Sunday 4 October 2020

संजीव शर्मा व पप्पु पहलवान ने किया मंदिर परिसर में बाथरूम एवं शौचालय का उद्घाटन


अनवार चौधरी—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। साहिबाबाद क्षेत्र के वार्ड 78 में भाजपा महानगर अध्यक्ष अध्यक्ष संजीव शर्मा व महामंत्री पप्पु पहलवान के द्वारा पुलिस चौकी के पास मंदिर परिसर मे नगर निगम निर्मित बाथरूम एवं शौचालय का उद्घाटन किया गया। जिसमे पण्डित भगीरथ पूरी, सोशल वेल्फयर अध्यक्ष डीएन कौल, प्रतीक माथुर, सुनीता चौहान, रविधर, प्राणनाथ, रमेश भट्ट, कुलदीप रैना, अशोक, सचिन चंदेल, रमेश टिकू, अनुप कौल, एसपी मुटो, राजेंद कन्ग्डू, सुरेन्द्र कौल, बिट्टू जाद, सुमन सती, प्रशांत ठाकुर, इन्दु तोमर, भूषण लाल, राज जैन, प्रेम त्यागी, विनोद माथुर, एवंम उत्तरांचल समीती के निवासी उपस्थित रहे। 



“जीवन की सफलता वेदों के स्वाध्याय, सद्व्यवहार एवं आचरण में है”


हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग करते हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि पशु व पक्षियों आदि के पास न तो मनुष्यों के समान बुद्धि है और न ही उनके पास मानव शरीर के जैसा शरीर है जिससे वह विचार व चिन्तन-मनन कर सत्य का निर्णय कर अपने कर्मों को कर सकें। अतः मनुष्य योनि में मनुष्य को अपनी बुद्धि की यथाशक्ति उन्नति कर उससे जो उचित कर्म व व्यवहार निश्चित होते हैं, उन्हें ही करना चाहिये। प्रायः लोग ऐसा करते भी हैं परन्तु बहुत से लोग काम, क्रोध, लोभ, इच्छा, ईर्ष्या व द्वेष आदि के वशीभूत होकर अकरणीय कर्म व व्यवहार करते हैं। संसार के स्वामी सर्वव्यापक व सर्वान्तर्यामी ईश्वर की दृष्टि से हम जीवों का कोई शुभ व अशुभ कर्म छिप नहीं पाता जिससे जीवात्मा वा मनुष्य को अपने सभी कर्मों का जन्म व जन्मान्तरों में भोग करना व उनका परिणाम भोगना पड़ता है। मनुष्य को जीवन में जो सुख व दुःख मिलते हैं वह उसके वर्तमान जीवन सहित पूर्वजन्मों के अभुक्त कर्मों का फल होते हंै। पूर्वकृत कर्मों को तो सभी मनुष्यों वा जीवात्माओं को भोगना ही पड़ता है परन्तु हम अपने वर्तमान व भविष्य के कर्मों का सुधार अवश्य कर सकते हैं। इसके लिये हमें एक विद्वान पथ-प्रर्दशक गुरु व आचार्य की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में ऐसे गुरु उपलब्ध भी हो सकते हैं परन्तु इस उद्देश्य की पूर्ति हम घर बैठे वेद एवं वैदिक साहित्य का स्वाध्याय कर पूरी कर सकते हैं। सृष्टि के आरम्भ से ही ईश्वर का साक्षात्कार किये हुए तथा वेदों के मर्मज्ञ विद्वान ऋषियों ने उपनिषद, दर्शन तथा मनुस्मृति आदि ग्रन्थ लिखकर हमारें कर्तव्यों का हमें बोध कराया है। हमें वेदों सहित उपलब्ध समस्त वेदानुकूल आर्ष ग्रन्थों का अध्ययन निरन्तर प्रतिदिन कुछ घण्टे अवश्य करना चाहिये। ऐसा करते हुए पाप कर्मों को करने में हमारी प्रवृत्ति नहीं होगी जिससे हमारे जीवन में दुःखों की मात्रा तो कम होगी ही, आत्मा के शुभ कर्मों के आचरण से सुखों में वृद्धि भी होगी। शास्त्रीय ज्ञान व शुभकर्मों को करने से हमारी आत्मा की उन्नति होगी जिससे हमारा मनुष्य जीवन सफल होगा। हमारा वर्तमान, भविष्य एवं परजन्म सभी सुरक्षित होंगे तथा हमें सुख व उन्नति प्राप्त कराने वाले होंगे। अतः जीवन को सफल व उन्नत करने के लिये हमें वेद व वैदिक साहित्य के अध्ययन सहित ईश्वर, आत्मा तथा सांसारिक विषयों पर विचार व चिन्तन करते रहना चाहिये। इससे हमारा जीवन असत्य व अनुचित कर्मों को करने से बच सकेगा तथा हम धर्म के पर्याय शुभ कर्मों का संचय कर अपने भविष्य को सुखद एवं शान्ति से पूर्ण बना सकेंगे। 
मनुष्य जीवन की उन्नति में वेदों के अध्ययन व ज्ञान का सर्वोपरि महत्व होता है। वेद कोई साधारण पुस्तक नहीं है। यह सृष्टि के आरम्भ में इस सृष्टि के रचयिता सर्वव्यापक परमेश्वर का अपना निज का ज्ञान है जो उसने मनुष्यों के कल्याण के लिये चार ऋषियो अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया था। इसी ज्ञान को हमारे परवर्ती ऋषियों व विद्वानों ने सुरक्षित रखा जो आज भी अपने शुद्ध व यथार्थस्वरूप सहित शुद्ध वेदार्थ सहित हमें सुलभ है। वेदों के शीर्ष आचार्य ऋषि दयानन्द ने वेदों की परीक्षा व परम्पराओं का अध्ययन कर पाया था कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक हैं तथा इसका अध्ययन, अध्यापन, प्रचार तथा आचरण मनुष्यों का परम धर्म है। यह बात वेदाध्ययन एवं विचार करने से सत्य सिद्ध होती है। सत्यार्थप्रकाश तथा ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेदों का सत्य स्वरूप प्रस्तुत किया गया है। इसे पढ़कर पाठक आश्वस्त हो सकता है कि वेदों का मनुष्य के जीवन में सर्वोपरि महत्व है और ऋषि दयानन्द की सभी मान्यतायें वेदानुकूल एवं परमधर्म के पालन में प्रेरक एवं सहायक हैं। वेदों का अध्ययन करने वाला मनुष्य धर्ममार्ग से च्युत नहीं होता। वह धर्म संचय कर जन्म व जन्मान्तरों में सुखों को प्राप्त करता है। अशुभ कर्म नहीं करता जिससे इनके परिणाम में होने वाले दुःखों व मुसीबतों से वह बचा रहता है। हमारा वर्तमान जन्म अपने पूर्वजन्मों के ज्ञान व कर्मों का परिणाम है। इसी प्रकार से हमारा परजन्म भी इस जन्म के कर्मों का परिणाम होगा। इस जन्म में वेदाध्ययन एवं सद्कर्मों को करने से मनुष्य इस जन्म सहित परजन्मों में भी सुख प्राप्त करता है तथा अशुभ कर्म न करने से इससे मिलने वाले दुःखों से बच वह बचा रहता है। अतः हमें वेदाध्ययन को प्रमुखता देनी चाहिये और प्रतिदिन यथासम्भव कुछ समय वेदों का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये। 
वेदों से अपरिचित मनुष्य भौतिक सुखों की प्राप्ति को ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य मान लेता है और रात दिन धनोपार्जन व सम्पत्ति को अर्जित करने में लगा देता है। इससे उसे शारीरिक कुछ सुख मिलता है परन्तु यह सुख धर्म व शुभ कर्मों की तुलना में प्राप्त सुखों से निम्न कोटि का होता है। वेदानुकूल ईश्वरोपासना, यज्ञ, परोपकार के कार्य तथा दान आदि कर्म कर्तव्य की भावना से किये जाते हैं जिससे मनुष्य इन कर्मों में लिप्त नहीं होता। इन वेद विहित कर्मों का परिणाम सुख ही होता है जबकि वेद ज्ञान से रहित कर्म करने से मनुष्य अनायास व अनजाने में भी अनेक अशुभ कर्म डालता है जिसका परिणाम उसे दुःख के रूप में भोगना पड़ता है। अतः स्वाध्याय से वेदज्ञान को प्राप्त कर मनुष्यों को वेदानुकूल शुभ कर्मों को करते हुए धन व सम्पत्ति का संचय करना चाहिये व उसका त्यागपूर्वक भोग करने के साथ उससे अन्य बन्धुओं को भी लाभ पहुंचाना चाहिये। इसके लिये परोपकार एवं दान आदि कर्तव्य सुख, उन्नति व यश प्राप्त कराते हैं। अतः जीवन को अल्प व सीमित मात्रा में भौतिक सुखों की इच्छा के साथ वेदाध्ययन तथा वेद निर्दिष्ट कर्तव्यों को भी अपनी जीवन शैली व दिनचर्या में सम्मिलित करना चाहिये। ऐसा जीवन ही संतुलित जीवन होता है जिसका परिणाम श्रेयस्कर होता है। 
मनुष्य वेद एवं वैदिक साहित्य का अध्ययन करता है तो उसे इस सृष्टि के स्वामी व संचालक ईश्वर सहित जीवात्मा व सृष्टि का यथार्थ ज्ञान प्राप्त होता है। यह सृष्टि उसे अपने साध्य ईश्वर को प्राप्त करने में एक साधन के रूप में स्पष्ट प्रतीत होती है। सृष्टि मात्र सुख भोग के लिये नहीं अपितु त्याग पूर्वक जीवन का निर्वाह करते हुए आत्मा में शुभ गुण, कर्म व स्वभाव को धारण कर परमात्मा को प्राप्त करने वा उसका साक्षात्कार करने के लिये साधन रूप में हमें प्राप्त कराई गई है। हमारा शरीर भी मात्र सुखों का भोग करने के लिये नहीं बना है अपितु यह भी हमारी आत्मा को ईश्वर तक पहुंचाने वाला एक रथ है जो ईश्वर प्राप्ति का साधन है। हमें साध्य को प्राप्त करने में सहायक अपने शरीर को ज्ञान व तप से साधना होता है। यही शरीर का सदुपयोग होता है। अपने उद्देश्य ईश्वर प्राप्ति को भुलाकर मात्र धनोपार्जन करना, सम्पत्ति का संचय करना तथा इन्द्रियों के सुख भोगने को जीवन का उद्देश्य मान लेना अविद्या व भ्रम से युक्त सोच व विचारधारा है। हमें इससे बचना है और वेद और सत्यार्थप्रकाश से ही प्रेरणा लेकर अपने जीवन की सर्वांगीण उन्नति के लिये ईश्वर व आत्मा को स्मरण रखते हुए साधना करनी है। ईश्वर व आत्मा के यथार्थ ज्ञान को प्राप्त होकर हमें ईश्वर को उपासना एवं शुभकर्मों से सन्तुष्ट करते हुए न्यून मात्रा में ही सुखों का भोग करना हमारा लक्ष्य होना चाहिये। इसके लिये हमें वेद आदि ग्रन्थों का स्वाध्याय करते हुए सद्ज्ञान से युक्त रहना चाहिये। यह मनुष्य जीवन की उन्नति के लिए आवश्यक एवं अनिवार्य है। 
मनुष्य वा उसकी आत्मा अल्पज्ञ सत्ता है। वह बिना वैदिक साहित्य के सभी विषयों का सत्य व यथार्थ ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकती। इसके लिए उसे वेद व सद्गुरुओं की आवश्यकता होती है। वेद व उसके सत्यार्थ ही वस्तुतः हमारे सद्गुरु हैं। वेदाध्ययन से ही हम इस संसार को इसके यथार्थरूप में जानने में समर्थ होते हैं। वेदों से हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर व जीवात्मा सहित सृष्टि का उपादान कारण प्रकृति अनादि व नित्य है। हम इस संसार में अनादि काल से हैं। हमेशा रहेंगे। कभी हमारा नाश व अभाव नहीं होगा। अतीत में भी हम जन्म-मरण में फंसे रहे हैं तथा भविष्य में भी जन्म व मरण में आबद्ध रहेंगे। हमारा जन्म हमारे कर्मों के आधार पर होता है। अतः हमें कर्मों पर ध्यान देना होगा। इसके लिये ही वेदज्ञान सहायक होकर हमारा मार्गदर्शन करता है। हमें वेद वा वेदज्ञान को कभी छोड़ना नहीं है। यदि हम स्वाध्याय करते रहेंगे तो हमें अपने कर्तव्यों व उसके होने वाले परिणामों का ज्ञान रहेगा जिससे हम अशुभ कर्मो से होने वाले दुःखों व बार बार के जन्म व मरण पर विजय प्राप्त कर सकेंगे। वेदों से हमें अपने जीवन की उन्नति के यथार्थ व शाश्वत उपायों ईश्वरोपासना, यज्ञीय जीवन, अग्निहोत्र का करना तथा इतर सभी कर्तव्यों का ज्ञान भी होता है। अतः वेद को जीवन में कभी विस्मृत नहीं करना चाहिये।   
वैदिक जीवन ही मनुष्य को आध्यात्मिक एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति कराता है। इसका उदाहरण हमारे सभी पूर्वज ऋषि, मुनि, योगी, राम, कृष्ण, दयानन्द आदि महापुरुष तथा सभी शीर्ष वैदिक विद्वान रहे हैं। अतः हमें अपने पूर्वजों व महापुरुषों का अनुकरण व अनुसरण करना चाहिये। ऐसा करने से हमारा जीवन निश्चय ही उन्नत एवं सफल होगा। हमें यह भी जानना है कि वेदों के स्वाध्याय से वियुक्त जीवन एकांगी एवं मनुष्य को बन्धनों में बांधने वाला होता है जिससे परजन्मों में दुःखों की प्राप्ति होती है। यह रहस्य भी हमें वेदों पर आधारित सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थ के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है। 
वेदाध्ययन कर वेदों के अनुरुप आचरण करना ही मनुष्य का कर्तव्य, धर्म एवं जीवन की सफलता है जिसमें मनुष्य की आत्मा की उन्नति होने से श्रेष्ठ मनुष्य योनि व उत्तम परिवेश में जन्म प्राप्त होता है और मोक्ष को प्राप्त कर सबसे बड़े सुख व लक्ष्य की प्राप्ति होती है। अतः हमें प्रतिदिन प्रातः व सायं ईश्वर का ध्यान व स्तुति-प्रार्थना-उपासना करते हुए अपनी आत्मा की उन्नति तथा जीवन की सफलता पर विचार अवश्य करना चाहिये। ऐसा करने से परमात्मा से हमें सीधा मार्गदर्शन प्राप्त होगा और हम स्वाध्याय व सदाचरण करते हुए दुःखों से बचेंगे और धर्म के संचय से उत्तम गति व मोक्ष को प्राप्त कर जीवन को सफल कर सकेंगे। ओ३म् शम्। 
-मनमोहन कुमार आर्य


47 केंद्रों पर दो पारियों में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा सकुशल संपन्न


धनसिंह—समीक्षा न्यूज



गाजियाबाद। जनपद में जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय के कुशल नेतृत्व में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा 47 केंद्रों पर सकुशल संपन्न हो गई है। यह परीक्षा दो पारियों में आयोजित हुई, जिसमें प्रथम पारी 9रू30 बजे से 11रू30 बजे तक तथा दूसरी पारी 2रू30 बजे से 4रू30 बजे तक संपन्न हुई है। इस महत्वपूर्ण परीक्षा में 21314 परीक्षार्थी भाग ले रहे थे जिसके सापेक्ष प्रथम पारी में 10378 परीक्षार्थी सम्मिलित हुए वही दूसरी पारी में 10294 परीक्षार्थी के द्वारा भाग लिया गया है। संघ लोक सेवा आयोग की मंशा एवं मानकों के अनुरूप इस महत्वपूर्ण परीक्षा को जनपद में संपन्न कराने के लिए जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय के नेतृत्व में जिला प्रशासन की ओर से संपूर्ण तैयारी सुनिश्चित की गई थी जिसके फलस्वरूप यह परीक्षा जनपद में सकुशल संपन्न हुई है। यह जानकारी अपर जिलाधिकारी प्रशासन संतोष कुमार वैश्य के द्वारा दी गई है। साभार: राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी गाजियाबाद।


स्वेच्छा के आधार पर विद्युत विभाग के जो अधिकारी कर्मचारी अपने कार्य को करना चाहेंगे जिला प्रशासन एवं पुलिस के द्वारा मिलेगा पूर्ण सहयोग: जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। विद्युत विभाग कर्मचारी संयुक्त संघ के आह्वान पर 5 अक्टूबर से कार्य के बहिष्कार एवं आंदोलन को लेकर जनपद में विद्युत आपूर्ति अनवरत रूप से संचालित रहे इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जिला प्रशासन के द्वारा संपूर्ण तैयारी सुनिश्चित कर ली गई है। इस कार्य को मूर्त रूप प्रदान करने के उद्देश्य से जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट के सभागार में महत्वपूर्ण बैठक आहूत हुई। इस अवसर पर जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने सभी अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा कि जनपद के विद्युत आपूर्ति को लेकर 7 अधीक्षण अभियंता 16 अधिशासी अभियंता 173 सब स्टेशन सभी पर अवर अभियंता के स्थानों पर मजिस्ट्रेट एवं अन्य विभाग के अभियंता गण की ड्यूटी लगाई गई है। सभी मजिस्ट्रेट एवं अभियंता गण विद्युत विभाग के कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार एवं आंदोलन के दौरान अपनी-अपनी ड्यूटी पर तैनात रहकर सभी व्यवस्थाओं का गहनता के साथ अवलोकन करते हुए अनवरत रूप से विद्युत आपूर्ति संचालित करने में ड्यूटी पर लगाए गए सभी मजिस्ट्रेट एवं अधिकारीगण अपने दायित्वों का निर्वहन सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग के जो अभियंता एवं कर्मचारी गण इस दौरान स्वेच्छा के साथ अपना कार्य करना चाहेंगे उन्हें जिला प्रशासन एवं पुलिस के द्वारा पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा। जिला अधिकारी ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया है कि आंदोलित कर्मचारियों एवं अभियंताओं के द्वारा यदि जनपद में कार्य करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास किया तो ऐसे प्रकरण को जिला प्रशासन बहुत ही शक्ति के साथ लेकर कार्यवाही सुनिश्चित करेगा । उन्होंने स्पष्ट किया है कि विद्युत विभाग के कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार एवं आंदोलन को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं और जनपद में अनवरत रूप से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। अतः सभी अधिकारी कर्मचारी गण अपनी अपनी ड्यूटी पर तैनात होकर विद्युत आपूर्ति को अनवरत रूप से जनपद के प्रत्येक क्षेत्र में संचालित रखने की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने स्पष्ट किया कि कार्य बहिष्कार एवं हड़ताल के दौरान यदि किसी भी अभियंता एवं कर्मचारी के द्वारा कार्य में व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास किया गया तो पुलिस के द्वारा तत्काल शक्ति के साथ कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी । बैठक में सभी अपर जिला अधिकारी गण, पुलिस के अधिकारी गण, उप जिला अधिकारी गण विद्युत विभाग के अधिकारी गण तथा अन्य विभागों के अभियंता गण उपस्थित रहे। 
साभार: राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी गाजियाबाद।


“हमारा गुरुकुल पौन्धा का भ्रमण एवं आचार्य धनंजय जी से भेंट”


हम आज लगभग दो महीने बाद गुरुकुल पौन्धा गये। हमारे साथ हमारे अभिन्न मित्र श्री राजेन्द्र कुमार काम्बोज, अभिवक्ता भी थे। श्री राजेन्द्र जी ने ही कुछ दिन पहले हमें गुरुकुल चलने का प्रस्ताव किया था। हम गुरुकुल पहुंचे जहां हमें आचार्य डा. धनंजय आर्य जी के दर्शन हुए। उन्होंने हमें स्वागत कक्ष में बठाया और अनेक विषयों पर चर्चायें की। कुछ समय बाद वहां 7 युवक आ गये। इन युवकों को देहरादून से श्री रोहित पाण्डेय जी गुरुकुल यज्ञ तथा व्यवहारभानु का प्रशिक्षण व अध्ययन कराने लाये थे। गुरुकुल के एक स्नातक श्री राहुल कुमार जी ने इन युवकों को यज्ञ के विषय में विस्तार से बताया। व्यवहारभानु का अध्ययन भी इन युवकों को कराया गया। इसके बाद यह सभी युवक स्वागत कक्ष में आ गये जहां इनसे हमारी बातचीत हुई। श्री रोहित पाण्डेय जी वैदिक साहित्य के प्रति जिज्ञासु हैं, इनके प्रति अनन्य श्रद्धा रखते हैं और इसका अध्ययन करने की इनमें भावना भी है। यह देहरादून की आर्यसमाज लक्ष्मण चैक में यज्ञों में भी भाग लेते हैं। एक दो वर्ष पूर्व यह हमारे सम्पर्क में आये थे। तब हमने इन्हें सत्यार्थप्रकाश भेंट किया था। आज इन्होंने बताया कि इन्होंने सत्यार्थप्रकाश पूरा पढ़ा है और यह उससे प्रभावित हुए हैं। श्री रोहित जी हमसे व्हटशप पर भी जुड़े है। हम अपने व्हटशप व फेस बुक मित्रों को प्रतिदिन जो एक लेख भेजते हैं वह इन्हें भी प्रेषित करते हैं। आचार्य धनंजय जी ने इन सभी युवकों को अगली पुस्तक स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती रचित “बाल शिक्षा” का अध्ययन करने की प्रेरणा की। यह युवक आचार्य धनंजय जी से यज्ञोपवीत लेना चाहते हैं। इसके लिये आचार्य जी ने इन्हें अगले महीने दीपावली के दिन प्रातः दीपावली यज्ञ में आमंत्रित किया है जहां इन सभी युवकों को यज्ञोपवीत प्रदान किया जायेगा। इन सभी युवकों को सन्ध्या यज्ञ पद्धति पर “विजयकुमार गोविन्दराम हासानन्द, दिल्ली” द्वारा प्रकाशित पुस्तक भी भेंट की गई।   
इस चर्चा के बाद हमने इन ब्रह्मचारियों के साथ एक समूह चित्र खिंचवाया। यह युवक इसके बाद देहरादून नगर के लिये लौट गये। कुछ समय बाद हमने आचार्य जी के साथ भोजन किया। भोजन के बाद आचार्य जी ने हमें गुरुकुल में कुछ दिन पहले निर्मित ‘लक्ष्य सन्धान केन्द्र’ दिखाया। यह केन्द्र गुरुकुल भवन के दूसरे तल पर बनाया गया है। यह केन्द्र एक बड़ा हाल है जिसका आकार 70 फीट लम्बा व 30 फीट चौड़ा है। इस हाल में आठ सूटर एक साथ सूटिंग व लक्ष्य वेध कर सकते हैं। यह केन्द्र राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है। देहरादून में यह पूर्ण विकसित सम्भवतः दूसरा केन्द्र है। यह बता दें कि गुरुकुल के एक पूर्व छात्र दीपक ने विगत एशियाड खेलों में रजत पदक प्राप्त कर गुरुकुल को प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा दिलााई है। यह युवक इन दिनों भारतीय वायु सेना में कार्यरत है और अब इसका आगामी ओलम्पिक खेलों के लिए भी चयन हो गया है। 
इस केन्द्र को देखने के बाद हमने आचार्य जी तथा श्री राजेन्द्र जी के साथ गुरुकुल के विशाल पुस्तकालय का भ्रमण किया व उसे देखा। इस पुस्तकालय में वैदिक साहित्य व व्याकरण विषयक दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण ग्रन्थों का बड़ी संख्या में संग्रह है। वेद विषयक प्रायः सभी प्रमुख ग्रन्थ भी इस पुस्तकालय में है। आचार्य धनंजय जी इस पुस्तकालय को अनुसंधान कार्य करने वाले अध्येताओं के लिए आधुनिक सुविधाओं व सामग्री से युक्त बना रहे हैं। आचार्य जी दूरदर्शी युवक आचार्य हैं। वह ऐसे कार्य करते हैं जो अन्य गुरुकुलों में प्रायः नहीं किये जाते। विगत नवम्बर, 2019 में आपने गुरुकुल परिषद के अन्तर्गत एक वृहद गुरुकुल सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें देश भर के अनेक प्रमुख प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान व पचास से अधिक गुरुकुलों की आचार्यायें एवं आचार्यों सहित गुरुकुलों के सैकड़ों की संख्या में ब्रह्मचारिणी एवं ब्रह्माचारी सम्मिलित हुए थे। आर्यसमाज के इतिहास में यह अपने प्रकार का प्रथम व अपूर्व आयोजन था। गुरुकुल के पुस्तकालय को देखकर कहा जा सकता है कि यह पुस्तकालय देहरादून में वैदिक साहित्य तथा व्याकरण ग्रन्थों का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। 
गुरुकुल में इस समय लगभग 125 ब्रह्मचारी अध्ययन कर रहे हैं। यह गुरुकुल उत्तराखण्ड संस्कृत विश्व विद्यालय से मान्यता प्राप्त है। गुरुकुल में आर्य वीर दल के शिविर व अनेक गतिविधियां चलती है। यह गुरुकुल अपना तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव विगत जून, 2020 में कोरोना प्रतिबन्धों के कारण आनलाइन आयोजितकर चुका है जिसमें देश भर से बड़ी संख्या में आर्य विद्वान, भजनोपदेशक तथा श्रोता जुड़े थे। इसी प्रकार गुरुकुल गौतमनगर, दिल्ली का आगामी वार्षिकोत्सव दिसम्बर, 2020 में आनलाइन आयोजित करने की तैयारियां चल रही हैं। गुरुकुल से एक मासिक पत्रिका आर्ष ज्योति का नियमित रूप से प्रकाशन होता है। पत्रिका उच्च कोटि की पत्रिका है। श्री शिवदेव आर्य जी इस पत्रिकाका सम्पादन व प्रकाशन का काम देखते हैं। इसके अतिरिक्त भी गुरुकुल व्याकरण व विद्वानों के वेद विषयक ग्रन्थों का प्रकाशन भी करता है। गुरुकुल की अपनी गोशाला भी हैं जहां अनेक गौवें हैं। 
आचार्य धनंजय जी ने विगत 20 वर्षों में इस गुरुकुल को एक बीज रूप से वट वृक्ष का आकार दिया है। यह आचार्य धनंजय जी के ही पुरुषार्थ तथा स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी के उन पर आशीर्वाद का परिणाम है। देश के अग्रणीय गुरुकुलों में इस गुरुकुल की गणना होती है। आर्यजगत के प्रमुख विद्वान इस गुरुकुल से जुड़े हुए हैं। बहुत से बच्चे यहां पढ़ना चाहते हैं परन्तु सीमित साधनों के कारण सबको प्रवेश दिया जाना सम्भव नहीं होता। हम आचार्य डा. धनंजय जी को इस गुरुकुल का संचालन करने के लिये अपनी शुभकामनायें एवं बधाई देेते हैं। यह गुरुकुल आर्यों में देहरादून नगर की एक पहचान भी बन गया है। गुरुकुल पौंधा का नाम आते ही देहरादून का स्मरण स्वतः ही हो जाता है। हम आशा करते हैं कि यह गुरुकुल आशातीत उन्नति करेगा और यहां वेद व्याकरण के उच्च कोटि के पण्डित तैयार होंगे जो आर्यसमाज के वेद प्रचार कार्य को गति देंगे। लगभग चार घंटे गुरुकुल में व्यतीत करने के बाद हम अपने मित्र श्री राजेन्द्र कुमार काम्बोज जी सहित अपने निवासों पर लौट आये। 
-मनमोहन कुमार आर्य


Saturday 3 October 2020

‘क्या इस जन्म से पहले हमारा अस्तित्व था और मृत्यु के बाद भी रहेगा?’


हम कौन हैं? इस प्रश्न पर जब हम विचार करते हैं तो इसका उत्तर हमें वेद एवं वैदिक साहित्य में ही मिलता है जो ज्ञान से पूर्ण, तर्क एवं युक्तिसंगत तथा सत्य है। उत्तर है कि हम मनुष्य शरीर में एक जीवात्मा के रूप में विद्यमान हैं। हमारा शरीर हमारी आत्मा का साधन है। जिस प्रकार किसी कार्य को करने के लिये उसके लिये उपयुक्त सामग्री व साधनों की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमारी आत्मा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये यह मनुष्य शरीर मिला है। शरीर केवल सुख व दुःख भोगने का ही आधार नहीं है अपितु यह साध्य ईश्वर की प्राप्ति के लिये है जिसे साधना के द्वारा प्राप्त व सिद्ध किया जाता है। हमारा साध्य ईश्वर को जानना, उसे प्राप्त करना, उसका साक्षात्कार करना तथा सद्कर्मों को करके जन्म व मरण के बन्धनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करना है। मोक्ष दुःख रहित तथा आनन्द से पूर्ण अवस्था का नाम है। मोक्ष में जीवात्मा को लेशमात्र भी दुःख नहीं होता। वह आनन्द से युक्त रहता है। सुखपूर्वक समय व्यतीत करता है। उसे वृद्धावस्था प्राप्त होने, किसी प्रकार का रोग व दुर्घटना होने तथा मृत्यु व पुनर्जन्म का दुःख नहीं सताता। उसे नरक व नीच प्राणी योनियों में जन्म लेने की चिन्ता भी नहीं सताती। मोक्ष अवस्था में सभी जीव ज्ञान व बल से युक्त रहते हैं जिससे वह दुःखों से मुक्त तथा सुखों व आनन्द से युक्त रहते हैं। परमात्मा व मोक्ष ही जीवात्मा के लिये साध्य है जिन्हें जीवात्मा मनुष्य जन्म लेकर वेदाध्ययन व वेदज्ञान को प्राप्त कर तथा वेदानुकूल कर्मों को करके सिद्ध व प्राप्त करती है। शरीर न हो और यदि वेदज्ञान व ऋषियों के ग्रन्थ न हों, तो मनुष्य अपने जीवन के लक्ष्य को न तो जान सकता है और न ही प्राप्त कर सकता है। अतः जीवात्मा को मानव शरीर परमात्मा की अनुकम्पा व दया के कारण मिला है जो हमारे माता-पिता के समान व उनसे कहीं अधिक हमारे हितों का ध्यान रखते हैं व हमें सुख प्रदान कराते हैं। इस कारण से मनुष्यों के लिये केवल सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, अनादि, नित्य, दयालु एवं न्यायकारी परमात्मा ही उपासनीय, ध्यान, चिन्तन व जानने योग्य है। जो मनुष्य इसके लिये प्रयत्न नहीं करता उसका जीवन व्यर्थ एवं निरर्थक बन कर रह जाता है। 
हम शरीर नहीं अपितु एक चेतन जीवात्मा हैं, इसका अनुभव प्रत्येक मनुष्य करता है। भाषा के प्रयोग की दृष्टि से भी आत्मा व शरीर पृथक पृथक सत्तायें सिद्ध होती हैं। हम कहते हैं कि हमारा शरीर, मेरा हाथ, मेरा सिर, मेरी आंख आदि आदि। मैं व मेरा में अन्तर होता है। मैं मेरा नहीं होता। मेरा शरीर मुझ आत्मा का है। अतः आत्मा व शरीर पृथक हैं। इसलिये हम शरीर के लिये मैं व आत्मा का प्रयोग न कर मेरा शरीर का प्रयोग करते हैं। दूसरा प्रमाण यह है कि आत्मा एक चेतन सत्ता व पदार्थ है। हमारा शरीर व इसके सभी अंग जड़ वा निर्जीव हैं। शरीर की मृत्यु हो जाने पर शरीर क्रिया रहित व चेतना विहीन हो जाता है। शरीर को काटें या अग्नि में जलायें, उसको दुःख नहीं होता परन्तु जीवित अवस्था में एक कांटा भी चुभे तो पीड़ा होती व आंख में आंसु आते हैं। इससे आत्मा नाम की शरीर से पृथक सत्ता सिद्ध होती है जो शरीर में रहते हुए सुख व दुःख का अनुभव कराती है व जिसके शरीर से निकल जाने अर्थात् मृत्यु हो जाने पर सुख व दुःख की अनुभूति होनी बन्द हो जाती है। अतः आत्मा को जानना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। इसको जानकर ही हम अपने कर्तव्यों के महत्व को समझ सकेंगे और ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिसका परिणाम दुःख व सन्ताप हो। वैदिक साहित्य में दुःख के कारणों की चर्चा की गई है। इस जन्म में हमें जो दुःख मिलते हैं वह हमारे पूर्वजन्म के वह कर्म होते हैं जिनका फल हम पिछले जन्म में भोग नहीं सके। कारण था कि भोग से पूर्व ही वृद्धावस्था व मृत्यु आ गई थी। इस जन्म में दूसरे प्रकार के दुःख इस जन्म के क्रियमाण कर्मों के कारण भी होते हैं। एक व्यक्ति स्वार्थ व लोभवश चोरी करता है जिसका दण्ड उसे न्याय व्यवस्था से मिलता है। इससे उसे दुःख होता है। इसी प्रकार से जीवात्मा वा मनुष्य को आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आध्यात्मिक दुःख भी होते हैं जो हमारे कर्मों पर आधारित न होकर देश, काल व परिस्थितयों पर आधारित होते हैं। इन सब प्रकार के दुःखों से बचने के लिये हमें वेदज्ञान की प्राप्ति कर सद्कर्मों यथा ईश्वरोपासना, अग्निहोत्र देवयज्ञ, इतर पितृयज्ञ, अतिथियज्ञ एवं बलिवैश्वदेवयज्ञ करने के साथ परोपकार व दान आदि को करना होता है। ऐसा करके हम भविष्य में कर्मों के कारण होने वाले दुःखों से बच सकते हैं। हमारी आत्मा अनादि, नित्य, अविनाशी, अमर तथा सनातन सत्ता है। यह सदा से है और सदा रहेगी। इसलिये यह अनादिकाल से जन्म व मरण के बन्धनों में फंसती रहती है व मनुष्य जन्म प्राप्त कर साधना करके मुक्त होकर मोक्षावधि को प्राप्त होकर उसके बाद पुनः संसार में जन्म-मरण में आवागमन करती रहती है। इस कर्म-फल रहस्य को वेद, सत्यार्थप्रकाश, उपनिषद तथा दर्शन आदि ग्रन्थों को पढ़कर जाना जा सकता है। इन ग्रन्थों का अध्ययन करने से हम इस संसार सहित ईश्वर व जीवात्मा के सत्यस्वरूप से परिचित हो सकते हैं तथा दुःखों को दूर करने व भविष्य में अशुभ व पाप कर्मों के कारण होने वाले दुःखों से भी बच सकते हैं। 
हमारी आत्मा अनादि व नित्य है। इस कारण से इसका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। आत्मा नाशरहित है। विज्ञान का नियम है कि अभाव से भाव तथा भाव से अभाव उत्पन्न नहीं होता। भाव पदार्थों में संसार में केवल तीन ही पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीव एवं प्रकृति। इन तीन पदार्थों की कभी उत्पत्ति नहीं हुई। यह सदा से हैं और सदा रहेंगे। परमात्मा व जीवात्मा अपने स्वरूप से अविकारी पदार्थ है। ईश्वर व जीवात्मा में विकार होकर कोई नया पदार्थ कभी नहीं बनता। प्रकृति त्रिगुणात्मक है जिसमें सत्व, रज व तम गुण होते हैं। इस प्रकृति व गुणों में विषम अवस्था उत्पन्न होकर ही यह दृश्यमान जड़ जगत जिसे संसार कहते हैं, बनता है। ईश्वर, जीव तथा प्रकृति की सत्ता स्वयंभू अर्थात् अपने अस्तित्व से स्वयं है। यह तीनों पदार्थ किसी प्राकृतिक पदार्थ से बने हुए नहीं है। इन तीनों पदार्थों का कोई अन्य पदार्थ उपादान कारण नहीं है। यह तीनों मौलिक पदार्थ है। यह अनादि काल से अस्तित्व में है। इसी कारण से ईश्वर व जीवात्मा आदि सभी तीनों पदार्थ अनादि काल से हैं। अतः हमारी आत्मा भी अनादि काल से संसार में है। यह चेतन, अल्पज्ञ, एकदेशी, ससीम, नित्य, अविनाशी, जन्म व मरण के बन्धनों में फंसी हुई, कर्म करने में स्वतन्त्र तथा फल भोगने में परतन्त्र सत्ता है। ईश्वर सर्वज्ञ व सब सत्य विद्यायों से युक्त सत्ता है। ईश्वर ही जीवों को सुख देने व उनके पूर्वजन्मों के कर्मों का फल भुगाने के लिये इस संसार की रचना व पालन करते हैं। अनादि काल से आरम्भ सृष्टि की रचना, पालन व प्रलय का क्रम निरन्तर चलता रहता है। इस रहस्य को जान कर ही वेदों के अध्येता, ऋषि व विद्वान आदि लोभ में नहीं फंसते और दुःखों की सर्वथा निवृत्ति के लिये ईश्वरोपासना, अग्निहोत्र यज्ञ, परोपकार एवं दान आदि सहित सत्योपदेश व वेदप्रचार आदि का कार्य करते हुए दुःखों से मुक्त व मोक्ष प्राप्ति के उपाय करते हैं। हम सबको भी वेद में सुझाये पंच महायज्ञों का ही पालन करना है। इसी से हमारा त्राण व रक्षा होगी। इसकी उपेक्षा से हम मोह व लोभ को प्राप्त होंगे जिनका परिणाम दुःख व बार बार मृत्यु रूपी दुःखों को प्राप्त होना होता है। इन वैदिक सिद्धान्त व मान्यताओं को हमें जानना चाहिये। यदि नहीं जानेंगे तो हम कभी भी दुःखों से बच नहीं सकते। 
ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति अनादि, नित्य, अमर व अविनाशी सत्तायें हैं। इस कारण इन तीनों पदार्थों का अतीत में अस्तित्व रहा है तथा भविष्य में सदा सदा के लिये रहने वाला है। ईश्वर जीवों के लिये अतीत व वर्तमान में सृष्टि बनाकर कर जीवों को जन्म देकर सुख व कर्मों का फल देते आये हैं और आगे भविष्य में भी सदा ऐसा करते रहेंगे। आत्मा की आयु अनन्त काल की है। इस दृष्टि से हमारा यह मनुष्य जन्म जो मात्र एक सौ वर्षों में सिमटा हुआ है, इसका आयु काल प्रायः नगण्य ही है। इस आयु में भी मनुष्य का अधिकांश समय बाल अवस्था, सोने तथा अन्य अन्य कार्यों में लग जाता है। शेष समय धन कमाने व सुख की सामग्री को एकत्र करने व बनवाने में लग जाता है। बहुत से लोग इसी बीच रोगग्रस्त होकर अल्पायु में ही मृत्यु की गोद में समा जाते हैं। अतः इस तुच्छ अवधि के जीवन काल मे हमें अपने मोह व लोभ पर विजय पानी चाहिये। इसके साथ ही हमें सत्यार्थप्रकाश, वेद एवं वैदिक साहित्य का अध्ययन कर अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिये और दुःख निवारण के उपाय ज्ञान प्राप्ति व सद्कर्मों को करके करने चाहिये। यही जीवन पद्धति श्रेष्ठ व उत्तम है। इससे इतर कोई भी जीवन शैली जो हमें सुखों की प्राप्ति के लिए केवल धनार्जन करने के लिये प्रेरित करती तथा ईश्वरोपासना आदि की उपेक्षा करती है, सर्वांश में उत्तम व लाभप्रद नहीं हो सकतीं। इन बातों व तथ्यों को हमें जानना व समझना चाहिये। इसी में हमारा हित है। इनकी उपेक्षा हमारा भविष्य दुःखद व निराशाजनक बना सकते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम, योगश्वर कृष्ण तथा वेदों वाले ऋषि दयानन्द के उदाहरण व उनके जीवन चरित्रों को हमें अपने ध्यान व विचारों में स्थापित करना चाहिये। उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। ऐसा करके हमारा जीवन आत्मा के जन्म के उद्देश्य को पूरा करने में साधक व सार्थक होगा। यह सत्य एवं प्रामाणित है कि इस जन्म से पूर्व भी हमारा अस्तित्व था, यदि न होता तो हमारा जन्म क्योंकर होता? इस जन्म में मृत्यु होने पर भी हमारा अस्तित्व बना रहेगा। मृत्यु का होना आत्मा का अभाव व नाश नहीं है अपितु यह पुनर्जन्म का कारण व आधार है। अतः इनको ध्यान में रखकर ही हमें अपने जीवन को जीना चाहिये। 
-मनमोहन कुमार आर्य


शीर्षक  : सेना का कर्तव्य

 


सेना का कर्तव्य, शत्रु को धूल चटाना।
जीत बने मंतव्य, देश की शान बढ़ाना।।1


नव उपाय नित खोज, युद्ध हम ही जीतेंगे।
कर  तैयारी  रोज, चाहते शत्रु हराना।।2


सजग रहें दिन रात, पलक तक बिन झपकाये।
सैनिक की यह बात, समझता नहीं जमाना।।3


जब भी हो संग्राम, राष्ट्र पर आँच न आये।
बैरी का हर दाँव, हमेशा विफ़ल कराना।।4


फौजी का यह ध्येय, जीत का फहरे झंडा।
पूरा करने हेतु, शीश खुद का कटवाना।।5


सर्वोपरि है राष्ट्र, शपथ हर सैनिक लेता।
दे कर निज बलिदान, कसम पूरी कर जाना।6


गर्म सर्द हो रात, नहीं घबराते हैं वो।
बात गाँठ में बाँध, विपद सम्मुख डट जाना।7


आये कभी विपत्ति, बढ़ाते हरदम ढाढ़स।
बन फौलादी ढाल, मुसीबत से टकराना।।8


भले युद्ध या शांति, कदम से कदम मिलाते।
मानवता का साथ, हमेशा देते जाना।।9


झंडे का सम्मान, करें बन कर बलिदानी।
जनगण मन का गान, हृदय से मिलकर गाना।10



कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी, नोएडा


हाथरस काण्ड: आर्य समाज ने किया विरोध प्रदर्शन


धनसिंह समीक्षा न्यूज
हाथरस की बेटी को न्याय दे सरकार - डॉ आर के आर्य
असभ्य अपराध क्रूरता की हद पार कर गया -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाज़ियाबाद। शनिवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "महिला उत्पीड़न" के विरोध में नेहरू नगर के जानकी पार्क में परिषद के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य के नेतृत्व में आर्य समाज के कार्यकर्ताओं  ने हाथरस की बेटी के साथ हुए दुष्कर्म के विरोध में आक्रोश प्रदर्शन किया व अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देने की मांग की गई,उन्होंने कहा कि आज बेटियों का घर से बाहर निकलना असुरक्षित हो गया है जो सभ्य समाज पर कलंक है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने ऑनलाइन कहा कि हाथरस की बेटी के साथ हुए अमानवीय, क्रूरता पूर्ण व्यवहार की आर्य समाज ने कड़ी भत्सर्ना करता है, उसके साथ ही पुलिस का व्यवहार भी अमानवीय रहा है जो अंग्रेजी हकूमत की याद ताजा कर रहा है,बिना परिवार की जानकारी के अन्त्येष्टि कर देना अत्यंत निन्दनीय,अमानवीय घटना है।दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए अन्यथा आम जनता का प्रशासन से विश्वास उठ जायेगा।
आर्य नेता व समाजसेवी डॉ आर के आर्य निदेशक (स्वदेशी आयुर्वेद,हरिद्वार) ने कहा कि आज बेटियों के प्रति गन्दी मानसिकता को साफ करने की आवश्यकता है।साथ ही उन्होंने लोगों से इस विषय पर राजनीति न करने की अपील की।उन्होंने हाथरस की बेटी को न्याय देने व बलात्कारियों को फांसी देने की मांग की।
आर्य समाज भूड भारत नगर के कोषाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार चौहान ने कहा कि आज आवश्यकता है परिवार में हो रहे लड़के और लड़कियों में भेद भाव को समाप्त करने की क्योंकि इस प्रकार की घटनाओं का बीजारोपण बचपन में ही होने लगता है लड़कों को बचपन से ही नारी सम्मान की शिक्षा देनी चाहिए।
परिषद के प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि भारत देश मे नारी को देवी माना जाता है।इस प्रकार के घिनौने अपराध दूषित मानसिकता को दर्शाते है।बहन बेटियों को आत्मरक्षा के गुण सिखाना बहुत आवश्यक हो गया है।
वरिष्ठ योग शिक्षिका वीना वोहरा,उर्मिला गोयल,विनीता चौधरी,अनुराधा भटनागर,विनय गोयल,विशाल शर्मा,सुधीर कंसल,जुगल किशोर गोयल,सुरेश प्रसाद गुप्ता,विकास,गौरव गुप्ता, सत्यम दुबे,यश गोयल ने घटना की निंदा व अमानवीय व्यवहार कहा तथा ऐसी सजा देने की मांग की जिससे भविष्य में कोई साहस न कर सके।
भवदीय,
प्रवीण आर्य


Friday 2 October 2020

‘ईश्वर की उपासना से मनुष्य को क्या लाभ प्राप्त होता है?’


मनुष्य कोई भी काम करता है तो वह उसमें प्रायः अपनी हानि व लाभ को अवश्य देखता है। यदि किसी काम में उसे लाभ नहीं दिखता तो वह उसे करना उचित नहीं समझता। ईश्वर की उपासना भी इस कारण से ही नहीं की जाती कि लोगों को ईश्वर का सत्यस्वरूप व उपासना से होने वाले लाभों का ज्ञान नहीं है। यदि सब मनुष्यों को ईश्वर का सत्यस्वरूप एवं गुण, कर्म व स्वभावों का ज्ञान हो जाये तो निश्चय ही उनकी ईश्वर से मेल व मित्रता करने में प्रीति होगी जिसका परिणाम मनुष्य की सर्वांगीण उन्नति के रूप में सामने आता है। ऋषि दयानन्द वेदों के विद्वान और परमात्मा को प्राप्त सिद्ध योगी व ऋषि थे। उन्होंने अपने ज्ञान व अनुभव के आधार पर नियम दिया है कि संसार का उपकार करना उनके द्वारा स्थापित आर्यसमाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात् सबकी शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति करना। जिस मनुष्य का शरीर पूर्ण स्वस्थ, निरोग व बलवान है, जो आत्म ज्ञान से युक्त है व तदवत् आचरण करता है तथा जो सामाजिक जीवन व्यतीत करते हुए समाज सुधार व उन्नति के कार्य करता है, वह मनुष्य सर्वांगीण उन्नति को प्राप्त मनुष्य कहा जा सकता है। ऐसा मनुष्य ही ईश्वर की उपासना करने सहित ईश्वर द्वारा सृष्टि के आदि में प्रदत्त चार वेदों का अध्ययन करने से बनता है। वेद प्रचार पर विचार करते हैं तो वह मनुष्य की सर्वांगीण उन्नति में अमोघ साधन प्रतीत होता है। जिस मनुष्य ने वेदों का सत्य तात्पर्य जान लिया और उसके अनुसार आचरण व व्यवहार करता है, वह मनुष्य ज्ञान व बल से युक्त होकर अपना व समाज का कल्याण करता है। यह लाभ उपासना व वेदों के स्वाध्याय सहित ज्ञान के अनुरूप आचरण करने से प्राप्त होते हैं। 
ईश्वर की उपासना से मनुष्य की आत्मा का ज्ञान बढ़ता है। इसका कारण यह है कि ईश्वर ज्ञानवान वा सर्वज्ञ सत्ता है। वह सर्वव्यापक एवं सर्वान्तर्यामी भी है। हमारी सूक्ष्म आत्मा से भी अत्यन्त सूक्ष्म व आत्मा के भीतर भी अखण्ड व एकरस होकर परमात्मा विद्यमान है। वह आत्मा की भावनाओं को जानता है। हम जो विचार करते हैं वह भी हमारी आत्मा में विद्यमान परमात्मा अपने अन्तर्यामी स्वरूप से जानता है। ईश्वर सर्वशक्तिमान भी है। उसी ने उपादान कारण त्रिगुणात्मक प्रकृति से इस वृहद ब्रह्माण्ड को बनाया है व वही इसका संचालन व पालन कर रहा है। वह हमारी हमारे मन व आत्मा के विचारों को भी जानता है तथा उन्हें प्रेरणा करने की सामर्थ्य रखता है। इसी कारण से गायत्री महामन्त्र में ईश्वर से मनुष्य की बुद्धि को शुद्ध करने व उसे सन्मार्गगामी बनाने की प्रार्थना की जाती है। उपासना में मनुष्य ईश्वर की स्तुति व प्रार्थना भी साथ-साथ करता है। स्तुति करने से परमात्मा के गुण, कर्म व स्वभाव का ज्ञान व परमात्मा में प्रीति होने से उससे मित्रता व मेल हो जाता है। प्रार्थना करने से मनुष्य निरभिमानी बनता है। ईश्वर की प्रार्थना से मनुष्य में अहंकार व अभिमान दूर हो जाता है। जिस प्रकार एक मित्र दूसरे मित्र का हित व रक्षा करता है, उपासना व ईश्वर की स्तुति व प्रार्थना से परमात्मा से मित्रता हो जाने पर हमें ईश्वर से रक्षा व अपनी हित सिद्धि के सभी लाभ प्राप्त होते हैं। 
परमात्मा सर्वज्ञ एवं सब गुणों का अजस्र स्रोत है। मनुष्य की आत्मा एकदेशी व ससीम होती है। यह अल्पज्ञ होती है। उसे अपनी ज्ञान वृद्धि के लिए एक सर्वज्ञ सत्ता की आवश्यकता होती है। वह सत्ता संसार में एकमात्र ईश्वर ही है। अतः ईश्वर की उपासना से ईश्वर की संगति होती है। इस संगति से मनुष्य की आत्मा के दोष दूर होते हैं और उनका स्थान ईश्वर के सद्गुण लेते हैं। उपासना करने से आत्मा के दुर्गुण व दुव्र्यसन दूर होते जाते हैं और ईश्वर के श्रेष्ठ व उत्तम गुण आत्मा में प्रविष्ट होते जाते हैं। इससे मनुष्य श्रेष्ठ व उत्तम गुणों से युक्त ज्ञानवान व बलवान बनता है। यह लाभ कोई छोटा लाभ नहीं है। अतः सभी मनुष्यों को ईश्वर के सत्यस्वरूप व सत्य गुणों आदि को जानकर उसकी नित्य प्रति, दिन में दो बार, प्रातः व सायं समय में उपासना अवश्य करनी चाहिये। इससे हमारे सभी दुर्गुण व बुराईयां दूर हो जायेंगी और हम एक गुणवान, पुरुषार्थी तथा ईश्वर के सच्चे उपासक व सद्ज्ञान से युक्त मनुष्य बन सकेंगे।
मनुष्य जब ईश्वर की उपासना करता है तो उपासना के एक अंग स्वाध्याय पर भी ध्यान देता है। इससे मनुष्य को ईश्वर व आत्मा सहित संसार के सब सत्य रहस्यों का ज्ञान हो जाता है। इस ज्ञान का प्रभाव मनुष्य के आचरण पर पड़ता है। वह ईश्वर की उपासना सहित मनुष्य, समाज व देश के लिये हितकारी यज्ञीय कर्मों को करता है। इससे मनुष्य पुरुषार्थी बनकर देश व समाज का उपकार करता है। वेद मनुष्य को सदाचार की शिक्षा देते हैं। हमारे सभी ऋषियों व योगियों सहित वैदिक विद्वानों के जीवन सदाचार से युक्त आदर्श जीवन हुआ करते थे। सदाचार से युक्त जीवन के अनेक लाभ होते हैं। जितना सुख व शान्ति एक सदाचारी मनुष्य के जीवन में होती है, उतने सुख व सन्तोष से युक्त जीवन का अनुमान ईश्वर उपासना व ईश्वर के सत्य ज्ञान से रहित मनुष्य के जीवन में नहीं होता है। ईश्वर ज्ञान व उपासना से रहित जो मनुष्य भौतिक इन्द्रियों के सुख का जीवन व्यतीत करता है, वह जीवन परिणाम में दुःखदायी ही होता है। इन्द्रिय भोग से मनुष्य का शरीर निर्बल हो जाता है जिससे रोग होकर मनुष्य को दुःख होते हैं। अतः एक उपासक का जीवन ही ऐसा जीवन होता है जिसमें रोग नहीं होते अथवा अत्यन्त न्यून मात्रा में होते हैं। उपासक के जीवन में सुख व सन्तोष की असीम मात्रा होती है या उसे उत्पन्न किया जा सकता है जो अन्यथा नहीं होती।   
ईश्वर की उपासना व वेदों के स्वाध्याय से मनुष्य को सत्कर्मों को करने की प्रेरणा मिलती है। सत्कर्मों में परोपकार व दान आदि भी सम्मिलित होते हैं। जीवनयापन के लिये मनुष्य व्यवसाय तो करता ही है परन्तु उपासना से युक्त मनुष्य का व्यवसाय सदाचार व सदाचारण से युक्त होता है। वेदों में कहा गया है कि अविद्या व सद्कर्मों से ही मनुष्य मृत्यु से पार जाता है। वेदों में यह भी कहा गया है कि ईश्वर को जानकर मनुष्य मृत्यु से पार जाता है। यह दोनों बातें परस्पर समान है। इसका अर्थ है कि सद्ज्ञान व ज्ञानयुक्त आचरण व व्यवहार दोनों को साथ साथ करने से ही मनुष्य मृत्यु से पार जाता और मोक्ष को प्राप्त होता है। अतः उपासना और सद्कर्मों से मनुष्य को मृत्यु पर विजय प्राप्त होती है तथा अमृतमय मोक्ष की प्राप्ती भी होती है। उपासना से होने वाले इस लाभ का भी महत्व संसार में सबसे बढ़कर है। अतः सभी को उपासना करते हुए ईश्वर से प्राप्त प्रेरणा के अनुसार सत्कर्मों वा परोपकार एवं दान आदि यज्ञीय कार्यों को करते रहना चाहिये। 
उपासना व स्वाध्याय से ईश्वर, जीवात्मा तथा सृष्टि के ज्ञान सहित मनुष्य के कर्तव्यों का बोध होता है। इससे मनुष्य असत्य मार्ग का त्याग कर दुःखों से बचता है तथा सन्मार्ग पर चलकर मनुष्य जीवन के लक्ष्य मुक्ति के लक्ष्य की ओर बढ़ता व प्राप्त होता है। उपासना से मनुष्य को आनन्द की प्राप्ति होती है जो अन्य किसी उपाय व साधन से नहीं होती। ईश्वर आनन्दस्वरूप है। उपासना में मनुष्य का आत्मा परमात्मा से संयुक्त हो जाती है। इससे परमात्मा का आनन्द जीवात्मा को अनुभव होता है। यदि उपासना नहीं करेंगे तो परमात्मा के आनन्द को न तो जान पायेंगे और न अनुभव ही कर पायेंगे। परमात्मा से हमें पुरुषार्थी बनने की प्रेरणा भी मिलती है। परमात्मा कभी विश्राम नहीं करते। वह संसार के कल्याण के लिये प्रत्येक पल व क्षण कार्य करते हैं। उन्होंने सारे ब्रह्माण्ड को धारण कर रखा है। संसार में सभी नियमों का पालन होता हुआ देखने को मिलता है। सूर्य समय पर उदय व अस्त होता है। समय पर सभी ऋतुएं आती व जाती हैं। मनुष्य जन्म व मरण तथा जीवन के सुख दुःख भी ईश्वर की व्यवस्था के अनुसार मनुष्यों को प्राप्त हो रहे हैं। अतः ईश्वर के सतत क्रियाशील, गतिशील व पुरुषार्थ से युक्त जीवन को देखकर उपासक को भी सत्कर्मों व परोपकार की प्रेरणा मिलती है। 
ईश्वर की उपासना से मनुष्य पाप कर्मों को करने से बचता है। उपासक पाप नहीं करता। यदि करता है तो ईश्वर उसे पाप करने से बचाता है। यदि कोई मनुष्य उपासना करने के साथ पाप कर्मों का व्यवहार भी करता है तो उसकी उपासना में खोट व कमी होती है। संसार में ऐसे भी मत व सम्प्रदाय हैं जो पुण्य व पाप कर्मों में अन्तर ही नहीं कर पाते। वह मांसाहार रूपी पाप कर्म का विरोध नहीं करते।  वह दूसरे निर्दोष प्राणियों व मनुष्यों को भी अकारण कष्ट व दुःख देते हैं। ऐसे लोग धार्मिक व उपासक कदापि नहीं हो सकते। वैदिक आधार पर उपासना करने से मनुष्य पापों से सर्वथा मुक्त हो जाता है। पाप से मुक्त तथा धर्म कर्मों को करने से मनुष्य की प्रवृत्ति सुख प्राप्ति व मोक्ष प्राप्ति में हो जाती है। मनुष्य मोक्ष मार्ग पर भी आगे बढ़ता है। उपासना व धर्म करने से मनुष्य का परजन्म व पुनर्जन्म तो निश्चय ही सुधरता है। जो मनुष्य शुद्ध मन व हृदय से परमात्मा की उपासना करेगा वह निश्चय ही पुरुषार्थी होगा, सद्कर्मों को करेगा, पुण्य कर्मों का संचय करेगा जिससे उसका आगामी व भावी जन्म श्रेष्ठ व उत्तम मनुष्य योनि सहित धन धान्य व सुखों से युक्त वातारण में होगा।  इन सब कामों को करते हुए उपासक व साधक को आवश्यकतानुसार धन भी प्राप्त होता है जिसका त्यागपूर्वक भोग करते हुए उपासक उसको दूसरों को दान देकर उनकी सहायता व उन्नति में सहयोगी भी बनता है। 
ईश्वर की उपासना करने से मनुष्य को लाभ ही लाभ हैं। मनुष्य की सभी सद्इच्छायें व शुभ कामनायें ईश्वर की उपासना से पूर्ण होती है। मनुष्य को उपासना व साधना करने के साथ वेद एवं सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ सहित ऋषि दयानन्द के जीवन चरित का अध्ययन भी करना चाहिये। इससे उपासना में सफलता सहित मनुष्य को शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति के अनेक लाभ प्राप्त होंगे। 
-मनमोहन कुमार आर्य


गांधी जयंती के उपलक्ष्य में चलाया स्वच्छता अभियान एवं किया तुलसी वृक्षारोपण


दीपक सिँह—समीक्षा न्यूज
लोनी। महंत श्री दुर्गानंद मिश्रा एवं श्री राम गोपाल एवं पौधों में विशेष पौधा श्री तुलसी जी  पौधरोपण का कार्य इनके कर कमलों से सम्पन्न किया गया है। 
ग़ांधी जयंती के उपलक्ष्य में वृक्षारोपण कार्य सम्पन्न हुआ , जिसमें तुलसी के पौधे को लगाने का कार्य किया।
महंत श्री दुर्गानंद मिश्र जी अपने जीवन के तजुर्बे से  तुलसी की विशेषताओ को साझा किया, बताया कि कई वर्षों से  तुलसी जी  का  पूजन में भी प्रचलन में है,
घर में लगाना क्यों जरूरी है ,तुलसी का पौधा, इसके पीछे का धार्मिक और  हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का महत्व बहुत है।  इसे पवित्र और लाभकारी बताया गया है। तुलसी का पौधा अधिकतर हिंदू घरों में लगा होता है। सुबह और शाम को तुलसी के पौधे की अराधना की जाती है।
तुलसी का पौधा हर घर में सदियों से लगता आ रहा है , साथ ही छोटे-बड़े जितने भी धार्मिक आयोजन होते हैं,  घर में उस दौरान तुलसी के पौधे की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इतना ही नहीं आयुर्वेद और विज्ञान में भी तुलसी के पौधे का खास महत्व बताया गया है। 
तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व तुलसी के पौधे का महत्व हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथों और पुराणों में बताया गया है। तुलसी के पौधे की कई विशेषताएं पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण और गुरुड़ पुराण में बताई हैं।


मान्यताओं के अनुसार तुलसी दल के बिना भगवान विष्‍णु और श्रीकृष्‍ण की कोई भी पूजा अधूरी होती है। इसके अलावा तुलसी का पौधा भोग में हनुमान जी को लगाया जाता है ।क्योंकि उन्हें वह बहुत प्रिय हैं।पुराणों में बताया गया है कि तुलसी का पौधा घर के आंगन में लगाने से और देखभाल करने से इंसान के पहले के जन्म के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
पुराणों के अनुसार तुलसी के पत्ते को गंगाजल के साथ मृत्यु के समय लेने से व्यक्ति की आत्मा को शान्ति मिलती है साथ ही वह स्वर्ग में जाता है। 
तुलसी के पत्ते और गंगाजल को कभी भी पूजा में बासी नहीं माना गया है। बासी और अपवित्र किसी भी परिस्थित में ये दोनों चीजें नहीं मानी गई हैं। 
मान्यताओं के अनुसार तुलसी की पूजा हर रोज नियमित रूप से जिन घरों में होती है यमदूत वहां पर कभी प्रवेश नहीं करते। इसके अलावा सुख और समृद्धि घर में बनी रहती है। 
तुलसी के पौधे का वैज्ञानिक महत्व
नियमित रूप से तुलसी के पौधे के पत्ते खाने से ऊर्जा का प्रवाह शरीर में नियंत्रित होता है साथ में इंसान की उम्र भी बढ़ती है। 
एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीबायोटिक गुण तुलसी के पौधे में पाए जाते हैं। ये गुण शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। 
घर का वातावरण भी तुलसी के पौधे के होने से शुद्ध रहता है। 
तुलसी कारगर होती है संक्रामक रोगों को दूर करने में। 
तुलसी और वास्तु शास्‍त्र 
वास्तु संबंधी दोष उन घरों में नहीं होते हैं जिन घरों मं तुलसी का पौधा होता है। 
घर के उत्तर और पूर्व कोने में तुलसी के पौधे को लगाना शुभ माना गया है। 
घर के दक्षिणी हिस्से में तुलसी के पौधे को नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर में दोष उत्पन्न होते हैं। 
मान्यता है,  कि दांतों से तुलसी के पत्तों को चबाना नहीं चाहिए , बल्कि एक बार में ही इसे निगल लें। 
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण बताया गया है। 
ऐसा इसलिए कहा जाता है , क्योंकि पारा तुलसी के पत्तों में पाया जाता है , जिसे चबाने से वह खराब हो जाता है।


लोनी पुलिस ने सनसनीखेज हत्या का किया खुलासा


प्रमोद मिश्रा—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। लोनी पुलिस द्वारा 1 माह पूर्व हुई सनसनीखेज हत्या के मुख्य दो शातिर बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। जिनमें साजिद उर्फ डोबरा, टिल्लू उर्फ मुस्तकीम को पुलिस ने नसबंदी तिराहा बलराम नगर से गिरफ्तार किया। पुलिस पूछताछ में दोनों बदमाशों ने बताया कि गोलू जो दिल्ली मंडोली जेल में बंद है। उसके कहने यह हत्या की। गिरफ्तार बदमाशों ने बतायाकि हम दोनों छैनू गैंग के लिए काम करते हैं। दोनो के जेल भेज दिया गया है।


लोनी पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद मिश्रा के नेतृत्व में मनाई गांधी जयंती


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर थाना लोनी परिसर में लोनी पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व संपादक लोनी उदय समाचार पत्र प्रमोद मिश्रा लोनी जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश ने माल्यार्पण किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को उन्होने सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सभी को अहिंसा का मार्ग अपनाकर, गांधी जी के विचारों एवं उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए।


विश्व ब्राह्मण संघ व महाराजा अग्रसेन जन कल्याण सेवा ट्रस्ट  ने देश के दो महान विभूतियों के चित्र पर की पुष्पांजलि


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता बीके शर्मा हनुमान व महाराजा अग्रसेन जन कल्याण सेवा ट्रस्ट  के  मुख्य संरक्षक वीके अग्रवाल के संयुक्त बयान देते हुए बताया कि हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया। ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। महात्मा गांधी युग पुरुष  व लाल बहादुर शास्त्री जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता  है।
 ब‍चपन एवं शिक्षा- इस महापुरुष का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। आपका पूरा नाम मोहनदास था। आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी। मोहनदास के व्यक्तित्व पर माता के चरित्र की छाप स्पष्ट दिखाई दी। 
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तरप्रदेश में 'मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव' के यहां हुआ था। उनकी माता का नाम 'रामदुलारी' था। 
लाल बहादुर शास्त्री के पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। ऐसे में सब उन्हें 'मुंशी जी' ही कहते थे। बाद में उन्होंने राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी कर ली थी। परिवार में सबसे छोटा होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से 'नन्हे' कहकर ही बुलाया करते थे। 
 जब नन्हे अठारह महीने के हुए तब दुर्भाग्य से उनके पिता का निधन हो गया। उनकी मां रामदुलारी अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्जापुर चली गईं। कुछ समय बाद उसके नाना भी नहीं रहे। बिना पिता के बालक नन्हे की परवरिश करने में उसके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उसकी मां का बहुत सहयोग किया। इस अवसर पर महाराजा अग्रसेन जन कल्याण सेवा ट्रस्ट के संस्थापक संदीप सिंघल राजेश गुप्ता जितेंद्र भटनागर मनोज श्रीराम शर्मा हरेंद्र शर्मा देवेंद्र शर्मा आदि उपस्थित थे


महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर गोष्ठी सम्पन्न


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
अहिंसा,त्याग व समर्पण के अग्रदूत थे महात्मा गांधी -सतीश उपाध्याय(पूर्व प्रदेश अध्यक्ष,भा.ज.पा दिल्ली)
सादगी,ईमानदारी व आत्म निर्भरता का पर्याय थे लाल बहादुर शास्त्री-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाज़ियाबाद। शुक्रवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "महात्मा गांधी की 151वीं व लाल बहादुर शास्त्री की 116 वीं जयंती पर गोष्टी का आयोजन ऑनलाईन गूगल मीट पर किया गया।यह कोरोना काल परिषद का 98 वां वेबिनार था।
मुख्य अतिथि दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि गांधीजी ने प्रेम और भाईचारे की भावना से भारत की जनता के हृदय पर राज किया।वह अहिंसा,त्याग व समर्पण के अग्रदूत थे और वे देश में रामराज्य स्थापित करना चाहते थे।एक भविष्यदृष्टा,युगदृष्टा हमारे बीच से चला गया।आज गांधी जी हमारे बीच नहीं हैं,किंतु उनके आदर्श सिद्धांत हमें सदैव याद रहेंगे।उनका नाम सदा अमर रहेगा।स्वदेशी व आत्मनिर्भर भारत का उदघोष उन्होंने राष्ट्र को दिया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि  देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी की आज 116 वीं जयंती है।लाल बहादुर शास्त्री की सादगी अपने आप मे एक उदाहरण है और इसी सादगी और देशभक्ति के बल पर वह देश के प्रधानमंत्री बने।ईमानदारी और स्वाभिमानी छवि के चलते आज भी उन्हें बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है।देश की सीमा के रक्षक जवान व देश के अंदर अन्नदाता के लिए "जय जवान जय किसान" का नारा आज भी देश के प्रत्येक नागरिक को प्रेरित करता है।उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से सोये हुए भारत में उत्साह का संचार कर दिया था।
दिल्ली संस्कृत अकादमी के पूर्व सचिव डॉ धर्मेंद्र शास्त्री ने कहा कि  देश के प्रत्येक नागरिक को उनके व्यक्तित्व का अनुसरण करना चाहिए।शास्त्री जी की पहचान उनकी ईमानदारी है। शास्त्रीजी ने देश को उन्नति के पथ पर ले जाने में अहम भूमिका निभाई।उन्होंने कहा कि शास्त्रीजी ने हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के प्रयास किए और महात्मा गांधी को "महात्मा" की उपाधि स्वामी श्रद्धा नंद जी ने प्रदान की।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने बताया कि महात्मा गांधी का कहना था कि सच्चा इंसान वह है, जो प्रेम,अहिंसा,नम्रता,पवित्र व करुणा की भावना से जीवन जीता हो।ये गुण हम सभी को अपनी जिंदगी में ढालने चाहिए।आज उनकी जयंती पर सभी उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने युवाओं को लाल बहादुर शास्त्री व महात्मा गांधी द्वारा बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
गायक नताशा बजाज (बंगलोर), नरेन्द्र आर्य सुमन,नरेश खन्ना, सतीश सत्यम,सुषमा बुद्धिराजा, विमला आहूजा,नरेश प्रसाद, संध्या पांडेय,विचित्रा वीर,विजय कटारिया,राजेश वधवा,सार्थक, ईश्वर आर्या,मधु खेड़ा आदि ने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, धर्मपाल आर्य,दिनेश सिंह आर्य, आनंदप्रकाश आर्य,प्रकाशवीर शास्त्री,आस्था आर्या,वीना वोहरा, दर्शना मेहता,यज्ञवीर चौहान, देवेन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र भगत,सुरेन्द्र शास्त्री,मनोज मान,विजय पाहुजा,राजेश मेहंदीरत्ता आदि उपस्थित थे।
भवदीय,
प्रवीण आर्य


पार्षद आनन्द गुप्ता ने चलाया गांधी जी व शास्त्री जी जयंती पर धूल मुक्त अभियान


धनसिंह समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। नगर निगम गाजियाबाद, वार्ड 86 पार्षद आनंद गुप्ता जी ने अपने वार्ड86 मे महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर जी०टी० रोड पर *धूल मुक्तअभियान* के अंतर्गत स्वच्छता अभियान चलाया ।


महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान मुरादनगर द्वारा मनाई गयी गांधी जयंती


सनोवर खान उर्फ सोनू—समीक्षा न्यूज
मुरादनगर। नेहरू युवा केन्द्र, ग़ाज़ियाबाद के तत्त्वावधान में महिला उन्नति प्रशिक्षण संस्थान मुरादनगर द्वारा महात्मा गांधी जी के 150 वी जयंती वर्ष समारोह एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर "स्वच्छता ही सेवा अभियान" पर संगोष्ठी, सर्वधर्म प्रार्थना एवं स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन विकास खण्ड कार्यलय, मुरादनगर के सभागार में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला युवा समन्वयक देवेंद्र कुमार ने उपस्थित युवाओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें केवल शारिरिक रूप से ही नही अपितु मानसिक रूप से भी स्वच्छता को अपनाना होगा। गांधीजी ने भी कहा है कि हर व्यक्ति स्वच्छता को इस प्रकार ग्रहण करे कि वह हमारी आदत बन जाये।
कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर की गई। नेहरू युवा केन्द्र के लेखाकार मुकन्द वल्लभ शर्मा ने सर्वधर्म प्रार्थना कराई तत्पश्चात अनेक देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं श्रमदान कार्यक्रम आयोजित किया गया। 



कार्यक्रम में मुरादनगर थानाध्यक्ष इंसपेक्टर श्री अमित कुमार एवं सब इंस्पेक्टर श्री मनीष द्वारा मुरादनगर को स्वच्छ रखने  में सहयोग करने वाले सफाईकर्मी श्री अमित, श्री गुलशन, श्री सतीश, श्री जितेन्द्र, श्रीमति बबीता एवं श्रीमति बिंदू को मेडल और शॉल देकर सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले समस्त लड़कियों को भी मेडल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ लेखाकार मुकन्द वल्लभ शर्मा  द्वारा किया गया तथा इस अवसर पर उन्होंने देश भक्ति की कविता सुनाकर सभी युवाओं में जोश भर दिया । कार्यक्रम में सभी को कोरोना बचाव हेतु मास्क का वितरण किया और अम्बेडकर पार्क में बनायी गयी मास्क बैंक का भी अवलोकन किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में महिला उन्नती प्रशिक्षण की अध्यक्षा श्रीमति दुर्गेश शर्मा, सचिव श्रीमति पवित्रा, एन वाई वी नीतीश, विकास, दया, अजय, पवन एवं युवा मंडल अध्यक्ष सनोवर खान उर्फ सोनू, तालिब और सरिता, पूजा, अंशु, सुमित, परविंदर, उदयवीर मनमोहन सिंह का सहयोग रहा ।



शहर कांग्रेस कमेटी ने मनाई 151वीं गांधी जयंती 


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
मोदी नगर । शहर कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में शहर अध्यक्ष आशीष शर्मा की अध्यक्षता में महात्मा गाँधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म दिन कांग्रेसजनों ने मनाया ।
वक्ताओं कहा कि गांधी जी का जन्म 2अक्टूबर 69 में हुआ था । कांग्रेस वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि  मैं  किसी से नहीं डरूंगा, मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूंगा नहीं, मैं असत्य में सत्य से जीतूऊँगा और असत्य का विरोध करते हुए मैं सभी कष्टों को सह संकूगा।
वक्ताओं ने कहा कि हमें भी उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए ।
इनके साथ पूर्व भारत के प्रधानमंत्री स्व0 श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाई गई ।कांग्रेस वक्ताओं ने कहा कि स्व0 श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं, जिनके पास रहने के लिए अपना मकान तक नहीं था और कार लोन लेकर खरीदी थी । उन्होंने अपना जीवन सादगी के जीवन व्यतीत किया । उन्होंने अपना नाम देश में ही नहीं अपितु विश्व में अपना नाम रोशन किया है । देश के लिए जय जवान, जय किसान का नारा उन्होंने ही दिया है जो कि आज देश में गूंजता है । हमें उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए ।
इस मौके पर मुख्य रूप से 
कांग्रेसजनों में इंटक के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश शर्मा ,कांग्रेस के जिला महामंत्री राधा कृष्ण शर्मा, डॉ जे पी सिंह, पूर्व सभासद राजकुमार खुराना, गुलवार भारद्वाज, विनोद कुमार,सेवा दल शहर अध्यक्ष संजीव सैन, शर्मा,नानक चन्द, ममता शर्मा, डॉ अनिल कुमार, ई0 हरिदत्त कसाना, सत्यवीर त्यागी,सुनील शर्मा,राजकुमार उपाध्याय, राजेन्द्र शर्मा, राहुल शर्मा, पूर्व सभासद गजेन्द्र कौशिक, इन्द्रा शर्मा, आकाश वर्मा, शैलेन्द्र, दिनेश कुमार, लोकेश चन्द, सतीश गौतम, सुनील कुमार एडवोकेट, अंकित कुमार, रामकिशन शर्मा, ठा0 अनूप सिंह, कृष्ण पाल, आत्म प्रकाश शर्मा,मंजू राणा, पवन कोरी,रोहित सिंह सहित काफी संख्या में कांग्रेसजन मौजूद थे ।



गोठरा बागपत में लोनी विधायक पुत्र हितेश गुर्जर ने किया कबड्डी प्रतियोगिता का उद्घाटन


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। विधायक नंदकिशोर गुर्जर के पुत्र हितेश गुर्जर ने गोठरा, बागपत में जेबीएम ग्रुप द्वारा आयोजित कबड्डी प्रतियोगिता का रिबन काटकर उद्घाटन किया और युवा खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की। इस् दौरान हितेश गुर्जर ने कहा कि माननीय विधायक जी ने आप सभी भविष्य के खिलाड़ियों के लिए शुभकामनाएं मेरे माध्यम से प्रेषित की है। एक स्वस्थ्य जीवन के लिए खेल दैनिक जीवन का हिस्सा होना चाहिए। इस मायने में कबड्डी का खेल बहुत ही उपयोगी है। भारत को कबड्डी का जनक कहा जाता है आज एशिया खेल, कबड्डी प्रीमियर लीग ने कबड्डी को एक अंतरराष्ट्रीय खेल बना दिया है। मेरा मानना है वह दिन अब दूर नहीं जब कबड्डी को भी ओलंपिक खेल में शामिल किया जाएगा और हमारा वहां भी दबदबा होगा।  कबड्डी अब गांव से निकलकर मुख्य धारा के खेलों के साथ कदमताल कर रही है और गांव-देहात के खिलाड़ियों ने कबड्डी में क्षेत्र और देश का नाम रौशन किया है क्योंकि अब भारत सरकार और प्रदेश सरकार भी खेलों के संरक्षण के लिए आगे आई है खिलाड़ियों को मान-सम्मान मिलना शुरू हुआ है जो एक बदलाव का प्रतीक है।
इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता मनुपाल बंसल, निखिल बैंसला, नितिन बैंसला, विशाल पंडित, मंजिस बैंसला, नम्बरदार हिमांशु गुर्जर, कृष्ण बीडीसी आदि उपस्थित रहें।


विधायक कार्यालय, लोनी


गांधी जयंती पर लोनी विधायक ने आधा दर्जन गांवों में लगाई किसान चौपाल


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। शुक्रवार को महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने महमूदपुर, सीती, निस्तौली, अफ़जलपुर, भूपखेड़ी आदि आधा दर्जन गांव में किसान चौपाल का आयोजन कर कृषि सुधार कानून पर किसानों की दुविधा को दूर किया और इस दौरान उनकी समस्याओं का भी निस्तारण किया। इस दौरान जिपं अध्यक्ष पति पवन मावी भी मौजूद रहें।


आज़ादी के बाद पहली बार आज़ाद हुआ है किसान, किसानों के लिए खुशहाली का मार्ग है कृषि सुधार कानून:
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कृषि सुधार सम्बन्धी कानून पर चर्चा करते हुए किसानों के सभी सवाल और जिज्ञासा को सुना और क्रमवार उसका जवाब दिया। इस दौरान विधायक ने कहा कि हम स्वंय एक किसान घर से आते है और यह कानून अच्छा है या बुरा इसे हमने सबसे पहले अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव से जोड़कर देखा तो पाया कि इस कानून से किसानी  क्षेत्र में आमूूलचूूल और क्रांतिकारी बदलाव आएंगे, खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा, किसानों के पास मंडी के समानांतर भी एक व्यवस्था होगी तथा कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।  कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी। 
किसानों का वर्षों का सपना 'एक देश-एक बाजार' भी इस नए कानून से पूरा होगा। पहले हमारे किसानों का बाजार सिर्फ स्थानीय मंडी तक सीमित था। उनके खरीददार सीमित थे। बुनियादी ढांचे की कमी थी और मूल्यों में पारदर्शिता नहीं थी। इस कारण किसानों को अधिक परिवहन लागत, लंबी कतारों, नीलामी में देरी और स्थानीय माफियाओं की मार झेलनी पड़ती थी लेकिन नए कृषि सुधार कानून से अब यह बातें गुजरे जमाने की बात हुआ करेगी।  


"एमएसपी पर सफेद झूठ बोल रहा है विपक्ष, जारी रहेगी एमएसपी और मंडी व्यवस्था"
विधायक नंदकिशोर गुर्जर के सामने किसानों ने एमएसपी व्यवस्था पर सवाल किए तो विधायक ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विपक्ष सफेद झूठ बोल रहा है और मंडियों के समाप्ति की भी बातें हवा-हवाई है क्योंकि इनका नए कृषि सुधार कानून में कहीं जिक्र ही नहीं है यह पहली की तरह बनी रहेगी। किसान के पास पहले की तुलना में चुनाव के मौके ज्यादा होंगें देश के इतिहास में पहली बार वर्ष 2004 में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय किसान आयोग की स्थापना की गई। वर्ष 2006 में इस आयोग की सिफारिश में न केवल कृषि के उन्नयन के लिए सुझाव दिए गए थे बल्कि किसानों के परिवारों के आर्थिक हित के लिए भी सुझाव दिए गए थे।  डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस की सरकार ने काम नहीं किया क्योंकि कांग्रेस बिचौलियों की पार्टी है जो अपने घोषणा पत्र में इसी कानून की बात तो करती है लेकिन बिचौलियों के दबाव में जब यह कानून मोदी जी लाते है तो मुकर जाती है, इसका विरोध करती है। सौभाग्यवश पिछले 6 वर्षों के दौरान किसानों की स्थिति और आय में सुधार करने के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए है। किसान सम्मान निधि से लेकर फसलों के दाम डेढ़ गुना बढ़ाना, ऋण मोचन, खेती के लिए सिचाई योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, पौधा संरक्षण, कृषि यांत्रिकीकरण, जैविक खेती, मिट्टी जांच, समेकित खेती कौशल विकास, जैविक खेती, किसानों को पशुपालन योजना, बीज ग्राम योजना, बागवानी योजना, श्रीविधि योजना, नीम कोटेड यूरिया, जैविक खाद योजना सहित अन्य योजनाएं बताने के लिए काफी है कि मोदी जी की सरकार अन्नदाता हितेषी सरकार है। इसलिए 2022 तक माननीय प्रधानमंत्री जी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध एवं संकल्पबद्ध है इसकी झलक किसान हितों के लिए बनाये जा रहे कानून आदि में देखा जा सकता है। आज किसान और दलित माननीय प्रधानमंत्री जी को अपने परिवार का सदस्य मानता है इसलिए विपक्ष बौखलाकर किसानों को भ्रामक बातें बताकर आंदोलित कर रहा है और प्रदेश में हाथरस की एक हृदय विदारक घटना पर राजनीतिक टूरिज्म कर रहा है जो निंदनीय है जनता समझदार है आने वाले समय में मुंहतोड़ जवाब देगी जिस तरह प्रधानमंत्री जी ने 370 हटाया, राम मंदिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त किया है ठीक उसी प्रकार किसानों के जीवनस्तर में सुधार लाने के वादे को भी अवश्य पूरा करेंगे।
वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष पति एवं भाजपा नेता पवन मावी ने कहा कि किसानों के जीवन स्तर में वर्ष 2014 के बाद से देखने को मिले है। लोनी के किसान आज आधुनिक एवं जैविक खेती के मामलें में दूसरे क्षेत्रों के लिए मिसाल बन रहे है। लोनी के इतिहास में पहली बार किसान खुशहाल है आज किसानों को भरपूर बिजली मिल रही है आवागमन के लिए सुगम रास्ते मिल रहे है यह सब माननीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर जी के प्रयासों से सार्थक हुआ है।
इस दौरान बिट्टू प्रधान, महेश प्रधान, शील भाटी, प्रधान शिवानन्द कसाना, चौधरी शरदा राम, मनीष डागर, दिनेश चौधरी, मनोज कुमार, शिवम डागर, वीरेंद्र सिंह, मास्टर राजेंद्र वीर सिंह, ,सुशील, लोकेंद्र कुमार राज प्रधान, वरुण डागर, अरुण डागर आदि सैकड़ों की संख्या में किसान चौपाल में किसान मौजूद रहें।



विधायक कार्यालय, लोनी


राष्ट्रपति महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर किया नमन: अंकुश कपिल पांचाल विश्वकर्मा


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
दिल्ली। 2 अक्टूबर 151 वी गांधी जयंती पर भारतीय जनता पार्टी के मंडल महामंत्री अंकुश पांचाल मंडल मंत्री  कपिल पांचाल विश्वकर्मा दिल्ली राजघाट स्थल पर जाकर पूरे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले राष्ट्रपिता स्व0 महात्मा गाँधी जी एवं सादगी के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री जी एवं लोनी गाजियाबाद नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन विनोद बंसल के पिता स्व चौधरी जगमाल सिंह जी की 31 वी पुण्यतिथि पर तीनो महापुरूषों की समाधि स्थल पर जाकर पुष्पाजलि अर्पित कर नमन किया। प्रदेश महासचिव कपिल पांचाल विश्वकर्मा अंकुश पांचाल विश्वकर्मा ने बताया 2 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिवस 'गांधी जयंती' के रूप में मनाया जाता है। चूंकि महात्मा गांधी जी द्वारा अहिंसा आंदोलन चलाया गया था, इसलिए विश्व स्तर पर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
मुख्य रूप से सुनील पांचाल विश्वकर्मा समाज सेवी अंकुश पांचाल विश्वकर्मा मंडल महामंत्री भाजपा कपिल पांचाल मंडल मंत्री भाजपा विश्वकर्मा महासभा प्रदेश महासचिव डॉ रवीश कुमार शर्मा मंडल मंत्री कमलेश कुमार विपिन कुमार मयंक त्यागी मौजूद रहे।


पर्यावरण को बचाना ही हमारे जीवन का मूल उद्देश्य हैं : सुशील श्रीवास्तव


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में लोनी नगर के सभी वार्डो में समस्त वार्ड अध्यक्षों ने अपनी-अपनी टीम के साथ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न श्री लाल बहादुर शास्त्री जी एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जन्म जयंती के उपलक्ष में लोनी में किया स्वच्छ वातावरण के लिए वृक्षारोपण, इस मौके पर प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव ने कहां भारत के इतिहास में 2 अक्टूबर का दिन देश की दो महान विभूतियों के जन्मदिवस के तौर पर दर्ज है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का  जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुए और उनके कार्यों और विचारों ने आजाद भारत को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई, व पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म भी 2 अक्टूबर 1904 को हुआ, उनकी सादगी और विनम्रता के लोग कायल थे 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान दिया गया ‘जय जवान जय किसान’ का उनका नारा आज के परिप्रेक्ष्य में भी सटीक और सार्थक है, आज दोनों राष्ट्रपुरुषों की जन्म जयंती पर प्रवासी विकास मंच के सभी सदस्यों ने स्वच्छ पर्यावरण के संकल्प लिया, आज स्वच्छता का अभाव एवं पर्यावरण पर मंडराता खतरा विश्व की सबसे बड़ी समस्याओं में एक हैं। लगातार बढ़ती जा रही जनसंख्या से पर्यावरण को बचाना एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि हमारी प्राकृतिक संसाधन सिमटते जा रहे हैं और हमारी उपभोग की इच्छाएं बढ़ती जा रही हैं। इस उपभोगवादी संस्कृति के चलन हमें आस-पास के पर्यावरण और स्वच्छता संबंधी बातों से दूर कर दिया है। हम आज सिर्फ इस्तेमाल की संस्कृति का निर्माण कर रहे हैं। इस विषम परिस्थिति से कैसे बचा जाए? इसके लिए क्या ठोस उपाय किए जाएं ताकि स्वच्छ पर्यावरण हमारी जीवन शैली बन सके और पर्यावरण पर मंडराते खतरे को टाला जा सके, आज प्रत्येक मनुष्य को पर्यावरण को बचाना है अपने जीवन का मूल उद्देश्य बनाना पड़ेगा, इस मौके पर मौजूद प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव, नगर उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, नगर मंत्री दिलीप कुमार, कपिल कुमार, रवि श्रीवास्तव, नगर मीडिया प्रभारी विक्की शर्मा, सह मीडिया प्रभारी नितेश ठाकुर, नगर कार्यकारिणी सदस्य आकाश राजपूत एवं सभी वार्डों के अध्यक्ष जिसमे अमित गुप्ता, अनिल कुमार, राकेश कुमार, दीपक चौहान, धीरेंद्र, आशु भारद्वाज, रोहित दिवाकर, पंकज, प्रवीन राजपूत, राज वर्मा, विवेक कश्यप, अमित कुमार, अरविंद चौहान, रमेश कुमार आदि अपनी-अपनी टीमों के साथ उपस्थित रहे।



शिवानी गौरव सोलंकी ने जनता के साथ मनाई गांधी जयंती


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। वार्ड 76 निगम पार्षद, वैशाली- गाजियाबाद शिवानी गौरव सोलंकी ने वैशाली के सेक्टर 1 के सम्मानित निवासियों के साथ महात्मा गांधी जी व श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती मानते हुए।



जन मानव उत्थान समित्ति ने मनाई गांधी जयंती 


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। गांधी जयंती के अवसर पर जन मानव उत्थान समित्ति ने गांधी जयंती अपने मुख्य कार्यालय घण्टा घर पर बड़ी धूम धाम से मनाई  इस अवसर पर गांधी जी की प्रतिमा पर फूल अर्पण कर गांधी जी  व लाल बहादुर शास्त्री जी को याद किया गया तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा व मंडल अध्यक्ष बबीता चौधरी व वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य एस पी सिंह एवम वरिष्ठ सदस्य मोहित , आशिफ ,सिद्धांत शर्मा आदि ने महात्मा गांधी जी के पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लिया साथ इस अवसर पर जन मानव उत्थान समित्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा ने कहा कि आज जरूरत है महात्मा गांधी जी के विचारों पर चलने की यदि  देश इन महापुरुषों के सिंद्धान्तों पर चलेगा तभी देश मे महिलाएं व बेटियों सुरक्षित हो सकती है एवम देश तरक्की कर सकता है   संस्था की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष रेनु शर्मा एवम राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु वैष्णव एवम उत्तराखंड प्रदेश  प्रभारी मोहिनी राजपूत व कलकत्ता  के प्रभारी सोमेन शाह व हरियाणा के प्रभारी रमेश कपूर व गुजरात प्रभारी कीर्ति भाई देसाई एवम उतर प्रदेश प्रभारी  विनीत गर्ग व दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष बरखा कौशिक आदि  ने   संस्था के अपने अपने  प्रदेश कार्यालय पर गांधी जयंती मनाई । इस अवसर पर उपस्थित रहे मोनू , सुमित ,खुशी ,, बबिता  चौधरी , हमेलता सिसोदिया ,प्रियंका , शालिनी आदि उपस्थित रहे । 
साभार:   
बबिता चौधरी
मंडल अध्यक्ष
जन मानव उत्थान समित्ति


माता रानी के जागरण में लिया माता का आशीर्वाद:विजेन्द्र त्यागी 


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। बृहस्पति वार की रात्रि  पूर्णमासी को  भाजपा नेता और सहयोग फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजेन्द्र त्यागी ने लोनी विधानसभा क्षेत्र के बन्थला क्षेत्र की निर्मला कुंज ,सरल कुंज, संगम विहार आदि अनेक स्थानों पर माता रानी के जागरण में पहुँचकर माता का आशीर्वाद लिया इस अवसर पर विजेन्द्र त्यागी ने बताया कि धार्मिक आयोजनों से आस पास का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता ह और नकारत्मकता दूर होती ह भारत वर्ष में हमारी आंतरिक क्षमता और मोदी सरकार और योगी सरकार की योजना के कारण हम सब भारतवासियों ने कोरोना जैसा महामारी पर विजय प्राप्त की ह विश्व में इतनी बड़ी आबादी होने पर भी हम भारतवासी इस बीमारी पर विजय प्राप्त कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगे और विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करेगे इस दौरान रंजीत पांडे ,अशवनी चोधरी उर्फ़ काले प्रधान बन्थला ,विकास मावी , महेश शर्मा ,सौरभ चोधरी समेत अनेको धर्म प्रेमी उपस्थित रहे और माता का आश्रीवाद प्राप्त किया


एनटीपीसी दादरी में महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
दादरी। एनटीपीसी दादरी में महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक संक्षिप्त कार्यक्रम प्रशासनिक भवन में 02 अक्टूबर,2020 को आयोजित किया गया।कार्यक्रम में समूह महाप्रबंधक(दादरी)  सी. शिवकुमार ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी।इस अवसर पर महात्मा गांधी के विचारों और आदर्शों को याद किया गया और जीवन में अपनाने का संकल्प लिया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान श्री शिवकुमार ने  पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर भी माल्यार्पण कर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर उपस्थित महाप्रबंधक(कोल) देबाशीष दास; महाप्रबंधक (प्रचालन)  विधान चट्टोपाध्याय; महाप्रबंधक(मेडिको) डॉ. बी.सी. चतुर्वेदी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने क्रमशः महात्मा गांधी और शास्त्री जी के चित्रों पर माल्यार्पण कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
 इस कार्यक्रम  के आयोजन में  कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पूर्णतया पालन किया गया और अधिकारियों और कर्मचारियों की सीमित उपस्थिति रखी गयी।इस अवसर पर उपमहाप्रबंधक(मानव संसाधन)  संतोष कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ प्रबंधक(मानव संसाधन) निकेश कुमार और सुश्री श्वेता भी उपस्थित रहे।


हिन्दू रक्षा दल ने बहन मनीषा को न्याय दिलाने की मांग, निकाला कैंडल मार्च


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। प्रताप विहार सेक्टर 11 हिन्दू रक्षा दल ने हाथरस के बुल गढ़ी गांव में हुए बहन मनीषा बाल्मीकि के साथ अत्याचार और गैंगरेप हुआ उसके हत्यारों को फांसी दिलवाने के लिए और बहन मनीषा को न्याय मिले तो प्रताप विहार गढ़वाली रामलीला एफ ब्लॉक से लीलावती चौक तक कैंडल मार्च निकाला  जिसमें हिन्दू रक्षा दल के महानगर अध्यक्ष दीपक तेवतिया, बिट्टू खारी,मनोज, आदि  सभी कार्यकर्ता मौजूद रहे।


विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल बहन मनीषा को दी श्रद्धांजलि, निकाला कैंडल मार्च


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल ने हाथरस के बुल गढ़ी गांव में हुए बहन मनीषा बाल्मीकि के साथ अत्याचार और गैंगरेप हुआ उसके हत्यारों को फांसी दिलवाने के लिए और बहन मनीषा को न्याय मिले तो बजरंग दल ने आज प्रताप विहार गढ़वाली पार्क से लीलावती पब्लिक स्कूल चौराहे तक एक कैंडल मार्च निकाला जिसमें बजरंग दल के महानगर सह संयोजक इंद्र कुमार बजरंगी ,और महानगर के गौ रक्षा प्रमुख लेखराज बजरंगी, और प्रतापगढ़ प्रखंड के संयोजक हेमंत जी, विजय नगर प्रखंड के सह संयोजक संयोजक रोहित जी और सूरज बजरंगी रोहित जी प्रदीप चौधरी लोकेश बजरंगी भीष्म बजरंगी , तथा बजरंग दल के सभी कार्यकर्ता मौजूद रहे।


Thursday 1 October 2020

अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर बेटी सुरक्षा दल ने 70 वृद्धजनों को किया सम्मानित 


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। बेटी सुरक्षा दल ने अंतरराष्ट्रीय   वृद्ध दिवस पर आवासीय वृद्ध आश्रम दुहाई जिला गाजियाबाद में 70 वृद्धजनों का सम्मान किया 
संस्था के सदस्यों ने सभी आश्रम के वृद्धजनों को गर्म चद्दर शॉल ओढ़ाकर एवं खाद्य सामग्री दे कर किया सम्मानित । 
मुख्य अतिथि बेटी सुरक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारणी डॉ एस के शर्मा ने इस अवसर पर कहा की बुजुर्गों की सेवा ही समाज मे सच्ची सेवा है । बुजुर्गों की सेवा से ही स्वर्ग मिलता है 
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि सुनील शर्मा ने कहा कि वृद्ध जनों को वृद्धाश्रम में छोड़ कर जाने वाले सभी बेटे अभिश्राप के पात्र होंगे । माँ बाप की सेवा हर धर्म से  उठकर होती है । 
अतिथि समाजसेवी सतेंद्र शर्मा ने कहा कि समाज मे बुजुर्ग वर्ग हमेशा बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत होते है । इनकी सेवा हमेशा करनी चाहिए । 
आश्रम संचालिका श्रीमती इंदु जी ने कहा कि में ओर मेरा पूरा स्टाफ कोशिश करता है कि कोई भी आश्रम में रहने वाला बुजुर्ग अपने को अकेला ना समझे । 
मुझे गर्व है कि मुझे बुजुर्गों की सेवा का मौका मिला । 
मंच संचालन बेटी सुरक्षा दल के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ राजाराम आर्य ने किया । 
डॉ राजाराम जी ने व बुजुर्गों ने इस अवसर पर कई कविता और देशभक्ति पर गीत संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर किया । 
इस अवसर पर अच्छी परफॉर्मेंस देने वाले सभी बुजुर्गों को इनाम व गिफ्ट देकर सम्मानित किया। 
इस अवसर पर डॉ एस के शर्मा ,डॉ आर के शर्मा,सुनील शर्मा, डॉ जुबेर त्यागी ,डॉ संजय सिंह ,सुनील। वशिष्ठ, डॉ राहिल खान ,पुष्पेंद्र ,आरिफ़, राजाराम जी डॉ आर के वर्मा,डॉ ताराचंद, रजनीश जी सतेन्द्र शर्मा ,राजेश ,डॉ चमन जहाँ , कविता, इंद्रेश, हेमा, सोनम आदि उपस्थित रहे । 



राधा कृष्ण मंदिर में मासिक संघ कीर्तन का हुआ आयोजन 


नितिन शर्मा—समीक्षा न्यूज
लोनी। बंथला स्थित श्री राम कॉलोनी निर्मल कुंज 30  फुटा रोड राधा कृष्ण मंदिर पर मासिक संघ कीर्तन का आयोजन नगर अध्यक्ष लोनी वीरांगना वाहिनी हिंदू जागरण मंच के नेतृत्व में किया गया जिसमें मुख्य अतिथि हिंदू जागरण मंच जिला उपाध्यक्ष सुनीता श्यामसुंदर रहे उन्होंने कहा कि हमारे समाज में हाथरस कांड से सबक लेना चाहिए वह प्रत्येक महिलाओं को दुर्गा और काली का रूप धारण करना चाहिए समय पड़ने पर ध्यान रहे झांसी की रानी भी बन सकती है जो लोग महिलाओं को कमजोर समझते हैं उनके लिए झांसी की रानी भी उदाहरण है और उन्होंने लोनी में बढ़ती लव जिहाद के मामलों को लेकर भी महिलाओं से चिंतन किया उसकी रोकथाम वह लव जिहाद का शिकार हुई बेटियों को वापस घर लाने के लिए चिंतन क्या उपस्थित लोग नगर अध्यक्ष लोनी हिंदू जागरण मंच वीरांगना वाहिनी नीतू जी नगर प्रचार प्रमुख सोनिक जी नगर मंत्री गीता चौहान अन्नू सिंह आदि महिलाएं उपस्थित रही


नेहरू युवा केन्द्र गाजियाबाद ने किया बुजुर्गों को सम्मानित


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद. अंतर्राष्ट्रीय वृध्दजन दिवस के अवसर पर नेहरू युवा केन्द्र गाजियाबाद द्वारा गाँव सारा ब्लाक भोजपुर में बुजुर्गों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिला युवा समन्वयक देवेन्द्र कुमार ने कहा कि आजकल बुजुर्गों पर कम ध्यान दिया जाता है जो किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 14 दिसम्बर 1990 को प्रस्ताव पारित किया गया तथा 1991 से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका आयोजन किया जाने लगा।
नेहरू युवा केन्द्र के लेखाकार मुकन्द वल्लभ शर्मा ने कहा कि जगह जगह वृद्धाश्रम बनने लगे हैं तथा उनमें बुजुर्गों की संख्या भी बढने लगी है उसका मुख्य कारण है कि बुजुर्गों की देखभाल में कमी आ रही है जो बहुत ही दुखद है इस स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है अतः युवा पीढ़ी को आगे आकर अपने बुजुर्गों की सेवा करने एवं उनकी अच्छी देखभाल करने की आवश्यकता है।
गाँव पंचायत सारा की प्रधान श्रीमती नीरज त्यागी ने कहा कि गाँव में बुजुर्गों को सम्मानित कर नेहरू युवा केन्द्र ने बहुत ही उत्कृष्ट कार्य किया है। इस अवसर पर ममैं नेहरू युवा केन्द्र गाजियाबाद का बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ।
कार्यक्रम में श्री रामपाल, श्री कृष्ण, श्री चंद्र भान, श्रीमती ओमवती, श्री रघुवीर, श्रीमती राजवती, श्री हरिओम, श्री जितेन्द्र पंडित जी, श्रीमती ईश्वरी, श्रीमती राजो देवी, श्रीमती माया, श्रीमती लोकेश, श्रीमती वाला, श्री राधे भगत जी, श्री महेंद्र, श्रीमती सुधा, श्रीमती सरोज, श्री जयप्रकाश, श्रीमती संतोष, श्रीमती योगेश को सम्मान प्रतीक और मास्क देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक विकास ने किया तथा इस अवसर पर एनवाईवी दया, पवन, अजय महिला मण्डल अध्यक्ष श्रीमती कोपल, तनू, मनू, वंदना, रितू,आरती, लक्षमी, कविता ने भी योगदान किया।



हिंदू जागरण मंच नगर लोनी युवा वाहिनी द्वारा दौड़ का आयोजन


नितिन शर्मा—समीक्षा न्यूज
लोनी। हिंदू जागरण मंच नगर लोनी युवा वाहिनी के नेतृत्व में बंथला गांव के पीछे इंद्रप्रस्थ पार्क मैं एक रिले दौड़ का आयोजन किया गया जिसमें उद्घाटन करता पं अनिल शर्मा मुख्य अतिथि ने रिबन काटकर किया। रैली रेस का कार्यक्रम हिंदू जागरण मंच नगर लोनी के नेतृत्व में नगर अध्यक्ष विकास चौधरी ने संपन्न कराया इसमें लगभग 500 लोगों की उपस्थिति दर्ज की गई
अनिल जिला आर्थिक आयाम संयोजक नितिन शर्मा जिला मंत्री गाजियाबाद महेश शर्मा नगर उपाध्यक्ष लोनी सोनू नगर महामंत्री सेकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे।



विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने किया बन्थला-ढिकोली मार्ग कर नवीनीकरण कार्य का शुभारंभ


प्रमोद मिश्रा—समीक्षा न्यूज
लोनी। गुरुवार को 1 कऱोड 16 लाख की लागत से बन्थला-ढिकोली  मार्ग के नवीनीकरण कार्य का लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने शुभारंभ किया। निर्माण कार्य का शुभारंभ विधिपूर्वक नारियल फोड़कर स्थानीय  वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता जिले सिंह ने विधायक ने करवाया।  इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष पति पवन मावी, विधायक प्रतिनिधि पं ललित शर्मा समेत मार्ग से जुड़ने वाले दर्जनों गांव के प्रधान उपस्थित रहें। विधायक ने कहा लोनी के गांव-देहात जिन्हें पिछली सरकारों द्वारा जानबूझकर विकास से दूर रखा गया था लेकिन भाजपा की सरकार में आज लोनी-देहात सर्वांगीण विकास की दौड़ में सबसे आगे है। इस दौरान विधायक ने स्थानीय लोगों के साथ हाथरस की हृदयविदारक घटना की मृतका की आत्मा की शांति कर लिए 2 मिनट का मौन रखकर श्रधांजलि अर्पित की।


"1 कऱोड 16 लाख से अधिक की राशि से होगा मार्ग का नवीनीकरण, दर्जनों गांव के लाखों लोगों को पहुंचेगा फायदा"
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने मार्ग के नवीनीकरण कार्य का शुभारंभ करने के बाद कहा कि इस मार्ग को बने हुए काफी समय हो गया था बरसात के कारण कुछ जगह मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके नवीनीकरण के लिए लखनऊ प्रवास के दौरान माननीय उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी को प्रस्ताव दिया था। इसकी स्वीकृति देने के लिए मैं माननीय उपमुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूँ। इस मार्ग के निर्माण से लोनी के लाखों लोगों के साथ-साथ मेरठ, बागपत, दिल्ली-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग से आवागमन करने वाले लाखों लोगों को फायदा होगा। 1 कऱोड 16 लाख से अधिक की लागत से 8 किलोमीटर का बन्थला से बागपत सीमा तक नवीनीकरण का कार्य किया जाएगा जिससे मार्ग से जुड़े दर्जनों गांव बन्थला गांव, सिखरानी, निठोरा, खड़खड़ी, चिरोड़ी, सकलपुरा, सिरौली, गनोली, मेवला, धारीपुर समेत बागपत जनपद के भी गांवों के विकास को पंख लगेंगे। मार्ग की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कार्य के शुभारंभ के दौरान सभी गांव के प्रधान उपस्थित रहें।


विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने दोहराई क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की प्रतिबद्धता, कहा कॉरोना काल में भी जारी है लोनी का विकास:
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि कॉरोना काल के बावजूद लोनी के विकास की गति धीमी नहीं हुई है लेकिन प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, लोक निर्माण मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह जी के विशेष आशीर्वाद और लगातार विभागों के सामंजस्य के कारण विकास कार्य जारी है। वर्षों से विकास कार्यों में उपेक्षित रखी गई लोनी देहात और नगरपालिका क्षेत्र का विकास आज प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है।हमारा एकमात्र लक्ष्य है कि हमारी लोनी आने वाले समय में एक आदर्श विधानसभा बनें जिसके लिए हम लगातार प्रयासरत है।आज शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, सड़क, पानी, कानून व्यवस्था हर क्षेत्र में पिछले 3 सालों में अभूतपूर्व गति से कार्य हुए है। सड़के चौड़ी हुई है अंधेरे में डूबी लोनी रौशनी में जगमग कर रही है। बच्चों के लिए आज हर सरकारी स्कूलों में डेस्क की पंखे की व्यवस्था है। हम एक आदर्श विधानसभा बनने के पथ पर अग्रसित है।
इस दौरान पीडब्ल्यूडी विभाग के सहायक अभियंता राजीव अग्रवाल, ग्राम प्रधान चाहत राम नेताजी, प्रधान महेश, बन्थला प्रधान महेश, प्रधान वीरेंद्र सिंह, उदयवीर प्रधान, हातम प्रधान, प्रधान नरेंद्र, मास्टर सुरेंदर, दीक्षित मास्टर , बिट्टू आदि उपस्थित रहें।


भविष्य एजूकेशन एण्ड परफ़ॉरमिंग आर्ट फाऊंडेशन की बैठक आयोजित


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। शहर के पंचशील प्राईमरोज सोसायटी में भविष्य एजूकेशन एण्ड परफ़ॉरमिंग आर्ट फाऊंडेशन (रजि0) की गाजियाबाद महानगर की महिला मंडल की टीम ने एडवोकेट दीपक गुप्ता की अध्यक्षता में संस्था के वर्तमान हालात और आगामी भविष्य के कार्यों को लेकर एक मीटिंग का आयोजन किया। मीटिंग में मुख्य रूप से समाज में फैली महामारी कोरोना के लिये सामाजिक कार्यों के बारे में विस्तृत चर्चा हुई । संस्था द्वारा 20 अक्तूबर 2020 को माता रानी के नवरात्रों की पावन बेला पर माँ दुर्गा शक्ति सम्मान समारोह के आयोजन पर सहमति बनी। यह आयोजन ऑनलाइन एवं ऑफ़लाइन दोनों तरह से संपन्न किया जायेगा। इस आयोजन के माध्यम से समाजिक तौर पर सम्मान चिन्ह आदि का वितरण किया जायेगा । इसी के साथ साथ समाज में व्याप्त नशे के खिलाफ एक ऑनलाइन मुहीम चलाने पर भी सहमति बनी।
कोरोना काल में संस्था के सभी साथियों द्वारा किये गये कार्यों के लिये सभी ने एक दूसरे को बधाई दी।
मीटिंग में संस्था की गाजियाबाद शहर अध्यक्ष श्रीमति शान्ति सिंह, उपाध्यक्ष श्रीमति सुधा सिंह, योगा गुरु श्रीमति नीतू चौधरी, एवं सम्मानित सदस्यगण श्रीमति रजनी शर्मा, श्रीमति सन्जुक्ता राठ, श्रीमति ज्योति बंसल एवं ऑनलाइन माध्यम से श्रीमति सविता शर्मा एवं श्रीमति मंजू वर्मा जी शामिल हुए।
निवेदक
भविष्य एजूकेशन एण्ड परफ़ॉरमिंग आर्ट फाऊंडेशन


“उच्च कोटि के आर्य साहित्य के लेखक व सम्पादक वैदिक विद्वान डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार”


वैदिक विद्वान, सम्पादक कला के मर्मज्ञ एवं लेखक डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार अब हमारे मध्य में नहीं हैं। दिनांक 15 सितम्बर 2020 को उनका 78 वर्ष की आयु में हरिद्वार में निधन हो गया। डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार ऋषि दयानन्द के प्रसिद्ध भक्त थे। आपने अपने जीवन में आर्यसमाज को उच्च कोटि का साहित्य दिया। आप एक सुमधुर वक्ता भी थे। हमने अनेक अवसरों पर आपको आर्यसमाज के समारोहों में सुना था। यदाकदा मोबाइल फोन पर भी आपसे बातें हुआ करती थी। आपका स्नेह एवं आशीर्वाद हमें प्राप्त होता रहता था। आप वेदों के उच्च कोटि के विद्वान एवं  सामवेद भाष्यकार डा. आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी के पुत्र थे। आपका बाल्यकाल गुरुकुल कांगड़ी परिसर में व्यतीत हुआ था। आपकी शिक्षा व दीक्षा भी गुरुकुल कांगड़ी में ही हुई। आप गुरुकुल कांगड़ी के ही स्नातक थे। यहीं से आपने विद्यालंकार की उपाधि प्राप्त की थी। वर्तमान में आप आर्य वानप्रस्थ आश्रम, ज्वालापुर (हरिद्वार) में निवास करते थे। आपने लेखन के क्षेत्र में जो कार्य किये उसका हम इस लेख में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। 
डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी का जन्म 4 जून सन् 1942 को फरीदपुर जनपद बरेली राज्य उत्तरप्रदेश में हुआ था। आपकी माताजी का नाम श्रीमती प्रकाशवती तथा पिता डा. आचार्य रामनाथ वेदालंकार था। डा. रामनाथ वेदालंकार जी वेदो के सुप्रसिद्ध विद्वान थे। उनका सामवेद भाष्य, वेदों की वर्णन शैलियां, वेद मंजरी आदि वैदिक साहित्य के़ अन्यतम ग्रन्थ हैं। सामवेदभाष्य सहित आपने वेदों पर उच्च कोटि के एक दर्जन से अधिक ग्रन्थों की रचना की है। वेदमंजरी, ऋग्वेदज्योति, यजुर्वेद ज्योति, अथर्ववेदज्योति, आर्षज्योति, वैदिक मधुवृष्टि, वेदभाष्यकारों की वेदार्थ प्रक्रियायें, वेदों की वर्णन शैलियां, यज्ञ मीमांसा, वैदिक नारी, उपनिषद्-दीपिका, वैदिक वीर-गर्जना, वैदिक सूक्तियां आदि आपके प्रमुख ग्रन्थ हैं। हमारा सौभाग्य है कि हम अपने जीवन में आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी के निकट सम्पर्क में रहे। हमने आचार्य जी के अनेक ग्रन्थ उन्हीं से प्राप्त किये थे। उच्च पाण्डित्य से युक्त सरल व सहज भाषा में रचित आपके ग्रन्थ को पढ़ने में एक विशेष आनन्द आता है। सभी मित्रों को हम आचार्य जी का समस्त साहित्य प्राप्त कर उसका अध्ययन करने की सलाह देते हैं। इससे आपको ज्ञान लाभ सहित अनेक अन्य लाभ भी होंगे।
डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी की शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय में हुई थी। यहां से आपने विद्यालंकार की उपाधि प्राप्त की थी। आपने एम.ए. संस्कृत तथा पी-एच.डी. आगरा विश्व विद्यालय से किये थे। डा. विनोदजी 20 अगस्त, 1969 से 30 जून 2002 तक गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय पंतनगर (उत्तरांचल) के प्रकाशन निदेशालय में सह-सम्पादक, सम्पादक, सहनिदेशक तथा प्रबन्धक, विश्व-विद्यालय मुद्रणालय (1991-1996) तथा उदार-शिक्षा (लिबरल एजुकेशन) के परामर्शदाता के रूप में ‘भारत की सांस्कृतिक विरासत’ पाठ्यक्रम का अध्यापन (1999-2002) के कार्य किए। आप आर्य वानप्रस्थ आश्रम, ज्वालापुर (हरिद्वार) की मासिक पत्रिका ‘स्वस्तिपन्थाः’ के 6-7 वर्ष सन् 2003 से 2009 तक आदरी सम्पादक भी रहे। इसके बाद आपने स्वतन्त्र लेखन व सम्पादन का कार्य किया जिससे आर्यसमाज को आपकी अनुभव से पूर्ण लेखनी से अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थ मिले जिनका उल्लेख हम इस लेख में आगे से कर रहे हैं।
आपने पन्तनगर विश्व विद्यालय में कार्य करते हुए अपने विभाग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का सम्पादन किया। आपके द्वारा सम्पादित व अनुदित रचनाओं के नाम हैं: कृषि, पशु चिकित्सा, पशुपालन अभियांत्रिकी आदि की 34 हिन्दी-पुस्तकों का सम्पादन एवं प्रस्तुतिकरण तथा 15 अंग्रेजी-वैज्ञानिक पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद।
आपके द्वारा मौलिक/सम्पादित रचनाओं की सूची भी लम्बी है। हमारी जानकारी में इस के अन्तर्गत आपकी निम्न आती हैं:
1- जयदेव: आचार्य एवं नाटककार के रूप में आलोचनात्मक अध्ययन
2- स्नातक परिचायिका (गुरुकुल विश्वविद्यालय के 1976 तक के स्नातक/स्नातिकाओं का परिचय)
3- स्वामी श्रद्धानन्द: एक विलक्षण व्यक्तित्व (आर्य प्रकाशक हितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डौन-सिटी से उपलब्ध)
4- शतपथ के पथिक स्वामी समर्पणानन्द: एक बहुआयामी व्यक्तित्व (दो खण्डों में, यह ग्रन्थ आर्य प्रकाशक मैसर्स विजयकुमार गोविन्दराम हासानन्द, दिल्ली से उपलब्ध है)
5- निःश्रेयस् (आर्य वानप्रस्थआश्रम, ज्वालापुर की हीरक जयन्ती स्मारिका)
6- निहारिका
7- भारतीय संस्कृति के पुरोधा: स्वामी श्रद्धानन्द।
डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी ने अनेक स्मारिकायें भी सम्पादित की हैं। आपके द्वारा सम्पादित स्मारिकाओं का विवरण निम्न हैः
1-   उत्तराखण्ड में पशुधन एवं डेरी विकस-वर्तमान स्थिति एवं वांछित कार्य योजनाएं
2- सामाजिक वनीकरण और ग्राम विकास में पापलर का योगदान 
3-   प्रदूषण मुक्त पर्यावरण: सुरक्षित पर्यावरण
4- वैदिक दृष्टि (आर्यसमाज रुद्रपुर उत्तरांचल की स्वर्ण जयन्ती स्मारिका)।
डा. विनोद चन्द्र विद्यालंकार जी ने अपने जीवन के अन्तिम वर्षों में भी कुछ महत्वपूर्ण ग्रन्थों का लेखन व सम्पादन किया। हमारे उनसे हार्दिक श्रद्धापूर्ण सम्बन्ध थे। वह अपने प्रत्येक नये ग्रन्थ की एक प्रति हमें भेंट करते थे। भेजने के बाद कुछ समय प्रतीक्षा कर फोन पर पूछते थे कि वह पुस्तक हमें प्राप्त हुई या नहीं? हमें जब किसी संस्था द्वारा सम्मानित किया गया और उन्हें पता लगा, तो वह हमें फोन पर बधाई अवश्य देते थे। हम जैसे एक साधारण व्यक्ति को यदि कोई उच्च कोटि का विद्वान प्रशंसा व बधाई के शब्द कहे तो ऐसे व्यक्तियों के प्रति हमारी श्रद्धा में विस्तार होता था। ऐसा अनेक बार हुआ। कई बार हमने उनके द्वारा प्रसारित विज्ञप्तियों को भी अपनी फेस बुक व व्हटशप के गु्रपों व मित्रों में साझा किया था। सभी प्रमुख आर्य पत्र पत्रिकाओं में भी हम उनकी प्रसार सामग्री को भेज देते थे। कुछ थोडे़ से अवसरों पर ऐसा हुआ। हमने हरिद्वार व गुरुकुल पौंधा में जब उनके व्याख्यानों को सुना तो हमने उनके व्याख्यानों को अपने समाचार लेखों में प्रमुखता से सम्मिलित किया था। डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी ने पिछले कुछ वर्षों में हमें जो अपनी पुस्तकें भेंट स्वरूप प्रेषित की उनमें से कुछ निम्न हैं:
1- ऋक्सूक्ति रत्नाकर 
2- यजुः सूक्ति-रत्नाकर 
3- आर्य संस्कृति  के संवाहक आचार्य रामदेव 
4-  धर्मोपदेश मंजरी (सम्पादित ग्रन्थ महत्वपूर्ण भूमिका के साथ)
5- ‘अथर्ववेदीय चिकित्सा शास्त्र’। इस ग्रन्थ के मूल लेखक स्वामी ब्रह्ममुनि परिव्राजक, विद्यामार्तण्ड हैं। (इसके नये संस्करण का डा. विनोद जी ने सम्पादन किया है।)
6- श्रुति-मन्थन। आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी के जीवन पर मृत्योपरान्त सम्पादित स्मृति ग्रन्थ। यह ग्रन्थ अत्यन्त विशाल है। हमने इसे आद्योपान्त पढ़ा है। सभी स्वध्यायशील बन्धुओं को इसे श्री प्रभाकरदेव आर्य, हिण्डौन सिटी से मंगाकर पढ़ना चाहिये। इसे पढ़कर ही हम डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी के इस ग्रन्थ को सम्पादित करने में किए गये पुरुषार्थ तथा उनकी सम्पादन क्षमता का साक्षात्कार कर सकते हैं।
डा. विनोद चन्द्र विद्यालंकार जी ने जीवन भर विस्तृत लेखन एवं सम्पादन कार्यों द्वारा जो साहित्य साधना की, उसके लिये वह अनेक सस्थाओं द्वारा सम्मानित किये गये। उनको प्राप्त कुछ सम्मान इस प्रकार हैं। 
1- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी द्वारा वर्ष 1997 में हिन्दी में वैज्ञानिक साहित्य निर्माण में योगदान के लिए।
2- आर्य वानप्रस्थ आश्रम, ज्वालापुर (हरिद्वार) द्वारा जून 2003 में हीरक जयन्ती स्मारिका के सम्पादन/प्रकाशन में योगदान हेतु प्राप्त सम्मान।
3- राजभाषा संघर्ष समिति दिल्ली द्वारा 31 जुलाई को दीर्घकालीन हिन्दी-सेवा के लिए श्री जगननाथ स्मृति राजभाषा सम्मान 2003-2005। 
4- आर्यसमाज ग्रेटर कैलाश नई दिल्ली द्वारा पं. सत्यदेव शर्मा विद्यालंकार स्मृति-सम्मान।
5-  उत्तराखण्ड गौरव सम्मान (2009)।
6- स्वामी धर्मानन्द विद्यामार्तण्ड आर्यभिक्षु सम्मान (2009) (यह सम्मान माता लीलावती आर्यभिक्षु धर्मार्थ न्यास द्वारा प्रदान किया गया),
7- आर्य विभूषण सम्मान (2012) (राव हरिश्चन्द्र आर्य धर्मार्थ न्यास नागपुर द्वारा)
8- श्री घूडमल प्रहलादकुमार आर्य साहित्य सम्मान, हिण्डौन सिटी (2015)
डा. विनोद चन्द्र विद्यालंकार जी ने सेवानिवृत्ति के पश्चात आर्य वानप्रस्थाश्रम, ज्वालापुर (उत्तराखण्ड) के कुटिया संख्या 217 में निवास किया। आपके पुत्र श्री स्वस्ति अग्रवाल हमसे फेसबुक पर जुड़े हुए हैं। इससे हमारे लेखन कार्य व उनके कुछ समाचारों का हमें ज्ञान हो जाता है। 
कोरोना काल में यातायात व्यवस्था अवरुद्ध होने, सामाजिक दूरी बनाये रखने के नियम तथा हमारा स्वास्थ्य भी उपयुक्त न होने के कारण हम हरिद्वार में भाई साहब डा. विनोद जी के अन्त्येष्टि संस्कार एवं शान्ति यज्ञ में सम्मिलित नहीं हो सके। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह दिवगत आत्मा को सद्गति एवं शान्ति प्रदान करें। श्रद्धेय विनोदकुमार जी ने जो साहित्य साधना की है उसका लम्बे समय तक लोग लाभ उठायेंगे जिससे विनोद जी की कीर्ति अमर रहेगी और वह अपने यशः शरीर से अपने पाठकों के हृदयों में जीवित रहेंगे। डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी को सादर हार्दिक श्रद्धांजलि।  
-मनमोहन कुमार आर्य


हमारे देश की बेटियां कमजोर नहीं है कमजोर तो हमारे देश की सरकारे है - हिमांशु वैष्णव


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
जयपुर । जन मानव उत्थान समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा के निर्देश पर जन मानव उत्थान समिति के प्रदेश अध्यक्ष हिमान्शु वैष्णव के  नेतृत्व में कैंडिल जलाकर बेटी मनीषा को श्रद्धांजलि दी गई। जन मानव  उत्थान समिति के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु वैष्णव ने हाथरस की बेटी के साथ हुए अत्याचार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हमारे देश की बेटियां कमजोर नहीं है कमजोर तो हमारे देश की सरकार  और राज्यों का प्रशासन वह कमजोर कानून के कारण हुआ है अगर ऐसा होता रहा तो आने वाले समय में हमारी बेटियां बाहर नहीं निकल पाएगी । 
हमें इसके लिए सख्त कदम उठाना चाहिए और मैं प्रशासन से से मांग करता हूं की मनीषा के साथ किए गए अत्याचार के दोषी को फांसी होनी चाहिए जिससे कि आगे किसी की हिम्मत न पड़े अत्याचार करने के लिए।
महिलाओं ने आक्रोश व्यक्त किया
जन मानव उत्थान समिति की जयपुर महिला मोर्चा की अध्यक्ष संजू कौशिक  ने कहा कि लड़कियों को बचपन से ही परिवार वालों द्वारा देश मे हो रहे ऐसे अत्याचार से  लड़ने की ताकत देनी चाहिए । इस मौके पर रीता शर्मा , स्नेहा केसवानी  , शिवानी शर्मा , सताक्सी , चेतना  , मीना , नीतू , सुनीता आदि मौजूद रही ।
साभार:   
बबिता चौधरी


मोहन दास कर्मचन्द गाँधी से महात्मा गाँधी तक का सफ़र


महात्मा गाँधी के, जन्म दिन 2 अक्टूबर 2020 के अवसर पर विशेष:-
सरलता, सादगी, सत्य, अहिंसा की विलक्षण मूर्ति, सत्याग्रह, उपवास के अद्भुत शक्ति पुंज, समता, समानता, न्याय व बंधुत्व के लिए जीवन भर संघर्षरत महामानव, देश भक्त, स्वतंत्रता सेनानी मोहनदास कर्मचन्द गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 में काठियावाड गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था उनकी माता का नाम पुतलीबाई तथा पिता कर्मचन्द पोरबन्दर के दीवान थे, उनके पिता सत्यप्रिय, साहसी, दृढ चरित्र, व्यवहारिक सहज बुद्धि के व्यक्ति तथा माता धार्मिक, सज्जन व अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा रखने वाली महिला थी जिसका प्रभाव मोहनदास पर पड़ना स्वाभाविक था स्वयं महात्मा गाँधी ने यरवदा जेल में अपने मित्र से कहा था कि मेरे अन्दर जो सत्यता, नैतिकता है मेरी माता जी की देन है उनका प्रभाव पिता जी से अधिक मेरे पर पड़ा|
  मोहन बहुत प्रतिभावान छात्र नहीं थे, जब उनका दाखिला राजकोट के हाई स्कूल में हुआ, वे औसत दर्जे के छात्र थे उनमे कई दुर्व्यसन छात्र जीवन से लग गये थे, जिसका वर्णन स्वयं महात्मा गाँधी ने “सत्य के साथ मेरा प्रयोग” पुस्तक में किया है| छात्र जीवन में ही जब वे 13 वर्ष के थे उनका विवाह कस्तूरबाई से हुआ, आर्थिक तंगी झेलते हुए मोहनदास 1891 में इंग्लॅण्ड से बैरिस्टरी पास कर पहले राजकोट, फिर बम्बई में वकालत करने लगे 1893 में उन्हें एक मामले में दक्षिणी अफ्रीका जाने का अवसर मिला वहाँ अंग्रेजों द्वारा अफ्रीका व भारत के लोगों के साथ रंगभेद नीति के विरुद्ध विरोध प्रकट किया तथा जेल भी गये लेकिन उनका सविनय अवज्ञा आन्दोलन जारी रहा, अंग्रेजों को 1914 में भारतीयों के विरुद्ध अधिकतर कानूनों को रद्द करना पड़ा इसके लिए मोहनदास को गम्भीर यातनाएं झेलनी पड़ी तथा कातिलाना हमला सहन करना पड़ा लेकिन अपमानित होते हुए भी उन्होंने कभी सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह की राह नहीं छोड़ी| 
     महात्मा गाँधी दो दशक से अधिक समय तक अन्याय, अत्याचार व शोषण के विरुद्ध अफ्रीका में संघर्ष कर उन्हें अधिकार दिलाया, 1915 में स्वदेश लौट आये| शांति निकेतन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ के आश्रम में मिले वहीँ पर गुरुदेव ने प्रथम संबोधन मोहनदास के लिए महात्मा किया वे मोहनदास कर्मचन्द गाँधी से महात्मा गाँधी हो गये, महात्मा गाँधी गोपाल कृष्ण गोखले के विचारों से बहुत प्रभावित थे, गुरूजी के आश्रम में जब उन्होंने सुना कि गोखले जी का निधन हो गया तो वे शांति निकेतन से पूना आ गये, तथा गोखले को दिये गये बचन का पालन करते हुए एक साल तक भारत का भ्रमण करते हुए देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक तथा धार्मिक स्थिति का अध्ययन करते रहे|
    1917 में एक साधारण किसान राज कुमार शुक्ल के अनुरोध पर नील की खेती करने वाले किसानों को संगठित कर उनका शोषण कर रहे यूरोपीय व्यापारियों से सत्याग्रह के बल पर मुक्त कराया इस सफलता ने महात्मा गाँधी में उत्साह का बीजारोपण कर दिया कि अंग्रेज जो भारत को गुलाम बना देश का आर्थिक शोषण कर रहे हैं अजेय नहीं है| 1919 में रौलट एक्ट पारित होने तथा जलियाँ वाले बाग में हजारों निहत्थे लोगों को गोलियों से भून डालने के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन 1920में पारित किया, 1921 में 30000 से अधिक भारतीय जेल गये इसी बीच 1922 में उ0प्र0 के चौरी-चौरा में पुलिस चौकी में जनता ने आग लगाकर पुलिस वालों, बच्चों व महिलाओं को जला दिया| महात्मा गाँधी ने आन्दोलन वापस ले लिया तथा कहा कड़े अनुशासन से ही सत्याग्रह सफल होता है हिंसा से नहीं| 1930 को नमक कानून को तोड़ने का कार्य किया 78 सहयोगियों के साथ दांडी मार्च कर अवैध नमक बनाया, हजारों लोग मार्च में शामिल हो गये| गाँधी जी ने कहा कि “सत्ता के सामने अधिकार के लिए लड़ी जा रही इस लड़ाई में मै दुनिया भर के सभी लोगों की सहानुभूति मांगता हूँ| अंग्रेजी सरकार आश्चर्यचकित रह गयी जबकि वह इस अभियान का मजाक उड़ा रही थी 
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खेडा के किसानों की लगान माफ़ करवाने का कार्य सरदार पटेल जी के नेतृत्व में किया| मलिन बस्तियों में रहकर स्वच्छता का सन्देश तथा छुवा-छूत के विरोध में जन-जागरण अभियान चलाया तथा मानव को शिक्षा का सन्देश दिया| सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी असफल रहा लेकिन 1934 तक यह आन्दोलन सर्व साधारण जनता का आन्दोलन बन गया|
   1939 में द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ हो गया बिना भारत के नेताओं की मंत्रणा के जनता को बिना बताये अंग्रेजों ने युद्ध में झोक दिया| कांग्रेस सम्मलेन में यह प्रस्ताव पारित हुआ कि हम न इस युद्ध में एक भाई देंगें न एक पाई देंगें तथा 1942 में “अंग्रेजों भारत छोडो” “करो या मरो” का नारा दिया कि हम आजाद होंगें या सत्याग्रह करके मर जायेंगें, सभी नेता गिरफ्तार कर लिए गये जेल में ही 1944 में कस्तूरबा जी का देहावसान हो गया, 1945 आते-आते द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र विजय की ओर बढ़ रहे थे इसी समय जून 1945 में शिमला में सम्मलेन बुलाया गया लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका अंग्रेज प्रधानमन्त्री ने भारत की स्वतंत्रता को स्वीकार कर लिया तथा अंतरिम सरकार के प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू को बनाया गया, लेकिन बंगाल में सांप्रदायिक दंगा फ़ैल गया जिसकी लपट पूरे देश में फ़ैल गयी| 1947 में माउन्ट बैटन वाइसराय बने लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी कि देश का बटवारा भारत तथा पाकिस्तान के रूप में हुआ, जन-धन की हानि हुई, खून खराबे से सनी आजादी भारत को मिली गाँधी जी आहत हो कई-कई दिन दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हिन्दू-मुसलमानों में भाई-चारा स्थापित हो लगातार प्रयत्न करते रहे, देश शांति हो चाहे मेरी जान चली जाय व्यथित गाँधी ऐसा सोच कर बिहार, बंगाल में शांति की अलख जगाते रहे, लेकिन आजाद भारत ने इस सन्त को जो जीवन भर अन्याय, शोषण, असमानता के लिए लड़ता रहा तथा भारत को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी उसे भी सम्भाल नहीं पाया 30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी को सिरफिरे ने गोली मारकर हत्या कर दी| शहादत के पहले गाँधी जी ने कहा था कि “मै तो गरीब साधू हूँ, छह चरखे, जेल की थाली, बकरी के दूध का एक बासन, खादी के छह लंगोट, तौलिया ही मेरी एहिक पूँजी है, मेरी कीर्ति की अधिक कीमत नहीं हो सकती|
एक भजन भी मनू ने कहा 
          “ऐ मनुष्य, तू थका हो या नहीं, आराम मत कर” |
  महात्मा गाँधी ने सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह उपवास से शक्तिशाली साम्राज्य से संघर्ष कर भारत को आजादी दिलाई, आजादी के लिए लाखों भारत माँ के सपूतों ने अपनी जान दी, तथा यातनाएं झेली, विश्व इतिहास में महात्मा गाँधी का नाम अग्रिम पंक्ति में इसलिए है कि उन्होंने न केवल भारत को गुलामी व शोषण से मुक्त करने का कार्य किया बल्कि सामाजिक असमानता, स्वच्छता पर जोर, शिक्षा के प्रसार, छुवा-छूत के विनास तथा भाई-चारा को बढ़ाने के लिए दिन-रात एक कर दिया, आधी धोती पहनने वाला महात्मा “मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है” त्याग की अद्भुत मिसाल समाज को दे पंचत्व में विलीन हो गया| सन्त को शत-शत नमन, हम एक भी कदम महात्मा के साथ चलें यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी|
                                                                       
लेखक:-
राम दुलार यादव
समाजवादी चिन्तक 
संस्थापक / अध्यक्ष
लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट 
       


हाथरस काण्ड: मांगेराम त्यागी और ऋषभ राणा के नेतृत्व में निकाला कैड़ल मार्च


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। कांग्रेस सेवा दल गाजियाबाद जिला अध्यक्ष मांगेराम त्यागी के नेतृत्व में हाथरस में मनीषा ​के साथ हुए दुष्कर्म और मौत के विरोध में तथा मनीषा की आत्मा की शांति के लिए लोहिया नगर गांधी पार्क से पैदल कैंडल मार्च नवयुग मार्केट अंबेडकर पार्क तक निकाला और अंबेडकर पार्क में योगी मोदी का पुतला दहन किया जिसमें कांग्रेस सेवा दल यंग ब्रिगेड के जिला अध्यक्ष ऋषभ राणा, प्रदेश सचिव सूरज बाल्मीकि सीताराम जी सेवादल महिला शशिबाला रजनी जी मीडिया प्रभारी अक्षय वीर त्यागी यूथ नेता अमित त्यागी एडवोकेट उपाध्यक्ष अमर सिंह राठौर जी बीएस बोरा जी चांद मोहम्मद जी गौरव राणा सचिन पहलवान रिंकू जाटव नंदकिशोर बाल्मीकि जी आदि सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।


बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: डॉ रमेश चंद तोमर


धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर ने विवादित ढांचा गिराए जाने के फैसले आने के बाद खुशी का इजहार मिठाई बांटकर किया राजनगर में मिठाई बांटते हुए पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर ने कहा कि कोर्ट के द्वारा ऐतिहासिक फैसला आया है देश की जनता को लंबे समय से इंतजार था जिसका स्वागत हर देशवासी करता है उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे को राम जन्मभूमि मान लिया था तो कोई विवाद बाकी रही नहीं जाता है उन्होंने कहा कि आज का दिन एहसास इक दिन है और खुशी का दिन है इसलिए आज जनता में मिठाई बांटकर खुशी का इजहार कर रहे हैं इस दौरान देवेंद्र हितकारी मीडिया प्रभारी सौरभ जयसवाल जितेंद्र छाबड़ा महेंद्र कौशिक एवं राजनगर के क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे।