धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद द्वारा आयोजित गोष्टी ऑनलाइन गूगल पर "रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के उपाय" विषय पर आर्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। यह 212 वाँ वेबिनार था।
मुख्य वक्ता योगाचार्य सेवक जगवानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज संपूर्ण विश्व में कोरोना महामारी का संकट छाया हुआ है भारत में दूसरी लहर में हमारे देश वासी अपने शरीर को त्यागने के लिए विवश हो चुके हैं लेकिन जाने से पूर्व हमारा क्या कर्तव्य है इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर प्रदत्त उपहार प्राण शक्ति हमारे शरीर के अंदर है जो की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है हमारा इम्यून सिस्टम सही कार्य करता रहे।यदि इस उपहार का सही उपयोग करें तो हम इस महामारी से बचे रह सकते हैं ऐसे समय में प्रशासन द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन करना चाहिए।ईश्वर की प्रकृति प्र यानी प्रेम कृति यानी रचना ईश्वर ने प्रकृति हमारे लिए बनाई है और हम प्रकृति के विरुद्ध वह सब कार्य हमने किया जल को प्रदूषित किया अन्न को वायु को प्रदूषित किया हमारे साथी जो प्राणी थे उनको मारकर उनका मांस खा रहे हैं संसार की 80% जनता मांस खा रही है उनके इस पाप की वजह से यह महामारी आई है आज कोरोना महामारी के चलते मृत्यु हो जाने पर सगा भाई भी पास जाने से डर रहा है नगर निगम के कर्मचारी ही उसे श्मशान घाट ले जाकर उसका अंत्येष्टि संस्कार कर रहे हैं।इतने खतरनाक रोग की कभी कल्पना भी नहीं की थी आज लोग नौकरी,धंधे से हाथ धो बैठे हैं चिंता और तनाव ग्रस्त हैं उन्होंने प्रभु की आज्ञा का पालन नहीं किया वह कहते हैं एकांतवास में रहकर उसका जप करो। इस समय हमें चिकित्सक विशेषज्ञों सहायक लोगों का धन्यवाद करना चाहिए डर से अनावश्यक वस्तुओं को ना खरीदें।जब तक उसकी कृपा रहेगी हम चलते रहेंगे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर दिशा निर्देश देते रहते हैं लेकिन हम उस गाइड लाइन पर नहीं चले इसलिए यह महामारी फैली है परिवार और मित्रों के साथ भावनात्मक संबंध बना कर रखें,एकांत में परमात्मा का नाम लेना आईसोल्यूशन कहते हैं,हम घर पर रहे,उचित दूरी का पालन करें। दिनचर्या में योग को जोड़ना आवश्यक है यह दौर भी गुजर जाएगा ईश्वर कृपा से यह रोग दूर होगा सरल सिंपल एक्सरसाइज का अभ्यास कराया। महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग को अपना कर ही मानव कल्याण संभव है। यम,नियम,आसन,प्रत्याहार, धारणा,ध्यान समाधि को अपनाएं,कपालभाति,अनुलोम विलोम का अभ्यास करें इससे ऑक्सीजन बढ़ेगी विषाणु बाहर निकलेगा और हम स्वस्थ रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य नेता प्रेम सचदेवा ने की,उन्होंने प्रकार्तिक जीवन जीने की प्रेरणा दी। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि अपनी मृत्यु...अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है बाँकी तो मौत का उत्सव मनाता है
मौत से प्यार नहीं,मौत तो हमारा स्वाद है।बकरे का,पाए का,तीतर का, मुर्गे का,हलाल का,बिना हलाल का,ताजा बच्चे का,भुना हुआ,छोटी मछली,बड़ी मछली, हल्की आँच पर सिका हुआ। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।क्योंकि मौत किसी और की,और स्वाद हमारा।
स्वाद से कारोबार बन गई मौत। मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"। स्लाटर हाउस तक खोल दिए वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नहीं है। जो हमारी तरह बोल नहीं सकते,अभिव्यक्त नहीं कर सकते,अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं, उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया?
कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएँ नहीं होतीं या उनकी आहें नहीं निकलतीं? डाइनिंग टेबल पर हड्डियाँ नोचते बाप बच्चों को सीख देते है,बेटा कभी किसी का दिल नहीं दुखाना! किसी की आहें मत लेना! किसी की आँख में तुम्हारी वजह से आँसू नहीं आना चाहिए !बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ में वो हडडी दिखाई नही देती,जो इससे पहले एक शरीर थी,जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी,उसकी भी एक माँ थी ...??जिसे काटा गया होगा? जो कराहा होगा? जो तड़पा होगा? जिसकी आहें निकली होंगी? जिसने बद्दुआ भी दी होगी? कैसे मान लिया कि जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे? क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतानें नहीं हैं ?क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है?आज कोरोना वायरस उन जानवरों के लिए, ईश्वर के अवतार से कम नहीं है। जब से इस वायरस का कहर बरपा है,जानवर स्वच्छंद घूम रहे हैं,पक्षी चहचहा रहे हैं। उन्हें पहली बार इस धरती पर अपना भी कुछ अधिकार सा नज़र आया है।पेड़ पौधे ऐसे लहलहा रहे हैं, जैसे उन्हें नई जिंदगी मिली हो। धरती को भी जैसे साँस लेना आसान हो गया हो।सृष्टि के निर्माता द्वारा रचित करोड़ों-करोड़ योनियों में से एक कोरोना ने हमें हमारी औकात बता दी।घर में घुस के मारा है और मार रहा है।और उसका हम सब कुछ नहीं बिगाड़ सकते।अब घंटियाँ बजा रहे हो, इबादत कर रहे हो,प्रेयर कर रहे हो और भीख माँग रहे हो उससे की हमें बचा ले।धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो,कभी दुर्गा माँ या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो।कभी सोचा.....!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है? ....क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ? भगवान को ? अल्लाह को ? जीसस को?
या खुद को ?मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं...!!!अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!नवरात्रि में तो सवाल ही नहीं उठता....!!!झूठ पर झूठ....
....झूठ पर झूठ....झूठ पर झूठ...!!फिर कुतर्क सुनो.....फल सब्जियों में भी तो जान होती है ...?.....तो सुनो फल सब्जियाँ संसर्ग नहीं करतीं,ना ही वो किसी प्राण को जनमती हैं।इसी लिए उनका भोजन उचित है।ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी।ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म-मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया।आज कोरोना के रूप में मौत हमारे सामने खड़ी है। तुम्ही कहते थे कि हम जो प्रकति को देंगे,वही प्रकृति हमें लौटायेगी।मौते दीं हैं प्रकृति को तो मौतें ही लौट रही हैं बढो...!!!
आलिंगन करो मौत का....!!!
यह संकेत है ईश्वर का ।
प्रकृति के साथ रहो।प्रकृति के होकर रहो। अन्यथा..... ईश्वर अपनी ही बनाई कई योनियों को धरती से हमेशा के लिए विलुप्त कर चुके हैं।उन्हें एक क्षण भी नही लगेगा। प्रमुख रूप से सर्वश्री यशोवीर आर्य, महेन्द्र भाई, आनन्द प्रकाश आर्य, प्रवीण आर्य, सौरभ गुप्ता, सुरेश आर्य, दुर्गेश आर्य, धर्मपाल आर्य, देवेन्द्र भगत, ईश आर्य, स्वतंत्र कुकरेजा, वेदव्रत बेहरा, उर्मिला आर्य, डॉ सुषमा आर्य, दीप्ति सपरा, कमलेश हसीजा, के एल राणा, कर्नल अनिल आहूजा, प्रवीना ठक्कर, रवीन्द्र गुप्ता, प्रवीन चावला, जनक अरोड़ा, मृदुला अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।