मनुष्य एक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम प्राणी को कहते हैं। मनुष्य नाम मनुष्य के मननशील व सत्यासत्य का विवेक करने के कारण पड़ा है। वेदों में मनुष्य के लिए कहा गया है ‘मनुर्भव’ अर्थात् ‘हे मनुष्य! तू मनुष्य बन।’ इसका अर्थ है कि परमात्मा ने सभी मनुष्यों को प्रेरणा की है कि तुम मननशील अर्थात् सत्य व असत्य का विचार करने वाले तथा सत्य को जानकर उसको आचरण में लाने वाले बनों। जो मनुष्य ऐसा करते हैं वह भाग्यशाली हैं और अपने मनुष्य होने के कर्तव्य को पूरा करते हैं। कुछ व बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जिन्होंने कुछ मौलिक प्रश्नों पर कभी विचार ही नहीं किया होता। ऐसे मौलिक प्रश्न अनेक हैं परन्तु कुछ मुख्य प्रश्न हैं हम कौन हैं? यह संसार किससे, कब व कैसे अस्तित्व में आया? हमारे कर्तव्य क्या हैं? इस जन्म से पहले हमारा अस्तित्व था या नहीं? मृत्यु के बाद आत्मा रहता है या नहीं? मरने के बाद यदि जीवात्मा रहता है तो उसकी क्या गति व स्थिति होती है? मनुष्यों के जीवन में जो दुःख आते हैं उनसे वह कैसे मुक्त हो सकता है? परमात्मा और आत्मा के परस्पर क्या सम्बन्ध हैं? परमात्मा और आत्मा का सत्यस्वरूप तथा इनके गुण, कर्म व स्वभाव क्या हैं? ऐसे अनेक प्रश्न हो सकते हैं जिनके सत्य उत्तर प्रत्येक मनुष्य को ज्ञात होने चाहिये परन्तु ऐसा देखने में आता है कि इन प्रश्नों के सत्य उत्तर तो हमारे बड़े बड़े आचार्यों एवं विद्वानों को भी पता नहीं है फिर सामान्य मनुष्य से इनकी अपेक्षा कैसे की जा सकती है?
ऐसा नहीं है कि इन प्रश्नों के उत्तर विद्यमान व सुलभ नहीं है। इन प्रश्नों के सत्य व यथार्थ उत्तर मत-मतान्तरों के ग्रन्थों में या तो हैं नहीं और यदि हैं तो वह अविद्या से युक्त व भ्रम उत्पन्न करने वाले हैं। ऐसे कुछ प्रश्नों के उत्तर जानने के लिये ही ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने लगभग सन् 1846 में अपना पितृगृह छोड़ कर सत्य का अनुसंधान किया था। वह लगभग 17 वर्षों के तप, पुरुषार्थ, अध्ययन, खोज, योगाभ्यास तथा वेद-वेदांगों के अध्ययन से इन प्रश्नों सहित जीवन की प्रायः सभी शंकाओं के उत्तर जानने में समर्थ हुए थे। उन्होंने ज्ञान, विद्या व योगाभ्यास से न केवल आत्मा, परमात्मा तथा सृष्टि विषयक प्रश्नों के उत्तरों को जाना था अपितु आत्मा तथा परमात्मा का साक्षात्कार भी किया था। विद्या प्राप्त कर तथा ईश्वर का साक्षात्कार कर वह निभ्र्रान्त हुए थे और अपने कर्तव्य को जानकर उन्होंने देश व समाज से अविद्या, अज्ञान तथा मिथ्या विश्वासों को दूर कर देश व समाज को सत्य विद्याओं से युक्त करने का संकल्प लिया था जिसे उन्होंने अपूर्व रीति से वेद प्रचार, ग्रन्थ लेखन, शास्त्रार्थ, समाज सुधार, अन्धविश्वास तथा कुरीतियों के उन्मूलन आदि कार्यों को करके पूरा किया। हम जब विचार करते हैं तो पाते हैं कि महाभारत युद्ध के बाद वेदों के विलुप्त होने वा ऋषि परम्पराओं के समाप्त होने के कारण देश में अविद्या का प्रसार हुआ था। इसी कारण से देश में अविद्या व अन्धविश्वासों सहित सामाजिक कुरतियों का प्रचार हुआ। ऋषि दयानन्द ने महाभारत युद्ध, जो पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था, पहले ऐसे ऋषि उत्पन्न हुए जिन्होंने वेदों को प्राप्त कर अपनी विद्या से उनके सत्य अर्थों का प्रकाश व प्रचार किया। उनके इस कार्य से देश देशान्तर के मनुष्य सामान्य व गूढ़ विषयों से सम्बन्धित सबके जानने योग्य प्रश्नों व शंकाओं का समाधान प्राप्त कर सकेे।
ऋषि दयानन्द ने अविद्या को दूर करने के लिये सत्यार्थप्रकाश नामक एक प्रमुख प्रतिनिधि ग्रन्थ का प्रणयन किया। इस एक ग्रन्थ से ही विश्व में विद्यमान अधिकांश अविद्या को दूर करने में सहायता मिलती है। ऋषि दयानन्द ने इस ग्रन्थ को लिखने से पूर्व व इसके बाद भी देश देशान्तर में घूम कर वेदों व वैदिक ज्ञान का प्रचार किया। सभी लोगों व मताचार्यों की शंकाओं का समाधान किया। मूर्तिपूजा, अवतारवाद, फलित ज्योतिष, मृतक श्राद्ध, सामाजिक भेदभाव तथा जन्मना जातिव्यवस्था आदि का विरोध किया और इनके वैदिक सत्य समाधान प्रस्तुत किये। ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश के अतिरिक्त ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका तथा ऋग्वेद (आंशिक) तथा यजुर्वेद (सम्पूर्ण) का वेदभाष्यों सहित संस्कार विधि, पंचमहायज्ञविधि, आर्याभिविनय, व्यवहारभानू, गोकरुणानिधि आदि अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों को लिखा। संस्कृत अध्यापन हेतु आर्ष व्याकरण के ग्रन्थों का भी प्रणयन व प्रकाश भी ऋषि दयानन्द जी ने किया। उनके विद्या गुरु स्वामी विरजानन्द सरस्वती तथा उन्होंने ही विलुप्त आर्ष व्याकरण अष्टाध्यायी-महाभाष्य-निरुक्त प्रणाली को पुनर्जीवित किया। आज भी इस आर्ष व्याकरण प्रणाली से आर्यसमाज के गुरुकुलों में अध्यापन होता है जिससे अद्यावधि सहस्रों विद्वान तैयार हुए हैं। ऋषि दयानन्द के प्रचार व अविद्या दूर कर विद्या का प्रकाश करने के परिणामस्वरूप ऋषि की शिष्य परम्परा से हमें चारों वेदों सहित अनेक आर्ष प्राचीन ग्रन्थों के हिन्दी भाष्य तथा सहस्रों की संख्या आर्य ग्रन्थ व साहित्य प्राप्त हुआ है।
ऋषि दयानन्द के शिष्यों ने हजारों की संख्या में ईश्वर की स्तुति व प्रार्थना आदि विषयक भजनों व गीतों सहित अनेक विषयों के गीत आदि भी लिखे हैं जिन्हें आर्यसमाज के अनुयायियों व इतर लोगों द्वारा गाया जाता है। ऋषि दयानन्द ने देश व समाज को सच्ची ईश्वरोपासना की विधि भी सिखाई है। इस हेतु उन्होंने पंचमहायज्ञ विधि लिख कर सन्ध्या तथा देवयज्ञ अग्निहोत्र का देश देशान्तर में प्रचार किया। आज भी देश देशान्तर में उनके अनुयायी प्रतिदिन सन्ध्या व देवयज्ञ सहित सभी पंचमहायज्ञों को करते हैं जिससे समाज में सात्विक विचारों की वृद्धि तथा वातावरण एवं पर्यावरण की रक्षा होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऋषि दयानन्द के कार्य व विचारों से हम मनुष्य के जानने योग्य सभी दुर्लभ महत्वपूर्ण प्रश्नों के सत्य उत्तरों व समाधान को प्राप्त हुए हैं। उनका दिया हुआ ज्ञान मनुष्य जाति की सबसे बड़ी सम्पदा है। यह सत्य है कि धन व सम्पत्ति का महत्व होता है, इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता परन्तु यह भी सत्य है कि मनुष्य के लिए सत्य ज्ञान व विद्या से बढ़कर कोई पदार्थ नहीं है। यह अमृत तुल्य सत्य ज्ञान यदि हमें महाभारत युद्ध के बाद किसी एक पुरुष व विद्वान से मिला है तो वह व्यक्ति केवल महर्षि दयानन्द सरस्वती हैं। उनकी शिष्य परम्परा के विद्वानों ने भी उनके ज्ञान की व्याख्या व विस्तार कर देश व समाज की प्रशंसनीय सेवा की है। अतः ऋषि दयानन्द का मानव जाति सहित देश व समाज की उन्नति में अपूर्व व सर्वाधिक योगदान है। उनकी सभी मान्यतायें वेदों पर आधारित होने के साथ साथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक एवं सर्वाधिक उपयोगी हैं। इनके मार्गदर्शन लेने व इनको अपनाने से मुनष्य की सर्वांगीण उन्नति होती है। इससे मनुष्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त होते हैं।
मनुष्य क्या है, इस प्रश्न पर विचार करने से विदित होता है कि मनुष्य एक मननशील प्राणी है। जीवित मनुष्य का शरीर उक सत्य, चेतन, अल्पज्ञ जीवात्मा तथा जड़ प्राकृतिक पदार्थों से निर्मित शरीर का अद्भुत संयोग है जो अपौरुषेय सत्ता ईश्वर द्वारा कराया जाता है। ईश्वर एक सत्य, चेतन तथा आनन्दस्वरूप सत्ता है। ईश्वर निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य और पवित्र है। इस स्वरूप वाले ईश्वर से ही हमारी यह सृष्टि बनी है व उसी के द्वारा इसका पालन हो रहा है। ईश्वर सभी चेतन, अल्पज्ञ तथा एकदेशी सत्ता जीवात्माओं के पिता व स्वामी के तुल्य हैं। जीवात्मा को सुख व मोक्ष प्रदान करने में सहायक होने के लिये वह जीवों के लिये इस सृष्टि की रचना व पालन करते हैं। जीवात्मा का स्वरूप सत्य, चित्त, एकदेशी, अल्पज्ञ, ससीम, जन्म व मृत्यु को प्राप्त होने वाली, कर्म करने में स्वतन्त्र तथा फल भोगने में परतन्त्र सत्ता है। आत्मा अनादि, नित्य, अमर तथा अविनाशी है। अनादि काल से इसका जन्म व पुनर्जन्म का चक्र निरन्तर चल रहा है। मोक्ष पर्यन्त जीवात्मा का जन्म व मृत्यु क्रमशः होते रहते हैं।
जीवात्मा के कल्याण के लिये सृष्टि के आदि में परमात्मा वेदों का ज्ञान देते हैं। यह वेद ज्ञान आज भी अपने मूल स्वरूप में सुलभ है। परमात्मा का दिया वेद ज्ञान सब सत्य विद्याओं का पुस्तक वा ग्रन्थ है। इससे मनुष्य को अपने सभी कर्तव्यों का बोध होता है। निषिद्ध कर्मों का बोध भी वेदों में कराया गया है। मनुष्य को शुद्ध विचारों वाला तथा शुद्ध अन्न व भोजन का सेवन करने वाला होना चाहिये। इसी से आत्मा, मन व बुद्धि की उन्नति होती है। मांसाहार सर्वथा त्याज्य एवं निन्दनीय है। इससे मनुष्य की आत्मा का पतन होता है। सभी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वेदों व वैदिक मान्यताओं का अध्ययन व स्वाध्याय करें। ऋषियों की मान्यता है कि मनुष्य को प्रतिदिन नियमित रूप से सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय कर अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिये। ऐसा करने से हमारी सभी शंकाओं का स्वतः समाधान हो जाता है। सभी मनुष्यों को महर्षि दयानन्द जी का जीवन चरित्र भी पढ़ना चाहिये। इससे भी जीवन उन्नति की प्रेरणा मिलती है और अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का स्वाध्याय तो सभी मनुष्यों को अनिवार्य रूप से करना चाहिये। इसके अध्ययन से मनुष्य की ईश्वर, जीवात्मा, प्रकृति, कर्तव्य, अकर्तव्य, जीवन के उद्देश्य, उपासना आदि सभी शंकायें दूर हो जाती है। मनुष्य की आत्मा की उन्नति होकर योगाभ्यास आदि कर मनुष्य मोक्ष तक को प्राप्त हो सकता है। अतः मनुष्य जीवन में सभी उचित कार्यों को करते हुए मनुष्यों को वेदादि ग्रन्थों के स्वाध्याय एवं तदनुकूल आचरण कर अपने जीवन को उत्तम व आदर्श बनाना चाहिये। यह सत्य है कि वेद, वेदानुकूल ग्रन्थों सहित सत्यार्थप्रकाश के अध्ययन से ईश्वर व जीवात्मा सहित इस सृष्टि का सत्यस्वरूप जाना जाता है। अतः संसार को वेद, वैदिक साहित्य एवं सत्यार्थप्रकाश की शरण में आना चाहिये। इसी से विश्व व मनुष्य जाति का कल्याण होगा। -मनमोहन कुमार आर्य
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Friday 16 October 2020
मनुष्य को ईश्वर और आत्मा के सत्यस्वरूप को जानना चाहिये
अखंड राष्ट्रवादी पार्टी जन जागरण अभियान किया शुरू
मनोज तोमर—समीक्षा न्यूज
गौतम बुध नगर। दादरी क्षेत्र के ग्राम प्यावली में अखंड राष्ट्रवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष ठाकुर राजेश सिंह का ग्राम वासियों ने किया भव्य स्वागत आरिफ खान के द्वारा व , इमरान खान के आवास पर दादरी विधानसभा अध्यक्ष सतवीर नागर का स्वागत किया गया अखंड राष्ट्रवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष ठाकुर राजेश सिंह ने कहां बेरोजगारी को लेकर लोगों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया कहा कि क्षेत्र में शिक्षा का ग्रोथ घटता जा रहा है और स्कूल के अध्यापक अपनी मनमानी का फीस वसूल रहे हैं इस बीच प्रोफेसर विनोद नागर ने कहा कि अब बेरोजगारी बहुत तेजी से फैल रही है इस को जल्द ही रोका जाए इसी के साथ उन्होंने शिक्षा के ऊपर भी अपने विचार विमर्श कीजिए उन्होंने कहा कि कोरोना का लने स्कूल के अध्यापक ऑनलाइन कार्य करा रहे हैं मैं सरकार से अपील करता हूं कि बहुत से बच्चों के परिजनों को कोरोना कल मैं खाना तो मिल नहीं रहा वह एंड्रॉयड फोन कहां से खरीदेंगे बच्चों के लिए सरकार कुछ गरीब परिवार व बेसहारा मजदूरों के प्रति भी जागरूकता का कार्य करें इस मौके पर आरिफ खान ने कहां की पुलिस के द्वारा आए दिन एनकाउंटर हो रहे हैं बिना पूछताछ के ही एनकाउंटर कर दिए जाते हैं कई निर्दोष को भी फसाया गया है पुलिस अधिकारियों को पहले जांच करनी चाहिए उसके बाद कोई भी कार्रवाई करनी चाहिए इस मौके पर उपस्थित अखंड राष्टवादी पार्टी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्य्क्ष दादरी विधानसभा आरिफ खान,जिला अध्यक्ष ठाकुर राजेश सिंहविधानसभा अध्यक्ष दादरी सतवीर नागर
इमरान एडवोकेट डॉक्टर विनोद नागर, स्पेक्टर प्रवीण नागर, सुमित नागर जिला सचिव, मोहित नागर, राजेश नागर रिजवान, जाकिर आदि लोग उपस्थित रहे।
प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना के द्वारा आयोजित समारोह में 620 अध्यापकों को प्रदान किये नियुक्ति पत्र
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में आज दिनांक 16 अक्टूबर 2020 को बेसिक शिक्षा परिषद विद्यालयों में 69000 नियुक्तियों के सापेक्ष 31277 नियुक्तियों के क्रम में जनपद गाजियाबाद में बेसिक शिक्षा विभाग में नवनियुक्त 620 सहायक अध्यापकों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह का आयोजन आईटीएस कॉलेज मोहन नगर गाजियाबाद में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में माननीय प्रभारी मंत्री श्री सुरेश खन्ना जी द्वारा नियुक्ति पत्र वितरित किए। जिसमें उन्होंने कहा कि जैसे की हम सब जानते हैं कि काफी दिनों के बाद यह दिन आया है इसलिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है उन्होंने कहा कि माता पिता के लिए दो बार हर्ष उल्लास का माहौल होता है एक जब बच्चा जन्म लेता है और दूसरा जब बच्चे की सरकारी नौकरी मिलती है, उस दिन माता पिता का खुशी का ठिकाना नहीं होता है। उन्होंने छात्र छात्राओं से कहा कि आप लोगों ने बरसों से सपना देखा होगा लेकिन आज आपका यह सपना नियुक्ति पत्र मिलते ही पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक का दर्जा इसलिए विशेष बताया गया है क्योंकि शिक्षक को भगवान से पहले दर्जा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक को ध्यान देना चाहिए कि जो आप करेंगे वही कार्य आपके छात्र छात्रा करेंगे, इसलिए आपको हर कार्य सोच समझ कर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय बच्चों का माहौल बदलने का सबसे बड़ा शस्त्र है। अंत में उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिष्ठा और अपनी ख्याति से अपने स्कूल का नाम रोशन करें और उन्होंने सभी बच्चों को शुभकामनाएं एवं धन्यवाद प्रकट किया।
जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने सर्वप्रथम समस्त बच्चों को हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को इस दिन का इंतजार रहता है कि कब उसे रोजगार प्राप्त हो, उन्होंने कहा कि आज का दिन पूरे प्रदेश में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
इस अवसर पर मेयर आशा शर्मा, लोनी विधायक माननीय नंदकिशोर गुर्जर, साहिबाबाद विधायक माननीय सुनील शर्मा, जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडे , एसएसपी कलानिधि नैथानी और बेसिक शिक्षा विभाग से बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजियाबाद बृज भूषण चैधरी व बुलंदशहर से अखंड प्रताप सिंह और जिला समन्वयक पवन कुमार भाटी व रूचि त्यागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय मंत्री जी ने दीप प्रज्वलन कर किया।
जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडे द्वारा अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन किया गया।माननीय मंत्री सुरेश खन्ना जी द्वारा सभी नवनियुक्त अध्यापकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए और शुभकामनाएं प्रेषित की गईं। कोविड-19 के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 620 नवनियुक्त सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम के अंत में विधायक सुनील शर्मा ने सभी को धन्यवाद प्रेषित किया। कार्यक्रम का संचालन पूनम शर्मा द्वारा किया गया। नियुक्ति पत्र वितरण के पश्चात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ जी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 5 नवनियुक्त शिक्षकों ने प्रभारी मंत्री व अन्य जनप्रतिनिधियों ने संवाद किया।
अंत में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बृज भूषण चैधरी द्वारा प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना को मिशन प्रेरणा बुकलेट भेंट की गईस
एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट व एस डी एम सदर देवेंद्र पाल सिंह कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
जिला सूचना अधिकारी गाजियाबाद ।
महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिए चलाया जायेगा विशेष अभियान
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। मिशन शक्ति कार्यक्रम उ0 प्र0 सरकार द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के सन्दर्भ में एक व्यापक कार्ययोजना बनायी गयी है और इस कार्ययोजना के तहत महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिए एक विशेष अभियान चलाये जाने का शासन द्वारा निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में उक्त अभियान आगामी शारदीय नवरात्र में दिनांक 17.10.2020 से प्रारम्भ कर दिनांक 25.10.2020 तक की अवधि में चलाया जाएगा । विशेष अभियान के शुभारम्भ होने के पश्चात् विभिन्न विभागों द्वारा अन्तर्विभागीय समन्वय द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा , सम्मान एवं स्वावलम्बन के सम्बन्ध में विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे । यद्यपि प्रथम चरण के विशेष अभियान का समापन दिनांक 25.10.2020 को होगा , किन्तु इसके उपरान्त भी उक्त विशेष अभियान अनवरत जारी रहेगा , जिसका अन्तिम रूप से समापन माह अप्रैल , 2020 ( वासंतिक नवरात्र ) में होगा । उक्त विशेष अभियान के संचालन के दौरान महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा , सम्मान व स्वावलम्बन तथा महिला अपराध व बाल अपराध के सम्बन्ध में जागरुकता पैदा करने हेतु प्रत्येक माह एक सप्ताह के विशिष्ट कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे । उक्त विशेष अभियान का नाम ष् मिशन शक्ति होगा । उक्त के क्रम में गाजियाबाद जनपद में मिशन शक्ति कार्यक्रम का शुभारंभ दिनांक 17.10.2020 को आई.टी.एस. कालेज , मोहननगर गाजियाबाद में मुख्य अतिथि जनरल वी.के. सिंह मा0 राज्यमंत्री, भारत सरकार, सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखा कर किया जायेगा।
प्रदेश सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को कृषि निवेश अनुदान हेतु दिये 104.32 करोड़ रूपये
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश में बाढ़ प्रभावित जनपदों के कृषकों को कृषि निवेश अनुदान वितरित किये जाने के लिए 104.32 करोड़ रूपये दिये है। सरकार द्वारा दिये गये इस धनराशि से कृषक रबी फसल की बुआई कर पैदावार को बढ़ाते हुए खरीफ में क्षतिग्रस्त हुई फसल की भरपाई कर लेगें। प्रदेश सरकार कृषकों हर तरह की सुविधा दे रही है। रबी फसल बुआई का सीजन आ गया है। जिन जनपदों के किसानों की फसल बाढ़ से प्रभावित हुई है, उनके लिए दी जा रही यह धनराशि फसलोत्पादन में बड़ी सहायक होगी। इस वर्ष प्रदेश के जनपद बहराइच, कुशीनगर, बलिया, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, अम्बडेकर नगर, बस्ती, पीलीभीत अयोध्या, आजमगढ़, देवरिया संतकबीर, सिद्धार्थनगर फर्रूखाबाद, गोरखपुर, मऊ, गोण्डा, तथा बलरामपुर, की लगभग 8.84 लाख आबादी एवं लगभग 92 हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित हुआ था। मुख्यमंत्री जी के निर्देश है कि गाटावार सर्वे सम्बन्धित जिलाधिकारी कराये और यह भी सुनिश्चित करे कि कोई भी प्रभावित किसान छूटने न पाये। सरकार ने पारदर्शिता बनाये रखने के लिए जिला स्तर पर जनप्रतिनिधियों से समन्वय स्थापित कर प्रभावित किसानों को कृषि निवेश अनुदान हेतु धनराशि वितरित कराने के निर्देश दिये है।
मुख्यमंत्री जी ने इस वर्ष आई बाढ़ से निपटने के लिए प्रभावित जनपदों को राहत कार्यो हेतु 40.13 करोड़ की धनराशि पूर्व में ही आवंटित कर दी थी। प्रदेश में बाढ़ के दौरान राहत और बचाव के कार्य युद्ध स्तर पर किये गये। बाढ़ के दौरान 1.90 लाख राशन किटो का वितरण करते हुए प्रभावित क्षेत्रों को खाद्यान्न राहत पहुंचाई गई। उसी तरह लोगों को धूप, वर्षा, ओस से बचाव के लिए 3.58 लाख मीटर तिरपाल का वितरण किया गया। बाढ़ प्रभावित गाँवों के लोगों को रहने के लिए 384 आश्रय स्थल एवं पशुओं के लिए 567 पशु शिविर की स्थापना की गई। बाढ़ क्षेत्र के 7.76 लाख पशुओं का टीकाकरण भी किया गया। बाढ़ क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों की टीम लगातार स्वास्थ्य सेवाये प्रदान करती रही। प्रदेश सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए प्रभावित जिलो में 12 एन0डी0 आर0 एफ0 की टीम, 07 एस0डी0 आर0 एफ0 की टीमों सहित 09 पी0ए0सी0 बाढ़ कम्पनियाँ भेजकर बाढ़ प्रभावितों की खोज राहत और बचाव के लिए तैनात की थी। प्रदेश सरकार की शीघ्र और त्वरित कार्यवाही से बाढ़ क्षेत्रों में प्रभावित लोगों को काफी राहत मिली।
जिला सूचना अधिकारी गाजियाबाद ।
Thursday 15 October 2020
महानगर महामंत्री पप्पु पहलवान ने किया विकास कार्य का उद्घाटन
अनवार चौधरी, समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। वार्ड 78 में महानगर महामंत्री पप्पु पहलवान के द्वारा आस्था सोसाइटी में प्लॉट नम्बर 901 से प्लॉट नम्बर 909 तक की पीछे की सर्विस लेन में टाईल लगाने के कार्य का उद्घाटन किया गया। जिसमें आस्था सोसाइटी के अध्यक्ष गोस्वामी जी, कृष्णा वेल्फयर अध्यक्ष जितेन्द्र, प्रेम त्यागी, भूषण लाल, आदित्य सिंह, सुमन सती, इन्दु तोमर, केशव सक्सेना, प्रतीक माथुर आदि निवासी सम्मिलित हुए है
रिहायशी इलाको में चल रही प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर होनी चाहिए कार्रवाई : भावना बिष्ट
अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी। मंगलवार लोनी क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में चल रही प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री पर कार्रवाई होनी चाहिए।क्योंकि इन फैक्ट्रियों से लोगों में कई तरह की बीमारियां भी फैलने की आशंका बनी रहती है और प्रशासनिक अधिकारियों को जल्द फैक्ट्रियों पर कार्रवाई कर बंद करवा देनी चाहिए।आम आदमी पार्टी की नेत्री भावना बिष्ट लोनी क्षेत्र में कई ऐसे कॉलोनी हैं जहां लोग प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों से परेशान हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी से सारा वातावरण प्रदूषण तो हो रहा है वहीं कई तरह की बीमारियां से लोग संक्रमित भी हो सकते हैं। इसलिए प्रशासन अधिकारी ऐसी फैक्ट्रियों को बंद कराएं जिससे लोग चैन की सांस ले सकें। वैसे तो अधिकारियों द्वारा समय-समय पर इन प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री में पर कार्रवाई होती रहती है लेकिन फैक्ट्री संचालक इनको दोबारा शुरू कर देते और इसकी प्रशासन के अधिकारियों को कानों कान खबर भी नहीं होती हैं।
-प्रदूषण बढ़ने से वैसे भी लोगों को स्वास जैसी कई अन्य बीमारियों से परेशान होते हैं
क्षेत्र के कई रियासी इलाकों में जैसे इंद्रपुरी जवाहर नगर संगम विहार नवीन को विकास नगर पूजा कॉलोनी चमन विहार और अन्य कॉलोनियों में भी लोग चोरी छुपे फैक्ट्री के चला रहे हैं जिससे कॉलोनी वासी को प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री को परेशानियों हो रही है इनको बंद कर जाए। वैसे तो प्रशासनिक अधिकारियों प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री के खिलाफ अभियान चलाकर बंद करवाते रहते है लेकिन फिर भी लोग चुपके चोरी चालू कर लेते। भावना बिष्ट आम आदमी पार्टी की जिला उपाध्यक्ष प्रशासनिक अधिकारियों को बताना चाहती हूं कि लोनी क्षेत्र के कई इलाकों में चल रही प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ एक अभियान चलाकर बंद कराया जाए ।जिससे क्षेत्रीय जनता प्रदूषण से राहत पा सके।
डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर संस्था ने किया पौधारोपण
अली खान नहटौरी—समीक्षा न्यूज
लोनी:गुरुवार को मानव कल्याण चैरिटेबल फाउंडेशन संस्था अध्यक्ष पदाधिकारियों ने भारत रत्न से सम्मानित भारत के 11 वे राष्ट्रपति मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर उनको शत-शत नमन करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पण करते हुए उनके नाम का एक पौधा लगाया गया
अध्यक्ष धर्मेंद्र त्यागी ने बताया राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सादा जीवन उच्च विचार वाले महान व्यक्ति थे उन्होंने अपने कार्यकाल में कई कीर्तिमान स्थापित किए राष्ट्रपति भवन के सभी खर्चों को कटौती करते हुए एक कमरे में अपना जीवन और पूरे देश को चला कर बता दिया था उनकी अंतिम विदाई में पूरा देश के सभी समाज के लोग बहुत दुखी और नम आंखों से विदाई दे रहे थे
वर्ष 1931 मैं देश के 11 राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म रामेश्वरम के धनुषकोडी में हुआ डीआरडीओ तथा इसरो में एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एमएलबी तीन के परियोजना निदेशक रहे वर्ष 1997 में भारत रत्न से नवाजा गया वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया वर्ष 2002 से 7 तक राष्ट्रपति रहे 27 जुलाई 2015 को शिलांग में आई आई एम में व्याख्यान के दौरान उनका निधन हो गया जिससे पूरा देश भौचक्का रह गया और हमारे बीच में महान मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे उनको शत-शत नमन करते हैं।
यूपीसीडा ने सरल की समायोजन प्रक्रिया, अब आवंटियों को नहीं देनी होगी डबल स्टाम्प डयूटी: आरएम यूपीसीडा सतीश कुमार
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। आरएम यूपीसीडा सतीश कुमार ने बताया कि यूपीसीडा बोर्ड ईज आॅफ डूईग बिजनेस को बढावा देने के लिए लिये गये निणयों के बारे मे बताया। उन्होने बताया कि बड़ी इकाईंयों को स्थापित करने हेतु सुविधा प्रदान करने के लिए समायोजन की प्रक्रिया को सरल किया गया है तथा समायोजन से पहले लीज डीड के निष्पादन की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जिससे आवंटियों को डबल स्टेम्प डयूटी नही देनी पडेगी।
उन्होने बताया कि प्राधिकरण में संयुक्त रूप से आवंटित भूखण्डों को अब विधिवत रूप से समायोजित मान लिया जायेगा। इस प्रकार नक्शे और उपयोग के निर्माण की प्रक्रिया को सरल बनाकर पुराने आवंटियों को नये दरों के आधार पर देय समायोजन शुल्क से बचाया जा सकेगा, जिससे उनको बडी राहत मिलेगी। उन्होने बताया कि 100 करोड रू0 से अधिक के प्रोजेक्ट लगाने के लिए दो या उससे अधिक भूखण्डों को आपस में जोडने के लिए लोगों से मांगी जाने वाली आपत्ति का समय 30 दिन के हटा कर 15 दिन कर दिया गया है।
उन्होने बताया कि समायोजन मामलों के त्वरित निस्तारण की आवश्यकता को देखते हुए इस प्रत्यक्ष में अनुमोदन शक्ति बोर्ड द्वारा सी.ई.ओ. को प्रत्यायोजित कर दी गयी है। उन्होने बताया कि वर्तमान समय में ई-कॉमर्स में गौदामों और लोजिस्टिक पार्को की आवश्यकता देखते हुए प्राधिकरण ने सरकार के औद्योगिक भूमि पर वेयरहाउसिंग और लोजिस्टिंक इकाईंयों और पार्क अनुमन्य गतिविधियों को उद्योग के रूप में माने जाने के फेसले को आत्मसात किया है। उन्होने बताया कि मा0 मुख्यमंत्री जी के भू-जल संरक्षण के आवाहन को उचित महत्व देते हुए प्राधिकरण अब यह सुनिश्चित करेंगा कि आवंटियों ने भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने से पहले अपने भवन की योजनाओं में वर्षा जलसंचयन के लिए उचित प्रावधान किये है।
उन्होने बताया कि प्राधिकरण के विभिन्न अनुभागों की कार्य प्रणालियों को सुगम बनाने के उददेश्य से प्रक्रिया में जरूरी बदलाव के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने निर्देशित किया है। इस सम्बन्ध में मुख्य कार्यपालक अधिकारी के निर्देशानुसार एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिससे आवंटियों को उत्पादन शुरू होने की तारीख की पुष्टि, लीज डीड के निष्पादन जैसी सुविधाओं के लिए कार्यालय में आने की आवश्यकता न पडे। उन्होने बताया कि प्राधिकरण 01 नवम्बर से असफल आवेदनों के स्वतः रिफण्ड की प्रक्रिया शुरू करेगा, साथ ही प्राधिकरण जल्द ही वाणिज्यिक और समूह आवास भूखण्डों के विपणन का ई-आॅक्शन के माध्यम से शुभारम्भ करेगा।
साभार: राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी
जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने काटी खेतों में धान की फसल
रिहाना पंवार—समीक्षा न्यूज
मुरादनगर। गांव भिक्कनपुर के किसान उस समय आश्चर्यचकित रह गए जब पेंट कमीज पहने चश्मा लगाए एक साहब उन्हें मूंजी के खेत में दरांती से कटाई करते दिखलाई दिए। लोगों ने पूछताछ की पता चला कि जिले के कलेक्टर साहब उनके गांव में पहुंचे हैं। जिलाधिकारी को फसल काटते देख लोगों को सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। इस बारे में जानकारी की जिस पर पता चला कि जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय यहां क्रॉप कटिंग का शुभारंभ करने लिए पहुंचे थे। उन्होंने दरांती लेकर खुद मूंजी के खेत में कटाई की।
उत्तर प्रदेश सरकार के आह्वान पर जिलाधिकारी ने अनेक क्षेत्रों में मनाया 'विश्व हैंडवाश डे'
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। ग्लोबल हैण्डवासिंग डे के अवसर पर जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडे ने आज मलिन बस्ती, मोहन कॉलोनी, मोहन नगर गाजियाबाद के स्थानीय लोगो को हाथ धोने की विधि के बारे में जानकारी दी । जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडे ने विश्व हाथ धुलाई दिवस के अवसर पर हाथ धोकर जनमानस को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। उन्होंने मलीन बस्ती में रह रहें लोगों को जागरूक करने के लिए एक स्लोगन ैन्डछज्ञ उन्हें बताया, जिसका मतलब है एस का मतलब सामने से हाथ धोना, यू का मतलब उल्टे हाथ धोना, एम का मतलब मुट्ठी से हाथ धोना, एन का मतलब नाखून की तरफ से हाथ धोना एवं के का मतलब कलाई की तरफ से हाथ धोना। जिलाधिकारी ने बताया कि इस मलीन बस्ती को इसलिए चुना गया क्योंकि एक तो वह मलीन बस्ती है जहाँ लोगों के पास नियमित संसाधन होते है। यहाँ ज्यादा जरूरत है लोगों को जागरूक करने की। जिलाधिकारी ने लोगों से इस स्लोगन को याद रखने की अपील की, ताकि वह अपने हाथ धोते समय इसके अनुसार अच्छे से हाथ धो सके इस अवसर पर उन्होने कहा कि कोविड-19 वायरस अभी भी सक्रिय है। इसलिए नियमित रूप से हाथ धोना अनिवार्य है। उन्होने कहा कि जनपद के सभी ब्लाक, ग्राम पंचायत, कार्यालय व अस्पताल, स्कूल, आगनबाड़ी केन्द्र में विश्व हाथ धुलाई दिवस के अवसर पर हाथ धोने का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। एक साथ सभी लोगों के हाथ धोने से जनमानस प्रेरित होंगा तथा सभी को हाथ धोने की प्रेरणा मिलेंगी। उन्होंने कहा कि यह कैंपियन इसी प्रकार आगे भी चलता रहेगा। उन्होने कहा कि साबुन से हाथ धोने के छः चरण होते है। इसका पालन करने से कोविड-19 महामारी संक्रमण काल में भोजन के पहले, नाक, मुॅह एवं आख को छूने के बाद, खासने एंव छीकने के बाद, शौच के बाद सभी को हाथ धोने का महत्व समझना चाहिए।
इस अवसर पर जिला डूडा अधिकारी पवन कुमार शर्मा, मोहन कॉलोनी के स्थानीय लोग एवं अन्य अधिकारी - कर्मचारीगण ने हाथ धोकर जनमानस को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया।
इसी क्रम में जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे के नेतृत्व में मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल की अध्यक्षता में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विश्व हाथ धुलाई दिवस का आयोजन किया गया । इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी द्वारा विश्व हाथ धुलाई दिवस पर सभी को जागरूक करते हुए स्वच्छता अपनाने की अपील की। उनके द्वारा बताया गया कि दस्तक कार्यक्रम के अंतर्गत, एएनएम, आशा, आगनवाड़ी, स्कूल शिक्षक व एसएचजी के सदस्य समुदायों में 10 घरों का समूह बनाएंगे और हैण्ड वाशिंग का डेमो देंगे। साबुन से हाथ धोने के मुख्य 6 चरणों को सिखाने के साथ कोविड -19 महामारी संक्रमण काल में भोजन के पहले, नाक, मुंह व आँखों को छूने के बाद, खांसने एवं छींकने के बाद, शौच के बाद एवं शौचालय के उपयोग के पश्चात् सभी हाथ धोने के महत्व को समझायेंगे । इसी प्रकार जनपद के सभी विकास खण्डों एवं ग्राम पंचायतों में भी विश्व हाथ धुलाई दिवस का आयोजन जनभागीदारी से किया गया। इस अवसर पर मौके पर भाल चन्द्र त्रिपाठी , जिला विकास अधिकारी, पी0एन0 दीक्षित, परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण , अनिल कुमार त्रिपाठी , जिला पंचायत राज अधिकारी, संजय व्यास जिला समाज कल्याण अधिकारी एवं विकास भवन के समस्त अन्य विभागीय एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
जिलाधिकारी गाजियाबाद अजय शंकर पांडे के नेतृत्व में कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गाजियाबाद में विश्व हैण्ड - हाइजिन दिवस मनाया गया है इस अवसर पर डा0 नरेन्द्र कुमार गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा समस्त अधिकारियों ध् कर्मचारियो का जानकारी प्रदान की गयी। आज जनपद गाजियाबाद में समस्त सामुदायिक ध् प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर विश्व हैण्डदृ हाइजिन दिवस मनाया जा रहा है एवं विभिन्न ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों में चिकित्सकों एवं पैरामैडिकल स्टाफ के द्वारा चिकित्सालयों में मौजूद जनमानस एवं चिकित्सा विभाग के अन्य कर्मचारियो को हाइजिन सम्बन्धित जानकारी दी गयी एवं समुदाय में इसी प्रकार के हाइजिन सम्बन्धित जागरूकता कार्यक्रम आशा एवं एएनएम के द्वारा की गयी। जिलाधिकारी गाजियाबाद के नेतृत्व में ग्लोबल हैण्ड वाशिंग डे आज दिनाक ग्लोबल हैण्ड वाशिंग डे का नगर निगम मुख्यालय एवं अन्य 5 जोनों में आयोजन किया गया जिसमें कुल 2280 कर्मचारियों ध् अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । हैण्ड वाशिंग की महत्वता एवं ॅभ्व् द्वारा जारी हैण्ड वाशिंग के निर्धारित मानक के अनुसार हैण्ड वाशिंग की प्रक्रिया को मौके पर उपस्थित समस्त कर्मचारियों को अपने व अपने परिवार को दिनचर्या में नियमित रूप से शामिल करने के लिए प्रेरित किया गया साथ ही वैश्विक महामारी कोविड -19 के द्रष्टिगत मास्क के उपयोग के साथ - साथ सोशल दूरी का पालन करने हेतु भी निर्देशित किया गया । हैण्ड वाशिंग की विधि एवं मास्क पहनने की विधि का डेमो करके भी दिखाया गया इस अवसर पर कर्मियों को मास्क एवं साबुन का वितरण किया गया।
सरकारी जमीन पर कब्जा करवाने वाले अधिकारियों को भेजेंगे जेल: विधायक नंदकिशोर गुर्जर
प्रमोद मिश्रा—समीक्षा न्यूज
लोनी। भूमाफियाओं के खिलाफ पिछले एक माह से क्षेत्रीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने मोर्चा खोल रखा है। भूमाफियाओं पर विधायक के सख्त रुख के बाद प्रशासन द्वारा क्षेत्र में कब्ज़ा की गई सरकारी एवं गैर सरकारी जमीन को चिन्हित और भूमाफियाओं से कब्जामुक्त करवाने के लिए गठित 13 सदस्यीय टीम ने गुरुवार को अल्वी नगर, वेस्ट कमल विहार, लालबाग, अहमदनगर नवादा, लाल बाग 150 फूटा मार्ग का निरीक्षण और ज़मीन की पैमाईश की। इस दौरान एसडीएम खालिद अंजुम, तहसीलदार प्रकाश सिंह, वनविभाग, तहसील, नगरपालिका, जीडीए के अधिकारी भी मौजूद रहें।
विधायक की उपस्थिति में हुई ज़मीन की पैमाईश, सुलझ सकता है पालिका और वनविभाग का विवाद:
वन विभाग, जीडीए, नगपालिक की ज़मीन को कब्जामुक्त करने के लिए गुरुवार को शुरू किए गए अभियान में लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर स्वंय उपस्थित रहें। इन दौरान विधायक ने सभी विभागों के अधिकारियों को आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करने की नासियत देते हुए पारदर्शिता के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा। विधायक की नासियत का असर यह हुआ कि एक ही दिन में वनविभाग की लगभग 21.9 हेक्टयर भूमि को चिन्हित कर लिया गया जिसपर नगरपालिका के साथ वन विभाग का विवाद लंबे अरसे था। ऐसे में आने वाले समय में दोनों विभाग के बीच का विवाद विधायक नंदकिशोर गुर्जर की दखल के कारण खत्म हो सकता है। वहीं इनमें कई स्थानों पर अवैध कॉलोनियों तक भूमाफियाओं द्वारा काट दी गई है।
दिनभर हुई ज़मीन की पैमाईश, भूमाफिया और सरकारी जमीन पर कब्जाधारियों में मचा हड़कंप:
एसडीएम खालिद अंजुम के नेतृत्व में गठित की गई टीम ने सुबह 11 बजे से ही पैमाईश का कार्य शुरू कर दिया गया। 13 सदस्यीय एन्टी-भूमाफिया स्क्वाड ने वन विभाग की कब्जाई गई ज़मीन अल्वी नगर, वेस्ट कमल विहार, लालबाग, अहमदनगर नवादा में पैमाईश का कार्य दिनभर किया गया। वहीं इस दौरान एसडीएम लोनी और तहसीलदार प्रकाश सिंह स्वंय मौजूद रहे। प्रशासन द्वारा पैमाईश और कब्जा की ज़मीन चिन्हित करने की सूचना पर भूमाफियाओं और कब्जाधारियों में हड़कंप मच गया। कई स्थानों पर अवैध निर्माण कार्य में लगे लोगअधिकारियों को देखते ही भाग खड़े हुए।
विधायक ने कहा वनविभाग और नगरपालिका के अधिकारियों ने भूमाफिया से मिलकर करवाया सरकारी जमीन पर कब्जा, दर्ज कराएं जाएंगे केस:
विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि वनविभाग और नगरपालिका के अधिकारियों द्वारा जो अपने ज़मीन पर भूमाफियाओं से मिलकर कब्जा करवाया गया है उसे किसी भी कीमत पर कब्जामुक्त करवाया जाएगा और वन विभाग एवं नगरपालिका के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा क्योंकि आज यह साफ हो गया कि 200 से अधिक बीघा की ज़मीन पर वन विभाग द्वारा कब्जा करवाया गया है। लालबाग मास्टर प्लान के तहत 150 फूटा लालबाग मंडी की ज़मीन पर जीडीए द्वारा करवाये गए कब्जा, सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद पर्ल ग्रुप के ज़मीन की खरीद फरोख्त व अन्य विभाग भी अपनी ज़मीनों पर कराए गए कब्जे को एक सफ्ताह में मुक्त करवाकर भूमाफियाओं पर मुकदमा दर्ज करें। साथ ही विधायक ने कहा कि गरीब जनता को प्लाट बेचने वाले भूमाफिया से पैसा दिलवाया जाएगा और सभी ज़मीनों को कब्जा मुक्त कर मेडिकल कॉलेज, फारेस्ट सिटी, स्कूल आदि का निर्माण कर लोनी को आदर्श विधानसभा बनाया जाएगा।
इस दौरान विधायक प्रतिनिधि पंडित ललित शर्मा, राजस्व निरीक्षक संजय कुमार, लेखपाल आशुतोष, कोमल गौड़, प्रमोद उपाध्याय, किरण पाल गौतम, नगरपालिक जेई पंकज गुप्ता, तपसी सिंह, एसडीओ वनविभाग आशुतोष पांडेय, संजय सिंह, गिरीश चन्द्र जोशी, विजय सिंह सर्वेश, चन्दन सिंह रावत, रामवीर पैमाईश के दौरान मौजूद रहें।
रंजीता धामा ने किया विकास कार्यों का उद्घाटन
प्रमोद मिश्रा—समीक्षा न्यूज
लोनी। लोनी नगरपालिका अध्यक्ष रंजीता धामा ने वार्ड 28 की कालोनी संत नगर मे विकास कार्यों का नारियल फोड़कर उद्घाटन किया ।
इस अवसर पर सैकडों की संख्या मे उपस्थित कालोनीवासियों ने लोनी नगरपालिका अध्यक्ष का फूल-माला पहनाकर स्वागत किया ।
रंजीता धामा ने जानकारी देते हुये बताया कि वार्ड 28 की संत नगर कालोनी का मुख्य मार्ग पिछले काफी समय से जर्जर हालत मे था तो उसको बनवाने के लिये नगरपालिका ने टेंडर लगाया था इसी क्रम मे आज इस मार्ग का उद्घाटन किया गया है जो कि डीएलएफ एसएलएफ को लालबाग से जोडता है इसके बनने से हजारों की संख्या मे रह रहे वार्ड के निवासियों को लाभ होगा ।
रंजीता धामा ने मौके पर उपस्थित ठेकेदार एवं अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि ये कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाये तथा कार्य मे किसी प्रकार की कमी ना हो ।
26लाख रूपये की लागत से बनने वाले इस मार्ग पर इटंरलाकिग टाइल्स लगेगी तथा दोनों तरफ पक्की नाली का निर्माण कराया जायेगा ।
कालोनीवासियों ने विकास कार्यों के लिये लोनी नगरपालिका अध्यक्ष का आभार प्रकट किया ।
इस अवसर पर सभासद निशा सिंह, मनीष ठाकुर, राजू, नरेश, अखिलेश कुमार, राजवती, सीमा देवी, नेहा पांचाल, अंजलि सिंह सहित सैकड़ों की संख्या मे कालोनीवासी उपस्थित रहे ।
महानगर महामंत्री पप्पु पहलवान ने किया टाईल लगाने के कार्य का उद्घाटन
अनवार चौधरी—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। वार्ड 78 में महानगर महामंत्री पप्पु पहलवान के द्वारा आस्था सोसाइटी में प्लॉट नम्बर 901 से प्लॉट नम्बर 909 तक की पीछे की सर्विस लेन में टाईल लगाने के कार्य का उद्घाटन किया गया। जिसमें आस्था सोसाइटी के अध्यक्ष गोस्वामी जी, कृष्णा वेल्फयर अध्यक्ष जितेन्द्र, प्रेम त्यागी, भूषण लाल, आदित्य सिंह, सुमन सती, इन्दु तोमर, केशव सक्सेना, प्रतीक माथुर आदि निवासी सम्मिलित हुए है।
आज की टीआरपी इस पर निर्भर है कि यूँ ही
आज की टीआरपी इस पर निर्भर है कि यूँ ही
ये पप्पू प्रधानमंत्री बनेगा या नहीं
चीन हमला हमपे करेगा या नहीं
लालू जी जेल में बैठे बैठे सोचे है
राबड़ी करवा चौथ रखेगा या नहीं
सुशान्त को न्याय मिलता हो तो
रिया भाभी फाँसी चढ़ेगा की नहीं
अर्णव देता पांच सौ रुपया हमको
मुंबई पुलिस पांच हजार देगा नहीं
जिसका दुम उठाया मादा निकला
मर्द कभी यहाँ ये नेता बनेगा नहीं
रोजगार शिक्षा स्वस्थ्य जरूरत है
कोई यहाँ साला चैनल पूछेगा नहीं
कोरोना आया भूखा प्यासा यहाँ पे
यह दुश्मन हमारा यहाँ खायेगा नहीं
हम सब इस उधेड़बुन में बैठे अशोक
अश्क़ गिरेगा पर भगवान आएगा नहीं
अशोक सपड़ा हमदर्द
समीक्षा न्यूज
“यज्ञमय शाकाहार युक्त वैदिक जीवन ही सर्वोत्तम जीवन है”
वेद सृष्टि के प्राचीनतम ग्र्रन्थ हैं। वेदों के अध्ययन से ही मनुष्यों को धर्म व अधर्म का ज्ञान होता है जो आज भी प्रासंगिक एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वर्तमान में संसार में जो मत-मतान्तर प्रचलित हैं वह सब भी वेद की कुछ शिक्षाओं से युक्त हैं। उनमें जो अविद्यायुक्त कथन व मान्यतायें हैं वह उनकी अपनी हैं। वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है। यह ज्ञान ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया था। ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, नित्य, अविनाशी तथा अमर सत्ता है। इस सृष्टि की रचना भी परमात्मा ने ही की है और इसका पालन भी सर्वव्यापक तथा सब जीवों व प्राणियों का पिता सर्वेश्वर ही कर रहा है। सर्वज्ञ व सर्वव्यापक होने से परमात्मा इस संसार, ब्रह्माण्ड वा विश्व के बारे में सब कुछ जानता है। मनुष्य कितना भी ज्ञान प्राप्त कर लें, यहां तक की उपासना आदि से ईश्वर का साक्षात्कार भी कर लंे, परन्तु वह परमात्मा के समान ज्ञानवान नहीं हो सकते। ईश्वर प्रदत्त वेदज्ञान का अध्ययन करने पर उसमें ईश्वर की सर्वज्ञता का बोध व दर्शन होते हैं।
वेदों का अध्ययन कर ही हमारे ऋषियों ने एक मत होकर, सृष्टि के विगत 1.96 अरब वर्षों के इतिहास में, सभी मनुष्यों के पांच प्रमुख कर्तव्य बताये हैं जिन्हें वह पंचमहायज्ञ कहा जाता है। इन पंचमहायज्ञों के नाम हैं ईश्वरोपासना वा सन्ध्या, देवयज्ञ अग्निहोत्र, पितृयज्ञ, अतिथियज्ञ तथा बलिवैश्वदेवयज्ञ। इन पंचमहायज्ञों से युक्त होने के कारण ही वैदिक धर्म व संस्कृति यज्ञमयी संस्कृति कही जाती है। हमें यज्ञ शब्द के अर्थ का ज्ञान भी होना चाहिये। यज्ञ श्रेष्ठतम व सत्यज्ञान से युक्त कर्मों को कहते हैं। परोपकार व सुपात्रों को दान देना भी यज्ञ में सम्मिलित है। यज्ञ का एक अर्थ विद्वान चेतन देवों की पूजा व सत्कार करना होता है। चेतन देवों माता, पिता व विद्वानों सहित पृथिवी, अग्नि, वायु, जल, आकाश आदि जड़ देवों की पूजा अर्थात् इनका सत्कार व इनसे लाभ प्राप्त करना, संगतिकरण तथा दान देना भी होता है। अग्निहोत्र यज्ञ में देवपूजा, संगतिकरण तथा दान का अच्छा समावेश रहता है। यज्ञ में विद्वानों को आमंत्रित किया जाता है और उनसे सदुपदेश प्राप्त किया जाता है। यज्ञ में हम जो घृत तथा साकल्य की आहुतियां देते हैं उनसे जड़ देवताओं का सत्कार होता है तथा प्रकृति व पर्यावरण का सन्तुलन बना रहता है। अग्निहोत्र यज्ञ से वायु व जल आदि की शुद्धि, रोगकारी किटाणुओं का नाश तथा मनुष्य आदि प्राणी रोगों से रहित तथा स्वस्थ रहते हैं। यज्ञ में वेदमंत्रों से ईश्वर की उपासना की जाती है जिससे वेदमंत्रों के अर्थों के अनुरूप परमात्मा हमारी प्रार्थनाओं को हमारी पात्रता के अनुसार पूरी करते हैं। यज्ञ से सब कामनाओं की पूर्ति एवं स्वर्ग की प्राप्ति होनी कही जाती है जो विचार करने पर सत्य एवं व्यवहारिक प्रतीत होती है। यज्ञ की इन सब व अन्य विशेषताओं के कारण ही परमात्मा ने वेदों में यज्ञ करने की प्रेरणा की है जिसे जानकर हमारे प्राचीन व अर्वाचीन ऋषियों व विद्वानों ने देश देशान्तर में यज्ञों का प्रचार किया था। आज भी वैदिक धर्म और ऋषि दयानन्द के अनुयायी आर्यसमाज संगठन से जुड़े बन्धु यज्ञ का अनुष्ठान करते हैं तथा यज्ञ से होने वाले लाभों को प्राप्त करते हैं। यज्ञ करने से मनुष्य रोगरहित तथा स्वस्थ एवं अभावों से रहित हो जाते हंै। यज्ञकर्ता सुखी एवं ज्ञान विज्ञान सहित होकर सामाजिक जीवन में भी उन्नति को प्राप्त करते हैं।
परमात्मा ने यह सृष्टि अपनी सनातन व शाश्वत जीवात्मारूपी प्रजा के लिये ही बनाई है। हम संसार में सुखों का भोग करते हैं जिसका आधार परमात्मा व उसकी सृष्टि ही है। हमारा शरीर भी हमें परमात्मा से ही प्राप्त होता है। सभी प्रकार के अन्न व भोजन आदि भी हमें परमात्मा द्वारा बनाये चराचर जगत से ही प्राप्त होते हैं। अतः हमारा कर्तव्य होता है कि हम ईश्वर का ध्यान करें, उसे जानें, वेदाध्ययन करें, वेद में प्रस्तुत ईश्वर के सत्य स्वरूप को जानकर उसकी उपासना करें और सदा उसके कृतज्ञ बने रहे। ईश्वर का ध्यान करने से मनुष्य को अनेक लाभ होते हैं। उसकी आत्मा को ज्ञान प्राप्त होता है व उसमें उत्तरोत्र वृद्धि होती है, बल की प्राप्ति होती है, सद्प्रेरणायें मिलती हंै तथा ईश्वर उपासकों की रक्षा करता है। ईश्वर की उपासना से मनुष्य दुःखों से छूटकर सुखों को प्राप्त होते हैं। ऐसे अनेकानेक लाभ ईश्वर का सत्यज्ञान प्राप्त कर उसकी उपासना करने से होते हैं।
ईश्वर ने ही हमें यह श्रेष्ठ मानव शरीर दिया है। वही हमें परजन्मों में भी हमारे कर्मों के अनुसार जन्म, जीवन व आत्मा को सुख प्रदान करने वाले शरीर आदि देगा। यह क्रम अनन्त काल तक चलना है और हम अनादि व अमर होने के कारण ईश्वर से अनन्त काल तक वर्तमान जीवन के समान लाभान्वित होंगे। ईश्वर के जीवात्माओं पर इतने अधिक उपकार हैं कि कोई भी मनुष्य ईश्वर के उपकारों की गणना नहीं कर सकता। अतः ईश्वर के प्रति कृतज्ञ होकर उसका ध्यान व उपासना करना तथा सभी प्रकार के अज्ञान, अन्धविश्वासों व पाखण्डों से दूर रहना हम सब मनुष्यों का कर्तव्य होता है। हमें सावधान रहकर अपने कर्तव्यों को जानकर उनका पालन करना चाहिये। ऐसा करने से ही हम ईश्वर की सत्य उपासना करते हैं और इससे हमें जीवन में ज्ञान, सुख, धन, सम्पत्ति, जीवनोन्नति तथा ईश्वर साक्षात्कार आदि ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है। यही सब ऐश्वर्य मनुष्य के लिये जीवन में प्राप्तव्य होते हैं। मनुष्य को ईश्वर उपासना सहित अग्निहोत्र, पितृयज्ञ, अतिथि यज्ञ एवं बलिवैश्वदेव यज्ञ का भी नित्य प्रति सेवन करना चाहियें। इसके लिये हमें सत्यार्थप्रकाश, पवंचमहायज्ञविधि, संस्कारविधि आदि ग्रन्थों को पढ़ना चाहिये जिससे हमें पंचमहायज्ञों तथा यज्ञमय जीवन पद्धति का परिचय व ज्ञान हो सकेगा।
परमात्मा ने मनुष्य को दूसरे प्राणियों पर उपकार करने के लिये बनाया है। हमें ध्यान रखना होता है कि हमारे किसी कर्म से किसी भी प्राणी को अकारण पीड़ा न हो। अहिंसा का अर्थ भी वैर त्याग तथा दूसरे प्राणियों को अपने समान समझकर उरसे प्रेम व सत्कार का व्यवहार करने से पूरा व सिद्ध होता है। शाकाहार से किसी प्राणी को पीड़ा नहीं होती जबकि मांसाहार करने से जिन प्राणियों के मांस का भक्षण किया जाता है, उन्हें अकारण असहनीय पीड़ा होती है। वेदों में मांस भक्षण का विधान कहीं नहीं है। वेद विरुद्ध व्यवहार व कार्य सब मनुष्यों के लिए अकर्तव्य होते हैं। ज्ञान व विज्ञान के अनुरूप मनुष्य के स्वस्थ जीवन के लिए शाकाहार ही उत्तम भोजन होता है। शाकाहारी प्राणियों का जीवन मांसाहारी प्राणियों की तुलना में अधिक लम्बा होता है। हाथी व अश्व आदि बलशाली प्राणी शाकाहारी ही होते हैं। मांसाहार से अनेक रोगों की सम्भावना होती है। मांसाहार ईश्वर की आज्ञा के विरुद्ध अकर्तव्य एवं पापकर्म होता है जिसका फल मनुष्य को परमात्मा की न्याय व्यवस्था से जन्म जन्मान्तरों में भोगना पड़ता है।
हमारे महापुरुष श्री राम, श्री कृष्ण तथा ऋषि दयानन्द जी शाकाहारी थे तथा अपूर्व ज्ञान व बल से सम्पन्न थे। हनुमान तथा भीष्म पितामह भी अतुल बलशाली थे और भोजन की दृष्टि से शाकाहारी ही थे। अतः मनुष्यों को मांसाहार का त्यागकर शाकाहार को ही अपनाना चाहिये। यही जीवन सुख व उन्नति का आधार होता है। यदि हम अपने जीवन को यज्ञमय व शाकाहार से युक्त रखेंगे तो निश्चय ही हमारा कल्याण होगा। इसी कारण से हमें सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग करना चाहिये। अपने सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य का विचार करके करने चाहियें। ऐसा करेंगे तो निश्चय ही हमें मांसाहार का त्याग करना होगा और शाकाहार को अपनाना होगा। हमें सत्य मार्ग वेदपथ पर चल कर अपने जीवन को उन्नत व इसके प्रयोजन मोक्ष प्राप्ति को सिद्ध करने वाला बनाना चाहिये। इसी लिये परमात्मा ने इस सृष्टि को बनाकर आरम्भ में ही मनुष्यों को वेदज्ञान दिया था। वेद अध्ययन व अध्यापन करने के ग्रन्थ हंै। हम इनका जितना अध्ययन करेंगे उतना ही अधिक लाभ प्राप्त करेंगे और यदि अध्ययन नहीं करेंगे तो ईश्वर की आज्ञा भंग करने वाले होंगे। अतः हमें वेदाध्ययन व वेदों का स्वाध्याय करते हुए अपने जीवन को यज्ञमय बनाकर तथा शाकाहारी भोजन करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिये। यही जीवन पद्धति श्रेष्ठ व सर्वोत्तम है। हमें सर्वोत्तम को ही अपनाना व आचरण में लाना चाहिये। वेदों का अध्ययन व वेदों के अनुसार ही आचरण करना सब मनुष्यों का ईश्वर प्रदत्त धर्म व कर्तव्य है। हमें इसे जानना चाहिये और इसी को अपनाना चाहिये जिससे हमें सुखों की प्राप्ति होने सहित जन्म जन्मान्तरों में हमारा कल्याण हों।
-मनमोहन कुमार आर्य
Wednesday 14 October 2020
स्वतन्त्रता सेनानी लाला हरदयाल की 136 वीं जयंती पर गोष्ठी संपन्न
प्रवीण आर्य—समीक्षा न्यूज
विदेशों में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अलख लाला हरदयाल ने जलाई - राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाजियाबाद। बुधवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "महान क्रांतिकारी,स्वतंत्रता सेनानी लाला हरदयाल जी की 136वीं जयंती" पर ऑनलाईन गूगल मीट पर गोष्ठी का आयोजन कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।यह कोरोना काल मे परिषद का 103 वां वेबिनार था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि लाला हरदयाल गम्भीर आदर्शवादी,भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के निर्भीक सेनानी, ओजस्वी वक्ता और लब्धप्रतिष्ठ लेखक थे।वे हिन्दू धर्म के प्रकाण्ड पंडितों में से एक थे।उन्होंने विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भारत की आजादी की लड़ाई में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया व उद्देश्य पूर्ति के लिए ग़दर पार्टी की स्थापना की।आज उनकी 136वीं जयंती पर उनके तप त्याग व क्रांतिकारी जोश को शत शत नमन करते है।उनका जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।राष्ट्र की एकता अखण्डता की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए,यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आर्य समाज श्री गंगा नगर, राजस्थान के प्रधान रवि चड्डा ने कहा कि आर्य समाज देश मे युवाओं को राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत करने के साथ साथ सामाजिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए संगठित करने का सराहनीय कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष आर्य नेता नरेन्द्र कालरा ने कहा कि देश की आजादी में आर्य समाज व महर्षि दयानन्द सरस्वती के विचारों का अमूल्य योगदान था।आज भी उनके विचार युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करने को प्रेरित करते है।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की लाला जी सदैव कहते थे- "अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से राष्ट्रीय चरित्र तो नष्ट होता ही है राष्ट्रीय जीवन का स्रोत भी विषाक्त हो जाता है।
प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि भारत की आज़ादी में योगदान देने वाले क्रांतिकारियों को उचित सम्मान देने लिए हम सभी को प्रयत्न करना चाहिए व उनके जीवन को आत्मसात करना चाहिए।
आर्य समाज सेवी माता पुष्पा देवी सपरा की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
आर्य नेत्री दीप्ति सपरा,उर्मिला आर्या(गुरूग्राम),संध्या पाण्डेय, सुलोचना देवी,वीना वोहरा, सविता आर्या,द्रोपदी तनेजा,ईश्वर आर्या(अलवर),रविन्द्र गुप्ता (फरीदाबाद),सचिन आर्य (मध्यप्रदेश),मुनीष आर्य(उन्ना) आदि ने देशभक्ति गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, संतोष शास्त्री,आनंदप्रकाश आर्य, देवेन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र भगत,पुष्पा शास्त्री,धर्मेन्द्र भाटिया आदि उपस्थित थे।
डग्गामार/अनधिकृत संचालित बसों के विरुद्ध चलाया चैकिंग अभियान
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। परिवहन मंत्री के निर्देश के अनुक्रम में उप परिवहन आयुक्त परिक्षेत्र मेरठ एवं संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन गाजियाबाद के निर्देशानुसार जनपद गाजियाबाद में जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय के निर्देशन में डग्गामार/अनधिकृत संचालित बसों के विरुद्ध गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर एवं बुलंदशहर के परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा सघन संयुक्त चेकिंग अभियान चलाया गया। छापामार टीम का नेतृत्व जनपद गाजियाबाद के वरिष्ठ एआरटीओ आर.के.सिंह द्वारा किया गया। अभियान में आर के सिंह के अतिरिक्त एआरटीओ नोएडा प्रशांत तिवारी, पीटीओ बुलंदशहर मनोज शुक्ला एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गाजियाबाद एन के वर्मा उपस्थित रहे। छापामार टीम द्वारा दिल्ली-मोहन नगर- मेरठ मार्ग, दिल्ली से गाजियाबाद हापुड़ मुरादाबाद मार्ग, गाजियाबाद- बुलंदशहर मार्ग पर डग्गामार बसों की आकस्मिक धरपकड़ की गई। अकस्मात् तीनों जिलों के अधिकारियों द्वारा जनपद के सभी राजमार्गों पर डग्गामार बसों को पकड़ने के लिए छापा मारने से बस मालिकों में हड़कंप मच गया और वह अपने वाहनों को भगाने लगे। अधिकारियों द्वारा कुशलता का परिचय देते हुए कुल 27 बसों का चालान किया गया, जिसमें से 14 बसों को सीज कर दिया गया। यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।
साभार—राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी
जनपद में आगामी त्यौहार कोविड-19 के प्रोटोकॉल के अनुरूप होंगे संपन्न: जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। जनपद में आगामी त्यौहारों नवरात्रि, महाअष्टमी, महानवमी, विजय दशमी, दशहरा वरावफात, बाल्मीकि जयंती, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दौयज छठ पूजा आदि त्योहारों को शांतिपूर्वक संपन्न कराने एवं कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन त्योहारों के कार्यक्रमों में सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से आज कलेक्ट्रेट के महात्मा गांधी सभागार में जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आहूत की गई। जिलाधिकारी ने महत्वपूर्ण बैठक में अध्यक्षता करते हुए प्रशासन एवं पुलिस तथा अन्य संबंधित अधिकारियों का आह्वान करते हुए कहा कि आगामी त्योहारों के आयोजन के दौरान जनपद की शांति एवं कानून व्यवस्था कायम रहे वहीं दूसरी ओर कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा जो निर्देश दिए गए हैं सभी अधिकारियों के माध्यम से उनका अक्षर से पालन सुनिश्चित करते हुए कार्य योजना बनाकर सभी त्योहारों के कार्यक्रमों को संपन्न कराने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों में आयोजकों के द्वारा विद्युत सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे संबंधित अधिकारियों के द्वारा इसकी गहनता के साथ चैकिंग सुनिश्चित की जाएगी। सभी धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन 50ः लोगों के भाग लेने के साथ ही अनुमति दी जाएगी। शहरी क्षेत्र में यह अनुमति अपर जिला अधिकारी नगर तथा मोदीनगर एवं लोनी क्षेत्र में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की अनुमति उप जिलाधिकारी के माध्यम से दी जाएगी। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट करते हुए निर्देशित किया है कि वह आवेदन के समय सारे तथ्यों की जांच कर ले उसके उपरांत ही संबंधित कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति प्रदान की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सभी कार्यक्रमों को आयोजित करते हुए आयोजकों द्वारा प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित कराना होगा। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि जनपद में कार्यक्रमों के आयोजन के संबंध में कोई भी नई परंपरा नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में 200 व्यक्तियों से ऊपर का जमावड़ा नहीं लगने दिया जाएगा। कार्यक्रमों के आयोजनों में सड़कों पर पंडाल लगाने की अनुमति किसी भी स्तर से प्रदान नहीं की जाएगी।
जिला अधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि आगामी त्योहारों के मद्देनजर आयोजित होने वाले के प्रमुख स्थलों का चिन्हिकरण कर लिया जाए और कार्य योजना उसे अंतिम रूप प्रदान करते हुए कार्यक्रम संपन्न कराएं। जिला अधिकारी ने कहा कि मूर्ति विसर्जन के संबंध में हिंडन नदी की साफ सफाई का दायित्व नगर निगम के द्वारा निर्वहन किया जाएगा वहीं दूसरी ओर जलकुंभी की सफाई का कार्य अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग करेंगे। दोनों विभागीय अधिकारियों के द्वारा कार्यक्रम आयोजन से पूर्व अपनी सभी तैयारियां सुनिश्चित कर ली जाएं। उन्होंने संबंधित उप जिलाधिकारी क्षेत्राधिकारी पुलिस को निर्देश देते हुए कहा कि मूर्ति विसर्जन क्षेत्रों में प्रॉपर बैरी कटिंग सुनिश्चित कराएं ताकि मूर्ति विसर्जन के दौरान कोई अप्रिय घटना घटित ना हो सके। जिलाधिकारी ने इस अवसर पर यह भी कहा कि आगामी त्योहारों को दृष्टिगत रखते हुए जनपद में कानून एवं शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिए संबंधित अधिकारियों के द्वारा जनपद में शराब के ठेके रात्रि 9रू00 बजे तथा सर्राफा की दुकान 8रू00 बजे तक बंद कराने की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। जिलाधिकारी ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है और कोरोना संक्रमित व्यक्ति निरंतर जनपद में मिल रहे हैं। अतः सभी अधिकारियों के द्वारा कोविड-19 महामारी को लेकर संबंधित प्रोटोकॉल का शक्ति के साथ अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए ताकि सभी जनपद वासियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित बनाया जा सके। उन्होंने इस अवसर पर खुले में हो रहे कार्यों पर प्रवर्तन की कार्यवाही करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये गये। आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में कलानिधि नैथानी, अपर जिलाधिकारी प्रशासन, अपर जिलाधिकारी नगर, पुलिस एवं प्रशासन के अन्य अधिकारी गण तथा विभागीय अधिकारियों के द्वारा भाग लिया गया।
साभार: राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी
“आत्मा, अनादि, अविनाशी व जन्म-मरण धर्मा है तथा मोक्ष की कामना से युक्त है”
संसार में तीन अनादि तथा नित्य पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति। ईश्वर सत्य चित्त आनन्दस्वरूप एवं सर्वज्ञ है। आत्मा सत्य, चेतन एवं अल्पज्ञ है। प्रकृति सत्य एवं जड़ सत्ता है। अनादि पदार्थ वह होते हैं जिनका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इन्हें किसी अन्य सत्ता ने उत्पन्न नहीं किया। इन तीन पदार्थों की सत्ता को स्वयंभू सत्ता कहा जाता है। ईश्वर सर्वशक्तिमान, अजन्मा, निराकार, सर्वव्यापक तथा सृष्टिकर्ता है। ईश्वर में इच्छा नहीं है जैसी कि मनुष्यों व प्राणियों में देखी जाती है। इच्छा न होने से उस इच्छा की पूर्ति के लिये परमात्मा कोई कर्म भी नहीं करता। इस कारण से वह कर्म के बन्धनों में नहीं फंसता और उसको मनुष्यों की भांति सत्यासत्य व पाप पुण्य कर्मों के समान कर्म बन्धनों व क्लेशों में नहीं फंसना पड़ता। जीव में इच्छा, द्वेष आदि प्रवृत्तियां होती है। इससे वह जो कर्म करता है उसके अनुसार उसे कर्म बन्धन में फंसना पड़ता है और न्यायाधीश के रूप में सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, न्यायकारी परमात्मा सब जीवों को उनके पाप व पुण्य सभी कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल देता है। मनुष्य के कर्म ही भविष्य में मनुष्य की जन्म, पुनर्जन्म व मृत्यु का कारण बनते हैं। हमारा यह जन्म भी हमारे पूर्वजन्म के कर्मों का फल प्राप्त करने वा भोगने के लिये ही हुआ है। हमने जो पूर्वजन्म में कर्म किये हैं उनका फल तो हमें इस जन्म में मिलता है। जो कर्म बच जाते हैं उन्हें नया जन्म लेकर भोगना ही पड़ता है। यही परमात्मा की व्यवस्था इस सृष्टि में दृष्टिगोचर होती है जिसका विधान वेद तथा ऋषियों के सत्यज्ञान से युक्त ग्रन्थों में मिलता है। मनुष्य जब वेद आदि सत्शास्त्रों को पढ़ता है तो उसे यह स्पष्ट ज्ञान हो जाता है कि हमारी व अन्य सभी आत्माओं ने अनादि काल से अब तक असंख्य बार अपने अपने कर्मानुसार भिन्न भिन्न योनियांे में जन्म लिये हैं। जन्म के बाद आयु का भोग करने के बाद सबकी मृत्यु व पुनर्जन्म होता रहता है। जन्म व मरण का यह चक्र रुकने वाला नहीं है। यह सदा से चलता आ रहा है और सदा चलता रहेगा। हम अनन्त काल तक वर्तमान जन्म के समान संसार की अनेकानेक प्राणी योनियों में अपने कर्मानुसार जन्म लेते रहेंगे।
विज्ञान का नियम है कि संसार में न तो कोई नया पदार्थ बनाया जा सकता है और न ही उसे नष्ट किया जा सकता है। नष्ट होने का अर्थ उसका स्वरूप परिवर्तन होना होता है। पानी को गर्म करने पर वह भाप बनकर उड़ जाता है परन्तु उसका अस्तित्व बना रहता है। यदि ईधन को जलाते हैं तो वह भी सूक्ष्म अदृश्य पदार्थों व धुएं के रूप में परिविर्तत होकर वायुमण्डल में फैल जाता है परन्तु उसका अभाव नहीं होता। वह अन्य रूप में संसार व वातावरण में विद्यमान रहता है। इसी प्रकार से आत्मा की मृत्यु होने पर उसका अभाव रूपी नाश नहीं होता। उसका अस्तित्व बना रहता है। आत्मा शरीर से निकल कर वायुमण्डल व आकाश में जाती है। शरीर से आत्मा का निकास सर्वव्यापक तथा सर्वान्तर्यामी परमात्मा की प्रेरणा से होता है। आत्मा को पता नहीं होता कि यह प्रक्रिया किस प्रकार से सम्पन्न होती है। उसे यह आभास अवश्य होता है कि उसका शरीर निर्बल व निष्क्रिय हो रहा है। आत्मा व प्राण आदि से युक्त सूक्ष्म शरीर का स्थूल शरीर से निकलते समय तक आत्मा को इसका कुछ ज्ञान व आभास रहता है। शास्त्र व विवेक से ज्ञात होता है कि यह आत्मा सूक्ष्म शरीर सहित अपने देह से निकलने पर परमात्मा की प्रेरणा से अपने कर्मानुसार भावी माता-पिता के शरीर में प्रविष्ट होता है जहां इसके जन्म की कालावधि व्यतीत होने पर जन्म होता है। जब तक मनुष्य अपने सभी कर्मों का भोग कर उनका क्षय नहीं कर लेगा, तब तक जन्म व मृत्यु का चक्र चलता ही रहेगा। जन्म व मृत्यु न हो इसके लिये हमें अपने इच्छा व द्वेष की प्रवृत्ति को जानकर उसको पूर्ण नियंत्रित करना होगा और वेदों का अध्ययन कर उससे प्राप्त ज्ञान के अनुसार जीवन बनाना होगा। मनुष्य वेदों के ज्ञान को प्राप्त होकर निष्काम कर्मों को करके ही उनके फलों से मुक्त होता है और ईश्वर की उपासना, अग्निहोत्र यज्ञ एवं अन्य सभी शुभ कर्मों के परिणाम तथा योगाभ्यास आदि से ईश्वर का साक्षात्कार करने से उसको दीर्घकालावधि के लिये जन्म व मृत्यु से अवकाश प्राप्त होता है जिसको मोक्ष कहते हैं। मोक्ष का तर्क एवं युक्तियों सहित वर्णन ऋषि दयानन्द ने वेदों के आधार पर अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवम समुल्लास में किया है। वहां इसका अध्ययन कर इसे समझा जा सकता है और मोक्ष प्राप्ति की प्रेरणा ग्रहण कर उसके लिये आवश्यक उपाय भी किये जा सकते हैं।
संसार में जन्म लेने वाले सभी प्राणियों की मृत्यु अवश्यम्भावी होती है। गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु का होना निश्चित है तथा जिस प्राणी की मृत्यु होती है उसका जन्म अर्थात् पुनर्जन्म होना भी निश्चित है। गीता की यह बात वेद एवं ऋषि दयानन्द के मन्तव्यों के अनुरूप एवं सर्वथा सत्य है। जन्म किसी भी योनि में हो जीवन काल में सुख व दुःख सभी प्राणियों को हाते हैं। मनुष्य व प्राणी सुख की इच्छा करते हैं। कोई भी प्राणी दुःख की इच्छा कभी नहीं करता। सभी दुःखों से निवृत्ति तथा भविष्य में कभी किसी भी प्रकार का कोई दुःख न हो, इसकी कामना करते हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये ही हमारे ऋषियों ने वेदों का अध्ययन कर व उसमें मोक्ष संबंधी विचारों का संग्रह कर उसे दर्शन, उपनिषद तथा सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में प्रस्तुत किया है। परमात्मा जन्म व मरण से सर्वथा मुक्त एक सत्ता है। वह सर्वशक्तिमान एवं सृष्टि की नियन्ता शक्ति है। वह जीवों को सुख की इच्छा से किये जाने वाले कर्मों का फल देते हैं। यदि मनुष्य सुख की इच्छा न कर दुःखों की निवृत्ति की इच्छा करें और उसके साधनों व उपायों का विचार कर वेद एवं ऋषियों के ग्रन्थों का आश्रय लें, तो उन्हें विदित होता है कि वेदाध्ययन व वेदाचरण ही मनुष्य को सभी दुःखों से छुड़ाकर मोक्ष वा मुक्ति का आनन्द प्रदान कराते हैं। मोक्ष के विषय में ऋषि दयानन्द के वचन हैं कि जो मनुष्य विद्या और अविद्या के स्वरूप को साथ ही साथ जानता है वह अविद्या अर्थात कर्म व उपासना से मृत्यु को तर के विद्या अर्थात् यथार्थ ज्ञान से मोक्ष को प्राप्त होता है। ऋषि दयानन्द यह भी बताते हैं कि मुक्ति उसे प्राप्त होती है जो बन्धनों में फंसा होता है। बद्ध वह होता है जो अधर्म व अज्ञान में फंसा हुआ होता है। अतः अधर्म व अज्ञान से छूटने पर मुक्ति का होना सम्भव होता है।
मनुष्य की आत्मा की मुक्ति व बन्धन किन-किन बातों से होता है इस पर भी ऋषि दयानन्द ने प्रकाश डाला है। वह बताते हैं कि परमेश्वर की आज्ञा पालने, अधर्म, अविद्या, कुसंग, कुसंस्कार, बुरे व्यसनों से अलग रहने और सत्यभाषण, परोपकार, विद्या, पक्षपातरहित न्याय, धर्म की वृद्धि करने, वेद विधि से परमेश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना अर्थात् योगाभ्यास करने, विद्या पढ़ने, पढ़ाने और धर्म से पुरुषार्थ कर ज्ञान की उन्नति करने, सब से उत्तम साधनों को करने और जो कुछ करें वह सब पक्षपातरहित न्याय-धर्मानुसार ही करें। इन साधनों से मुक्ति और इन से विपरीत ईश्वराज्ञाभंग करने आदि काम से बन्ध व जन्म-मरण होता है। मुक्ति से जुड़े अन्य अनेक प्रश्नों व शंकाओं का भी ऋषि दयानन्द जी ने सत्यार्थप्रकाश में समाधान किया है। अतः सभी मनुष्यों को सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन अवश्य ही करना चाहिये। सत्यार्थप्रकाश को पढ़ने से मनुष्य को ईश्वर व जीवात्मा सहित सभी विषयों का आवश्यक ज्ञान हो जाता है जैसा ससंार में किसी अन्य ग्रन्थ में प्राप्त नहीं होता।
सभी मनुष्यों को ईश्वर व जीवात्मा के सत्यस्वरूप को जानना चाहिये। जीवात्मा व मनुष्य जीवन के उद्देश्य सहित जीवात्मा के लक्ष्य पर भी विचार करना चाहिये। ऐसा करके हम अपनी आत्मा व जीवन का अवश्य ही कल्याण कर सकेंगे। सत्यार्थप्रकाश सभी मनुष्यों का मित्र व सहयोगी के समान है। यदि हम सत्यार्थप्रकाश को अपना मित्र व मार्गदर्शक बनायेंगे और इससे परामर्श लेंगे तो हमारा, समाज व देश का अवश्य ही कल्याण होगा।
-मनमोहन कुमार आर्य
इस्कॉन टेंपल में हुआ भगवान जगन्नाथ एवं राधा कृष्ण जी का परिक्रमा मार्ग का उद्घाटन
सौरभ जायसवाल
समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। इस्कॉन टेंपल राजनगर में भगवान जगन्नाथ जी एवं राधा कृष्ण जी का परिक्रमा मार्ग का उद्घाटन किया गया परिक्रमा मार्ग का उद्घाटन श्री सुंदर गोपाल प्रभु एवं मंदिर संचालक श्री आदि कर्ता प्रभु के कर कमलों द्वारा किया गया परिक्रमा मार्ग में भगवान श्री कृष्ण की लीला की बहुत ही सुंदर प्रतिमाओं का चित्रण किया गया है कार्यक्रम में केवल मंदिर से पुजारी एवं मंदिर के संचालन कर्ता सुरेश्वर दास एवं सौरभ जायसवाल कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
Tuesday 13 October 2020
प्रवासी विकास मंच ने मनाया पंडित ललित शर्मा का जन्मदिन
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
लोनी। प्रवासी विकास मंच द्वारा विधायक प्रतिनिधि पंडित ललित शर्मा जी का जन्मदिवस गॉड कन्वेंट पब्लिक स्कूल संगम विहार में समस्त संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में भव्य रूप से मनाया गया, इस मौके पर प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव ने कहा लोनी में प्रवासी विकास मंच एक मजबूती से प्रवासियों को संगठित करने का कार्य कर रहा है, पहली बार माननीय विधायक श्री नंदकिशोर गुर्जर जी ने अपना प्रतिनिधि एक प्रवासी के रूप में पंडित ललित शर्मा को बनाकर प्रवासियों को सम्मान देने का काम किया, विधायक प्रतिनिधि पंडित ललित शर्मा जी भी खुद एक प्रवासी हैं, सदैव प्रवासियों के हित में उनकी मदद के लिए हमेशा आगे आकर कार्य करते हैं, और पंडित ललित शर्मा जी का सदैव यही प्रयास रहता है की लोनी में कोई भी प्रवासी परिवार किसी भी कारण से परेशान ना रहें, जितनी संभव मदद होती है उसके लिए ललित शर्मा जी तत्पर रहते हैं, इस मौके विधायक प्रतिनिधि पंडित ललित शर्मा जी ने कार्यक्रम में उपस्थित समस्त पदाधिकारीगण एवं कार्यकर्ता बंधुओं का आभार प्रकट करते हुए कहा, में प्रवासी विकास मंच के प्रत्येक सदस्य के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं, कहीं भी मेरी आवश्यकता किसी भी प्रकार की हो तो मैं निस्वार्थ आपके लिए आधी रात भी तत्पर उपस्थित रहूंगा, यह मेरे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है आज प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में मेरा जन्मदिन भव्य रूप से मनाया गया, उसके लिए मैं संगठन के अध्यक्ष एवं समस्त कार्यकर्ताओं का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ और मुझे बहुत खुशी है इस बात की, कि लोनी में प्रवासी विकास मंच जिस स्तर से कार्य कर रहा है, समस्त प्रवासी परिवार को संगठित करके उन्हें मजबूत करने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है, यह हम सभी प्रवासियों के लिए बहुत गौरवान्वित बात है, हमारे क्षेत्र के विधायक माननीय नंदकिशोर गुर्जर जी भी इसी प्रयास से लोनी मैं रह रहे बड़ी संख्या में प्रवासियों के लिए उनकी सुरक्षा, चिकित्सा एवं शिक्षा की दिशा में कार्य करते हुए लोनी को एक अलग ही रूप देने का कार्य कर रहे हैं, लोनी में माननीय विधायक जी द्वारा कई नए बिजलीघर खुलवाए गए, आधुनिक सुविधाओं से संपूर्ण सरकारी अस्पताल एवं शिक्षा के क्षेत्र में इंटर कॉलेज सहित कई अन्य योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं, इस मौके पर कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित प्रदीप गहलोत, सूरज मिश्रा, सुमित शर्मा, रूबल भाई, गॉड कन्वेंट पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल राजकुमार गॉड, प्रवासी विकास मंच के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव, लोनी नगर उपाध्यक्ष एवं (पूर्व सभासद) प्रमोद गुप्ता, नगर मंत्री कपिल कुमार, नगर मंत्री दिलीप कुमार, नगर मंत्री रवि श्रीवास्तव, नगर मीडिया प्रभारी पंडित विक्की शर्मा, नगर सह मीडिया प्रभारी नितेश ठाकुर, नगर कार्यकारिणी सदस्य आकाश राजपूत एवं अलग-अलग वार्डो के पदाधिकारी अनिल कुमार, राकेश कुमार, अमित गुप्ता, अरविंद चौहान, राजा वर्मा, विवेक कश्यप, ललित बलोदी, पंकज, तुषार शर्मा, धीरज, शिवम, मंडल महामंत्री कमल प्रकाश शर्मा संगम विहार व्यापार मंडल के अध्यक्ष कैलाश शर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
लापता उद्योगपति अजय पांचाल की मिली लाश, अपहरण के बाद हत्या की आशंका
साजिद खान—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। महानगर के उद्योगपति अजय पांचाल जो कि लापता हो गये थे। मंगलवार सुबह गाजियाबाद के लिंक रोड साइट 4 इंडस्ट्रियल एरिया में पुलिस को उनकी लाश मिली। अजय पांचाल रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे। पुलिस ने अपहरण के बाद हत्या की आशंका जताई है। अजय पांचाल की कार सोमवार की शाम को हज हाउस के पास लावारिस हालत में खड़ी मिली थी। बताया जा रहा है कि मृतक अजय पांचाल की साहिबाबाद के राजेन्द्र नगर इंडस्ट्रियल एरिया में बिजली केबल बनाने की फैक्ट्री है। सोमवार दोपहर में अचानक से उद्योगपति अजय पांचाल लापता हो गए थे। शरीर पर पिटाई या कोई अन्य निशान नहीं मिले है।
क्या है पूरा मामला
गाजियाबाद के राजेंद्र नगर में रहने वाले अजय पांचाल कल दोपहर बाद लंच करने के लिए फैक्ट्री से घर के लिए निकले, लेकिन वह घर नहीं पहुंचे. पत्नी ने कॉल किया तो अजय का फोन स्विच ऑफ था. फैक्ट्री में फोन किया तो पता चला कि एक बजे ही गाड़ी लेकर फैक्ट्री से निकल गए हैं. सोमवार शाम तक अजय पांचाल का सुराग नहीं मिला.
इसके बाद रिश्तेदार कुलदीप त्यागी ने थाना साहिबाबाद में रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस को रात करीब आठ बजे हज हाउस के पास अजय पांचाल की ब्रेजा कार लावारिस हालत में खड़ी मिली थी. मंगलवार तड़के अजय पांचाल की लाश लिंक रोड इलाके में मिली. आशंका है कि अजय की हत्या गला घोंटकर की गई. उनका मोबाइल फोन और पर्स नहीं मिला है।
प्रमोद निमेष एडवोकेट के नेतृत्व में निजीकरण को लेकर किया विरोध प्रदर्शन
हरिशंकर यादव
समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। प्रमोद निमेष एडवोकेट के नेतृत्व में निजीकरण के विरोध में 09-10-2020 को मेरठ कमिश्नरी से “मौन पैदल यात्रा” निजीकरण रोको अभियान का प्रस्थान हुआ, यह यात्रा मोदीनगर, हापुड़ होते हुए 12-10-2020 शाम 9.00 बजे गाजियाबाद के कौशाम्बी बुद्ध विहार में रात्रि विश्राम करने के लिए ठहरी, आज 13-10-2020 को अपनी मांगों के समर्थन में जंतर-मंतर नई दिल्ली स्थल पर माननीय राष्ट्रपति महोदय को सम्बोधित ज्ञापन प्रेषित किया जायेगा| यह यात्रा निजीकरण रोको अभियान का प्रथम चरण है|
इस यात्रा का स्वागत व समर्थन करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि “सरकार को सरकारी उपक्रमों का निजीकरण रोकना चाहिए, जो जनता के हित में है, तथा देश को लाभान्वित कर रही है, रेलवे, हवाई अड्डे, भारत पेट्रोलियम, जीवन बीमा, विद्युत् विभाग का निजीकरण करोड़ों लोगों की नौकरी पर संकट पैदा करेगा तथा प्राइवेटाइजेशन से बड़ी कंपनियों को मनमर्जी लाभ कमाने की छूट मिल जायेगी| महंगाई बढ़ जायेगी, रेल किराया बढ़ जाने से आम आदमी की यात्रा कठिन हो जायेगी, महंगाई की मार से जन-जन के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जायेगा| उनकी जेब पर सीधा प्रहार होगा| जो देश हित, जनहित में नहीं है| भारत सरकार के निजीकरण के लिए सार्थक कदम उठाना चाहिए”|
प्रमोद कुमार निमेष जो मौन यात्रा का नेतृत्व कर रहे है विश्राम स्थल पर बताया कि निजीकरण करके सरकार अप्रत्यक्ष रुप से आरक्षण समाप्त करने की ओर बढ़ रही है, सरकार की मंशा में खोट है| निजीकरण से संविधान को कमजोर किया जा रहा है, हम मौन पद यात्रा प्रथम चरण देशव्यापी से सरकार से माननीय राष्ट्रपति जी को ज्ञापन प्रेषित कर मांग करते है कि निजीकरण की प्रकिया पर तत्काल रोक लगाई जाय, देशव्यापी प्रथम चरण मौन पद यात्रा में उनके साथ में चल रहे साथी अमित प्रकाश एडवोकेट, शेषराज भारती, अशोक, अंकित कुमार निगम, मनोज प्रधान, राज कुमार प्रधान ने भी निजीकरण के विरोध में विचार व्यक्त किये|
स्वागत करने वाले प्रमुख राम दुलार यादव, मुकेश शर्मा शिक्षाविद, महिला उत्थान संस्था की राष्टीय अध्यक्ष बिन्दू राय, समाज सेविका रेनुपुरी, शबाना, इशरत जहाँ, रहीमुद्दीन, मुशीर अहमद, ताहिर अली, सुभाष यादव आदि रहे|
आनलाइन योग कक्षा में क्रमवार किया सुंदरकांड पाठ
सुशील शर्मा—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। कोरोना काल में गत मई माह से योग शिक्षिका एवं रेकी मास्टर हीलर अर्चना शर्मा द्वारा संचालित आनलाइन निशुल्क योग कक्षा का संचालन किया जा रहा है। अधिक मास में एकादशी के दिन आॅनलाइन सुन्दर काण्ड का पाठ मंगलवार को किया गया। लगभग 67 सदस्यों ने इस पाठ में भाग लिया। भाग लेने वालों सदस्यों में गाजियाबाद के अलावा, साहिबाबाद, मेरठ, गुडग़ांव, सहारनपुर, रामपुर, दिल्ली और देहरादून से शामिल हुए। इस कार्यक्रम की रुपरेखा के अनुसार सुन्दर काण्ड का पाठ रेखा गर्ग ने आरम्भ से दोहा नं.-4, अनीता शर्मा ने- प्रबिसि नगर से दोहा नं.-8, मंजू गुप्ता ने- तरू पल्लव से दोहा नं.-12, पूनम गर्ग ने- तब देखी मुद्रिका से दोहा नं.-16, अशोक मित्तल ने- मन सन्तोष से दोहा नं.-20, सीमा शर्मा ने -कह लंकेश से दोहा नं.-24, सुमन गर्ग ने- पूँछहीन बानर से दोहा नं.-28, सुषमा मित्तल ने-जौं न होति से दोहा नं. 32, गीता मित्तल ने-बार बार प्रभु से दोहा नं.-36, कविता दत्त ने-श्रवन सुनी सठ से दोहा नं.-40, विजय लक्ष्मी ने-बुद्ध पुरान से दोहा नं.-44, अलका गर्ग ने-सादर तेही आगे से दोहा नं. 48, सुधा गर्ग ने-सुनु लंकेश सकल से दोहा नं. 52, सोनिया जैन ने-तुरत नाइ से दोहा नं. 56, सुनीता गोयल ने-सुनत सभय से दोहा नं.-60, नर्वदा गर्ग ने हनुमान चालीसा, विजेश गर्ग ने भजन, मंजू गोयल ने भजन, यशोदा अग्रवाल ने भजन, प्रभा अग्रवाल ने भजन, नीलम अग्रवाल ने भजन, दीपा गर्ग ने श्री राम स्तुति, विनय गर्ग ने रामायण और हनुमानजी की आरती का पाठ किया। सभी बोलने वाले निर्देशानुसार एक के बाद एक अपना माइक खोलते रहे और पाठ को आगे बढाते रहे। दो घंटे तक लगातार चलने वाले इस कार्यक्रम में कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई। बडे सुचारु रूप से चलता हुआ ये कार्यक्रम चार बजे सम्पन्न हो गया। इनके अतिरिक्त इसमें जो सदस्य कार्यक्रम में शामिल हुए उनमें प्रमिला सिंह , यशवंत सिंह, श्रुति बंसल, मोनिका गुप्ता, रोहन पान्डें, सुदेश नेगी, मंयक शर्मा, दीपक मित्तल,राजेश गर्ग,सविता गुप्ता, मधु वालिया, दिव्या अरोड़ा, सरिता वर्मा, वासु अग्रवाल, कंचन शर्मा, सुषमा गर्ग, महक गर्ग, संजय अरोड़ा, प्राची गर्ग, ज्योति गर्ग, पायल अग्रवाल, सुनिता छाबड़ा, संजू गर्ग, हंसी काराकोटि, सरिता प्रकाश, मुकेश त्यागी, कुसुम त्यागी, अरविंद गोयल, उज्जवल शर्मा, रूमा दत्त,आरती दत्त, दीप्ति गर्ग, नीतान्या अरोड़ा, अदिति अरोड़ा, सुजाता जायसवाल, सुरेंद्र कुमार, अरुणा वर्मा, अनुराधा गोयल, चित्रा सानदुजा, गायत्री शर्मा, उर्मिला राय, विभा अग्रवाल, संगीता भाटिया, किरन भाटिया, एस. एन. अग्रवाल आदि थे।
हिमांशी शर्मा के नेतृत्व में जन मानव उत्थान समिति ने चलाया स्वच्छ भारत स्वस्थ बेटियां अभियान
धनसिंह—समीक्षा न्यूज
सेनेट्री पैड वितरित कर दी महावारी से जुड़ी जानकारी एवं बचाव के उपाय
गाज़ियाबाद। जन मानव उत्थान समिति ने गाज़ियाबाद की गोविंद पुरम स्थित मलिन बस्तियों में एनजीओ की राष्ट्रीय अध्यक्ष हिमांशी शर्मा के नेतृत्व में संस्था के विशेष अभियान स्वच्छ भारत स्वस्थ बेटियां के तहत संस्था ने सैकड़ो बेटियों को सेनेट्री पैड का वितरण किया एवम बेटियों एवम महिलाओं को महावारी के दौरान होने वाली बीमारियों के बारे में एवम उनके बचाव के बारे में जागरूक किया एवम किस प्रकार से कितने समय मे सेनेट्री पैड के उपयोग के बारे में बारीकी से जानकारी उपलब्ध कराई गई इस दौरान कार्यक्रम का संचालन कर रही हिमांशी शर्मा ने बताया कि हमारी संस्था का विशेष अभियान स्वच्छ भारत स्वस्थ बेटियों पूरे भारत मे चल रहा है इसके अभियान के तहत सम्पूर्ण भारत में दो लाख महिलाओं व बेटियों को माहवारी के दौरान होने वाली बीमारियों से बचाव पर जन जागरण अभियान चलाकर गांव गांव देहात देहात मलिन बस्ती आदि में कार्य किया जा रहा है इस अभियान में महिलाओं व बेटियों को जागरूक करने के साथ साथ सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने के साथ साथ लगभग दो लाख महिलाओं व बेटियों को फ्री सेनेट्री पैड का जगह जगह वितरण किये जा रहे है इस कार्य मे सम्पूर्ण भारत मे प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष व राष्ट्र की सम्पूर्ण कमेटी कार्य एवम सहयोग कर रही है। इस अभियान में विभिन्न सदस्य शामिल रहे। बबिता चौधरी, बरखा कौशिक, हेमलता शिशोदिया, रेनु शर्मा, नेहा कौशिक, डॉ नीतू चौधरी, मंजू शर्मा, मोहिनी राजपूत, अनिता, अमित शर्मा, सत्यप्रकाश, संध्या आदि मौजूद रहे।
“मनुष्यों के दो प्रमुख आवश्यक कर्तव्य सन्ध्या एवं देवयज्ञ अग्निहोत्र”
मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसके पास विचार करने तथा सत्य व असत्य का निर्णय करने के लिए परमात्मा से बुद्धि प्राप्त है। जैसी मनुष्यों के पास मनन करने योग्य बुद्धि होती है वैसी मनुष्येतर प्राणियों के पास नहीं होती। इस कारण मनुष्य संसार में अन्य प्राणियों की तुलना में एक भाग्यशाली प्राणी है। मनुष्य को परमात्मा से प्राप्त अपनी इस बुद्धि का अपने जीवन में अधिकाधिक सदुपयोग करना चाहिये। इसका परिणाम उसकी सर्वांगीण उन्नति हो सकती है। भौतिक उन्नति को भी उन्नति कहा जाता है परन्तु यह एकांगी उन्नति होती है। जब तक मनुष्य का ईश्वर व आत्मा विषयक ज्ञान उच्च कोटि का न हो और वह इस आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार अपना जीवन न बनायें, तब तक भौतिक उन्नति अधिक अर्थयुक्त नहीं होती। अध्यात्म विषयों के ज्ञान से रहित भौतिक उन्नति करने से मनुष्य का पतन होना सम्भव होता है जो अध्यात्मिक ज्ञान व आचरण से कम होता है अथवा नही होता। अतः सभी को भौतिक ज्ञान व उन्नति सहित आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति करने के लिये वेद एवं ऋषियों के ग्रन्थों का स्वाध्याय तथा सत्पुरुषों से उपदेशों का श्रवण करना चाहिये। मनुष्य जीवन की उन्नति का मार्ग यही है। इसी से मनुष्य की सर्वांगीण उन्नति अर्थात् शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति होना सम्भव होती है।
जो मनुष्य बुद्धि का सदुपयोग ज्ञान प्राप्ति व चिन्तन मनन सहित वेद एवं ऋषियों के ग्रन्थों के स्वाध्याय में करते हैं उनको विदित होता है मनुष्य के प्रमुख कर्तव्य क्या हैं? हमारे प्राचीन ऋषियों ने मनुष्यों के जीवन पर विचार कर यह निष्कर्ष निकाला है कि मनुष्य को वेदों का स्वाध्याय कर ईश्वर व जीवात्मा सहित संसार को जानना चाहिये। ईश्वर को जानकर हमें हमारे ऊपर ईश्वर के उपकारों का ज्ञान होता है। ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, नित्य और सृष्टिकर्ता सत्ता है। अनन्त संख्या में विद्यमान सत्य व चेतन, अल्पज्ञ, जन्म-मरण धर्मा, अनादि, नित्य व अनुत्पन्न जीवात्मायें ईश्वर की सन्तानें व प्रजा हैं। अपनी इस शाश्वत प्रजा के लिये ही ईश्वर एक पिता के समान इस विशाल सृष्टि को बनाता व सृष्टि तथा जीवों का पालन करता है। जीवों को अपने पूर्वजन्मों के कर्माशय के अनुसार जन्म व सुख-दुःख भी परमात्मा से प्राप्त होते हैं। ईश्वर न्यायकारी सत्ता है। अतः वह जीवात्माओं को जन्म देने में किसी के प्रति किसी प्रकार का पक्षपात नहीं करती।
जिस जीवात्मा के पूर्वजन्म में जैसे पाप व पुण्य कर्म होते हैं जिनका भोग करना शेष रहता है, उनके भोग के लिये परमात्मा जीवों को मनुष्यादि अनेक योनियों में जन्म देता है। सभी योनियों में प्राणी जो भोजन ग्रहण करते हैं वह भी परमात्मा ही उत्पन्न कर उपलब्ध कराता है। जीवों को केवल भोजन व अपनी आवश्यकताओं की वस्तुओं को प्राप्त करने के लिये प्रयत्न, पुरुषार्थ व कर्म ही करने होते हैं। मनुष्य को जीवन में जो सुख मिलता है, वह भी परमात्मा की व्यवस्था से ही मिलता है। मनुष्य जब वृद्ध होकर शारीरिक दुर्बलता व किन्हीं रोगों से ग्रस्त हो जाता है, तो परमात्मा ही निर्बल व रोगी शरीर से जीवात्मा को छुड़ाकर जीवात्मा के पुण्य व पाप कर्मों के अनुसार उसे मनुष्य व इतर योनियों में से किसीएक योग्य योनि में जन्म देता है। मनुष्य यदि वेदों का स्वाध्याय करे तो इसे ज्ञान होता है कि सभी जीवों में दुःखों से सर्वथा निवृत्ति की इच्छा व भावना होती है। यह भावना सभी प्राणियों में होती है। इसे जीवात्मा का स्वभाव भी माना जा सकता है। ईश्वर ने इसके लिये ही वेदों का ज्ञान देकर जीवों को सत्कर्मों को करने के लिये ज्ञान देकर प्रेरित किया है जिसको प्राप्त होकर तथा उसके अनुसार आचरण कर जीवात्मा वा मनुष्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त होता है। मोक्ष को प्राप्त होकर मनुष्य को लगभग 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्षों के लिये जन्म व मरण से होने वाले दुःखों से मुक्ति मिल जाती है। जीवात्मा दुःखों से न केवल मुक्त ही होता है अपितु ईश्वर के सान्निध्य में रहकर ईश्वर के आनन्द का भोग करता है, ब्रह्माण्ड में अव्याहृत गति से घूमता है, मुक्त जीवात्माओं से मिलता है व उनसे वार्तालाप करते हुए आनन्दपूर्वक अपने समय को व्यतीत करता है। यह स्थिति वेदाध्ययन व वेदानुसार आचरण करने से ही प्राप्त होती है जिसका उल्लेख वेदों के अपूर्व विद्वान व ऋषि देव दयानन्द जी ने अपने अद्वितीय ग्रन्थ ‘‘सत्यार्थप्रकाश” के नवम समुल्लास में वर्णित की है। सभी पाठकों को अपने हित व लाभ के लिये सत्यार्थप्रकाश सहित इसके नवम समुल्लास को विशेष रूप से पढ़ना चाहिये और इसकी प्रेरणा से मोक्ष मार्ग का पथगमन तथा अनुसरण करना चाहिये।
परमात्मा ने मनुष्य की जीवात्मा पर जो उपकार किये हैं वह ऐसे हैं कि कोई जीवात्मा उन उपकारों का ऋण नहीं चुका सकते। जीवात्मा के पास ऐसा कुछ है ही नहीं जिसे देकर वह ईश्वर को प्रसन्न कर सके। वेदों के ज्ञान के आधार पर ऋषियों ने अनुभव किया व बताया है कि मनुष्य ईश्वर के उपकारों के लिये उसके सत्यस्वरूप का ध्यान कर तथा उससे एकाकार होकर उसके प्रति स्तुति व प्रार्थना के वचन बोलकर ही कृतज्ञता व्यक्त कर सकता है और ऐसा करके वह कृतघ्नता के दोषों से बच सकता है। इसे ही ईश्वर की उपासना व सन्ध्या करना भी कहा जाता है। ब्रह्म यज्ञ भी ईश्वर की उपासना को ही कहते हैं। ऋषि दयानन्द ने ईश्वर की उपासना वा सन्ध्या की एक सरल विधि लिखी है जिसके अनुसार सन्ध्या करने से इसका उद्देश्य पूरा हो जाता है। इस विधि से उपासना कर मनुष्य कृतघ्नता का दोषी नहीं रहता। इससे मनुष्य की आत्मा की उन्नति होती है तथा उसे सुख मिलता है। सन्ध्या करने से मनुष्य को आत्मा की उन्नति के साथ शारीरिक व सामाजिक उन्नति करने में भी सहायता मिलती है। अतः सभी मनुष्यों को वैदिक विधि से ही ईश्वर का ध्यान करते हुए उससे एकाकार होकर तथा अन्य किसी विषय को मन में न आने देकर सन्ध्या के मन्त्रों व वचनों से ईश्वर के उपकारों का ध्यान करना चाहिये। मनुष्य ईश्वर के प्रति स्तुति वचनों को बोलकर तथा ईश्वर के उपकारों का ध्यान करते हुए अपने प्रथम प्रमुख कर्तव्य को पूरा कर सकते हैं। सभी मनुष्य को अवश्य ही प्रातः व सायं समय सन्ध्या करनी चाहिये। जो मनुष्य सन्ध्या वा ईश्वर का ध्यान नहीं करते वह कृतघ्न व महामूर्ख होते हैं। इसका कारण यह है कि परमात्मा ने हमारे सुख के लिये इस सृष्टि को बनाया है, हमें जन्म दिया है और हमें अन्य योनियों में श्रेष्ठ मानव शरीर दिया है। परमात्मा ने हमें हमारे शरीर व आत्मा को सुख देने वाले अन्यान्य भौतिक पदार्थ दिये हैं, माता, पिता, भाई, बहिन, दादा, दादी, ताऊ, चाचा आदि नाना संबंधी आदि भी दिये जिनसे हमें सुख मिलता है। ईश्वर के उपकारों को भूल जाने वाला मनुष्य कृतघ्न ही होता है। अतः सबको सन्ध्या अवश्य करनी चाहिये और इसे अपने जीवन का प्रथम व मुख्य कर्तव्य जानना चाहिये।
ऋषियों के अनुसार मनुष्य का दूसरा मुख्य कर्तव्य है देवयज्ञ अग्निहोत्र का करना। देवयज्ञ करके हम जड़ व चेतन देवताओं को सन्तुष्ट करते हैं। यज्ञ का अर्थ देवपूजा, संगतिकरण तथा दान होता है। चेतन देवों में परमात्मा, माता, पिता, आचार्य व हमारे शुभ चिन्तक ज्ञान व विद्या सम्पन्न मनुष्य हुआ करते हैं। जड़ देवताओं में पृथिवी, अग्नि, वायु, जल, आकाश आदि को माना जाता है। वैदिक मान्यतानुसार कुल तेतीस देवता होते हैं। इनको सन्तुष्ट करने के लिये हम देवयज्ञ करते हैं। देवयज्ञ प्रतिदिन प्रातः व सायं किया जाता है। इसमें हम एक हवन कुण्ड में आम्र, पीपल आदि की दुर्गन्ध व प्रदुषण न करने वाली सूखी व स्वच्छ समिधाओं को अग्नि में जला कर यज्ञ में वेदमन्त्रों का उच्चारण कर गोघृत, बलवर्धक पदार्थ, सुगन्धित पदार्थों सहित वनस्पति तथा ओषधियों आदि की आहुतियां देते हैं जिससे वह आहुतियां अग्नि में जलकर अत्यन्त सूक्ष्म होकर वायु के द्वारा पूरे वातावरण में फैल जाती है। इससे यह लाभ होता है कि वायुमण्डल शुद्ध व सुगन्धित होता है, दुर्गन्ध का नाश होता है, घर व निवास का दूषित वायु बाहर निकल जाता है, बाहर का शुद्ध वायु घर के भीतर प्रवेश करता है, यजमान परिवार सहित अनेक निकटवर्ती परिवारों व मनुष्यों को सुगन्ध की प्राप्ति व शुद्ध वायु का लाभ होता है, रोग के किटाणुओं का भी नाश होता, अस्वस्थ मनुष्य स्वस्थ होते हैं तथा स्वस्थ मनुष्य रोगी होने से बचते हैं।
यज्ञ में मन्त्रों से ईश्वर से जो प्रार्थनायें करते हैं, ईश्वर उनका फल प्रदान कर उन्हें पूरी करते हैं। आत्मा व जीवन की उन्नति होने सहित मोक्ष प्राप्ति में भी यज्ञ का करना सहायक होता है। मनुष्य अभावों से रहित तथा अन्न, धन व ऐश्वर्य से सम्पन्न होकर अन्य अनेक लाभों से भी युक्त होता है। परमात्मा ने वेदों में मनुष्यों को यज्ञ करने की प्रेरणा व आज्ञा की है। इस ईश्वर आज्ञा का पालन भी यज्ञ करने से होता है। यज्ञ से जितनी मात्रा में प्राणियों को सुख पहुंचता है, उसी मात्रा में हमारे पुण्य भी अर्जित होते हैं जिसका लाभ हमें परजन्म में प्राप्त होता है। अतः सभी मनुष्यों को यज्ञ अवश्य करना चाहिये और ईश्वर की आज्ञा का पालन करने के साथ यज्ञ से प्राप्त होने वाले सभी लाभों को भी प्राप्त करना चाहिये। यह भी बता दें कि यज्ञ एक वैज्ञानिक क्रिया वा कर्म है। वैज्ञानिक वेद मत से जुड़े न होने के कारण यज्ञ की महत्ता को नहीं जानते और न ही समझना चाहते हैं। हमारे ऋषियों से बढ़कर तो वैज्ञानिक नहीं हो सकते। ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार न करना मनुष्य होने की पहचान नहीं है। इस सृष्टि की उत्पत्ति व इसके पालन पर विचार कर इसके कर्ता ईश्वर को जानने का प्रयत्न सबको करना चाहिये। वेदों के स्वाध्याय व चिन्तन से ईश्वर को जानकर उसकी उपासना करना मनुष्य मात्र का कर्तव्य होता है। जो ऐसा करते हैं वही मनुष्य कहलाने के अधिकारी होते हैं। ऐसे व्यक्ति ही विद्वान कहलाने के अधिकारी भी होते हैं।
मनुष्य को सन्ध्या व देवयज्ञ, इन दो प्रमुख कर्तव्यों को अवश्य ही करना चाहिये। अन्य तीन कर्तव्य हैं पित-ृयज्ञ, अतिथि-यज्ञ तथा बलिवैश्वदेव-यज्ञ। पितृ यज्ञ में घर में माता, पिता, दादी व दादा सहित सभी वृद्धों की पूरी तन्मयता व श्रद्धा से सेवा की जाती है। उन्हें भोजन, वस्त्र व ओषधि उपलब्ध कराने सहित उनसे प्रेम व आदर का व्यवहार किया जाता है। अतिथि वेदों के विद्वान तथा सबका हित करने वाले ऐसे विद्वानों को कहते हैं जो अचानक हमें सदुपदेश देने व हमारे कर्तव्यों का बोध कराने के लिये समय समय पर हमारे घरों में आते हैं। हमारा कर्तव्य होता है कि ऐसे विद्वान अतिथियों की हम तन, मन व धन से सेवा करें। हम ऐसा करके जो कर्म करते हैं वह हमारा पुण्य कर्म होता है जिसका फल हमें परमात्मा से जन्म जन्मान्तरों में मिलता है। अतः पितृ यज्ञ तथा अतिथि यज्ञ को भी सभी गृहस्थियों को अवश्य ही करना चाहिये।
गृहस्थ मनुष्यों का पांचवा मुख्य कर्तव्य होता है बलिवैश्वदेव यज्ञ का करना। इसमें हमें पालतू पशुओं यथा गो, बकरी व अन्य को अपनी सामथ्र्यानुसार भोजन देना होता है तथा उन्हें सुख पहुंचाना होता है। हमें सभी पशुओं से प्रेम व अहिंसा का व्यवहार करना चाहिये, यही मनुष्य का धर्म सिद्ध होता है। मांसाहार वैदिक धर्म में सर्वथा वर्जित है एवं निन्दनीय कर्म है। जो ऐसा करते हैं वह अज्ञानता व संगति के दोष के कारण करते हैं। उन्हें अपनी भूल को सुधारना चाहिये जिससे वह परमात्मा के दण्ड से बच सकें। बलिवैश्वदेव-यज्ञ में इस दृष्टि से भी विचार किया जाता है कि आज हमने जिन पशुओं व पक्षियों को भेाजन आदि कराया है अगले जन्म में वह मनुष्य बन सकते हैं और हो सकता हम व हममें से कोई पशु या पक्षी बन जाये। तब यदि इस यज्ञ की रक्षा होगी तो हमें भी अभयता के साथ भोजन व आश्रय प्राप्त हो सकेगा। ऐसा इस कारण कि पशु-पक्षी से मनुष्य बनी आत्माओं पर बलिवैश्वदेव यज्ञ के संस्कार होंगे। यदि हमने इस परम्परा को त्याग दिया तो हम सोच सकते हैं कि किसी पशु आदि योनि में जन्म लेने पर हमारी क्या क्या दुर्दशा हो सकती है? जैसा हम आज कर रहे हैं वैसा ही हमारे साथ भी हो सकता है। अतः सभी मनुष्यों को पशुओं के प्रति दया का भाव रखते हुए उनसे पूर्ण अहिंसा का व्यवहार करना चाहिये और उन्हें श्रद्धा के साथ आश्रय व भोजन कराना चाहिये। इसी में हमारा दूरगामी हित है।
हमने मनुष्य के दो प्रमुख कर्तव्यों सहित तीन इतर कर्तव्यों पर भी संक्षेप में प्रकाश डाला है। वैदिक धर्म व संस्कृति में इन्हें ही पंचमहायज्ञ कहा जाता है। हम आशा करते हैं कि इस लेख से हमारे पाठक मित्र लाभान्वित होंगे। हम प्रेरणा करेंगे सभी मनुष्य वेदों की शरण में आयें। इसके लिये सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन करें। इससे आपको अकथनीय लाभ होगा। इससे आपके जन्म व जन्मान्तर सुधर सकते हैं।
-मनमोहन कुमार आर्य
Monday 12 October 2020
विधायक नंदकिशोर गुर्जर और वरिष्ठ भाजपा नेता पवन मावी ने 8 करोड़ के विकास कार्यों का किया उद्घटान एवं शिलान्यास
प्रमोद मिश्रा—समीक्षा न्यूज
लोनी। सोमवार को लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर और जिलापंचायत अध्यक्ष पति एवं भाजपा नेता पवन मावी ने 8 करोड़ की लागत से लोनी देहात क्षेत्र के आधा दर्जन गांव इलायाचीपुर, डुगरावाली, मीरपुर, खानपुर, पचायरा अलीपुर में लगभग 8 करोड़ के विकास कार्यों का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इस दौरान विधायक ने लोगों की जनसमस्याओं का भी निस्तारण किया।
लोनी देहात में रिकॉर्ड तोड़ हुए है विकास कार्य, लोनी का सर्वांगीण विकास है लक्ष्य-नंदकिशोर गुर्जर:
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने देहात क्षेत्र में आने वाले इलायाचीपुर, डुगरावाली, मीरपुर, खानपुर, पचायरा अलीपुर आदि गांवों के मुख्य सम्पर्क मार्ग एवं जल निकासी कार्य का 8 कऱोड की लागत से उद्घाटन एवं शिलान्यास कार्य जिपं अध्यक्ष पति पवन मावी के साथ किया। इस दौरान करोड़ों के विकास कार्य के लिए स्थानीय जनता ने विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष पति का धन्यवाद किया।
विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने जनता का आभार जताते हुए कहा कि वर्षों तक लोनी को विकास के मामलें में हर क्षेत्र में पीछे रखा गया जबकि लोनी से दिल्ली की दूरी चंद मीटर की भी नहीं है। समय बदला और 2017 में माननीय योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में लोनी की देवतुल्य जनता ने विकासवादी सरकार को चुना और लोनी में रुकी हुई विकास की बयार चल पड़ी। इसके बाद जनता ने और आशीर्वाद दिया और हमें जिलापंचायत अध्यक्ष भी पहली बार लोनी से मिलें। इस तरह लोनी में डबल इंजन की सरकार ने विकास के क्रम में आने वाली हर बाधाओं को दूर किया। घुटनों तक गड्ढे में डूबे रहने वाला लोनी देहात आज चमचमाती सड़कों पर दौड़ रहा है। कई सड़कें तो ऐसी थी जिनकी मांग आज़ादी के समय से हो रही थी लेकिन उसे अब बनाया गया है। सभी गांवों के मुख्य सड़कें आज दुरुस्त है। कई स्थानों पर जो बच गए है उन्हें दुरुस्त करने के लिए विकास कार्यों का शुभारंभ आज किया गया है। लोनी में देहात और पालिका क्षेत्र में आये बदलाव को लोग स्वंय महसूस कर रहे है। सड़कों का जाल हो, पुश्ता मार्ग, बन्थला फ्लाईओवर,9 नए बिजलीघर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विस्तार, 100 बेड के अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण, शिक्षा क्षेत्र में ढांचागत विकास हो या माननीय केंद्रीय मंत्री एवं गाजियाबाद के लोकप्रिय सांसद वीके सिंह जी द्वारा लोनी में केंद्रीय विद्यालय के लिए दिए गए प्रस्ताव की स्वीकृति बताने के लिए काफी है कि लोनी सर्वांगीण विकास और आदर्श विधानसभा की ओर आगे बढ़ रहा है। यह सब प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के आशीर्वाद और केंद्रीय मंत्री एवं गाजियाबाद सांसद वीके सिंह जी के भरपूर सहयोग के कारण सम्भव हुआ है।
लोनी में दौड़ रहा है विकास का डबल इंजन, शहरों के समकक्ष विकसित हुए है लोनी के गांव- भाजपा नेता पवन मावी:
जिला पंचायत अध्यक्ष पति एवं वरिष्ठ भाजपा नेता पवन मावी ने कहा कि लोनी में आज विकास का डबल इंजन दौड़ रहा है। माननीय विधायक जी के आशीर्वाद से जिपं अध्यक्ष पद पहली बार लोनी को मिला और आज माननीय विधायक जी के मार्गदर्शन में हमने लोनी देहात को हाईटेक गांव बनाने का काम किया है। आज लगभग सभी गांव आपस में जुड़े है और मुख्य मार्ग तक पहुंच की सुगमता हुई है। किसानों को फायदा पहुंचा है जिससे लोनी देहात समृद्धि की ओर बढ़ रही है। हम सभी का एक ही लक्ष्य है कि माननीय विधायक जी के लोनी को आदर्श विधानसभा बनाने के भागीरथी कार्य में हरसंभव योगदान देकर, उसे साकार करें।
इस दौरान विधायक प्रतिनिधि पण्डित ललित शर्मा, मण्डल अध्यक्ष अशोक त्यागी, हरेंद्र प्रधान, वेदु प्रधान, देवेंद्र प्रधान, ललित प्रधान, प्रधान मोनू त्यागी, प्रधान नेपाल सिंह, टीटू प्रधान, सेलक प्रधान, जगत प्रधान, भाजपा नेता प्रदीप गहलोत आदि लोग उपस्थित रहें।
केपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट की विजेता टीम को लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने किया पुरुस्कृत
प्रमोद मिश्रा—लोनी
ग्रेटर नोएडा। खैरपुर गुर्जर गांव में पिछले 20 दिनों से चल रहे केपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मैच में सोमवार को लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचें और खैरपुर गांव की क्रिकेट टीम को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा जमाने वाली राजे याकूबपुर की टीम को विजेता ट्रॉफी और 1 लाख रुपये की इनामी राशि पुरुस्कार स्वरूप प्रदान किया।
विधायक नंद किशोर गुर्जर ने क्रिकेट प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि गांव- देहात के बच्चों को भविष्य के क्रिकेटर के तौर पर तैयार करने के लिए मैं आयोजकों का धन्यवाद करता हूँ। युवाओं को खेल को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए क्योंकि स्वस्थ्य शरीर में एक स्वस्थ्य मस्तिष्क का वास होता है। देश और प्रदेश में सभी खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रदेश एवं केंद्र सरकार खेलो इंडिया आदि कार्यक्रमों के तहत आज युवा खिलाड़ियों को तराशने का काम कर रही है। आज इसका नतीजा है कि ग्रामीण क्षेत्र के युवा हर खेल में ग्रामीण क्षेत्रों का नाम रौशन कर रहे हैं। संपन्न वर्ग का खेल समझा जाने वाला क्रिकेट आज ग्रामीण भारत तक पहुंचा है और कई ग्रामीण खिलाड़ियों ने स्वंय को राष्ट्रीय टीम, आईपीएल आदि में स्थापित किया है और बढ़िया प्रदर्शन कर रहे है। इस दौरान विधायक स्वंय भी क्रिकेट में हाथ आजमाते दिखे और कई शानदार शॉट लगाएं।
इस दौरान टूर्नामेंट के आयोजक योगेश खारी, दीपक खारी, दिनेश खारी, निशांत बिंदल, सुमित कसाना, सुमित खारी समेत सैकड़ों की संख्या में क्रिकेट प्रेमी मौजूद रहें।
स्वर सागर के आनलाइन 'नमस्ते भारत सीजन वन' के समापन पर रंगारंग कार्यक्रमों ने मन मोहा
सुशील शर्मा—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। कार्यक्रम नमस्ते भारत सीजन वन का अंतिम व सोलवा एपिसोड गाजियाबाद के कलाकारों श्रीमती कल्पना शर्मा और मीनाक्षी शर्मा ने अपने हवाईन गिटार और मोहन वीणा के द्वारा किया गया। दोनों कलाकारों ने अपनी जुगलबंदी से वाद्य की मधुर तारों को छोड़कर आजा सनम मधुर चांदनी में हम, यह रातें यह मौसम नदी का किनारा, रात कली एक ख्वाब में आई आदि पुराने गीतों से श्रोताओं के मन को मोह लिया और इसकी के साथ स्वर सागर फेडरेशन ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स ट्रस्ट का कार्यक्रम नमस्ते भारत सीजन वन का रविवार शाम को समापन किया गया।
यह कार्यक्रम 21 जून, 'वर्ल्ड म्यूजिक डे' पर शुरू किया गया था जिसमें देशभर से कुल 25 कलाकारों ने दिल्ली, बनारस, कानपुर, कोलकाता, बिहार व गाजियाबाद आदि शहरों से अपनी प्रस्तुति दी।यह कार्यक्रम प्रत्येक रविवार शाम को स्वर सागर फेडरेशन ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के ऑफिशल फेसबुक पेज लाइव किया जा रहा था। स्वर सागर का मुख्य कार्यालय गाजियाबाद में ही है और संस्था समय-समय पर कई सामाजिक विषयों पर व एनजीओस के लिए कार्यक्रम कराते रहते हैं। संस्था का मुख्य उद्देश्य छुपी हुई प्रतिभाओं को समाज के सामने लाना है।
मंडल स्तर पर होगा प्रशिक्षण वर्ग: राजेंद्र वाल्मीकि
अभिषेक शर्मा—समीक्षा न्यूज
लोनी। संगम विहार मंडल अध्यक्ष श्री कृष्ण बंसल जी के निवास पर संपूर्ण संगम विहार मंडल कार्यकारिणी की एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता मंडल के अध्यक्ष कृष्ण बंसल जी ने की जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर जिले के महामंत्री व प्रशिक्षण वर्ग जिला संयोजक राजेंद्र वाल्मीकि जी उपस्थित रहे ।
बैठक की शुरुआत भारत माता, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, व पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चित्र पर पुष्प व माल्यार्पण कर की गई ।
राजेंद्र वाल्मीकि जी मौजूदा मण्डल पदाधिकारीयो को संबोधित करते हुए आगामी प्रशिक्षण वर्ग की सम्पूर्ण रूप रेखा को विस्तार पूर्वक संक्षिप्त में बताया ।
नगर पालिका परिषद लोनी के मनोनीत सभासद राजेंद्र वर्मा जी ने भी मौजूदा मण्डल पदाधिकारियो को संबोधित किया व कार्यक्रमो के बिंदुओं पर चर्चा की ।
मण्डल अध्यक्ष कृष्ण बंसल जी ने कार्यक्रम संयोजक श्री राजेंद्र वाल्मीकि जी को आश्वस्त कराते हुए कहा हमने अपनी मण्डल की सम्पूर्ण कार्यकारिणी कार्यक्रम को सही ढंग से करने में किसी भी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ेंगे ।
इस अवसर पर मनोनीत सभासद मीना शर्मा, मण्डल महामन्त्री देवेंद्र सिंह भंडारी, कमल प्रकाश, मण्डल उपाध्यक्ष, जितेंद्र बंसल, बबलू ठाकुर, सभासद विनोद नागर, इंद्रजीत, वरिष्ठ भाजपा नेता राजवीर प्रजापति, जिला महामंत्री महिला मोर्चा रुद्रमिनी गिरी, मण्डल मंत्री, अभिषेक शर्मा, संजय उपाध्याय, नवनियुक्त मण्डल मंत्री, रजनी शर्मा, धर्मवीर सैन, राजीव शर्मा, व सुनील फौजी, जितेंद्र कश्यप, दुर्गेश चौधरी, बीना शर्मा व अन्य भाजपा कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे ।
अभिषेक शर्मा
मण्डल मंत्री व मीडिया प्रभारी
भाजपा संगम विहार, लोनी
“विश्व समुदाय द्वारा वेदों की उपेक्षा दुर्भाग्यपूर्ण है”
वेद ईश्वर प्रदत्त सब सत्य विद्याओं का ज्ञान है जो सृष्टि की आदि में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को प्राप्त हुआ था। इस सृष्टि को सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान तथा सच्चिदानन्दस्वरूप आदि लक्षणों वाले परमात्मा ने ही बनाया है। उसी परमात्मा ने सभी वनस्पतियांे व ओषधियों सहित मनुष्य आदि समस्त प्राणियों को भी उत्पन्न किया है। मनुष्यों के शरीर व उनके मन व बुद्धि आदि को भी परमात्मा ही बनाता है। अतः बुद्धि के विषय ज्ञान को भी परमात्मा ही प्रदान करता है। यदि सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा वेदों का ज्ञान न देता तो संसार में ज्ञान का प्रकाश न होता। मनुष्यों में यह सामथ्र्य नहीं है कि वह परमात्मा से वेदों का ज्ञान प्राप्त किये बिना स्वयं किसी भाषा व ज्ञान का विस्तार कर सकें। ईश्वर न हो तो यह सृष्टि भी बन नहीं सकती थी और न ही इसमें मनुष्य आदि प्राणी जन्म ले सकते थे। अतः सभी मनुष्यों को इस सत्य रहस्य को समझना चाहिये और वेदों की उपेक्षा न कर वेदों का अध्ययन कर इसमें उपलब्ध ज्ञान को प्राप्त होकर इसका लाभ उठाना चाहिये।
महर्षि दयानन्द ने अपने समय में अपनी कुछ शंकाओं का उत्तर संसार के किसी मत, पन्थ व ग्रन्थ में न मिलने के कारण ही सत्य ज्ञान की खोज की थी। उन्हें यह ज्ञान चार वेदों एवं वैदिक साहित्य, जो ऋषियों द्वारा रचित है, उनमें प्राप्त हुआ था। आज भी वेद ही सब सत्य विद्याओं के ग्रन्थ होने के शीर्ष व उच्च आसन पर विराजमान हैं। वेदों का अध्ययन कर ही मनुष्य ईश्वर, आत्मा तथा प्रकृति सहित अपने कर्तव्य और अकर्तव्यों का बोध प्राप्त करता है। वह वेद ज्ञान को आचरण में लाकर ही दुःखों से मुक्त होकर आत्मा की उन्नति कर सुखों को प्राप्त होकर मृत्यु के बाद सब दुःखों व क्लेशों से रहित मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। वेद प्रतिपादित ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना अर्थात् योगाभ्यास करते हुए जीवन जीनें से ही मनुष्य को ईश्वर का साक्षात्कार होकर धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष सिद्ध होते हैं। यही मनुष्य की आत्मा के प्राप्तव्य लक्ष्य हैं।
पांच हजार वर्षों से कुछ अधिक वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद देश देशान्तर में अव्यवस्था फैल गई थी जिसके कारण वेदों के सिद्धान्तों की सत्य शिक्षा व उनके प्रचार का प्रायः लोप हो गया है। जिस प्रकार सूर्य के अस्त होने पर अन्धकार होकर रात्रि हो जाती है इसी प्रकार वेदों की सत्य शिक्षाओं का लोप हो जाने के कारण सत्य ज्ञान का भी लोप होकर अज्ञान रूपी रात्रि का प्रादुर्भाव हुआ था जिसने अज्ञान, अन्धविश्वासों, मिथ्या सामाजिक परम्पराओं तथा अविद्या को जन्म दिया। आज भी अधिकांश रूप में यही स्थिति देश देशान्तर में जारी है। देश देशान्तर में वेदों की शिक्षाओं से रहित मत-मतान्तर प्रचलित हैं जिनसे ईश्वर के सत्यस्वरूप सहित सत्य विद्याओं का ज्ञान नहीं होता। किसी को न तो ईश्वर का साक्षात्कार ही होता है और न ही अकर्तव्यों का ज्ञान होता है जिस कारण से संसार में अकर्तव्यों को करने से अशान्ति व दुःखों का विस्तार हो रहा है। वैदिक धर्म प्राणियों पर दया, अहिंसा तथा करूणा पर आधारित है। इसका वर्तमान संसार में लोप ही प्रतीत होता है। इस कारण भी संसार में अनेक प्रकार से हिंसा का वातावरण देखा जाता है। लोग सत्य धर्म का पालन न कर अपने प्रयोजन की सिद्धि में हठ, दुराग्रह एवं अविद्यादि का प्रयोग करते हैं। जिससे मनुष्यों का जीवन दुःख व चिन्ताओं से युक्त होता है। इनका एक ही उपाय है कि वह महर्षि दयानन्द के विचारों का मनन करें और उनकी ग्राह्य शिक्षाओं को अपनायें जिससे मानव जाति का समुचित उत्थान होकर सभी मनुष्य जीवन के लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति में अग्रसर होकर उसे प्राप्त हो सकें।
ऋषि दयानन्द ने इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ के प्रथम दस अध्यायों में वेदों की मान्यताओं व सिद्धान्तों का प्रकाश व मण्डन किया गया है। सभी मतों के लोग इसे पढ़कर इसकी सत्यता की परीक्षा करते हुए इसके लाभ व हानि पर विचार कर सकते हैं। इस ग्रन्थ के उत्तरार्ध में संसार में प्रचलित प्रायः सभी मतों के सत्यासत्य की परीक्षा की गई है। इसे भी सभी लोग पढ़कर व विचार कर सत्य का ग्रहण व असत्य का त्याग करते हुए संसार को सुख व शान्ति को प्राप्त कराने की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं। यही ऋषि दयानन्द का भी उद्देश्य विदित होता है। वर्तमान में कोई भी मत व सम्प्रदाय इस आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर रहा है। ऐसा देखने में आता है कोई भी मत दूसरे मतों की अच्छी बातों का भी न तो ग्रहण करता है और न ही अपनी अतार्किक व अहितकर बातों का विचार कर उनका त्याग करने का प्रयत्न करता है। इस दृष्टि से मनुष्य परमात्मा प्रदत्त अपने मन, बुद्धि व आत्मा का सदुपयोग न कर उसके कुछ विपरीत आचरण करता हुआ दिखाई देता है। शतप्रतिशत लोग ऐसा नहीं करते परन्तु अधिकांश लोग ऐसा करते हुए दीखते हैं।
सभी मतों के लोग अपने आचार्यों की शिक्षाओं पर निर्भर रहते हैं। वह सत्य व असत्य का विचार प्रायः नहीं करते। वह अपने आचार्यों की प्रत्येक बात का विश्वास करते हैं। आचार्यगण अपने हित व अहित के कारण ही बातों को देखते व अपनाते हैं। इस कारण सत्य ज्ञान से युक्त ईश्वरीय ज्ञान वेदों के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है। विचार करने पर इसका एक कारण यह भी लगता है कि आर्यसमाज को जिस प्रकार जन जन तक वेदों का ज्ञान पहुंचाना था, उसमें भी वह सफल नहीं हुआ। वर्तमान में आर्यसमाज द्वारा किया जाने वाला वेदों का प्रचार आर्यसमाज मन्दिरों में अपने कुछ नाम मात्र के सदस्यों के मध्य सिमट कर रह गया है। हमारे विद्वान व प्रचारक आर्यसमाज मन्दिर के साप्ताहिक सत्संगों व उत्सवों में जाकर प्रवचन व भजनों आदि के द्वारा प्रचार करते हैं। जन-जन तक हमारी बातें पहुंचती ही नहीं है जबकि अन्य मतों के लोग अपने अनुयायियों द्वारा जन-जन तक पहुंचने की हर प्रकार से चेष्टायें करते हैं और उन्हें येन केन प्रकारेण अपने मत में मिलाने का प्रयत्न करते हैं। कुछ मतों की संख्या वृद्धि व आर्यों व हिन्दुओं की संख्या में कमी को भी इस सन्दर्भ में देखा समझा जा सकता है। आर्यसमाज के सुधी विद्वानों व शुभचिन्तकों को मत-मतान्तरों के प्रचार से प्रेरणा लेकर स्वयं भी वेदों का जन-जन में प्रचार करने की योजना बनानी चाहिये। यदि ऐसा न हुआ तो आने वाले समय में देश व आर्य हिन्दू जाति के लिये इस उपेक्षा के परिणाम गम्भीर व हानिकारक हो सकते हैं। मनुष्य व संगठनों का कर्तंव्य होता है कि अपने कर्मों पर विचार करें और उन्हें प्रभावशाली बनाये जिससे अभीष्ट लाभों की प्राप्ति हो सके। इसके लिये हमें सुसंगठित होना होगा और योग्य व निष्पक्ष अधिकारियों को अधिकार प्रदान कराने होंगे, तभी हम अभीष्ट मार्ग का अनुगमन कर अपने उद्देश्य में सफल हो सकते हैं।
ईश्वर की व्यवस्था पर विचार करते हैं तो वह हमें सत्कर्मों का प्रेरक और कर्मानुसार जीवों को सुख व दुःख देने वाला विधाता सिद्ध होता है। वेद परमात्मा का विधान है जिसमें मनुष्य के कर्तव्यों व अकर्तव्यों का ज्ञान कराया गया है। जो मनुष्य वेदाध्ययन नहीं करता उसे अपने कर्तव्यों व अकर्तव्यों ज्ञान भी नहीं होता। ऐसी स्थिति में मनुष्य से अवैदिक कर्मों का हो जाना सम्भव होता है जिसका परिणाम ईश्वरीय दण्ड विधान के अनुसार दुःख होता है। इस कारण बुद्धि व वाणी प्राप्त सभी मनुष्यों का कर्तव्य हैं कि ऋषि के बनाये हुए वेदानुकूल सत्य ग्रन्थों वा शास्त्रों का अध्ययन करें और उनकी सत्य शिक्षाओं का आचरण, पालन व प्रचार करें। यदि हमने अपना कोई भी कर्म ईश्वर की आज्ञा के विपरीत किया तो हम दण्ड व दुःख के भागी अवश्य होंगे। एक स्कूल के अध्यापक का व परीक्षक का उदाहरण भी लिया जा सकता है। सब बच्चे स्कूल में प्रवेश लेने व अध्ययन करने में स्वतन्त्र होते हैं। जो स्कूल में प्रवेश लेकर परिश्रमपूर्वक अध्ययन करते हैं उनको ही ज्ञान की प्राप्ति होते है। परीक्षा में उन्हें पूछे गये प्रश्नों के उत्तर अपने ज्ञान के अनुसार लिखने व देने की स्वतन्त्रता होती है। जो छात्र प्रश्नों के ठीक उत्तर देगा वह उत्तीर्ण होता है तथा जो नहीं देता वह फेल हो जाता है। परीक्षा के समय परीक्षक व अध्यापक अपने विद्यार्थियों को सही व गलत का ज्ञान नहीं कराते। एक अध्यापक अपने ही शिष्य को जो परीक्षा में प्रश्न का ठीक उत्तर नहीं देते, उन्हें फेल कर देता है। कुछ अनुतीर्ण विद्यार्थियों को स्कूल की प्रतिष्ठा को देखते हुए प्रवेश भी नहीं दिया जाता। ऐसा न्याय का पालन करने वाले अध्यापक व शिक्षक करते हैं। ईश्वर का विधान भी तर्क एवं युक्तियों पर आधारित है। परमात्मा भी अपने ज्ञान वेद का अध्ययन न करने वाले तथा उसके अनुसार आचरण न करने वाले लोगों को उनकी योग्यता व अयोग्यता के अनुसार उत्तीर्ण व अनुत्तीर्ण तथा सुख व दुःख रूपी पुरस्कार व दण्ड देता है। हमें व संसार के सब लोगों को इस उदाहरण में निहित शिक्षा को जानकर उसके अनुसार व्यवहार करना चाहिये।
वेदों के अध्ययन व अध्यापन के मनुष्य जाति के लिए अनेक लाभ हैं। संसार में एक ही परमात्मा है जो सृष्टिकर्ता, मनुष्यादि प्राणियों को जन्म व सुख आदि देने वाला तथा सभी सभी स्त्री व पुरुषों के कर्मों का न्याय करने वाला है। वेद ही ईश्वर का ज्ञान है इस कारण वेद ही सत्य व असत्य का निर्णय करने में परम प्रमाण हैं। इस कारण सभी मनुष्यों को अपने अपने विचारों को वेदानुकूल बनाकर सत्याचरण का पालन करते हुए ही अपने जीवन को उन्नति व सुख के पथ पर अग्रसर करना चाहिये। यदि ऐसा करेंगे तो सब मनुष्यों का वर्तमान जन्म सुखों से युक्त होने के साथ परजन्म भी सुखी व उन्नति को प्राप्त होगा। यदि इसका पालन न कर मत-मतानतरों की वेदविरुद्ध शिक्षाओं में लगे रहेंगे तो हमारा परजन्म उन्नति के स्थान पर एक फेल विद्यार्थी के समान दुःखों से पूरित हो सकता है जैसा कि स्कूली शिक्षा में ठीक से अध्ययन न करने तथा प्रश्नों के सही उत्तर न देने वालों के साथ होता है। ऐसे फेल विद्यार्थियों का भविष्य भी सुखमय न होकर दुःखमय ही होता है। हमें वेदों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये। वेदों के सत्य एवं उपयोगी अर्थों को जानकर उनसे लाभ उठाना चाहिये और विश्व में एक सत्य मत की स्थापना में सहयोग देना चाहिये जिससे विश्व में शान्ति, स्वर्ग व रामराज्य जैसा वातावरण हो।
-मनमोहन कुमार आर्य
पप्पु पहलवान ने अधिकारियों और जनता के साथ मिलकर चलाया पॉलीथिन मुक्त अभियान
अनवार चौधरी—समीक्षा न्यूज
साहिबाबाद। वार्ड 78 में महानगर महामंत्री पप्पु पहलवान के माध्यम से नगर निगम अधिकारी गौतम जी इंस्पेकटर संजीव और निवासियों के सहयोग से गुरुद्वारा रोड पर जो सब्जी फल वाले विक्रेता पोलीथिन का इस्तेमाल करते है और जिसकी वजह से हर समय जाम की स्तिथि बनी रहती है को हटवाया गया। सब्जी फल विक्रेता पोलीथिन का इस्तेमाल कर रहे थे पोलीथिन जब्त की गयी। इस मौके पर प्रेम त्यागी, प्रतीक माथुर, जितेंदेर, विक्रम पंवार, लक्ष्मी पंवार, कविता नेगी, ममता कांडपाल, गुड्डी नौटियाल, रंजना सेमवाल, कमला रावत, ज्योति, पूजा, मोना, आशा रावत, विमला, संगीता, वीना आदि लोग सम्मिलित हुए।
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