हेड तथा प्रबंध निदेशक के साथ दैनिक आधार पर समन्वय स्थापित करते हुए इकाई को निर्धारित तिथि से पूर्व संचालित कराए जाने हेतु निर्देश दिए गए। कोरोना काल में ऑक्सीजन उत्पादन इकाई प्रारंभ होने से जनपद सहित प्रदेश को ऑक्सीजन की उपलब्धता से संबंधित बहुत बड़ी राहत मिलेगी।

जनपद में प्रतिदिन 15000 अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई बनाए रखने के उद्देश्य से जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय द्वारा आज भोजपुर ब्लॉक में स्थापित होने वाली आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का स्थलीय निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय समस्याओं को लेकर आईनॉक्स की तकनीकी टीम के साथ बैठक की गई तथा स्थानीय समस्याओं का निराकरण कराया गया एवं इसी माह के अंत तक इकाई को उत्पादन शुरू कराएं जाने के निर्देश दिए गए।


पूर्व सांसद कमल किशोर कमांडो को कमेटी का सदस्य बनाए जाने पर दी शुभकामनाएं


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश सचिव श्री कार्तिकेय कौशिक एवं संत गाडगे रजक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र गौड़ ने कहां की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व राष्ट्रीय  अध्यक्ष श्री राहुल गांधी एवं राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका गांधी जी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं विधायक श्री अजय कुमार लल्लू जी के द्वारा उत्तर प्रदेश जनपद बहराइच लोकसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस सांसद एवं रजक समाज की शान श्री कमल किशोर कमांडो जी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्यता अभियान समिति का सदस्य नियुक्त किए जाने पर श्री कमल किशोर कमांडो जी को फूलों का बुक का एवं मिठाई खिलाकर दी। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं श्री कमल किशोर कमांडो को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्यता अभियान का सदस्य नियुक्त किए जाने की खबर सुनकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जनों एवं रजक समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। 
श्री जितेंद्र गौड़ एवं कार्तिकेय कौशिक ने कहा कि श्रीमती प्रियंका गांधी जी के द्वारा जमीन से जुड़े श्री कमल किशोर कमांडो जी को जो जिम्मेदारी दी है उससे निश्चित ही उत्तर प्रदेश के अंदर कांग्रेस पार्टी अधिक से अधिक मजबूत होगी एवं रजक समाज को जो सम्मान दिया है रजक समाज  मैं भी खुशी की लहर है। कमल किशोर कमांडो ने दोनों नेताओं जितेंद्र गौड़ एवं कार्तिक कौशिक का धन्यवाद किया।


प्रवासी विकास मंच ने की पदाधिकारियों की नियुक्ति


दीपक सिँह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। प्रवासी विकास मंच संगठन को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करते हुए, संगठन के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव जी के द्वारा कई वार्डों में बैठकें की गई, समस्त बैठको की अध्यक्षता श्रीमान संतोष मिश्रा जी द्वारा करते हुए, टीम का गठन मजबूती से किया गया, लोनी के वार्ड नंबर 27 और वार्ड नंबर 5 के सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना भी की।  जिसमें वार्ड नंबर 5 में की नवनियुक्ति वार्ड अध्यक्ष - दीपक सिंह जी, वार्ड उपाध्यक्ष - दिलीप त्रिपाठी जी, वार्ड महामंत्री - वेद प्रकाश तिवारी जी, वार्ड मंत्री - भोला कश्यप जी, वार्ड मंत्री - जय प्रकाश जी, वार्ड मीडिया प्रभारी - गौरव सिंह जी साथ ही  वार्ड नंबर 27 में वार्ड अध्यक्ष - अरविंद सिंह चौहान जी, वार्ड उपाध्यक्ष - श्री भगवान सिंह जी, वार्ड महामंत्री - विनय यादव जी, वार्ड मंत्री - राजकुमार मिश्रा जी, वार्ड मंत्री - शेषराम मौर्य जी, वार्ड मीडिया प्रभारी - राधे मोहन जी नियुक्त किये गये।
संगठन आपसे यह आशा करता है, आप अनुशासित होकर संगठन को मजबूत करते हुए प्रत्येक प्रवासी भाई तक संगठन की विचारधारा पहुंचाने का कार्य करेंगे।



कांग्रेसियों ने नवनियुक्त पदाधिकारियों का किया माला पहनाकर जोरदार स्वागत


अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़।बुधवार को रेलवे रोड स्थित आर.के.प्लाजा में कांग्रेस सेवादल की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। जिसमे मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त प्रदेश महासचिव व जिला प्रभारी विदित चौधरी भी कार्यक्रम में पहुंचे। इससे पहले विदित चौधरी जी का हापुड़ पहुंचने पर युवाओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।
कांग्रेसियों ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त प्रदेश महासचिव विदित चौधरी,उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव डॉक्टर शोएब,उत्तर प्रदेश कांग्रेस सेवादल के नवनियुक्त प्रदेश महासचिव सरदार राजेन्द्र सिंह औलख,प्रदेश सचिव अंकित शर्मा और एससी एसटी प्रकोष्ठ कोंग्रेस के जिलाध्यक्ष नरेश कुमार भाटी का माला पहनाकर जोरदार स्वागत किया गया।
पूर्व विधायक गजराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस संगठन युवाओं को आगे बढ़ाने का मौका दे रहा है। अब युवाओं की भी जिम्मेदारी है कि कांग्रेस को भी मजबूत करें।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त प्रदेश महासचिव विदित चौधरी ने कहा कि बहुत ही कम समय में कांग्रेस संगठन ने उन पर भरोसा जताते हुए अहम जिम्मेदारी दी है और वह इस जिम्मेदारी पर खरा उतरेंगे। 
सेवादल में प्रदेश महासचिव सरदार राजेन्द्र सिंह औलख ने प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और वादा किया कि वे सेवादल का नाम प्रदेश में ही नहीं देश में भी रोशन करेंगे।
सेवादल में प्रदेश सचिव बनाए गए अंकित शर्मा ने कहा कि जब जब कांग्रेस संगठन कमजोर हुआ है तब तब सेवादल ने ही उसे नई ताकत दी है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव बनाए गए डॉक्टर शोएब ने कहा कि प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है वे उस जिम्मेदारी को प्रतिबद्ध होकर निभाएंगे व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोंगेस को मजबूत करने का कार्य करेंगे।
जिलाध्यक्ष मिथुन त्यागी और शहर अध्यक्ष अभिषेक गोयल ने कार्यक्रम में पहुंचे सभी कांग्रेस जनो का आभार प्रकट किया।
इसके साथ ही समस्त कांग्रेसियों से अपील की गई कि आज रात को 9 बजे 9 मिनट के लिए बेरोजगारी के विरोध में एक दिया या मोमबत्ती अपने घरों में अवश्य जलाएं।,
मंच का संचालन शहर कांग्रेस कमेटी के सचिव गौरव गर्ग ने किया।



इस अवसर पर पूर्व शहर अध्यक्ष दिनेश चंद शर्मा, एसटी प्रकोष्ठ कोंग्रेस कमेटी के पूर्व जिलाध्यक्ष रघुवीर सिंह एडवोकेट जी, महिला कांग्रेस प्रकोष्ठ की नगर अध्यक्ष मोनिका शर्मा, नगरपालिका के पूर्व डिप्टी चेयरमैन किशन बाटला, जिला उपाध्यक्ष शहजादा चौधरी,युवा नेता एकलव्य सिंह सहारा,शहर कोषाध्यक्ष विक्की शर्मा,कुसुमलता,सविता गौतम,दिनेश सैनी,आकाश कुमार,शाइस्ता,आदिल चौधरी,डॉक्टर मतलूब अली, हरीश गर्ग, रतनलाल पार्चा,सरदार कुंवर सिंह प्रधान, रघुवर सिंह गौतम,आदेश कुमार, राकेश खन्ना,सचिन कुमार,डॉक्टर असरार अहमद,खुशनूद अली,शादाब,आकाश शर्मा,देवेन्द्र कुमार,डॉक्टर इसरार,फरदीन,सुखपाल गौतम,यशपाल सिंह ढीलौर,विनोद कुमार,कुणाल गौतम,महेश कुमार,प्रदीप कश्यप,राजमोहन सिंह रौतेला,धर्मेन्द्र कश्यप,संदीप सिंह,दीपक गुप्ता,अनूप कर्दम,दयाशंकर सागर,मनोज शर्मा, भरत लाल शर्मा,विनोद कुमार,निसार खान,निखिल कुमार,पवन कुमार,नितिन जाटव,दीपक जाटव,अमित सैनी,संदीप कुमार,शिवम् सागर,आकाश त्यागी, आदि लोग उपस्थित रहे।


वाहन चोर गिरोह के पांच सदस्यों को एक बाइक के साथ किया गिरफ्तार


अतुल त्यागी
गढ़मुक्तेश्वर/सिंभावली। क्षेत्र में वाहन चोर गिरोह पशु चोर गिरोह की सक्रियता के चलते सिंभावली पुलिस हुई अलर्ट एसपी संजीव सुमन की हापुड़ पुलिस के तेज तर्रार सिंभावलीे थाना प्रभारी महेंद्र कुमार त्रिपाठी के द्वारा अपनी पुलिस टीम के साथ मुखबिर की सूचना पर छापामार कार्यवाही करते हुए वाहन चोर गिरोह के पांच सदस्यों को बाइक सहित गिरफतार कर पूछताछ जारी पुलिसिया पूछताछ में गिरफ्तार सदस्यों ने अपने नाम लोकेश पुत्र राजेंद्र वरुण पुत्र भूरे अनु पुत्र जगत सिंह मनोज पुत्र लीलाधर धीरज पुत्र भोले निवासी गण बंगाली थाना सिंभावली बताए हैं।
सूत्रों के अनुसार मनोज पुत्र लीलाधर पहले सिंभावली में बाईक मिस्त्री का कार्य करता था लेकिन अब यह कुचेसर चोपला पर बाइक ठीक करने की दुकान करता है जो इस गिरोह का सरगना भी बताया जा रहा है। वही इनकी निशानदेही पर बहुत बड़ा खुलासा होने की उम्मीद भी जताई जा रही है। और पुलिस को इनके अन्य साथियों की तलाश जारी है। और क्षेत्र में बढ़ रही पशु चोरी की घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए स्थानीय पुलिस का क्षेत्र में पशु चोर गिरोह के द्वारा की गई चोरियों का भी खुलासा करने के प्रयास जारी हैं।


एक्सीडेंट के एक सप्ताह बाद युवक की मौत


अतुल त्यागी
बहादुरगढ़। स्कूटर पर जा रहे रविंद्र व साथी को पसबाड़ा के निकट तेजी से आ रही बाईक ने मारी टक्कर गंभीर रूप से घायल की एक सप्ताह बाद हुई मौत घर मे मचा कोहराम।
दिनांक 30.8 2020 को ग्राम पुष्पावती पूँठ को गमी(मौत) मे शामिल होने स्कूटर पर जा रहे चाचा रविंद्र व भतीजे को तेजी से आ रही बाईक सवार पालू पुत्र जुगला निवासी नवादा खुर्द बहादुरगढ़ व अनूप गूर्जर पुत्र रामपाल गूर्जर आलमनगर बहादुरगढ़ जो शराब के नशे मे थे ने मारी टक्कर दोनो गंभीर रूप से घायल किया मेरठ के लिए रैफर किया आज दिनांक 8 .9. 2020 को घायल रविंद्र की उपचार के दौरान मौत हो गई बहादुरगढ थाना प्रभारी ने 30.8.2020 को घायल के भाई मुकेश के द्वारा दी गई तहरीर पर कार्यवाही करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और थाना प्रभारी नीरज कुमार ने परिजनों को शीघ्र ही गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया ब्रजघाट में मृतक रविंद्र के घर पर परिवार में कोहराम मचा हुआ।।


प्रेमी की मौत के बाद प्रेमिका की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत


अतुल त्यागी
गढ़मुक्तेश्वर। थाना सिंभावली क्षेत्र के गांव निवासी प्रेमिका ने संदिग्ध परिस्थितियों में सिंभावली स्टेशन पर पहुंचकर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली सूत्रों का कहना अपने प्रेमी की मौत का सदमा किशोरी की मौत का कारण बना जिसकी 1 दिन पहले मौत हो गई  जिसका अंतिम संस्कार के लिए बृजघाट गंगा पर ले लेकर जा रहे थे प्रेमी की मौत दवाई का साइड इफेक्ट हो जाने के कारण बताई जा रही है जबकि मामला प्रेम प्रसंग का बताया जा रहा है युवती के द्वारा सिंभावली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या करने की सूचना पर
पुलिस क्षेत्राधिकारी पवन कुमार थाना प्रभारी महेंद्र कुमार त्रिपाठी जीआरपी पुलिस मौके पर पहुंची युवती का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा पुलिस क्षेत्राधिकारी पवन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या करने वाली लड़की की आत्महत्या करने के कारणों की जांच की जाएगी।


देश में अराजकता और नकारात्मकता का महौल बनाने वालों पर लगाया जाए रासुका: नंदकिशोर गुर्जर

समीक्षा न्यूज नेटवर्क
लोनी। बुधवार को गाजियाबाद के लोनी विधानसभा से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विदेशी ताकतों के साथ मिलकर देश में भ्रामक खबरों और झूठे तथ्यों के सहारे अराजकता और नकारात्मकता फैलाने वाले राजनीतिक दल, मीडिया हाउस के जरिए भारत विरोधी एजेंडा और फर्जी वेबसाइटस चलाने वालों पर रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। विधायक ने बताया संवेदनशील समय में  जनता को एक एजेंडे के तहत भ्रामक खबरों और तथ्यों के जरिए भड़का कर देश का माहौल खराब किया जा रहा है। 
विधायक ने चीन को बताया भूमाफिया कहा चीन का कैमिकल हथियार है कॅरोना, अर्थव्यवस्था पर एजेंडे के तहत फैलाई जा रही है गलत खबरें और तथ्यः
लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पूरा विश्व चीन द्वारा कैमिकल हथियार के तौर पर फैलाए गए कॅरोना वायरस से प्रभावित है। सभी विकसित और विकासशील देश आर्थिक एवं सामाजिक मौर्चे पर भारी संकटों का सामना कर रहे हैं। अमरीका और यूरोप की अर्थव्यवस्था बुरी तरीके से चरमरा चुकी है जिसके आंकड़े सार्वजनिक है। विश्व की दूसरी बड़ी आबादी का देश होने के बावजूद आपके यशस्वी नेतृत्व में भारत ने अन्य विकसित देशों की तुलना में बहुत ही कम समय में अपने आधरभूत ढांचों में सुधार कर विश्वभर में कॅरोना से होनी वाली मृत्युदर में सबसे कम मृत्युदर 1.60 एवं भारतवासियों के ‘जान और जहां’ की रक्षा कर शानदार और अनुकरणीय प्रदर्शन किया है जिसकी प्रशंसा विश्वस्तरीय संस्थाओं ने भी की है। इसके अतिरिक्त दूसरे मोर्चे पर ‘भूमाफिया चीन’ के दुस्साहस का भी हमारे जवाने एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व के बलबूते करारा जवाब दे रहे है। ऐसे संवदेनशील समय में सभी राजनीतिक दल को दलगत भावना से उपर उठकर देशहित में सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए लेकिन चीन आदि देशों से पैसा लेकर राजनीतिक दल, चीन पोषित मीडिया चैनलों और फर्जी वेबसाइट्स के द्वारा देश की अर्थव्यवस्था और भारत-चीन मुद्दे पर फर्जी तथ्यों और मनगढ़ंत कहानियों से देश में अराजकता और नकारात्मकता का माहौल बनाया जा रहा है। विधायक ने कहा कि जून तिमाही में हमारी भी अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तरह नुकसान में रही है लेकिन तुलनात्मक दृष्टि सेे हम विकसित देशों से अच्छी स्थिति में है क्योंकि हमारी जीडीपी का आकलन सालाना  है और अन्य विकसित देशों के आंकड़े सालाना न होकर तिमाही (क्वार्टर बेस) है। यह तथ्य जानते हुए भी सभी राजनीतिक दल, कुछ मीडिया हाउस, वेबसाइट्स आदि द्वारा अर्थव्यवस्था के बारे में जनता में गलत आंकड़े और पूर्वाग्रह से ग्रसित तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कर राष्ट्रद्रोह का कार्य कर रहे है। 
आंकड़ों के आधार पर विधायक ने कहा लोकडाॅउन में हर वर्ग का मोदी सरकार ने रखा ख्याल, कहा जनता चाहती है पीओके और अक्साई चीन की वापसीः
विधायक ने पत्र में लिखा कि कोविड-19 की वजह से लागू लाॅकडाउन के दौरान भी माननीय प्रधानमंत्री जी  आपके द्वारा सही समय पर छूट दी गई जिससे रबी फसलों की कटाई समय पर हुई और खरीफ फसलों की बुवाई भी समय पर हो सकी जिसके परिणामस्वरूप कॅरोना काल के बावजूद कृषि निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि 23.24 प्रतिशत दर्ज की गई है। अन्नदाताओं को किसान सम्मान निधि योजना के तहत मदद, जनधन योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को मदद, पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को बिना गारंटी 10 हजार रूपए तक की आर्थिक मदद देकर आर्थिक संबल प्रदान किया गया है। नौकरी गंवा चुके श्रमिकों को 50 प्रतिशत बेरोजगारी भत्ता, देश की 80 करोड़  आबादी को 1.50 लाख करोड़़ की लागत से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दिसंबर 2020 तक मुफ्त राशन आदि की व्यवस्थाएं दर्शाती है कि यह सरकार ‘जनता की सरकार है और जनता के लिए’ है। वहीं इसके अतिरिक्त देश की आंतरिक एवं सरहदों की सुरक्षा पहले से चाक-चैबंद हुई है। पूर्व में हमारी सेना के सक्षम होने के बावजूद कमजोर राजनीतिक नेतृत्व द्वारा पाकिस्तान और चीन के सामने घुटने टेकना देश भूला नहीं है। आज दो बार पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक कर मुंहतोड़ जवाब देना हो या फिर चीन को डोकलाम, गलवान घाटी और वर्तमान में पैंगांग की चोटियों से खदेड़ना भारतीय सेना के गौरव का परिचय आमजनमानस में देश और आपके प्रति विश्वास पैदा कर रहा है कि अब नेहरू युग में कब्जाई गई पीओके और अक्साई चीन भी हमें वापिस प्राप्त होगा। देशवासियों में इस विश्वास का पनपना रामराज्य का सूचक है।
बावजूद इसके विदेशी ताकतों चीन और पाकिस्तान आदि से फंड लेकर मौजूदा संवेदनशील समय में भी देश विरोधी एजेंडा चलाकर देश में अराजकता और नकारात्मकता का माहौल बनाने वाले कारकों पर ‘रासुका’ के तहत कार्रवाई कर जेल भेजा जाए जिससे कोई भी भारत की प्रगति, राष्ट्र की सुरक्षा-अखंडता को प्रभावित और भारत के विश्वगुरू बनने के मार्ग में बाधाएं पैदा करने का दुस्साहस न कर सकें। 



“जीवात्मा का जन्म-मरण उसके कर्मों व ईश्वर के अधीन है”


हम मनुष्य शरीरधारी होने के कारण मनुष्य कहलाते हैं। हमारे भीतर जो जीवात्मा है वह सब प्राणियों में एक समान है। प्राणियों में भेद जीवात्माओं के पूर्वजन्मों के कर्मों के भेद के कारण होता है। हमें जो जन्म मिलता है वह हमारे पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर परमात्मा से मिलता है। यदि हमने पूर्वजन्म में शुभ कर्म अधिक और अशुभ कर्म कम किये होते हैं तो उसी के अनुसार हमें सुख व दुःखों से युक्त मनुष्य जन्म मिलता है। पुण्य कर्म अधिक होने पर सुख भी उसी मात्रा में प्राप्त होते हैं और यदि पुण्य कर्म कम मात्रा में होते हैं तो सुख भी उसी अनुपात में कम हो जाते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमें हमने भविष्य के उत्तर काल तथा परजन्मों में दुःख न हों अथवा न्यून हों तो हमें अधर्म, पाप व अशुभ कर्मों का सेवन नहीं करना चाहिये। एक कहावत है कि ‘जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे।’ यह सिद्धान्त हमारे सुख व दुःख तथा जन्मों पर प्रभाव डालता है। कर्म फल सिद्धान्त पर आधारित एक प्रसिद्ध श्लोक के शब्द हैं ‘अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभं’। इसका अर्थ है कि मनुष्य को अपने किये हुए शुभ व अशुभ कर्मों के फल अवश्य ही भोगने पड़ते हैं। संसार में भी हम देखते हैं कि जो मनुष्य शुभ कर्म करते हैं उनका सम्मान होता व उन्हें यश मिलता है तथा निन्दित कर्म करने वालों को अपमान का दुःख झेलना पड़ता है और राजव्यवस्था से भी उन्हें दण्ड प्राप्त होता है। 
हमारा जन्म इस लिये हुआ है कि हम अपने पूर्वजन्मों के उन कर्मों का फल भोग सकें जिनका फल हम पूर्वजन्म व जन्मों में फल भोग से पूर्व मृत्यु के आ जाने से नहीं भोग सके थे। कर्मों व जन्म-मरण का क्रम अनादि काल से चला आ रहा है। ईश्वर, जीव व सृष्टि का कारण प्रकृति अनादि सत्तायें हैं। इस कारण अनादि काल से ही प्रकृति से सृष्टि की रचना, सृष्टि व प्राणियों का पालन परमात्मा करते आ रहे हैं। सृष्टि रचना व पालन का प्रयोजन जीवों के कर्म व उनके फलों की व्यवस्था करना होता है जो परमात्मा अनादि काल से अद्यावधि करता आ रहा है और भविष्य में अनन्त काल तक इसी प्रकार करता रहेगा। इस कर्म फल व्यवस्था सहित ईश्वर, जीव व प्रकृति विषयक सिद्धान्तों का ज्ञान ईश्वरीय ज्ञान वेद से होता है जो वह सृष्टि की आदि में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न आदि ऋषियों को प्रदान करता है। यह वेद ज्ञान ही मनुष्यों को सद्कर्मों में युक्त होने की प्रेरणा करता है और बताता है कि सद्कर्मों के सेवन से मनुष्य कल्याण को प्राप्त होता है। सद्ज्ञान व सद्कर्मों से ही मनुष्यों को जन्म व मरण से मुक्ति मिलती है। मुक्ति में मनुष्य ईश्वर के सान्निध्य में रहकर आनन्दस्वरूप परमात्मा के आनन्द को भोगता है। जीवात्मा मुक्ति में इस अखिल ब्रह्माण्ड का भ्रमण कर इसे देखता तथा अन्य मुक्त जीवों से मिलता व उनसे वार्तालाप करता है। मुक्त जीवात्मा को किंचित किसी प्रकार का दुःख नहीं होता। इसका कारण यह है कि मनुष्य को दुःख शरीर के आश्रय से मिलते हैं। मुक्त अवस्था में शरीर छूट जाने व जन्म व मरण के न होने से जीवात्मा को सुख व दुःख नहीं होता। वह ईश्वर के आनन्द को उसका सान्निध्य व संगति को प्राप्त कर भोगता है और परमात्मा मुक्त आत्माओं को सुखों की उत्तम अवस्था ‘आनन्द’ प्रदान करते हैं। 
सभी जीवों का लक्ष्य जन्म व मरण से छूटना व मुक्ति को प्राप्त होना होता है। सभी मनुष्यों को ज्ञान प्राप्ति के लिये वेदों का अध्ययन करना आवश्यक व अनिवार्य है। यदि मनुष्य वेदाध्ययन नहीं करेंगे तो वह सद्ज्ञान व सद्कर्मों को प्राप्त नहीं हो सकते और न ही अपने परजन्म को उन्नत करने सहित जीवनमुक्ति की अवस्था व मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। वेद एवं वैदिक साहित्य सत्य ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इनका अध्ययन करने से मनुष्य की आत्मा की अविद्या दूर हो जाती है और आत्मा में सद्ज्ञान वा विद्या का प्रकाश हो जाता है जिससे उसे कर्तव्य व अकर्तव्यों का बोध हो जाता है। वर्तमान समय में लोग वेदाध्ययन न कर अर्थ वा धन कमाने वाली विद्या को प्राप्त कर जीवन भर भौतिक सुखों में ही बिताने का प्रयत्न करते हैं। मत-मतान्तरों में योगाभ्यास, ध्यान व समाधि का ज्ञान न होने के कारण वह ईश्वरोपासना, यज्ञ-अग्निहोत्र, परमार्थ के कार्यों आदि से वंचित रह जाते हैं जिसका परिणाम उनके पाप-पुण्य कर्मों के अनुसार पुनर्जन्म का होना निश्चित होता है जो कि मनुष्य सहित पशु, पक्षियों व कीट व पतंग आदि सहस्रों प्राणियों में से किसी एक योनि में होना सम्भव होता है। जब तक मनुष्य अपने जन्म में पूर्व व बाद के किये अशुभ व अधर्म के कर्मों का भोग नहीं कर लेता तब तक वह मनुष्य सहित इतर निम्न प्राणी योनियों में भटकता हुआ दुःख पाता रहता है। कर्म का भोग कर लेने पर जब उसके पाप पुण्य समान व पुण्य अधिक बच जाते हैं तो जीवात्मा का पुनः मनुष्य योनि में जन्म होता है। मनुष्य योनि ही दुःख निवृत्ति वा मोक्ष का द्वार होता है। यदि मनुष्य वेदाध्ययन कर पुण्य कर्मों का संचय कर लेता है तो वह श्रेष्ठ व उत्तम कर्मों को करके भविष्य में भी मनुष्य जन्म का अधिकारी होता है। योगाभ्यास द्वारा ध्यान व समाधि का सेवन करने वाले उपासकों को ईश्वर का साक्षात्कार होने पर जीवन मुक्ति की अवस्था प्राप्त होती है। ईश्वर साक्षात्कार और जीवनमुक्ति एक ही जन्म में प्राप्त न होकर इसमें साधक के पुरुषार्थ के अनुसार समय लगता है। समाधि अवस्था मिलने पर ही ईश्वर का साक्षात्कार साधक जीवात्मा को होता है जिससे उसकी मुक्ति होने पर वह जन्म व मरण के बन्धनों से छूट कर ब्रह्म वा ब्रह्म लोक में निवास करता है। ब्रह्म वा ईश्वर सर्वव्यापक है अतः जीव भी सर्वव्यापक ब्रह्म में सर्वत्र विचरण करता है। यही जीवात्मा का परम पद होता है। इसकी प्राप्ति के लिये ही सब मनुष्यों को प्रयत्न करने चाहियें। इसी कारण से परमात्मा ने यह संसार रचा है और वह सब जीवों को समान रूप से उनकी कर्मों की अवस्था के अनुसार अवसर देता रहता है। 
पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद देश में वेद ज्ञान विलुप्त होता गया। वेद ज्ञान के विलुप्त होने पर संसार में अविद्या फैल गई जिससे उन्हें वेद के विधानों व कर्तव्यों का ठीक ठीक ज्ञान न रहा। अविद्या का निरन्तर विस्तार होता गया और ऋषि दयानन्द के जन्म के समय भी देश देशान्तर में अविद्या विद्यमान थी। ऋषि दयानन्द कुशाग्र बुद्धि लेकर उत्पन्न हुए थे। उन्होंने प्रचलित धार्मिक मान्यताओं की सत्यता की परीक्षा की थी। उनको बोध हुआ था कि मूर्तिपूजा ईश्वर के सत्यस्वरूप की यथार्थ व वेदविहित उपासना नहीं है। उनका समाधान न होने पर वह गृहत्याग कर देश के विभिन्न भागों में धर्मपालन में विरत विद्वानों व योगियों की शरण में गये थे और उनसे अपनी शंकाआंे का समाधान करने का निवेदन किया था। वह ईश्वर व संसार विषयक सत्य रहस्यों को जानने के अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रहे। इस प्रयत्न में वह सच्चे योगी बने और बाद में मथुरा में दण्डी स्वामी प्रज्ञाचक्षु गुरु विरजानन्द सरस्वती जी की तीन वर्ष की शिक्षा व अध्ययन से वह वेदांगों व वेदों के पण्डित बने। योग व वेद विद्या से वह ईश्वर व उसके सत्य ज्ञान वेदों को प्राप्त हुए थे। अपने गुरु की प्रेरणा से व अपनी विवेक शक्ति से उन्होंने अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि हेतु वेद प्रचार को अपने जीवन का मिशन बनाया था। इस मार्ग पर बढ़ते हुए उन्होंने ईश्वर व आत्मा के सत्यस्वरूप सहित वेदों के यथार्थस्वरूप व सत्य वेदार्थों का प्रचार किया। उन्होंने काशी के पण्डितों से 16 नवम्बर, सन् 1869 को शास्त्रार्थ कर मूर्तिपूजा को वेद विरुद्ध सिद्ध किया था जिसे करने से कोई पुण्य नहीं होता। मूर्तिपूजा को उन्होंने ईश्वर की प्राप्ति में साधक नहीं अपितु बाधक बताया। देश व समाज की भलाई के लिये उन्होंने वेदों का प्रचार किया, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, वेदभाष्य, आर्याभिविनय आदि ग्रन्थ लेखन व प्रचार के कार्य किये। विधर्मियों से शास्त्रार्थ किये। सभी मनुष्यों को मत-मतान्तरों की अविद्या से परिचित कराया और वेद में सब प्रकार का सत्य ज्ञान होने तथा मनुष्य की सभी शंकाओं का समाधान प्राप्त होने का भी प्रचार व प्रकाश किया। 
सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने मनुष्य के जन्म का कारण उसके पूर्वजन्मों के कर्मों को माना है व उसका प्रकाश किया है। यह सिद्धान्त वेदसम्मत होने सहित ऋषियों का सिद्धान्त है। विद्या को प्राप्त होकर व उसके अनुरूप सद्कर्मों को करके ही हम दुःखों व जन्म-मृत्यु के बन्धनों से मुक्त हो सकते हैं। मोक्ष प्राप्ति भी वेद विद्या व उसके आचरण से ही होती है। इन विषयों पर ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश के नवम समुल्लास में भी विस्तार से युक्तियुक्त प्रकाश डाला है। सभी मनुष्यों को मनुष्य जन्म की सफलता व जीवन के अनेक रहस्यों से परिचित होने के लिये वेदों की कुंजी रूप सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन अवश्य करना चाहिये। इसका अध्ययन कर वह अविद्या से मुक्त होकर वेद से जुड़ेंगे और सत्कर्मों व वेदाध्ययन को करते हुए अपने बन्धनों को दूर कर मुक्ति मार्ग के पथिक बनकर जन्म-जन्मान्तर में उसे प्राप्त कर जीवात्मा के वास्तविक धाम मोक्ष धाम को प्राप्त हो सकते हैं। हमें यह पता होना चाहिये कि हमारा जन्म व मरण ईश्वर के अधीन है जिसका आधार धर्म व अधर्म का सेवन व पाप-पुण्य कर्म होते हैं। इसी के आधार पर परमात्मा हमारा जन्म निश्चित कर उसे जन्म प्रदान करते हंै और पाप पुण्यों के आधार पर ही हमें जन्म जन्मान्तर में सुख व दुःख प्राप्त होते हैं। ईश्वर व वेद की शरण में जाकर ईश्वरोपासना व सद्कमों को करके ही हम मुक्ति को प्राप्त हो सकते हैं। ऐसा हमें वेदाध्ययन एवं वैदिक साहित्य का अध्ययन करने पर विदित होता है। जीवन को सत्य से परिचित कराने के लिये हम ऋषि दयानन्द रचित ‘‘सत्यार्थप्रकाश” का अध्ययन करने का निवेदन करते हैं। इससे जीवन में अनेकानेक लाभ होंगे। आप ईश्वर के सच्चे स्वरूप से भी आसानी से जुड़ जायेंगे। 
-मनमोहन कुमार आर्य


रंग लाई पार्षद सिमरन मलिक पत्नी आरिफ मलिक की मेहनत, नाले के निर्माण कार्य का किया उद्धाटन


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। वार्ड 93 केला भट्टा तैयबा मस्जिद से लेकर इको पार्क तक आरसीसी नाले निर्माण  कार्य का उद्घाटन किया गया है क्षेत्रीय पार्षद सिमरन मलिक पत्नी आरिफ मलिक के द्वारा आरिफ मलिक ने बताया यह नाला कच्चा था जो आज तक नहीं बना और इसके कच्चे होने की वजह से पूरे केला भट्टा में जलभराव हो जाता था यह विकास कार्य अवस्था अपना निधि के द्वारा कराया जा रहा है दो करोड़ रुपए खर्च होगा और इस कार्य के होने से क्षेत्रवासियों में काफी खुशी देखने को मिली क्षेत्र वासियों ने आरिफ मलिक का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और आरिफ मलिक ने भी इस कार्य को कराने के लिए महापौर आशा शर्मा जी वह नगर निगम के अधिकारियों का धन्यवाद किया इस मौके पर जय कपिल मोहन बिट्टू चौधरी मास्टर मोहब्बत अली हाजी नईम जाकिर उफ चिकारा हाजी जाहिद इलियास अल्वी दानिश खान यासीन मामा चौधरी रिजवान सलमानी अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे



आर्य महिला संगोष्ठी सम्पन्न

नारी जाति के उद्धारक थे महर्षि दयानन्द -आर्य नेत्री उर्मिला आर्या
नारियों के लिए शिक्षा के द्वार खोले सर्वप्रथम आर्य समाज ने -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाज़ियाबाद। बुधवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आर्य महिला संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन गूगल मीट पर किया गया।परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने आगामी दो वर्ष के लिए  उर्मिला आर्या को आर्य युवती परिषद का अध्यक्ष मनोनीत किया व उन्हें शेष कार्यकारिणी बनाने का अधिकार दिया।यह कोरोना काल मे परिषद का 86वां वेबिनार था।



केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि 19वीं सदी में भारतीय समाज में नारी की दशा बहुत ही दयनीय थी।आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने नारी को पुरुष के समान अधिकार दिया।स्त्री जाति के लिए उन्होंने शिक्षा के द्वार खोल दिए। महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के निर्देशानुसार आर्य समाज ने पूरे देश में कन्या पाठशाला एवं गुरुकुल खोल दिए।आर्य समाज ने बाल विवाह,सती प्रथा जैसी कुरीतियां बंद करवाई।विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार प्रदान कर आर्य समाज ने नारी सशक्तिकरण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।सबसे पहला कन्या महाविद्यालय स्वामी श्रद्धानंद जी ने जालंधर में खोल कर बालिकाओं को शिक्षा का अधिकार दिया।
आर्य नेत्री शिक्षा विद अर्चना पुष्करणा ने कहा कि स्वामी दयानन्द ने जन सामान्य को समझाया कि शिक्षा के बिना व्यक्ति अधूरा है।नारी भी जब तक शिक्षित नहीं होगी तब तक जागरुक नहीं हो सकती,वह अपने अस्तित्व को,अपने महत्त्व को नहीं समझ सकती।अतः वेदों की विद्या जो ताले में बन्द थी देव दयानन्द ने उसकी कुञ्जी न केवल पुरुषों के लिए अपितु स्त्रियों के लिए भी सुलभ करवायी। 
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि वर्तमान समय में नारी सभी क्षेत्रों में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलकर काम कर रही है। नारी को समाज के नवनिर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाना होगा तभी एक सभ्य समाज का निर्माण हो सकता है।



कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए आर्य युवती परिषद को सशक्त संगठन बनाने का आह्वान किया।
आर्य रत्न संगीता आर्या "गीत",स्वेगा आर्या,चंद्रकांता आर्या(बैंगलोर),संध्या पाण्डेय, सोहन लाल मुखी,डॉ रचना चावला,दीप्ति सपरा,प्रतिभा सपरा,गीता गर्ग,उषा आहूजा, नरेश खन्ना,पुष्पा चुघ,उर्मिला आर्या(गुरुग्राम) आदि ने गीत संगीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
 मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई,आनन्द प्रकाश आर्य(हापुड़), डॉ सुषमा आर्या,आनन्द स्वरूप चावला(फरीदाबाद),वीना वोहरा, रचना आहूजा,विजया रानी शर्मा, राजेश मेहंदीरत्ता आदि उपस्थित थे।


Tuesday 8 September 2020

आयुष त्यागी का किया जोरदार स्वागत


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। आयुष त्यागी के स्वागत सम्मान समारोह में, सभी मौजूदा कार्यकर्ताओं ने बडे ही जोशीले अंदाज के साथ जय श्री राम जी उद्घोष प्रदान किया, तदोपरान्त माननीय जिलाध्यक्ष जी ने अपने सुंदर सुगम विचार अथवा बेहतरीन उपलब्धिया सभी के समक्ष प्रस्तुत किये। साथ ही साथ उन्होने  अत्यधिक संख्या में हिंदू युवा वाहिनी में कार्यकर्ताओं को सम्मिलित किया। 



इस मौके पर अभिषेक जी ,भानू जी ,श्री कृष्ण भगत जी, रवि जी, नितिन पंडित जी,  अजय पंवार जी ( युवा भाजपा नेता), विकास प्रजापति जी,  प्रदीप रामजीलाल, अरविंद सिँह चौहान, दीपक सिँह, आदि समस्त कार्यकर्ता शामिल रहे!


वार्ड—76 पार्षद पति युवा भाजपा नेता गौरव सोलंकी ने उपमुख्यमंत्री से की भेंट

उठाया स्कूली बच्चों के फीस माफी का मुद्दा, सौंपा ज्ञापन
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। वार्ड नम्बर-76 वैशाली से पार्षद शिवानी सिंह सोलंकी जी के पति युवा भाजपा नेता गौरव सोलंकी ने मंगलवार को विश्व साक्षरता दिवस पर मुख्यमंत्री आवास लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कर गाजियाबाद में कॉरोना संक्रमण के दौरान निजी स्कूलों द्वारा पूरी फीस वसूलने और अभिभावकों को परेशान करने का विषय उठाते हुए न्यायसंगत निस्तारण का अनुरोध किया। इस दौरान गौरव सोलंकी ने मुख्यमंत्री को सौंपे गए पत्र में गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा किये जा रहे भूख हड़ताल का जिक्र करते हुए कहा कि लखनऊ से टीम भेजकर अभिभावकों की समस्या का हल निकाला जाए क्योंकि जिला प्रशासन इस विषय पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। इस संबंध में सोमवार को पार्षद पति ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से भी मिलकर यह मुद्दा उठाया था जिसके निस्तारण की बात उपमुख्यमंत्री ने कहीं थी।



सौंपे गए पत्र में पार्षद पति ने कहा कि वैश्विक कॉरोना महामारी के कारण देश की आर्थिक स्थिति समेत लोगों की आय क्षमता प्रभावित हुई  है। वहीं गाजियाबाद में स्कूल प्रशासन द्वारा मनमानी जारी है। कॉरोना संक्रमण के कारण जहां एक तरफ स्कूल बंद पड़े है और उनका खर्च मात्र शिक्षकों की तनख्वाह देने में ही नज़र आता है बावजूद इसके स्कूल प्रशासन द्वारा अभिभावकों से ऑनलाइन कक्षा के नाम पर पूरी फीस वसूली जा रही है और फीस नहीं दिए जाने पर बच्चों के अभिभावकों को तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है। मान्यवर मेरे यहाँ वैशाली में अधिकतर लोग जनता फ्लैट में रहते है और वो मध्यम वर्ग के लोग है जो कॉरोना संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है। वहीं गाजियाबाद के अधिकतर निजी स्कूलों की ज़मीन सरकारी जमीन है जिसे कम दाम पर सरकार ने उन्हें दी थी जिससे समय आने पर वो अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन कर सकें लेकिन स्कूल प्रशासन का व्यवहार ठीक इसके विपरीत है। माननीय जी, कुछ निजी स्कूलों ने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए 3 से 6 महीने की स्वतः फीस माफी कर अभिभावकों को राहत प्रदान भी की है परन्तु एसे स्कूलो की संख्या बहुत कम है।



स्कूल प्रशासन शिक्षकों की तनख्वाह देने की बात करते है जबकि सच यह है कि इनके द्वारा शिक्षकों को पूरी सैलरी तक नहीं दी जा रही है। वहीं कॉरोना संक्रमण के कारण जहां अभिभावकों के इंटरनेट बिजली आदि के खर्चे बढ़े है और उनकी आय का स्रोत कम हुआ है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन जिला कलेक्ट्रेट पर पिछले कई दिनो से भूख हड़ताल पर है लेकिन अभी तक जिला प्रशासन न्यायसंगत समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है।
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त गंभीर समस्या का संज्ञान लेते हुए गाजियाबाद जनपद में अभिभावकों की समस्याओं के समाधान हेतु लखनऊ से एक उच्च समिति का गठन कर भेजा जाए जो मामलें  का न्यायसंगत समाधान करा सकें। साथ ही अप्रैल से दिसंबर तक की फीस स्कूलों को सिर्फ 25 प्रतिशत तक ही लेने व फीस न देने व लेट होने की स्थिति में बच्चों और अभिभावक को परेशान न करने का आदेश देने की कृपा करें।



बेसहारा का सहारा बने समाजसेवी राहुल प्रधान


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। अपने लिए तो सब जीते है, लेकिन जीना तो है उसी का जो ओरो के काम आये।यह पंक्ति वरिष्ठ समाजसेवी एवं(भाजपा किसान)मोर्चा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य:राहुल प्रधान पर एकदम सटीक बैठती है। वह समाज के बेसहारा लोगों का सहारा बने हुए हैं और हर कोई व्यक्ति उनके कार्यों की प्रशंसा कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने समाज के हर वर्ग गरीब व असहाय लोगो के घर घर तक भोजन के पैकेट पहुंचाने का कार्य किया। इसके अलावा रहा चलते भूखे प्यासे लोगों को भोजन व पानी की बोतल देकर उनकी भूख प्यास बुझाई। केवल इतना ही नहीं उन्होंने बेबोल पशुओं के दर्द को भी समझा और सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं के लिए भी चारे का प्रबंध कराया। जो पशु घायल थे या फिर किसी बीमारी से ग्रसित थे, ऐसे पशुओं का भी उन्होंने पशु चिकित्सा को बुलाकर इलाज कराया। इसके अलावा उनके द्वारा गरीबों को कंबल वितरण करना, शीतल जल की प्याऊ लगाना, वृक्षारोपण करना तथा राम कथा, भागवत, देवी पुराण जैसे उनके सामाजिक कार्य किए जाते हैं। श्री प्रधान का कहना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। यह उनके लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है कि आज उन्हें अपने का मौके साथ समाज सेवा करने का भी अवसर मिल रहा है।


विनोद पांचाल को जिलाध्यक्ष बनाएं जाने पर विश्वकर्मा समाज ने दी बधाई


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
लोनी। भारतीय जनता पार्टी के मंडल मंत्री व विश्वकर्मा महासभा प्रदेश महासचिव कपिल पांचाल मंडल महामंत्री व विश्वकर्मा महासभा गाजियाबाद जिलाध्यक्ष अंकुश पांचाल ने भारतीय जनता पार्टी नवीन शाहदरा नवनियुक्त जिलाध्यक्ष मास्टर विनोद पांचाल के निवास स्थान पर भेट कर नवीन दायित्व के पर फूल मालाओं एवं पटका पहनाकर स्वागत और हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। 
नवनियुक्त जिला अध्यक्ष मास्टर विनोद पांचाल काफी लंबे समय से भाजपा संगठन में कार्य कर रहे हैं। श्री विनोद पांचाल भाजपा नवीन शाहदरा दिल्ली के जिला महामंत्री रहे एवं नवीन शाहदरा दिल्ली के जिला अध्यक्ष बनाया गया है।
मास्टर विनोद पांचाल के जिलाध्यक्ष बनने पर पश्चिम उत्तर प्रदेश व दिल्ली प्रदेश के युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। मुख्य रूप से समाज सेवी सुशील विश्वकर्मा समाज सेवी अमित पांचाल भाजपा सेक्टर संयोजक अजय पांचाल विश्वकर्मा महासभा जिलाध्यक्ष अंकुश पांचाल विश्वकर्मा महासभा प्रदेश महासचिव कपिल पांचाल समाज सेवी निरज पांचाल समाज सेवी रितिक पांचाल समाज सेवी कप्तान विश्वकर्मा लक्ष्मण कुमार आदि मौजूद रहे।


अपने वंशजों के घर में सुख, संपत्ति, समृद्धि, देखकर खुश होते हैं पित्र: बी के शर्मा हनुमान    

                                                   
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता बी के शर्मा हनुमान ने बताया कि पित्र पक्ष में किसी शुभ कार्य का निषेध नहीं है खरीद-फरोख्त तो मानव जीवन का सहज कार्य व्यवहार है फिर पितृपक्ष में यह प्रतिबंध कैसे हो सकता है वंशजों के घर में सुख समृद्धि के साधन संसाधन देखकर पितर प्रसन्न होते हैं और पित्र अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं तो यह सब के लिए होता है फिर शुभ कार्य में ही  हिचक क्यों ऐसे में शुभ कार्य के तौर पर खरीदारी आदि करने में कुछ भी अशुभ नहीं होता है अगर सोना चांदी से लेकर जगह जमीन कुछ भी खरीदते हैं तो पुरखे नाराज कैसे हो सकते हैं उन्हें तो इससे खुशी ही मिलेगी और वह तृप्त ही होंगे पितरों की पूजा भी एक शुभ कर्म है इससे पहले देवता फिर ऋषि और तब पितरों की पूजा की जाती है अगर प्रतिबंधित  करना है तो नशा, असत्य, राक्षसी प्रवृत्ति  भोजन का  करें। गो, ब्राह्मण, पड़ोस में गरीब परिवार आदि को भोजन वस्त्र दान दे


वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान व विद्या के हैं ग्रन्थ


संसार में जितनी भी ज्ञान की पुस्तकें हैं वह सब मनुष्यों ने ही लिखी व प्रकाशित की हैं। ज्ञान के आदि स्रोत पर विचार करें तो ज्ञात होता है कि सृष्टि की उत्पत्ति व मानव उत्पत्ति के साथ आरम्भ में ही मनुष्यों को वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ था। जो लोग नास्तिक व अर्ध नास्तिक हैं वह तो कल्पना करते हैं कि सृष्टि स्वयं उत्पन्न हुई, मनुष्य भी स्वयं ही उत्पन्न हुए और उन मनुष्यों ने अपनी जिज्ञासा वृत्ति, आवश्यकताओं व निरन्तर अभ्यास से ज्ञान को बढ़ाया है। वैदिक मत व दृष्टिकोण इसके सर्वथा विपरीत है। वैदिक मत ईश्वर व जीवात्मा सहित प्रकृत्ति की अनादि, नित्य तथा अविनाशी सत्ता को मानते हैं। किसी भी पदार्थ का अभाव से स्वमेव उत्पन्न होना असम्भव होता है। यह वैज्ञानिक सिद्धान्त है। कोई नया पदार्थ किसी पूर्व पदार्थ के द्वारा किसी निमित्त कारण व चेतन सत्ता द्वारा ही बनाया जा सकता है। यह भी सर्वमान्य सिद्धान्त है किसी भी  अस्तित्ववान पदार्थ का नाश अर्थात् अभाव नहीं किया जा सकता। इसी कारण से ईश्वर को स्वयंभू कहा जाता है। वह व उसकी सत्ता किसी की उत्पन्न की हुई नहीं है वह स्वमेव अनादि काल से है, अविनाशी है और अनन्तकाल अर्थात् सदैव अपने सत्यस्वरूप, जो अजन्मा व मृत्यु को प्राप्त नहीं होता, उसी स्वरूप में रहेगा। संसार में विद्यमान इस अनादि व अमर सत्ता का ज्ञान वेदों के द्वारा सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों को परमात्मा ने कराया था। इस संबंध में लोग अनेक प्रकार की शंकायें करते हैं। ऋषि दयानन्द वेदों के ऋषि व उच्च कोटि के विद्वान थे। उन्होंने वेदोत्पत्ति सहित सृष्टि की उत्पत्ति आदि अनेक विषयों पर गहन चिन्तन मनन किया था तथा उसके उत्तर वैदिक साहित्य एवं अपने विवेक से प्राप्त किये थे। अपने वेदोत्पत्ति विषयक विचारों को उन्होंने सत्यार्थप्रकाश के सातवें समुल्लास में प्रस्तुत किया है। वेदों से ही ईश्वर को जाना जाता है। ऋषि दयानन्द ईश्वर को इस सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, पालनकर्ता तथा इसका प्रलयकर्ता मानते हैं। 
ऋषि दयानन्द लिखते हैं कि परमेश्वर निराकार है। प्रश्न होता है कि यदि परमेश्वर निराकार है तो वह वेद विद्या का उपदेश विना मुख के वर्णोच्चारण किए कैसे कर सका होगा क्योंकि वर्णों के उच्चारण में ताल्वादि स्थान, जिह्वा का प्रयत्न अवश्य होना आवश्यक है। इस प्रश्न व शंका का समाधान करते हुए ऋषि दयानन्द कहते हैं कि परमेश्वर के सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापक होने से जीवों को अपनी व्याप्ति से वेदविद्या के उपदेश करने में कुछ भी मुखादि की अपेक्षा व आवश्यकता नहीं है। क्योंकि मुख व जिह्वा से वर्णोच्चारण अपने से भिन्न को बोध कराने के लिये किया जाता है, कुछ अपने लिये नहीं। क्योंकि मुख जिह्वा का व्यापार करे बिना ही मन में अनेक व्यवहारों का विचार और शब्दोच्चारण होता रहता है। कानों को अंगुलियों से मंूद कर देखो, सुनो कि विना मुख जिह्वा ताल्वादि स्थानों के कैसे-कैसे शब्द हो रहे हैं। वैसे परमात्मा ने जीवों को अपने अन्तर्यामीरूप से उपदेश किया है। किन्तु केवल दूसरे को समझाने के लिये उच्चारण करने की आवश्यकता होती है। जब परमेश्वर निराकार व सर्वव्यापक है तो अपनी अखिल वेदविद्या का उपदेश जीवस्थ (जीवों के भीतर व बाहर विद्यमान स्वरूप) स्वरूप से जीवात्मा में प्रकाशित कर देता है। फिर वह मनुष्य अपने मुख से उच्चारण करके दूसरों को सुनाता हे। इसलिए ईश्वर में यह दोष नहीं आता कि वह मनुष्यों व जीवात्माओं को बिना शरीर व मुखादि के वेद विद्या का उपदेश नहीं कर सकता। 
वेद विद्या की उत्पत्ति से जुड़ा एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि किन मनुष्यों के आत्मा में कब वेदों का प्रकाश किया गया वा वेदों का ज्ञान दिया? सृष्टि के आदिकाल में रचा गया ग्रन्थ शतपथ ब्राह्मण इस प्रश्न पर प्रकाश डालता हुआ बताता है कि ‘अग्नेर्वा ऋग्वेदो जायते वायोर्यजुर्वेदः सूर्यात्सामवेदः।।’ अर्थात् प्रथम सृष्टि की आदि में परमात्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा नाम के ऋषियों की आत्मा में एक-एक वेद का प्रकाश किया। ऋषि दयानन्द ने मनुस्मृति ग्रन्थ का प्रमाण देते हुए उसका एक श्लोक ‘अग्निवायुरविभ्यस्तु त्रयं ब्रह्म् सनातनम्। दुदोह यज्ञसिद्ध्यर्थमृग्यजुःसामलक्षणम्।।’ प्रस्तुत किया है। इस श्लोक के अनुसार परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न करके अग्नि आदि चार महर्षियों के द्वारा चारों वेद पांचवें ऋषि ब्रह्मा को प्राप्त कराये और उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा से ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ग्रहण किया। मनुस्मृति के इस वचन पर एक शंका की गई कि अग्नि आदि इन चार ऋषियों को ही परमात्मा ने वेदों का प्रकाश किया, अन्य सब मनुष्यों में नहीं किया, क्यों? इससे लगता है कि ईश्वर पक्षपात करता है। इसका उत्तर देते हुए ऋषि दयानन्द बताते हैं कि अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ऋषि ही सब जीवों से अधिक पवित्रात्मा थे। अन्य उन के सदृश नहीं थे। इसलिये पवित्र वेद विद्या का प्रकाश उन्हीं की आत्माओं में किया। 
परमात्मा के विषय में एक शंका व जिज्ञासा यह भी की जाती है कि परमात्मा ने किसी देश की भाषा में वेदों का प्रकाश न करके संस्कृत में क्यों किया? इसका समाधान करने वाला उत्तर देते हुए ऋषि दयानन्द ने कहा है जो परमात्मा किसी देश-भाषा में वेदों का प्रकाश करता तो ईश्वर पक्षपाती हो जाता। क्योंकि जिस देश की भाषा में प्रकाश करता उनको सुगमता ओर विदेशियों को कठिनता वेदों के पढ़ने पढ़ाने की होती। इसलिये संस्कृत ही में प्रकाश किया है जो किसी देश की भाषा नहीं और वेदभाषा ही अन्य सब भाषाओं का कारण है। उस संस्कृत में निष्पक्ष ईश्वर ने वेदों का प्रकाश किया। जैसे ईश्वर की पृथिवी आदि सृष्टि सब देश और देशवालों के लिये एक सी और सब शिल्पविद्या का कारण है। वैसे परमेश्वर की विद्या की भाषा भी एक सी होनी चाहिये जिससे सब देशवालों को पढ़ने पढ़ाने में तुल्य परिश्रम करना पडे। इससे ईश्वर पक्षपाती नहीं होता। यह भी ज्ञातव्य है कि सब भाषाओं का कारण भी संस्कृत भाषा है। 
वेद विषयक एक शंका यह की जाती है यह बात कैसे प्रमाणित हो कि वेद ईश्वरकृत हैं अन्यकृत नहीं? इसका उत्तर है कि जैसा ईश्वर पवित्र, सर्वविद्यावित्, शुद्धगुणकर्मस्वभाव, न्यायकारी, दयालु आदि गुणवाला है वैसे जिस पुस्तक में ईश्वर के गुण, कर्म, स्वभाव के अनुकूल कथन हो वह ईश्वरकृत, अन्य नहीं। और जिस में सृष्टिक्रम प्रत्यक्षादि प्रमाण आप्तों के और पवित्रात्माओं के व्यवहार से विरुद्ध कथन न हो वह ईश्वरोक्त होता है। जैसा ईश्वर का निर्भ्रम ज्ञान होता है वैसा जिस पुस्तक में भ्रान्तिरहित ज्ञान का प्रतिपादन हो, वह ईश्वरोक्त होता है। जैसा परमेश्वर है और जैसा सृष्टिक्रम रखा है, वैसा ही ईश्वर, सृष्टि, कार्य, कारण और जीव का प्रतिपादन जिस में होवे वह परमेश्वरोक्त पुस्तक होता है और जो प्रत्यक्षादि प्रमाण विषयों से अविरुद्ध शुद्धात्मा के स्वभाव से विरुद्ध न हो, इस प्रकार के वेद हैं। अन्य बाइबल, कुरान आदि पुस्तकें नहीं। 
वेदों के विषय में यह भी शंका की जा सकती है कि वेद की ईश्वर से होने की आवश्यकता कुछ भी नहीं है क्यांेकि मनुष्य लोग क्रमशः ज्ञान बढ़ाते जाकर पश्चात् पुस्तक भी बना लेंगे। इसका उत्तर ऋषि दयानन्द देते हैं कि बिना ईश्वर द्वारा वेदों का ज्ञान दिये मनुष्य अपने प्रयत्नों से वेद जैसा ज्ञान का पुस्तक कभी नहीं बना सकते। ऐसा इसलिये कि विना कारण के कार्योत्पत्ति का होना असम्भव है। जैसे जंगली मनुष्य सृष्टि को देखकर भी विद्वान् नहीं होते ओर जब उन को कोई शिक्षक मिल जाय तो विद्वान् हो जाते हैं। और अब भी किसी से पढ़े विना कोई भी विद्वान् नहीं होता। इस प्रकार जो परमात्मा उन आदि सृष्टि के ऋषियों को वेदविद्या न पढ़ाता और वे अन्य को न पढ़ाते तो सब लोग अविद्वान् ही रह जाते। जैसे किसी के बालक को जन्म से एकान्त देश, अविद्वानों वा पशुओं के संग में रख देवे तो वह जैसा संग है वैसा ही हो जायेगा। इसका दृष्टान्त जंगली मनुष्य भील आदि हैं। 
इस प्रसंग में ऋषि दयानन्द ने एक महत्वपूर्ण बात यह भी बताई है कि जब तक आर्यावर्त देश से शिक्षा विदेशों में नहीं गई थी तब तक मिश्र, यूनान और यूरोप देश आदिस्थ मनुष्यों में कुछ भी विद्या नहीं हुई थी और इंग्लैण्ड के कुलुम्बस आदि पुरुष अमेरिका मे जब तक नहीं गये थे तब तक वे अमेरिकावासी भी सहस्रों, लाखों क्रोड़ों वर्षों से मूर्ख अर्थात् विद्याहीन थे। पुनः सुशिक्षा के पाने से विद्वान् हो गये हैं। वैसे ही परमात्मा से सृष्टि की आदि में विद्या शिक्षा की प्राप्ति से उत्तरोत्तर काल में विद्वान होते आये हैं। योगदर्शन का एक सूत्र ‘स पूर्वेषामपि गुरुः कालेनानवच्छेदात्।।’ है। इससे विदित होता है कि जैसे वर्तमान समय में हम लोग अध्यापकों से पढ़ कर ही विद्वान होते हैं वैसे परमेश्वर ही सृष्टि के आरम्भ में उत्पन्न हुए अग्नि आदि ऋषियों का गुरु अर्थात् पढ़ानेवाला है। क्योंकि जैसे जीव सुषुप्ति ओर प्रलय में ज्ञानरहित हो जाते हैं वैसा परमेश्वर नहीं होता। उसका ज्ञान नित्य है। इसलिए यह निश्चित जानना चाहिये कि विना निमित्त (परमेश्वर) से नैमित्तिक अर्थ सिद्ध कभी नहीं होता। 
एक शंका यह भी होती है कि वेद संस्कृत भाषा में प्रकाशित हुए और वे अग्नि आदि ऋषि लोग उस संस्कृत भाषा को नहीं जानते थे फिर वेदों का अर्थ उन्होंने कैसे जाना? इसका समाधान करते हुए ऋषि दयानन्द कहते हैं कि परमेश्वर ने उन ऋषियों को वेदों के अर्थ जनाये। और धर्मात्मा योगी महर्षि लोग जब-जब जिस-जिस वेद के मन्त्र के अर्थ को जानने की इच्छा करके ध्यानावस्थित हो परमेश्वर के स्वरूप में समाधिस्थ हुए तब-तब परमात्मा ने अभीष्ट मन्त्रों के अर्थ जनाये। जब बहुत से ऋषियों के आत्माओं में वेदार्थप्रकाश हुआ तब ऋषि मुनियों ने वह अर्थ और ऋषि मुनियों के इतिहासपूर्वक ग्रन्थ बनाये। उनका नाम ब्राह्मण अर्थात् ब्रह्म जो वेद उसका व्याख्यान ग्रन्थ होने से ब्राह्मण नाम हुआ हुआ। ‘ऋषयो मन्त्रदृष्टयः मन्त्रान् सम्प्रादुः।’ इस प्रमाण के अनुसार जिस-जिस मन्त्रार्थ का दर्शन जिस-जिस ऋषि को हुआ और प्रथम ही जिस के पहले उस मन्त्र का अर्थ किसी ने प्रकाशित नहीं किया था, प्रकाशित किया और दूसरों को पढ़ाया भी, इसलिये अद्यावधि उस-उस मन्त्र के साथ ऋषि का नाम स्मरणार्थ लिखा आता है। जो कोई ऋषियों को मन्त्रकर्ता बतलावें उन को मिथ्यावादी समझें। वे तो मन्त्रों के अर्थ प्रकाशक हैं। ऋषि दयानन्द ने यह भी स्पष्ट किया है वेद ऋक्, यजु, साम और अथर्व मन्त्र संहिताओं का नाम है अन्य का नहीं। हमें यह भी विदित होना चाहिये कि वेदों का ज्ञान ईश्वर का नित्य ज्ञान है। ऐसा इसलिये कि परमेश्वर के नित्य होने से उस के ज्ञानादि गुण भी नित्य हैं। जो नित्य पदार्थ हैं (ईश्वर, जीव और प्रकृति) उन के गुण, कर्म, स्वभाव नित्य और अनित्य द्रव्य के अनित्य होते हैं। 
एक शंका यह भी कि जाती है कि ईश्वर ने उन ऋषियों को ज्ञान दिया होगा और उस ज्ञान से लोगों ने वेद बना लिये होंगे? ऐसा होना सम्भव नहीं है। इसका समाधान ऋषि ने यह किया है कि ज्ञान ज्ञेय के विना नहीं होता। गायत्री आदि छन्द षड्जादि और उदात्ताऽनुदात्तादि स्वर के ज्ञानपूर्वक गायत्री आदि छन्दों के निर्माण करने में सर्वज्ञ ईश्वर के विना किसी का सामथ्र्य नहीं है कि इस प्रकार का सर्वज्ञानयुक्त शास्त्र बना सकें। हां! वेद को पढ़ने के पश्चात् व्याकरण, निरुक्त और छन्द आदि ग्रन्थ ऋषि मुनियों ने विद्याओं के प्रकाश के लिये किये हैं। जो परमात्मा वेदों का प्रकाश न करे तो कोई कुछ भी न बना सके। इसलिये वेद परमेश्वरोक्त हैं। इन्हीं के अनुसार सब लोगों को चलना चाहिये और जो कोई किसी से पूछे कि तुम्हारा क्या मत है तो यही उत्तर देना कि हमारा मत वेद अर्थात् जो कुछ वेदों में कहा है हम उस को मानते है। 
ऋषि दयानन्द के वचनों व इस विषयक सभी शंकाओं के समाधान से यह स्पष्ट हो जाता है कि वेद ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं। वेद नित्य ज्ञान है। वेद ज्ञान से ही मनुष्य जीवन का कल्याण होता है। मनुष्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त होते हैं। विना वेद ज्ञान के मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष जिसमें ईश्वर का साक्षात्कार भी सम्मिलित है, प्राप्त व सिद्ध नहीं हो सकते। 



-मनमोहन कुमार आर्य


देश एवं मानव निर्माण में गोरक्षा एवं गोसंवर्धन का महत्वपूर्ण स्थान


परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये इस सृष्टि को उत्पन्न कर धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये कभी आपस में टकराते नहीं जबकि मनुष्यों द्वारा निर्मित व संचालित सीमित संख्या के वाहन प्रतिदिन परस्पर टकरा जाते हैं जिससे बड़ी संख्या में जान व माल की हानि होती है। इसी कारण से कहा जाता है कि परमात्मा की सभी व्यवस्थायें आदर्श हैं जिसकी प्रेरणा लेकर हमें भी अपनी सभी व्यवस्थाओं को चुस्त व दुरुस्त करना चाहिये। परमात्मा ने मनुष्य व इतर सभी प्राणियों की आवश्यकता के सभी पदार्थ बनाये हैं। मनुष्य के लिए माता-पिता, समाज, आचार्य आदि की आवश्यकता होती है जिनकी पूर्ति भी परमात्मा द्वारा ही की जाती है। शैशवास्था में मनुष्यों को माता का दूध चाहिये जिसकी प्राप्ति भी परमात्मा ने ही उत्तम रीति से की हुई है। शैशवास्था के बाद की मनुष्यों की आवश्यकता की सभी वस्तुयें वा पदार्थ भी परमात्मा ने सृष्टि में रचकर प्रदान कर रखें हैं। 
मनुष्य को जीने के लिए प्राण-वायु, जल, अग्नि, अन्न, फल, ओषधियां तथा दुग्ध आदि पदार्थों की आवश्यकता होती है। यह सब पदार्थ भी मनुष्य को सृष्टि में ही प्राप्त होते हैं। मनुष्य के जीवन में दुग्ध का अत्यन्त महत्व है। इसकी पूर्ति गो आदि पशुओं से होती है। देशी गाय का दुध श्रेष्ठ व उत्तम होता है। गाय के दुग्ध में बुद्धि को तीव्र करने सहित शरीर के आरोग्य व बल प्रदान करने तथा शारीरिक वृद्धि में गोदुग्ध की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि किसी बच्चे को माता का दूध सुलभ न हो तो गो माता के दूध से वह पल जाता है। छोटे शिशु का माता के दुग्ध के स्थान पर अन्य विकल्प गोदुग्ध ही होता है। शैशवास्था के बाद भी मनुष्य की पूरी आयु में दुग्ध व दुग्ध निर्मित दही, छाछ, मक्खन, घृत, पनीर आदि के द्वारा उसके शरीर का पोषण होता है। गो दुग्ध अन्न व फलों का भी विकल्प होता है। यदि अन्न व फल आदि सुलभ न हों तो गोदुग्ध से इनकी भी पूर्ति होती है। इसी कारण गोदुग्ध को पूर्ण आहार माना जाता है। हमने उदर के रोगियों के बारे में पढ़ा है जिन्होंने अपना पूरा जीवन गोदुग्ध के सहारे ही यशस्वी रूप में व्यतीत किया। देशी गाय का दुग्ध सभी साध्य व असाध्य रोगियों के लिए क्षुधा निवृति, पोषण एवं रोग निवृत्ति का कार्य करता है। गोदुग्ध बल व आयुवर्धक होता है। इसे अमृत की संज्ञा भी दी जाती है। अतः किसी भी शिक्षित व बुद्धिमान मनुष्यों के देश में देशी गाय का बड़े पैमाने पर पोषण होना चाहिये और गाय की माता के समान श्रद्धापूर्वक सेवा की जानी चाहिये। ऐसा होने पर राष्ट्र सभी प्रकार की उन्नति कर अपने सभी लक्ष्यों, जनता की सुख व शान्ति, अजेयता, ज्ञान विज्ञान की उन्नति, विकास, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को प्राप्त हो सकता है। यदि किसी देश में गोपालन व गोसंरक्षण नहीं होता तो उस राष्ट्र को शिक्षित व संस्कारित मनुष्यों का राष्ट्र नहीं कहा जा सकता। ऐसे राष्ट्र में पूर्ण सुख व शान्ति स्वप्नवत् होती है जो कभी पूरी नहीं हो सकती। इस प्रकरण में वेदों व आर्यसमाज के विद्वान पूर्व सांसद पं. प्रकाशवीर शास्त्री की पुस्तक गोरक्षा राष्ट्ररक्षा की स्मृति भी उठती है जिसमें गोरक्षा को राष्ट्ररक्षा का पर्याय माना गया है और इसके पक्ष में पुस्तक में अनेक प्रमाण व तथ्यों को प्रस्तुत किया गया है। 
महर्षि दयानन्द ने गोरक्षा व इसके संवर्धन सहित गोहत्या रोकने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण लघु पुस्तक ‘गोकरुणानिधि’ की रचना की थी। अपने विषय की यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पुस्तक है। इस पुस्तक में विषय को अपने युक्तियों व तर्कों से प्रस्तुत किया गया है और तत्कालीन अंग्रेज सरकार की प्रमुख महारानी विक्टोरिया से भारत में गोरक्षा सहित गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध की मांग की जा रही थी। महर्षि दयानन्द ने देश में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिये आन्दोलन किया था। उन्होंने इसके लिये एक विस्तृत ज्ञापन तैयार किया था जिस पर लाखों लोगों के हस्ताक्षर कराये गये थे। यह अभियान चल ही रहा था कि मध्य में उनकी विष दिये जाने से मृत्यु हो गयी जिससे वह कार्य अधूरा रह गया। ऋषि दयानन्द अपने समय में गोरक्षा, गोपालन तथा गोहत्या पर प्रतिबन्ध की चर्चा किया करते थे। वह अनेक बड़े अंग्रेज राज्याधिकारियों से भी गोरक्षा के विषय में मिले थे और उनको गोहत्या पर प्रतिबन्ध के अपने विचारों को तर्कों व युक्तियों से सहमत किया था। यदि उनकी अचानक मृत्यु न हुई होती तो वह गोरक्षा आन्दोलन को उसके उचित समाधान तक पहुंचा कर अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करते। ऋषि दयानन्द कृत गोकरुणानिधि लघु पुस्तक को प्रत्येक देशवासी को अवश्य पढ़ना चाहिये। इस पुस्तक की भूमिका में ऋषि दयानन्द ने गोरक्षा के विषय में महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किये हैं। हम उनके विचारों को यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि वे धर्मात्मा विद्वान् लोग धन्य हैं, जो ईश्वर के गुण, कम्र्म, स्वभाव, अभिप्राय, सृष्टि-क्रम, प्रत्यक्षादि प्रमाण और आप्तों के आचार से अविरुद्ध चलके सब संसार को सुख पहुंचाते हैं। और शोक है उन पर जो कि इनसे विरुद्ध स्वार्थी दयाहीन होकर जगत् में हानि करने के लिये वर्तमान हैं। पूजनीय जन वे हैं कि जो अपनी हानि होती हो तो भी सब के हित के करने में अपना तन, मन, धन लगाते हैं। और तिरस्करणीय वे हैं जो अपने ही लाभ में सन्तुष्ट रहकर सबके सुखों का नाश करते हैं। 
ऋषि दयानन्द पुस्तक की भूमिका में आगे लिखते हैं ऐसा सृष्टि मे कौन मनुष्य होगा जो सुख और दुःख को स्वयं न मानता हो? क्या ऐसा कोई भी मनुष्य है कि जिसके गले को काटे वा रक्षा करे, वह दुःख और सुख का अनुभव न करे? जब सब को लाभ और सुख ही में प्रसन्नता है, तो विना अपराध किसी प्राणी का प्राण वियोग करके अपना पोषण करना यह सत्पुरुषों के सामने निन्दित कर्म क्यों न होवे? सर्वशक्तिमान जगदीश्वर इस सृष्टि में मनुष्यों के आत्माओं में अपनी दया और न्याय को प्रकाशित करे कि जिससे ये सब दया और न्याययुक्त होकर सर्वदा सर्वोपकारक काम करें और स्वार्थपन से पक्षपातयुक्त होकर कृपापात्र गाय आदि पशुओं का विनाश न करें कि जिससे दुग्ध आदि पदार्थों और खेती आदि क्रियाओं की सिद्धि से युक्त होकर सब मनुष्य आनन्द में रहें। ऋषि दयानन्द ने भूमिका में यह भी कहा है कि यह ग्रन्थ इस अभिप्राय से रचा गया है जिससे गो आदि पशु जहां तक सामथ्र्य हो बचाये जावें और उनके बचाने से दूध घी और खेती के बढ़ने से सब को सुख बढ़ता रहे। परमात्मा कृपा करें कि यह अभीष्ट शीघ्र सिद्ध हो। अपने ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द ने गोरक्षा वा गोहत्या निषेध के महत्व को बहुत ही प्रभावशाली शब्दों में प्रस्तुत किया है। 
गोकरुणानिधि पुस्तक में ऋषि दयानन्द ने कहा है कि सर्वशक्तिमान् जगदीश्वर ने इस सृष्टि में जो-जो (गो आदि पशु) पदार्थ बनाये हैं, वे निष्प्रयोजन नहीं हैं, किन्तु एक-एक वस्तु अनेक-अनेक प्रयोजन के लिये रची है। इसलिये उन से वे ही कार्य लेना सब को उचित होता है, न कि उससे पूर्ण प्रयोजन न लेकर बीच ही में वह नष्ट कर दिया जावे। क्या जिन-जिन प्रयोजनों के लिये परमात्मा ने जो-जो पदार्थ बनाये हैं, उन-उन से वे-वे प्रयोजन न लेकर उनको प्रथम ही विनष्ट कर देना सत्पुरुषों के विचार में बुरा कर्म नहीं है? पक्षपात छोड़ कर देखिये, गाय आदि पशु और कृषि आदि कर्मों से सब संसार को असंख्य सुख होते हैं वा नहीं? जैसे दो और दो चार होते हैं, वैसे ही सत्यविद्या से जो-जो विषय जाने जाते वे अन्यथा कभी नहीं हो सकते। इस पुस्तक में ऋषि दयानन्द ने एक गाय की एक पीढ़ी से होने वाली गायों से दुग्ध तथा बैलों से कृषि होकर उत्पन्न अन्न आदि पदार्थों का गणित की विधि से हिसाब लगाकर बताया है कि एक गाय की एक पीढ़ी से यदि 6 गाय और 6 बैल मान लिये जायें तो 7 गायों से 1,54,440 एक लाख चैवन हजार चार सौ चालीस मनुष्यों का पालन एक बार में हो सकता है। इसी प्रकार एक गाय की एक पीढी में जीवित 6 बैलों से जीवन भर उत्पन्न अन्न आदि पदार्थों से 2,56,000 मनुष्यों का पालन एक बार में हो सकता है। दूध व अन्न को मिलाकर देखने से विदित होता है कि एक गाय की एक पीढी से 4,10,440 चार लाख दस हजार चार सौ चालीस मनुष्यों का एक बार के भोजन के रूप में पालन होता है। वह यह भी बतातें है कि अधिक गोदुग्ध होने व उसका सेवन करने से मनुष्य का मल कम मात्रा में होता है। इससे वायु कम दुर्गन्धयुक्त होता है। इससे वायु प्रदुषण व विकार कम होने से रोग भी कम होते हैं। मनुष्य स्वस्थ रहते हैं तो उनके शरीर में अधिक बल होने व लम्बी आयु होने से वह अधिक कार्य करते हैं जिससे देश में अधिक सुख व समृद्धि होती है। ऐसे अनेक पक्षों पर ऋषि दयानन्द जी ने अपनी पुस्तक गोकरुणानिधि में प्रकाश डाला है। 
यजुर्वेद में गाय को अघ्न्या कहा गया है। इसका अर्थ होता है न मारने योग्य। मन्त्र में शब्द आये हैं ‘अघ्न्या यजमानस्य पशून् पाहि।’ इन वेद के शब्दों में परमात्मा मनुष्यों को कहते हैं कि हे मनुष्य! तू इन पशुओं को कभी मत मार, और यजमान अर्थात् सब को सुख देनेवाले मनुष्यों से सम्बन्धित पालतू पशुओं की रक्षा कर जिनसे तेरी भी पूरी रक्षा होवे। ईश्वर की आज्ञा को मानना सब मनुष्यों का कर्तव्य है। अतः किसी मनुष्य को किसी भी पशु की आहार व भोजन के लिये हत्या कदापि नहीं करनी चाहिये। यह पाप एवं ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन होता है। अपनी पुस्तक में महर्षि दयानन्द ने एक स्थान पर पूर्वपक्ष के रूप में एक प्रश्न प्रस्तुत किया है। वह लिखते हैं कि जिस देश में सिवाय मांस के अन्य कछ नहीं मिलता वहां वा आपत्काल में अथवा रोगनिवृत्ति के लिए मांस खाने में दोष नहीं होता। इसका समाधान व उत्तर देते हुए वह कहते हैं कि यह आपका कहना व्यर्थ है। क्योंकि जहां मनुष्य रहते हैं वहां पृथिवी अवश्य होती है। जहां पृथिवी है वहां खेती वा फल फूल आदि होते हैं। और जहां कुछ भी नहीं होता, वहां मनुष्य भी नहीं रह सकते। और जहां ऊसर भूमि है, मिष्ट जल और फलाहार आदि के न होने से मनुष्यों का रहना भी दुर्घट है। और आपत्काल में भी मनुष्य अन्य उपायों से निर्वाह कर सकते हैं, जैसे मांस के न खाने वाले करते हैं। और विना मांस के रोगों का निवारण भी ओषधियों से यथावत् होता है। इसलिए मांस खाना अच्छा नहीं है। मांसाहार के प्रकरण में मनुस्मृति का 5/51 श्लोक ‘अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी। संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः।।’ भी महत्वपूर्ण है जिसमें कहा गया है कि (गो आदि किसी पशु की हत्या की) अनुमति देने वाले, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिये और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले यह 8 मनुष्य घातक हिंसक अर्थात् यह सब पाप करने वाले हैं। अतः मांस खाने सहित इसमें किसी भी रूप में मांसाहार में सहयोग करने से पाप होता है। इस कारण किसी भी बुद्धिमान मनुष्य को मांसाहार का पाप कदापि नहीं करना चाहिये। 
पुस्तक के अन्त में ऋषि दयानन्द ने गोरक्षा की मार्मिक अपील की है। वह कहते हैं कि ध्यान देकर सुनिये कि जैसा दुःख सुख अपने को होता है, वैसा ही औरों को भी समझा कीजिये। यह भी ध्यान में रखिये कि वे पशु आदि अर्थात् खेती आदि कर्म करने वाले प्रजा के पशु आदि और मनुष्यों के अधिक पुरुषार्थ ही से राजा का ऐश्वर्य अधिक बढ़ता और न्यून होने से नष्ट हो जाता है। इसीलिये राजा प्रजा से कर लेता है कि उनकी रक्षा यथावत् करे, न कि राजा और प्रजा के जो सुख के कारण गाय आदि पशु हैं उनका नाश किया जावे। इसलिये आज तक जो हुआ सो हुआ, आंखें खोल कर सबके हानिकारक कर्मों को न कीजिये और न करने दीजिये। हां, हम लोगों का यही काम है कि आप लोगों की भलाई और बुराई के कामों को जता देवें, और आप लोगों का यही काम है कि पक्षपात छोड़ सब गो आदि लाभकारी पशुओं की रक्षा और बढ़ती करने में तत्पर रहें। सर्वशक्मिान् जगदीश्वर हम और आप पर पूर्ण कृपा करें कि जिससे हम और आप लोग विश्व के हानिकारक कर्मों को छोड़ सर्वोपकारक कर्मों को करके सब लोग आनन्द में रहें। इन सब बातों को सुन मत डालना किन्तु सुन रखना, इन अनाथ पशुओं के प्राणों को शीघ्र बचाना। अन्त में वह कहते हैं ‘हे महाराजधिराज जगदीश्वर! जो इन (गाय आदि पशुओं) को कोई न बचावे तो आप इनकी रक्षा करने और हम से कराने में शीघ्र उद्यत हुजिये।।’
हमने लेख में गोरक्षा व गो संवर्धन के पक्ष तथा गोहत्या के विरोध में वेद तथा ऋषि दयानन्द के विचार प्रस्तुत किये हैं। गोहत्या, गोमांसाहार सहित अन्य पशुओं की हत्या व उनके मांस का सेवन अमानवीय एवं निन्दित कर्म है। यह अधर्म व पापकर्म है। मनुष्य को इसे तत्काल छोड़ देना चाहिये। इससे संसार में सुखों की वृद्धि होगी। कल व भविष्य में मरने पर यदि हम भी पशु बने तो हम स्वयं की पशु हत्या के दुःख से बच सकेंगे। आज हम जो दूसरों के साथ करते हैं, परमात्मा की व्यवस्था में वह भविष्य व परजन्म में हमारे साथ भी हो सकता व होता है।



-मनमोहन कुमार आर्य


Monday 7 September 2020

जल भराव व गड्ढ़ा युक्त सड़कों के विरोध में मनमोहन गामा के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने किया प्रदर्शन


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
साहिबाबाद। दिल्ली यू पी बॉर्डर जहाँ सिमा पुलिस चौकी है मेन जी टी रोड़ पर विन बरसात जल भराव गड्ढा युक्त सड़क के खिलाफ स्थानीय लोगो ने सपा जिला उपाध्यक्ष एवं प्रभारी साहिबाबाद के निरतित्व में भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान जल भरी सड़को पर सरकार विरोधी नारे लगाए,पं मनमोहन झा गामा ने कहा कि जब से उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तब से ही विकास कार्य अवरुद्ध है,योगी जी की सरकार सिर्फ सपा सरकार के दौरान हुए विकास कार्य के उदघाट्न एवं नामकरण में व्यस्त है जनता पस्त है,
योगी जी की सरकार एवं पी डब्लू डी से मांग करता हूँ कि तत्काल गड्ढा युक्त जी टी रोड एवं चौक पड़े सीवर लाइन को ठीक करे, जब योगी जी सरकार में आए तो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी ने कहा कि उत्तरप्रदेश गड्ढा मुक्त सरकार होगी,गड्ढा मुक्त सड़क तो नही हुआ गुंडा युक्त प्रदेश जरूर बन गया योगी बाबा के राज में गड्ढा मुक्त सड़क के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई की बन्दर बांट जरूर हुआ।



प्रदर्शन करने वालो में मुख्य रूप से राकेश गुप्पता, सतीश कुमार,पूर्व मीडिया प्रभारी जब्बर मलिक,पिछड़ा वर्ग अध्यक्ष राहत अली उर्फ मोनू सैफ़ी,पूर्व उपाध्यक्ष साबीर चौधरी,मदन कुमार,प्रीतम सिंह,रवींद्र सिंह आदि लोग मौजूद रहे।


आर्य समाज मंदिर राज नगर में श्राद्ध का वैदिक स्वरूप पर संगोष्ठी ऑनलाइन सम्पन्न

समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। आर्यसमाज राजनगर के तत्त्वावधान में  श्राद्ध का वैदिक स्वरूप पर संगोष्ठी का आयोजन अन्तरजालीय जूम एप के माध्यम से किया गया।
संगोष्ठी में वैदिक विद्वान् मुख्य वक्ता विनय विद्यालंकार हल्द्वानी ने कहा कि श्राद्ध किसे कहते हैं?इस जिज्ञासा पर शास्त्र के अनुसार-श्रत्सत्यं दधाति यया क्रियया सा श्रद्धा श्रद्धया यत्कर्म क्रियते तच्छ्राद्धम् सत्य को श्रत् कहते हैं,उस श्रत् को जिस क्रिया से ग्रहण किया जाता है उस सत्य क्रिया का नाम श्रद्धा है।इस श्रद्धा की भावना से जो कर्म किया जाता है उस पवित्र कर्म का नाम श्राद्ध है।यह श्राद्ध कर्म विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।जब यह श्राद्ध पूजनीयगण पितर के प्रति करते हैं तब उसमें  जन्मदाता माता पिता आदि ही हमारे श्रद्धेय नहीं होते अपितु अपनी-अपनी विशेषताओं से अन्य जीवित महापुरुषों को भी शास्त्रों में सोमसद,अग्निष्वात्त,बर्हिषद,सोमपा, हविर्भुज,आज्यपा, सुकालिन्,न्यायकारी,पिता,पितामह, माता,प्रपितामही आदि नामों से पुकारा गया है।उन्होंने आगे कहा कि हम मनुष्यों के पांच नित्य कर्त्तव्य कर्मों में से एक कर्म पितृयज्ञ भी है।इस पितृयज्ञ के दो भाग होते हैं एक श्राद्ध व दूसरा तर्पण।जिस-जिस कर्म से तृप्त करते हैं उस-उस  कर्म को तर्पण कहते हैं;अतः तृप्यन्ति तर्पयन्ति येन पितृन् तत्तर्पणम् जिस-जिस कर्म से माता पितादि पितर प्रसन्न हों उनको करना तर्पण है।ये श्राद्ध व तर्पण कर्म  के जीवितों के लिये विहित हैं मृतकों के लिये नहीं।श्रद्धा से जीवित माता पितादि का उत्तम अन्न,वस्त्र,सुन्दर यान आदि पदार्थों को देकर जिस-जिस कर्म से उनका आत्मा तृप्त और शरीर स्वस्थ रहे उस-उस कर्म से प्रीति पूर्वक सेवा करनी श्राद्ध और तर्पण कहलाता है।इसके विपरीत जो पोप जी के बहकाने में आकर वर्ष के एक आश्विन मास में मृतक पूर्वजों के श्राद्ध के नाम पर पोप जी व कौओं आदि को भोजन खिलाया जाता है व दान किया जाता है वह सर्वथा अनुचित व अशास्त्रीय है।देखो -पितर नाम मृतकों का नहीं होता अपितु जीवितों का है।जैसे प्रज्ज्वलित अग्नि में ही आहुति लगती है बुझने पर नहीं उसी प्रकार जीवितों को ही श्राद्ध तर्पण रूप हमारी सेवायें प्राप्त हो सकतीं हैं मृतकों को नहीं।तनिक बुद्धि का उपयोग कर विचार करें कि तथाकथित श्राद्धों में किसी अन्य मनुष्य को खिलाया हुआ मृतकों को कैसे पहुँच सकता है ? श्राद्ध करने वाले मनुष्य के पूर्वज पितर ने अब किस योनि में जन्म पाया है इसके जाने विना उन्हें वहां भोजन कैसे पहुंचाया जा सकता है?यदि इस प्रकार ही भोजन पहुंचने लगे तो यात्रा पर जाते समय यात्री के लिये भोजन की व्यवस्था ही क्यों की जाये,तब तो पोप जी को खिलाने से ही यात्री का पेट भर जाया करे।अतः सत्य सनातन वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के लिये अन्धविश्वासों से बचो और सत्य को धारण करो।


 
आर्य भजनोपदेशक पण्डित दिनेश दत्त दिल्ली ने मधुर व सशक्त ध्वनि में श्राद्ध का वैदिक स्वरूप पर गाए गीतों द्वारा ऑनलाइन श्रोताओं मन मोह लिया।
आर्यसमाज राजनगर के संरक्षक व स्वागताध्यक्ष श्री श्रद्धानन्द शर्मा ने कहा कि यदि कोई यह कहे कि अजी!इसी बहाने काक आदि पक्षियों व ब्राह्मणों को भोजन करा दिया जाता है तो उन बन्धुओं को समझाओ कि इन गलत बहानों से सच्चा ब्राह्मण तुम्हारा भोजन कभी ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि अविद्या का नाश व विद्या की वृद्धि करना उसका कर्त्तव्य होता है। इस कर्त्तव्य से बन्धा हुआ वह ब्राह्मण धर्म विरुद्ध परम्पराओं को बढ़ाने में कभी सहयोगी नहीं बनता। इसलिये यदि भोजन कराना है तो अवश्य कराइये और वर्ष के एक महीने के कुछ ही दिनों के भीतर नहीं अपितु प्रतिदिन कराइये।किन्तु यह भोजन अन्धविश्वास से पृथक् होकर वैदिक नित्य कर्त्तव्य के बहाने से बलिवैश्वदेव यज्ञ व अतिथि यज्ञ के रूप में होना चाहिये।भोजन बनाकर खाने से पहले परमात्मा की प्रजा पशु पक्षी आदि प्राणियों को खिलाना बलिवैश्वदेव यज्ञ है और धार्मिक व विद्वान् महापुरुषों को खिलाना व उनसे सदुपदेश ग्रहण करना  अतिथि यज्ञ है; इन्हें करने से महान् पुण्य परमात्मा का प्रसाद प्राप्त होता है यह सुनिश्चित जानो और अन्यथा करने से अन्ध विश्वास बढ़कर अन्धपरम्परायें चलने से बहुत बड़ी हानि होती है। अतः पोप जी के ऐसे पाखण्डों से बच कर प्रतिदिन जीवित पितरों की सेवा करते हुए ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट पितृयज्ञ करना चाहिये।यही वैदिक धर्म का वास्तविक श्राद्ध है।
संगोष्ठी समारोह का सञ्चालन आर्यसमाज के यशस्वी मन्त्री सत्यवीर चौधरी ने किया अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि सत्य सनातन वैदिक धर्म में पांच महायज्ञ होते हैं जो नित्य करने होते हैं उनमें एक पितृ यज्ञ भी है। प्रत्येक गृहस्थ को प्रतिदिन पितृ यज्ञ अर्थात अपने माता,पिता व परिवार के सभी वरिष्ठ सदस्यों का सम्मान,सेवा,सुश्रुषा करते रहना चाहिए।
समारोह अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश ने कहा कि आर्यसमाज शुद्ध वैदिक धर्म का प्रचार करता है। वैदिक धर्म से ही मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है और इसी से देशभक्त,ईश्वर भक्त और चरित्रवान नागरिक बनते हैं।
आर्य समाज राजनगर के प्रधान सुभाष चन्द्र गुप्ता ने ऑनलाइन उपस्थित श्रोताओं को देख प्रसन्नता जाहिर की ओर  उनको धन्यवाद दिया ओर शांति पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न कराया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से राजेश सेठी, प्रवीण आर्य,देवेन्द्र गुप्ता आदि उपस्थित रहे।