Sunday 27 September 2020

लोनी का सर्वांगीण विकास है एकमात्र लक्ष्य: विधायक नंदकिशोर गुर्जर


प्रमोद मिश्रा
लोनी। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने रविवार को लगभग 1 कऱोड 57 लाख से अधिक के विकास कार्यों का सकलपुरा, पाबी में गढ़ी जस्सी से गढ़ी शब्लू मार्ग और फारुख नगर-सिरोरा मार्ग का शिलान्यास और उद्घटान कर लोनी की जनता को विकास कार्य की सौगात दी। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि कॉरोना काल में भी लोनी में विकास की गति नहीं रुकी है इसके लिए मैं प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह जी का आभार व्यक्त करता हूँ।  इस दौरान स्थानीय लोगों ने सड़क निर्माण और शिलान्यास कार्य पर खुशी जताई और विधायक का आभार जताते हुए कहा कि मार्ग निर्माण की काफी समय से मांग थी लेकिन आज इसका निर्माण और शिलान्यास होना हमारे लिए खुशी की बात है। इस दौरान विधायक ने स्थानीय निवासियों की समस्याओं को भी सुना और निस्तारण किया।
"1 कऱोड 57 लाख से अधिक के विकास कार्यों से लोनी के विकास को लगेंगे पंख, लाखों लोगों को पहुंचेगा फायदा"
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने विकास कार्यों का उद्घाटन  करने के बाद कहा कि आज बहुप्रतीक्षित और लोनी के लाखों लोगों के आवागमन को सुगम बनाने के लिए 1 कऱोड 2 लाख से अधिक की लागत से पाबी में गढ़ी जस्सी से गढ़ी शब्लू मार्ग के नवनिर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया है।  फारुख नगर से सिरोरा मार्ग के 3.70 किलोमीटर हिस्से के नवीनीकरण कार्य का शिलान्यास 35 लाख से किया गया।  वहीं 20 लाख की लागत से सकलपुरा मार्ग के सी.सी रोड़ निर्माण कार्य संपन्न होने पर जनता को समर्पित किया गया है। इन मार्गों के निर्माण से क्षेत्र की लाखों जनता का दैनिक आवागमन सुगम होगा तो क्षेत्र के विकास को भी अभूतपूर्व गति मिलेगी।
"कॉरोना काल में भी नहीं रुका लोनी के विकास का पहिया, क्षेत्र का सर्वांगीण विकास है एकमात्र लक्ष्य":
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि कॉरोना काल के बावजूद आज लोनी के विकास की गति धीमी जरूर हुई है लेकिन प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, लोक निर्माण मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह जी के विशेष आशीर्वाद और लगातार विभागों का सामंजस्य बिठाकर प्रयासरत रहने के कारण ठप नहीं हुई है। मौजूदा समय में भी मेरे आग्रह पर लगातार क्षेत्र के विकास के लिए धन आवंटित होना बताता है कि वर्षों से विकास कार्यों में उपेक्षित रखी गई लोनी का विकास आज प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है।



हमारा एकमात्र लक्ष्य है कि हमारी लोनी आने वाले समय में एक आदर्श विधानसभा बनें जिसके लिए हम लगातार प्रयासरत है।आज लोनी की चर्चा पूरे प्रदेश भर में हो रही है क्योंकि हमने शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, सड़क, पानी, कानून व्यवस्था हर क्षेत्र में पिछले 3 सालों में वो कर दिखाया है जो आजतक किसी ने करने की कोशिश नहीं की। उपस्थित लोगों ने दिल्ली सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के नवनिर्माण कार्य शुरू होने पर विधायक का धन्यवाद किया। विधायक ने बताया कि जलनिकासी के लिए लगातार सदन से लेकर लखनऊ-दिल्ली और जल निगम के अधिकारियों के साथ बैठक जारी है और सर्वे का शुरू हो चुका है। बेहटा नहर के पक्कीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए 11 कऱोड की डीपीआर शासन को प्रेषित कर दी गई है। जल्द लोनी एनसीआर की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा होगी। इस दौरान विधायक ने पीडब्ल्यूडी के एक्सन, अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग लगातार हमारे द्वारा दिये गए क्षेत्र के विकास कार्यों को तरजीह दे रहे है और पूरे मनोयोग से लोनी के विकास के लिए जुटे हुए है।
वहीं विधायक प्रतिनिधि पण्डित ललित शर्मा ने लोगों को पिछले 3 वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में किये गए विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।
इस दौरान पीडब्ल्यूडी विभाग के सहायक अभियंता एसके सारस्वत, अवर अभियंता गुलाब सिंह भाटी-कर्मेन्द्र-नकुल कौशिक और स्थानीय कर्मवीर प्रधान, सुरेंद्र मास्टर, भोपाल सिंह प्रधान, बाबू राम प्रधान, सभासद अनिल, योगेंद्र, श्री प्रताप, राजा, अनिल, सुखबीर, रामदेव मास्टर, एडवोकेट विजय कसाना, चंद्रशेखर प्रधान, विजेंदर गुरु, तेजी, विजयपाल, रजनीश बंसल, वेदराम आदि लोगों ने भाग लिया


हमें अपना जीवन तथा सुख व दुःख सृष्टिकर्ता ईश्वर से मिलते हैं


हम मनुष्य कहलाते हैं। हमारा जन्म हमारे माता-पिता की देन होता है। माता-पिता को हमें जन्म देने व पालन करने में अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं। यदि हमारे माता-पिता यह सब न करते तो हमारा न जन्म होता और यदि जन्म होता भी तो हम स्वस्थ, बुद्धिमान व ज्ञानवान न बनते। हमारे माता-पिता ने ही हमें योग्य गुरुओं व विद्यालयों में भेजकर हमारी बुद्धि का अन्धकार दूर कर हमें ज्ञान से आलोकित किया है। इस कारण सभी मनुष्य अपने-अपने माता-पिता के उपकारों से उनके ऋणी होते हैं। यह ऋण कोई भी सन्तान कभी नहीं उतार सकती। हमारे माता-पिता सन्तान को जन्म देने के लिये अपने सुख-सुविधाओं का त्याग अवश्य करते हैं, इस कारण वह पूजनीय व वन्दनीय है, परन्तु कोई माता-पिता मानव शरीर की उत्पत्ति का ज्ञान नहीं रखता। मानव शरीर की रचना व उत्पत्ति तो सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनन्त बार इस सृष्टि को रच चुके ईश्वर द्वारा ही की जाती है। निराकार, सर्वव्यापक तथा सर्वातिसूक्ष्म होने से वह भौतिक आंखों से दिखाई नहीं देता परन्तु उसकी रचना का दर्शन व उसके स्वरूप का गहन चिन्तन-मनन ही उसके गुण, कर्म व स्वभाव का दर्शन कराता है। इससे ज्ञात होता है कि हमारे शरीर में विद्यमान सूक्ष्म, एकदेशी, ससीम व चेतन तत्व जीवात्मा को सशरीर जन्म देने वाला व उसकी आवश्यकता की सभी वस्तुओं को इस सृष्टि को रच कर इसमें निरन्तर उत्पन्न करने वाला एकमेव परमात्मा ही है। हमें उसे यथार्थरूप में जानने का प्रयत्न करना चाहिये और उसके उपकारों के प्रति नियमित रूप से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उसकी उपासना करनी चाहिये। 
इस सृष्टि के कर्ता ईश्वर को बिना वेद ज्ञान व वैदिक साहित्य के अध्ययन के नहीं जाना जा सकता। वेद, उपनिषद, दर्शन, मनुस्मृति, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, आर्याभिविनय आदि ग्रन्थों का अध्ययन करने से ईश्वर को यथार्थरूप में जाना जाता है। सृष्टि के आदि काल में भी अमैथुनी सृष्टि में हमारे ऋषियों व इतर मनुष्यों ने परमात्मा प्रदत्त वेदज्ञान के द्वारा ही ईश्वर, जीवात्मा व सृष्टि सहित अपने कर्तव्यों व संसार के विभिन्न पक्षों व रहस्यों को जाना था। संसार में ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। ज्ञान अनन्त है। मनुष्य अपने जीवन में केवल ज्ञान का कुछ भाग ही जान व प्राप्त कर सकता है। मनुष्य के लिये आवश्यक सभी विद्याओं का ज्ञान वेदों में सुलभ होता है। मनुष्य वेदज्ञान को प्राप्त होकर सभी विद्याओं का विस्तार कर सकते lalहैं। प्राचीन भारत में हम देखते हैं कि भारत ज्ञान व विज्ञान से सम्पन्न था तथा देश के सभी लोग सुखी व सम्पन्न होते थे। सामाजिक असमानता, अन्याय व शोषण जैसा व्यवहार व प्रथायें आज देखी जाती हैं, ऐसी सृष्टि के आरम्भ से लेकर महाभारत के समय तक के लगभग 1.96 अरब वर्षों में आर्यावर्त नहीं थी। आज भी समाज की सभी विकृतियों को वेदाध्ययन, वेद प्रचार करके तथा वेद की शिक्षाओं व मान्यताओं को देश व समाज में लागू करके दूर किया जा सकता है। वेद पूरे विश्व को ईश्वर का एक परिवार मानते हैं। अतः मनुष्य व मनुष्य के बीच किसी भेदभाव का प्रश्न ही नहीं होता। वेदों के अनुसार सभी मनुष्यों को अपनी अपनी शारीरिक क्षमता व योग्यता के अनुसार विद्या प्राप्त कर शुभ करने का अधिकार होता है। वेदों ने यह अधिकार सभी स्त्री व पुरुषों को सृष्टि के आरम्भ से प्रदान कर रखा है। प्राचीन काल में वैदिक विद्वानों की मंत्री परिषद ही समाज में वैदिक मान्यताओं व शिक्षाओं को क्रियान्वित किया करती थी। राजा को भी वेद के विद्वानों व ऋषियों की आज्ञाओं का पालन करना आवश्यक हुआ करता था। इसी युग को सत्य पर आधारित राज्य व रामराज्य का पर्यायवाची कहा जा सकता। वस्तुतः रामराज्य भी वेदों की मान्यताओं पर आधारित राज्य ही था। राम वैदिक मर्यादाओं के पालक तथा वैदिक आदर्श राज्य के संचालक थे। उनके राज्य में सभी निर्णय व कार्य वेदानुकूल व वेदसम्मत किये जाते थे। 
मनुष्य को मनुष्य जीवन परमात्मा एवं माता-पिता के द्वारा परमात्मा होता है। मनुष्य जन्म में परमात्मा की भूमिका को मुख्य व माता-पिता की भूमिका को परमात्मा की भूमिका का विचार कर गौण कहा जा सकता है। परमात्मा ने मनुष्य की आत्माओं को उनके पूर्वजन्मों के कर्मानुसार सुख व दुःख भोगने के लिये इस संसार को बनाकर सृष्टि के आरम्भ से अद्यावधि जीवात्माओं को भिन्न भिन्न योनियों में जन्म दिये हैं। इसी प्रकार से जीवात्माओं को भविष्य में भी जन्म, जीवन व सुख व दुःख परमात्मा से प्राप्त होते रहेंगे। इस संसार की पहेली व गुत्थी को यदि समझना है तो यह ईश्वर, जीव तथा प्रकृति के अस्तित्व व क्षमाताओं को सफलता प्रदान करने के उदाहरण से जान सकते हैं। ईश्वर का अस्तित्व व सत्ता यथार्थ व सत्य है। उसके अपने गुण, कर्म व स्वभाव भी सत्य हैं। इन सबका उल्लेख ईश्वर प्रदत्त वेद ज्ञान में उपलब्ध होता है। जीवात्मा का भी अपना स्वतन्त्र अस्तित्व व सत्ता है। सभी जीवात्मायें जन्म लेने व सुख दुःख भोगने में परमात्मा के अधीन होती है। मनुष्य योनि उभय योनि होती है। इसमें जीवात्मा स्वतन्त्रतापूर्वक कर्मों को करती है परन्तु मनुष्य योनि में भी आत्मा पूर्वजन्मों व इस जन्म के क्रियमाण कर्मों का फल भोगने में ईश्वर के नियंत्रण में ही रहती है। संसार में तीसरी सत्ता व पदार्थ प्रकृति है जो कि जड़ पदार्थ है। यह पूर्णतः परमात्मा के नियंत्रण में है। यह प्रकृति सत्व, रज व तम तीन गुणों वाली है। इस प्रकृति रूपी उपादान कारण से ही परमात्मा इस दृश्यमान व अदृश्यमान पदार्थों से युक्त सृष्टि की रचना करते हैं। इस सृष्टि का प्रयोजन परमात्मा का अपना किसी प्रकार का मनोरंजन व सुख नहीं होता है अपितु इस सृष्टि की रचना व संचालन परमात्मा जीवों को उनके कर्मों के अनुसार सुख व दुःख प्रदान करने में करते हैं। यदि परमात्मा जीवों को जन्म न देते तो जीव निद्रावस्था के समान आच्छादित रहते हैं। उन्हें किसी प्रकार के सुख व दुःख का लाभ प्राप्त नहीं होता। तब ईश्वर सृष्टिकर्ता व न्यायकारी आदि गुणों से युक्त होकर भी इन गुणों से विहीन ही माना जाता। अपने गुणों व सामथ्र्य को प्रकट करने, जीवों को स्वतन्त्रतापूर्वक कर्म करने का अवसर देकर तथा उन्हें उनके कर्मों के अनुसार सुख व दुःख देकर ईश्वर ने अपनी सामथ्र्य व गुणों का प्रकाश कर उन्हें सफल किया है। ईश्वर के इस परोपकार के कार्य के कारण ही जीवात्मायें मनुष्य योनि में वेदज्ञान को प्राप्त होकर ईश्वर की उपासना व सद्कर्मों को करते हुए जन्म मरण से छूट कर मुक्ति को प्राप्त होती हैं। इसके साथ जीवात्मायें ईश्वर के आनन्द का भोग करते हुए दुःखों से सर्वथा रहित निश्चिन्त जीवन व मोक्षावधि को प्राप्त होती हैं। इस प्रकार जीवात्मा को जो सुख व दुःख प्राप्त होते हैं वह परमात्मा द्वारा ही दिये जाते हैं जिनका आधार हमारे ही ज्ञान व कर्म हुआ करते हैं। 
ईश्वर निःस्वार्थ व निरपेक्ष भाव से संसार में अनन्त संख्या में विद्यमान जीवों को एक न्यायाधीश की भांति उनके कर्मानुसार सुख व दुःख प्राप्त करते हैं। उन सभी जीवों के सभी कर्मों के साक्षी होते हैं। उनको सद्कर्मों की प्रेरणा करते हैं। उन सभी जीवों के सुधार के लिये ही वह जीवात्मा के पूर्व व वर्तमान जन्म के अभुक्त अशुभ कर्मों का फल दुःख के रूप में देते हैं। पाप व अशुभ कर्मों का फल भोग लेने पर जीवात्मा उन उन कर्मों से मुक्त होकर शुद्ध व पाप रहित हो जाते हैं। ईश्वर की यह व्यवस्था आदर्श व्यवस्था है। ईश्वर का साक्षात्कार किये हुए हमारे ऋषियों व आप्त विद्वानों ने जन्म व मरण विषयक अनेक रहस्यों से अपने ग्रन्थों द्वारा संसार को परिचित कराया है। ऋषियों की मान्यता है कि परमात्मा सभी जीवों के सभी कर्मों, चाहें वह रात के अंधेरे में किये हों या दिन के प्रकाश में, छुप कर किए हों या प्रत्यक्षरूप में, उन सबका साक्षी होता है और उन सभी कर्मों के पाप व पुण्य कर्मों का फल जीवात्मा को जन्म-जन्मान्तर में देता है। 
हमें अपने पुण्य व पाप सभी कर्मों के फल भोगने पड़ते हैं। एक भी कर्म ऐसा नहीं बचता जिसका फल परमात्मा हमें न दे। अतः मनुष्य को इस पर विचार कर पाप व अशुभ कर्मों का सर्वथा त्याग करना चाहिये। ऐसा करने पर हमारे जीवन में आने वाले दुःख नहीं होंगे। हम दुःखों से दूर रहेंगे। हम अपने पूर्व जीवन पर दृष्टिपात करें तो हमें विदित होता है कि हमने संसार में आकर अपने ज्ञान व स्वभाव के अनुसार शुभ व अशुभ कर्म किये हैं व उनके परिणामों को भोगा है। सद्कर्मों की पूंजी ही मनुष्य की वास्तविक पूंजी होती है जो हमारे साथ परजन्म में जाती है और हमें सुख व दुःख देती है। यह सुख व दुःख हमें परमात्मा प्रदान कराते हैं। सृष्टि के आरम्भ काल से यह क्रम चल रहा है। इससे पूर्व कल्पों में भी हम विद्यमान थे और हमारा जन्म मरण होता रहा था। हम परमात्मा से अपने कर्मो का सुख व दुःख प्राप्त करते रहें हैं। वर्तमान में भी ऐसा ही हो रहा है और आने वाले अनन्त काल में भी ऐसा ही होता रहेगा। हमारी यह सृष्टि अवधि पूर्ण होने पर प्रलय को प्राप्त हो जायेगी। उसके बाद परमात्मा पुनः सृष्टि की उत्पत्ति करेंगे और पुनः सभी आत्मायें अपने अपने कर्मानुसार जन्म लेकर सुख व दुःखों का भोग करेंगी। अतः हमें ईश्वर के यथार्थ विधान को जानने का प्रयत्न करना चाहिये। वेद व वेदभाष्य, उपनिषद, दर्शन, विशुद्ध मनुस्मृति, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, आर्याभिविनय, संस्कारविधि, रामायण, महाभारत एवं ऋषि दयानन्द के जीवन चरित्र आदि का अध्ययन करते रहना चाहिये। इससे हमारा मार्ग प्रशस्त होगा। इससे हमारी सद्कर्मों में प्रवृत्ति बढ़ेगी। हम पाप कर्मों को नहीं करेंगे। सद्कर्मों का परिणाम हमें परमात्मा से सुख के रूप में मिलेगा। ऐसा करते हुए ही कालान्तर व भावी जन्मों में से किसी जन्म में हमें मोक्ष भी प्राप्त हो सकता है। मोक्ष ही वस्तुतः अमृत होता है। मोक्ष के समान अन्य कोई अमृत नहीं है। इस अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति के लिये ही परमात्मा ने यह संसार रचा है। हमें जागरूक होकर ज्ञान की वृद्धि कर, सत्य को प्राप्त होकर तथा असत्य का त्याग कर ईश्वर का विश्वसनीय सफल भक्त व उपासक बनना है। यही श्रेष्ठ मनुष्य जीवन का आधार व स्वरूप है। हमें यह स्मरण रखना चाहिये कि हमें जो सुख व दुःख मिलते हैं वह हमारे कर्मों का ही परिणाम होते हैं जिन्हें परमात्मा अपनी करूणा, दया और न्याय व्यवस्था से हमें प्रदान करते हैं। 
-मनमोहन कुमार आर्य


चोरियों पर अंकुश लगाने हेतु थाना प्रभारी व पार्षद ने की जनता के साथ चर्चा


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। वार्ड 86 पार्षद कार्यालय पर नवनियुक्त थाना प्रभारी विष्णु कौशिक व चौकी प्रभारी रामबीर सिंह का अपने वार्ड मे लगातार चोरी की घटनाओ पर अंकुश लगाने हेतु चर्चा हुई।
यह बैठक मनोज दूबे, रामकुमार गुप्ता, राजीव ठाकुर, नवीन, गौरव, एस० सी० बंसल, विवेक, राके, के०एम० शुक्ला, सुरेंद्र, नीरज, एस०के० कौशिक, इंद्रजीत, अमरपाल, मनीष, दिनेश जैन, जयबीर यादव, त्यागी, मनोज, भारतवीर, जगवीर, श्याम सिंह, पूरण सिंह, सुधीर शर्मा, नवीन कसाना, विरेंद्र गुप्ता, आकाश, अमन आदि गणमान्य व्यक्तियों के साथ  पार्षद आनंद गुप्ता  के अध्यक्षता में बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुई।
इस बैठक में चौकी प्रभारी जी ने कोई भी जरूरत पड़ने पर उन्हें फ़ोन करने पर तुरंत सहायता देने का भरोसा दिलाया और सभी को अपना फ़ोन नंबर दिया।
राधेश्याम पार्क कालोनी में तीन गेट लगाए जाने पर सभी की सहमति बनी।
गंगा बैंक्वेट रोड पर दोनों एंट्री पॉइंट पर बैरिकेटिंग लगाने का सुझाव दिया गया।
थाना प्रभारी जी से शाम के समय पार्को और मुख्य मार्गो पर पुलिस गश्त बढ़ाने का आग्रह किया गया।
सभी लोगो को अपने चौकीदारों को चौकी प्रभारी जी का नम्बर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया जिससे वे 112 नंबर के बजाय सीधे पुलिस को फ़ोन कर सके।



मीटिंग में आने के लिए थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी और सभी गणमान्य लोगों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।


बर्दाश्त नहीं होगी राशन की कालाबाजारी: डॉ.सीमा जिलापूर्ति अधिकारी


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। राशन की कालाबाजारी करने व गरीब कार्ड धारकों का हक डकारने वाले डीलरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी तथा संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों की संलिप्तता पर भी विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यह बात जिलापूर्ति अधिकारी डॉ सीमा ने अनौपचारिक वार्ता के दौरान कहीं।
जिलापूर्ति अधिकारी डॉ सीमा ने कहा कि सरकार व प्रदेश के मुख्यमंत्री का उद्देश्य प्रत्येक कार्ड धारक एवं गरीबों को राशन पहुंचाना है जिसके लिए विभाग एवं जिले के सरकारी राशन विक्रेता प्रत्येक माह राशन वितरण करते हैं। 
उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों को लोगों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए जिले की सभी दुकानों को वितरित की जाने वाली राशन सामग्री सभी कार्ड धारकों तक पूरा पहुंचे यह सुनिश्चित क्षेत्र के अधिकारी भी करेंगे। जिसकी समय-समय पर जांच की जाएगी। राशन की कालाबाजारी एवं कम सामग्री वितरण की शिकायत मिलने पर संबंधित राशन विक्रेता के साथ संबंधित क्षेत्रीय अधिकारियों पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। क्योंकि प्रदेश सरकार का स्पष्ट निर्देश है भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। और कहीं पर सामग्री कम बांटने की शिकायत मिलती है तो तुरंत जाकर उस पर जांच की जाएगी। शिकायत सही मिलने पर दुकान निरस्त करने की कार्रवाई भी की जाएगी। 
उन्होंने बताया कि यदि किसी की राशन संबंधित कोई भी शिकायत है तो वह फोन नंबर 01202829409 सूचना दें। विभाग द्वारा तुरंत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही एक मोबाइल नंबर भी जारी किया जाएगा जिससे सीधे जिला आपूर्ति अधिकारी स्वयं उठाएंगे और समस्या का निस्तारण करेंगे।
जिलापूर्ति अधिकारी डॉ सीमा ने बताया कि राशन आपूर्ति में कोई कोताही ना हो इसके लिए उन्होंने नंदग्राम व विवेकानंद नगर में आधा दर्जन से अधिक दुकानों पर औचक निरीक्षण किया। जिस दौरान दो दुकाने बंद मिलने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा गया है कि दुकान किस कारण से बंद थी। लापरवाही मिलने पर कार्रवाई भी की जाएगी। 
डॉ सीमा ने बताया कि सरकारी राशन की दुकानों के खुलने का समय सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक निर्धारित है ऐसे मैं बीच में भोजन अवकाश के लिए तो व्यक्ति जा सकता है किंतु बेवजह दुकान बंद नहीं रह सकती।


महेन्द्र विश्वकर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्वकर्मा महासभा का किया भव्य सवागत


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। प्रदेश महासचिव विश्वकर्मा महासभा कपिल पांचाल के नेतृत्व में एवं जिलाध्यक्ष गाजियाबाद विश्वकर्मा महासभा अंकुश पांचाल विश्वकर्मा की अध्यक्षता में विश्वकर्मा समाज के सेकड़ो युवाओं ने महेन्द्र विश्वकर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्वकर्मा महासभा  राष्ट्रीय महासचिव ऐक्टर दिवाकर विश्वकर्मा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष तिलक राज विश्वकर्मा हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष विश्वकर्मा महासभा  पारुल जांगिड़ विश्वकर्मा का लोनी गाजियाबाद में प्रथम बार आगमन पर विश्वकर्मा समाज एकत्रित होकर पूजा कॉलोनी पुस्ता चौकी पाभी पर फूल माला विश्वकर्मा भगवान के पटके पहनाकर व बुके देकर उनका भव्य स्वागत किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष महेन्द्र विश्वकर्मा ने समस्त विश्वकर्मावशी युवाओं का आभार प्रकट किया। और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विश्वकर्मावंशी युवाओं को एकत्रित होकर देश प्रदेश में विश्वकर्मा समाज की ताकत दिखाने का संदेश दिया। और उसके बाद गाजियाबाद में उधोगपति राजू पांचाल जी को विश्वकर्मा महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नुक्त किया गया।
मुख्य रूप से सोहन लाल विश्वकर्मा लखन सिंह पांचाल सचिन जांगिड़  सुनील पांचाल आकाश पांचाल सुनील भारद्वाज विश्वकर्मा राहुल पांचाल रणसिंह कश्यप लक्ष्य पांचाल दिनेश पांचाल विपिन राणा संतोष विश्वकर्मा अमृत लाल विश्वकर्मा विजय कांत विश्वकर्मा डॉ रवीश शर्मा रविन्द्र पंवार सरविन्द विश्वकर्मा सुसील विश्वकर्मा नीरज पांचाल अमित पांचाल रोहित पांचाल मुकेश पांचाल आदि मौजूद रहे।



साभार: कपिल पांचाल


ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की 200वीं जयंती पर गोष्ठी सम्पन्न


विधवा पुनर्विवाह के अग्रदूत थे ईश्वर चन्द्र विद्यासागर-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। रविवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में महान समाज सुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की 200वीं जयंती पर ऑनलाइन गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए।कोरोना काल में परिषद का यह 95वां वेबिनार था ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि विधवा पुनर्विवाह के लिए आवाज उठाने वाले ईश्वर चंद विद्या सागर ही थे उन्हीं के प्रयत्नों से कानून बना।महर्षि दयानन्द सरस्वती के विचारों का भी उनपर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने नारी शिक्षा के लिए अनेंको विद्यालय खोले।साथ ही निर्धनों की सहायता करना, संस्कृत में साहित्य लेखन उल्लेखनीय कार्य है।ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के प्रयासों से ही 1856 ई. में विधवा-पुनर्विवाह कानून पारित हुआ।उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक विधवा से करा कर विधवा विवाह का शंखनाद किया।आज उनकी जयंती पर उनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। 
मुख्य अतिथि आर्य नेत्री सुदेशवीर आर्या (उपाध्यक्षा,आर्य युवती परिषद) ने कहा कि नारी जाति के सम्मान व शिक्षा के लिए महर्षि दयानन्द  से प्रेरणा लेकर अनेकों महापुरुषों ने कार्य किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षा समाजसेवी प्रेमलता सरीन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम अपने महापुरुषों के दिवस आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं। 
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने सती प्रथा,बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त कर नये भारत के निर्माण में अपना जीवन अर्पित करने वाले राजा राममोहन राय की पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए दानवीरता की भावना,निर्धनों की सहायता विद्या सागर जी से सीखने का आह्वान किया। 
गायिका विमला आहूजा,संध्या पाण्डेय,प्रतिभा सपरा,रविन्द्र गुप्ता,सुशांता अरोड़ा,विचित्रा वीर,नरेश प्रसाद,सुलोचना देवी,कृष्णा गाँधी,पुष्पा चुघ, सुषमा बुद्धिराजा,वीना वोहरा आदि ने गीत सुनाये।
आचार्य यशोवीर आर्य,डॉ आर के आर्य,देवेन्द्र भगत,सुरेन्द्र शास्त्री, देवेन्द्र गुप्ता,मृदुला अग्रवाल, यजवीर चौहान,काशीराम,विजया रानी शर्मा,चंद्र प्रभा सेठी आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य,


चिकन रेस्टोंरेंट खोले जाने का पार्षद सहित अन्य लोगों ने किया विरोध


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। शालीमार गार्डन मैन साहिबाबाद ग़ाजियाबाद मे भारत माता चौक के सामने अल मलिक चिकन, फिश रेस्टोरेंट खोले जाने पर पार्षद सरदार सिंह भाटी ने विरोध किया।
पार्षद ने बताया भारत माता चौक  के सामने बी 150 शालीमार गार्डन मैन मे अल मलिक चिकन रेस्टोरेंट खोला गया है जिसके खुलने से क्षेत्र के लोगो मे काफी  विरोध है।  मीट, चिकन की दुकान खुलने पर आज क्षेत्र के लोग मेरे पास यह समस्या लेकर आये थे पब्लिक के विरोध पर मे स्वम मीट चिकन रेस्टोरेंट पर पंहुचा और रेस्टोरेंट के मालिक से जल्द से जल्द चिकन कार्नर बंद करने के लिए कह कर आये है पार्षद ने रेस्टोरेंट मालिक से कहा है यह चिकन रेस्टोरेंट नियमों के विरुद्ध खोला गया है अगर यह चिकन कॉर्नर बंद नहीं किया तो इसका लाइसेंस रद्द करके प्रशासन द्वारा कारवाई करवाई जाएगी। इस अवसर पर रवि भाटी (टी ए सी सदस्य संचार मंत्रालय), कालीचरण पहलवान, अनुज पंडित, प्रयाग चौधरी,सोमनाथ चौहान, सुदीप शर्मा,दीपक ठाकुर  मुन्ना सिंह, कैलाश यादव, शिवम् चौधरी, साहिल ठाकुर, भ्रम आदि क्षेत्र के लोग विरोध करने पहुचे।


Saturday 26 September 2020

शिवानी गौरव सोलंकी ने शुरू कराया सीवर की नई पाइप लाइन डालने का कार्य


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। वार्ड 76 वैशाली में पार्षद शिवानी गौरव सोलंकी ने शुरू कराया सीवर की नई पाइप लाइन डालने का कार्य है। पार्षद जी ने बताया कि सेक्टर 2ए के मकान संख्या 31/1 से मकान संख्या 31/4 तक तथा सेक्टर 2ई कल्पना में मकान संख्या 2ई/31 से मकान संख्या 2ई/36 तक के निवासियों के यहाँ सीवर कि निकासी की व्यवस्था न होने के कारण सीवर सीधे नाले में जाता था जिससे आस पास के निवासियों व निकलने वाले लोगों को बदबू का सामना करना पड़ता था। आज हमने इन सभी मकानों के लिए एक नई सीवर लाइन डालने का कार्य प्रारंभ कराया है। यह कार्य एक हफ़्ते के अंदर पूर्ण हो जाएगा जिससे यहाँ रहने वाले सभी सम्मानित निवासियों को बहुत लाभ होगा।


“आत्मा के जन्म-मरण व जीवन का न आरम्भ है और न अन्त है”


मनुष्य संसार में जन्म लेता है, कर्म करता है, शैशव, बाल, किशोर, युवा, प्रौढ़ तथा वृद्धावस्थाओं को प्राप्त होता है और इसके बाद किसी रोग व अन्य किसी साधारण कारण से ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। हमारी स्मरण शक्ति हमारे इसी जन्म की कुछ प्रमुख घटनाओं को स्मरण करने में समर्थ होती है। मनुष्य में भूलने की प्रवृत्ति होती है। मनुष्य को एक दिन पहिले की ही बहुत सी बातों की स्मृति नहीं रहती। हम जो बोलते हैं वह कुछ देर बाद उसी क्रम से शब्दशः दोहरा नहीं सकते। कल प्रातः, दिन में तथा रात्रि को हमने आहार में क्या क्या पदार्थ कितने बजे लिये थे तथा हमने कल व इससे पूर्व के दिन कौन कौन से रंग के वस्त्र पहिने थे व किन किन लोगों से मिले थे, इसकी भी हमें साथ साथ व कुछ काल बाद ही विस्मृति होती जाती है। अतः मनुष्य को अपने इसी जीवन की सभी बातें स्मरण नहीं रहती। मनुष्य यदि अपने जन्म से पूर्व की स्थिति के विषय में विचार करे तो उसे उसका स्मरण व ज्ञान नहीं होता। विचार करने पर यह ज्ञात होता है कि हमारी सत्ता है। हम इस संसार में अपनी इच्छा से उत्पन्न नहीं हुए। हमारे अतिरिक्त भी संसार में एक वृहद सर्वशक्तिमान चेतन व आनन्दयुक्त सत्ता है जो हम जैसे जीवों के बारे में सोचती है और उन्हें एक व्यवस्था के अनुसार जन्म देती व पालन करती है। संसार को देखकर इस व्यवस्था का बोध होता है। वह सत्ता ईश्वर कहलाती है। वेदों में ईश्वर का विस्तार से वर्णन है जो तर्क एवं युक्ति संगत है। बुद्धि व ज्ञान की कसोटी पर खरा है तथा जो आत्मा को अपनी सत्यता की स्वयं ही पुष्टि करता व विश्वास दिलाता है। 
ईश्वर यद्यपि दिखाई नहीं देता परन्तु वह अपने कार्य व क्रियाओं से प्रत्यक्ष अनुभव होता है। संसार की उत्पत्ति, स्थिति व पालन तथा इसकी प्रलय का अनुमान कर इन कार्यों को करने वाली सत्ता ईश्वर का ज्ञान होता है। यदि ईश्वर न होता तो सृष्टि की उत्पत्ति कौन करता? इससे सिद्ध होता है कि ईश्वर नाम की एक सत्ता है जिसने इस संसार को बनाया है और वही इसे चला भी रही है। ईश्वर का सत्यस्वरूप भी वेद एवं वेद के अनुगामी ऋषियों के ग्रन्थों से प्राप्त होता है। ऋषि दयानन्द भी ईश्वर को प्राप्त, उसके साक्षात्कर्ता ऋषि हुए हैं। उन्होंने वेदों का अध्ययन तथा उसकी मान्यताओं की सत्यासत्य की परीक्षा की थी। वेदों से उपलब्ध तथा तर्क एवं युक्ति से सिद्ध ईश्वर की चर्चा उन्होंने अपने साहित्य में अनेक स्थानों पर की है। वह बताते हैं कि ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। वही ईश्वर सभी मनुष्यों द्वारा उपासनीय है। ईश्वर की सत्ता व उसके यह सभी विशेषण संसार में घट रहे हैं जिनका बुद्धिमान मनुष्य प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं। इससे ईश्वर का प्रत्यक्ष ज्ञान हो जाता है। 
मनुष्य व अन्य प्राणियों के शरीरों में होने वाली नाना प्रकार की क्रियायें से भी आत्मा का अस्तित्व सिद्ध होता है। आत्मा जब तक शरीर में होती है तभी तक शरीर क्रियाशील व गतिशील रहते हैं। आत्मा शरीर का त्याग कर देती है तो शरीर निष्क्रिय व मृतक हो जाता है। इससे शरीर में आत्मा का अस्तित्व सिद्ध होता है। शास्त्रकारों में इस विषय की चर्चा कर पाया है कि आत्मा एक सत्य, चेतन, सूक्ष्म, अल्पज्ञ, एकदेशी, ससीम, अनादि, अनुत्पन्न, नित्य, अजर, अमर, अविनाशी, जन्म-मरण धर्मा, कर्मों का भोक्ता, ज्ञान प्राप्ति व सद्कर्मों से मुक्ति को प्राप्त होने वाली सत्ता है। जीवात्मा के इन गुण, कर्म व स्वभाव को जानकर यह विदित होता है कि आत्मा का उसके पूर्वजन्मों में किये कर्मों के अनुसार जन्म होता है, वह अपने किये कर्मों का सुख व दुःख रूपी फल भोगता है, मनुष्य योनि में नये नये कर्मों को करता है और शरीर की वृद्धावस्था में रोग आदि के कारण शरीर का त्याग कर देता है। मृत्यु होने पर आत्मा के जितने व जैसे पाप-पुण्य कर्म होते हैं उसके अनुसार परमात्मा उसको नया जन्म प्रदान करते हैं। आत्मा के जन्म व मरण का क्रम अनादि काल से, जब से कि ईश्वर, आत्मा और परमात्मा का अस्तित्व है, निरन्तर चला आ रहा है। यह क्रम सदैव चलता रहेगा। इसमें कभी अवरोध व रुकावट नहीं आयेगी। जिस प्रकार काल चक्र कभी रुकता नहीं और न ही आगे रूकने वाला है, उसी प्रकार सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति व प्रलय तथा जीवात्मा के जन्म व मरण तथा मुक्ति आदि का क्रम भी कभी रुकने वाला नहीं है। हमारा अस्तित्व व सत्ता अनादि काल से है। इसका कभी नाश वा अभाव नहीं हो सकता। प्रसिद्ध ग्रन्थ गीता में भी कहा गया है कि आत्मा अजर व अमर है। यह शस्त्रों से काटी नहीं जा सकती। अग्नि इसे जला नहीं सकती, जल इसे गीला नहीं कर सकता तथा वायु इसे सुखा नहीं सकती। आत्मा की सत्ता से अनादि काल से है और सदा बना रहेगी और ईश्वर इसे प्रत्येक सृष्टिकाल में इस ब्रह्माण्ड में पृथिवी सदृश किसी ग्रह में जन्म देकर इसके कर्मों का सुख व दुःख रूपी फल देते रहेंगे। 
गीता में एक अन्य वैदिक सिद्धान्त का भी प्रभावपूर्ण शब्दों में वर्णन हुआ है। यह सिद्धान्त वैज्ञानिक सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त के अनुसार अभाव से भाव पदार्थ अस्तित्व में नहीं आ सकते हैं। इसी प्रकार से भाव पदार्थों का भी कभी अभाव व नाश नहीं होता। भाव पदार्थ का अस्तित्व सदा बना रहता है। इस सिद्धान्त के अनुसार संसार में अस्तित्वान ईश्वर, जीव व प्रकृति का अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। यह तीनों भाव पदार्थ हैं। इनका नाश व अभाव कभी किसी भी अवस्था में नहीं होगा। इसी सिद्धान्त के आधार पर हमारी सृष्टि प्रवाह से अनादि व सदा रहने वाली सिद्ध होती है। इसी सिद्धान्त के आधार पर जीव को अजर व अमर तथा अवनिाशी माना व सिद्ध किया जाता है। अतः ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति इन तीन मौलिक पदार्थों का अस्तित्व सदा रहने वाला है। इसी कारण से जीव सदा अस्तित्व में रहेगा तो इसके जन्म-मरण व मुक्ति आदि का क्रम भी निरन्तर चलता ही रहेगा। इस यथार्थ को जानकर ही हमारे ऋषियों ने ईश्वर व जीव के प्रायः सभी गुण, कर्म व स्वभाव तथा पक्षों पर विचार किया और अपने ग्रन्थों में इनसे सम्बन्धित प्रभूत ज्ञान सामग्री प्रस्तुत की है। हमारा कर्तव्य है कि जब हमें सदा इस संसार में रहना ही है, जन्म के बाद मृत्यु व मृत्यु के बाद जन्म व मुक्ति को प्राप्त होना ही है, तो हम ईश्वर व आत्मा आदि से जुड़े सभी प्रश्नों पर विचार करें व अन्य विद्वानों व शास्त्रों की सहायता से इनका यथार्थ ज्ञान प्राप्त करें। इस कार्य में वेद, उपनिषद, दर्शन तथा विशुद्ध मनुस्मृति आदि ग्रन्थ हमारी सहायता करते हैं। इन्हीं ग्रन्थों के आधार पर ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने समस्त वैदिक साहित्य का अध्ययन कर मनुष्य की सभी शंकाओं का समाधान करने के लिये सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ का अध्ययन करने से मनुष्य की सभी जिज्ञासाओं का समाधान हो जाता है और उसके सभी भ्रम दूर हो जाते हैं। अतः मनुष्य जीवन को सार्थक व सफल करने तथा सन्मार्ग की प्रेरणा प्राप्त करने के लिये प्रत्येक मनुष्य को वेद व वैदिक साहित्य सहित सत्यार्थप्रकाश तथा ऋषि दयानन्द के सभी ग्रन्थों का अध्ययन  करना चाहिये। इससे आत्मा भटकेगी नहीं अपितु ईश्वर को प्राप्त होकर मुक्ति का सुख व आनन्द भोगेगी। आत्मा को सन्मार्ग व सत्पथ प्राप्त होगा जिसका अनुगमन कर वह अपने जन्म जन्मान्तरों के दुःखों को नियंत्रित कर सकती है व प्रयत्न व पुरुषार्थ कर मुक्ति को भी प्राप्त हो सकती है। ऐसा करने से ही हमारा मनुष्य जीवन भी सार्थक व सफल होगा। 
लेख का और विस्तार न कर हमें यह बताना है कि मनुष्य जीवन न तो प्रथम है और न ही अन्तिम है। इस जीवन से पूर्व भी हमारे अनन्त बार जन्म व मृत्यु हो चुकी हैं। भविष्य में अनन्तकाल तक हम जन्म व मरण के चक्र में आबद्ध रहंेगे। जन्म व मरण दुःख व सुख दोनों के कारण होते हैं। सम्पूर्ण दुःखों की मुक्ति केवल जीवात्मा को मोक्ष की अवस्था प्राप्त होने पर ही होती है। इसके लिये हमें ईश्वर का सत्यस्वरूप जानकर उसकी उपासना करते हुए सद्कर्म एवं परोपकार के कार्य करने होते हैं। हमें अपने आचार व विचारों को सर्वथा शुद्ध करना होता है। ईश्वर के साक्षात्कार की साधना करनी होती है जिसके सिद्ध होने पर ईश्वर का प्रत्यक्ष व मोक्ष प्राप्त होता है। इससे आत्मा को होने वाले सभी दुःख दूर हो जाते हैं। मोक्ष के स्वरूप व इसकी प्राप्ति के साधनों पर सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के नवम समुल्लास में प्रकाश डाला गया है। सभी मनुष्यों को इस ग्रन्थ को पढ़कर लाभ उठाना चाहिये। इसे पढ़कर व इसमें बताये साधनों को अपनाकर ही हमारा जन्म सफल होगा। 
-मनमोहन कुमार आर्य


चालान भरो राजस्व में, बदले में हेलमेट दूंगा : हेलमेट मैन.


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। वाराणसी की सड़कों पर पिछले 1 महीने से हेलमेट मैन के नाम से प्रसिद्ध राघवेंद्र कुमार ने चालान भरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी लादी।
दरअसल वाराणसी जिले में प्रतिदिन तीन से चार हजार ई चालान हो रहे हैं. जिसमें 90 प्रतिशत बिना हेलमेट चलने वालों का ट्रैफिक पुलिस चालान करती है. और इनमें से 60% ऐसे लोग हैं जिनके एक से ज्यादा चालान हो रखे हैं लेकिन भरना नहीं चाहते हैं मैसेज आने के बावजूद भी अनदेखा कर रहे हैं घर पर चालान का नोटिस आने का इंतजार कर रहे हैं. बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनका अनगिनत चालान हो गया है और वह चालान भरना नहीं चाहते हैं सड़कों पर बिना हेलमेट चलने की आदत बना ली है.
सैकड़ों लोग प्रतिदिन हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार से सड़क पर मिलते रहते हैं और अपनी बातें रखते हैं चालान के प्रति उनकी सोच की क्या धारणा बनी हुई है.
हेलमेट मैन उन सभी से अपील करते हैं कृपया अपनी चालान भरे और अपनी रसीद लेकर आएं. मैं आपको एक हेलमेट दूंगा और साथ में 5 लाख की दुर्घटना बीमा भी. जो लोग अपना चालान ऑनलाइन के माध्यम से जमा करते हैं उन्हें भी वहीं पर हेलमेट मैन एक हेलमेट के साथ 5 लाख की दुर्घटना बीमा करके देते हैं. लोगों को बहुत हैरानी होती है और बहुत खुशी भी होती है बहुत लोग पूछते भी हैं इसमें आपका क्या फायदा है. हेलमेट मैन कहते हैं दूसरों की जान बचाने जागरूक  करने में कभी खुद का फायदा नहीं देखा जाता आपको दोस्त मानता हूं क्योंकि हमने दोस्त खोया है दुर्घटना में. बदले में हमें कुछ देना चाहते हैं  तो अपने घर से हमें अपनी पढ़ी पुरानी पुस्तक दे देना. मैं गरीब बच्चों को निशुल्क देता हूं.
भारत को सड़क दुर्घटना मुक्त बनाना चाहता हूं और देश को 100% साक्षर करना चाहता हूं.
यही मेरी सोच है इसलिए प्रतिदिन सड़कों पर लोगों को हेलमेट देता रहता हूं.
जो कार्य सरकार या प्रशासन को करना चाहिए वह कार्य एक अकेला व्यक्ति भारत की सड़कों पर पिछले 6 साल से अकेला कार्य कर रहा है. जो बिना किसी से आर्थिक मदद लिए.
हेलमेट मैन अब तक 42000 हेलमेट निशुल्क बांट चुके हैं. इस मिशन के लिए आर्थिक समस्या के कारण ग्रेटर नोएडा का घर भी बेच दिया. लेकिन पैसे के लिए किसी के पास हाथ नहीं फैलाया. 
इनके कार्य की सराहना भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कर चुके हैं, लेकिन मदद के लिए सरकार या प्रशासन कभी आगे नहीं आए.


वार्ड 30 में आरसीसी व इन्टरलॉकिंग टायल्स का किया उद्घाटन


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद।  वार्ड 30 की बीजेपी पार्षद रीना देवी पति सोहनवीर सिंह ने अपने वार्ड में विकास कार्य करवाते हुए विकास कार्यों का उद्घाटन किया। बताते चलें कि गुरूवार को पार्षद रीना देवी पति सोहनवीर सिंह ने वार्ड नं 30 के मेघराज एनक्लेव में आरसीसी नाली व इन्टरलॉकिग टायल का उद्घाटन किया। इस अवसर अनेक गणमान्य स्थानीय नागरिक मौजूद रहे। सभी ने पार्षद जी का धन्यवाद करते हुए आभार व्यक्त किया।


Friday 25 September 2020

क्रांतिकारी भगत सिंह की मनाई जयंती


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
मुरादनगर। राधे श्याम विहार स्थित कृष्णा विद्या निकेतन स्कूल में सोमवार को क्रांतिकारी भगत सिंह की जयंती मनाई गई। शिक्षकों ने भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। 
इस मौके पर एमएलसी शिक्षक प्रत्याशी नितिन तोमर  ने बताया कि भगत सिंह जी ने अपने साथियों के साथ देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे। उन्होंने कम उम्र में ही देश के लिए अपने जीवन की कुर्बानी दे दी थी। तथा प्रधानाचार्य कल्पना त्यागी जी ने बताया कि ऐसे वीर महान क्रांतिकारी के जीवन चरित्र के बारे में हमेशा पढ़ना चाहिए। तथा समाज सेवी गुलशन राजपूत ने कहा कि भगत सिंह आजादी के लिए अपनी जान देने वाले नौजवान शहीदों में अग्रणी थे। हम सभी लोगों को उनके आदर्शों पर चलना चाहिए।  इस मौके पर स्कूल के मैनेजर विकास कुमार राणा, समाजसेवी गुलशन राजपूत, यतेंद्र ठाकुर, गौरव रावल, सचिन त्यागी,अक्षय कपूर,विक्रांत गोस्वामी,सलोनी चौधरी, दीपक गौर, कपिल सिंघल, रमन त्यागी,आदि स्कूल के शिक्षक वह गणमान्य लोग मौजूद रहे



शिवानी गौरव सोलंकी पार्षद ने मिलकर मनाई पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। शिवानी गौरव सोलंकी पार्षद वार्ड 76 ने वैशाली में विभिन्न विभिन्न बूथों पर सभी बूथ अध्यक्षों व भाजपा पदाधिकारीयों के साथ मिलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती मनाई गई।


“ऋषि दयानन्द के जीवन व सिद्धान्तों के अनुरागी श्री ईश्वरदयालु आर्य”


हम सन् 1970 में आर्य समाज में जाने लगे तो यहां हमारा सम्बन्ध समाज के अनेक पुराने सदस्यों व विद्वानों से हुआ। इनमें से एक विद्वान थे श्री अनूप सिंह जी। अन्य ऋषिभक्त  विद्वानों में श्री धर्मेन्द्रसिंह आर्य, श्री ईश्वरदयालु आर्य, श्री संसारसिंह रावत, श्री ठाठसिंह जी आदि प्रमुख थे। आर्य समाज से हमारा परिचय व संबंध हमारे एक पड़ोसी सहपाठी स्नेही मित्र श्री धर्मपाल सिंह ने कराया था जो अत्यधिक स्वाध्यायशील व सिद्धान्तों के अच्छे जानकार थे। लगभग 20 वर्ष पूर्व एक सड़क दुर्घटना में वह दिवंगत हो गये थे। श्री अनूप सिंह जी के आकर्षक व्यक्तित्व व ज्ञान से हम बहुत प्रभावित हुए। श्री ईश्वर दयालु आर्य जी भी हमारे तभी से मित्र हैं। इनकी बातें बहुत तर्क व विद्वतापूर्ण होती थीं अतः उनसे हमारी निकटता बढ़ी और पारिवारिक मित्र के संबंध बन गये। धीरे-धीरे हम श्री आर्य जी की धर्मपत्नी माता यशवन्ती देवी के भी निकट आये। समय के साथ उनके परिवार के सभी सदस्यों से भी हमारे निकट स्नेह-संबंध बन गये। श्री ईश्वर दयालु आर्य जी का दिनाक 17 सितम्बर, 2020 को 88 वर्ष की आयु में रात्रि 10.00 बजे हृदयाघात से अचानक निधन हो गया। अगले दिन दिनांक 18 सितम्बर, 2020 को देहरादून लक्खीबाग श्मशान घाट में उनकी अन्त्येष्टि आर्य पुरोहित वेदवसु शास्त्री तथा गुरुकुल पौंधा-देहरादून के आचार्य डा. धनंजय आर्य जी ने अपने गुरुकुल के अनेक ब्रह्मचारियों द्वारा संस्कारविधि के मन्त्रों के पाठ व आहुतियों के द्वारा कराई।   
श्री ईश्वर दयालु आर्य (जन्म तिथि 16 अगस्त, 1932)  का विवाह माता यशवन्ती देवी जी से जून, 1951 में हुआ था। विवाह के समय माताजी का वय 16 वर्ष तथा श्री ईश्वर दयालु जी का 19 वर्ष था। श्री ईश्वर दयालु आर्य के पिता श्री तेलूराम के नाम से जाने जाते थे और कचहरी में नौकरी करते थे। जब श्री ईश्वर दयालु आर्य जी 10 वर्ष के ही थे, तभी आपकी माताजी का देहान्त हो गया। आपके एक छोटे भाई यशपाल थे जो सन् 2008 में दिवंगत हुए। आपकी एक छोटी बहिन अमृत देई थी जो बचपन में 3 वर्ष की आयु में ही दिवंगत हो गई थी। श्री ईश्वर दयालु आर्य की शिक्षा कक्षा 10 तक हुई। आपकी सरकारी सेवा में प्रथम नियुक्ति जुलाई, 1952 में जमीदारी उन्मूलन के कार्यालय में हुई थी। 29 मई, 1953 को आप न्याय विभाग के सहारनपुर स्थित कार्यालय में वैतनिक एप्रेन्टिस के पद पर नियुक्त हुए। वेतन 60 रूपये मासिक मिलता था। सहारनपुर से देहरादून, देहरादून से देवबन, देवबन से पुनः देहरादून, देहरादून से पौड़ी गढ़वाल, पुनः देहरादून, इसके पश्चात टिहरी और पुनः देहरादून आपके स्थानान्तरण हुए। 30 सितम्बर, 1989 को आप प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। आप आर्य समाज, देहरादून के सन् 1955 में सदस्य बने थे। सन् 1969-70 की एक वर्ष की अवधि तक आप इस समाज के मंत्री रहे। इस आर्यसाज धामावाला की स्थापना सन् 1879 में ऋषि दयानन्द जी के कर कमलों से हुई थी। सन् 1960 में आप देवबन आर्य समाज के मंत्री बने थे और लगभग 3 वर्ष तक वहां मंत्री पद पर रहे। इन दिनों देवबन आर्यसमाज में लगभग 25 सक्रिय सदस्य हुआ करते थे। इस समाज के उत्सवों में अनेक विद्वान आमंत्रित होते थे। आर्य जगत के प्रसिद्ध भजनोपदेशक श्री ओम् प्रकाश वर्मा, यमुनानगर 3 वर्ष में तीनों बार उत्सव में पधारे थे। वर्तमान में श्री ओम् प्रकाश वर्मा जी यमुनानगर में निवास करते हैं। आप इन दिनों रुग्ण चल रहे हैं। आपकी आयु लगभग 95 वर्ष है। श्री ईश्वर दयालु आर्य जी ने सहारनपुर के आर्यसमाज के जिला स्तरीय संगठन में उप-प्रधान पद पर भी कार्य किया। देहरादून में आर्यसमाज के जिला स्तरीय संगठन में भी आप मंत्री व उपप्रधान पद पर कार्यरत रहे। श्री ईश्वर दयालु आर्य, देहरादून की कन्याओं की सबसे पुरानी, बड़ी व प्रसिद्ध आर्य शिक्षण संस्था ‘महादेवी कन्या पाठशाला-महाविद्यालय सोसायटी’ की प्रबन्ध समिति के सन् 1965-66 में सदस्य बने थे। सन् 1990-91 में आप इस सोसायटी के उपमंत्री बने और उसके बाद साढ़े चार वर्ष तक मंत्री व सचिव पद पर कार्यरत रहे। आपको एक बार इसी स्नात्कोत्तर महाविद्यालय की प्रधानाचार्या के नियुक्ति पत्र को अपने हस्ताक्षर से जारी करने का गौरव भी प्राप्त हुआ था।
श्री ईश्वर दयालु जी की तीन सन्तानों में एक पुत्री व दो पुत्र हैं। पुत्री डा. श्रीमति रश्मि, चण्डीगढ़ में अपने पतिकुल में चिकित्सक पति एवं दो पुत्रों के साथ निवास करती हैं। बड़े पुत्र श्री सत्यव्रत काम्बोज उत्तराखण्ड राज्य के विद्युत विभाग से सेवानिवृत अधिकारी हैं। उनकी पत्नी श्रीमति निशा जी ने श्री ईश्वर दयालु जी तथा सासु माता यशवन्ती देवी जी के जीवन काल में पूरे मनोयोग से उनकी प्रशंसनीय सेवा की। माता यशवन्तीदेवी जी तथा श्री ईश्वरदयालु जी उनकी सेवा से सदैव सन्तुष्ट रहे। ऐसा हमने माता जी के मुखारविन्द से अनेक बार सुना था। ईश्वरदयालु जी की उनके पुत्र व पुत्रवधु द्वारा सेवा होते भी हमने देखा है। हमारी दृष्टि में यह आदर्श पुत्र व पुत्र वधु कहे जा सकते हैं। माता जी की मृत्यु के बाद से श्री ईश्वर दयालु आर्य जी देहरादून में अपने बड़े बेटे सत्यव्रत जी तथा पुत्रवधु निशा जी के साथ रह रहे थे। हम जब जब दयालु जी व माता जी से मिलने इनके घर जाते थे ंतो हमारा भी अच्छा सेवा-सत्कार होता था। माता जी की रूग्णावस्था में हमने निशा जी को उनकी हर प्रकार की सेवा करते देखा है। श्री सत्यव्रत जी का एक पुत्र रमण व एक पुत्री ऋचा हैं। दोनों सन्तानें विवाहित हैं। पुत्र रमण व उनकी धर्म-पत्नी श्रीमती अर्चना जी का एक पुत्र और एक पुत्री है। आर्य जी के छोटे पुत्र कर्नल सुधांशु आर्य हैं जो सेना में कार्यरत रहे और अब सेना की सेवा से कर्नल के पद से सेवानिवृत हैं। इनकी धर्मपत्नी श्रीमति निजारा उच्च शिक्षित हैं व आसाम की मूल निवासी हैं। वह पूना में एनडीए कालेज में वरिष्ठ शिक्षिका हैं तथा अपनी एक पुत्री प्राची के साथ पूना में ही रहती है। माता यशवन्ती देवी जी के सभी बच्चे व पोते-पोतियां अपनी दादी-दादा के पूर्ण आज्ञाकारी रहे। हम दयालु जी के परिवार को एक आदर्श परिवार की संज्ञा दे सकते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि कर्नल सुधांशु आर्य, पौत्र रमण तथा पौत्री ऋचा ने आर्यसमाज की मान्यताओं के अनुसार जन्मना जाति से पृथक गुण-कर्म-स्वभावानुसार विवाह किए हैं। 
 श्री ईश्वर दयालु आर्य जी से परिचय व निकटता के बढ़ने पर हमारा उनके निवास पर यदा-कदा आना-जाना होता रहता था। घर में प्रायः माताजी व श्री ईश्वरदयालु जी ही मिला करते थे। परिवारों की परस्पर कुशल-क्षेम पूछने के बाद हम किसी आर्यसमाज से सम्बन्धित विषय को पकड़ते थे और उस पर लम्बी चर्चा करते थे। वार्तालाप में नये-नये विषय जो आर्यसमाज पर ही केन्द्रित होते थे, सामने आते रहते थे, जिसमें माताजी भी अपने अनुभव व स्मृतियों को प्रस्तुत कर योगदान दिया करती थीं। एक-दो घंटे व्यतीत हो जाने पर हमारे द्वारा जाने की अनुमति मांगने पर प्रायः माताजी कहा करती थी कि मनमोहनजी, अभी कुछ देर और बैठिये, हमें अच्छा लग रहा है। आप कई-कई दिनों में आते हैं। उनके शब्दों में आत्मीयता भरी होती थी, अतः हमें भी उनका आदेश मानना पड़ता था और फिर रूकने का अर्थ होता था कि हम किसी नये विषय की चर्चा करने लगते थे और 1 या डेढ़ घंटा पुनः लग जाना स्वाभाविक हुआ करता था। इस प्रकार वर्षों तक ऐसा ही चलता रहा। इसके अलावा कई बार हम फोन पर भी हाल-चाल पता किया करते थे तो 15 मिनट से आधा घण्टा बात हुआ करती थी। हम उन्हें अपने स्वाध्याय के विषयों, पुस्तकों व अपने लेखन का परिचय भी दिया करते थे। माता जी हमारी बातें सुनकर प्रसन्न हुआ करती थीं और हमें प्रेरणा करते हुए हमारा उत्साहवर्धन करती थीं। उनका आर्शीवाद, हमें लगता है कि हमारे जीवन के अनेक पक्षों में, सफल सिद्ध हुआ है। इतना ही नहीं उन्हें हमारे बच्चों के विवाह आदि की भी चिन्ता रहा करती थी और वह इसके लिए प्रयास करती थीं। हमारे सभी मित्रों की भी उन्हें चिन्ता रहा करती थी और वह उनके बारे में हमसे पूछती थीं। हम भी उन्हें वास्तविकता से परिचित कराते थे। जब भी उनसे मिलने जाते थे तो चाय व सूक्ष्म आहार तो होता ही था, भोजन के समय उनका भोजन का भी अत्यन्त स्नेह से भरे शब्दों में आग्रह रहा करता था। अनेक अवसरों पर हमने उनके साथ भोजन भी किया था। उनमें जो मातृत्व व स्नेह था, वह हमें मन व हृदय में कहीं न कहीं ऊर्जा, प्रेरणा, बल व शक्ति दिया करता था।
श्री ईश्वर दयालु आर्य के जीवन से जुड़ी सन् 1972 की एक स्मरणीय घटना है। आप एक दिन जब आर्यसमाज धामावाला, देहरादून में आये तो वहां आर्यसमाज के सदस्य श्री वेदपाल सिंह, तहसीलदार ने उन्हें बताया कि कबाड़ी बाजार में एक कबाड़ी के पास महर्षि दयानन्द जी का चित्र बिक्री हेतु उपलब्ध है। आपने महर्षि का चित्र अपने गांव में नानाजी की छोटी सी दुकान पर देखा था। आप सीधे कबाड़ी की दुकान पर पहुंचे और चित्र का दाम पूछा। एक या दो रूपये का मूल्य देकर आपने वह चित्र ले लिया जो आपके पहले न्यूरोड, देहरादून और उसके बाद राजपुर रोड, देहरादून स्थित निवासों की बैठकों की शोभा होता था। जब आप इस घटना का उल्लेख करते हैं तो आपके मन में पीड़ा झलकती है कि वह कौन व्यक्ति रहा होगा जिसने महर्षि दयानन्द का वह चित्र कबाड़ी को बेचा था। 
ईश्वर दयालु आर्य से जुड़ी हमारी अनेक स्मृतियां हैं। इस लेख में उनमें से कुछ स्मृतियों का यहां उल्लेख कर रहे हैं। श्री ईश्वर दयालु जी आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के सभासद व अधिकारी रहें। हमें वर्ष 1994-1995 में आर्यसमाज-धामावाला के सत्संगों का संचालन करने का अवसर मिला था। इस कार्यकाल में सत्संगों में हमारी संत्संग संचालन समिति द्वारा जहां सैद्धानिक विषयों पर प्रवचन कराये जाते थे वहीं हमने समाज में वरिष्ठ पत्रकारों का सम्मेलन, स्वतन्त्रता सेनानी सम्मान सम्मेलन, कृष्ण जन्माष्टमी पर्व तथा पर्यावरण व समाज व्याख्यान विशेष रूप से आयोजित किये थे। पत्रकारिता सम्मेलन का विषय था आर्यसमाज की संस्कृत व हिन्दी पत्रकारिता को देन। इसी प्रकार स्वतन्त्रता सेनानी सम्मान सम्मेलन में नगर के सभी वरिष्ठ स्वतन्त्रता सेनानियों को आमंत्रित कर आर्यसमाज की स्वतन्त्रता आन्दोलन में भूमिका व योगदान पर गोष्ठी आयोजित की गई थी और सभी स्वतन्त्रता सेनानियों का सम्मान किया गया था। यह सम्मेलन 15 अगस्त, 1994 को हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर वरिष्ठ पौराणिक विद्वान आचार्य वायुदेवानन्द जी, मथुरा को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को बहुत आदर व श्रद्धापूर्ण शब्दों में भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी थी। पर्यावरण और समाज व्याख्यान में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् श्री वीरेन्द्र पैन्यूली जी को आमंत्रित किया गया था। ऐसे आयोजन हमारे जीवन में इससे पूर्व समाज में देखने को नहीं मिले। इसका कारण यह था कि हमारे समाज की सत्संग समिति के प्रमुख प्रा. अनूप सिंह जी थे। वह स्वयं शिक्षक, वरिष्ठ पत्रकार, आर्य विद्वान, प्रभावशाली वक्ता तथा राजनेता थे। उनका परिचय व सम्पर्क क्षेत्र अति विस्तृत था
जब किसी कीर्तिशेष आर्य विद्वान का जन्म दिचस व पुण्य तिथि होती थी तो उस अवसर पर उनके जीवन पर भी संक्षिप्त प्रवचन सहित वैदिक सिद्धान्तों पर प्रवचन कराते थे। ऐसे ही एक अवसर प. लेखराम बलिदान दिवस पर हमने श्री ईश्वर दयालु आर्य जी को पं. लेखराम जी के जीवन पर मुख्य प्रवचन के लिये निवेदन किया था। आपने पूरी तैयारी के साथ यह प्रवचन दिया था। आज भी वह दृश्य हमारी आंखों के सामने उपस्थित है। श्री आर्य देहरादून की तीन प्रमुख आर्य संस्थाओं आर्ष गुरुकुल पौंधा, वैदिक साधन आश्रम, तपोवन तथा मानव कल्याण केन्द्र के उत्सवों के अवसर पर भी आयोजनों में पधारते थे। कोरोना से पूर्व वैदिक साधन आश्रम तपोवन के उत्सव में भी वह अपने पुत्र व पुत्र वधु के साथ आये थे जिसकी स्मृतियां इन पंक्तियों को लिखते हुए हमारी स्मृति में आ रही हैं। 
देहरादून के प्रमुख आर्य विद्वान प्रा. अनूप सिंह जी मृत्यु से पूर्व लगभग एक वर्ष व अधिक कैन्सर रोग से पीड़ित थे। इस अवधि में हम उनसे मिलने नियमित रूप से जाते थे। कभी कभी उनको कैन्सर के स्थान कमर में भयंकर असहनीय पीड़ा होती थी। हम प्रायः प्रतिदिन उनके घर पर फोन पर हालचाल पता करते थे। जब जब यह पीड़ा होती थी तो हम श्री ईश्वर दयालु आर्य जी को साथ लेकर पैदल ही उनके निवास से प्रा. अनूप सिह जी के निवास पर उन्हें देखने जाते थे और उन्हें सान्त्वना देने सहित रोग के कारणों पर विचार करते थे। हमें यह भी ज्ञात है कि 20 वर्ष पहले श्री दयालु जी 68 वर्ष और हम 48 वर्ष के थे। दयालु जी इतना तेज चलते थे कि हमें उनसे मिलकर साथ साथ चलने में कठिनाई अनुभव होती है। इसका अर्थ यह है कि उन दिनों उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा था और वह एक युवक के समान ऊर्जावान् थे। हमने यह भी जाना था कि वह स्वास्थ्य की छोटी छोटी बातों का ध्यान रखते थे। यही उनके स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन का आधार था। श्री ईश्वर दयालु आर्य जी वर्ष 1994-1995 में देहरादून समाज की ओर से आर्य प्रतिनिधि सभा, उत्तर प्रदेश में प्रतिनिधि थे। सभा के लखनऊ में आयोजित त्रैवार्षिक निर्वाचन में देहरादून से पांच प्रतिनिधियों में हम व दयालु जी भी सम्मिलित हुए थे। तब भी हम यात्रा में उनके साथ रहे तथा एक ही स्थान पर निवास किया था। इस अवधि में भी हमने उनके व्यवहार व व्यक्तित्व की विशेषताओं को जाना था। 
श्री ईश्वर दयालु आर्य जी का हमसे हार्दिक प्रेम था। हमने अनेक अवसर पर उनके निवास पर आयोजित यज्ञों व संस्कारों में पौरोहित्य का कार्य किया है। इस कारण उनके परिवार व अनेक संबंधी हमें जानते हैं। इस अवसर पर भी वह हमारा विशेष सम्मान करते थे। ऐसा ही सम्मान वह आर्य समाज के सभी पुरोहितों व विद्वानों को दिया करते थे। श्री आर्य देहरादून में शहीद उधम सिंह जी के बलिदान पर्व मनाने वाली आयोजन समिति के भी प्रमुख व्यक्तियों में थे। उनके समय में जब यह पर्व दिसम्बर महीने में आता था तो वह हमें इसे कराने के लिये प्रेरित करते थे और हम सहर्ष समय पर पहुंच कर यज्ञ सम्पन्न कराते थे। इसके कुछ चित्र भी हमारे पास हैं जो उनकी हमारे प्रति प्रेम का प्रमाण हैं। श्री दयालु जी की पुत्री व छोटे पुत्र के विवाह कार्यक्रम व संस्कार में भी हमें सम्मिलत होने का अवसर मिला था। यह दोनों विवाह संस्कार आर्य पुरोहितों ने वैदिक विधि से सम्पन्न कराये थे। यह दयालु जी का वैदिक सिद्धान्तों में निष्ठा का प्रबल प्रमाण है। यह भी बता दें कि अपनी पुत्री के विवाह का निमंत्रण पत्र आपने हिन्दी व संस्कृत दोनों भाषाओं में छपवाया था। जीवन में अपने मित्रों में दयालु जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संस्कृत में विवाह का निमंत्रण पत्र छपवाया था। अब तो आर्य परिवारों के सदस्य आर्यसमाज की परम्पराओं को विस्मृत कर इन कार्यों के लिये अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं। उन्हें हिन्दी का महत्व तथा अंग्रेजी के प्रयोग से हिन्दी का जो अपमान होता है, उसका ज्ञान ही नहीं है। जब जब ऐसी स्थिति आती है तो हमें बहुत पीड़ा होती है और हम किसी अन्य रूप में इसके सुधार का उपाय करते हैं। समय-समय पर हमने श्री आर्य जी को गुरुकुल आदि संस्थाओं में यथेष्ट धनराशि दान के रूप में देते हुए भी देखा है। श्री ईश्वर दयालु जी का एक गुण यह भी था कि वह वेदमन्त्रोचार करने वाले पुरोहितों के मन्त्र पाठ में अशुद्धियों को सहन नहीं करते थे। यज्ञ समाप्त होने के बाद वह पुरोहित जी को सम्मानपूर्वक सुधार हेतु उनकी त्रुटियों को बता देते थे। स्वाध्याय उनके जीवन का अंग रहा और अन्तिम दिनों तक उन्होंने वेदों का स्वाध्याय करना छोड़ा नहीं। यदि हम और विचार करेंगे तो उनके अनेकानेक गुण हमारी स्मृति में आते जायेंगे। 
श्री ईश्वर दयालु आर्य जी धर्मपत्नी माता यशवन्ती देवी जी उनके जीवन का प्रमुख हिस्सा रही हैं। अतः उनके जीवन का संक्षेप में यहा उल्लेख कर रहे हैं। माता यशवन्ती देवी जी सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के एक ग्राम खुर्रमपुर में जन्मी थीं। उनके पिता श्री मुत्सिद्दी लाल तथा माता का नाम श्रीमति भागीरथी था। पिता सहारनपुर के प्रसिद्ध आर्यसमाजी थे। वह एक प्राइमरी स्कूल के अध्यापक थे। इसके साथ वह हारमोनियम पर आर्य समाज के भजन भी गाया करते थे। हारमोनियम बजाने के गुण व संस्कार माता यशवन्ती देवी में भी साथ आयेे थे। गुरूकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर की प्रबन्ध समिति अर्थात् अन्तरंग सभा के श्री मुत्सिद्दी लाल लगभग 15 वर्षों तक सदस्य रहे। माता यशवन्ती देवी जी के मायके में प्रति दिन यज्ञ हुआ करता था। यज्ञ के सभी मन्त्रों सहित स्वस्तिवाचन व शान्तिकरण के मन्त्र भी आपको कण्ठस्थ थे। पिता ने विवाह के समय माता यशवन्ती देवी को एक हारमोनियम भी दिया था जिसे माताजी बहुत सम्भाल कर रखती थी और उस पर भजन गाया करती थी। पारिवारिक कार्यक्रमों व सत्संगों में, जहां महिलाओं द्वारा यज्ञ व सत्संग होता था, आप यदा-कदा भजन गाया करती थी। माताजी की एक बड़ी बहिन दमयन्ती तथा एक छोटे भाई सहदेव थे। बड़ी बहिन का विवाह करनाल में हुआ था जो बाद में रोहतक में रहने लगी थीं। अब वह भी दिवंगत हैं। छोटे भाई सहदेव ने उन दिनों कक्षा 12 तक पढ़ाई करने के बाद गांव में अध्यापन का कार्य किया। माताजी ने भी पांचवी पास करने के बाद अपने गांव के बच्चों को 2 वर्ष तक पढ़ाया था। श्री ईश्वर दयालु आर्य ने हमें बताया था कि घर में बच्चों के लालन-पालन में उनके स्वभाव में मास्टराना अन्दाज यदा-कदा दृष्टिगोचर होता था। आपके दो भाई, ताऊजी के पुत्र, श्री जगदीश चन्द्र शास्त्री (विद्या भास्कर) व श्री देवपाल शास्त्री (आयुर्वेद भास्कर) गुरूकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर के स्नातक थे। बड़े भाई गुरूकुल में जगदीश बाबा के नाम से प्रसिद्ध थे। आपका शरीर अत्यन्त स्वस्थ, भव्य, आकर्षक तथा लम्बा था। आपने हिमाचल प्रदेश में अध्यापन का कार्य किया। आपके दूसरे भाई श्री देवपाल शास्त्री ने गुरूकुल महाविद्यालय से आयुर्वेद भास्कर करने के बाद अध्यापन का कार्य किया। आप रोगियों की चिकित्सा भी किया करते थे। 
आर्य विचारों से पूरित पारिवारिक वातावरण के कारण माता यशवन्ती देवी जी भी युवावस्था में आर्य संस्कारों से पूरी तरह से अलंकृत वा समाविष्ट थीं। आपके पति श्री ईश्वर दयालु आर्य ने अनेक बार हमें बताया कि उनका अपना परिवार आर्यसमाज से अधिक परिचित नहीं था। जब विवाह का प्रस्ताव हुआ और दोनों परिवार उसके लिए सहमत हो गये तो विवाह संस्कार की बात सामने आई। माताजी के पिता ने वर पक्ष को कहा कि हमारी पुत्री विवाह संस्कार में कन्या द्वारा बोले जाने वाले सभी मन्त्र स्वयं बोलेगी और इसी प्रकार से वर को भी वर द्वारा बोले जाने वाले सभी मन्त्रों को स्वयं बोलना होगा। इसके लिए उन्होंने वर पक्ष को संस्कार विधि पुस्तक की एक प्रति मंत्र पाठ की तैयारी करने के लिए दी थी। श्री ईश्वर दयालु आर्य बताते हैं कि इस प्रकार उन्हें अपने विवाह से पूर्व संस्कारविधि को देखने व अध्ययन करने का पहली बार अवसर मिला। इस घटना को वह अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना मानते थे। यह घटना वह माताजी की उपस्थिति में हमें सुनाया करते थे और इसे उन्होंने अनेक अवसरों पर हमें सुनाया। वह स्वीकार करते थे कि आर्यसमाज के विचारों व सिद्धान्तों पर उनकी आस्था माताजी व उनके परिवार की संगति का ही परिणाम रही है।
आज हमारे पितृतुल्य श्री ईश्वर दयालु आर्य जी अपने भौतिक शरीर से हमारे बीच में नहीं है परन्तु उनका यशःशरीर आज भी हमारे पास है। आपकी मधुर व प्रेरणाप्रद जीवनादर्शों की स्मृतियां ही उनका यशःशरीर हैं जो हमें प्रेरणा करता रहा है और करता रहेगा। हम श्री आर्य जी को उनके प्रेरणादायक जीवन व आदर्शों का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देते है। उनका परिवार आर्य-पथानुगामी व स्वाध्यायशील बने, वैदिक नित्य कर्मों व अनुष्ठानों को करे-कराये, यही हमारी उनसे अपेक्षा एवं शुभकामना है। ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि यह परिवार स्वस्थ, सुखी हो व वैदिक विद्वानों का सहयोगी बना रहे। एक कवि की पंक्तियां हैं ‘पत्ता टूटा पेड़ से, ले गई पवन उड़ाये। अब के बिछुड़े न मिलेगें, दूर पड़ेगें जाय।’ इस श्रद्धांजलि के साथ ही हम लेख को विराम देते हैं। 


पूर्व की सरकारों, अधिकारियों और भूमाफियाओं के सांठगांठ ने बेच दी 1000 कऱोड की 1000 बीघा सरकारी व गैरसरकारी भूमि: विधायक नंदकिशोर गुर्जर


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
लोनी। शुक्रवार को लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने प्रेस वार्ता कर लोनी में पूर्व की सरकारों के शह पर अधिकारियों और भूमाफियाओं की मिलीभगत द्वारा एक हजार कऱोड की लागत की 1000 बीघा जमीन भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर बेच देने और प्लाटिंग करने का दावा किया है। विधायक ने प्रेस वार्ता के दौरान सभी कब्जाई ज़मीनों का विस्तृत से उल्लेख करते हुए अपने दावे के पक्ष में कागज रखते हुए कहा कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की बेशकीमती जमीन भूमाफियाओं द्वारा बेच दी गई है। विधायक के प्रेस वार्ता के बाद जनपद से लेकर लोनी प्रशासन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में लोनी एसडीएम को सभी विभागों को मिलाकर एक संयुक्त जांच टीम का गठन करना पड़ा जो 10 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेगी।
विधायक ने कहा कि लोनी में भूमाफिया फिर से सर उठा रहे है पिछली सरकारों के घोटाले अभी तक निकल ही रहे है। लोनी में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन और निजी ज़मीनों पर भूमाफियाओं द्वारा ज़मीन कब्जा की जा रही है लेकिन हम लोनी को फिर से 90 के दशक में लौटने नहीं देंगे। इन सभी ज़मीनों को कब्जा मुक्त कर केंद्रीय विद्यालय, खेल स्टेडियम, मेडिकल कॉलेज, पार्क आदि समेत एक आदर्श विधानसभा के लिए जरूरी सभी सौपानों का निर्माण किया जाएगा।


सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद बेच दी गई ज़मीन, वनविभाग-पालिका की ज़मीन पर काट दिए गए प्लाट,  अधिकारियों को नहीं लगी भनक:
विधायक ने एसडीएम को सौंपे पत्र के साथ एक विस्तृत पेज संलग्न करतर हुए लोनी के विभिन्न हिस्सों में कब्जाई गई सरकारी एवं वनविभाग की भूमि का खसरा नम्बर सहित उल्लेख किया है 


निर्मल सिंह मंगू प्रकरण:
विधायक ने दावा किया है कि 4 साल पूर्व निवेशकों से 45 हजार कऱोड रुपये ठगने वाले पर्ल ग्रुप के एमडी निर्मल सिंह भंगू द्वारा विभिन्न कंपनियों के नाम से लोनी चकबंदी क्षेत्र खसरा संख्याः 
969, 932, 933, 699, 850, 851, 852, 890, 898, 1016, 1017, 102 समेत दर्जनों भूमि खरीदी गई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद भी ज़मीन की अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर भूमाफियाओं द्वारा प्लाटिंग कर दी गई है।


भूमाफियों ने नहीं बख्शा औद्योगिक क्षेत्र:
विधायक ने रूपनगर औद्योगिक क्षेत्र की जमीन खसरा नंबर: 1477 का उल्लेख करते हुए लिखा है कि जितेंद्र यादव नाम के किसी व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से फैक्ट्री बनाकर एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया गया है। 


लालबाग मास्टरप्लान में शामिल ज़मीन निगल गए भूमाफिया:
विधायक ने 1963 में लाल बाग कॉलोनी  के मास्टरप्लान का पुराना नक्शा सामने रखते हुए कहा कि मास्टरप्लान में मौजूद ज़मीन जो वैसुधा लैंड एंड फाइनेंस कंपनी द्वारा पार्क के लिए छोड़ी गई थी जिसका खसरा न. 100, 135 पर भी  भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया है। साथ ही लालबाग मास्टर प्लान के तहत छोड़ा गया 150 फुट चैड़े मार्ग खसरा न. 192 स्थित लाल बाग शब्जी मंडी पर भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। 


पूर्व में शासन-प्रशासन और भूमाफियाओं की मदद से बेच दी वनविभाग की ज़मीन, अब ढूंढ रही है वनविभाग अपनी ज़मीन:
विधायक नंदकिशोरर गुर्जर ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पूर्व में लोनी में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मिलीभगत करके खसरा नंबरः 1/16/8 समेत कुल 16 अन्य खसरा प्लाॅट्स जिसका क्षेत्रफल 107.01 एकड़ है, को भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर बेच दिया गया है और आज वनविभाग को मालूम ही नहीं है कि उसकी जमीन  कहाँ है? इसे चिन्हित कर तुरंत वनविभाग को ज़मीन सौंपा जाए। वहीं विधायक ने बताया कि नगर पालिका की सरकारी भूमि खसरा न. 1/16/11 रकबा 16950 है, 1/16/9/2 रकबा 2.187 है. एवं 1/16/6 रकबा 3.161 है. भूमि नगरपालिका परिषद् लोनी पर भी अवैध रूप से कब्जा किया गया है।
विधायक नंदकिशोर गुर्जर के अनुसार करीब 1000 कऱोड की लागत की लगभग 1000 बीघा जमीन भूमाफियाओं द्वारा या तो बेच दी गई है या फिर उसपर अवैध कब्जे है। 


अधिकारियों में हड़कंप,एसडीएम लोनी के नेतृत्व में गठित संयुक्त जांच टीम 10 दिन में सौंपेगी विधायक और जिलाधिकारी को रिपोर्ट:
विधायक द्वारा लोनी में हजारों कऱोड के ज़मीन कब्जाने के खुलासे के बाद गाजियाबाद से लेकर लोनी तहसील तक अधिकारियों में हड़कम्प मच गया। एसडीएम लोनी खालिद अंजुम ने विधायक के नेतृत्व में नगरपालिका, वनविभाग, तहसील, जीडीए आदि संबंधित विभागों की बैठक बुलाकर सभी विभागों को मिलाकर एक संयुक्त जांच टीम का गठन किया है जिसे सभी खसरा नंबरों की जांचोपरांत कब्जामुक्त करवाकर भूमाफियाओं के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश के साथ  10 कार्यदिवस में विस्तृत रिपोर्ट के साथ प्रशासन और विधायक को अवगत कराना है।



विधायक ने कहा लोनी को बनाएंगे माफिया मुक्त आदर्श विधानसभा, भूमाफियाओं ने दिया प्रलोभन, दोषियों पर कराएंगे कठोर कानूनी कार्रवाई:
लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि भूमाफियाओं की पिछले कुछ समय से क्षेत्र में इतनी हिम्मत बढ़ गई है कि वो मेरे द्वारा उल्लेखित ज़मीनों पर चुप रहने के लिए रिश्वत लेकर मुझतक पहुंच गए लेकिन हमारा संकल्प लोनी को आदर्श विधानसभा बनाने की है, भूमाफिया मुक्त बनाने की है। सभी दबावों को दरकिनार कर आज लोनी को बेचने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ पुनः हमने मोर्चा खोल दिया  है और लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को सभी कागजों के साथ अवगत कराया जाएगा कि कैसे लोनी में सरकार की मंशा और नीति के विपरीत जाकर पूर्व में अधिकारियों के साँठ-गांठ से हजारों कऱोड की बेशकीमती सरकारी एवं गैरसरकारी ज़मीन कब्जा कर ली गई या उन्हें बेच दिया गया है। मैं जिलाधिकारी को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने पूर्व में मेरे कहने पर भूमाफियाओं पर नकेल कसी और इस  मामलें में भी जांच कर कठोर कार्रवाई की बात कहीं हैं। वहीं भूमाफिया स्वंय को अब देश की सर्वोच्च अदालत से भी खुद को बड़ा मानने लगे है सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद ज़मीनों को बेच दिया गया लेकिन अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। बेचने वाले अधिकारी या भूमाफिया कितने भी बड़े क्यों न हो उन्हें बक्शा नहीं जाएगा। लोनी में रामराज्य की स्थापना के लिए हम कटिबद्ध एवं संकल्पबद्ध है।
वहीं विधायक ने एसडीएम को प्रदूषण, अवैध बूचड़खाना, जलदोहन, अवैध फैक्टरियों, दिल्ली से लोनी में आकर ई-वेस्ट, तार जलाने वालों पर भी कार्रवाई करने के लिए कहा है जिसके कारण लोनी की हवा प्रदूषित हो रही है और अवैध बुचड़खाने एवं कट्टीघर हवाई हादसों को न्यौता दे रहे है।


एनटीपीसी दादरी द्वारा सीएसआर अंतर्गत समीपवर्ती स्कूलों को फर्नीचर (मेज, कुर्सी एवं बुक शेल्फ) वितरण


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
दादरी। एनटीपीसी दादरी में कारपोरेट सामाजिक दायित्व के अंतर्गत 25 सितंबर, 2020 को परियोजना समीपवर्ती ग्रामीण अंचल में स्थित 22 राजकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में फर्नीचर (मेज, कुर्सी एवं बुक शेल्फ) वितरित किया गया। साथ ही कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, धौलाना एवं सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, विद्युत नगर को भी उपरोक्त फर्नीचर उपलब्ध कराया गया। कार्यक्रम में कुल 100 कुर्सी, 26 मेज तथा 24 बुक शेल्फ का वितरण किया गया। 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समूह महाप्रबंधक (दादरी), सी शिवकुमार ने अपने संबोधन में कहा कि एनटीपीसी अपने मुख्य व्यवसाय विद्युत उत्पादन के साथ परियोजना समीपवर्ती ग्रामों के सर्वागीण विकास हेतु कृत संकल्पित है और मुझे आशा ही नही वरण पूर्ण विश्वास है कि हमारे सीएसआर के अंतर्गत किये जा रहे प्रयासों से सभी विद्यालय लाभान्वित होंगे।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष, मानव संसाधन श्रीमती विजय लक्ष्मी मुरलीधरन ने अपने संबोधन में अतिथियों को स्वागत करते हुए सीएआर के अंतर्गत ग्रामीण विकास से संबंधित गतिविधियों पर प्रकाश डाला। साथ ही आहवान किया कि एनटीपीसी आपकी अपेक्षाओं के अनुरुप अपकी आवश्यकताओं को पूरा करने में हमेशा सहयोग करती रहेगी।
इस अवसर पर पी के उपाध्याय महाप्रबंधक (गैस), धर्मेन्द्र राजपूत, सहायक कमाण्डेट (सीआईएसएफ), निकेश कुमार, वरिष्ठ प्रबंधक (मानव संसाधन), श्रीमती श्वेता, वरिष्ठ प्रबंधक (मानव संसाधन) एवं सचिव प्रेरणा समिति, डी सी सैनी, अधिकारी (सीएसआर) एवं स्कूलों के प्रधानाचार्य एवं अध्यापकगण/अध्यापिकाएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन कन्हैया लाल, वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) द्वारा किया गया।
साभार: पंकज सक्सेना


पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की मनाई 104 वी जयंती


कपिल पांचाल—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। लोनी गाजियाबाद .आज. बलराम नगर मंडल अध्यक्ष प्रशान्त कुमार की अध्यक्षता में परम श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर बलराम नगर मंडल पूजा कॉलोनी के सेक्टर 119 सतीश कडेरा सेक्टर 118 आर्येन्द्र शर्मा के सेक्टर में बूथ संख्या 188 रामचन्द्र चौहान बूथ संख्या 194 राम सुखपाल के निवास स्थान पर बूथ संख्या.186.188.189.192.194.109.110.पर मुख्य अतिथि कपिल पांचाल मंडल मंत्री डॉ रविश शर्मा मंडल मंत्री रविन्द्र सिंह पंवार मंडल उपाध्यक्ष पार्षद अनूप सिंह भड़ाना पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के कार्यक्रम में रहना हुवा एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चरण कमलो मे पुष्प अर्पित कर जन्म दिवस मनाया। और सभी सेक्टर संयोजक व बूथ अध्यक्ष को फूल माला पहनाकर सम्मानित किया।
 इस मौके मुख्य रूप से सतीश कडेरा सेक्टर संयोजक रविन्द्र पंवार मंडल उपाध्यक्ष कपिल पांचाल मंडल मंत्री डॉ रवीश कुमार शर्मा मंडल मंत्री जिला मंत्री महिला मोर्चा शीला कुशवाहा जिला मंत्री ललिता कुशवाहा पार्षद अनूप सिंह भड़ाना बूथ अध्यक्ष सुषमा राठी कंचन देवी रामचन्द्र चौहान बूथ अध्यक्ष देवेन्द्र अग्रवाल बूथ अध्यक्ष राम सुखपाल बूथ अध्यक्ष राम प्रताप तिवारी रामदेव अनुपम सक्सेना आर एन मौर्य शकर रामचन्द्र राय पुजारी  संदीप कुमार सभी सम्मानित कार्यकर्ता बंधु उपस्थित रहे।



पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर भाजपा नेता पंडित ललित शर्मा ने किया नमन


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। शुक्रवार को संगम विहार लोनी के बूथ अध्यक्ष होने के नाते बूथ संख्या 149, 140, 141 पर व बलराम नगर विस्तार के बूथ नंबर 318, 319, 320 पर प्रभारी होने के नाते और राजीव गार्डन में बूथ नंबर 149, 150, 151 पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 104 वीं जन्मजयंती पर भाजपा नेता एवं लोनी विधायक प्रतिनिधि पंडित ललित शर्मा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष डॉक्टर परविंदर जांगड़ा, जिला मंत्री अश्विनी कुमार, मंडल अध्यक्ष प्रशांत ठाकुर व पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ नमन किया। 
भाजपा नेता पंडित ललित शर्मा ने कहा कि आज भाजपा शून्य से विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी है तो इसके पीछे पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का त्याग उनके सिद्धांतों का आज भी प्रासंगिक होना है।
आज लोनी में अगर कमजोर वर्ग को सरकार की हर कल्याणकारी योजनाओं में ससम्मान भागीदारी मिली है और विभिन्न गरीब कल्याण की आयुष्मान भारत, आवास योजना से लेकर मुख्यमंत्री आरोग्य योजनाओं का बिना भेदभाव के लाभ मिल रहा है तो इसके पीछे क्षेत्र के विधायक नंदकिशोर गुर्जर जी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों से मिलने वाली प्रेरणा है जिससे माननीय विधायक जी 24 घंटे क्षेत्र की जनता की सेवा के लिए तत्पर रहते है। पंडित दीनदयाल जी का का सपना था कि एक मजबूत और सशक्त भारत का निर्माण हो यहीं सपना विधायक नंदकिशोर गुर्जर जी का हो कि एक सशक्त और मजबूत लोनी का निर्माण हो जिसमें क्षेत्र की 16 लाख जनता का सर्वांगिण विकास सुनिश्चित रहें। इस मौके पर प्रमुख रूप से पालिका पार्षद मीना शर्मा, ओबीसी मोर्चा के जिला महामंत्री जितेंद्र कश्यप, मंडल महामंत्री कमल प्रकाश, बलराम नगर मंडल उपाध्यक्ष दिनेश डेडा, सेक्टर संयोजक सतीश, मंडल मंत्री राजीव शर्मा, मामराज प्रधान, पूर्व पार्षद प्रमोद गुप्ता, बूथ अध्यक्ष सोनू त्यागी, मनोज आर्य, सुनील भारद्वाज, नारायण दत्त शर्मा, सचिन श्रीवास्तव, आकाश पांचाल, आशु पर्चा, सेक्टर संयोजक नवीन जोशी, राहुल, संजीव ठाकुर, राजकुमार यादव आदि उपस्थित रहे।



साभार: ललित शर्मा


नए भारत के निर्माण में आज भी पंडित जी के विचार है प्रासंगिक: विधायक नंदकिशोर गुर्जर


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। शुक्रवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय  की 104वीं जयंती पर विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने इलायाचीपुर के बूथ नम्बर 40, 41 और 42 पर पार्टी के मण्डल अध्यक्ष, सेक्टर संयोजक, बूथ अध्यक्ष और कार्यकर्ताओं के साथ माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस दौरान विधायक ने कार्यकर्ताओं से पंडित दीनदयाल के आदर्शों को आत्मसात और प्रदेश एवं केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक लेकर जाएं जिससे 'अंत्योदय से भारत उदय' के मूलमंत्र की सिद्धि प्राप्त की जा सकें।



"पार्टी कार्यकर्ता करें पण्डित दीनदयाल जी के विचारों को आत्मसात, नए भारत के निर्माण में आज भी प्रासंगिक है विचार":
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय के प्रणेता, महान विचारक व प्रखर राष्ट्रवादी पं. दीनदयाल उपाध्याय जी राष्ट्र ऋषि थे। एक ऐसे युगदृष्टा थे जिनके द्वारा बोये गए विचारों और सिद्धांतों के बीजों ने देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने का काम किया। उनकी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुननिर्माण के लिए थी और भारत को उसके गौरव पर पुनर्स्थापित करने के लिए थी। पंडित दीनदयाल जी का मानना था कि जब तक हम समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति तक विकास नहीं पहुंचाते, तब तक देश की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। यह उनके तपस्यापूर्ण जीवन और विचार की शक्ति का ही अनुकरण ही था कि न जाने कितने राष्ट्रभक्तों ने जीवन के सभी सुखों का त्याग कर देश सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। आज एक भाजपा के कार्यकर्ता के नाते हमको गर्व है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में चल रही सरकार की जनकल्याणकारी सभी योजनाओं में समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति की चिंता है उनके उत्थान के मार्ग है। आज प्रदेश एवं केंद्र सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद के दर्शन और अंत्योदय की विचारधारा को साकार करने का कार्य निरंतर कर रही है क्योंकि आज भी पण्डित जी विचार नए भारत के निर्माण में प्रासंगिक है। 
इस दौरान देहात लोनी मण्डल अध्यक्ष अशोक त्यागी, महामंत्री मनीष चौहान, उपाध्यक्ष भूपेंद्र लोहिया, सेक्टर संयोजक आदित्य मिश्रा, अनुज प्रधान, बूथ अध्यक्ष सूरज मिश्रा, पप्पू, प्रदीप, विजय समेत पार्टी के कार्यकर्ता उपस्थित रहें।
साभार: ललित शर्मा


राम दुलार यादव ने की विद्यार्थियों को पुस्तक वि​तरित


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। भगवान बुद्ध नि:शुल्क पुस्तकालय, वाचनालय आश्रम रोड मेन बाजार नंदग्राम गाजियाबाद के प्रांगण में लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव द्वारा प्रतियोगी छात्रों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता की तैयारी आई0 ए0 एस0, आई0 पी0 एस0, पी0 सी0 एस0, रेलवे, बैंकिंग, पुलिस भर्ती तथा उच्च शिक्षा एवं सामान्य ज्ञान की पुस्तक वितरित की गयी, वैश्विक महामारी कोरोना को ध्यान में रखते हुए मुख पट्टी (मास्क) का भी वितरण किया गया, कार्यक्रम की संचालिका सुधा गौतम ने सभी आये हुए आगंतुकों का आभार व्यक्त किया| शिक्षाविद मुकेश शर्मा, समाजवादी महिला सभा उपाध्यक्ष जनपद गाजियाबाद संजू शर्मा, प्रसिद्ध समाजसेविका बिन्दू राय भी कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल रहीं|
  प्रतियोगी छात्रों को सम्बोधित करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि “संस्था का उद्देश्य देश और समाज में उच्च शिक्षा का प्रसार-प्रचार करना है इसी क्रम में पुस्तकालय में छात्रों के लिए उच्चकोटि की पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है जिससे यहाँ अध्ययन करने के बाद जब छात्र सरकारी सेवा में जायें या किसी जगह कार्यरत रहें तो उन्हें देश, समाज और व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का कार्य करने में संकोच नहीं करना चाहिए तथा समाज में सद्भाव, भाईचारा, प्रेम और सहयोग, समता की भावना पुष्पित, पल्लवित हो, प्रयत्नशील रहना चाहिए”| कठिन परिश्रम, त्याग से ही सफलता मिलती है यह ध्यान में रखते हुए निष्ठा और लगन से अध्ययनरत रहना चाहिए| आज देश में शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों की हालत चिन्ताजनक है, लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जन-मानस को जागरूक कर रहा है, उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतियोगी छात्र को जिस भी पुस्तक की आवश्यकता होगी चाहे वह कितनी भी कीमत की हो तथा कहीं भी मिले उपलब्ध करायी जायेगी| वैश्विक महामारी कोरोना को ध्यान में रखते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा 500 परिवारों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष कवच (काढ़े) का भी वितरण किया गया| जो शुगर फ्री है, तथा कई रोगों में लाभदायक है| 
  कार्यक्रम में प्रतियोगी छात्र जो प्रतिदिन अध्ययनरत है पूजा गौतम, खुशबू, प्रियंका, मनीष, सतीश, धर्मेन्द्र यादव, सागर, आनन्द दूबे, गौरव पाल, पारस, शुभम, नमन मोदी, आदिव्य, धनराज, दीपक पाण्डेय, वंश, रोहित, सुभाष उपस्थित रहे|



भवदीय 
हरिशंकर यादव 


पूर्व सांसद बीरेन सिंह एंगती के घर में घुसकर हमला, हमलावर गिरफ्तार 


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। पुलिस ने एक व्यक्ति को पूर्व संसद सदस्य और आसाम के कार्बी आंगलोंग जिला कांग्रेस कमेटी (केएडीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष  बीरेन सिंह एंगती के घर में जबरन घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया है।  प्राप्त जानकारी के अनुसार आसाम के पहाड़िन कांगनेक तोकबी गाँव निवासी देउरी एंगती (35) ने घर में घुसकर सांसद के घर के बाहर खड़ी टोयोटा इनोवा कार के खिड़की के शीशे को तोड़ दिया, इसके अलावा घर में जबरन घुसकर डाइनिंग टेबल और कुर्सियों सहित फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। हमलावर होता देख सांसद एक घरेलू सहायक इस बदमाश को दबोच कर पकड़ा जिसके बाद इसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार यह घटना मंगलवार 22 सितंबर की सुबह 5 :30 बजे की बतायी जा रही है। 
इस पुरे घटनाक्रम की जानकारी देते हुए थाना प्रभारी एकॉन टेरोन ने कहा कि हमलावर बदमाश देउरी एंगती (35) को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।  थाना प्रभारी एकॉन टेरोन ने कहा कि इस बदमाश देउरी ने पूर्व सांसद बीरेन सिंह एंगती के घर में जबरन घुस गए और बिना किसी कारण के संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। प्रत्यक्षदर्शी पूर्व सांसद के ड्राइवर मुकुल बोरा के बताया कि बदमाश सुबह किसी के पीछे से घर में घुसे थे, जब कोई जाग नहीं रहा था।  बोरा के अनुसार, बदमाश ने शुरुआत में खिड़की को क्षतिग्रस्त कर दिया था।  कार ले और बाद में कमरे और पुरानी फर्नीचर कुर्सियों में प्रवेश किया, बोरा ने उस समय पुलिस व सांसद दोनों सूचित किया और नौकर की मदद से बदमाश को काबू किया। इसके बाद उसे पुलिस को सौंप दिया।  घटना के समय कोई भी मौजूद नहीं था अन्यथा वह हमला जरूर करता और शारीरिक नुकसान भी पहुँचता। अब पुलिस आगे मामले की जाँच कर हमले की पीछे इसकी क्या मंशा थी। 


भवदीय 
अशोक कुमार निर्भय 
वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया सलाहकार


“स्वाध्याय व साधना से आत्मा की उन्नति व शारीरिक सुख का लाभ होता है”


परमात्मा ने जीवात्मा के कर्मों के अनुसार अनेकानेक योनियां बनाई हैं। मनुष्य योनि सभी प्राणि योनियों में सर्वश्रेष्ठ है। यही एक योनि है जिसमें मनुष्य आत्मा की उन्नति कर ईश्वर को जान व उसका साक्षात्कार करके अपवर्ग वा मोक्ष को प्राप्त हो सकता है। मनुष्य के जन्म का कारण उसके पूर्वजन्म के कर्म हुआ करते हैं। जन्म मनुष्य योनि में हो या अन्य किसी भी योनि में हो, सभी योनियों में जीवात्मा को अनेक प्रकार के दुःख होते हैं। इन सभी दुःखों से मुक्ति का एक ही उपाय होता है कि मनुष्य श्रेष्ठ कर्मों को करें जिससे अशुभ व पाप कर्मों का परिणाम दुःख प्राप्त न हो। पुण्य व शुभ कर्मों को करने पर भी सुखों की मात्रा तो बढ़ाई जा सकती है परन्तु जन्म, मृत्यु सहित आधिदैविक, आधिभौतिक तथा आध्यात्मिक दुःख तो सभी मनुष्यों व मुमुक्षुओं को भी होते ही हैं। अतः मुक्ति के लिये साधन व प्रयत्न करना आवश्यक होता है जिससे मनुष्य जन्म व मरण और इसके कारण होने वाले सभी प्रकार के दुःखों से बच जाये। इसी की शिक्षा हमें वेद व वैदिक साहित्य में मिलती है। हमारे प्राचीन ऋषि, मुनि, योगी व ध्यानी उच्च कोटि के ज्ञानी पुरुष व महिलायें हुआ करती थीं। उन्होंने संसार का भली प्रकार से अध्ययन व विवेचन किया था। उन्होंने पाया था कि जीवात्मा का उद्देश्य आत्मोन्नति करते हुए मोक्ष की प्राप्ति करना ही है। आजकल की तरह धन कमाने की शिक्षा प्राप्त कर उचित व अनुचित साधनों से धन कमाना व इन्द्रिय व भौतिक सुखों को भोगना मनुष्य जीवन का लक्ष्य सिद्ध नहीं होता। भौतिक सुख रोग का कारण हुआ करते हैं। इससे सुख भोग का आधार व साधन हमारा शरीर निर्बल व रोगी हुआ करता है। अतः मर्यादा से अधिक भौतिक सुखों के भोग की इच्छा करना एक प्रकार से अपने साथ दुःख, रोग, निर्बलता एवं अल्प काल में मृत्यु को लेकर आता है। विचार करने पर ईश्वर, जीवात्मा तथा संसार को यथार्थरूप में जानना और इसे जानकर आत्मा की उन्नति करते हुए सांसारिक जीवन व जन्म व मरण के कारण पाप व पुण्यरूपी कर्मों से मुक्त होकर ईश्वर को प्राप्त होना ही मोक्ष कहलाता है जहां जीवात्मा ईश्वर के सान्निध्य में रहकर ईश्वर के आनन्द को भोगता है। मोक्ष को जानने के लिए सभी मनुष्यों को प्रयत्न करने चाहिये और इसका सर्वोत्तम साधन सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ है जिसको आद्योपान्त पढ़ना चाहिये तथा मुख्यरूप से मोक्ष विषयक सत्यार्थप्रकाश का नवम समुल्लास अनेक बार अवश्य ही पढ़ना चाहिये। इसे पढ़कर मोक्ष का महत्व विदित हो जाता है। इसके बाद सब मनुष्य अपनी अपनी शारीरिक तथा आत्मिक स्थिति के अनुसार अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए आत्मा व जीवन की उन्नति के इच्छित मार्ग पर चल सकते हैं।
मनुष्य को परमात्मा ने सत्य व असत्य का विवेचन व विवेक करने के लिये बुद्धि दी है। यह बुद्धि जिस परिष्कृत रूप में मनुष्यों को प्राप्त है वैसी अन्य प्राणी योनियों के प्राणियों को प्राप्त नहीं है। इस बुद्धि का विषय ज्ञान की प्राप्ति करना होता है। ज्ञान प्राप्ति के अनेक साधन हैं जिनमें माता, पिता व आचार्यों से ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त आचार्यों व उपदेशक विद्वानों के उपदेशों से भी ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इनसे भी बढ़कर मनुष्य को सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय से सभी विषयों का ज्ञान होता है। अतः प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन नियमित रूप से नयूनतम एक घंटा व अधिक समय तक स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये और इसमें कभी व्यवधान नहीं आने देना चाहिये। स्वाध्याय में जिन ग्रन्थों का स्वाध्याय करना चाहिये उनमें वेद व वेद के व्याख्या ग्रन्थों का मुख्य स्थान होता है। वर्तमान समय में हम सत्यार्थप्रकाश, पंचमहायज्ञविधि, आर्याभिविनय, व्यवहारभानु, गोकरुणानिधि, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, 11 उपनिषद, 6 दर्शन, विशुद्ध मनुस्मृति का स्वाध्याय करते हुए यजुर्वेद, सामवेद, ऋग्वेद तथा अथर्ववेद आदि का क्रमशः स्वाध्याय कर सकते हैं। ग्रन्थों की प्राथमिकता हम स्वयं या विद्वानों से पूछ कर निर्धारित कर सकते हैं। आर्यसमाज के विद्वानों ने उच्च कोटि का प्रभूत अध्यात्मिक साहित्य लिखा है। उनका अध्ययन करना भी आत्मा की उन्नति में लाभ प्रद होता है। यह स्वाध्याय भी साधना का प्रमुख अंग है। यदि हम युवावस्था में ही इस कार्य को आरम्भ कर दें तो कुछ ही वर्षों में हम इन सभी ग्रन्थों का अध्ययन कर सकते हैं और उसके बाद इनकी कई बार आवृत्ति भी हो सकती है। इससे निश्चय ही मनुष्य के ज्ञान में निरन्तर वृद्धि होती जाती है। मनुष्य के सभी भ्रम व शंकायें स्वतः दूर हो जाती हैं। ईश्वर की उपासना व साधना में प्रवृत्ति उत्पन्न होती है। यह प्रवृत्ति ईश्वर तथा आत्मा की प्रेरणा ही मनुष्य को साधना व मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चलने के लिये बल प्रदान करती है और इनका उपयोग करते हुए मनुष्य आत्मा की उन्नति के मार्ग में आगे बढ़ता जाता है। अतः वैदिक ज्ञान से युक्त सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय मनुष्य जीवन की उन्नति के लिये आवश्यक एवं अपरिहार्य है। किसी भी स्थिति में स्वाध्याय के कार्य को बन्द नहीं करना चाहिये जिससे जीवन के उत्तर काल में पश्चाताप करना पड़े। 
साधना वेद विहित व वेदानुकूल सत्कर्मों के आचरण को कहते है। इसमें ईश्वर की उपासना भी सम्मिलित होती है। इन सब कार्यों में मनुष्यों को पुरुषार्थ व तपस्वी जीवन व्यतीत करना होता है। अध्यात्म की साधना के लिये महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग का अभ्यास करना आवश्यक है। ऋषि दयानन्द ने भी अपने ग्रन्थों में अष्टांग योग की विधि से साधना करने का विधान किया है। उन्होंने स्वयं भी योगदर्शन की विधि से ही साधना करते हुए ईश्वर का साक्षात्कार किया था। वेद ज्ञान व योग के आश्रय से ही उन्होंने समाज सुधार, अविद्या के नाश, विद्या के प्रसार, अन्धविश्वासों व पाखण्डों का खण्डन, देश सुधार, सामाजिक क्रान्ति, शिक्षा क्रान्ति, देश की आजादी की प्रेरणा, मनुष्यों को वैदिक जीवन जीने की प्रेरणा आदि के अनेक महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न किये थे। योग व ध्यान साधना से मनुष्य का जीवन अपने परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है। योग का उद्देश्य जीवात्मा को आत्म साक्षात्कार व ईश्वर साक्षात्कार कराना ही होता है। यही मनुष्यों के लिये परम पुरुषार्थ, साधना, महान तप तथा मनुष्य जीवन को पूर्णता प्राप्त कराने का आधार होता है। 
दैनिक जीवन में स्वाध्याय करते हुए हमने उपनिषद, दर्शन, मनुस्मृति, सत्यार्थप्रकाश व वेदभाष्य आदि में जो पढ़ा होता है वह हमारी साधना, चिन्तन व ध्यान में सहायक होता है। साधना करते हुए मनुष्य को अन्य योग साधकों की संगति भी करनी चाहिये और उनसे अपने अनुभवों को साझा करना चाहिये। इससे भी साधकों को परस्पर लाभ होता है। साधना का अन्तिम लक्ष्य ईश्वर का साक्षात्कार ही होता है। यदि यह उपलब्धि प्राप्त न हो तो निराश नहीं होना चाहिये। ईश्वर साक्षात्कार जब तक न हो, मनुष्य को इस कार्य में लगे रहना चाहिये। वैदिक विद्वानों का मत है कि हम इस जीवन में जो साधना कर लेते हैं वह हमारे अगले जीवन में काम आती है। जिस प्रकार एक कक्षा में पढ़ा ज्ञान व पुस्तकें, अगली उच्च श्रेणी में सहयोगी व लाभप्रद होती है, इसी प्रकार से योगी को पूर्वजन्म की साधना का लाभ इस जन्म व इस जन्म की साधना का लाभ अगले जन्मों में भी प्राप्त होता है। स्वाध्याय व साधना साथ साथ निरन्तर जीवन के अन्तिम समय तक किये जाते हैं। इससे मनुष्य की आत्मा की उन्नति होती जाती है। इसका अनुभव साधक को स्वयं भी होता है। साधना करते हुए साधक को सत्यार्थप्रकाश में लिखे ऋषि दयानन्द के स्तुति, प्रार्थना व उपासना विषयक वचनों को स्मरण करने से लाभ होता है और उसे साधना के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। अतः सत्यार्थप्रकाश के सातवें समुल्लास का भी पाठ करते रहने चाहिये। ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के प्रार्थना व उपासना प्रकरण भी अत्यन्त लाभकारी हैं। इनका भी पाठ करते रहना चाहिये। 
 हम सबको स्वाध्याय व साधना का महत्व समझना चाहिये और इसे अपने जीवन में व्यवहारिक रूप देना चाहिये। साधना में बाधक तथा साधक कारणों को भी जानना चाहिये और बाधक कारणों से बचना चाहिये। साधना में उन्नति के साधक कारणों को अपनाना चाहिये और साधना के सभी पक्षों पर विचार करते रहना चाहिये। ऐसा करेंगे तो हम संसार के अन्य सभी करणीय कार्यों को करते हुए भी एक सफल योगी व आध्यात्मिक विद्वान बन सकते हैं और अपने मनुष्य जीवन को सफल कर सकते हैं। 
-मनमोहन कुमार आर्य


परिचय सम्मेलन समाज में कुरीतियों को दूर करने व एकता के लिए बहुत जरूरी है: अनिल अग्रवाल


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। शुक्रवार को 30वे वैश्य वैवाहिक परिचय सम्मेलन के शिविर के कार्यालय का विधिवत उद्घाटन राज्यसभा सांसद डॉ अनिल अग्रवाल ने फीता काटकर किया। यह शिविर कार्यालय अग्रसेन भवन लोहिया नगर के सामने पटेल नगर सामुदायिक केंद्र के समीप बनाया गया है। इस अवसर अनिल अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि समिति द्वारा लगातार इतने लम्बे समय से वैश्य परिचय सम्मेलन कराया जाना वास्तव में एक सराहनीय कार्य है। आयोजकों द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में भी लगातार परिचय सम्मेलन कराया गया जिसमें हजारों की संख्या में युवक युवतियां वैवाहिक गठबंधन में बंध कर सफल जीवन यापन कर रहे हैं। परिचय सम्मेलन प्रत्येक समाज में एकता लाने के साथ-साथ कुरीतियों पर भी विराम में लगाता है।
   इस अवसर पर स्वागत अध्यक्ष अजय गुप्ता ने प्रत्याशी युवक-युवतियों व अभिभावकों से परिचय सम्मेलन के दौरान ऑनलाइन जुड़े रहने को सतत व शक्ल अधिकार बताया। इस अवसर पर अध्यक्ष सुभाष गर्ग ने सभी अभिभावकों से 5 अक्टूबर तक अपने विवाह योग्य पुत्र व पुत्री का पंजीकरण कराने की अपील करी साथ ही संस्थापक अध्यक्ष वी के अग्रवाल ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण 11 अक्टूबर को समिति के प्रमुख पदाधिकारियों के द्वारा परिचय पुस्तिका व सीडी का विमोचन होगा साथ ही सभी प्रत्याशी अपने निवास पर ही ऑनलाइन युवक-युवतियों का परिचय देख सकेंगे। इस बार यह परिचय सम्मेलन एक अपने आप में अलग प्रयास है इस सम्मेलन को डिजिटल बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। सभी प्रत्याशी युवक-युवती ₹250 का शुल्क 5 अक्टूबर तक जमा कराके अपना पंजीकरण कर सकते हैं।
    कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर चेयरमैन अरुण गर्ग, अध्यक्ष सुभाष गर्ग (आरडी स्टील), महामंत्री राजीव मोहन ( साठे ग्रुप), स्वागत अध्यक्ष अजय गुप्ता (गार्डन एनक्लेव), मुख्य संरक्षक संजीव गुप्ता (समरकूल), बीआर गुप्ता, वेद प्रकाश गर्ग, देवेन्द्र हितकारी, लोकेश सिंघल, हरीश मोहन गर्ग, डॉक्टर आरके सिंघल, पवन गोयल,सौरभ जायसवाल, अनुराग अग्रवाल, राकेश मित्तल, एम एस अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, यू एस गर्ग, ममता गुप्ता, बेदी राम गुप्ता, प्रभा गोयल, वी के सिंधल, डीके मित्तल, पूजा गुप्ता, बुध गोपाल गोयल, आर पी बंसल, अजय अग्रवाल, प्रदीप गर्ग, राकेश गर्ग, डॉक्टर ओपी अग्रवाल, संदीप सिंघल, डॉक्टर राजेश गुप्ता, के के सिंघल, विपुल अग्रवाल आदि वैश्य बंधु उपस्थित रहे।



साभार: सौरभ जायसवाल


ऋषभ राणा उत्तर प्रदेश काँग्रेस सेवा दल के जिला संयोजक यंग ब्रिगेड हुए नियुक्त


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश काँग्रेस सेवा दल के डा0 प्रमोद कुमार पाण्डेय मुख्य संगठक, नेहरू भवन 10, माल एवेन्यू लखनऊ (उ.प्र.) द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के माननीय मुख्य संगठक श्री लालजी देसाई जी की संस्तुति पर श्री ऋषभ राणा, 607 सन टावर, डी-2, शिप्रा सन सिटी इन्दिरापुरम, गाजियाबाद को जिला कांग्रेस सेवादल गाजियाबाद का जिला संयोजक यंग ब्रिगेड नियुक्त किया  गया। उनसे आशा कि गयी है कि ऋषभ राणा माननीया कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी की अपेक्षा एवं भावनाओं के अनुरूप पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से कांग्रेस सेवादल को गतिशील तथा सशक्त बनाने में अपना पूर्ण योगदान देंगे। इस अवसर पर उन्हे बधाई देने वालों को तांता लगा रहा। 



योग-प्राणायाम व स्वामी सत्यप्रकाश की 115वीं जयंती पर गोष्ठी संम्पन्न

रीढ़ की हड्डी का लचीलापन अच्छे स्वास्थ्य की निशानी- योगाचार्य डॉ वरुण वीर
वेदों व विज्ञान का समन्वय थे स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य



धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाज़ियाबाद। शुक्रवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में 'प्राणायाम -योग व वैदिक विद्धवान,वैज्ञानिक  स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती की 115वीं जयंती" पर ऑनलाइन गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई।कोरोना काल में परिषद का यह 94वां वेबिनार था ।
योगाचार्य डॉ वरुण वीर(आर्यन आर्ट गैलरी) ने कहा कि योग व प्राणायाम को दैनिक जीवन का अंग बनाने से शारीरिक व मानसिक क्षमता बढ़ जाती है और शरीर रोगों से मुकाबला कर सकता है।प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मनुष्य की बहत्तर हजार नस-नाड़ियों में शुद्ध रक्त का संचार होने लगता है,जो उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है।उन्होंने कहा कि यदि हमारे पाचन तंत्र व स्नायु तंत्र ठीक है तो हम अनेकों रोगों से दूर रहेंगे।उन्होंने कहा कि यदि रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करना है तो रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने वाले आसनो का नियमित अभ्यास करना आवश्यक है।हमारे ऋषि मुनि पुरातन काल में योग प्राणायाम से ही दीर्घ आयु व अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखते थे।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज डॉ. सत्यप्रकाश (स्वामी  सत्यप्रकाश सरस्वती) जी की 115वीं जयंती है।चारों वेदों का अंग्रेजी में अनुवाद,और मानक हिन्दी अंग्रेजी कोश का सम्पादन उनके द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्य हैं।संन्यास के बाद का लेखन वैदिक साहित्य आर्य समाज और स्वामी दयानन्द विषयक रहा।स्वामी सत्यप्रकाश जी वैज्ञानिक विचारक चिन्तक संन्यासी थे।वे अपने विचारों को लेखों और भाषणों के माध्यम से सरल ढंग से व्यक्त भी करते थे।उन्होंने कहा कि स्वामी जी की रेडियो वार्तायें तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख हैं जिनका संकलन और प्रकाशन अभी शेष है उसे आर्य समाज के वैदिक विद्धानों को रुचि लेकर प्रकाशित करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए।उन्होंने इलाहाबाद व फिर आर्य समाज मंदिर मार्ग,दिल्ली में जीवन का बहुत समय व्यतीत किया।
मुख्य अतिथि ठा. विक्रम सिंह (अध्यक्ष,राष्ट्र निर्माण पार्टी) ने परिषद के समस्त अधिकारियों  को  सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं प्रदान की।
गोष्ठी अध्यक्ष आर्य केन्द्रीय सभा फरीदाबाद के प्रधान डॉ गजराज सिंह आर्य ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रिम भूमिका निभाने वाली महान महिला क्रांतिकारी मैडम भीकाजी कामा की जयंती व बंगाली महिला क्रांतिकारी प्रीतिलता वदेदार की पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए स्मरण किया और देश भक्ति की भावना सीखने का आह्वान किया।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि प्राणायाम का दैनिक अभ्यास तनाव,अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में सहयोगी है।प्राणायाम के अभ्यास से स्थिर मन और दृढ़ इच्छा-शक्ति प्राप्त होती है जिससे अवसाद का उपचार भी किया जा सकता है।
योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि नियमित प्राणायाम आहार और मन के प्रतिबंधों का पालन करने और आसन में उचित प्रशिक्षण प्राप्त करने में सहायक है।
गायिका वीना वोहरा,नरेन्द्र आर्य "सुमन",उर्मिला आर्या(गुरुग्राम), संध्या पाण्डेय,प्रतिभा सपरा, अनिता आर्या,सुशांता आर्या,सुधा खेड़ा,विजय हंस आदि ने गीत सुनाये।
आचार्य महेन्द्र भाई,राजश्री यादव,यशोवीर आर्य,सुरेन्द्र शास्त्री,रविन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र गुप्ता, मृदुला अग्रवाल,सुलोचना देवी आदि उपस्थित थे।


भवदीय,
प्रवीण आर्य,


पं. दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन


दीपक सिंह —समीक्षा न्यूज
लोनी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, जो नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे। उनकी माता का नाम रामप्यारी था, जो धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। पिता रेलवे में जलेसर रोड स्टेशन के सहायक स्टेशन मास्टर थे। रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर ही बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे। दो वर्ष बाद दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया, जिसका नाम शिवदयाल रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया। उस समय उपाध्याय जी के नाना चुन्नीलाल शुक्ल धानक्या (जयपुर, राज०) में स्टेशन मास्टर थे। नाना का परिवार बहुत बड़ा था। दीनदयाल अपने ममेरे भाइयों के साथ बड़े हुए। नाना का गाँव आगरा जिले में फतेहपुर सीकरी के पास 'गुड़ की मँढई' था। दीनदयाल अभी 3 वर्ष के भी नहीं हुये थे, कि उनके पिता का देहांत हो गया। पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग लग गया। 8 अगस्त 1924 को उनका भी देहावसान हो गया। उस समय दीनदयाल 7 वर्ष के थे। 1926 में नाना चुन्नीलाल भी नहीं रहे। 1931 में पालन करने वाली मामी का निधन हो गया। 18 नवम्बर 1934 को अनुज शिवदयाल ने भी उपाध्याय जी का साथ सदा के लिए छोड़कर दुनिया से विदा ले ली। 1835 में स्नेहमयी नानी भी स्वर्ग सिधार गयीं। 19 वर्ष की अवस्था तक उपाध्याय जी ने मृत्यु-दर्शन से गहन साक्षात्कार कर लिया था। 8वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उपाध्याय जी ने कल्याण हाईस्कूल, सीकर, राजस्थान से दसवीं की परीक्षा में बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1937 में पिलानी से इंटरमीडिएट की परीक्षा में पुनः बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1939 में कानपुर के सनातन धर्म कालेज से बी०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। अंगरेजी से एम०ए० करने के लिए सेंट जॉन्स कालेज, आगरा में प्रवेश लिया और पूर्वार्द्ध में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये। बीमार बहन रामादेवी की शुश्रूषा में लगे रहने के कारण उत्तरार्द्ध न कर सके। बहन की मृत्यु ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। मामाजी के बहुत आग्रह पर उन्होंने प्रशासनिक परीक्षा दी, उत्तीर्ण भी हुये किन्तु अंगरेज सरकार की नौकरी नहीं की। 1941 में प्रयाग से बी०टी० की परीक्षा उत्तीर्ण की। बी०ए० और बी०टी० करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। 1937 में जब वह कानपुर से बी०ए० कर थे, अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये।



संघ के संस्थापक डॉ० हेडगेवार का सान्निध्य कानपुर में ही मिला। उपाध्याय जी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद संघ का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण किया और संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये। आजीवन संघ के प्रचारक रहे। संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई। गुरुजी (गोलवलकर जी) की प्रेरणा इसमें निहित थी। 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ। उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने। इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किये। डॉ० मुखर्जी ने उनकी कार्यकुशलता और क्षमता से प्रभावित होकर कहा- "यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूँ।" 1967 तक उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या? कर दी गई। 11 फरवरी को प्रातः पौने चार बजे सहायक स्टेशन मास्टर को खंभा नं० 1276 के पास कंकड़? पर पड़ी हुई लाश की सूचना मिली। शव प्लेटफार्म पर रखा गया तो लोगों की भीड़ में से चिल्लाया- "अरे, यह तो भारतीय संघ के अध्यक्ष दीन दयाल उपाध्याय हैं।" पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी।


Thursday 24 September 2020

मुख्यमंत्री ने आपदा से हुई जनहानि पर गहरा शोक किया व्यक्त,  परिजनों को 04-04 लाख रु0 की राहत राशि


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जनपद अम्बेडकर नगर, गाजीपुर, मऊ, प्रतापगढ़ तथा सुल्तानपुर में आपदा से हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगतों के परिजनों को 04-04 लाख रुपये की राहत राशि तत्काल वितरित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री जी ने सम्बन्धित जिलाधिकारियों को यह निर्देश भी दिए हैं कि वे अपने जनपद में फसलों को हुए नुकसान का तत्काल आकलन करते हुए शासन को अविलम्ब आख्या उपलब्ध कराएं।
ज्ञातव्य है कि राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये विवरण के अनुसार जनपद अम्बेडकर नगर में आकाशीय बिजली से 01, जनपद गाजीपुर में सर्पदंश से 01, दीवार गिरने से 02, जनपद मऊ में आकाशीय बिजली से 01, जनपद प्रतापगढ़ में दीवार गिरने से 01 तथा जनपद सुल्तानपुर में दीवार गिरने से 01 जनहानि की सूचना प्राप्त हुई है।
साभार—राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी


मुख्यमंत्री ने ‘यू-राइज’ पोर्टल किया लॉन्च


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां लोक भवन में ‘यू-राइज’ पोर्टल लॉन्च किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में प्रदेश के तकनीकी संस्थाओं के उन्नयन की दृष्टि से ‘दीन दयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम’ का जो शुभारम्भ किया गया था उसके दूसरे चरण के इस अभियान के साथ आज हम जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ आजादी के बाद शिक्षा क्षेत्र में सुधार का सबसे बड़ा अभियान है। यह हमें केवल सैद्धान्तिक ज्ञान तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि यह छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनने जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने ‘यू-राइज’ पोर्टल के लॉन्च तथा ‘दीन दयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम’ के अन्तर्गत चेक वितरण एवं नवीन कार्यों के शिलान्यास कार्यक्रम को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘यू-राइज’ पोर्टल एक यूनिफाइड पोर्टल है। यह पोर्टल प्राविधिक, व्यावसायिक व कौशल विकास से जुड़े छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके जितने भी विशेषज्ञ हैं, उन सबको एक प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहा है। इसमें विद्यार्थियों के जीवन चक्र को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ लागू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां देश का पहला एकीकृत पोर्टल लागू हुआ है। यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मानक बनेगा। उन्होंने कहा कि हम सब तकनीक से जुड़कर ही आगे बढ़ सकते हैं और बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। तकनीक जीवन में कितना परिवर्तन ला सकती है, कोरोना काल खण्ड में इस बात को हम सभी ने महसूस किया है। ‘यू-राइज’ पोर्टल का लोकार्पण तथा दीन दयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के तहत नवीन कार्यों का शिलान्यास यह दिखाते हैं कि बड़ी से बड़ी चुनौतियां भी हमारे कार्यों में बाधा नहीं बन सकती। 
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान सरकार फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध एक बड़ी कार्रवाई को तकनीक के माध्यम से आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। बहुत सारे लोगों ने फर्जी डिग्री लेकर नौकरियां हासिल कर ली। वर्षों से यह मामला चलता आ रहा था। तकनीक के माध्यम से उन्हें ट्रैक करके उन लोगों पर समुचित कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि ‘यू-राइज’ पोर्टल के माध्यम से किसी भी छात्र-छात्रा के बारे में किसी संस्था या संस्थान को जानकारी प्राप्त करना हो तो वह आसानी से प्राप्त कर सकेगी। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल से 20 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘यू-राइज’ पोर्टल किसी भी विद्यार्थी के पूरे जीवन चक्र को लेकर चल रहा है। विद्यार्थी के प्रवेश, उनके पाठ्यक्रम, प्रैक्टिकल, शुल्क, परीक्षा व परिणाम को प्रस्तुत करने के साथ ही, आने वाले समय में उनके रोजगार एवं नौकरी को भी इससे जोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता हमारे लिए तब तक सम्भव नहीं है, जब तक हम शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने में सफल नहीं होते हैं। यह पोर्टल अपने आपमें शैक्षिक समानता को भी सामने ला रहा है। ई-कन्टेंट के माध्यम से प्रत्येक पाठ्यक्रम को इससे जोड़ने के साथ हर छात्र-छात्रा के लिए इसका सुलभ होना अपने आपमें एक बड़ा कार्य है। 
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर तकनीक नहीं होती तो इस सदी की सबसे बड़ी कोरोना महामारी मानवता के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर देती। उन्होंने प्रधानमंत्री जी के विजन को सैल्यूट करते हुए कहा कि तकनीक के माध्यम से ही बिना भ्रष्टाचार के लाभार्थी को जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है। उन्होंने जनधन खाते का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे करोड़ों लोगों को डी0बी0टी0 के माध्यम से लाभ पहुंचाया गया है। 
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड-19 के कारण पिछले 06 महीनों से शिक्षण संस्थान बन्द चल रहे हैं। इस दौरान भी शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को आॅनलाइन क्लासेज के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा रही है। यह भी तकनीक से ही सम्भव हुआ है। तकनीक को लेकर लोगों में नई रुचि देखने को मिली है। लोग स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जो समाज के लिए एक अच्छा संकेत है।
ज्ञातव्य है कि प्राविधिक शिक्षा विभाग, प्रशिक्षण सेवायोजन एवं कौशल विकास मिशन की संयुक्त परिकल्पना-‘यू-राइज’  Unified Reimagined Innovation for Student Empowerment  अर्थात 'U-RISE'‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ के अन्तर्गत एक अकादमिक बैंक अॉफ क्रेडिट (ए0सी0सी0) की स्थापना की जाएगी। यह अकादमिक बैंक अॉफ क्रेडिट विभिन्न मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों से अर्जित अकादमिक क्रेडिट को डिजिटल रूप से संग्रहीत करेगा, ताकि उच्च शिक्षा संस्थानों से प्राप्त डिग्री का ध्यान, अर्जित क्रेडिट में रखा जा सके। इस दृष्टि से ‘यू-राइज’ पोर्टल पर किया गया डिजिलॉकर का प्राविधान अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। ‘यू-राइज’ पोर्टल पर पहले से मूल्यांकित गुणवत्तापरक पाठ्य सामग्री संकलित की जा रही है। 
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्मशती के अवसर पर डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय द्वारा सरकारी सहायतित सम्बद्ध तकनीकी संस्थानों व सरकारी तकनीकी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में सुधार हेतु ‘दीन दयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम’ प्रारम्भ किया गया। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दूरगामी प्रभावों के दृष्टिगत डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश द्वारा डिजिटल और फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की योजना शासकीय संस्थानों एवं दोनों तकनीकी विश्वविद्यालयों के लिए प्रारम्भ की जा रही है।
इस मौके पर वर्चुअल प्लेटफार्म से व्यावसायिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री कपिल देव अग्रवाल व विभिन्न संस्थानों के प्रमुख ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव प्राविधिक एवं व्यावसायिक शिक्षा श्रीमती एस0 राधा चैहान, कुलपति ए0के0टी0यू0 श्री विनय कुमार पाठक, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 



साभार—राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी


नोडल अधिकारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट के सभागार में कोविड-19 को लेकर मीटिंग संपन्न


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए सभी जनपद वासियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित करने, कोरोना के फैलने को रोकने तथा प्रभावित को़रोना पीड़ितों का प्रोटोकॉल के अनुरूप इलाज संभव कराने के लिए उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशों के अनुपालन में जिला स्तर पर जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय के नेतृत्व में निरंतर बृहद स्तर पर कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है ताकि सभी जनपद वासियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित बनाते हुए प्रभावित व्यक्तियों का इलाज निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुरूप कराते हुए उन्हें स्वस्थ बना कर घर भेजने की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इसी श्रंखला में आज कोविड-19 के शासन से नामित नोडल अधिकारी सेंथिल पांडियन सी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट के सभागार में मीटिंग संपन्न हुई।  आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में गहन विचार विमर्श करते हुए जनपद में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिसमें जनपद में सभी नागरिकों को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित करने के उद्देश्य से कोरोना के  प्रोटोकॉल को और अधिक सख्ती के साथ पालन सुनिश्चित कराया जाएगा जिसके अंतर्गत नोडल अधिकारी ने कहा कि अगर हम अपने सर्विलेंस को बढ़ा लें तो कोरोना संक्रमण पर अंकुश लगा सकते हैं जिसके लिए हम सबको टीम भावना से काम करना होगा। नोडल अधिकारी सेंथिल पांडियन सी ने कहा कि प्रतिदिन प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ पुलिस के अधिकारियों द्वारा शाम  को  समन्वय बैठक एक बार आवश्यक रूप से की जाए ताकि पूरे दिन की कार्रवाई के संबंध में समीक्षा हो सके। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रतिदिन अधिक से अधिक टेस्टिंग कराते हुए लगभग 6000 लोगों की टेस्टिंग कराया जाना सुनिश्चित कराएं। इस संबंध में उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि सेंपलिंग कराने के लिए अधिक बूथों को बढ़ाया जाए जिनकी जानकारी सिंप्टोमेटिक लोगों को रहे और वो वहां जाकर अपनी टेस्टिंग करा सके साथ ही उन्होंने जिला मलेरिया अधिकारी को निर्देशित किया कि इस संबंध में प्लान बनाते हुए अधिक से अधिक बूथों की जगह को  चिन्हित करें। बैठक में उन्होंने उपायुक्त उद्योग को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रत्येक फैक्ट्री में प्रतिदिन सर्वे कराएं जिससे यह पता चल पाए कौन-कौन सिंप्टोमेटिक है या नहीं जिसका तत्काल प्रभाव से इलाज कराया जाना संभव कराया जा सके, इसके साथ ही उपायुक्त उद्योग प्रतिदिन अपने इस कृत्य कार्रवाई की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रस्तुत करें। उन्होंने निर्देशित किया कि कंटेनमेंट जोन में शत प्रतिशत टेस्टिंग कराई जाए जहां एसिंप्टोमेटिक लोगों को भी ना छोड़ा जाए। उन्होंने कांटेक्ट ट्रेसिंग पर जोर देते हुए कहा कि संक्रमित व्यक्ति के कांटेक्ट में आए सभी लोगों की टेस्टिंग अनिवार्य रूप से कराया जाना सुनिश्चित कराएं। कोरोना संक्रमण एवं उसकी रोकथाम के लिए उन्होंने नगर आयुक्त एवं अपर जिलाधिकारी नगर को निर्देशित किया कि वह इस संबंध में निरंतर मीटिंग करते हुए कृत्य कार्रवाई कराना सुनिश्चित कराएं। साथ ही पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम के माध्यम से संक्रमण की रोकथाम की जानकारी आमजन तक पहुंचाने की कार्यवाही भी प्राथमिकता पर कराना सुनिश्चित कराएं। उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देशित किया कि जनपद में मेडिकल स्टोर से दवाई लेने वाले व्यक्तियों पर भी पैनी नजर रखी जाए जिससे अगर कोई सिंप्टोमेटिक व्यक्ति मेडिकल स्टोर से दवाई लेता है तो उसकी सूचना प्रशासन को प्रतिदिन मिलती रहे जिससे ट्रेसिंग को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय, मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल, नगर आयुक्त, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, अपर जिलाधिकारी नगर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गण तथा अन्य अधिकारियों के द्वारा प्रतिभाग किया गया।



साभार—राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी


एनटीपीसी दादरी द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर और आईटीआई को खादी मास्क एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपकरण किये प्रदान


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
दादरी। कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत कोविड-19 संक्रमण से बचाव करने हेतु एनटीपीसी दादरी प्रबंधन द्वारा 24 सितंबर, 2020 को सरस्वती शिशु विद्या मंदिर और आई.टी.आई, ऊंचाअमीपुर को खादी मास्क और स्वास्थ्य जांच संबंधी उपकरण दिये गये।
इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि (एसएससी-फरीदाबाद) से महाप्रबंधक (वित्त), श्री बी के गर्ग एवं अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्रीमती विजय लक्ष्मी मुरलीधरन द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य श्री विजेन्द्र पाल शर्मा को 850 खादी मास्क, 01 एक्यूसर थर्मामीटर, 01 एक्यूसर पल्स ऑक्सीमीटर तथा 01 सेनिटाइजर स्प्रे मशीन प्रदान की गयी तथा आईटीआई, ऊंचाअमीपुर के अनुदेशक (इलैक्ट्रिशियन) श्री मनोज कुमार भाटी को 250 खादी मास्क, 150 साबुन, 01 एक्यूसर थर्मामीटर, 01 एक्यूसर पल्स ऑक्सीमीटर और 01 सेनिटाइजर स्प्रे मशीन प्रदान किये गये।
इस अवसर पर उप महाप्रबंधक (वित्त) श्री राहुल राणा, वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) श्री कन्हैया लाल, वरिष्ठ प्रबंधक (मानव संसाधन) एवं सचिव, प्रेरणा समिति सुश्री श्वेता भी उपस्थित थीं।