अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़- थाना प्रभारी और ग्रामीणों का सराहनीय कार्य -गोवंश को 70 फीट गहरे कुएं से सकुशल थाना प्रभारी और ग्रामीणों की मदद से निकाला बाहर ली सभी ने राहत की सांस
जनपद हापुड़़ के थाना बहादुरगढ़ क्षेत्र गांव भैना मैं आज सुबह थाना प्रभारी नीरज कुमार व उनकी टीम के साथ ग्रामीणों की मदद से 70 फीट गहरे कुएं में गिरी गोवंश को थाना बहादुरगढ़ पुलिस और ग्रामीणों ने सकुशल सदस्य के द्वारा निकाला बाहर, किसी कारण गोवंश गिरी गहरे कुएं में जिसकी सूचना किसी तरह मिली ग्रामीणों को दी गई सूचना निकट थाना प्रभारी नीरज कुमार को पहुंचे अपनी टीम के साथ पुलिस टीम और ग्रामीणों की मदद से किया गया एक बहुत बड़ा सराहनीय कार्य क्षेत्र में बना चर्चा का विषय है, बताया गया है कि सूचना पाते ही पहुंचे थाना बहादुरगढ़ प्रभारी अपनी पुलिस टीम के साथ और ग्रामीणों की मदद से रस्सी के द्वारा 70 फीट गहरे कुएं से गोवंश को सकुशल निकाला गया ।
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Thursday 24 September 2020
थाना प्रभारी और ग्रामीणों ने गोवंश को 70 फीट गहरे कुएं से सकुशल बाहर निकाला
नामची कंपनी के कंडेनसर बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़
अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। जनपद में आज थाना पिलखुवा कोतवाली पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए नामची कंपनी के कंडेनसर व कंडेनसर बनाने वाली एक कंपनी का भंडाफोड़ किया यह लोग नामची कंपनी के कंडेनसर बनाकर बाजार में बेक रहे थे। मुखबिर की सूचना पर पिलखुवा कोतवाली में तैनात उपनिरीक्षक सुमित तोमर व सहयोगी अमित कुमार, विनय कुमार, कमर कुमार द्वारा मुखबिर की सूचना पर जब दबिश दी गई तो वहां से दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया जो नामची कंपनी के C TECH के नाम से कंडेनसर बनाकर बाजार में बेच रहे थे। गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से कंपनी के नाम के अनेकों लेवल के पत्ते व कंडेनसर प्राप्त किए गए खाली पड़े मकान में बनाते थे अवैध कंडेनसर गिरफ्तार अभियुक्त ओम प्रकाश पुत्र हरिनारायण निवासी चंडी मंदिर के पास पिलखुवा थाना जनपद हापुड़ तथा दूसरा अभियुक्त अनिल पुत्र अंशु कुमार निवासी नंगला कसेरा थाना दादो जनपद अलीगढ़ हैं। अभियुक्तों के कब्जे से 10 पेटी सीटी मार के तैयार कंडेनसर तथा पांच पेटी सफेद कंडेनसर अध बने चक कंडेनसर बनाने का अन्य उपकरण पुलिस ने जप्त किए हैं।
शिक्षको के लिए संचारी रोग अभियान कार्यशाला आयोजित
अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। नगर क्षेत्र हापुड़ के सभी परिषदीय प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूलों के शिक्षकों संचारी रोग अभियान कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ योगेश गुप्ता सहित गजेन्द्र सिंह, नगर शिक्षा अधिकारी, हापुड़ ने भी विस्तार से प्रशिक्षण प्रदान किया गया आज की इस कार्यशाला में संजय कोशल,नगर शिक्षा अधिकारी पिलखुवा ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया, इस प्रशिक्षण में सुश्री शबनम परवीन यूनिसेफ की बीएमसी ने भी प्रतिभाग किया और इस प्रशिक्षण हेतु सॉफ्ट कॉपी में निर्देश आदि भी उपलब्ध कराए गए। इस कार्यशाला में भौतिक दूरी व सामाजिक दूरी का भी सभी के द्वारा अनुपालन किया गया।
आज की इस आयोजित कार्यशाला के द्वितीय सत्र में सभी शिक्षकों को उनके द्वारा दीक्षा एप पर पंजीकरण के बाद मानव सम्पदा आईडी से जोड़कर डाटा मर्ज करवाए जाने की विषय में तथा नवीन शासनादेश जिसमें स्कूलों के टाइम एंड मोशन विषय तथा विभिन्न विभागीय प्रशिक्षण मॉड्यूल तथा आकाशवाणी, दूरदर्शन, दीक्षा तथा मानव संसाधन विकास विभाग के पोर्टल व ऐप पर उपलब्ध विभिन्न शैक्षणिक सामग्री तथा संचालित प्रशिक्षण विषय व बच्चों के कार्यक्रमों के विषय में विस्तार से जानकारी भी अखिलेश शर्मा, ए आर पी हापुड़ ने जानकारी प्रदान की गई ।
उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग ने सुनी महिलाओं के उत्पीड़न की समस्याएं:- सुषमा सिंह
अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। जनपद में महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न की जनसुनवाई को सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में संबोधित करते हुए महिला उत्पीड़न की समस्या का कराया गया निराकरण।
मान्य मुख्यमंत्री द्वारा संचालित बालिका सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत एवं महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न पर न्याय दिलाने के उद्देश्य से सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में माननीय उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग सुषमा सिंह द्वारा महिला उत्पीड़न की रोकथाम एवं पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाए जाने एवं महिला उत्पीड़न की घटनाओं की समीक्षा हेतु अधिकारियों के साथ बैठक की गई। माननीय उपाध्यक्ष नें महिला फरियादियों की शिकायतों को सुना तथा समस्या का जल्द से जल्द निस्तारण हेतु पुलिस विभाग व वन स्टाॅप सैंटर के अधिकारियों को निर्देषित किया गया। जो शिकायतें घरेलू हिंसा से संबंधित थी उनके निस्तारण हेतु महिला आयोग की उपाध्यक्ष ने महिला थाना अध्यक्ष को घरेलू हिंसा की शिकायतों का जांच कराकर तत्काल कार्यवाही कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं की सुरक्षा हेतु पूर्ण रूप से कटिबद्ध है अतः महिलाएं निसंकोच अपनी शिकायत मेरे समक्ष या महिला थाने में उपस्थित होकर कर सकती हैं जिनका निस्तारण संबंधित अधिकारियों द्वारा गुणवत्ता परक कराया जाएगा एवं महिलाओं को सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप मेरा यह प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक संख्या में महिलाएं मेरे समक्ष उपस्थित होकर निसंकोच अपनी समस्या प्रस्तुत करें ताकि पीड़ित महिला के साथ न्याय हो सके। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनपद में महिलाओ उत्पीड़न संबंधित जो भी शिकायतें आती है उसकी तत्काल जांच कराकर पूर्ण गुणवत्ता के साथ निस्तारण कराना सुनिश्चित किया जाए। महिला जनसुनवाई के दौरान जिला प्रोबेशन अधिकारी हापुड़ अरविन्द कुमार, डॉक्टर निशा रावत लीगल प्रोबेशन अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला विकलांग कल्याण अधिकारी, बाल संरक्षण पुष्टाहार अधिकारी, अमित कुमार संरक्षण अधिकारी, महिला थाना, वन स्टाॅप सेंटर सहित सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
‘ऋषि दयानंद और आर्यसमाज भक्त श्री ललित मोहन पाण्डेय जी’
हम अपने पचास वर्षों के आर्यसमाज से जुड़े जीवन में अनेक ऋषिभक्तों के सम्पर्क में आये हैं और उनसे वैदिक विषयों पर वार्तालाप किया है तथा उनके अनुभवों को जाना है। ऐसे ही हमारे एक मित्र श्री ललित मोहन पाण्डेय हैं। आप 40 से अधिक वर्षों से हमसे जुड़े हैं। इस अवधि में हम परस्पर एक दूसरे से मिलते भी रहे हैं। हमारे अनेक मित्र हैं जो श्री पाण्डेय जी से जुड़े हुए हैं। श्री पाण्डेय ने ऋषि के प्रायः समस्त ग्रन्थों, जीवनचरित्र तथा ऋषि के वेदभाष्य सहित उपनिषद तथा दर्शनों को भी पढ़ा है। वैदिक सिद्धान्तों पर आपका ज्ञान एक उच्च कोटि के विद्वान के समान है। योग साधना में आपकी गहरी रूचि रही है। कुछ समय से श्री पाण्डेय रुग्ण चल रहे हैं अतः आज हम अपने एक मित्र श्री आदित्य प्रताप सिंह के साथ उनसे भेंट करने उनके निवास स्थान पर पहुंचे। पूर्व की भांति आज भी हमारी श्री पाण्डेय जी से आर्यसमाज विषयक चर्चायें हुईं। हम इस लेख के माध्यम से श्री पाण्डेय जी का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं।
श्री ललित मोहन पाण्डेय जी का जन्म पिता श्री गया दत्त पाण्डेय तथा माता श्रीमती कौशल्या देवी जी से दिनांक 17 मार्च, सन् 1948 को हुआ था। आपके दादा जी का नाम श्री लक्ष्मीदत्त पाण्डेय था। आपका पैतृक निवास उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल के जिला अल्मोड़ा का एक ग्राम पानग्राम है। पिता कक्षा 10 तक के विद्यार्थियों के हिन्दी के अध्यापक थे जो मुरादाबाद के एक मिशनरी स्कूल पारकर इण्टर कालेज में अध्यापन का कार्य करते थे। पिता बी.ए., एल.टी. शिक्षित थे। आपके गांव के प्रायः सभी लोग खेती बाड़ी से अपना जीवनयापन करते थे। ललित मोहन जी की एक बहिन और एक भाई कुल तीन भाई बहिन हुए। आपकी बहिन विवाहित थीं जिनकी दो पुत्रियां हैं। 35 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो चुकी है। ललित जी की शिक्षा मुरादाबाद में इण्टर तक हुई। आर्यसमाज के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं नेता महात्मा नारायण स्वामी जी भी मुरादाबाद के ही निवासी थे।
श्री ललित मोहन पाण्डेय जी ने सन् 1966 में प्रथम सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश में कनाल सुपरवाइजर के पद पर अल्पकालिक नियुक्ति प्राप्त की थी। कुछ समय बाद आपकी यह नौकरी छूट गई थी। सन् 1966 में ही आपकी सिंचाई विभाग में मौसम पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्ति हुई और आप इस पद पर रहते हुए शिवपुरी, ऋषिकेश-उत्तराखण्ड में कार्यरत रहे। कुछ वर्ष बाद आपको देवप्रयाग की अन्य वेधशाला में स्थानान्तरित कर दिया गया था। यहां से आपको ऋषिकेश स्थानान्तरित किया गया जहां आपको एक लिपिक का कार्य करना होता था। बाद में सन् 1978 में आपको सिंचाई विभाग में अमीन का पद प्रदान किया गया। अमीन से पहले के सभी पद आपके अस्थाई पद थे। अमीन का पद नियमित पद था और इस पद पर कार्य करते हुए आपका निवास तथा कार्यालय देहरादून नगर रहा। 14 वर्ष तक अमीन के पद पर कार्य करने के बाद आपकी सन् 1992 में पदोन्नति हुई और आपको जिलेदार बना दिया गया। जिलेदार के पद पर पदोन्नति के साथ आपको देहरादून से नरेन्द्रनगर-उत्तराखण्ड स्थान पर स्थानान्तरित कर दिया गया। जिलेदार के बाद आपकी ‘उप-राजस्व अधिकारी’ के पद पर पदोन्नति हुई और आपको नरेन्द्रनगर से काशीपुर स्थानान्तरित कर दिया गया। सन् 2000 में आपका स्वास्थ्य कुछ गड़बड़ रहा। इस कारण आपने विभाग से कई वर्ष पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
श्री ललित मोहन पाण्डेय जी ने आयु. बीना पाण्डेय जी से सन् 1979 में विवाह किया था। आपका एक पुत्र एवं एक पुत्री हैं। देहरादून में आपका निजी निवास है। पुत्री सरकारी सेवा में है और हरिद्वार में अपने पीहर में निवास करती हैं। पुत्र, पुत्रवधु व एक पौत्र आपके साथ देहरादून में निवास करते हैं। पाण्डेय जी अपने आरम्भिक जीवन में ब्रह्माकुमारी मत से प्रभावित रहे। आप सन् 1970 से 1973 तक के लगभग तीन वर्ष इस मत से जुड़े रहे। सन् 1973 में आप शिवपुरी, ऋषिकेश में सरकारी सेवा में कार्यरत थे। वहां आपका सम्पर्क एक ऋषि दयानन्द जी के भक्त बिहार निवासी श्री बिन्देश्वरी प्रसाद सिंह से हुआ। श्री बिन्देश्वरी प्रसाद शिक्षा से इंजीनियर थे परन्तु आरम्भ में आपकी नियुक्ति गौज रीडर के पद पर हुई थी। अपनी योग्यता से आप विभाग में जूनियर इंजीनियर बने और बाद में उपनिदेशक के पद पर रहे। इस पद पर कार्य करते हुए मानसिक शान्ति की दृष्टि से आपने 4 वर्ष पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और मुम्बई की जलवायु को अच्छा जानकर वहां चले गये। आपके एक पुत्र श्री प्रणव दूरदर्शन पर संस्कृत समाचारों का वाचन करते हैं। श्री प्रणव जनकपुरी आर्यसमाज के सक्रिय सदस्य हैं।
श्री ललित मोहन पाण्डेय जी पर श्री बिन्देश्वरी प्रसाद जी के वैदिक वा आर्य विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा। आप दोनों धार्मिक व सामाजिक विषयों पर वार्तालाप किया करते थे। इस वार्तालाप व बहस में ब्रह्माकुमारी मत के सिद्धान्त खण्डित हो जाते थे। निरन्तर एक वर्ष तक यह सिलसिला चला और आपने ऋषि दयानन्द व आर्यसमाज के वैदिक विचारों का ग्रहण तथा ब्रह्माकुमारी मत का त्याग कर दिया। श्री पाण्डेय हमारे एक मित्र श्री धर्मपाल सिंह के सहकर्मी व मित्र थे। श्री धर्मपाल सिंह जी ने ही हमें आर्यसमाज से परिचित कराकर ऋषि दयानन्द का अनुयायी बनाया था। हम श्री धर्मपाल सिंह के आजीवन ऋणी रहेंगे। श्री धर्मपाल सिंह हमें श्री ललित मोहन पाण्डेय जी के ब्रह्माकुमारी मत से जुड़ा होने और बाद में आर्यसमाजी बनने के बारे में बताया करते थे। हमें पता नहीं था कि एक दिन श्री ललित मोहन पाण्डेय भी हमारे अंतरंग मित्र बनेंगे। श्री धर्मपाल सिंह जी की 31 अक्टूबर, 2000 को 47 वर्ष की आयु में एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। हमें लगता है कि यदि श्री धर्मपाल सिंह से हमारा परिचय व मित्रता न हुई होती तो हम आर्यसमाज के अनुयायी न बन पाते। ईश्वर का धन्यवाद है कि हम श्री धर्मपाल सिंह के सम्पर्क में आये और उनकी संगति से आर्यसमाजी बने।
श्री ललित मोहन पाण्डेय ने श्री बिन्देश्वरी प्रसाद जी की संगति व प्रेरणा से सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ तथा इतर अनेक वैदिक ग्रन्थों का अध्ययन किया था। आप जनज्ञान मासिक के भी पाठक बने थे। इनसे इतर भी आर्य साहित्य का आप अध्ययन करते थे। इससे आपका हृदय पूर्णतया एक वैदिक धर्मानुयायी का हो गया था। अतः आपने प्रथम बार सन् 1983 में आर्यसमाज धामावाला, देहरादून की सदस्यता ली थी। आर्यसमाजी जीवन में आपने आर्यसमाज में अनेक विद्वानों को सुना। आप वैदिक साधन आश्रम, तपोचवन-देहरादून में निवास करने वाले स्वामी सोम्बुद्धानन्द सरस्वती के निकट सम्पर्क में आये थे। उनके व्यक्तित्व एवं विचारों से भी आप प्रभावित थे। हमारा भी स्वामी सोम्बुद्धानन्द जी से निकट सम्पर्क रहा। हमने स्वामी जी के आर्यसमाज धामावाला देहरादून तथा अपने विभाग भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में साप्ताहिक योग शिविर एवं वेद प्रवचनों का आयोजन सन् 1980 में किया था। श्री ललित मोहन पाण्डेय देहरादून के अखिल भारतीय महिला आश्रम के उत्सव में पहली बार स्वामी दिव्यानन्द जी, योगधान, हरिद्वार से मिले थे। आप उनके उपदेश से प्रभावित हुए थे।
इसके बाद से आप स्वामी दिव्यानन्द से भी जुड़े गये और उनके हरिद्वार स्थित योगधाम आश्रम के साप्ताहिक शिविरों में नियमित रूप से सम्मिलित होते थे। आपने स्वामी जी से योग के विषय में अनेक प्रकार की विशेष जानकारियां प्राप्त की थीं व उनका अभ्यास किया। स्वामी सत्यपति जी, रोजड़ देहरादून में मानव कल्याण केन्द्र के वार्षिकोत्सव में प्रतिवर्ष आते थे। उनके भी योग विषयक प्रवचनों से आपकी योग में गहरी प्रवृत्ति बनी और आपने अपने युवा व प्रौढ़ अवस्था में घण्टो योग का अभ्यास किया। आपका योग में ध्यान भी लगता था और कुछ घण्टो तक आप ध्यान में तल्लीन रहा करते थे। हमारे प्रश्न करने पर पाण्डेय जी ने बताया कि पहले ईश्वर में उनका अच्छा ध्यान लगता था परन्तु अब नहीं लगता। पहले एक से डेढ़ घंटे तक वह एकाग्र होकर ईश्वरोपासना करते थे। ध्यान करते हुए उन्हें इसमें रस व आनन्द की अनुभूति होती थी। ध्यान के बाद दिन भर शरीर में हल्केपन का आभास होता था। जब ध्यान लगाते थे तो उसके बाद काफी समय तक पाण्डेय जी का मस्तिष्क हल्का रहता था। हमने भी अपने जीवन में स्वामी सत्यपतिजी को मानव कल्याण केन्द्र देहरादून, वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून तथा आर्यसमाज धामावाला देहरादून के सत्संगों में सुना है। उनके प्रवचन बड़े प्रभावशाली हुआ करते थे।
पाण्डेय जी ने बताया कि उन्होंने ऋषि दयानन्द के ऋग्वेद व यजुर्वेद भाष्य को आंशिक रूप से पढ़ा है। अनेक वैदिक विद्वानों से मिलकर धर्म विषय में चर्चायें भी की हैं। वह दयानन्द सन्देश, वेदप्रकाश, आर्षज्योति तथा जनज्ञान पत्रिकायें मंगाते रहे हैं। पूछने पर उन्होंने कहा कि वह आर्यसमाज की वर्तमान स्थिति को सन्तोषजनक नहीं पाते। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज की वर्तमान स्थिति देखकर क्षोभ होता है। अब आर्यसमाज अपनी प्रारम्भिक अवस्था में नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें आर्यसमाज का भविष्य अधिक उत्साहवर्धक दिखाई नहीं देता।
लगभग दो वर्ष पूर्व दिनांक 7-10-2018 को श्री ललित मोहन पाण्डेय जी की पत्नी श्रीमती बीना पाण्डेय जी का निधन हो गया था। वह काफी समय तक रुग्ण रही थीं। पाण्डेय जी का स्वास्थ्य भी काफी समय से कुछ खराब रहता है परन्तु वह अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखते हैं और रोगोपाचार में किसी प्रकार का व्यवधान व उपेक्षा नहीं करते। भोजन आदि में भी आप संयम का परिचय देते हैं। कुछ दिनों से उनको नस नाड़ियों में विकार के कारण एक पैर में दर्द होता है। वह चल फिर नहीं पाते। दर्द समय के साथ बढ़ रहा है। कुछ सप्ताह पूर्व आपने इस रोग के कारण रीढ़ की हड्डी के निकट कुछ शल्य क्रिया भी कराई है। वर्तमान में उनका घूमना फिरना पूरी तरह से अवरुद्ध है। यह कष्ट का विषय है। ईश्वर से प्रार्थना है कि श्री पाण्डेय जी शीघ्र स्वस्थ होकर अपने निजी व सामाजिक गतिविधियों को निभाते रहें। वह स्वस्थ एवं दीर्घजीवी हों। यह ईश्वर से प्रार्थना है।
-मनमोहन कुमार आर्य
“मुनष्य को वेदाध्ययन करने सहित ईश्वर का उपासक तथा सदाचारी होना चाहिये”
मनुष्य को परमात्मा ने बुद्धि दी है जिससे वह ज्ञान को प्राप्त होता है तथा सत्यासत्य का निर्णय करता है। मनुष्य को ज्ञान को प्राप्त करने जैसी बुद्धि प्राप्त है वैसी अन्य प्राणियों को नहीं है। अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य की विशेषता अपनी बुद्धि के कारण ही होती है। जो मनुष्य अपनी बुद्धि को सद्ज्ञान प्राप्ति, अपने आचरणों की शुद्धि व परोपकार में लगाते हैं वह मनुष्य धन्य होते हैं। उन्हें आत्म-सन्तोष रूपी सुख के साथ जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। परमात्मा ने मनुष्यों पर सृष्टि के आरम्भ में ही कृपा करते हुए चार वेदों का ज्ञान दिया था जो समस्त विद्याओं से युक्त है। ईश्वर संसार का स्वामी, संसार का रचयिता, पालक तथा इसका प्रलयकर्ता है। ईश्वर सत्य है और वह सच्चिदानन्दस्वरूप है। ईश्वर निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र, सृष्टिकर्ता, जीवों का प्रेरक, उनके शुभाशुभ कर्मों का फल प्रदाता, वेदाज्ञान का दाता, उपासक को अपने स्वरूप का प्रत्यक्ष कराने वाला, सत्पुरुषों को सुख तथा पापियों को दुःख देनेवाला वा रुलाने वाला है। आत्मा भी एक चेतन व स्वअल्प परिमाण वाला ईश्वर से पृथक पदार्थ वा सत्ता है। यह अल्पज्ञ, एकदेशी, अनादि, नित्य, अमर, अविनाशी, जन्म मरण धर्मा, शुभाशुभ वा पाप-पुण्य कर्मों का करता तथा उनका जन्म-जन्मान्तर लेकर अपने किये हुए कर्मों का फलों का भोक्ता है। प्रकृति जड़ पदार्थ व सत्ता है। यह भी अनादि व सनातन है। यह सदा रहने वाली सत्ता है। इस सत्व, रज व तम गुणों वाली प्रकृति से ही परमात्मा ने ज्ञान, विज्ञान व निज बल का प्रयोग कर इस सृष्टि वा ब्रह्माण्ड को रचा है।
ईश्वर, जीव व सृष्टि का अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इनका अभाव व नाश कभी नहीं होगा। सृष्टि की रचना, भोग काल तथा प्रलय के बाद पुनः सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति व प्रलय का क्रम जारी रहता है। परमात्मा इस सृष्टि को जीवों के भोग व अपवर्ग के लिये बनाते हैं। भोग का अर्थ जीवों का अपने किये हुए शुभ व अशुभ कर्मों का सुख व दुःख रूपी फलों को भोगना है तथा अपवर्ग जन्म मरण के बन्धनों से छूटने व मोक्ष प्राप्ति को कहते हैं। मोक्ष में जीवात्मा बिना जन्म लिये परमात्मा के सान्निध्य में रहकर आनन्द का भोग करता है, ब्रह्माण्ड में घूमता, मुक्त जीवों से मिलता व उनसे वार्तालाप करता है। अपवर्ग व मोक्ष की प्राप्ति ही संसार के सभी जीवों वा मनुष्यों का लक्ष्य है। वेदाचरण तथा समाधि अवस्था में ईश्वर का साक्षात्कार करने के बाद मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति की योग्यता व पात्रता प्राप्त होती है। यह सब बातें हमें परमात्मा प्रदत्त वेद ज्ञान से ही सुलभ हुई हैं। यदि वेद व वैदिक साहित्य न होते तो इन रहस्यों व विद्यायुक्त बातों का मनुष्यों को कदापि ज्ञान न होता। इस ज्ञान से युक्त होकर वेदाध्ययन करते हुए वेदानुकूल कर्मों को करना ही मनुष्यों का कर्तव्य व धर्म है। इससे इतर वेद विरुद्ध मतों में फंसकर जीवन व्यतीत करने से जन्म-जन्मान्तरों में जीवन उन्नति व मोक्ष लाभ प्राप्त नहीं होते। अतः सबको वेदों की शरण में आना चाहिये और अपने मनुष्य जन्म को सार्थक व सफल बनाना चाहिये। इसी से लोगों में भातृ व प्रेम भाव बढ़ेगा तथा ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्” का स्वप्न साकार होगा। वेद संसार के सभी प्राणियों को मित्र की दृष्टि से देखने की शिक्षा देते हैं और बताते हैं कि ज्ञानी मनुष्य वह है जो सब प्राणियों को अपने समान तथा अपने को सब प्राणियों के समान देखता व जानता है। इसी से मनुष्य मोह व शोक से मुक्त होकर ईश्वर की उपासना, वैराग्य व लोकोपकार के कार्यों में प्रवृत्त होता है। वेदों के इन महान उपदेशों के कारण ही वेद संसार के प्राचीनतम व ज्येष्ठतम ज्ञान से युक्त ग्रन्थ है।
मनुष्य को अन्य आवश्यक कार्यों को करते हुए जीवन में वेदाध्ययन अवश्य करना चाहिये। वेद ऋषि दयानन्द सरस्वती ने वेदों की परीक्षा कर अपने ज्ञान व अनुभव के आधार पर बताया है कि वेद सब सत्य विद्या का पुस्तक है तथा वेदों का अध्ययन कर इनका आचरण करना सब मनुष्यों का परम धर्म है। सौभाग्य से हमें वेद व इनके सत्य अर्थ हिन्दी, अंग्रेजी व अनेक भाषाओं में उपलब्ध है जिससे हम भी इनका अध्ययन करने के साथ इनकी सत्यता व महत्ता की परीक्षा कर सकते हैं। वेदाध्ययन करने से मनुष्य को ईश्वर व आत्मा सहित सृष्टि के भी सत्यस्वरूप का ज्ञान होता है। वेदाध्ययन करने से मनुष्य सत्यज्ञान को प्राप्त होकर उसके अनुरूप कर्म करने की प्रेरणा ग्रहण करता है जिससे उसका जीवन साधारण से असाधारण बनता है। वह विद्वान, योगी, ऋषि तथा ईश्वर का साक्षात्कर्ता बनने की योग्यता तक प्राप्त करता है। इस अवस्था को प्राप्त करने पर ही मनुष्य का कल्याण होता है। उसका मनुष्य जन्म लेना सार्थक व सफल होता है तथा उसके परजन्म भी सुधरते व संवरते हैं। मृत्यु के बाद उसका दिव्य लोकों वा श्रेष्ठ मनुष्य योनि में धार्मिक व वैदिक परिवेश वाले परिवारों में जन्म होता है जहां उसके जीवन का सर्वांगीण विकास व उन्नति होती है। यही कारण है कि अतीत में वेदाध्ययन व वेदाचरण कर ही मनुष्य ऋषि, विद्वान, योगी, यश व कीर्तिवान राजा व महापुरुष बनते थे। अनेक ऋषियों तथा राम व कृष्ण आदि महापुरुषों का यश आज भी विद्यमान है।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम तथा योगेश्वर कृष्ण जी का जीवन आज भी हमारे लिये आदर्श एवं उपादेय है। हम उन जैसे यशस्वी बन सकते हैं परन्तु उनके जैसा बनने के लिये त्यागपूर्ण एवं कठोर पुरुषार्थपूर्ण जीवन को व्यतीत करना होता है। उसे करने की इच्छाशक्ति हममें न होने से हम उस अवस्था को प्राप्त नहीं हो पाते। राम व कृष्ण के जीवन सहित मनुष्य को ऋषि दयानन्द के जीवन से भी प्रेरणा लेनी चाहिये। उनका जीवन चरित्र पढ़ना चाहिये और इसके साथ उनके प्रमुख ग्रन्थों सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, आर्याभिविनय सहित पंचमहायज्ञ विधि, गोकरुणानिधि तथा व्यवहारभानु आदि ग्रन्थों का अध्ययन भी करना चाहिये। हमें ऋषि दयानन्द की दो लघु-पुस्तकों आर्योद्देश्यरत्नमाला तथा स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश पर भी ध्यान देना चाहिये। यह दो लघु ग्रन्थ भी स्वाध्याय के अति उत्तम ग्रन्थ है। कुछ मिनटो व घंटों में ही इन्हें पढ़कर हम विद्वान व ज्ञानी हो सकते हैं। इनसे हमारी अनेकानेक भ्रान्तियां दूर हो सकती हैं। हमें ऋषि दयानन्द के अनुयायी महापुरुषों स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती, महात्मा आनन्दस्वामी, स्वामी विद्यानन्द सरस्वती, आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी आदि के जीवन चरित्रों को पढ़कर भी उनसे भी प्रेरणा लेनी चाहिये। ऐसा करने से हम सच्चे मनुष्य व ईश्वर भक्त बन सकते हैं जिससे समाज व देश को लाभ होने के साथ सत्यधर्म की सेवा भी हो सकती है।
मनुष्य जीवन में सद्ज्ञान की प्राप्ति सहित ईश्वर की उपासना तथा वेद विहित कर्मों को करने में पुरुषार्थ की नितान्त आवश्यकता है। बिना इस मार्ग का अनुसरण किये मनुष्य का जीवन उन्नत व सफल नहीं हो सकता। सत्कर्मों को करने से ही सुख व आत्मा का कल्याण होता है। आत्मा की उन्नति होने से उपासक, साधक वा मनुष्य को यश वा सुख मिलता है तथा उसकी जन्म व जन्मान्तरों में उन्नति भी होती जाती है। इस मार्ग पर चलने से मनुष्य को ईश्वर का प्रत्यक्ष होकर मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। आत्मा का मुख्य लक्ष्य परमगति मोक्ष को प्राप्त होना ही है। यह लाभ वेदाध्ययन व वेदाचरण सहित सत्कर्मों में प्रवृत्ति से ही प्राप्त होता है। ईश्वर उपासना व देवयज्ञ अग्निहोत्र मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ाते हैं। स्वाध्याय करते रहने से मनुष्य के ज्ञान में निरन्तर वृद्धि होती रहती है। स्वाध्याय ही एक प्रकार का सत्संग ही है। उपासना में हम ईश्वर का संग करते हैं। उपासना से बड़ा सत्संग दूसरा कोई नहीं हो सकता। इसी प्रकार से वेदों का स्वाध्याय व अध्ययन भी सच्चा व उत्तम कोटि का सत्संग होता है। ध्यान, उपासना तथा स्वाध्याय से प्राप्त ज्ञान व प्रेरणाओं का चिन्तन व मनन करते हुए उसे जीवन में स्थायीत्व प्रदान करने से मनुष्य को अनेकानेक लाभ होते हैं। इसी लिये महर्षि दयानन्द ने हमें सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, आर्याभिविनय, पंचमहायज्ञ विधि सहित व्यवहारभानु एवं गोकरुणानिधि जैसे अनेक ग्रन्थ दिये हैं। ऐसा करते हुए हम ज्ञानी व सदाचारी बन जाते हैं और आत्म-सन्तोष से युक्त होकर मोक्षगामी बनते हैं। हम आशा करते हैं कि इस लेख की पंक्तियों से प्रेरणा लेकर हम स्वाध्याय व उपासना सहित पुरुषार्थी बन कर अपने जीवन का सुधार कर सकते हैं। ऐसा करने से हमारा जीवन निश्चय ही सुधरेगा व संवरेगा तथा हमें ईश्वर का सहाय व कृपा प्राप्त रहेगी। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य
पार्षद रीना देवी ने किया अपने वार्ड में विकास कार्यों का शुभारम्भ
धनसिंह समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। वार्ड 30 की बीजेपी पार्षद रीना देवी पति सोहनवीर सिंह ने अपने वार्डवासियों को विकास कार्यो की सौगाते देना शुरू कर दिया। वे लगातार अपने वार्ड में विकास कार्यों का उद्घाटन कर रही है। बताते चलें कि बीते मंगलवार को पार्षद रीना देवी पति सोहनवीर सिंह ने वार्ड नं 30 के जी ब्लाक गोविंदपुरम में आज ग्रीन बेल्ट प्रीतम फार्म हाउस के सामने दो कमरो का निर्माण कार्य का उद्घाटन किया गया है इन कमरों का उपयोग जो हमारे माननीय सिनीयर सिटी जन है उनके लिए किया जायेगा
वहीं गुरूवार को वार्ड नं 30 के ई ब्लाक गोविंदपुरम में नाली आर सी सी व ईनटरलाकिग टायल का कार्य का उद्घाटन किया गया है रीना देवी पार्षद पति सोहनवीर सिंह सोनी गोविंदपुरम सदरपुर
Wednesday 23 September 2020
“सब विद्या पढ व धर्मात्मा होकर सद्धर्म का उपदेश करें: महाराज मनु”
मनुस्मृति एक प्रसिद्ध एवं चर्चित ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की शिक्षायें मनुष्य जीवन का कल्याण करने वाली है। यह सत्य है कि मनुस्मृति अति प्राचीन ग्रन्थ है। मध्यकाल में कुछ वाममार्गी लोगों ने मनुस्मृति में महाराज मनु के आशय के विपरीत स्वार्थपूर्ति एवं अज्ञानता के कारण इस ग्रन्थ में अनेक स्थानों पर प्रक्षेप किये जिससे इसका शुद्ध स्वरूप विकृति को प्राप्त हुआ। यह अच्छा रहा कि प्रक्षेपकर्ताओं द्वारा मनुस्मृति के शुद्ध व लोकोपकारी श्लोकों को नहीं छेड़ा व हटाया। वह लाभकारी श्लोक मनुस्मृति में विद्यमान रहे व आज भी हमें उपलब्ध हैं। आर्यसमाज ने वेदों को ईश्वर का ज्ञान न केवल स्वीकार ही किया अपितु इसके पक्ष में अनेक तर्क एवं युक्तियां देकर इसे प्रमाणित भी किया है। आर्यसमाज के विद्वान पं. राजवीर शास्त्री जी ने श्री डा. सुरेन्द्र कुमार जी के सहयोग से तथा ऋषिभक्त महात्मा दीपचन्द आर्य जी की प्रेरणा से विशुद्ध मनुस्मृति का सम्पादन किया जिसमें प्रक्षिप्त श्लोको की समीक्षा करके उन्हें हटा दिया। इस प्रकार जो विशुद्ध मनुस्मृति उपलब्ध है वह संसार के सभी मनुष्यों, न केवल ब्राह्मणों अपितु दलितों, के लिये भी सर्वप्रकार से लाभकारी है। सबको इसका अध्ययन करने के साथ इसकी प्राणी मात्र की हितकारी शिक्षाओं से लाभ उठाना चाहिये। ऐसा तभी हो सकता है कि जब लोग इस ग्रन्थ का निष्पक्ष होकर अध्ययन करें। आश्चर्य है कि जो लोग मनुस्मृति की आलोचना करते हैं उनमें से किसी ने इसको निष्पक्ष होकर पढ़ा नहीं होता। हमने विशुद्ध मनुस्मृति को पढ़ा है और हम सभी बन्धुओं विशेषकर दलित बन्धुओं को इस ग्रन्थ को पढ़ने की प्रेरणा करते हैं। इस विशुद्ध-मनुस्मृति से मध्यकाल व उसके बाद अद्यावधि प्रक्षेपकर्ताओं व उनके अनुयायियों द्वारा फैलाये गये सभी भ्रम व विसंगतियां दूर हो जाती हैं। यह विशुद्ध मनुस्मृति ग्रन्थ अत्यन्त लाभकारी है। ऐसा इसको पढ़कर अनुभव होता है। संसार का कोई भी निष्पक्ष मनुष्य इसे पढ़ेगा तो इसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहेगा। लाखों-करोड़ों वर्ष पूर्व अति प्राचीन काल में इतना महत्वपूर्ण ग्रन्थ भारत भूमि पर विद्यमान था, यह देखकर इस देश के पूर्वजों के ज्ञान व कार्यों के प्रति हमारा मन आदर व गौरव से भर जाता है।
प्रस्तुत लेख में हम मनुस्मृति के दूसरे अध्याय के एक श्लोक की चर्चा कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि सब मनुष्य विद्या पढ़कर, विद्वान व धर्मात्मा होकर, निर्वैरता से सब प्राणियों के कल्याण का उपदेश करें। वह उपदेशक अपने उपदेश में मधुर और कोमल वाणी बोलें। सत्योपदेश से धर्म की वृद्धि और अधर्म का नाश जो पुरुष करते हैं वह धन्य होते हैं। मनुस्मृति का यह श्लोक है ‘अहिंसयैव भूतानां कार्यं श्रेयोऽनुशासनम्। वाक् चैव मधुरा श्लक्ष्णा प्रयोज्याधर्ममिच्छता।।’ इस श्लोक में अतीव उत्तम उपदेश किया गया है। इसको व्यवहार में लाने पर हम एक आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं। आदर्श समाज वह होता जिस समाज में सब मनुष्य सत्य का ग्रहण व धारण करने वाले होते हैं। सत्य व असत्य का यथार्थस्वरूप हमें वेद व ऋषियों के ग्रन्थों उपनिषद, दर्शन तथा मनुस्मृति सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि से प्राप्त होता है। मध्यकाल में इन ग्रन्थों का अध्ययन-अध्यापन तथा आचरण न होने के कारण ही समाज में विकृतियां आई थी। इसी कारण देश व विश्व में अविद्यायुक्त मत-मतान्तर उत्पनन हुए थे। यदि वेदों की सत्य शिक्षाओं का समाज में प्रचार व उपदेश होता रहता तो जो अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, वेदविरुद्ध कृत्य तथा सामाजिक कुरीतियां वा परम्परायें समाज में उत्पन्न हुईं, वह कदापि न होती। महाभारत युद्ध के बाद मध्यकाल में हमारे देश में पूर्णज्ञानी वेद प्रचारक विद्वान नहीं थे। अकेले ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने देश में वेद-प्रचार करके संसार से अविद्या दूर करने में अनेक प्रकार से सफलता पाई। आज हमें ईश्वर व आत्मा सहित प्रकृति का यथार्थ स्वरूप विदित है। मनुष्य जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य का ज्ञान भी है तथा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये आवश्यक साधनों का ज्ञान भी है जिनका हम आश्रय लेते हैं। यदि महाभारत युद्ध के बाद देश में एक सत्यार्थप्रकाश व इस जैसा किसी विद्वान का लिखा कोई विद्या का ग्रन्थ होता और उसका प्रचार रहा होता तो देश को दुर्दशा के जो दिन देखने पड़े, वह देखने न पड़ते।
मनुस्मृति के उपुर्यक्त श्लोक में प्रथम बात यह कही गई है कि सब मनुष्यों को विद्या पढ़नी चाहिये और सबको धर्मात्मा होना चाहिये। विद्या वेदों के ज्ञान को कहते हैं। इसके साथ ही जो भी सत्य पर आधारित ज्ञान व विज्ञान है वह भी ज्ञान व विद्या के अन्तर्गत आता है। वेद ज्ञान पूर्ण ज्ञान है और बीज रूप में उपलब्ध है तथा इतर सांसारिक ज्ञान व विज्ञान अधूरा है। सांसारिक ज्ञान से मुनष्य को ईश्वर व आत्मा का यथार्थ ज्ञान नहीं होता और न ही ईश्वर व आत्मा सहित समाज व देश के प्रति अपने कर्तव्यों की प्रेरणा मिलती है। आधुनिक शिक्षा को पढ़कर मनुष्य चरित्रवान व सभ्य मनुष्यों के गुणों से युक्त नहीं होते। आधुनिक शिक्षा को पढ़कर मनुष्य में भोग व सम्पत्ति के संग्रह की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है जिससे समाज में असन्तुलन उत्पन्न होता है। आधुनिक मनुष्य को यह ज्ञात नहीं होता कि जिन उचित व अनुचित साधनों से वह धन का अर्जन कर रहा है उसमें होने वाले पाप व पुण्य का फल उसे परमात्मा की व्यवस्था से भोगना पड़ता है। वेद व वैदिक साहित्य में इन सभी प्रश्नों का यथार्थ समाधान मिलता है। इसलिये वेदों की सर्वाधिक महत्ता है। मत-मतान्तर के ग्रन्थों से भी मनुष्यों की पाप की प्रवृत्तियों पर अंकुश नहीं लगता है। अनेक मतों के कारण समाज अनेक अनेक सम्प्रदायों व पन्थों में बंट गया है। मत-मतान्तर लोगों को आपस में पृथक कर मत, सम्प्रदाय व पन्थ की संकीर्ण दीवारों में बांटते हैं जबकि वेद व वैदिक साहित्य सबको एक ईश्वर की सन्तान बता कर सबके हित व कल्याण का मार्ग बताते हैं। इसी कारण से वेदों का सर्वाेपरि महत्व है। वेद व मनुस्मृति दोनों की ही शिक्षा है कि मनुष्यों को वेद व विद्या का अध्ययन करना चाहिये और ऐसा करके उसे धर्मात्मा बनना चाहिये। धर्मात्मा सत्य ज्ञान के अनुरूप कर्म करने वाले ईश्वरोपासक तथा दूसरों का हित करने वाले मनुष्यों को कहते हैं। ऐसा मनुष्य अपना भी कल्याण करता है और देश, समाज व विश्व का भी कल्याण करता है। हमारे सभी ऋषि मुनियों, राम व कृष्ण सहित ऋषि दयानन्द और उनके अनुयायी विद्वानों ने भी विश्व समुदाय के कल्याण का काम किया था जिस कारण उनका यश आज भी सर्वत्र विद्यमान है। अतः सभी मनुष्यों को वेद व वैदिक साहित्य का अध्ययन कर अपनी अविद्या व अज्ञान को दूर कर विद्वान बनना चाहिये और इसके साथ उन सबको धर्मात्मा भी होने चाहियें। पाठक स्वयं विचार करें कि आज संसार में पढ़े लिखे ज्ञानी लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं परन्तु क्या वह सब धर्मात्मा हैं? यदि वह धर्मात्मा होते तो निश्चय ही यह सृष्टि सुख का धाम होती। अतः आज भी वेदों को पढ़कर मनुष्य का विद्वान व धर्मात्मा बनना आवश्यक है। वेदों का अध्येता परजन्म में मिलने वाले दुःखों का विचार कर कभी कोई गलत काम नहीं करता है।
मनुस्मृति के उपर्युक्त उद्धृत श्लोक में सब मनुष्यों को विद्वान व धर्मात्मा बनने सहित सबको सबके प्रति वैर त्याग की प्रेरणा भी की गई है। यह भी कहा गया है कि ऐसे मनुष्य देश व समाज में सब प्राणियों के कल्याण का उपदेश करें। मनुष्य का निर्वैर होना भी अत्यन्त आवश्यक होता है। जो मनुष्य दूसरों लोगों व मत-मतान्तरों से वैर रखते हैं वह देश व समाज की अत्यन्त हानि करते हैं। समाज में समय समय पर ऐसे उदाहरण मिलते रहते हैं। यदि देश में वेदों के आधार पर एक सत्यधर्म का प्रचार व पालन होता तो देश में होने वाली साम्प्रदायिक हिंसा व आतंकवाद जैसी समस्यायें न होती। कुछ लोग देश को साम्प्रदायिक आधार पर अपने मत का शासन स्थापित करने के लिये प्रयत्नशील न होते। इन सब समस्याओं से बचने के लिये सब मनुष्यों को एक दूसरे के प्रति पूर्णतः निर्वैर होकर सबको सब प्राणियों का कल्याण करने की प्रेरणा की जानी चाहिये। यह काम मनुस्मृति सृष्टि के आरम्भ से करती आ रही है। जो ऐसा न करें वह अपराधी माने जाने चाहिये। यह काम मनुस्मृति सृष्टि के आरम्भ से करती आ रही है। किसी मत व सम्प्रदाय को किसी से घृणा व अनावश्यक विरोध करने की अनुमति भी नहीं होनी चाहिये। मतान्तरण जैसी प्रवृत्तियों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगना चाहिये। यदि देश में अज्ञानी व भोले भाले लोगों, मुख्यतः आर्य हिनदुओं का मतान्तरण होता रहा तो इससे सत्य धर्म व संस्कृति की बहुत हानि होगी। देश के सद्ज्ञानी मनुष्यों को इन समस्याओं पर विचार करना चाहिये।
जब हम निर्वैर होकर सब प्राणियों के कल्याण का उपदेश करते हैं तो इससे हमारा समाज व देश बलवान बनता है। अतः मनुस्मृति की यह शिक्षा सबके लिये स्वीकार्य एवं हितकारी है। उपर्युक्त श्लोक में एक महत्वपूर्ण शिक्षा यह भी दी गई है कि उपदेश करने वाले लोग अपनी वाणी को मधुर व कोमल रखे। मनुस्मृति का यह अत्यन्त महत्वपूर्ण उपेदश है। लाखों वर्ष पहले जब किसी मत-सम्प्रदाय का अस्तित्व भी नहीं था, तब मनुस्मृति वा वेदों के द्वारा इतने उत्तम विचार प्रचारित थे। यदि पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद भी मनुस्मृति के शुद्धस्वरूप्स का प्रचार होता तो किसी मत सम्प्रदाय की आवश्यकता ही नहीं थी। शुद्ध मनुस्मृति की विस्मृति के कारण ही देश देशान्तर में मत व सम्प्रदाय बढ़े हैं। मनुस्मृति की शिक्षा है कि सभी व्यक्तियों व उपदेशकों को अपनी वाणी को मधुर व कोमल रखना चाहिये। यह मनुस्मृति का अत्यन्त उपयेागी उपदेश है। मनुस्मृति ने एक महत्वपूर्ण बात यह कही है कि जो मनुष्य व विद्वान सत्य का उपदेश कर धर्म की वृद्धि और अधर्म का नाश करते हैं वह पुरुष धन्य होते हैं। यह सन्देश भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है और स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य है। ऐसे ही उत्मोत्तम उपदेशों के कारण मनुस्मृति का महत्व है। हम सबको पक्षपात रहित होकर मनुस्मति के विशुद्ध संस्करण का अध्ययन करना चाहिये और इससे लाभ उठाना चाहिये। इससे पूरी मानवता को लाभ होगा। ऐसा करने से हमारी धर्म कर्म में रुचि बढ़ेगी और हम अपने कर्तव्यों का बोध प्राप्त कर उनको करते हुए अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
-मनमोहन कुमार आर्य
हरीश रावत को जितेन्द्र गौड़ ने दी बधाई
बेटी सुरक्षा दल द्वारा दिल्ली में बेटी दिवस पर 51 बेटियो का किया सम्मान
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
दिल्ली। बेटी दिवस पर बेटी सुरक्षा दल दिल्ली ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बबीता शर्मा जी के निर्देश पर सम्पूर्ण भारत मे बेटी दिवस मनाने के निर्देश के तहत । दिल्ली में प्रदेश प्रभारी नरेश कुमार जी व बेटी सुरक्षा दल की प्रदेश अध्यक्ष नीतू सिंघल जी के नेतृत्व में कोरल बैंकट होल कीर्ति नगर दिल्ली में 51 मेधावी छात्राओं का जिन्होंने 90 प्रतिशत अंक के ऊपर प्राप्त किये है उनको मैडल व प्रमाण पत्र दे कर बेटियों को सम्मानित किया ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बेटी सुरक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारणी डॉ एस के शर्मा उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में बेटी सुरक्षा दल के इस कार्यक्रम दिल्ली प्रदेश के कई बड़े दिग्गज नेता अभिनेता समाजसेवी समाजसेविका व कई निगम पार्षद ,मॉडल, चिकित्सक, शिक्षक उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में उपस्थित बेटी सुरक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारणी डॉ एस के शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधि पूर्वक शुभारंभ किया व उन्होंने कहा कि बेटी सुरक्षा दल बनाने का उद्देश्य है कि देश मे बेटियों को सुरक्षा, शिक्षा, चिकित्सा गारंटी क़ानून मिले व बेटियो को सुरक्षा गारंटी कार्ड सरकार उपलब्ध कराए ताकि देश की बेटियां देश मे सुरक्षित रहे ।
इस कार्यक्रम में शामिल रहे बेटी सुरक्षा दल के दिल्ली प्रदेश प्रभारी
नरेश कुमार जी ने कहा कि दिल्ली प्रदेश में बेटी सुरक्षा दल से जुड़कर अगर में ओर मेरी पूरी टीम एक भी बेटी को बचाने में कामयाब रहे तो हमारा ये जीवन सार्थक होगा ।
बेटी सुरक्षा दल की प्रदेश अध्यक्ष नीतू सिंघल ने कहा कि बेटी सुरक्षा दल दिल्ली में बेटियो की रक्षा के साथ साथ बेटियों को एजुकेशन दिलाएगी व बेटियों को मजबूत करने के लिए सम्पूर्ण दिल्ली में जन जागरूकता अभियान चला कर दिल्ली में बेटियों को मजबूत करने का काम करेगी बेटियों को बेटी सुरक्षा दल द्वारा फ्री सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिग व बेटियों को स्वालंभी बनाने के लिए सिलाई, कड़ाई,मेहंदी, डिजाइन,आदि ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाएगी ताकि बेटियां बोझ ना लगे । इस कार्यक्रम में बेटी सुरक्षा दल की हरियाणा प्रदेश की ब्रेंड अम्बेसडर डॉ पूनम वीरेन ने कहा कि बेटी सुरक्षा दल के इस कार्यक्रम की जितनी भी प्रसंशा की जाए कम है । में ओर मेरी पूरी टीम सम्पूर्ण भारत मे बेटियो के लिए काम करेंगे ।
बेटी सुरक्षा दल की दिल्ली से ब्रेंड अम्बेसडर मोनिका काण्डपाल ने कहा बेटियां अब कमजोर नही बस जरूरत है तो इनको बचाने की हम सब इस ओर जागरूक होकर हम बेटी बचाने में कामयाब होंगे । बेटी सुरक्षा दल की उत्तर प्रदेश की ब्रेंड अम्बेसडर आकांक्षा गुप्ता ने कहा कि बेटियों के लिए देश मे सुरक्षा व्यवस्था व शिक्षा जरूरी है इसको सरकार जल्द कानून बना कर बेटियों को फ्री शिक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा, गारंटी कार्ड प्रवाइड कराए । ताकि देश मे सुरक्षित हो सके । में ओर मेरी पूरी टीम उत्तर प्रदेश के साथ साथ देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर लोगो को जागरूक करने का काम करूंगी व बेटियों को सुरक्षित करूंगी।
बेटी सुरक्षा दल की उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष शीलू त्यागी ने कहा कि देश को जरूरत है बेटियों को सम्मान देने की आज दिल्ली में इस कार्यक्रम में मेधावी बेटियों को सम्मानित करना गौरव की बात है । हम धन्य है जो हमे बेटियो का सम्मान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
बेटी देश का गौरव है इस को संभालने के साथ साथ इन को बचाने का कर्तव्य भी हमारा ही बनता है ।
इस कार्यक्रम में सामाजिक व मीडिया, राजनीतिक , महान व्यक्तिओ का शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया
इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे
संजय आनंद ,नरेश कुमार,डॉ सुनील वशिष्ठ, राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ जुबैर त्यागी,राष्ट्रीय प्रमुख सचिव डॉ राजाराम,राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष परमप्रीत कोर,उपाध्यक्ष उत्तराखंड बेटी सुरक्षा दल शुखजिंदर कोर, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ आर के शर्मा,राष्ट्रीय सचिव डॉ फ़हीम खान, डॉ वाई के राठौड़,प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ आर के वर्मा , मंडल अध्यक्ष मेरठ शाजिद भाई, राष्ट्रीय मीडिया संयोजक डॉ जमील खान ,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय सिंह राष्ट्रीय महा सचिव सर्वेश गुप्ता प्रदेश सचिव उत्तराखंड ,शीलू त्यागी प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड, प्रताप कुमार प्रदेश सचिव दिल्ली, दीपिका जी
राजकुमार जैन दिल्ली संग़ठन सचिव डॉ राकेश वाही प्रदेश सचिव,सिमा द्विवेदी प्रदेश संगठन मंत्री अनुभव गर्ग प्रदेश सचिव ,विजय सिंह, स्पेशल गेस्ट सुभाष यादव जी संजय मित्तल व परमानंद जी उपस्थित रहे ।
मॉडलिंग पोर्टफोलियो शूट नए कलाकारों और मॉडल्स को मिलेगा बेहतरीन मौका
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। cheersdesigns.com कंपनी करने जा रही है, 3 अक्टूबर को मॉडलिंग पोर्टफोलियो शूट नए कलाकारों और मॉडल्स को मिलेगा इस सूट में बेहतरीन मौका। कंपनी के डायरेक्टर आनंद विश्वकर्मा जी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि इस पोर्टफोलियो में नए कलाकारों को बेहतर अवसर देने का उन्होंने पूरा प्रयास किया है। इस फोटोशूट मे अच्छा टैलेंट प्रजेंट करेंगे उन कलाकारों को आने वाले the viral post के कई प्रोजेक्ट्स में वेब सीरीज वह म्यूजिक वीडियो में चांस दिया जाएगा और साथ ही साथ यह पोर्टफोलियो दिल्ली एनसीआर में सबसे किफायती दरों पर किया जाने वाला पोर्टफोलियो है, इस पोर्टफोलियो में जानी-मानी मॉडल नैंसी फर्नांडिस भी मौजूद रहेंगे ।इस पोर्टफोलियो में मॉडल्स को ब्यूटी एवं हेयर ड्रेसर जैसी सुविधाएं और सेलिब्रिटी इंटरेक्शन भी दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना द्वारा निंदा सभा का आयोजन
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। विकास नगर लोनी जिला गाजियाबाद में राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना लोनी नगर द्वारा मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें सुरेंद्र सिंह चंदेल राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने बताया की हाथरस के गांव भूल घड़ी थाना चंडप्पा के अंतर्गत आने वाले गांव में कुछ असामाजिक तत्वों ने अपराधियों ने एक वाल्मीकि समाज की बेटी के साथ बलात्कार करने की कोशिश की नाकाम होने पर उसकी हत्या करने की कोशिश की गई जिसको काफी चोटे आई हैं बालिका की रीड की हड्डी हाथ पैर तोड़ दिए गए जब बालिका ने शोर मचा कर अपने आपको बचाने की कोशिश की तो उसकी जुबान भी काटने की कोशिश की गई जिस को संज्ञान में लेते हुए क्षेत्रीय सांसद राजवीर दिलेर जी ने अपना कर्तव्य निभाते हुए अपराधियों को सजा दिलवाकर अपना कर्तव्य निभाया राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना व,वाल्मीकि समाज,इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं प्रशासन से मांग करते हैं जो अपराधी अभी खुलेआम घूम रहे हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई कर फांसी की सजा दी जाए,की जाए पीड़ित को उचित मुआवजा दिलाया जाए क्योंकि पीड़ित परिवार को जान माल का खतरा है उनको उस गांव से दूर कहीं शहर में सरकार द्वारा मकान बनाकर दिए जाए और पूरा खर्चा इलाज का सरकार उठाएं राजेश प्रवक्ता जी ने नोएडा में हुई कर्मचारियों के साथ बर्बरता शोषण जिसमें एक कर्मचारी अनिल ने अपनी शहादत दी,जिनको हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं व कर्मचारियों के साथ हो रहे शोषण का,कड़े शब्दों में निंदा करते हैं वह सरकार से मांग करते हैं,की ठेकेदारी प्रथा को तुरंत खत्म किया जाए जो कर्मचारी नोएडा में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी मांग की तरफ सरकार ध्यान दें इसी अवसर पर लोनी नगर अध्यक्ष रोहित बेनीवाल,ने अमित जी को लोनी नगर महामंत्री बनाया ,विजेंद्र वाल्मीकि जी को प्रदेश उपाध्यक्ष संजय गहलोत प्रदेश अध्यक्ष ने,मनोनीत किया कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष संजय गहलोत जी ने की संचालक राजेश प्रवक्ता ने किया मुख्य रूप से मौजूद रहे कमल गहलोत प्रभारी संजय चंदेल महामंत्री मनोज चंदेल मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह मुख्य सलाहकार सुनील भाई प्रदेश महामंत्री सुंदर चंदेल लोनी नगर उपाध्यक्ष रोहित बेनीवाल लोनी नगर अध्यक्ष इस अवसर पर सेना के कार्यकर्ता भारी संख्या में मौजूद रहे।
साभार—सुरेन्द्र सिंह
कोरोना निदान में योग का महत्व व राष्ट्रीय कवि दिनकर की जयंती पर गोष्ठी संम्पन्न
कोरोना के उपचार में योग व घरेलू नुस्खे कारगर- डॉ रामावतार(एसोसिएट प्रोफेसर, IGTMS, यूनिवर्सिटी)
राष्ट्रीयता,वैचारिक क्रांति व सांस्कृतिक चेतना के आधार थे 'दिनकर'-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाज़ियाबाद। बुधवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में कोरोना निदान में योग का महत्व व राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के 112वीं जयंती पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर आयोजित किया गया।कोरोना काल में परिषद का यह 93वां वेबिनार था।
योगगुरू डॉ रामावतार (एसोसिएट प्रोफेसर,IGTMS, यूनिवर्सिटी) ने कहा कि योग मनुष्य को पवित्र,निर्मल व स्वस्थ बनाता है,साथ ही कोरोना संक्रमण के समय में योग रामबाण औषधि की तरह है।वेदों में की गयी पवित्रता- निर्मलता की यह कामना हर योगी के लिए काम्य है कि ‘‘मुझे पवित्र करें,मन में सुसंगत बुद्धि मुझे पवित्र करे, विश्व के सभी प्राणी मुझे पवित्र करें,अग्नि मुझे पवित्र करें।’’ योग के पथ पर अविराम गति से वही साधक आगे बढ़ सकता है,जो चित्त की पवित्रता एवं निर्मलता के प्रति पूर्ण जागरूक हो।निर्मल चित्त वाला व्यक्ति ही योग की गहराई तक पहुंच सकता है।योग के अन्दर अनेकों रोगों से लड़ने व जीवन जीने के सही तरीकों का वर्णन है।योग को जीवन का अंग बनाने से ही विकट परिस्थितियों में भी सहज रहा जा सकता है, साथ ही रसोई के छोटे छोटे नुस्खे भी कोरोना को हराने में सहायक हो सकते हैं।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयन्ती है।उन्होंने कहा की ओजस्विता, राष्ट्रीयता,वैचारिक प्रखरता और सांस्कृतिक चेतना के आधार स्तम्भ थे रामधारी सिंह दिनकर।वीर रस व राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत अपनी कविताओं से ‘दिनकर’ जी ने राष्ट्रीयता की भावना जन सामान्य तक पहुंचाने का कार्य किया था।उन्होंने आर्य समाज के लिए कहा था कि आर्य समाज ने आर्यावर्त के साधारण से भी साधारण जनमानस को भी अपनी ओर आकर्षित किया है।उनकी कालजयी कविताएं साहित्य प्रेमियों को ही नही बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी।आज की कविता श्रंगार रस व चापलूसी की कविता बनती जा रही हैं,उनके लिये दिनकर जी प्रेरणा का स्रोत्र हो सकते है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एकल विद्यालय फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज रायजादा ने कहा कि आज सारा विश्व कोरोना महासंकट से पीड़ित है।विश्व में योग वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता है,रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का यह सशक्त माध्यम है।लोगों का जीवन योगमय हो,इसी से आज की विषम परिस्थितियों को बदला जा सकता है और कोरोना संकट से मुक्ति पायी जा सकती है।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने अपनी ओजस्वी रचनाओं से राष्ट्रीय चेतना का सृजन किया।उनकी 112वीं जयंती पर सभी ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके द्वारा रचित कविताओं व उनके कार्यों को याद किया।
योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि यदि लोगों ने अपने जीवन का, जीवन में योग का महत्व समझ लिया तो जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण में विस्तार लाने,व्यापकता लाने में ही मानव-जाति की सभी समस्याओं का समाधान है।
गायिका वीना वोहरा,उर्मिला आर्या,डॉ रचना चावला,ईश्वर आर्या,देवेन्द्र गुप्ता,सुषमा बुद्धिराजा,सुलोचना देवी,सुषमा मदान आदि ने गीत सुनाये।
आचार्य महेन्द्र भाई,देवेन्द्र भगत, डॉ सुषमा आर्या,अनुपम आर्य, राजश्री यादव,यशोवीर आर्य, सुरेन्द्र शास्त्री,कृष्ण लाल राणा, नरेश प्रसाद आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य,
किसानों ने की मुआवजा की उचित मांग को लेकर प्रेस वार्ता
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। एक प्रेस वार्ता के दौरान किसानों ने कहा कि धौलाना क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट के लिए 7 गाँवो की (ग्राम सभा) की भूमि लगभग 2500 एकड़ अधिग्रहित की थी। किसानो को जिस दर पर भूमि का मुआवजा दिया गया था उससे किसान सहमत नही थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव धौलाना में एक चुनावी सभा में आये थे और उन्होने धोषणा की थी जिन किसानो की भूमि पावर प्रोजेक्ट के लिए ली गयी है उनको नोएडा की तर्ज पर उन्ही दरो पर मुआवजा दिया जायेगा, परन्तु उनकी घोषणा केवल चुनावी घोषणा बन कर रह गयी। किसान लगातार आन्दोलनरत थे, और सड़क की लड़ाई के साथ देश के सर्वोच्च न्यायालय तक मे किसानो ने लडाई लड़ी।
रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट के मालिक अम्बानी बन्धुओ का पारिवारिक विवाद हो गया जिसके कारण रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट को गैस सप्लाई जिससे बिजली का उत्पादन होता वह एग्रीमेन्ट टूट गया और पूरा पावर प्रोजेक्ट अधर में चला गया। किसानो ने जो गुहार माननीय उच्चतम न्यायालय में लगायी थी उसमें माननीय न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण को निरस्त कर दिया और साथ ही यह भी आदेशित किया कि किसान जिनकी भूमि अधिग्रहित हुई है वह दो माह में सरकार के खाते में उठाया गया मुआवजा वापिस जमा करा दे और जो किसान पैसा वापिस जमा करा देगे उनको जमीन वापिस कर अभिलेखों में किसान का नाम दर्ज कर दिया जाये।
अधिग्रहित की गयी भूमि 1640 किसानो से ली गयी थी जिसमे 513 किसानो को मुआवजा नही मिला था उनके नाम जमीन स्वतः ही वापिस आ गयी और 147 किसानो ने तय समय सीमा में उठाया गया मुआवजा सरकार के खाते में वापिस कर दिया उनके नाम भी जमीन वापिस आ गयी और उनके नाम भी अभिलेखो में दर्जा कर दिये गये। शेष 980 किसानो के पास उठाया गया मुआवजा वापिस करने को पैसा नही था वो आज भी तब से संधर्षरत है।
किसानो की जमीन अभिलेखो में उर्जा विभाग उत्तर प्रदेश के नाम दर्ज की हुई किसानो की महत्वपूर्ण समस्या और उनके द्वारा किये जा रहे संधर्ष के दृष्टिगत समाधान हेतु डा0 रमेश चन्द तोमर (पूर्व सांसद) व सदस्य राष्ट्रीय कार्य समिति भाजपा श्री विजय मोहन मित्तल पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री मंगू सिंह राणा, महामन्त्री युधिष्ठिर सिंह, श्री चमन सिंह तोमर व अन्य किसानो के प्रतिनिधि मण्डल के साथ विगत दिनो प्रदेश के लोकप्रिय व यश्स्वी मुख्यमंत्री श्रधेय योगी आदित्यनाथ जी से लखनऊ मे मिले थे और किसानो की उक्त समस्या से अवगत करा कर रिलायन्स पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गयी जमीन को किसानी को वापिस दिलाने की मांग की थी तथा साथ ही आन्दोलनरत रहे किसानों पर प्रशासन द्वारा दर्ज किये गये फर्जी मुकदमों को वापिस करने की मांग की थी।
माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने गम्भीरता से किसानों के दुखडे को सुनकर आश्वासन दिया कि सरकारी धन जो किसानो ने लिया है वह तो वापिस करना होगा ही यदि किसान अधिग्रहित भूमि का लिया गया सरकारी धन वापिस करेंगे तो उनकी जमीन वापिस करने के सन्दर्भ में सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा। किसान संघर्ष समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया किसानो के पास पैसा है नही जो पैसा मिला वह खर्च हो चुका है। बिना पैसे के जमीन वापिस की जाये। जब क्षेत्र के भूमाफियाओ को मुख्यमंत्री जी से हुई वार्ता की जानकारी हुई कि सरकार उठाया गया मुआवजा राशि को वापिस जमा करने की तिथि को आगे बढ़ाकर अधिग्रहित जमीन किसान को वापिस कर सकती है तो उन्होने भोले भाले किसानों को बरगलाकर अभिलेखो में जमीन पर सरकार के उर्जा विभाग का नाम दर्ज होने के बावजूद तत्कालीन एस. डी.एम. व सब रजिस्ट्रार कार्यालय कि मिलीभगत से सरकारी भूमि के बैनामा एग्रीमेन्ट करने शूरू कर दिये। जिस भूमि का बाजारू मूल्य 50 लाख रू प्रति बिघा है उसे 5 से 10 लाख प्रति बिधा में एक लाख रू प्रति विधा एग्रीमेन्ट के समय पर देकर एग्रीमेन्ट किया जा रहा है।
भूमाफिया किसान की मजबूरी का लाभा उठाकर भारी लाभ कमाना चाहते है वही किसानो को भी वर्तमान में सरकारी जमीन को बेचने का गुनहगार बना रहे है। और ये भूमाफिया सरकारी भूमि के साथ धोखधडी कर रहे है। मै सरकार से मांग करता हूँ ऐसे भूमाफिया व संलिप्त भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जो सरकारी भूमि को खुर्द बुर्द करने में लगे है उनके विरूद्व भूमाफिया अधिनियम व आई.पी.सी. की धोखाधडी की धाराओ के अन्तर्गत कार्यावाही की जाये और जेल भेजा जाये। किसानो से उठाया गया मुआवजा एक मुस्त वापिस न लेकर किस्तो में लेने की अनुमति के साथ अधिग्रहित जमीन को किसानो के नाम वापिस की जाये और किसानो के विरूद्ध दर्ज किये गये मुकदमे वापिस लिये जाये।
साभार—सौरभ जायसवाल
Tuesday 22 September 2020
मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी बिल पास होने पर भारतीय युवा कांग्रेस ने किया संसद घेराव
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। आज भारतीय युवा कांग्रेस ने किसान विरोधी ऑर्डिनेंस के खिलाफ दिल्ली में संसद का घेराव किया | राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास जी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में पुलिस की दमनकारी रवैया से काफी युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को गंभीर चोट आई है तथा कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया | दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल कुमार मीणा ने बताया कि केंद्र सरकार की नौजवान और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ भारतीय युवा कांग्रेस आज संसद का घेराव किया है | नौजवान और किसान इस देश की रीढ़ हैं। लेकिन सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए एक के बाद एक इनके खिलाफ फैसले ले रही है। सड़क से लेकर संसद तक जिस कृषि बिल का विरोध हो रहा था उसे सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए अलोकतांत्रिक तरीके से पास करवाया। बिल के खिलाफ किसान सड़क पर आंदोलन करते हैं तो उन पर डंडे बरसाए जाते हैं।
मोदी राज में युवाओं की स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है। 45 सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी बेरोजगारी कोरोना संकट आने के बाद सारी हदें पार कर रही है। अभी देश में 30 करोड़ लोग या तो बेरोजगार हैं या अंडरएंप्लॉयड हैं और सरकार इनके लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।
यही वजह है कि भारतीय युवा कांग्रेस लगातार नौजवानों और किसानों के हक की आवाज उठा रही है।
देश के किसान और युवाओं की आवाज को उठाने के लिए भारतीय युवा कांग्रेस पिछले कई लंबे समय से आंदोलन कर रही है | कोरोना महामारी की आड़ में सरकार ने अनेक काले कानून पास कर दिए हैं | देश में उठने वाले आंदोलन को महामारी के नाम पर पुलिस प्रशासन के माध्यम से दमन कर रही है | युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी वैभव वालिया ने देश के किसान और युवाओं की आवाज को सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के माध्यम से उठाया है और देश के नौजवानों ने टि्वटर हेक्स्टेक के माध्यम से विश्व में प्रथम स्थान पर इन समस्याओं को ट्रेंड किया | इन समस्याओं पर देश का युवा एवं किसान खुलकर समर्थन कर रहा है |
“सब विद्या पढ व धर्मात्मा होकर सद्धर्म का उपदेश करें: महाराज मनु”
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
मनुस्मृति एक प्रसिद्ध एवं चर्चित ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की शिक्षायें मनुष्य जीवन का कल्याण करने वाली है। यह सत्य है कि मनुस्मृति अति प्राचीन ग्रन्थ है। मध्यकाल में कुछ वाममार्गी लोगों ने मनुस्मृति में महाराज मनु के आशय के विपरीत स्वार्थपूर्ति एवं अज्ञानता के कारण इस ग्रन्थ में अनेक स्थानों पर प्रक्षेप किये जिससे इसका शुद्ध स्वरूप विकृति को प्राप्त हुआ। यह अच्छा रहा कि प्रक्षेपकर्ताओं द्वारा मनुस्मृति के शुद्ध व लोकोपकारी श्लोकों को नहीं छेड़ा व हटाया। वह लाभकारी श्लोक मनुस्मृति में विद्यमान रहे व आज भी हमें उपलब्ध हैं। आर्यसमाज ने वेदों को ईश्वर का ज्ञान न केवल स्वीकार ही किया अपितु इसके पक्ष में अनेक तर्क एवं युक्तियां देकर इसे प्रमाणित भी किया है। आर्यसमाज के विद्वान पं. राजवीर शास्त्री जी ने श्री डा. सुरेन्द्र कुमार जी के सहयोग से तथा ऋषिभक्त महात्मा दीपचन्द आर्य जी की प्रेरणा से विशुद्ध मनुस्मृति का सम्पादन किया जिसमें प्रक्षिप्त श्लोको की समीक्षा करके उन्हें हटा दिया। इस प्रकार जो विशुद्ध मनुस्मृति उपलब्ध है वह संसार के सभी मनुष्यों, न केवल ब्राह्मणों अपितु दलितों, के लिये भी सर्वप्रकार से लाभकारी है। सबको इसका अध्ययन करने के साथ इसकी प्राणी मात्र की हितकारी शिक्षाओं से लाभ उठाना चाहिये। ऐसा तभी हो सकता है कि जब लोग इस ग्रन्थ का निष्पक्ष होकर अध्ययन करें। आश्चर्य है कि जो लोग मनुस्मृति की आलोचना करते हैं उनमें से किसी ने इसको निष्पक्ष होकर पढ़ा नहीं होता। हमने विशुद्ध मनुस्मृति को पढ़ा है और हम सभी बन्धुओं विशेषकर दलित बन्धुओं को इस ग्रन्थ को पढ़ने की प्रेरणा करते हैं। इस विशुद्ध-मनुस्मृति से मध्यकाल व उसके बाद अद्यावधि प्रक्षेपकर्ताओं व उनके अनुयायियों द्वारा फैलाये गये सभी भ्रम व विसंगतियां दूर हो जाती हैं। यह विशुद्ध मनुस्मृति ग्रन्थ अत्यन्त लाभकारी है। ऐसा इसको पढ़कर अनुभव होता है। संसार का कोई भी निष्पक्ष मनुष्य इसे पढ़ेगा तो इसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहेगा। लाखों-करोड़ों वर्ष पूर्व अति प्राचीन काल में इतना महत्वपूर्ण ग्रन्थ भारत भूमि पर विद्यमान था, यह देखकर इस देश के पूर्वजों के ज्ञान व कार्यों के प्रति हमारा मन आदर व गौरव से भर जाता है।
प्रस्तुत लेख में हम मनुस्मृति के दूसरे अध्याय के एक श्लोक की चर्चा कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि सब मनुष्य विद्या पढ़कर, विद्वान व धर्मात्मा होकर, निर्वैरता से सब प्राणियों के कल्याण का उपदेश करें। वह उपदेशक अपने उपदेश में मधुर और कोमल वाणी बोलें। सत्योपदेश से धर्म की वृद्धि और अधर्म का नाश जो पुरुष करते हैं वह धन्य होते हैं। मनुस्मृति का यह श्लोक है ‘अहिंसयैव भूतानां कार्यं श्रेयोऽनुशासनम्। वाक् चैव मधुरा श्लक्ष्णा प्रयोज्याधर्ममिच्छता।।’ इस श्लोक में अतीव उत्तम उपदेश किया गया है। इसको व्यवहार में लाने पर हम एक आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं। आदर्श समाज वह होता जिस समाज में सब मनुष्य सत्य का ग्रहण व धारण करने वाले होते हैं। सत्य व असत्य का यथार्थस्वरूप हमें वेद व ऋषियों के ग्रन्थों उपनिषद, दर्शन तथा मनुस्मृति सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि से प्राप्त होता है। मध्यकाल में इन ग्रन्थों का अध्ययन-अध्यापन तथा आचरण न होने के कारण ही समाज में विकृतियां आई थी। इसी कारण देश व विश्व में अविद्यायुक्त मत-मतान्तर उत्पनन हुए थे। यदि वेदों की सत्य शिक्षाओं का समाज में प्रचार व उपदेश होता रहता तो जो अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, वेदविरुद्ध कृत्य तथा सामाजिक कुरीतियां वा परम्परायें समाज में उत्पन्न हुईं, वह कदापि न होती। महाभारत युद्ध के बाद मध्यकाल में हमारे देश में पूर्णज्ञानी वेद प्रचारक विद्वान नहीं थे। अकेले ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने देश में वेद-प्रचार करके संसार से अविद्या दूर करने में अनेक प्रकार से सफलता पाई। आज हमें ईश्वर व आत्मा सहित प्रकृति का यथार्थ स्वरूप विदित है। मनुष्य जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य का ज्ञान भी है तथा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये आवश्यक साधनों का ज्ञान भी है जिनका हम आश्रय लेते हैं। यदि महाभारत युद्ध के बाद देश में एक सत्यार्थप्रकाश व इस जैसा किसी विद्वान का लिखा कोई विद्या का ग्रन्थ होता और उसका प्रचार रहा होता तो देश को दुर्दशा के जो दिन देखने पड़े, वह देखने न पड़ते।
मनुस्मृति के उपुर्यक्त श्लोक में प्रथम बात यह कही गई है कि सब मनुष्यों को विद्या पढ़नी चाहिये और सबको धर्मात्मा होना चाहिये। विद्या वेदों के ज्ञान को कहते हैं। इसके साथ ही जो भी सत्य पर आधारित ज्ञान व विज्ञान है वह भी ज्ञान व विद्या के अन्तर्गत आता है। वेद ज्ञान पूर्ण ज्ञान है और बीज रूप में उपलब्ध है तथा इतर सांसारिक ज्ञान व विज्ञान अधूरा है। सांसारिक ज्ञान से मुनष्य को ईश्वर व आत्मा का यथार्थ ज्ञान नहीं होता और न ही ईश्वर व आत्मा सहित समाज व देश के प्रति अपने कर्तव्यों की प्रेरणा मिलती है। आधुनिक शिक्षा को पढ़कर मनुष्य चरित्रवान व सभ्य मनुष्यों के गुणों से युक्त नहीं होते। आधुनिक शिक्षा को पढ़कर मनुष्य में भोग व सम्पत्ति के संग्रह की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है जिससे समाज में असन्तुलन उत्पन्न होता है। आधुनिक मनुष्य को यह ज्ञात नहीं होता कि जिन उचित व अनुचित साधनों से वह धन का अर्जन कर रहा है उसमें होने वाले पाप व पुण्य का फल उसे परमात्मा की व्यवस्था से भोगना पड़ता है। वेद व वैदिक साहित्य में इन सभी प्रश्नों का यथार्थ समाधान मिलता है। इसलिये वेदों की सर्वाधिक महत्ता है। मत-मतान्तर के ग्रन्थों से भी मनुष्यों की पाप की प्रवृत्तियों पर अंकुश नहीं लगता है। अनेक मतों के कारण समाज अनेक अनेक सम्प्रदायों व पन्थों में बंट गया है। मत-मतान्तर लोगों को आपस में पृथक कर मत, सम्प्रदाय व पन्थ की संकीर्ण दीवारों में बांटते हैं जबकि वेद व वैदिक साहित्य सबको एक ईश्वर की सन्तान बता कर सबके हित व कल्याण का मार्ग बताते हैं। इसी कारण से वेदों का सर्वोपरि महत्व है। वेद व मनुस्मृति दोनों की ही शिक्षा है कि मनुष्यों को वेद व विद्या का अध्ययन करना चाहिये और ऐसा करके उसे धर्मात्मा बनना चाहिये। धर्मात्मा सत्य ज्ञान के अनुरूप कर्म करने वाले ईश्वरोपासक तथा दूसरों का हित करने वाले मनुष्यों को कहते हैं। ऐसा मनुष्य अपना भी कल्याण करता है और देश, समाज व विश्व का भी कल्याण करता है। हमारे सभी ऋषि मुनियों, राम व कृष्ण सहित ऋषि दयानन्द और उनके अनुयायी विद्वानों ने भी विश्व समुदाय के कल्याण का काम किया था जिस कारण उनका यश आज भी सर्वत्र विद्यमान है। अतः सभी मनुष्यों को वेद व वैदिक साहित्य का अध्ययन कर अपनी अविद्या व अज्ञान को दूर कर विद्वान बनना चाहिये और इसके साथ उन सबको धर्मात्मा भी होने चाहियें। पाठक स्वयं विचार करें कि आज संसार में पढ़े लिखे ज्ञानी लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं परन्तु क्या वह सब धर्मात्मा हैं? यदि वह धर्मात्मा होते तो निश्चय ही यह सृष्टि सुख का धाम होती। अतः आज भी वेदों को पढ़कर मनुष्य का विद्वान व धर्मात्मा बनना आवश्यक है। वेदों का अध्येता परजन्म में मिलने वाले दुःखों का विचार कर कभी कोई गलत काम नहीं करता है।
मनुस्मृति के उपर्युक्त उद्धृत श्लोक में सब मनुष्यों को विद्वान व धर्मात्मा बनने सहित सबको सबके प्रति वैर त्याग की प्रेरणा भी की गई है। यह भी कहा गया है कि ऐसे मनुष्य देश व समाज में सब प्राणियों के कल्याण का उपदेश करें। मनुष्य का निर्वैर होना भी अत्यन्त आवश्यक होता है। जो मनुष्य दूसरों लोगों व मत-मतान्तरों से वैर रखते हैं वह देश व समाज की अत्यन्त हानि करते हैं। समाज में समय समय पर ऐसे उदाहरण मिलते रहते हैं। यदि देश में वेदों के आधार पर एक सत्यधर्म का प्रचार व पालन होता तो देश में होने वाली साम्प्रदायिक हिंसा व आतंकवाद जैसी समस्यायें न होती। कुछ लोग देश को साम्प्रदायिक आधार पर अपने मत का शासन स्थापित करने के लिये प्रयत्नशील न होते। इन सब समस्याओं से बचने के लिये सब मनुष्यों को एक दूसरे के प्रति पूर्णतः निर्वैर होकर सबको सब प्राणियों का कल्याण करने की प्रेरणा की जानी चाहिये। यह काम मनुस्मृति सृष्टि के आरम्भ से करती आ रही है। जो ऐसा न करें वह अपराधी माने जाने चाहिये। यह काम मनुस्मृति सृष्टि के आरम्भ से करती आ रही है। किसी मत व सम्प्रदाय को किसी से घृणा व अनावश्यक विरोध करने की अनुमति भी नहीं होनी चाहिये। मतान्तरण जैसी प्रवृत्तियों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगना चाहिये। यदि देश में अज्ञानी व भोले भाले लोगों, मुख्यतः आर्य हिनदुओं का मतान्तरण होता रहा तो इससे सत्य धर्म व संस्कृति की बहुत हानि होगी। देश के सद्ज्ञानी मनुष्यों को इन समस्याओं पर विचार करना चाहिये।
जब हम निर्वैर होकर सब प्राणियों के कल्याण का उपदेश करते हैं तो इससे हमारा समाज व देश बलवान बनता है। अतः मनुस्मृति की यह शिक्षा सबके लिये स्वीकार्य एवं हितकारी है। उपर्युक्त श्लोक में एक महत्वपूर्ण शिक्षा यह भी दी गई है कि उपदेश करने वाले लोग अपनी वाणी को मधुर व कोमल रखे। मनुस्मृति का यह अत्यन्त महत्वपूर्ण उपेदश है। लाखों वर्ष पहले जब किसी मत-सम्प्रदाय का अस्तित्व भी नहीं था, तब मनुस्मृति वा वेदों के द्वारा इतने उत्तम विचार प्रचारित थे। यदि पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद भी मनुस्मृति के शुद्धस्वरूप्स का प्रचार होता तो किसी मत सम्प्रदाय की आवश्यकता ही नहीं थी। शुद्ध मनुस्मृति की विस्मृति के कारण ही देश देशान्तर में मत व सम्प्रदाय बढ़े हैं। मनुस्मृति की शिक्षा है कि सभी व्यक्तियों व उपदेशकों को अपनी वाणी को मधुर व कोमल रखना चाहिये। यह मनुस्मृति का अत्यन्त उपयेागी उपदेश है। मनुस्मृति ने एक महत्वपूर्ण बात यह कही है कि जो मनुष्य व विद्वान सत्य का उपदेश कर धर्म की वृद्धि और अधर्म का नाश करते हैं वह पुरुष धन्य होते हैं। यह सन्देश भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है और स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य है। ऐसे ही उत्मोत्तम उपदेशों के कारण मनुस्मृति का महत्व है। हम सबको पक्षपात रहित होकर मनुस्मति के विशुद्ध संस्करण का अध्ययन करना चाहिये और इससे लाभ उठाना चाहिये। इससे पूरी मानवता को लाभ होगा। ऐसा करने से हमारी धर्म कर्म में रुचि बढ़ेगी और हम अपने कर्तव्यों का बोध प्राप्त कर उनको करते हुए अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121
“यम व नियमों के पालन से ही आत्मा की उन्नति सम्भव है”
मनुष्य शरीर में आत्मा का सर्वोपरि महत्व है। शरीर को आत्मा का रथ कहा जाता है और यह है भी सत्य। जिस प्रकार हम रथ व वाहनों से अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंचते हैं उसी प्रकार से मनुष्य शरीर मनुष्य की आत्मा को उसके लक्ष्य ईश्वर-प्राप्ति कराता है। ईश्वर सर्वव्यापक होने से आत्मा को हर समय व हर स्थान पर प्राप्त रहता है। उसे ईश्वर को पुकारना होता है और इसके साथ ही अपने को ईश्वर से भेंट व साक्षात्कार करने का पात्र बनाना पड़ता है। यदि हममें पात्रता न हो तो हम संसारिक सामान्य लोगों से भी नहीं मिल सकते। हम जिनसे मिलना चाहते हैं व जिनसे भेंट करने का निवेदन करते हैं वह भी हमारी पात्रता को देखकर ही हमें मिलने का समय देते हैं। अतः संसार का स्वामी, रचयिता व पालक, भी हमें तभी साक्षात्कार कराता है जबकि हम उसके लिये पात्र होते हैं। ईश्वर के साक्षात्कार व उससे भेंट के लिये हमें ईश्वर की उपासना करनी होती है। उपासना की सफलता पर ही हमें ईश्वर का साक्षात्कार वा प्रत्यक्ष होता है। ईश्वर का साक्षात्कार क्यों आवश्यक है? इस प्रश्न पर विचार करते हैं तो हमें आत्मा के अज्ञान की भूख की तृप्ति ईश्वर के साक्षात्कार को प्राप्त करने पर ही समाप्त होती प्रतीत होती है। जिस मनुष्य ने ईश्वर को प्राप्त नहीं किया है उसका जीवन अधूरा व अनुपयोगी ही कहा जा सकता है। हम जो पुरुषार्थ करते हैं उसका उद्देश्य यदि आत्मा की उन्नति व दुर्गुणों तथा दुव्र्यसनों का नाश वा सुधार नहीं है तो हमारा पुरुषार्थ करना व्यर्थ सिद्ध होता है।
हमारा शरीर हमसे भोजन व वस्त्रों की अपेक्षा रखता है। इसे निवास व विश्रामकी भी आवश्यकता होती है। इससे अधिक यदि हम धनोपार्जन करते हैं अथवा अपना सारा जीवन ही धनोपार्जन वा भौतिक सम्पत्ति के अर्जन व संचय में लगाते हैं, तो यह सर्वथा उचित नहीं है। हमें आत्मा की उन्नति पर भी ध्यान देना चाहिये। आत्मा की शुद्धि विद्या व तप से होती है। इससे सम्बन्धित शास्त्रीय सिद्धान्त है कि मनुष्य का शरीर जल से तथा मन सत्य से शुद्ध होता है। विद्या व तप से आत्मा शुद्ध होती है तथा बुद्धि ज्ञान से शुद्ध होती है। मनुष्य के शरीर में आत्मा से इतर मन, बुद्धि सहित मानव शरीर भौतिक तत्वों से बना होता है। अतः हमारा शरीर जड़ अर्थता चेतना से विहीन होता है। मन व बुद्धि को सत्य व ज्ञान से शुद्ध करने का अर्थ आत्मा की उन्नति ही होता है। सत्य व ज्ञान की अपेक्षा बुद्धि को अपने लिये नहीं होती अपितु शरीरस्थ आत्मा को होती है। आत्मा की उन्नति के लिये ही परमात्मा ने मनुष्य को शरीर व उसमें मन व बुद्धि आदि ज्ञान प्राप्ति में सहायक इन्द्रियां व अन्तःकरण आदि दिये हैं। अतः हमें मन व बुद्धि सहित शरीर का उपयोग करते हुए आत्मा को ज्ञान व तप से युक्त कर अपनी आत्माओं की उन्नति करनी चाहिये। ऐसा करने से ही मनुष्य का जीवन सफल होगा और जीवन के उत्तर काल में आत्मा की उन्नति होकर मनुष्य ईश्वर का साक्षात्कार कर सकता है अथवा वह साक्षात्कार होने के निकट पहुंच सकता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये ही परमात्मा ने हमें मनुष्य शरीर दिया है। इसे जानकर हमें अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने में लग जाना चाहिये। धनोपार्जन व धनसंचय से जीवन का लक्ष्य सिद्ध नहीं होता। इसके विपरीत आत्मा की तप, सत्य व ज्ञान से उन्नति करते हुए ईश्वर का साक्षात्कार करना ही जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य सिद्ध होता है।
आत्मा की उन्नति में वैदिक शिक्षा सहित भौतिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति का सर्वाधिक महत्व होता है। ज्ञान प्राप्ति करने के साथ ज्ञान के अनुरूप आचरण का महत्व ज्ञान प्राप्ति जितना ही होता है। यदि हमने ज्ञान प्राप्त कर भी लिया और उसके अनुरूप आचरण नहीं किया तो ज्ञान प्राप्ति का लक्ष्य पूरा नहीं होता। इसलिये हमें अपने कर्मों व आचरणों पर विशेष ध्यान देना चाहिये। इसकी परीक्षा ही हम प्रातः व सायं सन्ध्या करते हुए करते हैं। सन्ध्या में जहां हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने पर विचार करते हैं और शरीर व इन्द्रियों को बलवान रखने में ईश्वर की सहायता की याचना करते हैं वही पाप कर्मों से बचने के लिये अघमर्षण मन्त्रों का पाठ भी करते हैं। हम यह विचार करते हैं कि इस संसार का रचयिता, पालक व स्वामी ईश्वर है, वह सभी दिशाओं में विद्यमान है, हमें देख रहा है और हमारी रक्षा कर रहा है। हमें उसकी अनुमति से ही संसार का सीमित मात्रा में आवश्यकता के अनुरूप ही उपभोग करना है। अधिक उपभोग करना हानिकारक होता है। हम जितना अधिक उपभोग करेंगे उतना ही अधिक संसार में फंसेंगे जिसका परिणाम आवागमन वा जन्म-मरण तथा सुख व दुःखों की प्राप्ति होता है। सभी दुःखों की सर्वथा निवृत्ति के लिये ही आत्मा का कर्तव्यों का पालन करना उद्देश्य होता है जो कि हमें विचार व चिन्तन सहित वेद व ऋषि-मुनियों के ग्रन्थों का स्वाध्याय व विचार करने पर ज्ञात होता है। हमारे मार्गदर्शन के लिये ही परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान हमारे पूर्वज चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा को दिया था। यह ज्ञान आज भी प्रासंगिक एवं सार्थक है। यह ज्ञान स्वयं में पूर्ण होने के कारण इसमें किसी प्रकार की वृद्धि व सुधार की आवश्यकता नहीं है। इस ज्ञान को प्राप्त होकर इसके अनुसार ही अपना जीवन बनाकर अर्थात् आचरण कर हम आत्मा को दुःखों से मुक्त तथा मोक्ष के निकट ले जा सकते हैं। मनुष्य जीवन का उद्देश्य भोग व अपवर्ग ही है। ‘भोग’ आत्मा द्वारा पूर्वजन्म व वर्तमान जन्म के क्रियमाण कर्मों का सुख व दुःख रूपी फल का भोग होता है और अपवर्ग वेद ज्ञान के अनुरूप साधना से अर्जित जन्म व मरण के बन्धनों से मुक्त होकर केवल आत्मा के परमात्मा में निवास व विचरण करने को कहते हैं जहां दुःख का लेश मात्र भी नहीं होता तथा जीवात्मा को अखण्ड व दीर्घ काल तक स्थाई सुख, आनन्द व कल्याण की प्राप्ति होती है।
मनुष्य की आत्मा की उन्नति के अनेक उपयों व साधनों में पांच यम व पांच नियमों का महत्वपूर्ण योगदान है। आत्मा की उन्नति असत्य के त्याग तथा सत्य के ग्रहण से होती है। यजुर्वेद का मन्त्र 30.3 ‘ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव। यद् भद्रन्तन्न आसुव।।’ है। इसका अर्थ है- ‘हे सकल जगत् के उत्पत्तिकर्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त शुद्धस्वरूप, सब सुखों के दाता परमेश्वर! आप कृपा करके हमारे समस्त दुर्गुण, दुव्र्यसन और दुःखों को दूर कर दीजिए ओर जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव और पदार्थ हैं, वह सब हमकों प्राप्त कीजिए।’ इस वेदमन्त्र से असत्य व दुरितों का त्याग तथा सत्य, सद्कर्मों व सद्गुणों का ग्रहण व धारण ही मनुष्य का कर्तव्य विदित होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये ही महर्षि पतंजलि ने योगदर्शन में पांच यमों व पांच नियमों का समाधि की प्राप्ति के साधक ‘योग’ को सफल करने के लिये आधार बताया है। यह पांच यम हैं अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह। पांच नियम हैं शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान। यदि हम अपने जीवन को इन 10 साधनों को सफल करने में लगायें तो हम मनुष्य जीवन को उसके लक्ष्य मोक्ष के निकट तक ले जा सकते हैं। हम इसके जितना निकट होते हैं उतना ही हमारा जीवन सफल होता है और जितना दूर जाते हैं उतना ही हम असद्कर्मों व दुःखों में फंसते हैं।
अहिंसा का अर्थ होता है कि हम सभी प्राणियों के प्रति वैर का त्याग का कर दें और सबको अपनी आत्मा के समान समझें। हम असत्य का त्याग व सत्य का ग्रहण करें। सत्य वह है जिसका प्रकाश वेदों में किया गया है। वेदाज्ञा का पालन ही कर्तव्य व सत्य का पालन है तथा उसका पालन न करना ही असद्कर्मों में फंसना है। अस्तेय का अर्थ है कि हम छिप कर कोई कार्य व व्यवहार न करें। हम किसी अन्य के अधिकार की वस्तु को अपने अधिकार में लेने के लिये किसी अनुचित साधन का प्रयोग न करें। अस्तेय का अर्थ चोरी न करना व इस प्रवृत्ति का त्याग करना होता है। ब्रह्मचर्य का अर्थ इन्द्रियों का पूर्ण संयम व उन पर अधिकार करना होता है। ईश्वर का ध्यान व चिन्तन करते हुए अपने जीवनको सद्कर्मों में व्यस्त रखना व स्वाध्याय व तप में लगे रहना ही ब्रह्मचर्य है। अपरिग्रह का अर्थ अधिक मात्रा में धन संचय न कर अपनी आवश्यकता को सीमित करना और अल्प साधनों में जीवनयापन करते हुए पूर्ण सन्तुष्ट रहना होता है।
शौच आन्तरिक व बाह्य स्वच्छता को कहते हैं। हमारी आत्मा में कभी मलिन विचार नहीं आने चाहियें और न ही हमें कभी कोई निषिद्ध व निन्दित कार्यों को करना चाहिये। मनुष्य को हानि व लाभ तथा सुख व दुःख में सदा सन्तुष्ट रहना चाहिये। मनुष्य का जीवन तप अर्थात् वेद विहित कार्यों यथा पंचमहायज्ञों आदि में लगा रहना चाहिये। मनुष्य को वेद व ऋषियों के उपनिषद, दर्शन तथा विशुद्ध मनुस्मृति आदि ग्रन्थों का स्वाध्याय करना चाहिये। सत्यार्थप्रकाश तथा ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि ग्रन्थ भी स्वाध्याय के लिये अत्युत्तम ग्रन्थ हैं। इनके अध्ययन से मनुष्य की सभी शंकायें व भ्रम दूर हो जाते हैं। इनका अध्ययन भी प्रतिदिन नियत समय पर करना चाहिये। पांचवा नियम है ईश्वर प्रणिधान। ईश्वर में व उसकी व्यवस्था में मनुष्य को पूर्ण विश्वास रखना चाहिये। पहाड़ के समान दुःख प्राप्त होने पर भी विचलित व दुःखी नहीं होना चाहिये अपितु उसे अपने किसी पूर्व कर्म का फल मानकर उसे सन्तोष के साथ भोगना चाहिये। ऐसा जीवन ही आध्यात्मिक जीवन का आधार होता है। इसका लाभ वर्तमान में भी होता है और इसके साथ भविष्य व परजन्मों में भी इससे अनेक प्रकार से लाभ मिलता है। यही मनुष्यों के लिये करणीय कर्तव्य हैं। ऐसा करते हुए ही हमारी आत्मिक उन्नति होती है। हम ईश्वर का साक्षात्कार करने के लिये पात्र बनते हैं। मनुष्य के सभी दुःख दूर होते जाते हैं और मृत्यु से पूर्व ईश्वर का प्रत्यक्ष व साक्षात्कार होकर जन्म-मरण वा आवागमन से हमारा आत्मा छूट जाता है। यदि हम सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का अध्ययन करेंगे तो हम इन बातों को भली प्रकार जान सकते हैं। अतः सत्य का ग्रहण, असत्य के त्याग सहित यम व नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये क्योंकि यही जीवन में सुख व उन्नति का आधार हैं।
-मनमोहन कुमार आर्य
स्लग-साँप के काटने से युवक की मौत, परिवार में मचा कोहराम
अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। आपको बता दें हापुड जनपद के थाना बहादुरगढ़ क्षेत्र के गांव जखैडा रहमतपुर निवासी किसान पन्ना सिहं अपने बेटे लाला के साथ नहर के पानी से सिंचाई करने के लिये गये थे जंगल में लाला 18 वर्षीय पानी खोलने के बाद जमीन पर बौरी की टाट बिछाकर लेट गया वहीं अचानक लाला के कान पर सांप ने काट लिया बेटे की चीख सुनकर पिता पन्ना और नजदीक में काम कर रहे लोग पहुंचे लाला को लेकर इलाज के लिए दौड़े लेकिन तब तक लाला की मौत हो गयी।लाला की सांप के काटने से मौत पर गांव में सनसनी फैल गयी वहीं परिवार में कोहराम मच गया।
ट्रेन के आगे कूदकर व्यक्ति की मौत, पुलिस जांच में जुटी
अतुल गर्ग—समीक्षा न्यूज
हापुड़। मामला जनपद हापुड़ के थाना देहात क्षेत्र के द्वारा फाटक पुल के पास का है जहां एक लगभग 27 वर्षीय व्यक्ति ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
इसी दौरान किसी व्यक्ति ने सेटिंग मैन अजय कुमार को व्यक्ति के ट्रेन 100/29 किमी. के आगे कूदने की सूचना दे दी सेटिंग मैंने तुरंत पुलिस को सूचना करदी सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस जांच पड़ताल में जुटी।
मृतक व्यक्ति की काफी प्रयास कराने के बाद भी कोई पहचान नहीं हो पाई व्यक्ति के दाहिने हाथ की कलाई के ऊपर एस.जे. लिखा हुआ है और बाजू पर एक बिच्छू का टैटू बना हुआ है फिलहाल पुलिस ने मृतक व्यक्ति को पीएम के लिए भेज दिया है।
फैक्ट्रियों में होगा शोधित पानी का उपयोग,भूजल दोहन पर लगेगा अंकुश
अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी: ट्रॉनिका सिटी क्षेत्र स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का शोधित पानी औद्योगिक इकाइयों को बेचा जाएगा। शोधित पानी का उपयोग औद्योगिक इकाइयां में पीने के अलावा अन्य कार्य में किया जाएगा। इकाइयों में भूजल का दोहन नहीं होने से भूजल स्तर सुधरेगा और उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) की आमदनी बढ़ेगी।
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के अधिशासी अभियंता जीडी शर्मा ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में संचालित इकाइयों से निकलने वाले पानी का शोधित करने के लिए पांच एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) एसटीपी प्लांट स्थापित है। एसटीपी प्लांट से प्रतिदिन 2.5 एमएलडी पानी शोधित होता है। उन्होंने बताया कि शोधित पानी का उपयोग करने के लिए डाइंग फैक्ट्रियां की यूनियन टेक्सटाइल डायर एसोसिएशन के पदाधिकारियों और फैक्ट्री संचालकों से वार्ता की गई। जिसमें करीब 15 से अधिक संचालक पानी खरीदने को तैयार हो गए। पानी का उपयोग पीने के अलावा अन्य कार्यो में किया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से शोधित पानी को बेचने की अनुमति मांगी गई। अधिकारियों ने पानी की जांच कर प्राधिकरण बेचने की अनुमति दे दी। उन्होंने बताया कि आला अधिकारियों को मामले से अवगत करा कर पाइप लाइन बिछाने की अनुमति मांगी गई है। अधिकारियों के निर्देश मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-जलदोहन न होने से सुधरेगा भूजल स्तर
शोधित पानी मिलने पर औद्योगिक क्षेत्र में जलदोहन नहीं होगा। जल संचयन से भूजल स्तर सुधरेगा। आने वाले समय में शोधित पानी से ग्रीन बेल्ट और पार्क में लगे वृक्षों की सिचाई की जाएगी। जिससे क्षेत्र में हरियाली बढ़ेगी और प्रदूषण कम होगा।
-आमदनी का जरिया बनेगा शोधित पानी
अधिशासी अभियंता ने बताया कि एसटीपी के शोधित पानी को बेचे जाने से क्षेत्र की सीवरेज की समस्या दूर होगी और प्राधिकरण की आमदनी बढ़ेगी। प्राधिकरण द्वारा आठ रुपये प्रति किलोलीटर पानी बेचा जाना तय हुआ है। शुरूआत में पानी के टैंकर द्वारा 1.5 एमएलडी पानी बेचा जाएगा। पानी बेचने से मिलने वाली राशि से प्लांट की देखरेख और संचालन किया जाएगा।
डाबर तालाब चौकी प्रभारी ने पत्रकार से की अभद्रता
अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। लोनी कोतवाली की चौकी प्रभारी डाबर तालाब अनुज कुमार ने लोनी पत्रकार प्रमोद मिश्रा से अभद्रता कर मां बहन की गालियां देकर चौकी से बाहर निकला तथा झूठे मुकदमे में जेल भेजने की धमकी दी।
एक लड़की को ससुरालियों ने जमकर मारा पीटा जिस पर चौकी इंचार्ज अनुज कुमार ने बजाए ससुरालियों को कुछ कहने के लड़की के बाप को ही चौकी में बैठाए रखा। उसके बाद बंद कर दिया। इस बात को लेकर लड़की का भाई पत्रकार से न्याय की गुहार लगाने आए।
पत्रकार ने चौकी इंचार्ज डाबर तालाब से कहा कि आप लड़की का मुकदमा क्यों नहीं लिख रहे इसका मेडिकल कराकर महिला थाने भेज दे। इस बात पर चौकी इंचार्ज ने कहा कि पत्रकार महोदय आप मामला दर्ज ना करवाकर, इनका समझौता करावा दो। जब पत्रकार प्रमोद मिश्रा के मना किया तो चौकी इंचार्ज ने गाली गलौच कर पत्रकार को बाहर भेजा दिया और झूठे मुकदमे में जेल भेजने की धमकी दी।
हिंदू संगठनों ने किया रोड एक्सीडेंट में मृत गौ माता का अंतिम संस्कार
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
मुरादनगर। मंगलवार गौ सेवक गुलशन राजपूत को सूचना मिली की दिल्ली मेरठ रोड नेशनल हाईवे 58 पर मुरादनगर असालत नगर ग्राम के सामने किसी अज्ञात तेज रफ्तार वाहन ने रोड पार कर रही गौ माता को जोरदार टक्कर मार दी है जिस कारण गौ माता की मौके पर ही मृत्यु हो गई सूचना पाकर गुलशन राजपूत अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और वहां जाकर पहले पुलिस को फोन करके जेसीबी मंगवाई उसके पश्चात गौमाता का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया इस मौके पर योगेंद्र चौधरी,अवी शर्मा, आशु चौधरी तन्नू आदि लोगों के साथ आई.टी.एस चौकी कांस्टेबल मनोज जी ने गौमाता का हिंदू रीति रिवाज अंतिम संस्कार किया।
साभार: गुलशन राजपूत
जन मानव उत्थान समित्ति ने सम्पूर्ण भारत मे मनाया बेटी दिवस
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। जन मानव उत्थान समित्ति के पूरे भारत से जुड़े पदाधिकारियो व सदस्यों ने बेटी दिवस पर बेटियों को गिफ्ट देकर सम्मानित किया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा के आवाहन पर जन मानव उत्थान समित्ति ने लाल कुआ स्थिति मलिन बस्तियों में बेटियों को स्वस्थ बेटी स्वच्छ भारत अभियान के तहत बेटियों को उन दिनों में कैसे स्वच्छ व स्वस्थ रहे यह जानकारी दी व सेनेट्री पैड , मास्क , सेनेटाइजर व खाद्य सामग्री वितरण की वही संस्था की मंडल अध्यक्ष बबिता चौधरी ने बेटियों को पाठ्य सामग्री वितरण की ।
संस्था के वरिष्ट पदाधिकारी एस पी सिंह ने नोएडा में बेटियों को कॉपी पेंसिल व बिस्किट वितरण किये । संस्था की दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष बरखा कौशिक ने बेटियों को मास्क वितरण किये संस्था के कलकत्ता जिला अध्यक्ष सोमेन शाह ने बेटियों को पाठ्य सामग्री , कॉपी पेंसिल वितरण किये संस्था के गुजरात के जिला अध्यक्ष कीर्ति भाई देसाई ने बेटियों को वस्त्र वितरण किये संस्था के हरियाणा के जिला अध्यक्ष रमेश कपूर ने बेटियों को मास्क व जूट चप्पल वितरण किये संस्था की हरिद्वार जिलाध्यक्ष मोहिनी राजपूत ने बेटियों को कॉपी पेंसिल व फल वितरण किये वही संस्था के राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु वैष्णव के नेतृत्व में राजस्थान के विभिन जिलों में बेटी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया
साभार: बबिता चौधरी मंडल अध्यक्ष जन मानव उत्थान समित्ति
Monday 21 September 2020
डीएम अजय शंकर पांडेय ने कलेक्ट्रेट के सभागार में की महत्वपूर्ण बैठक
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। जनपद में कोरोना को लेकर प्रत्येक क्षेत्र में लॉकडाउन खुलने के उपरांत जनपद की आर्थिक व्यवस्था पुनः पटरी पर लाने तथा अधिक से अधिक राजस्व वसूली करने के उद्देश्य से जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडेय ने आज कलेक्ट्रेट सभागार में प्रातः 10.00 बजे से वाणिज्य कर विभाग, परिवहन विभाग तथा अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के द्वारा की जा रही राजस्व वसूली की समीक्षा की। इस अवसर पर जिलाधिकारी गाजियाबाद ने वसूली बढ़ाने के कड़े निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने इस अवसर पर वाणिज्य कर विभाग की राजस्व वसूली की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि समस्त विभागीय अधिकारियों के द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप राजस्व वसूली सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जाए ताकि सरकार को अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। उन्होंने वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि जिनके द्वारा जीएसटी कर की चोरी की जा रही है इसके लिए विशेष अभियान संचालित करते हुए अधिक से अधिक जीएसटी राजस्व कोष में जमा कराने की कार्यवाही विभागीय अधिकारी सुनिश्चित करेंगे। जिलाधिकारी ने परिवहन विभाग के राजस्व वसूली की समीक्षा करते हुए कहा कि जिनके द्वारा धनराशि जमा नहीं कराई जा रही है अभियान चलाकर संबंधित की समस्त आर सी काटने की निर्देश दिए जिस पर परिवहन विभाग के अधिकारी ने बताया कि 15 दिन में विभाग ने 9 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। उन्होंने जिलाधिकारी को बताया कि इस माह के अंत में समस्त वसूली कर ली जाएगी। जिलाधिकारी ने तहसीलदार सदर प्रवर्धन शर्मा को निर्देशित करते हुए कहा कि वसूली अधिक से अधिक की जाए। उन्होंने कहा कि इस माह के अंत में शत प्रतिशत वसूली का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होना चाहिए। जिलाधिकारी ने राजस्व प्राप्ति से जुड़े हुए समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया सभी अधिकारी गण राजस्व वसूली के कार्य में पूर्ण क्षमता के साथ जुट जाएं इस कार्य में किसी भी स्तर की शिथिलता क्षम्य नहीं होगी और किसी प्रकार का बहाना भी नहीं चलेगा। अतः राजस्व प्राप्ति से जुड़े हुए समस्त अधिकारीगण जनपद की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से अधिक से अधिक राजस्व वसूली सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है कि संबंधित विभाग अधिक से अधिक वसूली करें।जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने अपर जिला अधिकारी वित्त एवं राजस्व यशवर्धन श्रीवास्तव को निर्देशित करते हुए कहा कि जिस विभाग की वसूली लंबित है उसकी सूची बनायी जाए और उनको साप्ताहिक लक्ष्य दिया जाए उस लक्ष्य के अनुसार वसूली करवाएं। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व यशवर्धन श्रीवास्तव तहसीलदार सदर प्रवर्तन शर्मा आदि अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
साभार: राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी गाजियाबाद।
माता पिता की सेवा से ही सन्तान का जीवन सुखी व सफल होता है
हम इस संसार में माता-पिता के द्वारा जन्म प्राप्त पर यहां आये हैं। यदि हमारे माता-पिता न होते तो हमारा जन्म नहीं हो सकता था। हमारे जन्म की जो प्रक्रिया है उसमें हमारे माता-पिता को अनके प्रकार के कष्ट उठाने तथा पुरुषार्थ करने पड़ते हैं। यह ऐसा कार्य है कि जो कोई किसी दूसरे के लिये नहीं करता व कर सकता है। हमारा जन्म पूर्वजन्म में मनुष्य या किसी अन्य योनि में मृत्यु होने के पश्चात अपने कर्माशय को भोगने के लिये होता है। ईश्वर का विधान है कि मृत्यु होने पर जीवात्मा पुराना शरीर त्याग कर सूक्ष्म शरीर सहित शरीर से बाहर आ जाती है और जन्म प्राप्ति हेतु ईश्वर की प्रेरणा से अपने कर्माशय के योग्य माता-पिता के शरीरों में मनुष्यादि किसी योनि में ईश्वर की प्रेरणा से प्रवेश करती है वा माता के गर्भ में स्थित होती है। माता को अपनी सन्तान की रक्षा में अनेक प्रयत्न करने पड़ते हैं जिससे स्वस्थ शिशु का जन्म हो सके। यदि माता से कोई असावधानी हो जाये तो इससे भावी सन्तान को अनेक प्रकार की हानियां हो सकती हैं। दस मास गर्भ में रहकर मनुष्य का जन्म शिशु के रूप में होता है। नवजात शिशु रोने के अलावा अपना कुछ काम नहीं कर सकता। माता को अपनी सन्तान की आवश्यकताओं का ज्ञान होता है। वह उसे दुग्धपान कराने सहित उसको स्नान व निद्रा कराके उसका पोषण आदि करती है। उसका मल-मूल साफ करती है तथा अनेकानेक विघ्नों से उसकी रक्षा करती है।
दस माह तक अपने गर्भ में रखकर अपनी सन्तान को रखने से माता को अनेकानेक कष्ट उठाने पड़ते हैं जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। यह सब मातायें अपनी सन्तान के सुख व उन्नति के लिये करती हंै। उसके बाद भी सन्तान की शिक्षा, रक्षा व पालन पोषण करने में माता को विशेष ध्यान देना पड़ता है। वर्षों तक की माता-पिता की तपस्या के बाद सन्तानें कुछ ज्ञान व धनोपार्जन का कार्य करने में समर्थ होती हैं। ऐसा करते हुए माता-पिता की आयु बढ़ती जाती है और वह प्रौढ़ व वृद्ध हो जाते हैं। उनके जीवन का युवावस्था का स्वर्णिम समय सन्तान की रक्षा, पालन पोषण व उनकी शिक्षा-दीक्षा में ही व्यतीत हो जाता है। आयु बढ़ने के साथ माता पिता के शरीर भी बलहीन होते जाते हैं और आजकल अनेक रोग भी कुछ माता-पिताओं को हो जाते हैं। प्रौढ़ व रुग्ण अवस्था में उनको अपने युवा सन्तानों की सहायता व सेवा की आवश्यकता पड़ती है। यह सहायता व सेवा सन्तान का भी कर्तव्य व धर्म होता है। प्राचीन काल से हमारे देश में वैदिक संस्कारों का प्रचलन रहा है। सब देशवासी संयुक्त परिवार में रहते थे और किसी को किसी प्रकार का कष्ट व दुःख होने पर एक दूसरे की सेवा करते थे। सन्तानें भी अपने माता-पिता की सेवा को अपना मुख्य धर्म व कर्तव्य समझती थीं परन्तु देश की आजादी के बाद देश मंग जो अंग्रेजी व स्कूली शिक्षा को लाया गया उससे सन्तानों में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा भी देखने को मिलती है। आजकल सन्तानें माता-पिता की वह सेवा नहीं कर पाती जैसी कि उनसे अपेक्षा की जाती है। जो कुछ करती हैं वह धन्य हैं और जो नहीं करती उन्हें अपने आचार व विचारों में सुधार करना चाहिये।
जो सन्तानें वर्तमान समय में अपने माता-पिता की सेवा व सहायता की उपेक्षा करती हैं, उनसे अच्छा व्यवहार नहीं करतीं, उन्हें याद रखना चाहिये कि भविष्य में उन्हें भी माता-पिता बनना है और उनके साथ भी वैसा कुछ हो सकता है जैसा कि वह अपने माता-पिता आदि की उपेक्षा करके करते हैं। अतः संतानों को आरम्भ से ही उनके कर्तव्यों का बोध घरेलु व स्कूली शिक्षा में कराया जाना आवश्यक है। यदि उन्हें माता-पिता की सेवा विषयक संस्कार नहीं दिये जायेंगे तो बड़े होने पर कुछ कानून आदि बनाकर भी उनसे सेवा नहीं कराई जा सकती। जो सन्तानें अपने माता पिता की सेवा के स्थान पर उनकी उपेक्षा करती ह,ैं उनसे माता-पिता को सामथ्र्यवान होते हुए भी अनेक प्रकार के क्लेश होते हैं जिससे उनका जीवन चिन्ताओं व कष्टों में व्यतीत होता है। अतः धर्म व समाज शास्त्रियों को इस समस्या पर विचार कर उसके निवारण में कार्य करना चाहिये जिससे प्रौढ़ व वृद्धावस्था में माता-पिता सुख का जीवन व्यतीत कर सकें।
वैदिक धर्म एवं संस्कृति संसार की सबसे प्राचीन वा आदि संस्कृति है। वैदिक धर्म का प्रादुर्भाव ईश्वरीय ज्ञान वेदों से हुआ है। वेदों में माता, पिता तथा आचार्य को देवता कहा गया है। देवता वह होता है जो अनायास, बिना किसी प्रत्युपकार की भावना से दूसरों को कुछ न कुछ देता है। जड़ देवताओं पर विचार करें तो अग्नि, वायु, जल, अन्न, भूमि, गो आदि पशुओं से हमारा जीवन चलता है। यदि यह पदार्थ न हों तो हम जीवित नहीं रह सकते। इस लिये वेदों में इन सब पदार्थों को जिनसे हमें सुख प्राप्ति व पोषण होता है, देवता कहा जाता है। जड़ देवताओं के अतिरिक्त चेतन देवताओं में परमात्मा के बाद माता, पिता तथा आचार्य आदि का स्थान आता है। जीवित देवताओं में सन्तानों के सर्वाधिक पूजनीय, आदरणीय व आज्ञाओं का पालन करने योग्य माता, पिता व आचार्यों का स्थान होता है। मनुस्मृति के एक श्लोक में कहा गया है कि जहां नारियों वा माताओं के प्रति सद्व्यवहार होता है, वहां नारियां प्रसन्न व सन्तुष्ट रहती हैं तथा वहां उन परिवारों में सन्तान के रूप में देवता निवास करते हैं। यह देवता बचपन से ही देव बनकर आजीवन वृद्धावस्था पर्यन्त भी देव बने रहते हैं। अतः नारी जाति को वैदिक शिक्षाओं से युक्त, धर्म पारायणा तथा अपने कर्तव्यों के पालन में सजग व जागरुक रहना आवश्यक होता है। तभी वह गरिमा को प्राप्त हो सकती हैं।
वेदों की एक अत्यन्त उपादेय शिक्षा है कि भाई को भाई से, बहिन को बहिन से तथा भाई व बहिनों को भी परस्पर द्वेष भाव नहीं रखना चाहिये। सब भाई बहिन आपस में मित्रवत् प्रेम व स्नेह के व्यवहार से आबद्ध रहें। ऐसा करने पर ही मनुष्य व परिवार की उन्नति व सुखों में वृद्धि होती है। इस बात को सिद्धान्त रूप में प्रत्येक मनुष्य स्वीकार करता है परन्तु यह व्यवहार में देखने में नहीं आतीं। इसका कारण यही प्रतीत होता है कि मनुष्यों को अपने वैदिक कर्तव्यों व उनके महत्व का ज्ञान नहीं है। यदि ऐसा हो और वह इनका अवश्य पालन करें जिससे मनुष्य जीवन से अनेक दुःखों का निवारण हो सकता है। इस अभाव को दूर करने के लिये हमें सबसे अच्छा उपाय यही लगता है कि सभी आर्य व हिन्दू परिवारों में सत्यार्थप्रकाश, वेद, उपनिषद, दर्शन, विशुद्ध मनुस्मृति, चतुर्वेद भाष्य तथा आर्य विद्वानों के वेद विषयक व्याख्या ग्रन्थों की प्रतिष्ठा होनी चाहिये। सबको नियमित एक से दो घण्टे इन ग्रन्थों का स्वाध्याय करना चाहिये और आर्यसमाज के सत्संगों में भी सबको जाना चाहिये जहां वैदिक विद्वानों के जीवन के उत्थान व देश की उन्नति के उपदेश होते हैं। सत्पुरुषों वा ज्ञानियों की संगति से मनुष्य को अकथित लाभ होता है। इससे अज्ञानी व निरक्षर मनुष्य भी प्रेरणा ग्रहण कर उच्च कोटि का विद्वान बन सकता है। हमने यहां तक पढ़ा है कि श्मशान घाट में काम करने वाला एक बालक गुरुकुल के आचार्य के सम्पर्क में आकर कालान्तर में बहुत बड़ा विद्वान बन गया जिसकी संगति करने में विद्वान लोग भी अपना गौरव समझते थे। अतः न केवल माता-पिता की सेवा एवं कृतघ्नता से बचने के लिये स्वाध्याय व सत्संग की आवश्यकता है वहीं जीवन का सर्वविध कल्याण करने के लिये भी स्वाध्याय व सत्संग सहित ईश्वरोपासना आदि पंच महायज्ञों का किया जाना आवश्यक सिद्ध होता है।
माता-पिता की आदर्श सेवा का उदाहरण हमें बाल्मीकि रामायण ग्रन्थ का अध्ययन करने से भी मिलता है। राम वैदिक धर्म व संस्कृति के मूर्तरूप थे। उन्होंने वैदिक धर्म की शिक्षाओं को आत्मसात किया था। वह प्रातः व सायं अपनी सभी माताओं व पिता की चरण वन्दना व उनका सत्कार किया करते थे। उनका आचरण व व्यवहार आदर्श व्यवहार था। उन्होंने जीवन में अपने पिता व किसी माता को अपने किसी व्यवहार से शिकायत व आलोचना का अवसर नहीं दिया। इस कर्तव्य परायणता के लिये उन्हें अनेक कष्ट भी उठाने पड़े जिन्हें उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। पिता के वचनों का पालन करने तथा माता कैकेयी को सन्तुष्ट करने के लिये ही उन्होंने चैदह वर्ष वन में साधु वेश में रहना स्वीकार किया था। उन्होंने सहर्ष अपने छोटे भाई भरत को अपना राज्य प्रदान किया था जिसके वह स्वयं अधिकारी थे और प्रजा व भाई भी उनको ही राजा के रूप में देखना चाहते थे। ऐसा उदाहरण विश्व के इतिहास में मिलना असम्भव है। राम के द्वारा अपने पिता को कहे यह वचन सुनकर तो उनके प्रति श्रद्धा कई गुणा बढ़ जाती है जब वह पिता को कहते हैं कि आप मुझे अपने दुःख का कारण बताईये। यदि आप कहेंगे तो मैं बिना सोचे विचारे जलती हुई चिता में भी कूद कर अपने प्राण दे सकता हूं। क्या इससे बड़ा अपने पिता को सुख देने वाला सर्वस्व त्याग का उदाहरण कहीं मिल सकता है? जो सन्तानें अपने माता-पिता की सेवा-शुश्रुषा से दूर हैं, उन्हें अवश्य ही रामायण व इस प्रकार के उदाहरणों पर ध्यान देना चाहिये। माता-पिता ने उनके पालन पोषण में दुःख सहन किये हैं उन पर भी सन्तानों को विचार करना चाहियें।
आज के समाज में हम देखते हैं कि शिक्षा व संगति के कारण सन्तानों वा युवा पीढ़ी को माता-पिता के प्रति अपने कर्तव्यों का यथोचित ज्ञान नहीं है। वह प्रायः स्वच्छन्द जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। ऐसा सोचना व करना भारतीय वैदिक संस्कृति के सर्वथा विपरीत तथा भोगवादी पश्चिमी संस्कृति की देन है। ऐसा करना जीवन के उत्तर काल में अवश्य दुःख वा क्लेश देता है। अतः हमें अपनी संस्कृति पर पुनः लौटने की आवश्यकता है। हमने अनेक परिवारों में वृद्ध माता-पिताओं से उनके सन्तान-मोह व सन्तानों के माता-पिता के प्रति अप्रिय व्यवहार के कृत्यों को देखा, सुना व अनुभव किया है। इसी कारण हमने इस लेख की इन पंक्तियों को लिखा है। लेख को समाप्त करने से पूर्व हम महाभारत में यक्ष के प्रश्नों के उत्तर में कहे गये युधिष्ठिर जी के वचनों को उद्धृत करना चाहिते हैं। राजा युधिष्ठिर में यक्ष को कहा था कि माता पृथिवी से भारी है। पिता आकाश से भी ऊंचा है। मन वायु से भी अधिक तीव्रगामी है और चिन्ता तिनकों से भी अधिक असीम विस्तृत व अनन्त है। युधिष्ठिर के वचन हैं ‘माता गुरुतरा भूमेः पिता चोच्चतरं च खात्।’ शास्त्र माता को सन्तान की निर्माता बताते हैं। महाराज मनु ने कहा है कि दस उपाध्यायों से एक आचार्य, सौ आचार्यों की अपेक्षा एक पिता और हजार पिताओं की अपेक्षा एक माता गौरव में अधिक वा बड़ी है। वैदिक संस्कृति में प्रति दिन जीवित माता-पिताओं की पूजा व सेवा-सुश्रुषा करने का विधान है। हमने इन श्रेष्ठ परम्पराओं को छोड़कर अपनी भारी क्षति व परजन्म के सुखों का नाश किया है। हमें पुनः वैदिक धर्म व संस्कृति को प्रवृत्त कर जन्म व परजन्म में होनेवाली हानियों से बचना चाहिये।
-मनमोहन कुमार आर्य
विजय जुलूस निकालनें पर 5 नामदर्ज सहित अन्य पर मुकदमा दर्ज
अतुल त्यागी—समीक्षा न्यूज
हापुड़। थाना देहात के गांव में एक मैंच के जीतनें के बाद कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जानलेवा विजय जुलूस निकालनें पर पांच युवकों सहित अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया हैं।
सीओ सिटी ने बताया कि एक मैंच के जीतनें के बाद युवकों द्वारा बाईकों व गाड़ियों में निकाला गया विजय जुलूस में शामिल पांच युवकों को नामदर्ज व अन्य अज्ञात के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया हैं।
उल्लेखनीय हैं कि हापुड़ के गांव असौड़ा में कुछ दिनों से मैच चल रहा है।जिसका फाइनल मैच रविवार को असौड़ा की टीम जीती।इसी का विजय जुलूस गांव के लोगों ने निकाला। किसी को भी कोरोना का खौफ नहीं था। गांव सरावा से लेकर असौड़ा तक गाड़ियों की छत पर बैठकर अपनी जान जोखिम में डालकर युवकों ने सड़क पर तांडव मचाया। किसी के मुंह पर मार्क्स तक नहीं था करीब जुलूस में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए। ना तो इस जुलूस की किसी से परमिशन ली गई। और गांव के अंदर ही कई दिनों से मैच चल रहा था पुलिस को इस बात की भनक तक नहीं लगी। युवक गाड़ियों की छत पर बैठकर हुड़दंग मचा रहे थे,जिसका वीड़ियों भी वायरल.हो गया था।
राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना द्वारा मीटिंग का आयोजन
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। वार्ड संख्या 267। 59ई नेहरू विहार करावल नगर दिल्ली में राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना द्वारा मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि सुरेंद्र सिंह चंदेल राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे उन्होंने बताया की सरकार द्वारा कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं दिया जाता तो सम्मान करने की बात तो बहुत दूर है इसलिए हमारे संगठन में एक संकल्प लिया है की जो हमारे सफाई कर्मी निगम सेवा देश सेवा समाज सेवा करते हुए कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और आज कोरोना जंग करके हमारे बीच में मौजूद हैं ऐसे योद्धाओं का हमारा संगठन कोरोना योद्धा सम्मान पत्र देकर सम्मानित करता है उनका हौसला अफजाई करता है ऐसे ही आज बच्चन सिंह जी जो करोना से युद्ध कर के आए हैं उनका हम कोरोना योद्धा पत्र देकर सम्मान करते हैं इस अवसर पर उपस्थित कर्मचारियों ने सेना के पदाधिकारियों का फूल माला बनाकर जोरदार स्वागत किया और श्री बच्चन जी ने कहा कि जहां सरकार हमारी मूलभूत सुविधाओं की तरफ भी ध्यान नहीं देती है हमें समय पर वेतन भी नहीं दिया जाता परमानेंट नहीं किया जाता कैशलेस कार्ड भी नहीं है हमारे पास जिससे हम लोग अपना और अपने परिवार का इलाज करा सकें लेकिन सेना द्वारा जो आज हमारा सम्मान करके हौसला बढ़ाया गया है हम सभी कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चंदेल जी, संजय चंदेल महामंत्री,जी का स्वागत करते हैं धन्यवाद करते हैं इस अवसर पर मांग की गई की सरकार
कच्चे कर्मचारियों को तुरंत नियमत करें
कैशलेस कार्ड बनाकर दिया जाए
जो कर्मचारी निमित्त हो गए हैं उनका बकाया भुगतान किया जाए
जो कर्मचारी कोरोनावायरस के चलते वीरगति को प्राप्त हो गए हैं उनको हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं दिल्ली सरकार उनको 10000000 रुपए केंद्र सरकार 5000000की आर्थिक सहायता दे घोषणा अनुसार
कार्यक्रम का संचालक संजय चंदेल महामंत्री जी ने किया इस मौके मौजूद रहे जगदीश चंदेल उपाध्याय
बचन सिंह मुख्य सलाहकार
चंद्रपाल चौहान शाहदरा उत्तरी क्षेत्र
संजय चंदेल महामंत्री
खेमचंद चंडालिया उपाध्यक्ष
अनिल कुमार, राधा किशन , मुकेश चंडालिया
मामचंद विनोद मोहनलाल घसीटासिंह
मंगल सेन प्रीतम विनोद संजय जगमोहन मनोज सुभाष एसआई हरि ओम सभी साथियों ने सेना में आस्था जताई
जिला स्काउट एवं गाइड के नेतृत्व में मनाया अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गौतमबुद्ध नगर। जिला मुख्य आयुक्त डॉ राकेश राठी, जिला स्काउट कमीश्नर विजेंद्र सिंह, जिला गाइड कमीश्नर मिथलेश गौतम, जिला सचिव शिवकुमार शर्मा, जिला स्काउट संगठन आयुक्त शिवकुमार,जिला गाइड संगठन आयुक्त शैफाली गौतम, जिला प्रशिक्षण आयुक्त राजकुमार शर्मा,सैंट हुड कॉन्वेंट स्कूल प्रधानाचार्या, डॉ आशा शर्मा, नोएडा एजुकेशन अकादमी प्रधानाचार्या दीपा भट्ट, गाइड कैप्टन हेमलता शिशौदिया, जूनियर हाईस्कूल स्काउट मास्टर कृष्ण कुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे । अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर पर स्काउट गाइड के छात्रों से वृक्षारोपण कार्यक्रम, स्काउट की शपथ दिलाते हुए देश के प्रति सेवा भाव के लिए प्रेरित किया । इस अवसर पर विद्यार्थियों ने विश्व शांति से संबंधित अपने विचारों को गीत एवं भाषण के माध्यम से प्रस्तुत किया ऑनलाइन कार्यक्रम में मांगें राम,चरन सिंह, विनीत कुमार रावत, डा. सारिका गोयल,पारुल उपाध्याय अशोक, गीता आदि उपस्थित रहे।
वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य व विश्व शांति दिवस पर गोष्ठी संम्पन्न
पौष्टिक आहार के सेवन से रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास सम्भव -डॉ श्रुति (कैलाश अस्पताल,नोएडा)
विश्व शांति के लिए भारत का मजबूत होना आवश्यक-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में 'वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य व विश्व शांति दिवस" पर ऑनलाइन गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई व विश्व शांति दिवस पर सर्वे भवन्तु सुखिनः सबके मंगल की कामना की गई।यह उल्लेखनीय है कि विश्व शांति दिवस वर्ष 1982 से शुरू होकर 2001 तक सितम्बर महीने का तीसरा मंगलवार 'अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस' या 'विश्व शांति दिवस' के लिए चुना जाता था, लेकिन वर्ष 2002 से इसके लिए 21 सितम्बर का दिन घोषित कर दिया गया।कोरोना काल में परिषद का यह 92वां वेबिनार था।
डॉ श्रुति (कैलाश अस्पताल, नोएडा) ने कहा कि बढ़ती आयु में महिलाओं को रोज कम से कम 1 ग्राम कैल्शियम और 400 से 800 आईयू विटामिन डी की जरूरत होती है और उनकी ये कमी आहारों से पूरी हो सकती है।महिलाओं को फ्लैक्स सीड्स, रागी,छोले,चिया सीड,अलसी के बीज,दूध,दही,पनीर,आंवला, डेयरी प्रोडक्ट्स,चुकंदर,गाजर, अनार,अंजीर आदि को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।कैल्शियम की दवाइयों को भी दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है। 40 वर्ष की आयु के बाद समय समय पर आंखों की जांच,ब्लड प्रेशर,थाइराइड,शुगर आदि की जाँच कराते रहना चाहिए।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि व्यायाम जीवन का आवश्यक अंग है प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को नित्य व्यायाम करना चाहिए जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहे।उन्होंने कहा कि आज विश्व शांति दिवस है वेद के मंत्र सर्वे भवन्तु सुखिनः सबके कल्याण की मंगल कामना व विश्व शान्ति का संदेश देते हैं लेकिन शान्ति तभी हो सकती है जब भारत शक्तिशाली बन कर विश्व का नेतृत्व करे।
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ करुणा चांदना (डायटीशियन) ने कहा कि सन्तुलित आहार लेने से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है हमें भोजन में हरी सब्जियां,दूध,पनीर आदि का सेवन करना चाहिए।तनाव के कारण लिबिडो कम होता है और हमारी आयु अधिक बढ़ी हुई लगती है।तनाव की समस्या से बचने के लिए नियमित प्राणायाम व योग करना चाहिए।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि योग लोगों में ऊर्जा की मात्रा बढ़ाने व वजन कम करने में सहायक है।अगर हम नियमित योगासन करते हैं तो बढ़ती आयु का प्रभाव दिखाई नहीं देगा।
योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि रात के खाने और नाश्ते के खाने के बीच 8 से 9 घंटे का अंतर होता है और ऐसे में सुबह उठने के बाद शरीर को जरूर कुछ न कुछ चाहिए होता है।इसलिए हमें सुबह उठकर भरपेट नाश्ता करना चाहिए,इससे हमारा मेटाबॉलिज़्म रेट बढ़ेगा।साथ ही दिनभर के क्रियाकलापों को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
गायिका वीना वोहरा,उर्मिला आर्या,डॉ रचना चावला,संध्या पाण्डेय,ईश्वर आर्या,देवेन्द्र गुप्ता, पुष्पा शास्त्री,सुषमा बुद्धिराजा, मृदुला अग्रवाल,सुलोचना देवी, विजय पाहुजा आदि ने गीत सुनाये।
आचार्य महेन्द्र भाई,देवेन्द्र भगत,डॉ सुषमा आर्या,अनुपम आर्य,आदर्श सहगल,राजश्री यादव,यशोवीर आर्य,सुरेन्द्र शास्त्री,नरेश प्रसाद,नित्यानंद आर्य (असम) आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य,
पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर ने किया गली का उद्घाटन
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। वार्ड 8 नेहरू नगर स्थित कुरेशी मार्केट में आरसीसी गली का उद्घाटन किया गया जोकि कुरेशी मार्केट और अंबेडकर रोड को जोड़ती है गली का उद्घाटन पूर्व सांसद श्री रमेश चंद तोमर जी के कर कमलों द्वारा किया गया साथ में पार्षद राजेंद्र तितोरिया वरिष्ठ भाजपा नेता कृष्ण वीर सिंह चौधरी क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी किसान मोर्चा सौरभ जायसवाल सोनू सिंघल कर्मवीर चौधरी मोहित जायसवाल पंकज शर्मा एवं स्थानीय लोग मौजूद रहे
साभार: सौरभ जायसवाल
रोटरी गाजियाबाद नार्थ क्लब ने जगन्नाथ कैंसर चैरिटेबल हॉस्पिटल में दिया पेप वेंटिलेटर मशीन
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। रोटरी गाजियाबाद नार्थ क्लब द्वारा जगन्नाथ कैंसर चैरिटेबल हॉस्पिटल मैं आधुनिक बाइ पेप वेंटिलेटर मशीन दी जिसकी कीमत लगभग 3 लाख की है इससे कैंसर पेशेंट को बहुत ही लाभ मिलेगा। इस अवसर पर हॉस्पिटल के चेयरमैन श्री भटनागर जी क्लब अध्यक्ष रजत गुप्ता क्लब सचिव सचिन गुप्ता अनिल गुप्ता;राजीव वशिष्ठ,डॉ ग्रोवर,डॉ,पुनीत,सुधीर पाठक रोटेरियन सुधीर गोयल मोनू और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे मुख्य अतिथि के रूप में रोटरी के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर श्री आलोक गुप्ता जी ने मशीन को विधिवत रूप से अस्पताल को सौंपा ।
साभार: सौरभ जायसवाल
Sunday 20 September 2020
हिन्दू जागरण मंच की आवश्यक बैठक आयोजित
समीक्षा न्यूज नेटवर्क
लोनी। हिन्दू जागरण मंच जिला गाज़ियाबाद की बेठक लोनी मे सम्पन्न हुई जिस मे जिले मे चर्म सीमा पर लव जिहाद जिस मे लोनी अभी जल्द मे हुई घटनाओ पर चर्चा हुई जिस मे संजय सिंह जिला उपाध्यक्ष ने कहा लोनी मे मुक्य रुप से जो घटना हुई है उनसे समाज मे आक्रोश पेदा हो रहा है अत: प्रसासन इस पर ध्यान दे जिलाध्यक्ष पवन चौधरी ने कहा हाल मे जो घटना राम पार्क मे हुई है वो कही न कही प्रसासन की ना कामयाबी है प्रसासन इस पे ध्यान दे अन्यथा हिन्दू जागरण मंच जिला गाज़ियाबाद बडे अन्दोलन के लिये मजबूर हो जायेगा सुरेन्द सिंह धाकड़ जिला उपाध्यक्ष ने कहा हिन्दू समाज मे जागृति की जरूरत है जिससे इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके बेठक मे मुक्य रुप से नितिन शर्मा अनुराग शर्मा सुनीता प्रम पाल वर्मा अनिल गुप्ता राजेश राय अनिल प्रभात नीतू राठौर आदि सेकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
साभार—नितिन शर्मा
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